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Thursday, November 11, 2021


 पीचसी दौंगड़ा का उद्घाटन
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कनीना। पी



एचसी दौंगड़ा अहीर का अटेली विधायक सीताराम यादव ने उद्घाटन किया। लंबे समय से इसका इंतजार था। इस मौके पर विभिन्न जन मौजूद थे।

 

 

 

स्कूल के सामने भरा है गंदा जल
-प्रशासन का ध्यान नहीं
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कनीना। खंड कनीना के निकटवर्ती ग्राम उच्चत के स्कूल के सामने भरे गंदे पानी से रास्ता अवरुद्ध हो रहा है जिसके कारण स्कूल में आने वाले बच्चे वह इस रास्ते से निकलने वाले लोगों के जी का जंजाल बना हुआ है। विभिन्न अधिकारी प्रतिदिन इस मार्ग से गुजरते हैं किंतु इस ओर उनका ध्यान नहीं जा रहा है।  
  वर्तमान में गांवों में विकास कार्य सचिवों के हाथ हैं किंतु चुनाव न हो पाने के चलते यह समस्या विकराल बनी हुई है। ग्रामीण रामू, धर्म सिंह, विनोद कुमार ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल के बच्चों की समस्या को देखते हुए स्कूल के द्वार के पास भरा गंदा जल हटाया जाए। ताकि बच्चे स्कूल में आ जा सके।
फोटो कैप्शन 11: स्कूल के सामने खड़ा गंदा जल।






गोपाष्टमी पर गौशालाओं में हुए कई कार्यक्रम
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कनीना। गोपाष्टमी के पर्व पर कनीना एवं आस पास गौशालाओं में कई कार्यक्रम संपन्न हुए। कहीं हवन आयोजित हुआ वहीं गायों की पूजा करके उन्हें मीठा चारा चराया गया।
  श्रीकृष्ण गौशाला कनीना, भोजावास में दिनभर गो सेवकों का तांता लगा रहा और गायों की सेवा की। इस मौके पर लोगों ने गायों के लिए विशेष मीठा भोजन बनाकर खिलाया। गौभक्त एवं गौशाला में कार्य कर रहे होशियार सिंह ने कहा कि गायों की सेवा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। गायों की सेवा के चलते भगवान श्रीकृष्ण गोविंद नाम से जाना जाता है। गाय को माता का दर्जा दिया हुआ है और उसमें सभी देवता निवास करते हैं। गायों की सेवा करने से संताप नष्ट होते हैं वहीं जिस घर में गाय पाली जाती है उस घर में कोई आपदा एवं गरीबी नहीं आती है। इस मौके पर दूर दराज से भक्तजन पहुंचे।
  गोपाष्टमी का पर्व मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। लालदास महाराज ने बताया  कि इंद्र का गर्व चूर करने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाए रखा था जिसके चलते इंद्र का गर्व आठवें दिन चूर चूर हो गया और वे भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आ गए थे। तभी से भगवान श्रीकृष्ण का नाम गोविंद पड़ा था। इस दिन भगवान की कामधेनु ने अपनी दुग्ध धारा से नहलाया था और भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की सेवा करने का वचन दिया था। तभी से यह पर्व चला आ रहा है।
  एक दूसरी कहानी सुनाते हुए सुरेंद्र जोशी ने बताया कि बलराम एवं श्रीकृष्ण ने गोकुल में गायों की सेवा करने का प्रशिक्षण लिया था और गोपाष्टमी के दिन माता यशोदा एवं नंद बाबा से आज्ञा पाकर गायों को जंगल में चराने का निर्णय लिया था। उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण की उम्र महज छह-सात वर्ष थी। उनके द्वारा गाए चराने पर ही उनका नाम गोपालक पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण जीवनभर गायों के रक्षक एवं सेवक बने रहे थे। यह भी माना जाता है कि राधा ने इसी दिन से जंगल में गाए चरानी शुरू की थी चूंकि लड़कियों को गाये चराने की अनुमति नहीं थी किंतु उन्होंने पुरुष ग्वाले के वस्त्र धारण किए और भगवान श्रीकृष्ण के साथ वन में गाए चराने निकल पड़ी थी।
 विभिन्न गौशालाओं में भी दिनभर भक्त गायों की सेवा करते, उनके लिए मीठा चारा देते, उनकी सेवा करते नजर आए। दान पुण्य दिनभर चलता रहा। भोजावास स्थित गौशाला में भी भक्तों ने गायों की सेवा की।






