चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा
--कनीना नगर पालिका के चुनावों को लेकर अटकलें जारी
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका के चुनावों ने जोर पकड़ लिया है। चुनाव मई- जून में करवाने के अटकलें जारी है किंतु इस बार चुनाव तिथि घोषित होने से पहले ही घर-घर जाकर प्रचार प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रधान पद के दावेदार तो प्रतिदिन 50 से 60 घरों को में जाते हैं और वोट की अपील कर रहे हैं। कहीं महिलाओं का गट घूम रहा है तो कहीं पुरुष और महिला मिलकर वोट मांग रहे हैं। वोट मांगने में यहां कई गुट सामने आ चुके हैं। सबसे बड़ी बात देखने को मिली की अभी तक पार्षद के चुनाव के लिए बहुत कम चेहरे सामने आए हैं। जहां वार्ड नंबर 1 से पार्षद पद के लिए तीन प्रत्याशी मैदान में आ चुके हैं वही महेश बोहरा भी चुनावी समर में आ चुका है। ऐसे में पार्षद पद के लिए बहुत कम किंतु प्रधान पद के लिए अधिक दावेदार है। आने वाले समय ही बताया कि कौन बाजी मार पाता है और कौन किसको शिकस्त दे पाता है।
चुनावी चखचख
अभी से ही इतना बड़ा तुर्रा
-तिल देखो तिल की धार देखो
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कनीना की आवाज। नगर पालिका के चुनाव अभी कोसों दूर नजर आ रहे हैं किंतु यहां से प्रधान पद के लिए एक दावेदार का तुर्रा तो बहुत बड़ा देखने को मिला। एक वीआईपी व्यक्ति ने प्रधान पद के दावेदार के पास कई बार फोन मिलाया किंतु फोन नहीं उठाया। वह इंतजार करता रहा कि वापस काल आएगी परंतु वह भी नहीं आई। उस समय चुनाव प्रचार कर रहे संभावित पार्षद से पूछा कि मेरे फोन अभी से ही नहीं उठा रहा है क्या कारण है?
भावी पार्षद ने तपाक से कहा कि अभी तक तिल देखा है तिल की धार देखना अभी बाकी है। अभी तो प्रधान पद का चुनाव लड़ रहा है ,जब जीत जाए तब पता चलेगा कि कैसे काल उठाई जाएगी? वीआइपी ने कहा कि अरे, यह तो कमाल है, चुनाव से पहले इतना बड़ा तुर्रा तो बाद में क्या होगा? उन्होंने पिया का घर फिल्म का गीत सुनाया जिसके बोल है-वो कैसी होगी जिसकी तस्वीर ऐसी है अर्थात जो अभी से ही यह तुर्रा दिखा रहा है तो भविष्य में किसकी काल उठाएगा?
चुनावी चखचख
-राम राम कहते कहते बोल रहा है मरा मरा
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका के चुनावों में जहां एक ऐसा भी भावी प्रत्याशी है जो कह रहा था सभी के पसीने छुड़ा दूंगा और लोग भी ऐसा समझ रहे थे कि यह तो कइयों के पसीने ला देगा। लेकिन जब से एक सशक्त व्यक्ति की पत्नी प्रत्याशी बतौर मैदान में उतरी है वह बेचारा खुद पसीनम पसीना हो गया है। और जब उसको देखा जाए तो ऐसा लगता है जैसे पसीनों में नहाकर बाहर आया हो। इसलिए कहते हैं कि राम-राम कहते-कहते कई बार मुख से मरा-मरा निकलने लग जाता है और यह कथन सत्य होता नजर आ रहा है।
चुनावी चखचख
-सीटीपीटी हो गई गुल
-मिल गया शेर को सवा शेर
