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Wednesday, February 26, 2020


खाटू श्याम के लिए भारी संख्या में भक्त रवाना

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कनीना। हरियाणा की सीमा से लगते राजस्थान में रिंगस से करीब 17 किमी दूर खाटूश्याम धाम पौराणिक इतिहास को समेटे हुए है। यूं तो इस धाम पर वर्ष भर भारी भीड़ चलती है किंतु दो बार तो कई लाख भक्त पहुंचते हैं। फाल्गुन शुक्ल एकादशी (06 मार्च)को जो मेला लगता है उसमें अपार जनसैलाब उमड़ता है। यहां कई दिनों पूर्व ही भक्तजन आकर ध्वज चढ़ाने लग जाते हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलावा पंजाब के बेशुमार भक्तजन पदयात्रा करके इस धाम पर पहुंचते हैं। 06 मार्च को यह मेला लगने जा रहा है। पदयात्रियों का जाना शुरू हो गया है। 06 मार्च तक भक्तजन पदयात्रा पर चलते रहेंगे।
रास्ता -
जिला महेंद्रगढ़ के प्राचीन कस्बा कनीना से हजारों की संख्या में झंडा लेकर श्री खाटू श्याम की ओर रवाना होते हैं। विभिन्न जिलों और राज्यों के भक्तजन निजामपुर सड़क मार्ग को काटने वाले रेलवे ट्रैक के साथ-साथ चलकर जाते हैं रास्ते में अनेक पड़ाव एवं ठहराव होते हैं। यह रास्ता निम्र स्टेशनों एवं पड़ावों से होकर गुजरता है-
 कनीना से रास्ता यूं होकर गुजरता है। कनीना-मोहनपुर-सुंदराह-झीगावन-बेवल-अटा ली-सिहमा-खासपुर-नारनौल- निजामपुर-डाबला- जीलो-मावंडा-नीम का थाना-भागेगा-कांवट-कछेरा-श्रीमाधोपुर-रिंगस- खाटूश्याम।
ठहराव-
यूं तो देश ही तीज त्योहारों का देश है यहां समय समय पर प्रसिद्ध मेले लगते हैं लेकिन राजस्थान में खाटूश्याम धाम पर मेला अति दर्शनीय है। राजस्थान के भरने वाले प्रसिद्ध मेले के श्रद्धालुओं के लिए गांव-गांव में ठहरने के लिए शिविर लगाये जाते हैं। श्याम बाबा को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं व भक्तों को यहां ठहराकर प्रबंधक विभोर हो जाते हैं। वहीं भक्तों की अच्छी सेवा की जाती है। किसी भी भक्त को रास्ते में कोई परेशानी नहीं आती है। वैसे भी भारी संख्या में भक्त विशेषकर महिलाएं अधिक जाती हैं। रास्ते में नहाने, खाने एवं दवाओं को शिविरों में भी बेहतर प्रबंध होता है।
तैयारी-
खाटूश्याम जाने  के लिए एक डंडे पर सवा मीटर का कपड़ा जो खाटू ध्वज के नाम से जाना जाता है को पूजा अर्चना करने के बाद धारण किया जाता है और रास्ते में किसी कपड़े आदि या साफ जगह पर ही रखा जाता है। सुबह सवेरे खाटू की पूजा करके ही ध्वज को लेकर आगे बढऩा चाहिए। सफाई के साथ-साथ मन एवं वचन से पूरे रास्ते शुद्धता का ख्याल रखना चाहिए। जहां कांवर के कठोर नियम होते हैं वहीं खाटूश्याम के नियम लचीले होते हैं। साबुन, तेल, ब्रश आदि की जा सकती है। क्योंकि अधिकांश रास्ता ट्रैक के साथ-साथ होकर गुजरता है। ऐसे में भक्तों को ट्रेन का ध्यान रखना जरूरी है। 
फोटो कैप्शन 2: श्याम बाबा पर जाते भक्तजन।