ब्लॉक स्तर के खेलों में स्वयंसेवकों की यूनिट ने निभाई अहं भूमिका
-जिला स्तरीय खेल 12 से ककराला में
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कनीना। एसडी स्कूल ककराला में खंड स्तर के खेलों के आयोजन के दौरान एनएसएस यूनिट के स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निदेशक जगदेव यादव ने बताया कि खेलों के दौरान स्वयंसेवकों ने अनुशासन व सफाई का विशेष ध्यान रखा, खेल के सभी मैदान तैयार किए, पानी की व्यवस्था बराबर बनाए रखी। खेलों के दौरान यदि किसी खिलाड़ी को चोट आ जाए तो इसके लिए प्राथमिक उपचार की व्यवस्था पहले से ही की गई। खेलों के दौरान किसी भी टीम या खिलाड़ी को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। स्वयं सेवकों ने पूरी व्यवस्था अंत तक बनाए रखी।
    उन्होंने बताया कि एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला में जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 12 नवंबर से 17 नवंबर 2021 तक किया जाएगा जिसमें एथलेटिक्स, हाकी, फुटबाल, कुश्ती, बाक्सिंग, जूडो और खो-खो आदि आयोजित होंगे। उन्होंने  सभी टीम व प्रतिभागियों को प्रात: निर्धारित स्थल पर आधार कार्ड, जन्मप्रमाण पत्र, पिछली कक्षा का रिपोर्ट कार्ड, दो फोटो, दाखिला रजिस्ट्रेशन की फोटो कापी और प्रवेश फार्म आदि सभी दस्तावेजों के साथ पहुंचना जरूरी बताया है।




जीएल कालेज की छात्रा रही भाषण में प्रथम
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कनीना। हरियाणा सहकारी विकास परिषद लिमिटेड पंचकूला की ओर से राजकीय महाविद्यालय कनीना में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता उप-प्राचार्य एसएस यादव ने की। भाषण प्रतियोगिता का विषय सहकारिताओं  द्वारा युवा उत्थान था। जिसमें 7 महाविद्यालयों के 24 छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
इसमें प्रथम इनाम 1100 रुपये की पुरस्कार राशि द्वितीय पुरस्कार 700 रुपये तथा तृतीय पुरस्कार 500 रुपये रखा गया था। प्रथम पुरस्कार जीएल वूमेन कालेज कनीना की छात्रा भारती, द्वितीय पुरस्कार राजकीय महिला महाविद्यालय अटेली की छात्रा नीरू तथा तृतीय स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय अटेली की पूनम रही।
इस मौके पर निर्णायक मंडल की भूमिका मे एडवोकेट अनीता चौहान,मास्टर रावत सिंह, प्रोफेसर संदीप अंग्रेजी रहे। आयोजन कर्ता सत्यनारायण यादव सहकारिता शिक्षा अनुदेशक ने ने सहकारिता के महत्व पर प्रकाश डाला तथा सरकार द्वारा दिए जाने वाली सहायताओं के बारे में भी अवगत कराया। कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर संदीप ककरालिया ने युवाओं के उत्थान में सहकारिता की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। इस मौके पर प्रो. हरिओम भारद्वाज, डा विनोद यादव डा यतेंद्र राव बलराज, अजय सोमबीर, कंवरपाल, दिनेश, तरुण सहित स्टाफ मौजूद रहा।
फोटो कैप्शन 7:भाषण प्रतियोगिता में अव्वल रहे विद्यार्थी।




तीन दिवसीय खंड स्तरीय खेल संपन्न
-तीसरे दिन 23 स्कूलों की टीमों ने लिया भाग
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कनीना। एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला में तीन दिनों से चल रहे ब्लाक स्तर के खेलों का समापन हो गया है। जिनमें 23 स्कूलों की टीमों की भागीदारी रही। कबड्डी में 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के लड़कों की 13 टीमें, 14 वर्ष तक की आयु वर्ग की लड़कियों की 10 टीमों ने भाग लिया। वहीं खो-खो में 9 टीमों की, बालीबाल में 10 टीमों की हैंडबाल में 09 टीमों की, फुटबाल में 07 टीमों की भागीदारी रही।
  निदेशक जगदेव यादव ने बताया कि 14 वर्ष तक आयु वर्ग के लड़कों में 100 मीटर की दौड़ में जीएलपी स्कूल कनीना का छात्र हर्ष कुमार प्रथम रामचन्द्र मेमोरियल स्कूल कनीना का छात्र मंजीत  द्वितीय स्थान पर रहा। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों में 100 मीटर की दौड़ में एसडी स्कूल ककराला की छात्रा आदिती प्रथम, आरआरसीएम स्कूल की छात्रा पायल  द्वितीय स्थान पर रही।
   इसी प्रकार 14 वर्ष तक की आयुवर्ग के लड़कों में 200 मीटर की दौड़ में एसडी स्कूल ककराला का छात्र आदित्य प्रथम, आरआरसीएम स्कूल का छात्र विशाल द्वितीय स्थान पर रहा।
14 वर्ष तक की आयु वर्ग की लड़कियों में 200 मीटर की दौड़ में एसडी स्कूल ककराला की छात्रा आदिती प्रथम, देवयानी स्कूल की छात्रा भूमिका द्वितीय स्थान पर रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग के लड़कों में 600 मीटर की दौड़ में जीएल स्कूल कनीना का छात्र हर्ष प्रथम स्थान पर व देवयानी स्कूल का छात्र आशीष द्वितीय स्थान पर रहा।
14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों में 600 मीटर की दौड़ में जीएसएसएस स्कूल की छात्रा निशा प्रथम स्थान पर और एसडी स्कूल की छात्रा वर्षा द्वितीय स्थान पर रही।
  इसी प्रकार 14 वर्ष तक की आयु वर्ग की लड़कों की शाट पुट में जीएलपीएस स्कूल कनीना का छात्र शौर्यवीर प्रथम स्थान, आरआरसीएम विद्यालय कनीना का छात्र रवि  द्वितीय स्थान पर रहा। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों में शाट पुट में एसडी स्कूल ककराला की छात्र अलिशा प्रथम, रामचन्द्र मैमोरियल विद्यालय कनीना की छात्रा अदिती  द्वितीय स्थान पर रही।
14 वर्ष तक आयुवर्ग के लडकों में डिस्कस थ्रो में जीएलपी स्कूल कनीना का छात्र शौर्यवीर प्रथम स्थान पर और एसडी स्कूल ककराला का छात्र साहिल द्वितीय स्थान पर रहा। 14 वर्ष तक आयुवर्ग की लड़कियों में डिस्कस थ्रो में एसडी स्कूल की छात्रा हर्षित प्रथम स्थान,एसडी स्कूल की छात्रा अलिषा द्वितीय स्थान पर रही।
14 वर्ष तक आयुवर्ग के लडकों में लंबी कूद में आरआरसीएम स्कूल कनीना का छात्र वरुण प्रथम, आरआरसीएम कनीना का छात्र जसवीर द्वितीय स्थान पर रहा। 14 वर्ष तक आयुवर्ग की लड़कियों में लंबी कूद में जीएलपीएस कनीना की छात्रा नंैसी प्रथम,आरआरसीएम स्कूल कनीना की छात्रा पायल द्वितीय स्थान पर रही।
14 वर्ष तक आयुवर्ग के लडकों में ऊंची कूद में आरआरसीएम स्कूल कनीना का छात्र वरुण प्रथम एसडी विद्यालय ककराला का छात्र जसवीर द्वितीय स्थान पर रहा।
14 वर्ष तक आयु वर्ग की लड़कियों में ऊंची कूद में एसडी विद्यालय की छात्रा नेहा प्रथम, आरआरसीएम स्कूल कनीना की छात्रा महक द्वितीय स्थान पर रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों की कबड्डी प्रतियोगिता में एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला की टीम विजेता रही।
  श्री यादव ने बताया कि14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कों की वालीबाल प्रतियोगिता में जीएलपीएस कनीना की टीम विजेता रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों की वालीबाल प्रतियोगिता में एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला की टीम विजेता रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कों की हैंडबाल प्रतियोगिता में एस डी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला की टीम विजेता रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों की हैंडबाल प्रतियोगिता में रामचन्द्र मेमोरियल स्कूल कनीना की टीम विजेता रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कों की बास्केट बाल प्रतियोगिता में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला की टीम विजेता रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों की कबड्डी प्रतियोगिता में एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला की टीम विजेता रही।14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कों की फुटबाल प्रतियोगिता में आर आर ग्रीन मैक्स स्कूल खेड़ी की टीम विजेता रही। 14 वर्ष तक की आयुवर्ग की लड़कियों की फुटबाल प्रतियोगिता में आर ग्रीन मैक्स स्कूल खेड़ी की टीम विजेता रही।
इस अवसर पर बलजीत, राकेश, शर्मिला, सरीता, कुलदीप, कलदीप सिहं, अनिल कुमार, नीरज कुमार, हरिओम आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 9 : विजेता खिलाड़ी 10: एसडी स्कूल में खेलों का नजारा।



राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा 12 को गोमला में
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 कनीना। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा पूर्व सरपंच राधेश्याम गोमला के आवास पर 12 नवंबर को पहुंचेंगे। विस्तृत जानकारी देते हुए पूर्व सरपंच राधेश्याम गोमला ने बताया कि इस मौके पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी।





डीएपी के लिए चल रही है मारामारी
-सरसों बिजाई के बाद अब गेहूं बिजाई भी होने लगी प्रभावित
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 कनीना। क्षेत्र में जहां डीएपी को लेकर के लंबे समय से मारामारी चल रही है। कम से कम 4 बार कनीना क्षेत्र में डीएपी की कमी के चलते सड़क मार्ग किसानों ने जाम किया है वहीं प्रतिदिन डीएपी बिक्री केंद्रों पर मेले लगते हैं। महिलाओं की भी किसी प्रकार कोई कमी नहीं होती। सुबह से शाम तक मेले नजर आते हैं। बेहद परेशान किसान नजर आ रहे हैं।
 सरसों की 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच बीजाई हुई थी। डीएपी न मिलने के चलते किसानों ने डीएपी का अल्टरनेट अपनाया और किसी प्रकार बीजाई की किंतु अभी भी किसान गेहूं की बिजाई में लगे हुए हैं जिन्हें डीएपी के साथ-साथ यूरिया की जरूरत है। यूरिया की कोई कमी नहीं है किंतु डीएपी की कमी साफ झलकती है। एक नवंबर से गेहूं की बिजाई शुरू हो चुकी है।
उल्लेखनीय की डीएपी कमी के चलते भी किसानों ने सरसों की बिजाई लेट तक की है जिसमें पैदावार प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। विभिन्न डीएपी बिक्री केंद्रों पर कहीं भी डीएपी आता है तो किसानों की लंबी लंबी कतार देखने को मिलती है। यहां तक कि डीएपी के लिए बड़े-बड़े नेताओं की सिफारिश लगवा  रहे हैं। मजबूरी बस या कदम किसान उठा रहे हैं।
 फोटो कैप्शन 5:डीएपी के लिए लगी भीड़।





जी जान से विद्यार्थियों को देे शिक्षा -बीइओ
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 कनीना। शिक्षकों को पूरी लगन और मेहनत से विद्यार्थियों को शिक्षा देनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। ये विचार खंड शिक्षा अधिकारी राज सिंह यादव ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में औचक निरीक्षण एवं एनएएस (नेशनल अवेयरनेस स्कीम) की परीक्षा की दृष्टि का दौरा करने के पश्चात  कक्षाओं में न केवल प्रश्न पूछे अपितु स्वयं भी पढ़ा कर शिक्षकों समक्ष ये विचार व्यक्त किए।
 उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी पूंजी शिक्षक के समक्ष उनके विद्यार्थी होते हैं । यदि विद्यार्थी कुछ कर गुजरते हैं तो शिक्षक का ही नाम होता है और शिक्षक ही जाना जाता है। ऐसे में उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे हर प्रकार की शिक्षा आधुनिक तरीकों से प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अभी भी वक्त है कि विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा दें ताकि विद्यार्थियों की संख्या सरकारी स्कूलों में बढ़े वरना निकट भविष्य विद्यार्थी घटते चले जाएंगे। उन्होंने न केवल कक्षा में जाकर प्रश्न पूछे अपितु स्वयं भी गणित के सूत्र बताकर सवाल हल किये।
इस अवसर पर उनके साथ प्राचार्य कृष्ण सिंह, ज्ञान चंद वरिष्ठ प्राध्यापक, अनूप कुमार ,रविंद्र कुमार प्राध्यापक,सतन कुमार वरिष्ठ प्राध्यापक तथा उनके साथ आए हुए विभिन्न पदाधिकारी उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन 6: कक्षा कक्ष में शिक्षण करते हुए बीइओ राज सिंह यादव।




तीन लोगों की मार पिटाई का मामला दर्ज
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव झाड़ली निवासी अशोक कुमार ने उनके साथ मारपीट करने के मामले को लेकर कनीना पुलिस में 3 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अशोक कुमार ने पुलिस में बताया कि वह 7 नवंबर को सुबह अपनी बैठक के सामने धूप में बैठा था तभी रामचंद्र, मांगेलाल और मिथलेश झाड़ली निवासी आ कर गाली गलौज करने लगे मारपीट करने लगे और और मारपीट करने लगे और कहा कि तुम्हें ज्यादा अंग्रेजी आती है। रडंडों एवं लातों से मारपीट की। बीच-बचाव में पीडि़त की चाची बेबी आई उन्होंने उसके साथ भी मारपीट की। शोर-शराबा होने से भाग खड़े हुए जाते-जाते जान से मारने की धमकी दे गए। अशोक कुमार ने पुलिस में बताया है कि 3 नवंबर को पंचायत में अंग्रेजी में लिखी हुई डीड एक लड़के द्वारा पढ़ी जा रही थी। तत्पश्चात यह कहने पर कि इसे अच्छी प्रकार से डीड पढऩी नहीं आ रही है। उस रोज भी मांगेलाल ने पीडि़त के साथ गाली गलौज किया था किंतु लोगों ने उसे छुड़वा दिया। पीडि़त अशोक कुमार और बेबी ने पहले कनीना अस्पताल तत्पश्चात पीजीआई रोहतक में अपना इलाज करवाया। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।




19 सालों से गायों की रक्षा के लिए अहम भूमिका निभा रही है कनीना गौशाला
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 कनीना। कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला वर्ष 2003 से गायों की रक्षा के लिए अहं भूमिका निभा रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रो, गौशाला के वार्षिकोत्सव तथा गोपाष्टमी आदि पर लोग दूर दराज से आकर गायों की सेवा करते हैं। एक ओर जहां गायों की सेवा हो रही है वहीं गायों का दूध लोगों के रोगों को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
श्रीकृष्ण गौशाला कनीना वासियों के सहयोग से स्थापित हुई थी जो 2003 की रजिस्टर्ड है। यहां करीब 1900 गाये हैं जिनमें से 36 गाय दुधारू है। गाए दिन-रात गौशाला में रहकर खुश हैं।
 विस्तृत जानकारी देते हुए हुकुम सिंह प्रधान गोशाला कनीना ने बताया कि कनीना गौशाला में 36 गाय दुधारू है। प्रतिदिन 125 लीटर दूध दे रही है जो 40 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक जाता है।
गाय के दूध की भारी मांग है। दूर दराज के लोग दूध ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 29 वर्कर गायों की सेवा कर रहे हैं। 5 ट्रैक्टर ट्रॉली गायों की के लिए अन्न एवं चारा लाकर उनकी सेवा में लगी हुई हैं।
 कनीना गोशाला में राव सत्यवीर बोहरा,देवराज महाशय,जगमाल सिंह, हुकुम सिंह, डा मेहरचंद, यादवेंद्र यादव, मनफूल सिंह, हुकुम सिंह आदि कनीना गौशाला के प्रधान रह चुके हैं। वर्तमान में हुकुम सिंह करीरा निवासी गौशाला के प्रधान हैं। गौशाला बड़ी बणी नामक स्थान पर स्थापित है। जहां के लिए गौशाला द्वार बनाया गया है वहीं गायों को रखने के लिए धूप एवं छाया तथा हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। गौशाला प्रतिवर्ष अपना वार्षिक उत्सव मनाती है तथा लोगों में देसी गाय पालने की प्रवृत्ति को पैदा कर रही है। गौ सेवा में गौशाला में सेवारत होशियार सिंह ने बताया कि वह गायों की सेवा करके बहुत प्रसन्न हैं। जहां गाय के गोबर से खाद बनाया जा रहा है वहीं गोबर गैस प्लांट भी लगाया गया है। कनीना के समाजसेवी भगत सिंह ने समय समय पर दान दक्षिणा देकर इसमें सहयोग किया हुआ है।  देसी गाय का दूध, घी, मक्खन आदि की भारी मांग है। यही कारण है एक बार फिर से गायों की सेवा करने में लोग जुट गए हैं। पुराने समय में गाय को माता का दर्जा देते थे वैसे ही गायों के प्रति एक बार फिर से रोगों से बचने के लिए उनकी सेवा की प्रवृत्ति बढ़ी है।
  गौशाला के प्रधान हुकुम सिंह तथा वरिष्ठ वर्कर होशियार सिंह कनीना ने बताया कि दस हजार मण कड़बी गायों के लिए खरीदी हुई है वहीं 210 फुट तथा 200 फुट लंबे दो शेड तूड़ी से भरे हुये हैं। प्रतिदिन डाक्टर आकर गायों की सेवा देता है वहीं 20 एकड़ में गायों के लिए हरा चारा जिसमें जौ व बरसीम उगाई हुई है। समय समय पर गायों की सेवा करने लोग आते हैं। गौशाला में कनीना के समाजसेवी भगत सिंह ने पौधारोपण भी किया है तथा वे स्वयं भी पौधों की देखभाल के लिए गौशाला में जाते हैं।
फोटो कैप्शन 3: कनीना गौशाला का एक नजारा साथ में 04:गौशाला के गेट की फोटो।




कभी कैमल हट के लिए प्रसिद्ध था कनीना पशु अस्पताल











-1961 में स्थापित हुआ था पशु चिकित्सालय
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 कनीना। कनीना का पशु अस्पताल कभी कैमल हट के लिए बहुत प्रसिद्ध था। राव बिरेंदर सिंह राजस्व मंत्री पंजाब ने 15 अगस्त 1961 र्को  पशु अस्पताल का उद्घाटन किया था। उस वक्त से लेकर 25 वर्षों तक लगातार कैमल हट के लिए यहां पूरा प्रबंध चला और न केवल कैमल प्रजनन की सभी सुविधाएं उपलब्ध थी अपितु पशुओं का रखरखाव के लिए भी अलग से पद स्वीकृत था परंतु समय अनुसार कैमल हट जर्जर हालात में पड़ा हुआ है।
उस वक्त के मिल्क रिकार्डर डा मेहरचंद बताते हैं कि हर घर में बैल तत्पश्चात ऊंट /ऊंटनी रखी जाती थी जिसके जरिए खेतों की बिजाई की जाती थी जो ट्रैक्टर युग आने तक जारी रही।
जहां बैलों के साथ-साथ ऊंटों की कदर बढऩे लगी थी। बोझा गाडिय़ां खिंचना और हल चलाना ही ऊंट से प्रमुख कार्य लिये जाते थे। यही कारण है बेहतर दर्जे के ऊंट प्रजनन के लिए यहां पर ऊंट रखा जाता था जिससे ऊंटनी का प्रजनन करवा कर अच्छे दर्जे की नस्ल पैदा कर खेतों के काम में ली जाती थी।
 डा मेहरचंद बताते हैं कि करीब 25 वर्षों तक ही है कैमल हट चलती रही तत्पश्चात ऊंट की मांग घटने लगी और ट्रैक्टर आने के बाद यह कैमल हट बंद पड़ी रही और आज जर्जर हालात में पड़ी है।
कनीना उप-मंडल स्तरीय पशु अस्पताल में जहां वर्तमान में नई तकनीक और सुविधाएं उपलब्ध है किंतु से जमाने उस जमाने में भी पशु प्रजनन पर विशेषकर ऊंट प्रजनन पर विशेष ध्यान दिया जाता था और हर घर में ऊंट रखे जाते थे। बुजुर्ग रामेश्वर तथा लालचंद यादव बताते हैं कि चाहे कैसा भी गरीब किसान हो उनके घरों में या तो बैल तत्परता ऊंट मिलते थे जिसे खेती करते थे यद्यपि खेती की तकनीक पुरानी थी किंतु लंबे समय तक किसानों का साथ देती रही। वर्तमान में पशु अस्पताल में कैमल हट नकारा हो चुका है परंतु उस जमाने की याद दिला रहा है।
 फोटो कैप्शन एक व दो: पशु अस्पताल एवं कैमल हट
साथ में डा मेहरचंद

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