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कनीना की आवाज। कहते हैं कई बार इंसान जब अकेला मैदान में होता है तो ऐसा लगता है कि यह तो सचमुच जीत के रिकार्ड तोड़ेगा लेकिन जब चंद दिनों बाद शेर का भाई सवा शेर आ जाए तो फिर उसको भुलाना उचित समझते हैं। यहां ऐसा ही देखने को मिला कि जब एक प्रत्याशी प्रधान पद के लिए मैदान में आया तो कहना शुरू कर दिया इसकी तो जीत निश्चित है। जब दूसरा आया तो पहले को कुछ भुला दिया फिर तीसरा उससे भी सशक्त आया तो पहले को और अधिक भुला दिया और आखिर में कहते हैं कि बंदा जोड़े पली पली राम जुटाये कुप्पा। ऐसा कुप्पा आ धमके तो पिछले को तो भुला देना ही उचित समझा जाएगा और और जिसकी जीत नजर आती थी उसके तो सीटी पीटी ही गुम हो गई। यही दृश्य नजारा, बड़ा प्यारा, कनीना में देखने को मिल रहा है। आने वाला वक्त बताएगा कि क्या गुल खिलते हैं।
शुभ कर्म का फल शुभ ही मिलता है -स्वामी
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कनीना की आवाज। जिस प्रकार हम संसार के सीसीटीवी कैमरे से डरते हैं और सोचते हैं कि हमें कोई गलत काम नहीं करना चाहिए क्योंकि यहां पर कैमरे लगे हुए हैं इसी प्रकार हमें परमात्मा रूपी कैमरे से डरना चाहिए क्योंकि संसार के कैमरे तो लाइट से चलते हैं लेकिन परमात्मा कैमरे में किसी भी तरह की कमी नहीं आ सकती। ये विचार स्वामी शिवानंद महाराज ने श्री कृष्णानंद धाम पर वर्ष की पहली पूर्णिमा पर आयोजित यज्ञ के उपरांत व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम कोई भी कर्म करते हैं उसका लेखा हमें उसे परमपिता को देना पड़ता है, इसलिए हमें हमेशा शुभ कर्म ही करने चाहिए क्योंकि भगवान के लगाए हुए सीसीटीवी कैमरे में हमारे सभी कर्म रिकार्ड हो जाते हैं। आज का दिन बड़ा ही उत्तम दिन है क्योंकि आज महाकुंभ हमारे भारत देश में लगा हुआ है जिसमें करोड़ों की भीड़ जाकर स्नान करती है और शुभ कर्म करने का वचन लेती है। उसी के अनुसार हमें आज इस यज्ञ पर इस नव वर्ष में शुभ कर्म करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए क्योंकि नव वर्ष में हमें बुरे विचारों को छोडऩा चाहिए और शुभ कर्म करने के विचार धारण करने चाहिए। हम इस संसार में सुख और शांति को ढूंढते हैं लेकिन सुख और शांति हमारे विचारों में ही है क्योंकि हम जिस प्रकार के विचार किसी भी जीव के लिए रखते हैं वैसे ही विचार अगले जीव के हमारे प्रति हो जाते हैं। नव वर्ष में हमें गौ माता को हरा चारा चीटियों को मीठा दलिया पशु पक्षियों के लिए दाने जरूरतमंद व गरीब लोगों को बिस्तर भूखे को रोटी आदि का दान करना चाहिए ताकि हमारा यह मानव जीवन सफल हो सके। क्योंकि जो हम किसी को देते हैं वही हमें कई गुना होकर उसका फल किसी न किसी रूप में मिलता है।
दूर दराज तक विख्यात है भडफ़ का माता मंदिर
--मकर संक्रांति पर लगता है विशाल मेला
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कनीना की आवाज। उप-मंडल कनीना से तीन किलोमीटर दूर रेवाड़ी सड़क मार्ग पर भडफ़ गांव में माता का मंदिर स्थित है। यह आश्रम बहुत पुराना है। भडफ़ गांव बसासत के समय से यहां बाड़ीवाला आश्रम प्रसिद्ध होता था। जहां पर अनेक संतों ने तप किया हैं। तत्पश्चात करीब दस वर्षों पूर्व यहां माता मंदिर स्थापित किया गया है। यहां मकर संक्रांति को बड़ा मेला लगता है।
पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति पर विशाल मेला लगेगा। अकसर यहां पूजा करने आते रहते हैं। अक्सर जाकर धोक लगते हैं और यही मन्नत मांगते हैं की संपूर्ण गांव और सृष्टि खुशहाल रहे। उनका कहना है की माता के दरबार में दिन-रात भारी संख्या में भक्ति पहुंचते हैं क्योंकि इसमें अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है इसलिए हर दिन किसी ने किसी देवी देवता के पूजा करने लोग यहां पहुंचते हैं।
ट्रस्ट के सभी कार्य समय पर पूरे कराए व्यवस्थापक -कैलाश गोयल
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कनीना की आवाज। बाबा कृष्णानंद ट्रस्ट की कार्यकारिणी की बैठक श्री कृष्णानंद धाम पर आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता ट्रस्ट के व्यवस्थापक कैलाश गोयल ने कहा ट्रस्ट के हम सभी सदस्यों को मिलकर कार्य करना चाहिए क्योंकि जब हम मिलकर कार्य करेंगे तब जाकर ही कृष्णानंद आश्रम का उत्थान और ज्यादा होगा। उन्होंने संत की समाधि के कार्य का भी निरीक्षण किया और उसमें हो रहे खर्च का भी ब्योरा लिया। वही कोषाध्यक्ष विजय कुमार आर्य उपकोष अध्यक्ष डॉक्टर फतेहचंद दायमा ने अब तक के खर्च के बारे में सारी जानकारी ट्रस्ट के साथियों को बताई। ट्रस्ट के व्यवस्थापक कैलाश गोयल ने ट्रस्ट में विभिन्न कार्यों को लेकर अपने विचार रखें जिसमें स्वामी जी की मूर्ति बनवाना समाधि के ऊपर गुम्बज बनवाना आश्रम के लिए जनरेटर खरीदना तथा ट्रस्ट की आईटीआर भरने जैसे कार्यों के निर्देश दिए। इस अवसर पर सभी ने सहमति जताते हुए कहा की आने वाली पूर्णिमा तक यह सभी कार्य कंप्लीट करके अपनी रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी।
सूर्य का उत्तरायण कक्ष में प्रवेश
मकर संक्रांति का पर्व
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कनीना की आवाज। पंडित ऋषि राज शितिकंठा ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार14 जनवरी 2025 को सुबह 08.24 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसका पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा।
ज्योतिषशास्त्र में सूर्यदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्यदेव हर माह में राशि परिवर्तन करते हैं। 14 जनवरी 2025 को सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं।
सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में जाने को संक्रान्ति कहते हैं। वैसे तो संक्रान्ति प्रत्येक माह में पड़ती है। सभी संक्रान्ति महत्वपूर्ण होती है, लेकिन मकर संक्रान्ति अधिक महत्वपूर्ण होती है। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं।
भारत में इस त्योहार को अलग अलग नाम से जाना जाता है इन्हें पोंगल, खिचड़ी, मकर संक्रांति, लोहड़ी,उतरायण के नाम से जाना जाता हैं.
मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियां चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है।
पंडित ऋषिराज शर्मा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। । मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
फोटो कैप्शन: पंडित ऋषिराज
अधर में लटका हैं कनीना का बाईपास निर्माण
-सख्त जरूरत है बाइपास निर्माण की
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कनीना की आवाज। कनीना में लंबे समय से बाईपास निर्माण अधर में लटके हुए हैं। बार-बार लोगों की इन समस्याओं को हल करने के लिए मांग की है तथा पूर्व में मंत्रियों ने भी इन्हें निर्मित किए जाने का इशारा किया था किंतु अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। कनीना में इस समय बाइपास की सख्त जरूरत समझी जा रही है। कनीना बस स्टैंड के इर्द गिर्द भीड़ बढ़ती ही जा रही है जिसके कारण बाइपास की मांग बलवती हो रही है।
कनीना बस स्टैंड के पास वाहनों एवं यात्रियों का जमघट बनता जा रहा है वहीं दिनभर वाहनों के आवागमन के चलते सड़क मार्गों को क्रास करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यदि बाइपास बना दिया जाए तो भीड़ का दबाव कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त आवागमन में भी सुविधा हो जाएगी। बस स्टैंड के समक्ष तो जाम की समस्या बनी रहती है वही वाहनों को किसी वैकल्पिक मार्गों से गुजरते देखा जा सकता हैं। लोगों की मांग है कि कनीना बाइपास शीघ्र बनवाया जाए। तीन वर्ष पूर्व पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव एवं पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह ने भी भीड़ की समस्या से निजात दिलाने के लिए बाइपास बनाने का आश्वासन दिया था किंतु अभी तक नहीं बन पाया है और न ही पुल का निर्माण किया गया है।
अनिल कुमार, रवि कुमार, महेश कुमार, सुरेश कुमार, राजेश कुमार, महेंद्र सिंह आदि ने सरकार से मांग की है कि कनीना की प्रमुख समस्या में बाईपास निर्माण है, इन्हें पूरा किया जाए।
बाइपास के संबंध में लोगों से बात की जिनके विचार निम्र रहे--
** एक ओर सरकार सैकड़ों दुकानों को मुख्य मार्ग पर बता रही है वहीं किसी की रोटी रोजी छीन सकती है। इसका सबसे बेहतर विकल्प कनीना में बाइपास का है। अगर बाइपास बनवा दिया जाए तो सभी दुकानें भी बच जाएंगी तथा लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी।
---सुरेश कुमार
बाइपास का सर्वे भी एक बार हो चुका है। वैसे भी भारी संख्या में वाहन कस्बा कनीना के अंदरूनी मार्गों से होकर गुजर रहे हैं। आए दिन दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। बस स्टैंड भीड़ वाला क्षेत्र बन गया है। ऐसे में अगर बाइपास बन जाए तो कनीनावारिसयों को ही नहीं इधर से गुजरने वालों को भी लाभ मिलेगा।
----विनय कुमार एडवोकेट
कनीना की आबादी बढ़ती ही जा रही है वहीं भीड़ भी बढ़ती ही जा रही है। आवागमन में परेशानी बन जाती है। दिन के समय तो सड़क भी क्रास करना कठिन है। ऐसे में अगर बाइपास बन जाए तो कितने ही लोगों को लाभ मिल जाए। पहले भी बाइपास की सर्वे हो चुकी है। रेवाड़ी से महेंद्रगगढ़ बाइपास बन सकता है।
---सुमेर सिंह
कनीना रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नारनौल, अटेली, चरखी दादरी एवं कोसली आदि सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है। इतनी सुंदर लोकेशन और कोई नहीं हो सकती है। ऐसे में भीड़ बढऩा स्वाभाविक है। भीड़ घटाने का एक ही सरल उपाय है कि बाइपास बना दिया जाए ताकि समय की बचत भी हो सके।
