हरियाणा के बाजरे किसान की जेब से 200 से 300 करोड़ की लूट सरकार ने की
-डीएपी की किल्लत सरकार की लापरवाही की वजह से निर्मित है
-जय किसान आंदोलन के नेतृत्व ने लगातार पांचवें वर्ष किया मंडियों का दौरा
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कनीना। हरियाणा सरकार द्वारा लाई गई नई भावांतर योजना के माध्यम से किसानों को प्रति क्विंटल 200 - 300 रुपये का कम से कम नुकसान हो रहा है। जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव व अन्य पदाधिकारियो ने आज मंडी का दौरा किया। योगेंद्र यादव ने 5 अक्टूबर 2021 को के मुख्यमंत्री को चि_ी लिखकर इस होने वाले नुकसान के बारे में आगाह किया था और सरकार से मांग की थी कि भावांतर मूल्य को 600 से बढ़ाकर 1000 रुपये किया जाए ताकि किसान को होने वाले नुकसान से किसान को बचाया जा सके। एक तरह से एमएसपी 2250 से घट कर 2000 रह गयी और हरियाणा के बाजरा किसान को 250 से 300 करोड़ का नुकसान हुआ है।
सरसों की बिजाई के समय किसानों की जरूरत में आने वाला डीएपी खाद नहीं मिल रहा है जिसके कारण महिलाएं, बुजुर्ग नौजवान सब परेशान है घर का काम खेती का काम छोड़ कर रात में एक बजे, दो बजे आकर लाइनों में खड़े हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज हरियाणा सरकार ने मजबूर किया है किसानों को लाइनों में खड़ा होने के लिए आज किसानों में खाद समय पर न मिलने का डर और सरसों की फसल की अच्छी पैदावार ना होने की शंका सताए जा रही है। सरकार को अंदाजा था कृषि विभाग और कृषि मंत्री को भी पता था, कितने डीएपी की जरूरत पड़ेगी कितना हमारे पास स्टॉक में है उसके बावजूद इस सरकार ने ध्यान नहीं दिया समय पर इम्पोर्ट का आर्डर नही दिया। ये सरकार निर्मित संकट है। जय किसान आंदोलन के प्रदेश प्रवक्ता संदीप यादव ने बताया।
जय किसान आंदोलन के नेताओं ने रेवाड़ी, कनीना, अटेली, नारनौल की मंडी का आज दौर किया। इस मंडी यात्रा के दौरान दो नवंबर को भिवानी की मंडियों का दौरा करेंगे। इस मौके पर युद्धवीर सिंह अहलवात प्रदेश अध्यक्ष जय किसान आंदोलन हरियाणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक शाह और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक लांबा व जिले के पदाधिकारी शामिल हुये। उन्होंने इस मौके पर मंडी में जाकर किसानों की समस्या जानी।
फोटो कैप्शन 12: योगेंद्र यादव कनीना मंडी के दौरे दौरान किसानों से बात करते हुए।
हेरिटेज स्कूल के विद्यार्थियों ने किया हरियाणा कल्चर का भ्रमण
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कनीना। कनीना उपमंडल में स्थित हेरिटेज पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहनपुर के विद्यार्थियों ने प्रतापगढ़ में हरियाणा कल्चर का भ्रमण किया। चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने बताया की बच्चों को हरियाणा कल्चर के भ्रमण के लिए प्रतापगढ़ ले जाया गया, वहां बच्चों ने हरियाणा करके भ्रमण का पूर्ण रूप से आनंद लिया और उन्हें बड़े ही अच्छे ढंग से समझने की कोशिश की कि किस तरह हमारे हरियाणा में सभी मिलजुल कर रहते हैं, क्या क्या हमारे हरियाणा में नृत्य होते हैं, कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं, हरियाणा की कौन सी चीजें प्रसिद्ध है, हरियाणा का खेल जगत कैसा है, किस प्रकार से हरियाणा के लोग अपना मनोरंजन करते हैं और मनोरंजन के लिए क्या-क्या साधन अपनाते हैं? कैसे हरियाणा के लोग कुछ समय पहले एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे, कौन-कौन से पशु पाले जाते थे ,किस प्रकार से गांवों के लोग अपना मनोरंजन करते थे कृषि के लिए कौन-कौन से साधन अपनाते थे? हरियाणा की क्या-क्या प्रसिद्धि है? इन सभी के बारे में बच्चों ने भ्रमण किया और बड़े ही सहज तरीके से अपने हरियाणा कल्चर के भ्रमण का आनंद लिया विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि बच्चों के साथ साथ विद्यालय के अध्यापक गण भी इस भ्रमण का आनंद उठाते हुए नजर आए। बच्चों के साथ साथ अध्यापक गणों में भी एक उत्साह की भावना देखने को मिला। विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने बच्चों को बताया की हमें समय-समय पर भ्रमण करते रहना चाहिए जिससे हमें नई चीजें सीखने को मिलेगी तथा हमारा ज्ञान भी बढ़ेगा।