गर्मियों में पक्षियों के लिए हो पानी का प्रबंध 

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कनीना। गर्मियों में वन्य जीवों को बचाने के लिए पानी का प्रबंध किया जाए। ये विचार पीपूल फार एनिमल के उप प्रधान राजेंद्र सिंह के हैं। उन्होंने कनीना में अपने साथियों को आने वाले गर्मी के दिनों में पक्षियों की रक्षा करने की शपथ ली।
 उन्होंने कहा कि गर्मी ने दस्तक दे दी है वहीं सरसों की फसल की कटाई शुरू हो रही है। गर्मी के दिनों में पक्षियों को दूर दराज तक पानी एवं चुग्गा नहीं मिलता है जिसके चलते उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में वर्षों से पक्षियों के लिए जल एवं चुग्गा का प्रबंध करते आ रहे राजेंद्र सिंह ने यह बीड़ा उठाने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि जब गर्मी के दिनों में इंसान की हालात बदहाल हो जाती है तो पानी के बगैर पक्षियों पर क्या बीतती होगी? उन्होंने पीएफए के सदस्यों सहित सभी जीव प्रेमियों से प्रार्थना की है कि वे अपने घरों, घरों के आस पास, जंगलों में पानी के बर्तन पेड़ों से टंगवाएं।
करीरा के निवासी एवं पीएफए के सदस्य बालकिशन का कहना है कि वे अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए चुग्गे का प्रबंध करेंगे तथा पानी के बर्तन रखवाएंगे। उन्होंने कहा कि पक्षियों की सुरक्षा से उनकी सुरक्षा संभव है। उन्होंने भी अपने गांव में जितना हो सके पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करने का निश्चय लिया है।
 अजीत कुमार किसान का कहना है कि वे अपने ट्यूबवेल पर रहते हैं और गर्मियों में ट्यूबवेल से खेत में खाली जगह पर पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करेंगे वहीं पक्षियों के लिए पेड़ों पर झावली टांगेंगे। उनका कहना है कि वे पक्षियों के लिए ही नहीं अपितु लोगों के लिए भी प्याऊ लगाते आ रहे हैं। उनका कहना है कि वन्य जीव भी शृंखला का एक अंग होते हैं।
 सुनील कुमार बिसोहा के निवासी हैं तथा समाजसेवा में अग्रणी हैं। उनका कहना है कि वे तो वर्षों से अपने खेत में जीवों के लिए जल का प्रबंध करते आ रहे हैं। छत पर भी जल तथा चुग्गे का प्रबंध करेेंगे। उनका कहना है कि उनके पूर्वज कभी से पक्षियों के लिए जल का प्रबंध करते आए हैं। उन्होंने सभी से प्रार्थना की कि वे भी पक्षियों के लिए जल का प्रबंध करें।
 किसान सूबे सिंह का कहना है कि जब जीव ही नहीं रहेंगे तो इंसान भी नहीं बच पाएगा। उनके अनुसार इंसान तो जल का प्रबंध जैसे तैसे अपने लिए कर लेता है किंतु पक्षी बेचारे कर नहीं पाते हैं। कुएं एवं जोहड़ जंगलों से लुप्त हो चुके हैं। ऐसे में उनके प्राण संकट में पड़ जाते हैं। उनके प्राणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इंसान की है।
फोटो कैप्शन:सूबे सिंह, सुनील कुमार, राजेंद्र सिंह, बालकिशन


