Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Thursday, February 20, 2020

फसल पकान पर पहुंची
**************************
***************************
*****************************
 कनीना। कनीना क्षेत्र में सरसों की फसल पकान पर पहुंच गई है। क्षेत्र में करीब 20000 हेक्टेयर पर सरसों की फसल खड़ी है जिसकी मार्च के प्रथम सप्ताह में कटाई शुरू होने के आसार हैं। वहीं गेहूं की 10200 हेक्टेयर पर फसल खड़ी है। अभी तक सरसों की बंपर पैदावार होने की संभावना जताई जा रही है। सरसों को पानी की जरूरत नहीं है किंतु गेहूं की फसल को पानी देने की जरूरत है।
मार्च माह के अंत तक कनीना मार्केट में सरसों की पैदावार पहुंचने की संभावना बन गई है। क्षेत्र में बार बार मौसम बदल रहा है। कनीना क्षेत्र में जहां इस बार सर्दियों के मौसम में बार-बार मौसम में परिवर्तन हुआ है किंतु धुंध महज 2 या 3 दिन ही पड़ी है। जहां जनवरी माह में कई बार मौसम में बदलाव आया है। सर्दी, धुंध, कोहरा, पाला, धूप, एवं बादल के अलावा हल्की बारिश भी जनवरी माह में हुई है। किसान अजीत सिंह, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह आदि का कहना है कि सरसों की फसल पकने लगी है। महज गेहूं की फसल में पानी की जरूरत है। किसान किसी आपदा की आशंका से डरे हुए हैं यदि इस  समय में कोई बारिश होती है तो फसल गिर सकती है वही तेज हवाएं भी दिन भर चलती रही हैं। बारिश और तेज हवाओं के कारण फसल को नुकसान हो सकता है।
  कनीना मंडी के व्यापार मंडल के उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि सरसों का समर्थन मूल्य 4425 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 2000 रुपये प्रति क्विंटल है। गेहूं की कटाई अप्रैल प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाएगी। कनीना खंड कृषि अधिकारी सज्जन सिंह धनखड़ ने बताया कि अगैती सरसों की फसल को अब पानी की जरूरत नहीं है। यह पकान पर पहुंच गई है।
फोटो कैप्शन 1: कनीना क्षेत्र में पकान पर पहुंची सरसों की फसल।


अपार भीड़ जुटेगी महाशिवरात्रि को
- कावड़ भी अर्पित की जाती हैं

***************************
*******************************
कनीना। बाघेश्वरी धाम बाघोत में 21 फरवरी महाशिवरात्रि को अपार भीड़ जुटने जा रही है। इस दिन कांवड़ भी चढ़ाई जाएगी। यहां सावन माह की शिवरात्रि के दिन हजारों कांवड़ अर्पित की जाती है वहीं महाशिवरात्रि को महज  दर्जनभर ही कांवड़ अर्पित नहीं की जाती है। देशभर में यह शिवालय प्रसिद्ध है। लाखों भक्तजनों के पहुंचने की संभावना है। शिवालय को सजाया गया है वहीं प्रशासन द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए है।
कनीना खंड के बाघोत शिवालय पर प्राचीन पीपल का वृक्ष उन भक्तों के लिए सदा ही प्रसिद्ध रहा है जिनके कोई संतान नहीं है। कांवर लेकर आने वाले या पदयात्रा करके आने वाले कुछ भक्त भी संतान की इच्छा रखते हैं वे भी इस पीपल के पेड़ के तने या टहनियों पर कच्चा धागा बांधते हैं।
  यूं तो किवदंति के अनुसार राजा दलीप ने ही संतान प्राप्ति के लिए यहां तप किया था और व्रत एवं उपवास के बाद ही संतान प्राप्त हुई थी। तत्पश्चात तो माना जाता है कि उन भक्तों का तांता लगा रहता है जिनके कोई संतान नहीं होती है। पुराने पीपल के पेड़ के तने पर कच्चा धागा बांधकर संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी जाती हैं। माना जाता है कि उनकी मन्नतें यहां पूर्ण होती है।
श्रीराम के पूर्वजों से चला आ रहा है तप का सिलसिला-
 बाघेश्वरी धाम पर जहां भगवान श्रीराम के पूर्वज दलीप ने तप किया वहीं पिपलाद ऋषि ने भी यहीं पर तब किया था। यह स्थान स्वयंभू शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। किसी जमाने में यहां वन ही वन थे जिसके चलते इसका नाम हरयेक वन नाम था। बाद में आना धीरे-धीरे वन समाप्त कर दिए गए और वर्तमान का बाघेश्वरी धाम स्थित है जहां कणाणा के राजा कल्याण सिंह रैबारी के ऊंटों पर लदा सोना चांदी यहीं पर मिला था। इसलिए उन्होंने खुश होकर यहां शिवालय का निर्माण करवाया था। बाद में 1990 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करके आधुनिक रूप दिया गया है।
स्वयंभू शिवलिंग एवं पदयात्रा-
बाघेश्वरीधाम का शिवलिंग स्वयंभू है। इसलिए यहां अपार भीड़ जुटती है। स्वयंभू शिवलिंग का इतिहास पुराना है। यहां तक गंगाजल अर्पित करने के लिए भक्तजन पैदल, कांवड़ लेकर, पेट के बल आते हैं और स्वयंभू शिवलिंग की धोक लगा प्रसन्न हो जाते हैं। अधिक कांवड़ अर्पित करने वाले सुमेर सिंह चेयरमैन द्वारा कनीना से बाघेश्वरी धाम तक एक यात्रा एकता एवं भाईचारे की मिशाल कायम करने के लिए आयोजित होगी। कनीना एवं आस पास गांवों में भी महाशिवरात्रि मनाई जाएगी तथा जल शिवालयों में अर्पित किया जाएगा।
फोटो कैप्शन 2: सजा हुआ बाघेश्वरी धाम
              3: सजा हुआ स्वयंभू शिवलिंग

शिव के  प्रति आस्था ने बनवाया शिवालय

*************************
********************************
कनीना। कभी-कभी आस्था भी इंसान को बड़े से बड़ा काम करने के लिए प्रेरित कर देती है। यदि हालात प्रतिकूल भी हो तो भी इंसान उस बड़े काम को करने के लिए लालायित हो जाता है। ऐसा ही उदाहरण जिला महेंद्रगढ़ के कनीना के शिवभक्त भरपूर सिंह निर्बाण ने कर दिखलाया है। शिव के प्रति आस्था जागृत हुई फिर कावड़ लाने का सिलसिला शुरू किया तत्पश्चात उन्होंने कनीना में ही विशाल शिवालय का निर्माण कर डाला।
  कनीना के मोदीका मोहल्ले का रहने वाला भरपूर सिंह पेशे से एक छोटा सा दुकानदार है किंतु उनकी आस्था विशाल है। अच्छी आमदनी न होते हुए भी उन्होंने शिव के प्रति विश्वास नहीं छोड़ा। अपने एक साथी तथा कनीना में सर्वाधिक कावड़ लाने का रिकार्ड कायम करने वाले सुमेर सिंह चेयरमैन से वे इतने प्रभावित हुए कि नीलकंठ एवं हरिद्वार से कावड़ लाने का सिलसिला शुरु कर दिया। वे लगातार 13 वर्षों तक कावड़ लाते रहे। अपनी दुकान का काम छोड़कर भी वे कावड़ लाते और महज 15 दिनों में ही कावड़ लाकर कनीना के गांव बाघोत स्थित बाघेश्वरी धाम पर चढ़ा  देते। वे शिव के प्रति इतने आशक्त हो गए कि उन्होंने अपने खून पसीने की पूंजी से कनीना में विशालकाय शिवालय बनवाने का निर्णय लिया।
 कनीना के बाबा मोलडऩाथ मंदिर के पास ही भरपूर सिंह ने 21 फुट ऊंची प्रतिमा वाले शिवालय का निर्माण शुरू करवा दिया। पूरे एक वर्ष तक काम चलने और लाखों रुपये खर्च करके उनका शिवालय पूर्ण हो गया। आखिरकार शिवरात्रि के दिन वर्ष 2001 में यह शिवालय आमजन के लिए खोल दिया गया। आस पास के लोग इस विशालकाय शिवभोले को देखते ही रह जाते हैं।   इस शिवालय पर प्रतिदिन सुबह सवेरे सबसे पहले भरपूर सिंह की पत्नी शकुंतला देवी ही पूजा अर्चना करने आती है। उनका पुत्र रोहित कुमार व शर्मिला सहायक प्रोफेसर मदवि रोहतक भी अक्सर शिवालय पर आकर पूजा करते हैं। जब-जब महाशिवरात्रि आती है तो भारी संख्या में लोगों की भीड़ इस शिवालय की ओर दौड़ पड़ती है। कनीना क्षेत्र में पहले इतना विशाल मंदिर नहीं था ऐसे में शिवरात्रि तथा सोमवार को पूजा अर्चना करने वाले भक्तजन इसी शिवालय में आते हैं।                   
 फोटो कैप्शन 4: कनीना का ािवालय जहां भारी भीड़ जुटती है।


कटिया के साथ किया दुष्कर्म

**********************
****************************
कनीना। कनीना के गांव नांगल मोहनपुर में एक कटिया से दुकर्म करने का मामला कनीना पुलिस ने दर्ज किया है।
मिली जानकारी के अनुसार खण्ड के गांव नांगल मोहनपुर निवासी नरेश ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि पवन कुमार ने उनकी कटिया के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। वही पुलिस ने नरेश के बयान पर गांव नांगल मोहनपुर के पवन कुमार के खिलाफ भादसं की धारा 377 के तहत मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है। मामले की जांच कर रहे एसआई रामेश्वर ने बताया कि शिकायतकर्ता के बयान पर मामला दर्ज कर कटिया का मेडिकल परीक्षण कराया गया है तथा जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।


शाम 5:24 तक तक जल चढ़ाना शुभ 

***********************
*******************************
कनीना। महाशिवरात्रि के दिन जहां शिव भोले की आराधना की जाती है वही शिवलिंग को जल अर्पित किया जाता है किंतु शाम 5:24 तक जल अर्पित करना शुभ रहेगा।
 विस्तृत जानकारी देते हुए इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए सुरेंद्र जोशी ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन शाम 5:24 पर भद्रा लग रहे हैं। भद्रों में जल अर्पित करना शुभ नहीं होता।
 ऐसे में उनका कहना है कि इस समय से पहले पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करना बेहतर होगा। ये भद्रा तत्पश्चात 22 फरवरी तक चलेंगे।


करीरा मेले में होंगे दंगल  

********************
****************************
कनीना। कनीना खंड के गांव करीरा में 23 फरवरी को राजावाली बणी में हनुमान बाबा हनुमान का मेला आयोजित किया जाएगा और इसी बणी में मेला लगता है। फागुन अमावस्या के दिन लगने वाले हनुमान जी के मेले में जहां भंडारा भी आयोजित होगा। वही इस मेले में दंगल भी आयोजित होंगे।
 विस्तृत जानकारी देते हुए करीरा के समाजसेवी सुरेश कुमार पेंटर,महिपाल सिंह शिक्षक,गजराज सिंह, गजेंद्र सिंह ने बताया 23 फरवरी को जहां प्रात: जागरण भी आयोजित होगा जिसमें नंदराम मीणा और उनकी पार्टी बाबा के गुणगान करेंगी वही मेले में 60 साल के बुड्ढे की दौड़ भी करवाई जाएगी। इस मेले में कबड्डी प्रथम इनाम 25 हजार वहीं द्वितीय नाम 21 हजार रुपये का होगा। कुश्ती 11 हजार रुपये तक की होगी वही कबड्डी में प्रथम इनाम 11000 तथा द्वितीय 7100 रुपए का होगा। 1600 मीटर की दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद आदि भी आयोजित होंगी। उन्होंने बताया कि यह एक क्षेत्र का बड़ा मेला होता है। मेले में भंडारा भी आयोजित होगा
मेला-
गांव करीरा से करीब एक किमी दूर राजावाली बणी में बजरंगबली का मंदिर स्थित है। इस बणी को राजावाली बणी नाम से जाने जाने के पीछे बताया जाता है कि अंग्रेजों के वक्त यह बणी अति सघन थी जिसमें कोई अंदर तक आता जाता नहीं था। अंग्रेजों से बदला लेकर राजा महाराजा अपने बचाव के लिए इसी बणी में आकर छुप जाते थे जिसके कारण इसका नाम राजावाली बणी पड़ा है।
  गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि एक बार एक भैंसा इस बणी से बाहर खून से लथपथ होकर बाहर आया जिससे झाड़ झंखाड़ से एक रास्ता बन गया। भैंसा भीगा हुआ था जिससे लोगों को लगा कि इसके अंदर कहीं कोई जोहड़ है। तत्पश्चात गांव के लोग उसी रास्ते से अंदर गए जहां से भैंसा बाहर आया था। गांववासी जब अंदर पहुंचे तो देखकर दंग रह गए कि बणी के बीच में एक जोहड़ है। यहीं पास में एक बजरंगबली की मूर्ति भी लोगों को मिली। इस मूर्ति को यहां पर बजरंगबली मंदिर का निर्माण करके रख दिया और पूजा अर्चना का सिलसिला शुरू हो गया। यह पुराना बजरंगबली मंदिर आज भी जोहड़ के पास स्थित है।
     राजावाली बणी के इस पुराने बजरंगबली मंदिर के पास अमूल्य एवं दुर्लभ इंदोख के विशालकाय वृक्ष हैं। इन इंदोख के वृक्षों ने पुराने एवं नव निर्मित बजरंगबली मंदिर को चारों ओर से आच्छादित कर रखा है। इस बणी में कैर, जाल, जटरोफा, आंवला एवं अमरूद के वृक्ष भारी संख्या में खड़े हुए हैं। फाल्गुन अमावस्या को बजरंगबली मंदिर पर विशाल मेला लगता है जिसमें पूरे गांव के भक्तजन आकर पूजा अर्चना करते हैं और प्रसाद वितरित करते हैं। यहां भंडारा चलता है।
  गांव के ही एक व्यक्ति ने विशाल नया बजरंगबली का मंदिर निर्मित करवाया। यह मंदिर देखने से ही बनता है और यहां मेला लगता आ रहा है।
फोटो कैप्शन 6: बजरंगवली का मंदिर जहां 23 फरवरी को लगेगा मेला।

विद्यार्थियों ने देखा मिल्क चिलिंग सेंटर

*******************************





**********************************
 कनीना। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना के 47 विद्यार्थियों ने मिल्क चिलिंग सेंटर जाटूसना का दौरा किया और वहां की समस्त जानकारी हासिल की। खंड संसाधन केंद्र कनीना की ओर से एक दिवसीय विद्यार्थियों का एक्सपोजर टूर आयोजित करवाया गया था।
कनीना स्कूल के 47 विद्यार्थियों ने एक्सपसेजर टूर में भाग लिया। उनके साथ मुख्य अध्यापक पंकज कुमार, एबीआरसी ओमरती, अमरजीत मोहनपुर, मदनलाल शास्त्री एस्कार्ट के रूप में शामिल हुए। विद्यार्थियों ने मिल्क चिलिंग सेंटर पर जाकर मिल्क को इक_ा रखने, सुरक्षित रखने की पूर्ण जानकारी हासिल की।
 उपस्थित अधिकारियों ने बताया कि दूध को दो से 3 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर स्टोर किया जाता है इस दूध को तत्पश्चात रोहतक चिलिंग सेंटर पर भेज दिया जाता है जहां दूध के विभिन्न उत्पाद बनाए जाते हैं। दूध से मक्खन, घी, छाछ के अतिरिक्त दूध के अन्य उत्पाद भी बनाए जाते हैं। उन्होंने दूध रखरखाव की, दूध को वाहनों में स्थानांतरित करने और भेजने की समस्त जानकारी हासिल की और बाद में मंदिरों में जाकर धोक लगाई। विद्यार्थियों ने मिल्क चिलिंग सेंटर जहां अपने अनुभव अधिकारियों से साझा किए वहीं अधिकारियों ने भी उनके प्रश्नों का उत्तर बखूबी से दिया।
 इस मौके पर मुख्य अध्यापक पंकज कुमार ने बताया कि यह शैक्षणिक टूर विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक साबित होगा। इस प्रकार के टूर ज्ञानवर्धक के साथ रोमांचक भी होते हैं।
 फोटो कैप्शन 7: मिल्क चिलिंग सेंटर का दौरा करते विद्यार्थी

No comments: