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Saturday, February 15, 2020






विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित
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कनीना। आरसीएम स्कूल कनीना में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन हुआ तथा अटल लैब का उद्घाटन जिला शिक्षा अधिकारी बिजेन्द्र सिंह श्योराण व पवन भारद्वाज खण्ड शिक्षा अधिकारी नांगल चौधरीद्वारा किया गया।
विज्ञान प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने आधुनिक रोबोटिक तकनीक से अनेक प्रकार के प्रयोजन तैयार किए तथा अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया गया । इस आयोजन में रोबोटिक प्रयोजनों की  विशेष भूमिका रही। जिसमें मुख्य अतिथि बिजेन्द्र सिंह श्योराण ने विद्यार्थियों की विज्ञान के प्रति रुचि देखकर उनका हौसला बढ़ाया ।
  श्री श्योराण ने कहा कि क्षेत्र के विद्यार्थी अति प्रतिभावान है उनकी प्रतिभा को निखारने की आवश्यकता है। विज्ञान विषय सहित अन्य विषयों में भी प्रयोगात्मक तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रतिभा किसी भी क्षेत्र में तथा किसी भी स्तर पर मिल सकती है।  उन्होंने कहा कि प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। प्रदूषण समस्या से निजात पाने का तरीका खोजना चाहिए। अपितु अनुपयोगी एवं बेकार मानी जाने वाली वस्तुओं को भी काम में लाया जा सकता है।
इस मौके पर उन्होंने समस्त स्टाफ को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए बच्चों को बेहतर शिक्षा देने पर बल दिया। इस मौके पर समस्त स्टाफ मौजूद था।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकों का भी अध्ययन करना चाहिए। जो शिक्षक पुस्तकें  नहीं पढ़ते उन्हें इस पेशे में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान करके सीखने का नाम है। जो कोई करके नहीं सीखता उसका नाम विज्ञान नहीं है।
इस प्रदर्शनी में   गौरव , लक्की , प्रियांशु , लक्षिका , साक्षी व दिपू ने प्रथम , हैप्पी , कोमल , आदिती ने द्वितीय तथा अंशू , सोनल , आयशा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया ।
इस अवसर पर चेयरमैन रोशनलाल ने बताया कि इस प्रकार की प्रदर्शनी से विद्यार्थियों के मानसिक विकास में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के आयोजन स्कूल में समय - समय पर होते रहेंगे। इस अवसर पर प्राचार्य सत्यवीर सिंह,चेयरमैन कबूल सिंह यादव ,  सुनिल यादव , नरेन्द्र यादव , नरेश यादव , पार्षद राजेन्द्र सिह , पार्षद  मा दलीप सिंह , चेयरमैन रतन सिंह , मैनेजर धर्मपाल,  पंकज यादव, अशोक ठेकेदार,रतन सिंह , सत्यवान, संजय कुमार व समस्त अध्यापक गण उपस्थित थे।
फोटो कैप्शनन 6: जिला शिक्षा अधिकारी विज्ञान प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए।


