ऋग्वेद पारायण यज्ञ का आयोजन 7 नवंबर से
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव धनौंदा स्थित वेद मंदिर में ऋग्वेद पारायण यज्ञ का आयोजन 7 नवंबर से 13 नवंबर तक चलेगा। विस्तृत जानकारी देते हैं मंदिर के मंत्री-प्रधानाचार्य सूरत सिंह आर्य ने बताया दो पारियों में कार्यक्रम आयोजित होगा जिसमें सुबह नौ से 12 तथा शाम अढ़ाई से 5 बजे तक हवन एवं प्रवचन चलेंगे। इस अवसर पर यज्ञ ब्रह्मचार्य संजीव रूप बदायूं तथा वेद पाठी ब्रह्मचारी मनोज आर्य वीर तथा ब्रह्मचारी आनंद आर्य होंगे।
क्षेत्र में बदला मौसम, दिनभर सूर्यदेव नहीं दिखाई दिये
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कनीना। कनीना क्षेत्र में मौसम में बदलाव आ गया है। एक बार फिर से बादल आकाश में छाए रहे।
शुक्रवार को सुबह से सूर्यदेव के दर्शन भी नहीं हुए है जिसको लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि किसानों ने गेहूं की बिजाई की हुई है यदि बारिश होती है तो गेहूं की बीजाई प्रभावित हो सकती है। सरसों बड़ी हो चुकी है।
सरसों की फसल में आब आ गई वहीं दिनभर बादल छाए रहे। किसान कृष्ण कुमार, रवि कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार, अजीत कुमार, सूबे सिंह आदि ने बताया कि गेहूं एवं सरसों की बीजाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। सरसों की फसल बड़ी हो चुकी है वहीं गेहूं की बीजाई 25 नवंबर तक मानी जाती है।
14 नवंबर देव उठावनी एकादशी होने से खूब बजेंगी शहनाइयां
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कनीना। 14 नवंबर से देव उठनी एकादशी पर विवाह शादियों का सीजन शुरू हो जाने से इस बार कम अवधि में खूब शहनाइयां बजेंगी। ऐसे में नये कपड़ों की विशेषकर आधुनिक कपड़ों की मांग बढऩे लगी है। ऊनी कपड़ों की मांग भी बढ़ी है। कनीना एवं आस पास दो सौ के करीब शादियां हैं। सभी विवाह समारोह स्थल पहले से ही बुक हैं।
देव उठनी एकादशी 14 नवंबर को-
देव उठानी एकादशी 14 नवंबर से शुरू हो रही है। इस दिन विवाह शादी शुरू हो जाएंगी तथा विभिन्न विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कनीना के सुरेंद्र वशिष्ठ ने बताया कि अकेले कनीना क्षेत्र में एक आधा करीब शादियां हो रही है तथा आस पास गांवों को मिलकार करीब 200 शादियां हैं। देव उठनी एकादशी का दिन विवाह शादियों के लिए सबसे शुभ दिन होता है। लंबे समय से विवाह शादी करने वाले इस दिन का इंतजार कर रहे थे। एकादशी पुनीत कार्य पुण्य के बराबर होते हैं। यही कारण है कि इस दिन विवाह शादियां की जाती है।
निर्वाण दिवस-
उधो आश्रम के बाबा लाल दास ने बताया कि उदास निर्वाण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन पवित्र ग्रंथ की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न कार्यक्रम उदास आश्रम में आयोजित किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय उठानी एकादशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अनाज मंडी तिराहे की टावर लाइट खराब
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कनीना। कनीना बस स्टैंड से अनाज मंडी जाने वाले तिराहे की टावर लाइट खराब हो जाने से लोग परेशान हैं। दीपावली के दिन भारी भीड़ इधर उधर दौड़ती दिखाई दी किंतु लाइट का अभाव रहा। विभिन्न दुकानदारों ने बताया कि कनीना पालिका द्वारा लगाई हुई लाइट खराब हो गई है जिसके चलते परेशानी उठानी पड़ रही है। विगत वर्षों की लाइट खराब हो गई थी जिसे ठीक करवाया गया था। एक बार फिर से यह खराब हो जाने से लोगों में रोष पनप रहा है। लोगों की मांग है कि टावर लाइट ठीक करवाई जाए। उधर कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि इस लाइट को जल्द ही दुरुस्त कर दिया जाएगा। दीपावली पर्व के चलते मैकेनिकल नहीं मिल रहे थे। अब जल्दी उसको ठीक करवाने का प्रस्ताव है।
फोटो कैप्शन 7: टावर लाइट खराब पड़ी टावर लाइट
सरसों की अगेती बिजाई करने वाले खुश