---थान सिंह
फोटो कैप्शन: विनय कुमार, सुमेर सिंह, थान सिंह, सुरेश कुमार।
फोटो कैप्शन 03: जाम की समस्या
भाविप ने बांटी मूंगफली
-गायों को खिलाया गुड़
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कनीना की आवाज। लोहड़ी के शुभ अवसर पर भारत विकास परिषद शाखा के सदस्यों द्वारा कंवर सैन वशिष्ठ के साथ मिलकर गौशाला कनीना में जाकर गायों को गुड़ खिलाया व गायों की चाट गौशाला में भेंट की। मोहन सिंह पूर्व पार्षद ने अपने हाथों से सभी गौशाला के कर्मचारियों को मूंगफली और रेवड़ी वितरण किया। मोहन सिंह ने कहा कि गऊ हमारी माता है। मेरे दादा भी बहुत बड़े गौ भक्त थे, उन्हीं की प्रेरणा से ही सबसे पहले गौशाला में एक हाल निर्माण हमारे पिता और बड़े भाई कर्नल राव महेंद्र सिंह ने करवाया था। पूर्वजों की प्रेरणा से ही पूरा परिवार गौशाला में बढ़-चढ़कर सेवाएं देते रहते हैं। मोहन सिंह से कहा कि गो माता की सेवा करने का भगवान अवश्य फल देता है। पूर्व गौ सेवा प्रमुख कंवरसेन वशिष्ठ ने कहा कि भारत में गो माता से बढ़कर कोई देवता नहीं। अपने मां बाप की सेवा के बाद जो सेवा का प्रथम स्थान है वह गौ माता की सेवा है। अनिल कुमार ने कहा कि जन जन को गो सेवा का महत्व बताना चाहिए। शिव कुमार अग्रवाल ने कहा कि गो माता देश कि गो माता के सम्मान से सम्मानित किया जाये। भारत में सनातन धर्म में गो माता का विशेष स्थान है। इस मौके पर गोशाला प्रधान यादवेन्द्र, सचिव हैड मास्टर कृष्ण सिंह, मोहन सिंह यादव, अनिल, हनुमान बलराम समारोह स्थल आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 04: गोशाला में मूंगफली वितरित करते हुए।
आर्य समाज रसूलपुर ने करवाई एक दिवसीय खेलकूद प्रतियोगिता
-अव्वल को किया पुरस्कृत
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कनीना की आवाज। आर्य समाज रसूलपुर द्वारा आर्य समाज प्रांगण में ग्रामीण स्तर पर एक दिवसीय खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता की शुरूआत संसार के सबसे उत्तम कर्म देव यज्ञ से की गई। जिसमें आर्य समाज प्रधान हरफूल सिंह आर्य व सतीश आर्य ने देव यज्ञ के बारे में खिलाडिय़ों को अवगत करवाया। मंत्री धर्मपाल आर्य ने खिलाडिय़ों को खेल भावना से लक्ष्य के लिए जूझना, आपसी प्रेम भावना को बढ़ाना, सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करना के बारे में अपने विचार व्यक्त किए तथा राजेश बालवान, वीरेन्द्र सिंह, नवीन कुमार व अनिल कुमार जी की देखरेख में बैडमिंटन व कुश्ती की प्रतियोगिताएं करवाई गई। विजेता खिलाडिय़ों को सरपंच सतबीर द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आर्य समाज की पूरी टीम व गांव के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 05: अव्वल बाल खिलाडिय़ों को पुरस्कृत करते हुए।
कोहरे से निजात मिला किंतु ठंड जारी
-लोग सुबह से आग सेकते नजर आए
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में जहां रविवार को बादल छाए रहे वहीं शनिवार को 5 एमएम वर्षा हुई थी। तत्पश्चात से ठंड बढ़ती ही जा रही है। जहां रविवार को कुछ समय सुबह सवेरे कोहरा पड़ा और बाद में कोहरा छट गया क्योंकि आकाश में बादल छा गए थे। सोमवार को फिर से आकाश में हल्के बादल छाए रहेे किंतु ठंड जारी रही। ठंड के चलते लोग परेशान नजर आए। दुकानों पर जाते एवं आग सेकते नजर आए। मजदूर वर्ग भी काम करते हुए बीच-बीच में आग सेकते देखे गये। एक और जहां कड़ाके की ठंड पड़ रही है वही लोग महाकुंभ में लगातार इस क्षेत्र से जा रहे हैं। ठंड के चलते फसलों में आब आ गई है क्योंकि वर्षा के बाद ठंड पड़ती है इसका फसलों पर कोई नुकसान नहीं होता। यही कारण है कि किसान राजेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार आदि ने बताया कि पड़ रही ठंड का फसलों पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि रबी फसल के लिए ठंड बहुत जरूरी है। अगर ठंड नहीं पड़ेगी तो फसल अच्छी वृद्धि नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अभी तक तीन बार वर्षा हो चुकी है जिसके कारण भी फसल अच्छी लहलहा रही है। आने वाले समय में अच्छी पैदावार मिलने के आसार हैं।
उधर पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज यादव, पूर्व एडीओ डा.देवेंद्र कुमार से सर्दी के विषय में जानकारी हासिल की। उन्होंने कहा कि सर्दी रबी फसलों के लिए बहुत जरूरी है। अभी तक सर्दी इतनी अधिक नहीं पड़ रही जो फसलों के लिए घातक साबित तो। इतनी सर्दी होना फसलों के लिए अनुकूल है।
फोटो कैप्शन 01: आग सेकते हुए मजदूर वर्ग
किसान अपना रहे हैं प्योद तैयार करने का काम
-कमा रहे हैं अपनी रोटी रोटी
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र और आसपास गांवों में करीब एक दर्जन किसान छोटे स्तर पर तैयार करके अपनी रोटी रोजी कमा रहे ह। वह बड़े स्तर पर नर्सरी तैयार नहीं करते अपितु मौसम अनुसार पयोद तैयार करके स्वयं भी अपने खेतों में लगा देते हैं वहीं अधिक मात्रा में तैयार प्योद को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त करते हैं। इस समय प्याज, टमाटर, मिर्च एवं बैंगन आदि की प्योद तैयार कर रहे हैं। इस समय प्याज की अधिक मांग है। लोग त्वरित गति से प्याज अपने खेतों में लगा रहे हैं। हमीर कनीना निवासी ने बताया कि वह 8 वर्षों से प्येद तैयार करके बेच रहे हैं ताकि रोटी रोटी चलती रहे। उन्होंने बताया कि प्योद तैयार करना बहुत कठिन कार्य है। उनकी सुरक्षा विशेष कर गर्मी और सर्दी में करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि प्योद तैयार करने से पहले बीज लाने पड़ते हैं और कई बार बीज बहुत महंगे मिलते हैं और क्योंकि सर्दी और गर्मी में कई बार प्योद नष्ट हो जाती है। ऐसे में उन्होंने बताया कि प्योद तैयार करना सरल कार्य नहीं है। पर अपनी रोटी रोटी इस प्योद तैयार करके बेचकर प्राप्त करते हैं। उधर डीएचओ नारनौल प्रेम कुमार ने बताया कि किसानों की सुविधा के लिए प्योद तैयार करके एकीकृत बागवानी केंद्र सुंदरह से उपलब्ध करवाई जाती है। जिन पर भी सब्सिडी होती है। वैसे किसान अगर अपने खेतों में सब्जी उगाना चाहे तो मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई यदि प्रयोग करता है तो उसे 1500 रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी दी जाती है। बाकी प्योद तैयार करवाना चाहे तो एकीकृत बागवानी केंद्र सुंदराह से तैयार करवा सकता है क्योंकि यहां पर प्योद तैयार करने के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उधर डा. नेहा एकीकृत बागवानी केंद्र सुंदराह ने बताया कि जब तीन पत्ती की प्योद तैयार हो जाती है तब किसानों को उपलब्ध करवाई जाती है। अलग-अलग प्योद तैयार करने पर अलग-अलग सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने कहा कि प्योद मिट्टी रहित तैयार की जाती हैं।
फोटो कैप्शन 02: कनीना क्षेत्र में किसान प्याज की प्योद तैयार करता हुआ।
पत्नी हुई गुम, गुमशुदगी का मामला दर्ज
-एक व्यक्ति पर बहला फुसलाकर ले जाने का आरोप
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कनीना की आवाज। कनीना मंडल के एक गांव से व्यक्ति ने कनीना पुलिस में मामला दर्ज करवाया है कि उसकी 30 वर्षीय पत्नी 9 जनवरी को घर से बिना बताए कहीं चली गई। उन्होंने पुलिस में एक व्यक्ति पर आरोप लगाया कि उसकी पत्नी कुलदीप नामक ,पिलानी से फान पर बातचीत करती थी तथा यकीन है कि कुलदीप उसकी पत्नी को बहला फुसलाकर कहीं ले गया। उन्होंने अपनी पत्नी की तलाश करने की मांग की है। कनीना पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया, तलाश जारी है।
मकर संक्रांति -14 जनवरी
--सूर्योपासना का पर्व है मकर संक्रांति
-वर्तमान में भी बुजुर्गों को जगाने की प्रथा जारी है
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कनीना की आवाज। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्यपर्व मकर संक्रांति प्रासंगिक है। कनीना क्षेत्र में 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर दिनभर दान पुण्य, धर्म-कर्म एवं उत्सव चलता रहता है। दाल चूरमा प्रमुख रूप से खाया जाता है।
मकर संक्रांति अनेक सद्भावों से जुड़ा हुआ एक ऐतिहासिक पर्व है। बहनों को याद करना, दान पुण्य करना, गायों की सेवा करना, रातभर आग जलाना, मूंगफली, गुड़ व खांडसारी की बनी रेवडिय़ां एवं गजक खाना, सुबह जल्दी उठकर स्नान करना, शकरकंदी का भाग लगाना जैसी अनेक परम्पराओं को अपने में समेटे हुए होता है। इस त्योहार से एक दिन पूर्व पंजाब प्रांत का प्रसिद्ध पर्व लोहड़ी भी आता है।
पुराने समय में सर्वोत्तम माना जाने वाला भाई बहन के प्यार को प्रगाढ़ पूर्ण बनाने के लिए इस त्योहार का विशेष योगदान रहा है। इस मौके पर भाई बहन को याद करता है और उपहार स्वरूप उन्हें रुपये-पैसे और गुड़ भेंट करता है। इस मौके पर भाई बहन से मिलने जाता है और बहन भी भाई को याद करती है। आधुनिक भागदौड़ के युग में भी यह पर्व सार्थक बना हुआ है। इस पर्व का वर्णन अनेकों स्थानों पर मिलता है।
दान पुण्य की शृंखला में बड़े बूढ़ों को जगाने की प्रथा इस त्योहार से जुड़ी हैं। बहुएं अपने सास व ससुर को जगाकर दान पुण्य करती हैं और उन्हें नए वस्त्र भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। दानी सज्जन दान पुण्य करते हैं। शहरों में एक निर्धारित स्थान पर गुड़ व चारा आदि डाल दिए जाते हैं और पशुओं को सामूहिक रूप से वहां चारा चराया जाता है। रातभर जागने की प्रथा में गली व मोहल्लों में बूढ़े बड़े एकत्रित होकर खुशियां मनाते हैं। आग जलाकर रातभर बैठे रहते हैं। जनसमूहों की टुकडियां इस रात मूंगफली और गजक तथा शकरकंदी का उपभोग करती हैं। यहां तक की एक जाति विशेष के लोग तो इस दिन एक ही थाली में इकट्ठे बैठकर खाना खाते हैं। गांवों में इस दिन देशी घी का चूरमा तथा खीर का भोजन प्रमुख रूप से पकाया जाता है। चूरमे को दाल के साथ परोसने की प्रथा भी चली आ रही है। मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व भी है। माना जाता है कि इसी दिन पितामह भीष्म ने अपने प्राण शरशैया पर लेटे हुए त्यागे थे। उतरायणकाल इसी दिन से शुरू होता है। यही कारण है कि आज भी सूर्य की पूजा के रूप में पर्व मनाया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो इस दिन अपना प्रमुख भोजन दाल-चूरमा बनाकर पूरा परिवार ही भोग लगाता है। दाल-चूरमा एक दूसरे को खिलाया जाता है। दाल चूरमा खाने के बाद खेल खेले जाते हैं या फिर जगाने की प्रथा में व्यस्त देखे जा सकते हैं। ग्रामीण लोग इस दिन पुण्य करने में सुबह से ही देखे जा सकते हैं। रातभर जहां ईंधन को जलाकर उसके चारों ओर लोग बैठे देखे जा सकते हैं वहीं गायों के लिए विशेष स्थान पर गुड़ एवं चारा डाल दिया जाता है जहां गाय मीठा भोजन व चारा आसानी से प्राप्त करती हैं।
प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करने की परंपरा भी चली आ रही है। स्त्री व पुरुषों में इस दिन जल्दी उठकर स्नान करने की होड़ लगी रहती है। माना जाता है कि इस दिन जल्दी उठकर स्नान करने वाला सीधा स्वर्ग में जाता है जब उसकी मौत होती है तो। ऐसे में सभी स्वर्ग के भागी बनना चाहते हैं। लोग जल्दी उठकर स्नान करने के उपरांत टहलने को जाते हैं। सर्दी का प्रकोप भी इस दिन से कम होना शुरू हो जाता है। स्त्री व पुरुष ऊनी परिधान धारण करके रंग बिरंगे नजर आते हैं। चारों तरफ सरसों के पीले फूलों को देखकर किसान फूले नहीं समाते हैं। कुछ शहरों में इस दिन मेले लगते हैं और ढोल व ताशें बजते हैं।
नये शादीशुदा जोड़ों एवं उत्पन्न बच्चे एवं बच्चियों के लिए मनाया गया पर्व लोहड़ी
-कनीना मंडी में आग के समक्ष शपथ ली तथा मूंगफली एवं रेवाड़ी बांटी
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कनीना की आवाज। नये शादीशुदा जोड़ों एवं उत्पन्न बच्चे एवं बच्चियों के लिए लोहड़ी पर्व मनाया गया। एक समुदाय विशेष एवं परिवारों में लोहड़ी का विशेष पर्व मनाया गया। आग के समक्ष खड़े होकर प्रतिज्ञा ली तथा रेवड़ी आदि जमकर बांटी। यूं तो लोहड़ी को विभिन्न समुदाय के लोग भी मनाने लगे हैं किंतु पंजाबी समुदाय के लोग इस दिन नव विवाहित जोड़ों एवं उत्पन्न बच्चा या बच्ची के के लिए प्रथम लोहड़ी पर विशेष आयोजन करते आ रहे हैं। इसी कड़ी में कनीना मंडी में धूम रही।
कनीना के कृष्ण कुमार और दिनेश कुमार ने बताया कि 13 जनवरी की रात को उनका परिवार विशेष रूप से नव विवाहित जोड़ों की खुशी को और बढ़ाता है अग्नि जलाकर मूंगफली एवं रेवड़ी को प्रसाद के रूप में बांटने से पूर्व अग्रि को भेंट किया जाता है। पूरा ही परिवार आग के चारों ओर चक्कर लगाता है। परिवार में जब कोई नया बच्चा जन्म लेता है या कोई बच्ची जन्म लेती है तो उसकी खुशी भी लोहड़ी पर्व पर मनाई जाती है। उन्हें भी इस पर्व में शामिल किया जाता है और उनकी खुशी को और बढ़ाने के लिए जहां विशेषकर मूंगफली, गजक, रेवड़ी आदि बांट कर खुशी मनाई जाती है। यही नहीं जहां 13 जनवरी को नव दंपत्ति, पैदा हुये बच्चे या बच्चियों को समर्पित है।
कनीना के सन्नी एवं रियांसी की विगत अर्से में शादी हुई है। इसी प्रकार कर्ण एवं प्रीति की शादी भी विगत अर्से में हुई है। उन्होंने यह पहली लोहड़ी मनाई जाएगी और आग के पास बैठकर उनकी खुशी को बढ़ाया। अग्निदेव को प्रसाद भेंट कर सारा परिवार प्रसाद ग्रहण करेगा। दिनेश कथूरिया, वीना कथूरिया, चंचल एवं प्रिया आदि ने बताया कि न केवल उनका समाज अपितु आसपास के सभी समुदाय के लोग इस परंपरा में शामिल होने लगे हैं और सभी मिलकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
फोटो कैप्शन 08: आग को भेंट देता नव दंपत्ति
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