Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Wednesday, November 3, 2021

 
एसडीएम स्कूल छिथरोली में हुई दीपावली पर आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताएं
********************************************************
***************************************************************
*********************************
*****************************
कनीना।  एसडीएम वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय छिथरोली में दिवाली पर्व की बड़ी धूमधाम से मनाया गया । इस पर्व के उपलक्ष्य पर विद्यालय के छात्र -छात्राओं ने दीया मेकिंग ,मेहंदी ,दीपावली कार्ड मेकिंग, रंगोली बनाकर प्रांगण को विभिन्न रंगों से सरोबार कर दिया। देवी देवताओं के स्वागतार्थ अपनी कला को प्रस्तुत किया गया। विद्यालय में सत्यम हाउस, शिवम हाउस, शुभम हाउस ,सुंदर हाउस की टीमों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया। जिसमें दीया मेकिंग में खुशी प्रथम सत्यम हाउस, पायल द्वितीय शिवम हाउस वहीं मेहंदी प्रतियोगिता में खुशी प्रथम सत्यम हाउस और शुभम हाउस की आरजू द्वितीय। दीपावली कार्ड मेकिंग में लक्ष्य प्रथम शिवम हाउस साहिल द्वितीय सत्यम हाउस ,रंगोली प्रतियोगिता में कपिल प्रथम सुंदरम हाउस रहा वहीं खुशबू द्वितीय शिवम हाउस के विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। संस्था के चेयरमैन अजमेर सिंह दांगी ने सभी सफल विद्यार्थियों को सम्मानित किया और दीपावली की शुभकामनाएं दी तथा सभी को प्रदूषण रहित दीपावली मनाने के लिए शपथ दिलवाई।
फोटो कैप्शन 10: एसडीएम स्कूल छीथरोली के अव्वल रहे विद्यार्थी।





राज सिंह यादव बीइओ ने किया कार्यभार ग्रहण
*************************************************
**********************************
***********************
कनीना। राज सिंह यादव ने खंड शिक्षा अधिकारी कनीना का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। खंड कार्यालय कनीना में फूल मालाएं पहनाकर उनका भव्य स्वागत किया गया। उनका तबादला भट्टूकलां से कनीना हुआ है। इस अवसर पर कार्यवाहक खंड शिक्षा अधिकारी  अभय राम यादव, प्रधान बाबू लाल यादव, पंकज राव, राजकुमार मुख्य अध्यापक, सुरेता यादव, अनुराधा, कविता, प्रियंका, प्रदीप यादव , सोमबीर शर्मा, प्रदीप शर्मा, रामपाल, मानव कुमार उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 8: बीइओ राज सिंह यादव कार्यभार ग्रहण करने के बाद स्टाफ के साथ।


दो बैग बस में मिले
-रोड़वेज बस चालक ने पहुंचाये मालिकों तक
*********************************************
**********************************
*****************
कनीना। उत्तर प्रदेश के दो मजदूरों के बैग रोड़वेज बस में छूट गए। कनीना उपमंडल के गांव भडफ़ के चालक बलराज को जब ये मिले तो उन्होंने मालिकों को बुलाकर उन तक पहुंचाया। बलराज ने बताया कि मजदूर गुरुग्राम से रेवाड़ी आते समय अपना बैग भूल गए। रात के समय दो बैग चालक को मिले।  बैग में जिनमें कपड़े, नकदी, जूते आदि भरे थे। बैग तलाशने पर टीटू नामक व्यक्ति के मोबाइल नंबर लिखे हुए नोटबुक पर मिले। इसी फोन नंबर पर जब फोन मिलाया तो टीटू उसका साथी अमरपाल उत्तर प्रदेश से अपने बैग लेने के लिए पहुंचे। चालक बलराज ने जीएम अशोक कौशिक की मौजूदगी में उनको लौटा दिए। मजदूरों ने बताया बड़ी मेहनत से भी पैसे कमाए थे और गलती से बैग गाड़ी में छूट गए थे। उन्होंने चालक बलराज एवं अधिकारियों का आभार जताया।
फोटो कैप्शन 9: बलराज बैग मजदूरों को लौटाते हुए।