फोटो कैप्शन 10: हेरिटेज स्कूल के विद्यार्थी हरियाणा कल्चर का भ्रमण करने जाते हुए। हरी झंडी दिखाते ओमप्रकाश चेयरमैन।
बाजार में सजे हैं विभिन्न रूपों और रंगों के दीये
-गायब है चाइनीज आइटम
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कनीना। दीपावली के इस पर्व पर जहां चाइनीज आइटम इक्का दुक्का कहीं नजर आता है वहीं अधिकांश चाइनीज आइटम बाजार से गायब हैं। सरकार भी इस मामले को लेकर प्रयासरत थी जिसके चलते इस सराहनीय कदम बताया जा रहा है, वहीं बाजार में इस बार अलग-अलग डिजाइन के दीयों की बहार आ गई है। विभिन्न रंग और रूप और देखने में मन को मोहने वाले दीये नजर आते हैं।
सतप्रकाश नामक व्यक्ति ने बताया कि ये दीये मिट्टी के बने हैं किंतु इनको शंख, गुलाब के फूल में दीये तथा विभिन्न डिजाइन रंगो एवं आकार के दीये बनाए गए हैं। जिनमें विभिन्न रंग लगाकर संजोकर इनको और भी शानदार बनाया गया है जिसके चलते ये मन को मोह लेते हैं। बाजार में इनकी कीमत बड़े दीये 60 रुपये तक जबकि छोटे दिए 10 रुपये तक मिल रहे हैं। दीये को देखकर जहां दीपावली के प्रति आकर्षण पैदा हो रहा है वहीं विभिन्न स्थानों पर सेल लगी है। वर्ष भर का सामान निकालने का अच्छा जरिया है। बाजार में जहां जरूरी खाद्य पदार्थ महंगे दामों पर मिल रहे हैं। टमाटर जहां 90 रुपये किलो पहुंच गए हैं वहीं प्याज भी इसका मुकाबला कर रही है। बाजार में जहां हरा धनिया, केले से आदि महंगे चल रहे हैं। दीपावली के पर्व के दृष्टिगत इनकी मांग अधिक होने के कारण यह महंगे दामों पर मिल रहे हैं।
फोटो कैप्शन 8: सुंदर सजीले दीये।
नगरपालिका ने करवाया कूड़ा कचरा इकट्ठा
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कनीना। कनीना कस्बा का संपूर्ण कूड़ा कचरा जहां मानका नामक बणी में इकट्ठा
किया जा रहा था जो उड़ उड़ कर किसानों के खेतों में समस्या पैदा कर रहा था। वही रास्तों में भी जाकर पॉलिथीन इधर-उधर घूम रही थी जिसके दृष्टिगत किसान और लोगों ने इस संबंध में नगर पालिका को शिकायत की नगर पालिका ने उन्हें कूड़े कचरे को जेसीबी की सहायता से खट्टा करके दबा दिया है। सतीश कुमार पालिका प्रधान ने बताया कि विभिन्न किसानों की शिकायतों के दृष्टिगत मानका वाली बणी में पड़ा हुआ कूड़ा कचरा जेसीबी की सहायता से इकट्ठा
करवा कर मिट्टी से ढकवा दिया है ताकि इधर-उधर न उड़े और किसानों के खेतों, आम रास्तों में समस्या न बने। उल्लेखनीय है कि इस कूड़े कचरे में विगत वर्ष लंबे समय तक बार-बार आग लगी थी, बार-बार फायर ब्रिगेड को बुलाया गया था। यहां तक कि कूड़ा कचरा फैलता ही जा रहा था। इसी कारण से लोगों ने शिकायत नगर पालिका को की। नगर पालिका ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कूड़े कचरे को इकट्ठा
कर दिया है।
हरियाणा का जन्म दिन मनाया
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कनीना। सरस्वती पब्लिक स्कूल भडफ के प्रांगण में हरियाणा दिवस के उपलक्ष्; में विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार ने बच्चों को हरियाणा की स्थापना और सभी 22 जिलों के इतिहास का सविस्तार वर्णन किया। बच्चों ने बड़ी जिज्ञासा से अपने प्रांत के इतिहास को जाना। विद्यालय के निदेशक राव गजराज सिंह ने बच्चों को पर्यावरण अनुकूल दीपावली मनाने की प्रेरणा दी व इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को पर्यावरण अनुकूल पटाखा रहित दीपावली मनाने की शपथ दिलवाई।