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सरसों की अगेती बिजाई करने वाले किसान अब खुश हैं तथा उनके खेतों में खड़ी फसल अच्छी नजर आने लगी है। किसानों ने 11 अक्टूबर को सरसों की बिजाई कर दी थी। कनीना के किसान सुनील कुमार, दिनेश कुमार, महेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने 11 अक्टूबर को सरसों की बिजाई कर दी थी जो अब अच्छी फसल दिखाई देने लग गई है। सरसों खूड़ों से बाहर नजर आ रही है। कृषि विभाग सरसों की बिजाई का समय 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर मानता है परंतु गर्मी अधिक पडऩे के कारण बहुत से किसानों ने जल्दी में बिजाई नहीं की लेकिन कुछ किसानों ने रिस्क लेकर बिजाई की थी जो अब बेहतर नजर आ रही है। वर्तमान में गेहूं की बिजाई जोरों पर चल रही है। सरसों की बिजाई का कार्य पूर्ण हो चुका है।
पूर्व कृषि अधिकारी डॉ देवराज का कहना है कि कनीना क्षेत्र करीब 20 हजार हेक्टेयर पर सरसों की बिजाई तथा 8000 हेक्टेयर के करीब गेहूं की बिजाई की जानी है। अभी तक किसान सरसों की बिजाई पूर्ण कर चुके हैं। क्योंकि खाद की कमी से उनकी बीजाई भी प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि वैसे तो 25 अक्टूबर तक सरसों की बिजाई करना उचित है। इसके बाद तो प्रतिदिन प्रति एकड़ 18 किलो सरसों पैदावार कम होती चली जाती है। ऐसे में देरी से बीजाई करना नुकसानदायक साबित होता है। उन्होंने बताया कि अब किसान गेहूं की बीजाई में लगे हुये हैं जो 25 नवंबर तक जारी रहेगी।
फोटो कैप्शन 2: खेतों में अगैती खड़ी सरसों।
अन्नकुट वितरित किया
- गोवर्धन पर्व की धूम रही
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कनीना। क्षेत्र में शुक्रवार को गोवर्धन पूजा दिनभर चली। इस अवसर पर हवन, प्रवचन हुए तथा प्रसाद वितरित किया गया।
क्षेत्र में दीपावली पर्व के अगले दिन शुक्रवार को गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर गौशालाओं में गायों को भोजन कराया गया वहीं गायों की पूजा की गई। मंदिरों में हवन एवं प्रसाद वितरित किए गए। मंदिरों में प्रसाद वितरित किया गया। विभिन्न गांवों में इस दिन प्रसाद वितरित करने की परंपरा है।
गोवर्धन पर्व के विषय में जानकारी देते हुए पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है।
कनीना मंडी के राधाकृष्ण मंदिर में प्रसाद वितरित किया वहीं कनीना का बड़ा मंदिर, दादा ठाकुर मंदिर में पर्व की धूम रही। दिनभर कढ़ी, खिचड़ी, भाजी एवं खीर वितरित की गई। कनीना के बड़े मंदिर में मदनलाल शर्मा,कंवरसेन वशिष्ठ के अलावा प्रवेश पंडित, सौरभ, नवीन, पवन शर्मा, प्रमोद शर्मा, घन श्याम, रामावतार संदी, कृष्ण, संतोष शर्मा, कमलेश शर्मा सहित कई जनों ने दूर दराज से आए भक्तों की सेवा की और उन्हें प्रसाद वितरित किया। खाटू श्याम मंदिर कनीना में मंदिर कमेटी पदाधिकारियों ने मिलकर अन्नकुट का वितरण किया। दूर दराज से भक्त पहुंचे।
बड़ा मंदिर कनीना के कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि इस मंदिर में करीब 200 वर्षों से अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जा रहा है। ठाकुर मंदिर में जहां बीकानेर महाराज आते थे। तब यहां तत्कालीन पुजारी ने उनको विशेष कढ़ी, बाजरा चावल का प्रसाद खिलाया था। वही चर्म रोग से मुक्त हो गए थे। तब से इस मंदिर में आसपास के 52 गांवों के लोग मन्नत मांगने के लिए आते हैं।
उधर उधोदास आश्रम के संत लालदास महाराज ने बताया कि उनके यहां हर वर्ष अन्नकुट बनाया गया जिसमें दूर दराज से भक्त पहुंचे। भक्तों ने आकर प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने बताया कि यहां देव उठानी एकादशी को भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। कनीना एवं आस पास विभिन्न गांवों में गोवर्धन पर्व की धूम रही तथा प्रसाद वितरित किया।
उधर खाटू श्याम मंदिर कनीना में प्रसाद वितरण किया गया। यहां दुलीचंद साहब, गुड्डू चौधरी, योगेश कुमार, दुलीचंद, टिंकू, पालाराम, नवीन आदि ने दूर दराज से आये भक्तों को प्रसाद वितरित कर सेवा की। दुलीचंद साहब ने बताया कि यहां विभिन्न कार्यक्रम समय समय पर आयोजित किये जाते हैं।
फोटो कैशन 3 व 4 : खाटू श्याम तथा बड़ा मंदिरों में अन्नकुट वितरित करते हुए।
शहीद स्मारकों पर दीपक जला कर मनाई दिवाली
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कनीना। कनीना खंड के गांव इसराना में स्थित शहीद जोनी स्मारक पर दीपक जलाकर शहीद परिवार के साथ सामाजिक संस्था बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल ने सांझा किया। उन्होंने शहीदों के कभी न भूलने वाले बलिदान के महत्व को लोगों के साथ साझा करते हुए युवाओं को उनके सम्मान के लिए प्रेरित किया।
संस्था अध्यक्ष नवीन कौशिक समाजसेवी ने बताया कि हर दीपावली पर्व पर शहीद स्मारकों पर दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इसराना और गांव निमोठ में शहीद कृष्ण कुमार स्मारक पर दीपक जलाकर दिवाली की खुशियां मनाई। इस अवसर पर संस्था की तरफ से दिल्ली पुलिस से रिटायर्ड रोहतास कुमार और सुरेश कुमार ने शहीदों के परिवार को बार बार धन्यवाद दिया जिन्होंने ऐसे सपूतों को जन्मा जिन्होंने देश पर जान न्यौछावर कर दी। इस दौरान टोनी, हनुमान ,गजे सिंह, राहुल यादव, कबूल सिंह, अभिनव, आलोक आदि युवा शामिल रहे।
फोटो कैप्शन 5: शहीदों की चिताओं पर दीप प्रज्लित करते संस्था के सदस्य।
अभिभावकों को समझना होगा बच्चों के मनोविज्ञान को-मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत
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कनीना। छात्रों की समुचित शिक्षा में अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्योंकि बालकों का अधिकांश समय माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही गुजरता है। फलत: उनके व्यवहार तथा आचरण का सीधा प्रभाव बालकों के व्यक्तित्व विकास पर पड़ता है। इतना ही नहीं अभिभावकों की धारणा भी अप्रत्यक्ष रूप से बालकों के विकास और विद्यालय शिक्षा को प्रभावित करती है। माता-पिता अपने बच्चे के विकास में अपना कितना समय निवेश करते हैं, इसका सीधा असर बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण पर पड़ता है। यह कहना है उम्मीद काउंसलिंग सेंटर डाइट महेंद्रगढ़ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव का।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्थितियां तेजी से बदली हैं। एक विद्यार्थी के जीवन में जहां शिक्षक का अहम योगदान है,वहीं दूसरी तरफ अभिभावकों की भूमिका को भी कम करके नहीं आंका जा सकता। प्रतियोगिता के इस दौर में हर अभिभावक यही चाहता है की उनकी संतान परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो। यूं तो पूरा वर्ष ही अभिभावक अपने बच्चों के लिए चिंतित रहते हैं,मगर ये चिन्ता उस वक्त और अधिक बढ़ जाती है,जब परीक्षाएं सामने हों। अपने बच्चों के लिए अभिभावकों की यह चिंता तो स्वाभाविक है, मगर इस बात का ध्यान रखना भी नितांत आवश्यक है कि अपेक्षाएं इतनी अधिक ना हों की छात्र तनाव व भय के आगोश में समा जाये।
अभिभावकों को अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करने से भी बचना चाहिए क्योंकि प्रत्येक बच्चा विभिन्न गुणों,विवेक शारीरिक क्षमता और स्वभाव के साथ ही पैदा होता है। इसीलिए वे कुशाग्रता, बुद्धि और व्यक्तित्व के मामलों में एक-दूसरे से अलग होते हैं। बच्चों में ऐसे कई जन्मजात गुण होते हैं,जिन पर अभिभावकों के मार्गदर्शन और व्यवहार का असर पड़ता है। अक्सर यह भी देखा गया है कि अभिभावकों का ध्यान बच्चों पर कम और उनके परीक्षा परिणाम की तरफ ज्यादा होता है। समस्या तब और अधिक बढ़ जाती है जब दोनों ही अभिभावक कामकाजी या नौकरी पेशा हों। इससे कहीं ना कहीं एक कम्युनिकेशन गैप पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।
कई बार अभिभावक अपने बच्चों से अपनी उन अपूर्ण इच्छाओं को पूरा करने की भी आस लगा बैठते हैं,जिन्हें वे कभी अपने विद्यार्थी काल में या अपने जीवन में करने में सफल न हुए हों। यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि बच्चे की रूचि उन्हीं चीजों में हो,जो उनके लिए अभिभावक सही समझते हों।दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विषयों का चयन करते समय भी अभिभावकों को अपनी मर्जी बच्चों पर नहीं थोपनी चाहिए बल्कि उन्हें उनकी मर्जी और रुचि के अनुसार ही विषयों का चयन करने देना चाहिए। साथ ही माता-पिता को चाहिए कि वे बाल-मनोविज्ञान को समझते हुए अपने बच्चे की मानसिक योग्यता, अभिरुचि तथा आकांक्षा स्तर के अनुरूप ही व्यवहार करें। बच्चों को अनावश्यक डांटना,फटकारना तथा ग्लानि सूचक शब्द कहना हमेशा हानिप्रद होते हैं, इसलिए अभिभावकों और बच्चों के बीच एक स्वस्थ संवाद का होना जरूरी है ताकि अगर बच्चे किसी परेशानी से जूझ रहे हों तो उसका एक सकारात्मक हल निकाला जा सके। अपने जीवन के प्रेरणादायक प्रसंग और अनुभवों को बच्चों के साथ सांझा करके भी उन्हें तनाव और भयमुक्त किया जा सकता है।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत मनोवैज्ञानिक।
शांतिपूर्वक मनाई गई दीपावली
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कनीना। कनीना एवं आस पास क्षेत्र में दीपावली का पर्व शांतिपूर्वक मनाई गई। इस बार कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। पटाखों पर प्रतिबंध था किंतु चोरी छिपके बहुत पटाखे चलाए गए। वैसे भी लोग कोरोना काल से परेशान थे और खुशी मनाने के लिए यह दिन नजर आया। ऐसे में जमकर पटाखे तोड़े।
सबसे बड़ा प्रभाव मार्केट में चाइनीज आइटम न खरीदे जाने व न बेचे जाने का देखने को मिला। वहां भी चाइनीज पटाखे एवं सामान नहीं देखने को मिला। इस बार पटाखे भी कम चले और देर रात तक नहीं चलाए गए। ग्राहकों को सीधे अपने घर पर बुलाकर पटाखे बेचे गए। युवा वर्ग ने पटाखे खरीदे परंतु महंगे दामों पर। देर शाम तक हल्के पटाखे चलाए गए परंतु चाइनीज आइटम नहीं खरीदे गए।
सबसे अधिक भीड़ मिठाई की दुकानों पर देखी गई। मिठाई का लेन देन दिनभर चला।दीपावली के दिन जमकर भीड़ विभिन्न सड़क मार्गों पर देखने को मिली वही दुकानदारों ने जमकर महंगे दामों पर वस्तुएं बेची। जहां सेब 150 रुपये किलो वहीं केले 80 रुपये दर्जन बेचे गये। आनानास 125 रुपये प्रति पीस बेचा वहीं विभिन्न स्थानों पर भीड़ देखने को मिली। जहां ग्राहकों को जमकर घटियां वस्तुएं खाने को मिली। टमाटर 90 रुपये किलो वहीं प्याज 70 रुपये किलो के हिसाब से बिकी। विभिन्न सड़क मार्गों पर भारी भीड़ देखने को मिली।
फोटो कैप्शन 01: दीपावली पर फुलझड़ी चलाती बच्ची।
भैया दूज का पर्व 6 नवंबर को
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कनीना। कनीना क्षेत्र में भाई बहन के अटूट प्यार को निभाने वाला पर्व भैया दूज 6 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस पर्व पर दूरदराज से बहन अपने भाई से मिलने के लिए पहुंचती है या फिर भाई अपनी बहन से मिलने के लिए उन तक पहुंचता है।
यह माना जाता है कि यह पर्व रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए मनाया जाता है। वर्ष में दो बार यह पर्व आता है। होली के पश्चात तथा दीपावली के पश्चात दोनों ही पर्वों के बाद यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन अवकाश रहेगा। यह पौराणिक कथा यम यमी की याद दिलाता है।
क्या है कहानी
सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष.विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत.सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।
तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहा और यमपुरी चले गए।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
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