क्षेत्र में मनाया गया धन तेरस का पर्व, खरीदे बर्तन
**************************************************
*********************************
***************
 कनीना। कनीना क्षेत्र में मंगलवार को धन तेरस का पर्व मनाया गया। बाजार में बर्तनों की दुकानों पर भार भीड़ देखने को मिली। कई दिनों से बर्तनों की दुकानें सजी हुई थी और ग्राहक आने का इंतजार था।
  कनीना क्षेत्र में मंगलवार से ही दिवाली पर्व की धूम मची है। बाजारों में भारी रौनक देखने को मिली है वहीं बर्तनों की दुकानों पर लोगों ने बर्तन खरीदे।
 दीपावली की रौनक के चलते बाजार सजने लगे हैं। दीपावली के पर्व को महज एक दिन ही बाकी हैं और बाजार में रौनक आने लगी है। बाजार सजने लगे हैं। अब तक ऐसा लग रहा था कि रौनक फीकी रहेगी किंतु अब धीरे-धीरे बाजार सजने लगे हैं।  धीरे-धीरे बाजार में रौनक आने लगी है और भीड़ के चलते आवागमन में परेशानी होने लगी है। मुख्य मार्गों पर भी दुकानों की वजह से मार्ग संकीर्ण बन गए हैं।
  बर्तन विक्रेता रमेश कुमार ने बताया कि इस दिन का लंबे समय से इंतजार होता है। इस दिन अन्य दिनों की बजाय सबसे ज्यादा बर्तन बिकते हैं। इस दिन लगभग हर घर से बर्तन खरीदने के लिए बाजार आते हैं। बर्तन वालों के लंबी कतार देखने को मिली।
  ज्योतिषाचार्य अरविंद वशिष्ठ का कहना है कि धन तेरस के दिन ही राक्षसों एवं देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन से अमृत निकला था जिसे पाने के लिए देवता अपना अपना बर्तन लिए बैठे थे और धनवंतरि सभी को अमृत बांट रहे थे। उसी दिन से माना जाता है कि धनवंतरि उन्हें अमृत बाटने आते हैं। इस दिन लोग नए बर्तन में धनवंतरि से अमृत पाने की इच्छा से बर्तन खरीदते हैं।
फोटो कैप्शन 10: बर्तन की दुकानों पर बर्तन बेचते एवं खरीदते लोग।



घर की मिठाई खाकर सादगी से मनाएंगे दीपावली
***********************************************
************************************
*********************
कनीना। इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे। दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे।  उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे। क्या कहते हैं दीपावली मनाने वाले-
कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है कि चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।  
डा वेद प्रकाश का कहना है कि वे कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दीवाली अपितु मुख्य दीवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलते हैं। उनके अनुसार देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दीपावली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
मुकेश नंबरदार का कहना है कि वे चाइनीज कोई आइटम नहीं खरीदेंगे। वे न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
 कैलाश पाली का कहना है कि हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का सदा बहिष्कार करते आये हैं।  दीये खरीदने पर बल देंगे।
फोटो कैप्शन : कंवरसेन वशिष्ठ, कैलाश पाली, डा वेदप्रकाश, मुकेश नंबरदार




दीपावली पर आई मिठाइयों की दुकानों पर अधिक रौनक
**********************************************
**********************************
*****************
कनीना। दीपावली का पर्व पास आने से मिठाइयों की दुकानों पर रौनक आ गई है। मिठाई बनाने वाले वर्ष भर में सबसे अधिक कमाने की होड़ में मिलावटी मिठाइयां बनाने में व्यस्त हैं।
   दीपावली पर्व पर सबसे अधिक रौनक मिठाई की दुकान पर होने के कारण मिठाई बनाने वाले व्यस्त हैं। यह कटु सत्य है कि मिठाइयों की भारी मात्रा में आपूर्ति करने के लिए या तो भारी मात्रा में चीनी डाली जा रही है या फिर जमकर मिलावट की जा रही है। लेने देने में मिठाइयों का प्रयोग होने से मिठाइयों की मांग बढ़ी है।  
फोटो कैप्शन 3: दीपावली पवर भीड़।


पटाखे नहीं चलाएंगे, चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे
**********************************
**********
*************************************************
कनीना। इस बार क्षेत्र के युवा दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। पटाखे न चलाने व चाइनीज आइटम न खरीदने की शपथ ली।  देसी घी के भाव अधिक होने के बावजूद भी वे मुख्य दीया घी का ही जलाते आ रहे हैं। महंगाई के कारण दस फीसदी लोग मोमबत्ती ही जलाकर दीपावली का पर्व मनाते हैं। युवाओं में इस बार दीपावली को सौहार्द, भाईचारा एवं एकता का पर्व बनाने की होड़ लगी है। वे पटाखे चलाने के पक्ष में भी नहीं हैं।
महेंद्र शर्मा झाड़ली का कहना है कि घरों में मोमबत्ती न जलाकर घी के दीये ही जलाने चाहिए। यही परंपरा श्रीराम के अयोध्या में लौटने पर अपनाई गई थी। उनका कहना है कि घर की मिठाइयां ही खानी चाहिए। वे पटाखे न चलाकर प्रदूषण से बचना चाहते हैं।
मोहन कुमार का कहना है कि घर की मिठाइयां खाकर, घी के दीये जलाकर एवं पटाखे न चलाकर ही दीपावली मनाएंगे। उनका मानना है कि महंगाई के युग भी दीपावली के प्रति लोगों में जोश है। उनका मानना है कि चाइनीज आइटम नहीं खरीदने चाहिए।
  अजीत कुमार का कहना है कि वे दीपावली को सादगी से मनाना चाहते हैं। लोग जुआ खेलते हैं और दुकानों की मिठाइयां खाकर पटाखे चलाते हैं जो अनुचित है। वे चीन के माल के विरोधी हैं तथा भारत का सामान खरीदना चाहते हैं। अमन रोहिल्ला एवं सोनू का कहना है कि वे इस बार गांव में भी देसी घी के ही दीये जलाने की सलाह दे रहे हैं और इस पर्व पर पटाखे न चलाने की प्रेरणा देकर कनीना व आस पास को साफ सुथरा एवं प्रदूषण मुक्त बनाना चाहते हैं। उन सभी का कहना है कि वे स्वयं भी प्रदूषण नहीं करेंगे और दूसरों को भी रोकेंगे। उन्हें सादगी से दीपावली मनाने की तमन्ना है। वे घी के दीये जलाकर दूसरों को भी प्रेरणा देंगे। उन्होंने शपथ ली कि वे चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे।
  कुल मिलाकर युवा पीढ़ी इस बार कम से कम पटाखे चलाने के पक्ष में हैं और दीपावली को सादगीपूर्ण मनाए जाने के पक्ष में है। वे चाइनीज आइटम नहीं खरीदना चाहते।
फोटो कैप्शन 4: चाइनीज आइटम न खरीदने की शपथ लेते युवा।




 मूर्तियों एवं दीयों की बहार देखने को मिली
******************************************
********************************
***************
कनीना। जहां दीपावली पर विभिन्न प्रकार के सामान की बिक्री देखने को मिल रही है वहीं मिट्टी के दीये एवं मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ गई है और खरीददार देखने को मिले।
 वैज्ञानिक युग में जहां मिट्टी की मूर्तियों की जगह दीपावली को पूजे जाने वाले गणेश, लक्ष्मी एवं सरस्वती देवी की कागज की मूर्तियां प्रसिद्ध हैं वहीं अब फिर से रुझान मिट्टी की मूर्तियों की ओर बढ़ा है। संजय कुमार, रवि कुमार, सुरेश कुमार, मनोज कुमार, रमेश कुमार, सुरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार आदि ने बताया कि उनके पूर्वज मिट्टी की मूर्तियों को घर में लाना शुभ मानते रहे हैं और विधि विधान से पूजा में मिट्टी की मूर्तियां शुभ मानी जाती है। ऐसे में वे मिट्टी की मूर्तियां खरीद रहे हैं।
  उधर विज्ञान के युग में मिट्टी के दीयों का स्थान मोमबत्ती एवं बिजली की लडिय़ों ने ले लिया है परंतु आज भी बुजुर्ग एवं पूजा करने वाले मिट्टी के दीयों को महत्व देने लगे हैं। उनका कहना है कि भगवान श्रीराम जब अयोध्या लौटे थे तो उस खुशी में मिट्टी के दीये घी से भरकर जलाए थे। आज भी मिट्टी के दीये उस दिन की याद दिलाते हैं। उनका कहना है कि आज भी हमें मिट्टी के दीये ही जलाने चाहिए ताकि भगवान श्रीराम की याद ताजा हो जाए।
फोटो कैप्शन 5: मिट्टी के दीये एवं मूर्तियां बेचते जन।  




      खूब बेचा जा रहा है पुराना सामान, दीपावली के नाम पर दुकानदार बेच रहे हैं सस्ते में
**************************************************************************
*******************************
*******************************************
कनीना। दीपावली का पर्व आते ही एक साल ही नहीं वरना सालों पुराने सामान बेचने की होड़ लगने लगी है। कहने को तो 50 से 60 प्रतिशत तक की छूट किंतु हकीकत में वो लूट है।
   क्षेत्र में पर्व आने पर दुकानों के आगे सेल लगाने के नाम पर या फिर सस्ता सामान बेचने के नाम पर पुराना और घिसा पिटा सामान बेचने का वक्त आ गया है। चप्पल, जूते, कपड़ा, बर्तन, प्लास्टिक का सामान, खिलौने आदि कितने ही प्रकार का सामान बेरोकटोक बेचा जा रहा है। धीरे धीरे सेल सेंटर खुलने लगे हैं। गरीब एवं सस्ते में सामान खरीदने वाले इनसे सामान तो खरीद लेते हैं किंतु घर जाकर पछताने के अलावा कुछ भी नहीं बचता।
  वैसे तो लोगों का कहना है कि दीवाली सबसे खर्चीला पर्व है जिस पर्व पर प्रत्येक घर से दो हजार से लेकर लाखों रुपये तक का खर्चा आता है। ऐसे में किसी को उपहार देने के लिए या मिठाई देने के नाम पर स्वयं तो ठगाई में आ जाते हैं साथ में घटिया सामान भी अपने साथियों तक पहुंचाने का जरिया भी मिलता है।
  दीपावली पर्व पर सभी दुकानदार चाहते हैं कि उनका पुराना सामान बिक्री हो जाए। ऐसे में लगभग सभी दुकानदार अपनी दुकानों के आगे सामान सस्ते में बेचने के सेल सेंटर बना देते हें। एक ओर वे अतिक्रमण कर डालते हैं वहीं लोगों को पुराना घिसा पिटा सामान देकर मुनाफा कमाते हैं।
 


दीपावली सादगी से मनाते हैं समाजसेवी
******************













**********************
**********************************************
कनीना। दीपावली के पर्व को सादगी से मनाने वालों की संख्या अधिक है। क्षेत्र के विभिन्न समाजसेवियों से दीपावली मनाए जाने के बारे में परिचर्चा की तो सभी ने दीपावली को सादगी से मनाए जाने, हवन करने, जनसेवा करने तथा दान पुण्य करने पर बल देते हैं। इस संबंध में विभिन्न पेशों से जुड़े लोगों से इस संबंध में बात की गई तो उनके विचार अलग अलग उभरकर आए-
पूर्व मुख्याध्यापक सतीश कुमार-
 मोड़ी निवासी पूर्व मुख्याध्यापक सतीश कुमार का कहना है कि दीवाली हिंदुओं का पवित्र एवं महान पर्व है। यह पर्व हमें एकता एवं भाईचारे की शिक्षा देता है। वे अपने परिवार में अति सादगी से तथा बगैर पटाखे चलाए परिवार के संग मनाते हैं। इस दिन पूरा परिवार कुछ धन निकालकर जनहित में खर्च करता है। वे सभी से पटाखे रहित, सादगी से मनाने की अपील करते हैं। वे अपने साथियों को सलाह देते हें कि सादगी से तथा घर की मिठाई खाकर दीपावली मनाए। उनका कहना है कि इस दिन खोखले मनोरंजन न करके बेहतर कार्य, परहित के कार्य, जनसेवा करके, पौधारोपण करके
सत्येंद्र यादव, प्रसिद्ध आर्य समाजी-
सत्येंद्र आर्य का कहना है कि दीवाली हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है और इस दिन हमें शुभ काम करना चाहिए। प्रदूषण करने की बीमारी इसी दिन से जुड़ी है। प्रदूषण विश्वव्यापी बीमारी है जो हर इंसान पर बुरा प्रभाव डाल रही है। ऐसे में पटाखे नहीं चलाने चाहिए। मैं स्वयं भी प्रदूषण नहीं करूंगा और दूसरों को भी प्रदूषण करने से रोकूंगा। एक ओर पूरा देश महात्मा गांधी के सपनों के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन में लगा है और दूसरी ओर यदि प्रदूषण होता है तो सांस की अनेकों बीमारियां फैल जाएंगी। ऐसे में दीपावली के शुभ दिन हवन करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने का प्रयास करूंगा और अपने साथियों को भी इस काम के लिए उत्साहित करूंगा साथ में अपील करता हूं कि जगह जगह इस दिन हवन आयोजित करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने में अपना योगदान देवें।
मांगेलाल शर्मा, योगाचार्य-
योगाचार्य मांगेलाल ने बताया कि वे दीवाली को वर्षों से सादगी से मनाते आ रहे हैं। घर में सफाई करके, सुबह सवेरे योग एवं प्राणायाम के बाद शाम तक ईश्वर स्तुति करते हैं।  तत्पश्चात पूरा परिवार मिलकर मिठाई खाता है। बाजार की बनी मिठाइयां परिवार नहीं खाता है। पूरे परिवार के बच्चे पटाखे नहीं चलाते बल्कि पटाखों पर जो खर्च आता है उतना ही पास की अपंग गौशाला में दान कर दिया जाता है। इससे मन को अति प्रसन्नता होती है। वे  अपने साथियों को भी इसी तरीके से दीवाली मनाने की सलाह देता हूं। दीवाली के पर्व पर जो प्रदूषण होता है उसका कुप्रभाव मरीजों के शरीर पर कई दिनों तक पड़ता रहता है।
फोटो: सतीश कुमार पूर्व मुख्याध्यापक, सत्येंद्र आर्य, मांगेलाल शर्मा।

No comments: