कनीना नगर पालिका के चुनाव
-कोई खंभा बगैर पोस्टर के नहीं बचा
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कनीना की आवाज। कनीना में नगर पालिका के भावी चुनावों के दृष्टिगत प्रधान पद के लिए सबसे अधिक मारामारी चल रही है। प्रधान पद के लिए इस कदर पोस्टर युद्ध चला हुआ है कि कनीना कस्बा का कोई भी पोल पोस्टर रहित नहीं है। हर जगह पोस्टर लगे नजर आते हैं। जहां भी देखे पोस्टर हैं और कुछ लोगों ने तो अवैध रूप से बोर्ड और बैनर लगा रखे हैं। कस्बा कनीना के क्षेत्र में जहां भी देखे कोई नहर की जमीन पर अपने बोर्ड लगाए हुए हैं तो कोई नगर पालिका की जगह पर। अपनी जगह को छोड़कर दूसरे की जगह को हड़प्पना चाह रहे हैं। अगर एक बार कस्बा की सर्वे की जाए और सभी पोस्टर बैनर, अवैध बोर्ड हटा दिए जाए तो कस्बे की तस्वीर ही बदल सकती है। जहां पोस्टर युद्ध बढ़ा है वही वाक युद्ध बढ़ा है। अब चुनावी लड़ाई युवा वर्ग के साथ होने जा रही है। इस बार युवा वर्ग में अनेक महिलाएं उभरी है। कनीना कस्बे का चर्चित चेहरा जसवंत सिंह बबलू की पत्नी सरिता बबलू के मैदान में आने से चहुं ओर चर्चा का विषय बन गया है और यह चुनाव अब कांटे की टक्कर के बन गए हैं। जसवंत सिंह बबलू, उसकी पत्नी, उसके परिवार के सदस्य विभिन्न गलियों में जा रहे हैं, वोट की मांग कर रहे हैं। आज के दिन जहां भी देखे कोई ना कोई प्रधान पद का दावेदार गलियों में दो-तीन व्यक्तियों के साथ वार्तालाप करता नजर आता है। इस दौड़ में जहां कई नये चेहरे सामने आ गए हैं और आने वाले समय में लगता है और भी नये चेहरे आएंगे। चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई है परंतु सघन जनसंपर्क अभियान चलाया हुआ है। आने वाले समय में पता लगेगा कौन क्या कर दिखलाता है?
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार -96
कभी अवार्ड नहीं मांगा परंतु दूसरों ने हक छीनने में नहीं छोड़ी कोई कसर
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कनीना की आवाज। निवासी डा. होशियार सिंह विश्व रिकार्ड धारक करीब 40 वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देकर 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जहां शिक्षा, पत्रकारिता और लेखन में कनीना क्षेत्र में सबसे अधिक नाम कमाया है परंतु न तो कभी अवार्ड किसी का छीनने का प्रयास किया और न ही अवार्ड के लिए जबरदस्ती हाथ पसारा। आइये सुनते हैं होशियार सिंह की जुबानी उनकी कहानी -
मैं लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र ,पत्रकारिता और लेखन कार्य में सेवा दी है और दे रहा हूं। ऐसा शायद ही पूरे जिला महेंद्रगढ़ में ऐसा शिक्षक हो जिसने लेखन कार्य और पत्रकारिता के साथ-साथ शिक्षा में भी नाम कमाया हो और अवार्ड मिले हो।
कनीना ब्लाक में पहला मैं ऐसा इंसान हूं जिसकी 43 कृतियां अब तक आ चुकी है पत्रकारिता में बहुत लंबा अनुभव है, शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव लेकर सेवानिवृत्त हो चुका हूं लेकिन कभी किसी अवार्ड के पीछे नहीं दौड़ा। यह सत्य हैं कि आज के दिन सभी अवार्ड बिकते हैं, किसी प्रकार की सर्टिफिकेट चाहिए तो वह बिकती नजर आती है। कोई साझा पुस्तक निकलती है, कोई पत्रिका में लेख छपते हैं उनके भी पैसे संपादक लेने लग गए हैं। एक वक्त था जब लेख आदि छपते थे तो उन्होंने पारिश्रमिक दिया जाता था। मैंने अनेक पत्र पत्रिकाओं में लेख छापे हैं। दैनिक ट्रिब्यून, हरिभूमि, राष्ट्रीय सहारा, मुक्ता, सरस सलिल और जलधारा अनेक पत्रिकाओं में काम किया, जिनमें पारिश्रमिक दिया जाता था किंतु अब पारिश्रमिक देना तो दूर पैसे लेकर के ही संपादक कुछ छपते हैं। किसी समाचार पत्र एवं पत्रिका का आई कार्ड बनवाना हो तो उसके भी पैसे लिये जाते हैं। यह बड़े दर्दनाक बात है। यदि फेसबुक पर देखो कितने विज्ञापन आते हैं और ये विज्ञापन सिर्फ भ्रामक होते हैं, पैसे लेकर के सर्टिफिकेट देते हैं जिनका कोई औचित्य नहीं होता। अनेक संस्थान व ग्रुप बने हुए हैं जिनमें विभिन्न विधाओं में लिखा जाता है तो मनमर्जी से सर्टिफिकेट दे दी जाती है। वास्तव में किसी ज्ञान की परख नहीं होती न ही बुद्धिमान की कद्र होती।
यहां उल्लेखनीय है कि आज के दिन तो नए-नए ऐसे पत्रकार, लेखक एवं साहित्यकार आ गए हैं जो किसी दूसरे बुजुर्ग पत्रकार, लेखक, साहित्यकारों को पीछे धकेल कर अपना नाम सर्वोपरि चाहते हैं। अब सबसे गंदी नीति आ गई है कि किसी प्रकार का सम्मान पाने के लिए भी आवेदन करने लग गए हैं। इससे बुरी बात कोई हो ही नहीं सकती। मैंने कभी इस प्रकार आवेदन नहीं किया। यह सत्य है कि हरियाणा राज्य शिक्षक पुरस्कार पाने के लिए जो नियम है उनका पालन किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कभी किसी जगह देखा जाए तो सबसे पुराने पत्रकार, सबसे पहले पुराने लेखक पुराने साहित्यकार को भूला दिया जाता है। अगर अवार्ड मिलता भी है तो सबसे अंतिम नाम मेरा मिलता है। इससे बुरी बात क्या हो सकती है? इसका अर्थ यह हुआ नए लोग जो अपने बुद्धिमान मानते हैं वो अपने को बहुत बड़ा समझते हैं और दूसरे का सम्मान एवं नाम छीनकर अपने चेहरे पर लगाना चाहते हैं। बात 60 के दशक की है जब फिल्मी दुनिया में दो प्रसिद्ध गीतकार हुए हैं शैलेंद्र और साहिर लुधियानवी। जब फिल्म फेयर अवार्ड दिया जाता था तो उसमें पहले ही लगभग घोषणा हो जाती थी कि किसका गीत बेहतरीन है, उसे अवार्ड मिलना चाहिए ।साहिर लुधियानवी को फिल्म फेयर अवार्ड मिलना था उन्होंने साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा मैंने बहुत सुंदर-सुंदर गीत लिखे हैं जिन्हें दुनिया याद रखेगी लेकिन मेरे से सुंदर इस वर्ष शैलेंद्र ने गीत लिखा है इसलिए सम्मान का असली हकदार वह है, मैं नहीं। इसे कहते हैं प्रतिभा की कद्र। एक जमाना था रफी से बढ़कर कोई गायक इस दुनिया में नहीं था। बाद में किशोर कुमार गायक के क्षेत्र में उभरे और उन्हें सम्मान मिला परंतु जिस जगह गायकी की बात आती थी किशोर कुमार, रफी को आगे रखते थे। अपनी फिल्मों में भी रफी के गीत गवाए। इसका मतलब हुआ कि प्रतिभा का सम्मान होता था परंतु आज के दिन घटिया सोच, निकृष्ट प्रवृत्ति के कुछ ऐसे पत्रकार, साहित्यकार और लेखक आ गए जो अपने से वरिष्ठ का हक छीनकर अपने को वरिष्ठ दिखने में लगे रहते हैं। दूसरे की चीज को भी छीनना चाहते हैं। यहां तक की यह भी नोट किया गया है कि अखबार में वरिष्ठ पत्रकार है उसको भुलाने का प्रयास करके अपना नाम भी दे दिया जाता है, इससे बुरी सोच और क्या होगी? आने वाला समय बताएगा कि अवार्ड की कितनी बेकद्री होगी। आज के दिन अवार्ड व सम्मान छीनकर ले रहे हैं, प्रार्थना करके ले रहे हैं और पैसे देकर ले रहे हैं, इससे बुरी बात भी और कोई नहीं हो सकती। वैसे मुझे हर प्रकार के सम्मान मिले हुए हैं। अब पद्म पुरस्कारों पर मेरी नजर है। भविष्य में यदि पद्म पुरस्कार मिल जाता है तो इसका मतलब है कि कुछ गुणों का सम्मान होता है वरना इसका मतलब यह होगा वहां भी भाई बंधुता और राजनीति का खेल चलता है।
गोमला में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ
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कनीना की आवाज। गोमला में मंगलवार से बाबा भीष्म दास मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का प्रारंभ हुआ। इससे पूर्व सोमवार को गांव में कलश यात्रा निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। बाबा भीष्म दास मंदिर पुजारी बाबा बृज दास ने जानकारी देते हुए बताया कि इस सात दिवसीय भागवत कथा का समापन 3 फरवरी को होगा तथा इसके बाद 4 फरवरी को मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सात दिवसीय भागवत कथा वाचक आचार्य प्रशांत अवस्थी औरैया जिला उत्तर प्रदेश द्वारा किया जा रहा है। कथावाचक आचार्य प्रशांत अवस्थी ने बताया कि पहले दिन भक्ति ज्ञान वैराग्य गोकर्ण धुंधकारी उपाख्यान की कथा सुनाई गई और माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है के बारे में बताया गया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को किसी की पूजा करने की कोई आवश्यकता नहीं है जब तक उसके माता-पिता संसार में जीवित हैं। माता-पिता की सेवा से बढ़ते कोई भी धर्म नहीं हुआ करता। उन्होंने बताया कि संसार में माता-पिता सबसे बड़े भगवान हैं और यदि मनुष्य उनकी सेवा कर लेता है तो उसे फिर किसी और की सेवा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
फोटो कैप्शन 05: भागवतकथा करते हुए।
पटवारियों की कमी से लोग परेशान
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कनीना की आवाज। पटवारी की कमी होने के कारण लोगों को अपने काम करवाने के लिए खाने पड़ रहे हैं। क्योंकि समूचे जिले में पटवारी की कमी होने के कारण लोगों को अपने कार्य करवाने के लिए - दर दर की ठोकर खाने पर विवश होना पड़ रहा है। यहां गौरतलब है कि जिला महेंद्रगढ़ में पटवारी के 115 सर्कल है जबकि समूचे जिले में लगभग 314 गांव आते हैं और पटवारियों की संख्या मात्र 47 है जो लगभग सात गांव पर एक पटवारी बनता है जिसके कारण क्षेत्र वासियों को अपने काम करने के लिए कई कई महीनों पटवारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं एक सर्वे के अनुसार कनीना तहसील में 47 गांव आते हैं जबकि इसमें 19 सर्कल बनते हैं तथा इनका जिम्मा 11 पटवारियों ने उठा रखा है वहीं अटेली हल्के में 52 गांव आते हैं और 14 सर्किल बनते हैं जबकि इसमें मात्र पांच पटवारी है जो 52 गांव को संभाल रहे हैं। यहां गौरतलब है कि जिले में 314 गांव में पटवारियों की कमी होने के कारण लोगों को भारी समस्या उठानी पड़ रही है। लेकिन सरकार न तो नये पटवारी भर्ती करती है और ना ही लोगों का काम करती है। क्षेत्र के समाजसेवियों का कहना है की सरकार द्वारा भ्रष्ट पटवारी की लिस्ट जारी करके काम ठीक किया है लेकिन अब जिन पटवारियों के पास अन्य गांव का एडिशनल चार्ज था उन्होंने उन गांव के काम करने बंद करने के कारण उन गांवों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को नये पटवारी भर्ती करने चाहिए या फिर कोई और रास्ता निकालना चाहिए जिसके कारण ग्रामीण परेशान ना हो।
मैनिटरिंग व मानिटरिंग कार्यक्रम संपन्न
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कनीना की आवाज। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी के प्रांगण में मेंटरिंग एंड मानिटरिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता वीरेंद्र सिंह प्राचार्य ने की। इस कार्यक्रम में अजय प्रकाश सहायक प्रोफेसर रसायन विज्ञान पीकेएस राजकीय कालेज कनीना ने कुछ एक्टिविटीज करवाई जिनमें 36 बच्चों ने भाग लिया। और जिसमें से दो गतिविधियों में अलग-अलग प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त बच्चों को क्रमश:500, 300 और व 200रुपये की राशि भेंट की गई। बच्चों को वैज्ञानिक और प्रायोगिक ज्ञान की उपयोगिता के बारे में बताया। इस प्रोग्राम में प्रवक्ता पवन कुमार, जीव विज्ञान, प्रवीण कुमार ,स्नेह लता, नरेश कुमार हेमंत, कुलदीप, रेखा, ममता ,ओम प्रकाश तथा सभी अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 05: अव्वल बच्चों को पुरस्कृत करते प्राचार्य
बिजली आपूर्ति रहेगी बंद
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कनीना की आवाज। डीएचबीवीएन के तहत 11 केवी भडफ़ एपी लाइन की शिफ्टिंग के कार्य के लिए 29 जनवरी को सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक 11 केवी सिटी-3 फीडर पर परमिट लिया जाएगा। इस कार्य के लिए 11 केवी सिटी-3 फीडर की बिजली आपूर्ति सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक बंद रहेगी।
कोटिया में बाबा बुर्जेश्वर क्रिकेट प्रतियोगिता में भडफ़ की टीम रही विजेता
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कनीना की आवाज। कनीना उप मंडल के गांव कोटिया में बाबा बुर्जेश्वर क्रिकेट प्रतियोगिता का फाइनल मैच खेला गया। जिसमें मुख्य अतिथि अजीत कुमार रहे। खेल आयोजन कमेटी के सदस्य रजत यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि बाबा बुर्जेश्वर क्रिकेट प्रतियोगिता में मैच सेमी फाइनल डहीना व झाल के बीच खेला गया। जिसमें झाल गांव की टीम ने बैटिंग करते हुए 65 रन बनाए। उसके मुकाबले में डहीना की टीम ने 66 रन बनाकर मैच जीता। उसके बाद भडफ़ व गाहड़ा के बीच मैच खेला गया। जिसमें गाहड़ा गांव की टीम ने बैटिंग करते हुए 104 रन बनाए जबकि भडफ़
गांव की टीम ने 114 रन बनाकर मैच को जीत लिया। फाइनल मैच डहीना व भडफ़ के बीच खेला गया। जिसमें डहीना की टीम ने बैटिंग करते हुए 53 रन बनाए। वहीं भडफ़ की टीम ने 54 बनाकर मैच जीत लिया। खेल में पहले स्थान पर भडफ़ की टीम रही जिसको 15000 रुपये का नगद इनाम दिया गया। वहीं दूसरे स्थान पर डहीना की टीम रही जिसको को 11000 रुपये का नगद इनाम दिया जाएगा। क्रिकेट प्रतियोगिता धीरज स्पोर्ट्स वियर के सौजन्य से करवाई गई। इस दौरान धीरज शर्मा, अमित कोटिया, सोमदत्त, मनजीत सिंह, अप्पू यादव, विकास कौशिक, त्रिलोक चंद, अमित यादव, संदीप, नवीन, प्रशांत, अश्वनी भडफ़ सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 04: खेल मैदान में क्रिकेट खेलते हुए खिलाड़ी।
ठंड में खत्म हो चुके हैं गमले के पौधे
-ठंड का कहर जारी
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में पड़ रही कड़ाके की ठंड के चलते गमलों में उगाए जाने वाले अधिकांश पौधे खत्म हो चुके हैं। किसान ही नहीं अपितु घरों में पौधे उगाने वाले परेशान हैं।
कनीना क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड के चलते पहले पौधों के हरे पत्ते नष्ट होकर गिर गए हैं। अब छोटे पौधों पर ऐसा लगता है कि उन पर पत्ते ही नहीं आए थे। कनीना के किसान कृष्ण कुमार, रवि कुमार, सुनील कुमार आदि ने अपने गमलों में लगाए गए फूलदार पौधे एवं औषधीय पौधे जिनमें तुलसी प्रमुख हैं, दिखाते हुए बताया कि वे पूर्णरूप से नष्ट हो चुके हैं। हालांकि इन पौधों की सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किए गए थे किंतु सर्दी ने नष्ट कर डाला है।
सब्जी के पौधे नष्ट होने लगे हैं। यही नहीं अपितु जीव जंतुओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ताप जमाव बिंदु के आस पास होने के कारण जहां जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं पेड़ पौधों के पत्ते झड़ गए हैं। सब्जी भी महंगी हो गई है। किसान परेशान नजर आ रहे हैं। किसानों की नजरें भी फसलों पर टिकी हुई हैं। सब्जी वाले पौधे नष्ट होने से किसान परेशान नजर आ रहे हैं। किसान गजराज मोड़ी ने बताया कि सब्जी देने वाले पौधे नष्ट हो चुके हैं जिसके चलते बाजार में सब्जियां महंगी होने की संभावना है।
फोटो कैप्शन 02: सर्दी में झुलसे हुए पौधे।
70 प्रतिशत घरों में लग गए हैं आरओ
- दुकानदार भी लेते हैं सप्लाई किया जाने वाला आरओ का पानी
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कनीना की आवाज। कनीना और आसपास क्षेत्र में जहां जलस्तर गिरता ही जा रहा है वही पेयजल का अभाव होने से 70 फीसदी घरों में आरओ लगवा लिए गए हैं। चाहे आरओ के कुछ लाभ तो वही हानियां भी बताई जा रही है किंतु मजबूरीवश कनीना क्षेत्र में आरओ की मांग बढ़ती जा रही है। हर छोटे और बड़े शहरों गांवों में आरओ की दुकानें खुली हुई है। न केवल आरओ लगाए जाते हैं अपितु उनको ठीक भी किया जाता है। वहीं आरओ के प्रति रुझान देखने को मिल रहा है।
जब कभी लोग सफर पर जाते हैं तो भी आरओ जल की बोतल खरीद कर पीने को मजबूर हो जाते हैं । कनीना और आसपास क्षेत्र में क्षेत्र में फ्लोराइड युक्त पानी है वहीं खारा जल अधिक है जिसके चलते आरओ की मांग बढ़ी है। कनीना क्षेत्र इसराणा एवं ढाणा सहित आसपास के गांवों में जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है जो दांतों को खराब कर देता है और पीलेपन का कारण बनता है। वहीं विभिन्न गांवों के जल में भी फलोराइड के अतिरिक्त अन्य हानिकारक तत्व पाए गए हैं वहीं टीडीएस 5000 से 6000 के बीच भी जल में देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि लोग टीडीएस घटाकर आरओ का पानी प्रयोग कर रहे हैं। कनीना और आसपास की दुकानदार आरओ का पानी सप्लाई करने वाले गाडिय़ों से प्रतिदिन जल का कैन लेते हैं जो सिद्ध करता है कि यहां का पीने योग्य जल कम होने से परेशान हैं। यही कारण है कि आप का पानी सप्लाई करने वालों की मांग बढ़ती ही जा रही है। विवाह शादी और किसी भी उत्सव आदि में भी आरओ का पानी इन गाडिय़ों से मंगवाया जाता है।
कनीना क्षेत्र के गांव धनौंदा, सीहोर, सेहलंग, कनीना सहित दर्जनों गांवों में कहीं अधिक तो कुछ क्षेत्रों में कम खारा जल पाया जाता है। पीने योग्य जल न होने के कारण आरओ मजबूरी है।
क्या कहते हैं आरओ का काम करने वालों का-
कनीना क्षेत्र के आरोप के काम करने वाले अशोक कुमार का कहना है कि 70 प्रतिशत से अधिक घरों में आरओ लगवाए जा चुके हैं। जो आरओ नहीं लगवाते वो आरओ का पानी सप्लाई किये जाने वाली गाडिय़ों का पानी पी रहे हैं, उनकी यह मजबूरी है। उन्होंने कहा बताया कि आरओ में एक ही गुण है कि कितना भी खराब जल या खारी जल या अन्य विषैला तत्वों से युक्त क्यों न हो उनको भी पीने योग्य बना देता है। जिसके कारण भी लोग आरओ की तरफ लालायित हैं। उन्होंने बताया कि आरओ घरों के उद्देश्य के लिए और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए भी स्थापित हो रहे हैं। जहां कुछ जगह फिल्टर की जरूरत होती तो वहां फिल्टर भी प्रयोग किया जा रहे हैं जहां आप की मांग होती है मां और स्थापित किया जा रहे हैं। आरओ की कीमत भी अब इतनी अधिक नहीं होती कि जिसे प्रयोग नहीं किया जा सके? यही कारण है कि विभिन्न शिक्षण संस्थानों कार्यालय में आरओ लगा दिए गए हैं और आजकल आरओ में अल्ट्रावायलेट किरण भी प्रयोग होने लगा है जिससे किसी हानिकारक रोगाणु आदि भी पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं। उनका कहना है कि आरओ आज के दिन सर चढ़कर बोलता है और लोग आरओ के पानी को विश्वास के साथ पी लेते हैं। नहर पर आधारित पेयजल सप्लाई का जल का टीडीएस अच्छा मिलता है जो पीने योग्य होता है।
क्या कहते हैं डाक्टर--
कनीना उप-नागरिक अस्पताल के डा. जितेंद्र मोरवाल ने बताया कि क्षेत्र के पानी में फ्लोराइड अधिक होता है जिसके कारण फ्लोरोसिस रोग हो जाता है जिसके कारण दांतों का रंग बदल जाता है तथा भंगुर हो जाते हैं तथा हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में पानी को फिल्टर करके या आरओ लगवाकर टीडीएस ठीक करवा सकते हैं। घर पर अगर पानी को गर्म करके ठंडा किया जाए तथा ऊपर का पानी अलग कर ले जिसमें फ्लोराइड न के बराबर मिलेगा।
फोटो कैप्शन: अशोक कुमार एवं डा. जितेंद्र मोरवाल
बंदरों की समस्या बोल रही है सिर चढ़कर
--एक बार बंदरों को पकड़कर छोड़ा गया था अन्यत्र
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में हजारों की संख्या में बंदर न केवल आम आदमी अपितु दुकानदार, सरकारी कर्मचारी, विभिन्न संस्थाओं के लोग यहां तक की फल और रेहड़ी पर सब्जी विक्रेेता बेहद परेशान है। प्रतिदिन हजारों रुपये का नुकसान बंदर कर देते हैं। एक वक्त था जब बंदरों को खाना खिलाने लोग दूरदराज जाते थे। अब धीरे-धीरे बंदरों के प्रति वह लगाव नहीं रहा है क्योंकि बंदरों से लोग तंग आ चुके हैं। कनीना कस्बे से महज एक बार बंदरों को पकड़कर अन्यत्र छुड़वाया गया था किंतु फिर से इनकी संख्या बढ़ गई है। तत्पश्चात प्रयास किए गए किंतु बंदरों की संख्या बढ़ती ही चली गई। वर्तमान में कनीना ही नहीं अपितु आस पास के गांवों के लोग भी बेहद परेशान हैं। अकेले कनीना में 500 के करीब बंदर दिनरात परेशान कर रहे हैं। एक दर्जन से अधिक लोगों को कनीना क्षेत्र में बंदरों ने काट खाया है।
क्या कहते हैं कस्बावासी-
बंदरों ने हर प्रकार से मुसीबत खड़ी कर रखी है। रेहड़ी और फल विक्रेताओं फल उठा कर भाग जाते हैं यहां तक की अंडों की रेहड़ी से अंडे तो विभिन्न जीवों को पकड़ कर ये बंदर खा जाते हैं। वैसे भी लोगों को डरा कर अनेक घटनाएं घटित करवा दी है। इनको पकड़कर दूर दराज छुड़वाना चाहिए।
-- कनीना के गणेश अग्रवाल
बंदर कनीना में एक समस्या बनकर रह गए हैं। एंटीना हो या कोई ध्वज लगा हो उसे तोड़ कर ही दम लेते हैं। घर में कपड़े सूख रहे हो उनको फाड़ जाते हैं। घर में फल या सब्जी लग रही हो उसे क्षणों में ही बर्बाद कर जाते हैं। बंदरों के कारण कस्बा कनीना में आधा दर्जन घटनाएं भी कर चुकी है। बंदरों से निजात पाने के लिए बार-बार निवेदन कर रहे हैं किंतु समाधान नहीं निकाला गया है।
---योगेश अग्रवाल,कनीना मंडी
वे वर्षों से बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रशासन से मांग कर रहे हैं। किंतु बंदरों से निजात नहीं मिल पाया है। उन्होंने आरटीआई से भी जानकारी ली थी किंतु कनीना प्रशासन ने महज एक बार बंदरों को अन्यत्र छुड़वाया था। तत्पश्चात से ही हर इंसान को परेशान कर रहे हैं। सरकारी कार्यालय में लगे हुये विभिन्न यंत्रों को तोड़ कर रख जाते हैं। कभी दक्षिण हरियाणा में दीमक का प्रकोप था, अब बंदरों का प्रकोप उससे भी अधिक हो गया है।
---शिव कुमार कनीना मंडी
नगरपालिका द्वारा एक बार कनीना कस्बे से बंदरों को पकड़वा कर दूर छुड़वाया था। तत्पश्चात उन्होंने बार-बार प्रयास किया है किंतु आंशिक सफलता मिली है। वे भी चाहते हैं कि बंदरों से लोगों को निजात दिलाया जाए। बंदरों को पकडऩे के लिए टेंडर भी छोड़े गये थे किंतु सफलता नहीं मिली है।
--निवर्तमान प्रधान नपा सतीश जेलदार
लोग कुत्ता, बंदर एवं बिल्ली के काटने के बाद सावधानी नहीं बरती तो जीवन को खतरा हो सकता है। और किसी भी समय यह रोग बढ़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब शहरी तर्ज पर कुत्ते पालने की प्रथम बनी हुई है इसके चलते कुत्ता कभी किसी को काट सकता है और काटने पर तुरंत प्रभाव से टीके लगवाने चाहिए। उन्होंने बताया कि अक्सर कभी कुत्ता काटता है और काटने के बाद यदि कोई खून नहीं निकलता खरोंच आ जाती है तो टीके लगवाने की जरूरत नहीं होती। इसे अच्छी प्रकार साबून,डिटोल एवं तथा अन्य एंटीबायोटिक पदार्थ से धो देना चाहिए परंतु कुत्ते के काटने से कुछ खून निकलता है तो टीके लगवाने जरूरी होते हैं।
---डा. पवन कांगड़ा
फोटो कैप्शन: डा. पवन कांगड़ा, गणेश कुमार, शिव कुमार, योगेश अग्रवाल, सतीश जेलदार
होने लगी है खाटू श्याम मेले की तैयारी
- हजारों की संख्या में जाते हैं भक्तजन कनीना से
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कनीना की आवाज। 28 फरवरी से 11 मार्च तक चलने वाले 12 दिवसीय फाल्गुनी मेले की तैयारी शुरू हो गई है। जहां कनीना में श्याम बाबा का मंदिर है वहीं कनीना से लोग राजस्थान के दो स्थानों पर पदयात्रा पर जाते हैं। एक और जहां हुडिय़ा जैतपुर जाते हैं वही खाटू श्याम धाम पर जाते हैं। भक्तजन ध्वज लेकर दोनों ही स्थानों पर जाते हैं। आजकल जहां हुडिय़ा जैतपुर का धाम बहुत प्रसिद्ध होता जा रहा है क्योंकि महज 30 किलोमीटर दूरी पर है। इसमें महिलाएं बढ़ चढ़कर पदयात्रा करती है। वैसे भी एक ही दिन में पदयात्रा पूर्ण हो जाती है, इसलिए भी हुडिय़ा जैतपुर का श्याम धाम प्रसिद्ध होता जा रहा है। वहीं जहां कनीना से करीब 190 किलोमीटर दूर राजस्थान में रिंगस से 17 किलोमीटर दूर खाटू धाम है। जहां सबसे अधिक बड़ा मेला लगता है। इस मेले में सभी गांव से सैकड़ों की संख्या भक्तजन पदयात्रा करते हैं। जगह-जगह उनके लिए जहां ठहरने के प्रबंध किए जाते हैं।
इस यात्रा की विस्तृत जानकारी देते हुए श्यामभक्त मनोज कुमार ने बताया कि उनका एक दल हर वर्ष पैदल जैतपुर जाता है वही सूबे सिंह और दुलीचंद साहब ने बताया कि वे कनीना के श्याम बाबा पर हर वर्ष भंडारा लगते हैं वहीं अखंड ज्योति जैतपुर ले जाते हैं। इस मेले को लेकर के तैयारियां जारी है।
उधर कनीना के सुरेश कुमार एवं रवि कुमार ने बताया कि वे इन मेलों में जाते हैं और श्याम बाबा के दर्शन करते हैं। जहां इन मेलों के प्रति हर वर्ष संख्या बढ़ती ही जा रही है। कनीना से 190 किलोमीटर दूर स्थित खाटू श्याम धाम पर सबसे अधिक भीड़ रहती है तथा करीब चार दिनों में यह सफर पूरा करना होता है। भक्त पूरे ही हरियाणा एवं पंजाब आदि से इस तरफ से गुजरते हैं और पदयात्रा पर खाटू श्याम धाम पर पहुंचते हैं। मनीष कुमार ने बताया कि वह एक दिन में पूरा होने वाले श्याम धाम जैतपुर जाते हैं और श्रद्धा भक्ति से वहां दर्शन करके वापस आते हैं। ऐसे में जहां 12 दिवसीय फाल्गुनी मिले की तैयारी शुरू हो गई है वहीं भक्तों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
लाला लाजपत राय की जयंती पर उन्हें किया याद
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कनीना की आवाज। कनीना में अमर शहीद पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती मनाई गई। मुख्य अतिथि कर्ण सिंह यादव थे तथा अध्यक्षता समाजसेवी अतरलाल ने की। मुख्य अतिथि कर्ण सिंह यादव ने गणमान्य जनों के साथ लाला लाजपत राय के चित्र पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने लाला लाजपत राय को युवाओं का आइकान बताते हुए उनके आदर्शों पर चलने की अपील की।
अतरलाल ने लाला लाजपत राय के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए केन्द्र सरकार से हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय जाट पाली में लालाजी के नाम पर शोध पीठ स्थापित करने की मांग की। संयोजक रविन्द्र बंसल ने लाला जी को पंजाब नेशनल बैंक का संस्थापक बताते हुए उन्हें भाईचारा, समरसता तथा स्वतंत्रता संग्राम का अग्रदूत बताया। पदमेन्द्र जांगड़ा ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर सेठ प्रेम सिंगला, हरेन्द्र शर्मा, हरिकिशन बंसल, सुबे सिंह, अजय कुमार, राकेश, औमप्रकाश, ढीलू सरपंच, गोपाल, जयभगवान, गोविंद, दीपक, कृष्ण कुमार भडफ़, सुबे सिंह, श्यामलाल, गणेश गोयल, पूर्ण सिंह, मुंशीराम सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 01: लाला लाजपत राय के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए
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