उन्होंने बच्चों को शपथ दिलाते हुए कहा कि हमें पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए संकल्प लेना चाहिए की हम इस दिवाली पर बिल्कुल पटाखे नहीं जलाएंगे और पटाखों के विरुद्ध का एक नारा दिया। उन्होंने पटाखों पर खर्च किए जाने वाले पैसों का सदुपयोग करने की प्रेरणा दी और बच्चों से कहा की इस पैसे को हम किसी चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए प्रयोग करें। इसी अवसर पर विद्यालय के चेयरमैन रमेश कुमार भारद्वाज ने दीपावली के साथ-साथ आने वाले विभिन्न त्योहारों के बारे में विस्तार से बताया जैसे धनतेरस गोवर्धन पूजा व भैया दूज के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने बच्चों को भगवान श्रीराम के चरित्र से बहुत कुछ सीखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पिता के आदेश के पालन के लिए वन गमन व वन में अनेकों राक्षसों का संहार करते हुए सीता की रक्षा के लिए लंकापति रावण का वध किया व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया। उन्होंने बच्चों को उस समय का व आज का तुलनात्मक वर्णन करते हुए अपने जीवन में भगवान राम के चरित्र को अपनाने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी स्टाफ सदस्य मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 5: पटाखे न चलाने की शपथ लेते विद्यार्थी।
दीपावली के दृष्टिगत बाजार में भीड़ बढ़ी
-बेचा जा रहा है पुरान माल सेल पर
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कनीना। कनीना क्षेत्र में दीपावली पर्व के पास आने पर कपड़ों की दुकानों पर भीड़ देखने को मिल रही है। वे नए कपड़े खरीद रहे हैं। पुरुष एवं महिलाएं दुकानों से नए नए कपड़े खरीद रहे हैं। ऐसे में सबसे अधिक भीड़ सीले हुए कपड़ों की दुकानों पर देखने को मिल रही है जहां पुरुषों ने अपने लिए तो कपड़े खरीद रहे हैं साथ में महिलाओं के लिए कपड़े भी खरीद रहे हैं।
दुकानदारों ने बताया कि दीपावली का पर्व पास आने से कपड़ों की दुकानों पर कुछ भीड़ नजर आने लगी है जो दीपावली पर्व के प्रति तैयारियों को इंगित करता है।
खूब बेचा जा रहा है पुराना सामान- दीपावली का पर्व आते ही एक साल ही नहीं वरना सालों पुराने सामान बेचने की होड़ लगने लगी है। कहने को तो 50 से 60 प्रतिशत तक की छूट किंतु हकीकत में वो लूट है।
क्षेत्र में पर्व आने पर दुकानों के आगे सेल लगाने के नाम पर या फिर सस्ता सामान बेचने के नाम पर पुराना और घिसा पिटा सामान बेचने का वक्त आ गया है। चप्पल, जूते, कपड़ा, बर्तन, प्लास्टिक का सामान, खिलौने आदि कितने ही प्रकार का सामान बेरोकटोक बेचा जा रहा है। धीरे धीरे सेल सेंटर खुलने लगे हैं। गरीब एवं सस्ते में सामान खरीदने वाले इनसे सामान तो खरीद लेते हैं किंतु घर जाकर पछताने के अलावा कुछ भी नहीं बचता।
वैसे तो लोगों का कहना है कि दीवाली सबसे खर्चीला पर्व है जिस पर्व पर प्रत्येक घर से दो हजार से लेकर लाखों रुपये तक का खर्चा आता है। ऐसे में किसी को उपहार देने के लिए या मिठाई देने के नाम पर स्वयं तो ठगाई में आ जाते हैं साथ में घटिया सामान भी अपने साथियों तक पहुंचाने का जरिया भी मिलता है।
दीपावली पर्व पर सभी दुकानदार चाहते हैं कि उनका पुराना सामान बिक्री हो जाए। ऐसे में लगभग सभी दुकानदार अपनी दुकानों के आगे सामान सस्ते में बेचने के सेल सेंटर बना देते हें। एक ओर वे अतिक्रमण कर डालते हैं वहीं लोगों को पुराना घिसा पिटा सामान देकर मुनाफा कमाते हैं।
फोटो कैप्शन 6: सड़क किनारे पुराना माल बेचने की सेल।
अभिभावकों को समझना होगा बच्चों के मनोविज्ञान को-मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत
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कनीना। छात्रों की समुचित शिक्षा में अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्योंकि बालकों का अधिकांश समय माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही गुजरता है। फलत: उनके व्यवहार तथा आचरण का सीधा प्रभाव बालकों के व्यक्तित्व विकास पर पड़ता है। इतना ही नहीं अभिभावकों की धारणा भी अप्रत्यक्ष रूप से बालकों के विकास और विद्यालय शिक्षा को प्रभावित करती है। माता-पिता अपने बच्चे के विकास में अपना कितना समय निवेश करते हैं, इसका सीधा असर बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण पर पड़ता है। यह कहना है उम्मीद काउंसलिंग सेंटर डाइट महेंद्रगढ़ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव का।