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Thursday, February 27, 2020

 न्यायिक परिसर कनीना में जल्द ही बनने की पूरी उम्मीद
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 कनीना। चिरप्रतिक्षित कनीना की प्रस्तावित जमीन पर ही लघु सचिवालय एवं न्यायिक परिसर बनाए जाने की मांग जल्द ही पूरी होने के आसार बन गए हैं। विगत दिनों प्रदेश के विभिन्न अधिकारियों के अतिरिक्त पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हरिपाल वर्मा के पहुंचने के बाद आशा अधिक बनी है।
 इससे पूर्व सेशन जज भी दौरा कर जगह का मुआयना कर चुके हैं। मुख्यमंत्री हरियाणा द्वारा 3 मार्च 2019 को चंडीगढ़ से ही कनीना के इन कार्यालयों को उद्घाटन कर दिया था।
  वर्ष 2012 में पूर्व सीपीएस एवं पूर्व विधायक अटेली ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा था कि कनीना उपमंडल बनाने का प्रयास करेगी। उस वक्त कनीना महज उप-तहसील होता था। 12 मई 2013 को अटेली में आयोजित प्रगति रैली में पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कनीना को उपमंडल का दर्जा देने की घोषणा की थी। तत्पश्चात 2014 में कनीना उपमंडल संबंधित नोटिफिकेशन हो गया और 15 अगस्त 2014 में कनीना की प्रथम एसडीएम सुमीता ढाका ने अनीता यादव पूर्व सीपीएस के संग उपमंडल स्तर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। पहले पीपल वाली बणी में जहां पर्याप्त जगह उपलब्ध है न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय बनाने की बात चली जो अपरिहार्य कारणों से जमीन उचित नहीं समझी और तत्पश्चात कालर वाली जोहड़ नजदीक बस स्टैंड की जमीन पर न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय बनाने की बात चली वह भी खटाई में पड़ गई।
   जो भी अधिकारी साइट देखने आने लगे वे कनीना एवं उन्हाणी दोनों साइट देखने जाते थे कनीनावासी कनीना की जमीन पर ही ये कार्यालय बनवाने के हक में थे अन्यत्र नहीं। वैसे भी वर्ष 2015 में वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कनीना महाविद्यालय में एक सभा में कनीना नगर पालिका क्षेत्र में ही न्यायिक परिसर और लघु सचिवालय बनाए जाने की बात कही थी। लघु सचिवालय एवं न्यायिक परिसर जो कनीना से बाहर जाता देख कनीना वासियों ने 21 फरवरी 2017 से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया आंदोलन करीब 65 दिन 25 अप्रैल 2017 तक जारी रहा।
उनके आंदोलन को समाप्त करने में राव इंद्रजीत सिंह केंद्रीय मंत्री का योगदान जरूर रहा है उन्होंने ही आश्वासन देकर कनीना के लोगों को आंदोलन से उठाया था किंतु इसी दौरान 14 अगस्त 2018 को कनीना की प्रस्तावित न्यायिक परिसर की जमीन पर डॉ भीमराव अंबेडकर लाइब्रेरी बनानी शुरू हुई तो फिर से जंग शुरू हो गई। कनीना के कुछ व्यक्तियों ने जिनमें महेश बोहरा सहित कुछ लोगों ने लाइब्रेरी बनाने पर रोक लगानी चाही और मामला भी दर्ज हो गया था। वर्ष 2017 से संशय चलता रहा कि न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय कहां बनाया जाएगा किंतु 8 जनवरी 2019 को मार्केट कमेटी चेयरमैन राजकुमार कनीनवाल के हाउस पर तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री राव नरबीर सिंह तथा पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने स्पष्ट कर दिया था कि न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय कनीना की प्रस्तावित जगह पर ही बनाया जाएगा। लेकिन कनीना बस स्टैंड की प्रस्तावित जगह पर दोनों कार्यालय निर्माण में 154 दुकानदारों ने ऐतराज करने पर मामला खटाई में पड़ता नजर आया। इनमें से कुछ दुकानदार तो पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में पहुंच गए जिसके बाद कुछ दिन मामला शांत रहा।
  लंबे समय तक इंतजार करने के बाद एक बार फिर से वर्ष 2020 में मामला फिर से उठने लगा और फरवरी 2020 में जिला उपायुुक्त नारनौल ने जमीन के कागज आदि मंगवाए और जगह का निरीक्षण प्रारंभ किया गया। उसी कड़ी में सेशन जज नारनौल भी आए और जगह का निरीक्षण किया गया। विगत दिनों पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कनीना के स्थानों का दौरा किया जहां न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय बनाए जाने की संभावना है। तत्पश्चात तो गतिविधियां तेज होती जा रही हैं और माना जाता है कि जल्द ही कनीना पालिका की जमीन पर ये दोनों कार्यालय निर्माण कार्य शुरू हो जाएंगे। वर्तमान में ये दोनों कार्यालय बस स्टैंड के पास बीडीपीओ कार्यालय के पास चल रहे हैं।
  उधर कनीना की पालिका प्रधान सतीश जेलदार, पालिका के पूर्व प्रधान मा दलीप सिंह, पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा तथा समाज सेवी महेश बोहरा, सुमेर सिंह चेयरमैन आदि ने आश्वस्त होकर कहा कि जल्द ही कनीना में ये कार्यालय निर्माण शुरू हो जाएगा।
  कनीना का महिला कालेज उन्हाणी में बनकर शुरू हो चुका है वहीं 50 बेड का अस्पताल बनकर कभी का तैयार है , कनीना की सब्जी मंडी, फायर ब्रिगेड, अनाज मंडी चेलावास गांव में बनने जा रहे हैं और काम प्रगति पर है। लंबे समय से कनीनावासी न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय बनने की बांट जोह रहे हैं। 



 श्याम बाबा का विशाल जागरण 29 फरवरी को 

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कनीना। श्रीश्याम मित्र मंडल (रजिस्टर्ड) कनीना मंडी द्वारा 29 फरवरी को छठा विशाल जागरण आयोजित किया गया है।
 विस्तृत जानकारी देते हुए श्रीश्याम मित्र मंडल के प्रधान अनिल गर्ग ने बताया कि 29 फरवरी को कनीना मंडी में विशाल जागरण आयोजित किया गया है विमल दीक्षित, ज्ञान पंकज दिल्ली, विकास जांगड़ा, सुनीता गोयल, सचिन शर्मा कनीना प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि विगत छह वर्षों से इस प्रकार का जागरण आयोजित किया जाता रहा है और इस बार भी यह जागरण आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने श्याम भक्तों से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक संख्या में श्याम जागरण में पहुंचकर भक्ति भजनों में आनंद ले। इस मौके पर छप्पन भोग, अलौकिक शृंगार, भव्य दरबार, अखंड ज्योति, पुष्प वर्षा के दृश्य अनोखे होंगे। 29 फरवरी को निशुल्क जांच शिविर आयोजित किया गया है जिसमें डा केके नागर अस्पताल रेवाड़ी से डाक्टरों की टीम पहुंच रही है।
        उन्होंने बताया कि चार मार्च को श्याम मंदिर कनीना से जैतपुर धाम तक की पदयात्रा रवाना होगी वहीं दूसरी पदयात्रा छह मार्च को कनीना मंडी के राधाकृष्ण मंदिर से श्रीश्याम मंदिर कनीना तक पहुंचेगी।

आर्य समाज वार्षिक उत्सव 29 से 

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 कनीना। आर्य समाज रसूलपुर के तत्वावधान में आर्य समाज का वार्षिकोत्सव 29 फरवरी से शुरू होगा जो 1 मार्च तक चलेगा। विस्तृत जानकारी देते हुए सतीश आर्य, आर्य समाज रसूलपुर ने बताया कि इस मौके पर जगदेव सिंह चेयरमैन एसडी स्कूल ककराला, संतोष यादव पूर्व डिप्टी स्पीकर, भगत सिंह चेयरमैन शारदा हेल्थ केयर अतिथि होंगे वही यज्ञ, भजन उपदेश, ऋषि लंगर भी आयोजित किए जाएंगे। इस मौके पर कुलदीप आर्य, कल्याणी आर्या, वेद पाल शास्त्री भजनोपदेशक होंगे।




गर्मियों में पक्षियों के लिए हो पानी का प्रबंध 

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कनीना। गर्मियों में वन्य जीवों को बचाने के लिए पानी का प्रबंध किया जाए। ये विचार पीपूल फार एनिमल के उप प्रधान राजेंद्र सिंह के हैं। उन्होंने कनीना में अपने साथियों को आने वाले गर्मी के दिनों में पक्षियों की रक्षा करने की शपथ ली।
 उन्होंने कहा कि गर्मी ने दस्तक देने जा रही है वहीं सरसों की फसल की कटाई शुरू हो जाएगी। गर्मी के दिनों में पक्षियों को दूर दराज तक पानी एवं चुग्गा नहीं मिलता है जिसके चलते उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में वर्षों से पक्षियों के लिए जल एवं चुग्गा का प्रबंध करते आ रहे राजेंद्र सिंह ने यह बीड़ा उठाने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि जब गर्मी के दिनों में इंसान की हालात बदहाल हो जाती है तो पानी के बगैर पक्षियों पर क्या बीतती होगी? उन्होंने पीएफए के सदस्यों सहित सभी जीव प्रेमियों से प्रार्थना की है कि वे अपने घरों, घरों के आस पास, जंगलों में पानी के बर्तन पेड़ों से टंगवाएं।
करीरा के निवासी एवं पीएफए के सदस्य बालकिशन का कहना है कि वे अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए चुग्गे का प्रबंध करेंगे तथा पानी के बर्तन रखवाएंगे। उन्होंने कहा कि पक्षियों की सुरक्षा से उनकी सुरक्षा संभव है। उन्होंने भी अपने गांव में जितना हो सके पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करने का निश्चय लिया है।
 अजीत कुमार किसान का कहना है कि वे अपने ट्यूबवेल पर रहते हैं और गर्मियों में ट्यूबवेल से खेत में खाली जगह पर पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करेंगे वहीं पक्षियों के लिए पेड़ों पर झावली टांगेंगे। उनका कहना है कि वे पक्षियों के लिए ही नहीं अपितु लोगों के लिए भी प्याऊ लगाते आ रहे हैं। उनका कहना है कि वन्य जीव भी शृंखला का एक अंग होते हैं।
 सुनील कुमार बिसोहा के निवासी हैं तथा समाजसेवा में अग्रणी हैं। उनका कहना है कि वे तो वर्षों से अपने खेत में जीवों के लिए जल का प्रबंध करते आ रहे हैं। छत पर भी जल तथा चुग्गे का प्रबंध करेेंगे। उनका कहना है कि उनके पूर्वज कभी से पक्षियों के लिए जल का प्रबंध करते आए हैं। उन्होंने सभी से प्रार्थना की कि वे भी पक्षियों के लिए जल का प्रबंध करें।
 किसान सूबे सिंह का कहना है कि जब जीव ही नहीं रहेंगे तो इंसान भी नहीं बच पाएगा। उनके अनुसार इंसान तो जल का प्रबंध जैसे तैसे अपने लिए कर लेता है किंतु पक्षी बेचारे कर नहीं पाते हैं। कुएं एवं जोहड़ जंगलों से लुप्त हो चुके हैं। ऐसे में उनके प्राण संकट में पड़ जाते हैं। उनके प्राणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इंसान की है।
फोटो कैप्शन:सूबे सिंह, सुनील कुमार, राजेंद्र सिंह, बालकिशन


जल्द ही बदलने वाले हैं कनीना मंडी के दिन

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  सरसों की आवक होने में महज एक पाक्षिक समय
कनीना। अनाज खरीद के वक्त नंबर वन पर रहने वाली कनीना की अनाज मंडी अब सुनसान पड़ी है। खरीद में मदद करने वाले आढ़ती अब एक पाक्षिक का इंतजार करेंगे। रबी एवं खरीफ फसल पैदावार के बाद ही रौनक बढ़ती है। एक पखवाड़े के बाद सरसों की आवक होने से मंडी में रौनक बढ़ जाएगी। आढ़ती बेसब्री से कर रहे हैं अनाज आवक का इंतजार। 25 मार्च तक सरसों की आवक शुरू होने की संभावना है। 40 आढ़ती किसानों के आने का इंतजार कर रहे हैं।
  किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। आज कनीना के सामान्य बस स्टैंड की ओर सघन क्षेत्र बनता जा रहा है और बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं कार्यालय कनीना मंडी से बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं।
 वर्तमान में कनीना मंडी में रेलवे स्टेशन, कुछ बैंक शाखाएं, हैफेड, मार्केट कमेटी, वेयर हाउस, खंड कृषि अधिकारी कार्यालय स्थित हैं और बाकी सभी कार्यालय बस स्टैंड की ओर अधिक हैं। यही कारण है कि कनीना मंडी में चहल कदमी अनाज आवक के समय ही बढ़ती है बाकी समय सूनी सूनी पड़ी नजर आती है।
  कनीना मंडी से आढ़ती रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि जब गेहूं या सरसों की आवक होती तो चहल पहल बढ़ जाती है वहीं गेहूं की खरीद के वक्त भी चहल पहल बढ़ जाती है। शेष समय में मंडी के व्यापारी ग्राहक कम और धूल अधिक फांकते हैं। सितंबर माह के अंत में बाजरे की आवक शुरू होती है तो मार्च माह में सरसों एवं अप्रैल माह में गेहूं की आवक होती है।  कनीना की मंडी पुरानी होने के कारण आज भी कनीना मंडी के नाम से कनीना को जाना जाता है। लंबे समय के बाद कनीना मंडी में बाजरा एवं सरसों की खरीद विगत दो वर्षों से शुरू हुई है। सरसों की कटाई चलने वाली है। कनीना अनाज मंडी के रविंद्र बंसल उप प्रधान व्यापार मंडल का कहना है कि कनीना मंडी के व्यापार मंडल के उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि सरसों का समर्थन मूल्य 4425 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 2000 रुपये प्रति क्विंटल है। गेहूं की कटाई अप्रैल प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाएगी।
फोटो कैप्शन 1: कनीना की सूनी पड़ी अनाज मंडी




खाटू श्याम के लिए भारी संख्या में भक्त रवाना

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कनीना। हरियाणा की सीमा से लगते राजस्थान में रिंगस से करीब 17 किमी दूर खाटूश्याम धाम पौराणिक इतिहास को समेटे हुए है। यूं तो इस धाम पर वर्ष भर भारी भीड़ चलती है किंतु दो बार तो कई लाख भक्त पहुंचते हैं। फाल्गुन शुक्ल एकादशी (06 मार्च)को जो मेला लगता है उसमें अपार जनसैलाब उमड़ता है। यहां कई दिनों पूर्व ही भक्तजन आकर ध्वज चढ़ाने लग जाते हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलावा पंजाब के बेशुमार भक्तजन पदयात्रा करके इस धाम पर पहुंचते हैं। 06 मार्च को यह मेला लगने जा रहा है। पदयात्रियों का जाना शुरू हो गया है। 06 मार्च तक भक्तजन पदयात्रा पर चलते रहेंगे।
ठहराव-
यूं तो देश ही तीज त्योहारों का देश है यहां समय समय पर प्रसिद्ध मेले लगते हैं लेकिन राजस्थान में खाटूश्याम धाम पर मेला अति दर्शनीय है। राजस्थान के भरने वाले प्रसिद्ध मेले के श्रद्धालुओं के लिए गांव-गांव में ठहरने के लिए शिविर लगाये जाते हैं। श्याम बाबा को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं व भक्तों को यहां ठहराकर प्रबंधक विभोर हो जाते हैं। वहीं भक्तों की अच्छी सेवा की जाती है। किसी भी भक्त को रास्ते में कोई परेशानी नहीं आती है। वैसे भी भारी संख्या में भक्त विशेषकर महिलाएं अधिक जाती हैं। रास्ते में नहाने, खाने एवं दवाओं को शिविरों में भी बेहतर प्रबंध होता है।
तैयारी-
खाटूश्याम जाने  के लिए एक डंडे पर सवा मीटर का कपड़ा जो खाटू ध्वज के नाम से जाना जाता है को पूजा अर्चना करने के बाद धारण किया जाता है और रास्ते में किसी कपड़े आदि या साफ जगह पर ही रखा जाता है। सुबह सवेरे खाटू की पूजा करके ही ध्वज को लेकर आगे बढऩा चाहिए। सफाई के साथ-साथ मन एवं वचन से पूरे रास्ते शुद्धता का ख्याल रखना चाहिए। जहां कांवर के कठोर नियम होते हैं वहीं खाटूश्याम के नियम लचीले होते हैं। साबुन, तेल, ब्रश आदि की जा सकती है। क्योंकि अधिकांश रास्ता ट्रैक के साथ-साथ होकर गुजरता है। ऐसे में भक्तों को ट्रेन का ध्यान रखना जरूरी है। 




जिले भर में प्रसिद्ध है कनीना का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय 

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 कनीना। स्टेडियम तथा सभी सुविधाओं से युक्त कनीना का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय न केवल भवन के मामले में अपितु बेहतरीन पार्क एवं पेड़ पौधों के बारे में जाना जाता है। यहां हजारों जिला शिक्षा अधिकारी, डाक्टर, वकील, प्रोफेसर लेक्चरर, प्राध्यापक ,पत्रकार पढ़कर निकले हैं। 1984 में बणी(जाल पेड़) में यह विद्यालय तैयार किया गया था। तत्पश्चात लगातार अपनी बुलंदियों को छूता जा रहा है। विद्यालय में जहां बस स्टैंड के पास स्कूल का स्टेडियम भी है जहां समय-समय पर विभिन्न खेल कूद एवं अन्य गतिविधियां आयोजित होती रहती हैं। इस विद्यालय में जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की न्यू एजूकेशन पालिसी 1986 के तहत कक्षाएं बैठाई गई थी। विद्यालय में दो समानांतर लाइनों में बेहतरीन 22 कमरे निर्मित हैं वहीं सुसज्जित लाइब्रेरी जिसमें हजारों पुस्तक के रखी हुई हैं जो विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ा रही हैं। पेड़ पौधों के मामले में इस विद्यालय का कोई मुकाबला नहीं है। अशोका के पेड़ जिस बेहतरीन तरीके से स्वर्गीय दीपचंद पहलवान चौकीदार ने लगाए थे वे आज भी उनकी याद दिला रहे हैं। जहां स्कूल कैंपस को चार बराबर भागों में बांटा गया है जिनमें  घास के लान लगे हुए हैं वहीं एक भाग में कक्षाएं तथा एक भाग प्रार्थना एवं सभाएं आयोजित होती रहती हैं। बाबा मोलडऩाथ सत्संग मंडल की ओर से बहुत बड़ा हाल भी यहां निर्मित किया गया है जहां खंड भर के विद्यालयों की मीटिंग आयोजित होती रहती हैं। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय भी इस विद्यालय भवन के पीछे बना हुआ है। जहां विद्यालय में बास्केटबाल का बहुत पुराना खेल का मैदान है वहीं दिव्यांग विद्यार्थियों (सीडब्ल्यूएसएन)का खंड स्तर का केंद्र  है जिनके लिए अन्य विद्यार्थियों से अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध है।
यहां विद्यालय में दो अलग ट्रेड आईटी तथा पीसीए(पेसेंट केयर अटेंडेंट) सरकार एवं शिक्षा विभाग शुरू किए हुए हैं। लिगल लिटरेसी क्लब बना हुआ है वही बालिका मंच भी गठित किया हुआ है। विद्यालय में एनसीसी एवं एनएसएस ,विज्ञान क्लब बने हुए हैं। इस विद्यालय में जहां वर्तमान में 400 के करीब विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे वहीं 50 के करीब प्राचार्य काम कर चुके हैं। पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी बीके सचदेवा यहां शिक्षण कार्य करने के बाद इस पद पर पहुंचे थे। विद्यालय जहां जहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है वही इस विद्यालय के बाहर के मुख्य द्वार पर पेंटिंग तथा अंदर जिस ढंग से पेंटिंग की हुई है वह भी आकर्षण का केंद्र है। उच्च विद्यालय में यदि जिला प्रशासन अधिक ध्यान दें विद्यालय जिलेभर में नंबर एक पर पहुंच सकता है।
विद्यालय में जहां कंप्यूटर युक्त कंप्यूटर लैब भी बनी हुई है वही वर्तमान में साइंस लैब, आर्ट एंड क्राफ्ट एवं स्टडी रूम निर्माणाधीन है। इस विद्यालय का बेहतरीन इतिहास रहा है।
 फोटो कैप्शन 1: विद्यालय की सुंदरता को दर्शाती हुई।



परीक्षाएं, मेले, लावणी तथा होली की चर्चाएं जोरों पर

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 कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां सरसों की लावणी शुरू होगी,मेलों की भरमार है, परीक्षाएं अपने पूरे यौवन पर चल रही है वही होली चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऐसे में अब जहां सर्दी कम होती जा रही है।  होली की चर्चाओं का दौर पूरे यौवन पर देखने को मिल रहा है।
 उल्लेखनीय कि कनीना क्षेत्र में जहां इस बार सरसों की करीब 20,000 की सरसों की बिजाई की गई है वहीं 12000 हेक्टेयर पर गेहूं की फसल लहलहा रही है। इस बार किसी प्रकार की फसल में कोई मार न होने से किसान खुश है और बंपर पैदावार होने की संभावना बनी हुई है। सरसों की कटाई शुरू निकट भविष्य में शुरू हो जाएगी।
उधर क्षेत्र में जहां परीक्षाओं का दौर भी शुरू हो गया है। विद्यार्थी परीक्षाओं में लगे हुए हैं। जहां कुछ परीक्षाएं शुरू हो गई है तो कुछ परीक्षाएं शुरू होने जा रही है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं 3 मार्च से शुरू होने जा रही हैं वहीं सीबीएसई की परीक्षा पहले से शुरू हो चुकी हैं। हरियाणा विद्यालय में शुरू हो चुकी है तथा कुछ शुरू होने जा रही है। ऐसे में परीक्षाओं का दौर भी पूरे यौवन पर है।
 कनीना क्षेत्र में मेलों की भरमार है। एक और जहां शिवरात्रि का बाघेश्वरी धाम पर मेला लग चुका है वहीं 06 मार्च को खाटू श्याम मेला तथा कनीना का मोलडऩाथ मेला लगने जा रहा है। ये दोनों ही मेले अहमियत रखते हैं तथा दूर दराज के भक्त इन मेलों में आते हैं। मेलों में भारी भीड़ जुटती है। किसानों को लावणी से तो विद्यार्थियों को परीक्षा से वहीं भक्तों को धार्मिक यात्राओं से फुरसत नहीं है।
उधर होली को लेकर भी चर्चाएं पूरे यौवन पर हैं। होली के खेल, होली की चर्चाओं का दौर जरी है।दस मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा।



एक दर्शनीय स्थल के रूप में उभर रहा है बाबा मोलडऩाथ आश्रम

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कनीना। कनीना का बाबा मोलडऩाथ आश्रम एक दर्शनीय स्थल के रूप में उभर रहा है। एक दर्जन मंदिर पास में निर्मित हो चुके हैं। बाबा मोलडऩाथ आश्रम में 6 मार्च को विशाल मेला लगने जा रहा है। बाबा स्थल को चार चांद लगाने के लिए बाबा के स्थल के पास ही अनेकों धार्मिक स्थलों का निर्माण होता जा रहा है। बाबा के आश्रम के पास ही 21 फुट ऊंची शिव प्रतिमा वाला शिवालय स्थित है। इस शिवालय का निर्माण शिवभक्त भरपूर सिंह ने निर्मित करवाया है जो हरिद्वार से 13 कावड़ लाकर शिवालय बाघोत में चढ़ा चुके हैं।  शिवरात्रि के दिन यहां तांता लगता है। पास में सीताराम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। सीताराम मंदिर के पास ही राधाकृष्ण का मंदिर बना हुआ है। बाबा आश्रम के पीछे सती समाधि भी बनी हुई है। पास में पानी से भरा जोहड़ है जहां कभी बाबा जल समाधि लेते थे। 
   बाबा आश्रम के नीचे वर्तमान में प्रकटीनाथ का आश्रम बना हुआ है जो बाबा के एक कमरे के निर्माण के वक्त प्रकट हुए थे।  बाबा के पास ही बाबा डूंगरमल की समाधि, खागड़ आश्रम, मंगलदेव की कुटिया, शहीद सुजान सिंह पार्क, बाबा हनुमान की 11 फुट ऊंची प्रतिमा वाला मंदिर, बाबा हनुमान का पुराना मंदिर, बाबा भैया स्थल, शनिदेव मंदिर, मां मंदिर, माता स्थल , राधाकृष्ण मंदिर बने हुए हैं जहां समय-समय पर लोगों का तांता लगा रहता है। बाबा आश्रम के पास ही बस स्टैंड का होना भी अहं भूमिका निभा रहा है। शहीद सुजान सिंह ने 1994 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का सफाया करते हुए शहादत दी थी जिन्हें मरणोपरान्त 'अशोक चक्रÓ से सम्मानित किया गया है। पार्क विभिन्न प्रकार के ंफूलों तथा घास के मैदान से सुशोभित है जो दर्शकों को आकर्षित कर लेते हैं। इसी पार्क में पुराना हनुमान मन्दिर स्थित है जहां मंगलवार को श्रद्धालुओं का तांता लगता है और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
बाबा के  जोहड़ के पास मंगलदेव कुटिया बनी हुई है। मंगलदेव तपस्वी साधुजन हुए हैं जिन्होंने कुअंा खुदवा कर पेय जल का प्रबंध करवाया था। मोलडऩाथ स्थल के पास बनवाया गया खागड़ आश्रम भी मनमोहक है। बाब डूगंरदास की समाधि भी बनी हुई है।  पास में विशाल खाटू श्याम मंदिर बरबस लोगों का मन मोह रहा है। यहां भी बाबा मोलडऩाथ मेले के साथ साथ मेला लगता है। पास में साईं बाबा का मंदिर सुशोभित है जो महाशिवरात्रि के दिन से आम जन के लिए खुल गया है। इस प्रकार कई धार्मिक स्थानों से परिपूर्ण बाबा मोलडऩाथ आश्रम दर्शनीय स्थल के रूप में उभर रहा है।
फोटो कैप्शन 2: बाबा मोलडऩाथ आश्रम एक दर्शनीय स्थल के रूप में।

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