महर्षि दयानंद की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक

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कनीना। जब दिल में ही प्रभु का वास हो तो मंदिर की जरूरत क्या होगी। ये विचार यदुवंशी शिक्षा निकेतन महेंद्रगढ़ के चेयरमैन बहादुर सिंह ने सिहोर में आयोजित दो दिवसीय आर्य समाज के शनिवार से शुरू हुए हुए दो दिवसीय वार्षिक उत्सव पर व्यक्त किए।  
उन्होंने कहा कि स्वामी जी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा की आज हम सबको स्वामी दयानंद  के बताए मार्ग पर चलने की शक्त जरूरत है वरना हमारा देश संस्कारों में काफी पीछे चला जाएगा। उन्होंने कहा की हमें आर्यव्रत समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने की जरूरत है जिससे हमारा तो भला होगा ही साथ में समाज में फैली बुराइयां भी दूर हो जाएगी और एक स्वच्छ समाज की शुरूआत होगी। समाज की बुराइयों को मिटाने में अहं योगदान दे सकती हैं। उन्होंने कहा की आज हम सबको स्वामी दयानंद  के बताए मार्ग पर चलने की  जरूरत है वरना हमारा देश संस्कारों में काफी पीछे चला जाएगा। उन्होंने कहा की समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने की सख्त से सख्त जरूरत है जिससे समाज का भला हो पाएगा वरना समाज गर्त में चला जाएगा।
 उन्होंने कहा कि आर्य समाज का काम समाज में व्याप्त बुराइयों का अंत करना है। आर्य समाज ने महर्षि दयानंद के वक्त से समाज में व्याप्त बुराइयों का नाश करना शुरू किया था जो आज भी उनके पदचिह्नों पर चलकर दूर की जा रही हैं। उन्होंने आर्य समाज को 11 हजार रुपये नकद भेंट किए।
 इससे पूर्व उन्होंने यज्ञ आहूत किया गया जिसमें दूर दराज से आए आर्य जनों ने आहुति दी। हवन के बाद प्रसाद भी वितरित किया गया।  इस मौके पर कुलदीप भास्कर करनाल, पुष्पा शास्त्री रेवाड़ी, कल्याणी हिसार ने भजनोपदेश से समाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार किया। इस मौके पर सतीश आर्य, इंद्रलाल , रामकुमार पूर्व प्राध्यापक, बुधराम आर्य, दलीप सिंह, दयानंद शिक्षक, प्रभातीलाल आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 5:बहादुर सिंह चेयरमैन को सत्यार्थ प्रकाश भेंट करते हुए।

होलिका दहन की तैयारियों में जुटे हैं जन

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कनीना। कनीना में होलिका दहन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। ईंधन डाल डालकर होलिका दहन स्थल को सजाया जा रहा है। कनीना के बाबा मोलडऩाथ मेले के बाद तो इसी पर्व की तैयारियों में कस्बावासी जुट जाते हैं। जौ की फसल पकने लगी है जो होलिका दहन पर भूनकर परिवार द्वारा खाने की परंपरा चली आ रही है। विगत दिनों डांडा गाड़ दिया गया है।
  इस बार जब होलिका दहन 09 मार्च को होने जा रहा है, होलिका दहन में तेजी आ गई है। डांडा गाडऩे के बाद से अब तक ऊंची होली बना दी गई है। वैसे तो होली के चलने वाले खेलों में इधर उधर पड़ी हुई कंटीली झंाडिय़ां लाकर होलिका दहन स्थल पर डाली जाती हैं। आस पास तथा दूर दराज खड़ी कांटे की झाडिय़ों को उठाकर होलिका दहन स्थल पर डाल दिया जाता है।
   होलिका दहन की परंपरा के अनुसार होलिका दहन की सुबह सवेरे इस विशालकाय होलिका पर गोबर से बने हुए हथियार(जिन्हें ढाल एवं बिड़कला नाम से पुकारा जाता है ) डाल दिए जाते हैं। बताया जाता है कि होलिका दहन के समय जब प्रह्लाद भक्त एवं होलिका को एक साथ बैठाकर उन पर ईंधन डालकर आग लगा दी गई थी उस वक्त लोगों के पास जो हथियार थे वे भी होलिका दहन में डाल दिए गए थे तभी से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन में गोबर के ये हथियार भी डाले जाते हैं। होलिका दहन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोग प्रह्लाद भक्त के दुश्मन थे जो उन्हें जलाना चाहते थे।
  आज भी होलिका दहन के समय औरतें दहन को पानी से बूझा देती हैं। ये औरतें प्रह्लाद भक्त को चहेतों के रूप में जानी जाती हें जो प्रह्लाद को आग लगने से बचाने के लिए पानी डालती हैं। जैसे तैसे सभी परंपरा चली आ रही हैं और होलिका दहन के बाद अगले दिन अर्थात दुलेंडी के दिन होलिका या प्रह्लाद में से कौन जलकर नष्ट हुआ उसे देखने के लिए जाती हैं और बताया जाता है कि जब प्रह्लाद भक्त बच गए थे तो खुश होकर रंग एवं गुलाल से खुशी मनाई थी जिसे आज दुलेंडी कहते हैं। यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
होलीवाला जोहड़-
होलीवाला जोहड़ के विषय में डा मेहरचंद(83) का कहना है कि उनके पूर्वजों के वक्त से कनीना के एकमात्र स्थान पर ही होलिका दहन किया जाता रहा है। इस जोहड़ का नाम होली के कारण होलीवाला पड़ा है किंतु वर्षों पूर्व इस जोहड़ के बीचोंबीच बड़ा रास्ता था। एक ओर का जोहड़ पीलिया जोहड़ तो दूसरी ओर का जोहड़ होलीवाला नाम से जाना जाता था। पीलिया जोहड़ का पानी अति साफ होने के कारण जन पीते थे। समय बीतता गया और जोहड़ के बीच का मार्ग भी पानी भरकर खत्म हो गया। अब केवल इसमें गंदा जल भरा हुआ है और यह समस्या बना हुआ है।
  डाक्टर साहब बताते हैं कि कनीना जब से बसा है तभी से इसी एकमात्र स्थान पर होलिका दहन होता आ रहा है। होली दहन एवं एकता में इस जोहड़ का विशेष स्थान रहा है। आज इस जोहड़ का गंदा जल दूर दराज तक फैल चुका है और समस्या बना हुआ है। होलिका दहन के समय तक महिलाएं गोबर के बने ढाल एवं बिड़कले इस होली पर डालती हैं तथा दुलेंडी के दिन बची हुई आग में चने भूनकर बच्चों को खिलाती हैं वहीं होली पर डाले गए गोबर के अस्त्र एवं शस्त्रों से बचे हुए दीपक को ढूंढकर घर लाती हें। माना जाता है कि इन खोजे गए दीपक में बच्चों को घुट्टी आदि देने से वे अधिक समय स्वस्थ रहते हैं।
मेला-
समय के साथ-साथ बदलाव आना स्वाभाविक होता है। इस होलिका दहन के स्थान पर कभी से महिलाएं एवं भीड़ आकर पूजा करती है। विगत चंद वर्षों से यहां मेला भी लगने लग गया है। अब तो आलम यह है कि करीब आधा किमी दूरी में मेला लगता है और मेले का सामान होलिका दहन स्थल तक रखकर बेचते देखे गए हैं।  हालांकि पूजा अर्चना करने आई महिलाएं यहां व्रत धारण करके आती हैं किंतु यहां से जाने के बाद व्रत खोलती हैं।
फोटो कैप्शन 8: होलिका दहन का नजारा
डा मेहरचंद की फोटो।


सिमट कर रह गए होली के खेल

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कनीना। कनीना में एक माह तक चलने वाले होली के खेल अब सिमटकर रह गए हैं। होली मनाने के विशेष ढंग, होलीवाला जोहड़ तथा होली पर ईंधन डालने की अनोखी परंपरा अब औपचारिकता बनकर रह गई हैं।
  एक वक्त था जब एक माह तक कनीना क्षेत्र में होली के खेल चलते थे। जब से होली का डांडा गाड़ दिया जाता था तभी से होली के खेल शुरू हो जाते थे। इन खेलों में चांदनी रात में लुक्का छुपी, कोरड़ा मारना तथा स्वांग रचना आदि प्रमुख होते थे। इन खेलों से जहां एक माह उत्सव चलता था वहीं पकती फसल को देखकर भी खुशी मनाई जाती थी। अब न तो वो खेल रहे हैं और न उनके खिलाड़ी।
  अब तो लुक्का छुपी का खेल रात को चले तो लोग चोर समझकर पीट डाले। होली के डांडे पर ईंधन डालने का रिवाज भी सिमटकर रह गया है। होलिका दहन से महज पांच सात पूर्व ही ईंधन डालकर खानापूर्ति की जाती है। बुजुर्गों के सहयोग से चलने वाले होली के खेल अब देखने को कम ही मिलते हैं। जहां होली के मधुर मधुर गीत, स्वांग रचना, ढोल एवं ताशें अब किसी मेले में ही देखने को मिल सकते हैं।
  बुजुर्ग आज के दिन जब होली का पर्व देखते हैं और सुनते हैं तो एक ही बात कहते हैं कि अब न तो एकता रही और न पहले वाला भाईचारा। अब तो बस आपसी रंजिश एवं एक दूसरे को नीचा दिखाने की परंपरा बढ़ रही है। होलीवाला जोहड़ जहां होलिका दहन किया जाता है उसमें गंदा पानी भरा खड़ा रहता है। मजबूरीवश होलिका दहन के समय महिला एवं पुरुष वहां जाकर प्रह्लाद भक्त की पूजा अर्चना करते हैं। होलिका दहन का पर्व 10 मार्च को मनाया जा रहा है।



परीक्षाएं सिर पर, गुरुजी इनकम टैक्स गणना में हुए व्यस्त

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कनीना।  मार्च से हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं किंतु गुरुजी अभी भी इनकम टैक्स की गणना में व्यस्त हो गए हैं।
   शिक्षक फरवरी माह में इनकम टैक्स की गणना में जुट गए हैं। बताया जाता है कि फरवरी माह का वेतन जो मार्च माह में निकाला जाता है के लिए इनकम टैक्स के आंकड़े जुटाने पड़ते हैं। शिक्षक अपने काम को ईमानदारी का बताते हुए हर संभव प्रयास इनकम टैक्स बचाने की सोचते रहते हैं। यही कारण है कि एक ओर शिक्षक व्यस्त तो वहीं विद्यार्थियों की परीक्षाएं सिर पर होने के कारण वे व्यस्त हैं।


होलिका दहन होता है सड़क के बीच में

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 कनीना। यूं तो होलिका दहन आगामी 9 मार्च को होने जा रहा है लेकिन एक माह पहले ही होलिका दहन की तैयारियां चल जाती है और डंडा गाड़ दिया जाता है। तत्पश्चात उस पर बाड़, गोबर के बने अस्त्र शस्त्र डाले जाते हैं। इसी क्रम में जहां धनौंदा में दो जगह होली दहन होता है उनमें से एक दो स्कूलों के बीच में सड़क मार्ग पर होता है।  मुख्य सड़क मार्ग पक्की सड़क मार्ग के बीच में होलिका दहन किया जाता है। वही इस गांव में एक होली का दहन स्थल पर भी किया जाता है।
सरपंच रूपेंद्र सिंह ने बताया कि गांव में दो होली दहन होते हैं। एक सड़क के बीच में जहां स्कूल के सामने होता है तथा दूसरा शहीद महेश पाल के प्रतिमा समक्ष होता है। गांव की मुख्य सड़क पर इस प्रकार का होलिका दहन ग्रामीण क्षेत्रों में अति रोचक बनता जा रहा है।
फोटो कैप्शन 6: सड़क के बीच में होलिका दहन की तैयारियां।


वोट बनवाने के लिए युवा वर्ग आगे आया

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 कनीना। जिनकी उम्र 18 वर्ष उन्होंने विभिन्न बूथों पर दो दिनों तक वोट बनवाए जा रहे हैं वहीं 29 फरवरी एवं एक मार्च को पुन: वोट बूथों पर बनाए जा रहे हैं। 16 फरवरी को भी वोट बनाए जाएंगे।
 बीएलओ सुनील कुमार  ने बताया कि एक जनवरी 2020 को आधार मानते हुए जिन युवाओं की उम्र 18 वर्ष हो गई हैं उनके नए वोट बनाए सकते हैं। सुनील कुमार कुमार, राजेश कुमार एवं सुनील बिसोहा ने बताया की प्रथम जनवरी 2020 के आधार पर जिनकी उम्र 18 वर्ष हो गई है वे शनिवार एवं रविवार 16 फरवरी को वोट बनवा सकते हैं
 विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वोट बनाने के अलावा शुद्धीकरण, वोट शिफ्टिंग का कार्य भी किया गया है। नया वोट बनवाने के लिए फार्म नंबर 6, कटवाने के लिए फार्म नंबर 7, शुद्धिकरण के लिए फार्म 8 भरा जाएगा। उल्लेखनीय है कि कनीना, अटेली विधानसभा के तहत आता है। विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न मतदाता जिनकी उम्र 18 वर्ष हो गई है अपना वोट बनवाने के लिए निर्धारित फार्म भरकर जमा करा सकते हैं। कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सहित विभिन्न बूथों पर वोट बनवाने का कार्य चल रहा है। यह कार्य 29 फरवरी एवं एक मार्च को फिर चलेगा।




पर्यावरण संरक्षण के कार्यों का किया दौरा

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 कनीना। श्रीकृष्ण राजकीय महाविद्यालय कंवाली के राष्ट्रीय सेवा योजना की छात्र यूनिट के तत्वावधान में विश्वविद्यालय आउटरीच कायक्रम के तहत गोद लिए गांव रामबास में चल रहे सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवें दिन कार्यक्रम अधिकारी डॉ कर्मवीर के नेतृत्व में स्वयंसेवकों का नजदीकी गांव ढाणा में स्वच्छता का संदेश दिया। इस मौके पर माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में स्वच्छता का संदेश दिया। स्वयंसेवकों ने पंचायत द्वारा तैयार किए गए गैर सरकारी संगठन संकल्प के सहयोग से किए गए सामुदायिक सहयोग कार्यों एवं पर्यावरण संरक्षण के कार्यों का भ्रमण एवं  अध्ययन किया। गांव की महिलाएं एवं विद्यार्थियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। कर्मवीर आसपास के गांव में लोगों को प्रेरित किया है।
ज्ञातव्य है कि ढ़ाणा  गांव के युवाओं ने डा कर्मवीर की प्रेरणा से संकल्प नामक गैर सरकारी संगठन बनाया है जिसने आस पास के लोगों को जल संरक्षण एवं पौधरोपण के कार्य के लिए प्रेरित किया है।
इस अवसर पर ढाणा के सरपंच सुशील कुमार के नेतृत्व में पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने भी श्रमदान किया। इस दौरान माध्यमिक विद्यालय दाना के मुख्यध्यापक विजेंद्र यादव, प्राइमरी हैड हर्ष कुमार, संजय कुमार, जरनैल सिंह, महेंद्र सिंह पीटीआई संजय कुमार आदि समस्त स्टाफ सहित आंगनवाड़ी वर्कर भी उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 4 ढाणा में स्वच्छता का संदेश देते सेवक।



पूर्व सैनिक संगठन ने किया वृक्षारोपण

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कनीना। करीरा में पूर्व सैनिक संगठन ने जन जागरण अभियान के तहत पौधारोपण किया।
इस मौके पर कनीना थाना के अध्यक्ष निरीक्षक विकास कुमार ने भी एक बरगद का पेड़ लगाया। संगठन के प्रवक्ता विक्रम सिंह यादव ने बताया कि उनका लक्ष्य मानसून आने से पूर्व 1000 पेड़ लगाने का है। इस मौके पर कैटटन सुमेर सिंह, पेंटर सुरश्ेा कुमार, विक्रम सिंह आदि मौजूद थे।

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