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Saturday, February 8, 2020


नौवीं कक्षा में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्ष आयोजित 

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 कनीना। जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में 9वीं कक्षा में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा संपन्न हुई जिसमें 370 विद्यार्थियों ने 23 रिक्त सीटों के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था किंतु उनमें से 87 अनुपस्थित रहे।
  सुरेश कुमार प्राचार्य जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा ने बताया कि 283 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी है। 87 विद्यार्थी अनुपस्थित रहे। पूरे ही महेंद्रगढ़ जिला में केवल एकमात्र परीक्षा केंद्र जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में ही रखा गया था। उन्होंने बताया कि सरकारी एवं मान्यताप्राप्त स्कूलों में आठवीं कक्षा में शिक्षा पा रहे विद्यार्थी इस परीक्षा में बैठे थे तथा उन्हें नौवीं कक्षा में रिक्त सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि विद्यालय 23 सीट रिक्त हुई है जिन पर यह परीक्षा आयोजित की गई है। पूरे जिले से विद्यार्थियों ने प्रवेश परीक्षा में भाग लिया। परीक्षा शांतिपूर्वक संपन्न हो गई। परीक्षा परिणाम का अब परीक्षार्थी इंतजार करेंगे।
 प्राचार्य ने बताया कि छठी कक्षा में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा जनवरी माह में पूरे ही भारत में आयोजित हुई थी। उसका भी परिणाम अभी आना है। जिला महेंद्रगढ़ में एकमात्र जवाहर नवोदय विद्यालय है जो कनीना से दो किमी दूर करीरा में स्थित है। इसमें प्रवेश के लिए प्रतिवर्ष परीक्षा आयोजित होती है।
 फोटो कैप्शन एक: जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में प्रवेश परीक्षा देते विद्यार्थी।

लड़की गायब होने का मामला दर्ज

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कनीना। कनीना खंड के गांव बेवल से एक युवती  6 फरवरी से गायब है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
युवती के पिता हनुमान सिंह पुत्र छोटेलाल कनीना पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि उनकी पुत्री 6 फरवरी को सुबह आठ बजे नारनौल जीवन रेखा क्लीनिक पर काम करने के लिए निकली थी वहीं पर वह काम करती है किंतु अभी तक लौटकर नहीं आई है। काफी छानबीन की गई है किंतु अभी तक कोई अता पता नहीं चला है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

लोक अदालत में सुलझाए मामले

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कनीना। कनीना न्यायिक परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रतीक जैन चेयरमैन सब डिविजनल लीगल सर्विस अथॉरिटी कनीना ने की इस लोक अदालत में प्री-लिटिगेटिव केस जो कि बैंक रिकवरी के होते हैं जिनमें कुल 26 केस लगाए जिनमें से एक का निपटारा हुआ और उससे 45 हजार रुपये की रिकवरी हुई।
 इसी कोर्ट में 104 केस बतौर रेगुलर केस के लोक अदालत में रखें जिनमें से 58 केसों का निपटान हुआ। जिनमें से 138 जो कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट होता है उसके 12 केस रखे गए जिनमें से आठ का निपटारा हुआ। बैंक रिकवरी के 51 केस रखे गए जिनमें से 23 का निपटान हुआ। मोटर व्हीकल एक्ट के 20 केस रखे गए जिनमें से 10 का निपटारा हुआ और मिसलेनियस एप्लीकेशन विविध 21 केस रखे गए जिनमें से 17 का निपटारा हुआ। न्यायालय में कुल 130 केस कनीना अदालत में रखे गए थे जिनमें से 59 केसों का निपटारा हुआ और 59 हजार एक सौ रुपये की रिकवरी हुई।
 जहां मौके पर कोर्ट स्टाफ की तरफ से रीडर शेर सिंह, नीरज शर्मा नाजिऱ और धीरज कुमार अहलमद व थावर सिंह पीएन मौजूद रहे वहीं मौके पर अधिवक्ता ओपी रामबास, राजेंद्र करीरा पीके बंसल, संदीप सिंह, कंवर सिंह सीहोर व माडू सिंह मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 2: लोक अदालत में केसों की सुनवाई करते न्यायाधीश प्रतीक जैन।


ग्रामीण स्कूलों के शिक्षक हैं परेशान 

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कनीना।  क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्कूलों के शिक्षक अति परेशान है क्योंकि आजकल सभी डाक तथा अन्य जानकारी नेट के जरिए भेजनी होती है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में न तो बिजली की सुविधा है और ना ही नेट बेहतर कार्य करते हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर चलाना दुष्कर काम बन गया है।
 शिक्षकों ने बताया कि दिन के समय बहुत कम समय बिजली आती है।  शिक्षकों ने बताया कि अधिकांश डाक बनाना तथा अन्य विभाग की गतिविधियां आनलाइन ही करनी पड़ती है किंतु आनलाइन डाक की सूचना भेज पाना अति दुष्कर बन गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की सुविधा नहीं होती जिससे समय पर विभाग द्वारा मांगी जानकारी नहीं भेजी जा सकती। एक और आए दिन शिक्षा विभाग नए नए फरमान जारी करके आंकड़े आनलाइन करवाना चाहते हैं किंतु छोटे स्कूलों के शिक्षक अपने वेतन से पैसे कटवाकर वेतन बिल बनवाने को मजबूर है वहीं अन्य प्रकार के आंकड़ों के लिए भी अपनी जेब से धन खर्च कर रहे हैं। आनलाइन आंकड़े करवाने के लिए भी उनके पास कोई बजट नहीं होता। उन की जेब पर ही भार पड़ रहा है। शहरी क्षेत्रों में जाकर ही आनलाइन आंकड़े करवाने पड़ते हैं जिसके लिए उनका धन और समय बर्बाद भी होता है। एक और जहां ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों के शिक्षक परेशान है वही शहरों में स्थित कंप्यूटर संचालक सरकार की कार्रवाई से प्रसन्न है क्योंकि अधिकांश आंकड़े जब आनलाइन किए जाते तो वह मोटी फीस ले कर के ही आंकड़े आनलाइन करते हैं। यही नहीं वेतन के बिल बनवाने के लिए तथा किसी प्रकार के अन्य बिलों के लिए शिक्षक जेब से पैसे खर्च कर रहे हैं। यही हालात बायोमेट्रिक मशीन की है। कई स्कूलों में ये मशीन खराब पड़ी हैं।


आर्य समाज वार्षिक उत्सव 29 से 

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 कनीना। आर्य समाज रसूलपुर के तत्वावधान में आर्य समाज का वार्षिकोत्सव 29 फरवरी से शुरू होगा जो 1 मार्च तक चलेगा। विस्तृत जानकारी देते हुए सतीश आर्य, आर्य समाज रसूलपुर ने बताया कि इस मौके पर जगदेव सिंह चेयरमैन एसडी स्कूल ककराला, संतोष यादव पूर्व डिप्टी स्पीकर, भगत सिंह चेयरमैन शारदा हेल्थ केयर अतिथि होंगे वही यज्ञ, भजन उपदेश, ऋषि लंगर भी आयोजित किए जाएंगे। इस मौके पर कुलदीप आर्य, कल्याणी आर्या, वेद पाल शास्त्री भजनोपदेशक होंगे।



अभी भी महंगा है दूध 

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कनीना। सर्दियों के इस मौसम में भी दूध अभी महंगा चल रहा है। जहां डेरियो का दूध भी 60 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है वही गर्मियों में इसके और भी बड़े बढऩे के आसार है। जहां क्षेत्र में पशुधन कम नहीं हुआ है किंतु सर्दी अधिक पडऩे से कुछ दूध जरूर कम हुआ है। किंतु आ है किंतु दूध के भाव अभी भी सर्दियों में महंगे हैं।
 जहां देसी घी 700 रुपये से 800 रुपये प्रति किलो पहुंच चुका है। वहीं दूध भी ग्रामीण क्षेत्रों में। 50 से 60 रुपये के बीच बिक रहा है। सर्दिया समाप्त होने के बाद गर्मियों में दूध और भी महंगा होने के आसार हैं। डेयरी संचालक सत्य प्रकाश ने बताया कि वर्तमान में 73 रुपये पचास पैसे प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीद रहे हैं। वहीं कुछ जानी मानी कंपनियों का दूध की थैलियां 60 रुपयेे प्रति लीटर बेच रही है।पशु पालक अजीत कुमार, कृष्ण कुमार ने बताया कि इस बार सर्दियां अधिक पड़ी है। जिसके चलते पशुओं का थोड़ा बहुत दूध कम हुआ है किंतु इसका प्रभाव दूध की महंगाई पर नहीं नहीं पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस वक्त सभी पशु चारे महंगे हैं इसलिए दूध भी महंगा हो रहा है। गर्मियों में यह दूध अधिक महंगा हो सकता है। उधर वरिष्ठ पशु चिकित्सक महेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार पशुधन कम नहीं हुई है। थोड़ी अधिक सर्दी पडऩे से दूध पर प्रभाव पड़ सकता है।
किसान सुबह सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि वे पशु पालते हैं जिनके लिए चारे का प्रबंध करना होता है। चारा महंगा होने से दूध भी महंगा चल रहा है।


वृक्षों की सेवा में जुटे हैं सुरेश कुमार
 कनीना। करीरा के सुरेश कुमार पेंटर जहां पेंटिंग में नाम कमा चुके हैं वहीं वे वर्षों से पेड़ों की सुरक्षा में लीन है। उनकी एक वाटिका पंचवटी वाटिका नाम से प्रसिद्ध है। इसमें लगाए गए पेड़ अब बड़े हो गए हैं और उनकी देखभाल में अभी से जुट गए हैं।
करीरा के प्रसिद्ध जंगल राजा वाली बनी नाम से जानी जाती है जहां तक पहुंचने के लिए पक्का मार्ग वर्तमान सरपंच राकेश कुमार ने निर्मित करवा दिया है। इसी सड़क मार्ग पर जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के पीछे उनकी एक छोटी सी वाटिका है जिसका नाम पंचवटी वाटिका है। इस वाटिका में जहां उन्होंने कनेर, बेलपत्र, सेमल, नीम, कीकर आदि युग आ रखे हैं वहीं गुजरने रोड के साथ-साथ भी अब उन्होंने पेड़ पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। जहां भी वो जाते हैं लोगों से विवाह शादी, किसी उत्सव या किसी बुजुर्ग की मृत्यु पर उनके परिजनों, सरकारी सेवा में लगने पर उनके हाथों से एक एक पेड़ लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं। उन्हें नियमित पानी देना तथा उनकी कटाई छटाई करने जिम्मेदारी उन्हीं पर है। सुरेश कुमार के पिता निहाल सिंह पेंटिंग के रूप में प्रसिद्ध है वही सुरेश कुमार भी अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पेंटिंग में नाम कमा चुके हैं। उनका एक ही सपना विगत 15 वर्षों से चला आ रहा है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए और उन्हें भी वृक्ष मित्र नाम से जाना जाए। इसलिए दिन रात जुटे हुए हैं। कई बार अपनी इस सेवा के बल पर सम्मानित हो चुके हैं।
उन्होंने वर्तमान में पेड़ों की जड़ों में पानी डालने के लिए तैयारी शुरू कर दी है तथा 23 फरवरी को जहां राजावाली बनी में लगने वाले हनुमान मेले के समय तक इस मार्ग को हरा-भरा बनाना चाहते हैं। उनका कहना है कि इस बार जहां सर्दी अधिक पढऩे से अधिकांश पेड़ों की पत्तियां खत्म हो गई है। किंतु जल्दी इन पर पत्तियां लौट आएंगी। जहां पंचायत भी उनका पूरा सहयोग कर रही है वहीं वे पानी डालकर पेड़ों की देखरेख कर रहे हैं। उनके दोस्त भी इस काम में हाथ बंटा रहे हैं। उनका कहना है कि पेड़ की देखभाल एक बच्चे के समान करनी पड़ती है। पंचायतों तथा विभिन्न लोगों से उनको सहयोग मिल रहा है और उनके काम को की प्रेरणा दूरदराज तक पहुंच रही है।
 सुरेश कुमार का कहना है कि आने वाले समय में यदि कोई वस्तु संसार को सुरक्षित रख सकती है तो पेड़ पौधे हैं। इसलिए पेड़ पौधों की अधिक से अधिक लगाए जाने की मांग कर रहे हैं और स्वयं भी पेड़ पौधे लगा रहे हैं। उनके साथ ही सहयोगी भी उसके इस काम में मदद कर रहे हैं।
फोटो कैप्शन 3: पेड़ पौधों की देखभाल सुरेश कुमार।

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