जल्द ही बदलने वाले हैं कनीना मंडी के दिन
  सरसों की आवक होने में महज एक 

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कनीना। अनाज खरीद के वक्त नंबर वन पर रहने वाली कनीना की अनाज मंडी अब सुनसान पड़ी है। खरीद में मदद करने वाले आढ़ती अब एक पखवाड़े का इंतजार करेंगे। रबी एवं खरीफ फसल पैदावार के बाद ही रौनक बढ़ती है। एक पखवाड़े के बाद सरसों की आवक होने से मंडी में रौनक बढ़ जाएगी। आढ़ती बेसब्री से कर रहे हैं अनाज आवक का इंतजार। 25 मार्च तक सरसों की आवक शुरू होने की संभावना है। 40 आढ़ती किसानों के आने का इंतजार कर रहे हैं।
  किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। आज कनीना के सामान्य बस स्टैंड की ओर सघन क्षेत्र बनता जा रहा है और बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं कार्यालय कनीना मंडी से बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं।
 वर्तमान में कनीना मंडी में रेलवे स्टेशन, कुछ बैंक शाखाएं, हैफेड, मार्केट कमेटी, वेयर हाउस, खंड कृषि अधिकारी कार्यालय स्थित हैं और बाकी सभी कार्यालय बस स्टैंड की ओर अधिक हैं। यही कारण है कि कनीना मंडी में चहल कदमी अनाज आवक के समय ही बढ़ती है बाकी समय सूनी सूनी पड़ी नजर आती है।
  कनीना मंडी से आढ़ती रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि जब गेहूं या सरसों की आवक होती तो चहल पहल बढ़ जाती है वहीं गेहूं की खरीद के वक्त भी चहल पहल बढ़ जाती है। शेष समय में मंडी के व्यापारी ग्राहक कम और धूल अधिक फांकते हैं। सितंबर माह के अंत में बाजरे की आवक शुरू होती है तो अप्रैल में सरसों की आवक होती है।  कनीना की मंडी पुरानी होने के कारण आज भी कनीना मंडी के नाम से कनीना को जाना जाता है। लंबे समय के बाद कनीना मंडी में बाजरा एवं सरसों की खरीद विगत वर्ष शुरू हुई है। सरसों की कटाई चल रही है जो जल्द ही पैदावार के रूप में कनीना मंडी में आ जाएगी।
फोटो कैप्शन 1: कनीना की सूनी पड़ी अनाज मंडी


नेशनल मींस कम मेरिट स्कालरशिप में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी हुए सफल 

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 कनीना। राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद गुडगांव द्वारा आयोजित नेशनल मींस कम मेरिट स्कालरशिप परीक्षा(एनएमएमएस) के परीक्षा परिणाम कनीना खंड के कई स्कूलों ने बाजी मारी है।
 राजकीय माध्यमिक विद्यालय कपूरी के 2 छात्राओं बेबिका तथा वर्षा ने सफलता प्राप्त की है और गांव का नाम रोशन किया है। स्कूल के मुख्याध्यापक रामनिवास ने बताया अध्यापकों की मेहनत का यह परिणाम है। उधर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बेवल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय मींस कम मेरिट स्कालरशिप परीक्षा में सफलता हासिल की है। प्राध्यापक सतबीर सिंह ने बताया कि सुफल विद्यार्थियों में खुशी, देवराज, करण सोनी, वनिष्का, सुमित कुमार एवं नैंसी प्रमुख
है। यहीं नहीं खंड के गांव खरखड़ाबास के मुख्याध्यापक कृष्ण सिंह ने बताया कि उनका एक विद्यार्थी सफल हुआ है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय करीरा की प्राचार्य डा सुविरा यादव ने बताया कि उनके विद्यालय से 2 विद्यार्थियों का चयन हुआ है। राजकीय माध्यमिक विद्यालय रामबास के 2 विद्यार्थियों का चयन हुआ है। इस प्रकार विद्यार्थियों के चयन होने पर सरकारी स्कूलों में उत्साह है। खंड शिक्षा अधिकारी अभय राम ने बताया की राष्ट्रीय मींस कम मेरिट स्कोलरशिप परीक्षा एनसीईआरटी गुडगांव द्वारा आयोजित की गई थी और इस परीक्षा में खंड के कई स्कूलों के विद्यार्थियों ने नाम कमाया है। उन्होंने विद्यार्थियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
 फोटो कैप्शन: बेबिका और वर्षा राजकीय माध्यमिक विद्यालय कपूरी की छात्राएं।



बुजुर्गों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म-आभा

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कनीना। बुजुर्गों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म होता है। यदि बुजुर्ग नहीं होते तो आज हमें धरती पर वो सुख सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती जो मिल रही हैं। ये विचार
बतौर मोटिवेटर सहायक प्रोफेसर आभा ने राजकीय महिला महाविद्यालय उन्हाणी में चल रहे सात दिवसीय एनएसएस शिविर में ने 50 एनएसएस स्वयंसेविकाओं को व्यक्त किए।
 उन्होंने इस मौके पर स्वच्छता के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि स्वच्छता सबसे बड़ी सेवा है। जहां स्वच्छता होती है भगवान निवास करते हैं, देवता बसते हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता पर विशेष ध्यान हम सभी की जिम्मेवारी बनती है। उन्होंने व्यक्तित्व निर्माण में के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि इंसान का व्यक्तित्व ही वो आईना है जो दूसरों को लुभाता है। यदि व्यक्तित्व शानदार होगा तो सफलता हर क्षेत्र में संभव है। उन्होंने बुजुर्गों का सम्मान करने पर विशेष बल दिया और कहा कि बुजुर्ग होने पर उनकी कुछ विशेष आवश्यकताएं होती है। उनकी मदद करनी चाहिए।
 इस अवसर पर प्राचार्य डा विक्रम सिंह ने कहा कि बताया कि इस बार निदेशक हायर एजुकेशन के आदेशानुसार विद्यालय के 50 स्वयंसेविकाओं ने अपने आसपास के 50 बुजुर्गों की एक साल की अवधि में सेवा करनी है। जहां श्रमदान करना है वहीं बुजुर्गों की सेवा करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्वयं सेविका एक बुजुर्ग की एक साल तक सेवा करेंगी, उनकी विभिन्न आवश्यकताओं के लिए मदद करेंगी, महाविद्यालय के शिक्षक उन बुजुर्गों से फीडबैक लेंगे। जहां स्वयंसेविकाएं बुजुर्गों द्वारा उनके बीताए जीवन के बारे में जानकारी हासिल करेंगी, उनकी बेसिक आवश्यकताओं के लिए उनकी मदद करेंगी, उनके विगत समय की जानकारी हासिल करके प्रेरणा भी लेंगी। इस मौके पर महाविद्यालय के शिक्षक उन बुजुर्गों से फीडबैक लेते रहेंगे। उन्होंने बताया स्वयंसेविकाओं ने खेल के मैदान लान आदि की स्वच्छता अभियान चलाया है। पौधारोपण कार्यक्रम भी चला रखा है।  श्रमदान एक विशेष अभियान के रूप में चलाया हुआ है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में जहां मरीजों की सेवा के लिए भी उनकी बात चल रही है। महाविद्यालय की स्वयंसेविकाएं समय समय पर मरीजों की सेवा करने के लिए जाएंगी।
इस अवसर पर एनएसएस की छात्राओं ने विद्यालय प्रांगण की सफाई की और श्रमदान भी किया। इस मौके पर डा कांता एनएसएस प्रभारी, सुधीर कुमार, सीमा, कविता, धनेश, अनिल कुमार, हरपाल आदि महाविद्यालय स्टाफ उपस्थित था।
 फोटो कैप्शन पांच: श्रमदान करती हुई स्वयं सेविकाएं।

अधेड़ की मौत

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कनीना। सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई। दौंगड़ा चौकी में मामला दर्ज कर लिया है।
मिली जानकारी अनुसार दौंगड़ा अहीर -मुडिया खंड़ा के बीच अधेड़ सुशील  मुंडिया खेड़ा निवासी की मौत हो गई। सुशील मेवात में गेस्ट टीचर  लगा हुआ था। वह अपने गांव मुंडिया खेड़ा से दोंगड़ा अहीर की तरफ जा रहा था तो एक हाईवा ट्रक की टक्कर लगने के बाद उसकी मौत हो गई।

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