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Saturday, January 11, 2025


 



कनीना नगरपालिका चुनाव--
सरिता सिंह बबलू के मैदान में आने से बदलते नजर आने लगे हैं समीकरण
-अब तो प्रधान पद पर नजरें टिकने लगी हैं
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कनीना की आवाज।
 कनीना  नगर पालिका के चुनाव में अब तक अनेक  संभावित प्रत्याशी मैदान में कूद चुके हैं। यद्यपि अभी तक नगर पालिका चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है और माना जा रहा है कि यह चुनाव कुछ आगे और भी सरक सकते हैं परंतु मैदान में जसवंत सिंह बबलू की पत्नी सरिता सिंह बबलू के आ जाने से समीकरण बदले बदले नजर आने लगे हैं क्योंकि जसवंत सिंह बबलू खुद विधानसभा की सीट के प्रबल दावेदार रहे हैं तथा समाज सेवा में उनका अहम योगदान है। उनकी पत्नी के प्रधान पद के लिए मैदान में कूद जाने से अचानक चर्चा का विषय बन गया है। अभी तक किसी सशक्त उम्मीदवार की को टकटकी लगाकर कनीनावासी देख रहे थे और उनके मैदान में आ जाने से अब ऐसा लगता है कि उन्हें जिस उम्मीदवार की तलाश थी अब वह पूरी हो सकती है।
 जसवंत सिंह बबलू ने बताया कि उनकी पत्नी सरिता सिंह बबलू मैदान में उतार दी गई है और वह प्रत्येक वार्ड में जा रहे हैं। यदि उनकी पत्नी प्रधान बन गई तो कनीना को गुरुग्राम जैसी सिटी बना दिया जाएगा। विकास के क्षेत्र में वो योगदान दिया जाएगा जो शायद क्षेत्र के लोगों ने अभी तक नहीं देखा हो। उन्होंने कहा चाहे कुछ भी किया जाए कनीना के प्रत्येक वार्ड से 10-10 युवाओं को नौकरियां भी दिलवाएंगे। ये नौकरियां कंपनियों एवं फैक्ट्रियों में दिलवाई जाएंगी। उनके नाम लाटरी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कनीना के विकास का खाका भी तैयार कर लिया है और कहा कि कनीना में जोहड़ों की समस्या बनी हुई है यह समस्या सबसे पहले दूर की जाएगी। कनीना को जगमग सीटी बना दिया जाएगा, विकास के कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि वह प्रत्येक वोटर के पास जाने का अभियान चला दिया गया है। और अभी तक होल्डिंग और बैनर भी लगा दिए गए हैं। उन्होंने अपनी अनेकों योजनाओं का विस्तार से हवाला दिया।
 उल्लेखनीय की जसवंत सिंह बबलू का कनीना में ही नहीं अपितु दूर दराज तक नाम है। उनका कहना है कि यदि भाजपा उनको आशीर्वाद देती है तो उनके चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा जा सकता है वरना फिर स्वतंत्र रूप से भी चुनाव लड़ेंगे परंतु चुनाव जरूर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सविता सिंह बबलू एक मात्र ऐसी प्रत्याशी होगी जो कनीना को विकास के क्षेत्र में ही नहीं हर क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी। प्रत्येक वार्ड में आरओ का जल भी उपलब्ध करवाया जाएगा तथा रुके हुए सभी विकास कार्यों को पंख लगा दिये जाएंगे। उनके मैदान में आने से हड़कंप मच गई है क्योंकि अभी तक कनीना में दो ही प्रबल गुट माने जाते रहे थे और उनके आने से यह तीसरा प्रबल गुट सभी के समक्ष होगा।  जसवंत सिंह बबलू ने कहा किअब वे प्रत्येक वार्ड में जाएंगे और लोगों की हर समस्या को पहले ही नोट करेंगे ताकि चुनाव के जीत जाने के बाद किसी प्रकार की समस्या न रहने दी जाएगी।  





 मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार-89
-बेहतरीन मिड-डे मील बनवाकर खिलाने में नाम कमाया
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कनीना की आवाज।
 कनीना निवासी होशियार  सिंह विज्ञान अध्यापक बतौर लंबे समय तक शिक्षा विभाग में सेवा देखकर 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने हर क्षेत्र में नाम कमाया है। जिस क्षेत्र में भी उतरे वहां कुछ करके दिखाया है। इसी क्रम में उनका शिक्षा विभाग में मिड डे मील इंचार्ज का रहा है। यदि मिड डे मील खिलाने वालों में अहम नाम किसी का आता है तो होशियार सिंह उनमें से एक रहे हैं। सबसे बेहतरीन खाना बच्चों को उन्होंने खिलाया। सुनते हैं उनकी कहानी होशियार सिंह की जुबानी--
 यूं तो मिड डे मील का काम मैं न तो करना चाहता था और नहीं मेरी इच्छा भी कभी रही परंतु राज्य शिक्षक पुरस्कार पाने के लिए
 मिड डे मील इंचार्ज रहने के 5 वर्षों के अंक दिए जाते हैं, इसलिए सोचा क्यों न  मिड डे मील का इंचार्ज बना जाए और 2010 से लगातार कई वर्षों तक यह काम किया। कनीना के राजकीय माडल स्कूल में मिड डे मील का इंचार्ज रहा तब तो बहुत बेहतरीन खाना बच्चों को दिया तथा उस समय के शिक्षक आज भी मानते हैं कि मिड डे मील का खाना बहुत बेहतरीन दिया गया था। जिस प्रकार एनएसएस शिविर चलाने में कनीना में सेवा दे चुके गणित प्राध्यापक सुनील कुमार यादव रामबास का अहं नाम है। जहां भी जाए एनएसएस की जब चर्चा चलती है उनका नाम लिया जाता है। ठीक वैसे ही यदि मिड डे मील की चर्चा की जाए होशियार सिंह का नाम जरूर लेंगे। यह सत्य है कि कुछ मुखियों का काम ही  मिड डे मील में खलल डालने का होता है। कुछ मुखिया ऐसे भी रहे हैं जो न  चाहते हुए भी ऐसे कार्य कर बैठते जिससे बार-बार जांच भी होती। ऐसे मुखियों का अगर यहां हवाला दिया जाए तो थोड़ा उचित नहीं लगेगा। एक तो ऐसे मुखिया भी मिले जो मिड डे मील का सामान भी उठकर घर ले जाते थे परंतु उनकी करनी उनके हाथ है। मैं यहां बताना चाहूंगा कि कनीना स्कूल के पश्चात जहां पड़तल में भी मिड डे मील का काम करना पड़ा तत्पश्चात वहां से धनौंदा स्कूल में मिड डे मील इंचार्ज का काम किया। यहां मेरा मिड डे मील का काम अंतिम चरण में था क्योंकि यहीं पर राज्य शिक्षक अवार्ड से सम्मानित हो चुका था, तत्पश्चात मिड डे मील इंचार्ज का कार्य छोड़ दिया। मिड डे मील इंचार्ज बतौर अनेकों कष्ट झेलने भी पड़े। उदाहरणत्या एक स्कूल में दिखाइए ईमानदारी किंतु वह उल्टी हमारे सिर ही आ पड़ी। कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अच्छी चीज को बुरा मान बैठते हैं। सभी जानते हैं कि मिड डे मील इन का बहुत बेहतरीन काम करने पर भी कुछ पैसे बच ही जाते हैं। एक स्कूल में लंबे समय तक मिड डे मील का काम किया और कुछ पैसे बचते उन्हें विद्यार्थियों के हित में जमा किया। जब 10000 रुपये की राशि बन गई तो हमने ईमानदारी का परिचय देते हुए विद्यार्थियों पर खर्च करने के लिए दे दी। फिर तो क्या था कुछ गांव के घटिया प्रकृति के लोग हर स्कूल में भी कार्य करते हैं। उन्होंने वह अफवाह फैला दी कि मिड डे मील से भारी बचत होती है। जहां दस हजार रुपये से सभी की सलाह से जहां इनवर्टर विद्यार्थियों के लिए खरीद दिया। परंतु फिर तो गांव वाले आए और उन्होंने कहा कि 10000 रुपये हमें दिए जाएं।
 यह सत्य है कि एक स्कूल में तो बाहर के लोगों का मिड डे मील में बहुत हस्तक्षेप रहता है। प्रधान बना दिया जाता है वही अपने आप को राष्ट्रपति समझने लगता और दखलअंदाजी करते रहते हैं। विद्यालय में मिड डे मील को सुचारु रूप से नहीं चलने देते। उधर धनौंदा स्कूल में तो बाहर से दूसरी जगह से सामान अगर खरीद कर लाते हैं तो उस पर भी ऐतराज गांव वाले करते हैं। उनका कहना है कि चाहे हम महंगा सामान दे फिर भी यही से सामान खरीदे, ऐसा गांव पहली बार देखा है। समान अगर सस्ता और बच्चों के हित में खरीद कर लाया जाए तो उसका विरोध क्यों? ईमानदारी पर चला जाए तो उसका विरोध क्यों?  इस गांव में ऐसी हालत भी देखने को मिली है।
 मिड डे मील इंचार्ज बनना कोई इसीलिए नहीं चाहते क्योंकि लोग मदद करने की बजाय टांग खींचाई करते हैं। यही कारण है की कई स्कूलों में में झगड़ा होते हुए भी देखा। कुछ स्कूलों में तो मिड डे मील इंचार्ज बनना नहीं चाहते विरोध करते हैं क्योंकि गांव का हस्तक्षेप कहीं ज्यादा होता है वहां मिड डे मील सुचारु रूप से नहीं चल पाता है।



कनीना के घटनाक्रम
- दसवे दिन भी जारी रहा कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन
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कनीना की आवाज।
कनीना सब डिवीजन के तहत आने वाले सभी बिजली कर्मचारियों एवं संगठनों के प्रतिनिधियों ने उपमंडल कार्यालय के सामने दसवें दिन भी धरना प्रदर्शन किया। पुलिस प्रशासन एवं निगम मैनेजमेंट के ढीले रवैये के कारण कर्मचारियों में निगम मैनेजमेंट और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। धरने की अध्यक्षता रामरतन जेई गोमली ने की। कर्मचारियों ने कहा कि निगम मैनेजमेंट एवं पुलिस प्रशासन आरोपितों को गिरफ्तार नहीं करेगी तो  कर्मचारी आर पार की लड़ाई लडऩे को मजबूर होंगे और यह आंदोलन उग्र आंदोलन के रूप में तब्दील कर दिया जाएगा। इस आंदोलन में जो भी किसी प्रकार की अशांति होगी उसकी सारी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन एवं  निगम मैनेजमेंट की होगी।
नहीं हो पाया आज भी अंतिम संस्कार--
 कनीना उपमंडल के गांव बाघोत निवासी 26 वर्षीय मोहित ने 14 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी। तब से लेकर आज तक कनीना अस्पताल के शवगृह में उसका शव रखा हुआ है। न तो पुलिस ने आज तक एफआइआर दर्ज की है और न ही शव का आज तक तक अंतिम संस्कार किया गया है।
बाघोत में मृतक मोहित के पिता कैलाश पुजारी ने 14 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया हुआ है वरना इसके बाद आगामी कार्रवाई करेंगे। यह शव दूर दराज तक चर्चा का विषय बन चुका है।






 मोबाइल छीन रहे हैं आंखें और धूम्रपान दे रहा है मौत- डा. होशियार सिंह
-सात दिवसीय शिविर धनौंदा में लत डालने वाले पदार्थों  पर किया व्याख्यान
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कनीना की आवाज।
धनौंदा के राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में राजेश कुमार इंचार्ज की अध्यक्षता में चल रही रहे सात दिवसीय एनएसएस शिविर में डा. होशियार सिंह यादव पूर्व स्टेट अवार्डी शिक्षक लत डालने वाले पदार्थों एवं मोबाइल की हानियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के दिन पूरे देश में 10 प्रतिशत के करीब आबादी नशे की शिकार है जो नशे के रूप में चाय, काफी के अतिरिक्त बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम, तंबाकू, पान,शराब, भांग चरस, अफीम,ब्राउन शूगर, ई-सिगरेट आदि का नशा करते हैं। यह नशा इंसान को मौत के मुंह में ले जाता है और इंसान का एक बार पीछा कर ले तो उसका पीछा नहीं छोड़ता। ये लत डालने वाले पदार्थ हैं और केवल मौत के बाद ही पीछा छोडतेे हैं। यदि कोई ऐसा विद्यार्थी हो जो इस इन लतों से पीडि़त है उनसे बचने की अपील की तथा उन्होंने अपने स्वजनों से भी यह बुराई छुड़ाने की अपील की ताकि उनका जीवन सुधर सके। उन्होंने कहा कि कम से कम एक विद्यार्थी एक जन की इस लत को छुड़ा दे तो जीवन सफल हो जाएगा।
उन्होंने स्वयंसेवकों को बताया कि किस प्रकार नशीले पदार्थ लोगों को जकड़ लेते हैं। हुक्का चिलम आदि में कार्बन मोनोआक्साइड होती है जो हीमोग्लोबिन से मिलकर घातक प्रभाव डालती है। व्यक्ति मौत के घाट चला जाता है। कैंसर, अनिद्रा, बेचैनी, जठर रस का कम उत्पन्न होना, पाचन शक्ति घटना, फेफड़े का कैंसर, खांसी, सर्दी जुकाम और न जाने कितने रोग इनका कारण बनते हैं। उन्होंने बताया कि दो सिगरेट के बराबर एक बीड़ी का नशा होता है, एक घंटे हुक्का पीने से करीब 400 सिगरेट जितना नुकसान होता है, एक सिगरेट करीब 20 मिनट जीवन की कम कर देती है,हक्के में तो अनेकों पदार्थ जैसे टार, निकोटीन, कार्बन मोनोआक्साइड बीड़ी सिगरेट से अधिक होते हैं। उन्होंने ई-सिगरेट का हवाला देते हुए बताया कि यह भी घातक सिगरेट आ गई है। यह शरीर के लिए केवल और केवल नुकसान करती है। जिस परिवार में शराब पीने की लत लग जाती हैं वह परिवार धीरे-धीरे बर्बाद हो जाता है। व्यक्ति की मौत के मुंह में चला जाता है।  ऐसे में अपने अनमोल जीवन को बचाइए और इन लत डालने वाले पदार्थों को दूर भगाइये। इस अवसर पर इंचार्ज रोश कुमार ने विद्यार्थियों को मोबाइल की हानियां बताई। उन्होंने कहा कि मोबाइल कोरोना काल से हर जन के बहुत करीब पहुंच गया है। विद्यार्थी और छोटे बच्चे भी अब अछूते नहीं हैं। अमन चैन एवं आंखों की रोशनी कम करने में मोबाइल का अहम योगदान है। कोरोना काल में जहां आनलाइन शिक्षण करवाया गया उसके बाद से मोबाइल की लत ऐसी पड़ी की जिसने सभी की नींद हराम कर दी है। कितने ही विद्यार्थियों की आंखें कमजोर हो चुकी है, चश्मे चढ़ चुके हैं परंतु अब एक ऐसी लत बन गई है कि मोबाइल से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि एक जमाना था जब मोबाइल नहीं होते थे और इंसान बहुत अमन चैन से जीता था, एक दूसरे के सहयोग में भागीदारी करता था, माता-पिता और परिवार के सदस्यों के समीप रहता था, उनसे खुलकर बातें करता था लेकिन अब तो ऐसा वक्त आ गया है कि किसी के पास मोबाइल के अलावा बातें करने का समय नहीं है और मोबाइल पर ही सुबह-शाम चिपके देखे जा सकते हैं। मोबाइल से जहां रेडिएशन निकलते हैं जो हानिकारक होते हैं। ये मस्तिष्क के कैंसर ,उच्च रक्तचाप, हृदयघात जैसे रोगों में सहायक साबित होते हैं। ऐसे में मोबाइल जो परिवार के पैसे भी खर्च करवाता है इससे छुटकारा पाना बहुत जरूरी है। मोबाइल एक साधन है इसका जितनी आवश्यकता उतना ही प्रयोग किया जाना चाहिए अन्यथा यह हमारे लिए एक प्रमुख बुराई बनाकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि आज बच्चा रोता है तो उसे मोबाइल थमा दिया जाता है परंतु यह नहीं सोचते कि कितना घातक प्रभाव बच्चे की आंखों और शरीर पर डालेगा। यही कारण है कि हर इंसान बच्चा, जवान, बूढ़ा, स्त्री एवं पुरुष सभी के पास मोबाइल होता है और मोबाइल ने इंसान की सुख चैन अमन को छीनने का काम किया है। यह सत्य है कि मोबाइल से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है किंतु इसमें बुराइयां भी कम नहीं हैं। उन्होंने मोबाइल कम से कम प्रयोग करने, रात को सोते समय दूर रखने, हैंड फ्री मोड पर बातें करने की बात कही ताकि शरीर पर कम घातक प्रभाव पड़े।





कनीना क्षेत्र में हुई 5 एमएम वर्षा
-मानसून जैसा हो गया है माहौल, किसान खुश
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कनीना की आवाज।
क्षेत्र में शनिवार को तीसरी बार वर्षा हुई है। समाचार लिखे जाने तक 5 एमएम वर्षा हो चुकी थी तथा वर्षा होने का सिलसिला जारी था।
शनिवार दिनभर रुक रुककर चलती रही। किसान बहुत खुश हैं क्योंकि इस समय सरसों और गेहूं की फसल खेतों में खड़ी हुई है। कनीना क्षेत्र में जहां 19500 हेक्टेयर पर सरसों तो 9700 हेक्टेयर पर गेहूं की फसल खड़ी हुई है। दोनों फसलों को पानी की बहुत अधिक जरूरी थी। किसानों को तीसरी बार वर्षा का लाभ मिला है जिससे ट्यूबवेलों से सिंचाई की जरूरत नहीं रही है। किसान अब खुश हैं। सरसों पकान की ओर जा रही है।
 किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, मनोज कुमार, दिनेश कुमार तथा अजीत कुमार आदि ने बताया कि इस समय किसान फसल में पानी की जरूरत समझ रहे थे। लंबे समय से वर्षा होने का इंतजार कर रहे थे। पहले एक बार एक एमएम वर्षा पहले हो चुकी है फिर 3 एमएम तथा बाद में 50 एमएम वर्षा हुई थी। अब शनिवार को हल्की वर्षा चली जिससे किसान खुश नजर आये। उनका कहना है की फसलों में अब पानी की आपूर्ति हो पाएगी। इस समय खेतों में सरसों और गेहूं की फसल लहलहा रही है।
 क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
 पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज यादव ने बताया कि इस समय गेहूं और सरसों फसल खेतों में लहलहा रही है और इस समय पानी की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है ताकि फसलों की वृद्धि और विकास हो सके। ऐसे में वर्षा का होना किसानों के लिए लाभप्रद है। चाहे कितनी भी वर्षा हो लाभप्रद होगी। अभी फसलों में अधिक वर्षा का भी कोई नुकसान नहीं होगा। उनका कहना है कि क्षेत्र की मिट्टी पानी को जल्दी चूस लेती है इसलिए फसलों को लाभ होगा। उल्लेखनीय की फसलों पर अभी तक धूल जमी हुई थी, क्षेत्र में जमकर धूलकण और प्रदूषण बढ़ रहा है जिसके चलते फसलों के पत्तों पर भारी मात्रा में धूल कण जमें हुए थे। वर्षा से वे भी धुल गए हैं और फैसले अब सजी संवरी नजर आ रही है। अब उन्हें विश्वास है कि बेहतर पैदावार होगी। किसानों का कहना है की फसलों में अब ट्यूबवेलों द्वारा पानी देने की जरूरत नहीं रहेगी।
फोटो कैप्शन 02: कनीना क्षेत्र में सरसों की लहलहाती फसल।  




महाकुंभ में स्नान करने से कट जाते हैं सभी पाप-शिवानंद
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कनीना की आवाज।
महाकुंभ में स्नान करने से कट जाते हैं सभी पाप। इस महा कुंभ में इस समय अवश्य ही हमें स्नान करना चाहिए और जो व्यक्ति अपंग है बीमार है, लाचार है वह अपने घर की बाल्टी में ही गंगाजल डालकर भगवान का ध्यान करते हुए स्नान करें। ऐसा करने से भी उनको महाकुंभ का पुण्य अवश्य ही मिलेगा। ये विचार संत शिवानंद महाराज ने धनौंदा में व्यक्त किये।
 इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महाकुंभ के इस पावन पर्व पर हमारा समूचा देश एक साथ भगवान का ध्यान करते हुए इस महाकुंभ में स्नान करें और जो व्यक्ति लाचार है अपंग है बीमार है मजबूर है जिसके कारण वह व्यक्ति वहां तक नहीं पहुंच सकता वह अपनी आत्मा शुद्ध करते हुए साफ रखते हुए वह भगवान का ध्यान करते हुए अपने घर में ही स्नान करने वाली अपनी बाल्टी के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें तथा भूमि पर कुषा का आसन  बिछकर उस पर प्रभु का ध्यान करें तो  उनको भी महाकुंभ में स्नान का ही फल प्राप्त होता है। स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि इस भारत देश का यह सनातन धर्म सबसे बड़ा धर्म है, इस धर्म में जुडऩे वाले लोग परमात्मा को प्राप्त होता हैं। उन्होंने यह भी कहा इस महाकुंभ में गंगा, जमुना, सरस्वती तीनों नदियों का जल एक जगह एकत्रित होता है जिसको हम संगम कहते है। संगम हमें मिलकर जीना सिखाता है मिलकर रहना सीखना है। जब हमारे तीर्थ हमको संगम की तरह मिलकर रहना सीखाते हैं तो मिलकर रहना चाहिए। जिस प्रकार से एक साथ तीन नदियां अलग-अलग दिशाओं से आकर एक साथ मिलती है वह इस प्रकार से हमें एक साथ रहना एक साथ चलना और एक साथ जीना सीखाती हैं और वह देश को हरा भरा करती हैं। जिसके कारण देश में सुख शांति पहुंचाती हैं। हम सबको मिलकर एक रहना चाहिए यह देश सनातन देश है। इस देश में सबको सनातन बनकर रहना चाहिए सबको शांति से जीवन जीना चाहिए सबको एक दूसरे के दुख और सुख में शामिल होना चाहिए, सबको उस परमपिता का ध्यान करते हुए शुभ कर्म करने चाहिए।
फोटो कैप्शन: स्वामी शिवानंद महाराज




कनीना में बाबा लालगिरी आश्रम पर किया गया खेल और भंडारे का आयोजन













-वर्षा ने डाली खलल
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कनीना की आवाज।
कनीना में शनिवार को बाबा लाल गिरी मंदिर में खेल और भंडारे का आयोजन किया गया। इसी बीच वर्षा भी होती रही ओर लोगों की संख्या भी कम नहीं हुई। लगातार बारिश में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और खिलाडिय़ों का जुनून भी कम नहीं हुआ । मेले में 14 टीमें पहुंची।  मेले में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व पार्षद मनीष यादव ने कहा कि मेला भारत की एक प्राचीन सभ्यता है जो निरंतर चली आ रही है और खेल मेले की शोभा बढ़ाते है। उन्होंने युवाओं के जोश की भी खूब सराहना की और कहा कि खिलाड़ी हरियाणा की शान है । इनके साथ मेले में सेवा करने वालों का भी जोश कम नहीं दिखा  बच्चों की दौड़ में कनीना के मनीष, कार्तिक , हिमांशु ने तथा बूढ़ों की दौड़ में प्रथम रामभगत पालवास, द्वितीय सतवीर खीचड़ चूरू, तृतीय सतवीर किलोई ने जीता। अतरलाल भी रहे हाजिर।
फोटो कैप्शन 01: अव्वल को पुरस्कृत करते मुख्य अतिथि


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