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्थितियां तेजी से बदली हैं। एक विद्यार्थी के जीवन में जहां शिक्षक का अहम योगदान है,वहीं दूसरी तरफ अभिभावकों की भूमिका को भी कम करके नहीं आंका जा सकता। प्रतियोगिता के इस दौर में हर अभिभावक यही चाहता है की उनकी संतान परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हो। यूं तो पूरा वर्ष ही अभिभावक अपने बच्चों के लिए चिंतित रहते हैं,मगर ये चिन्ता उस वक्त और अधिक बढ़ जाती है,जब परीक्षाएं सामने हों। अपने बच्चों के लिए अभिभावकों की यह चिंता तो स्वाभाविक है, मगर इस बात का ध्यान रखना भी नितांत आवश्यक है कि अपेक्षाएं इतनी अधिक ना हों की छात्र तनाव व भय के आगोश में समा जाये।
अभिभावकों को अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करने से भी बचना चाहिए क्योंकि प्रत्येक बच्चा विभिन्न गुणों,विवेक शारीरिक क्षमता और स्वभाव के साथ ही पैदा होता है। इसीलिए वे कुशाग्रता, बुद्धि और व्यक्तित्व के मामलों में एक-दूसरे से अलग होते हैं। बच्चों में ऐसे कई जन्मजात गुण होते हैं,जिन पर अभिभावकों के मार्गदर्शन और व्यवहार का असर पड़ता है। अक्सर यह भी देखा गया है कि अभिभावकों का ध्यान बच्चों पर कम और उनके परीक्षा परिणाम की तरफ ज्यादा होता है। समस्या तब और अधिक बढ़ जाती है जब दोनों ही अभिभावक कामकाजी या नौकरी पेशा हों। इससे कहीं ना कहीं एक कम्युनिकेशन गैप पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।
कई बार अभिभावक अपने बच्चों से अपनी उन अपूर्ण इच्छाओं को पूरा करने की भी आस लगा बैठते हैं,जिन्हें वे कभी अपने विद्यार्थी काल में या अपने जीवन में करने में सफल न हुए हों। यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि बच्चे की रूचि उन्हीं चीजों में हो,जो उनके लिए अभिभावक सही समझते हों।दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विषयों का चयन करते समय भी अभिभावकों को अपनी मर्जी बच्चों पर नहीं थोपनी चाहिए बल्कि उन्हें उनकी मर्जी और रुचि के अनुसार ही विषयों का चयन करने देना चाहिए। साथ ही माता-पिता को चाहिए कि वे बाल-मनोविज्ञान को समझते हुए अपने बच्चे की मानसिक योग्यता, अभिरुचि तथा आकांक्षा स्तर के अनुरूप ही व्यवहार करें। बच्चों को अनावश्यक डांटना,फटकारना तथा ग्लानि सूचक शब्द कहना हमेशा हानिप्रद होते हैं, इसलिए अभिभावकों और बच्चों के बीच एक स्वस्थ संवाद का होना जरूरी है ताकि अगर बच्चे किसी परेशानी से जूझ रहे हों तो उसका एक सकारात्मक हल निकाला जा सके। अपने जीवन के प्रेरणादायक प्रसंग और अनुभवों को बच्चों के साथ सांझा करके भी उन्हें तनाव और भयमुक्त किया जा सकता है।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत मनोवैज्ञानिक।
कनीना पालिका के पूर्व पार्षद एवं गौशाला प्रधान को याद किया
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कनीना। राव सतवीर सिंह बोहरा की द्वितीय पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया। पुष्प अर्पित किये गये। श्री बोहरा कनीना पालिका के पूर्व पार्षद तथा कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला के प्रथम प्रधान, किसान नेता एवं समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं।
श्री बोहरा के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और झुग्गी झोपड़ी में जा कर फल व मिठाई वितरण किया। उनके पुत्र महेश बोहरा ने बताया कि उनके पिताजी को गायों की सेवा करना बहुत अच्छा लगता था वह अपने पुरखों की तरह उनके दादा जमादार भैरू सिंह भी सैकड़ों गाय रखते थे उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए सतवीर बोहरा कनीना गौशाला के संस्थापक व प्रथम प्रधान थे। उन्होंने गौशाला बनाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की थी। दिन रात एक कर के यहां पर गायों की सेवा करना संभव हुआ था। महेश बोहरा ने बताया कि पिताजी गो भगत थे उन्हीं से हमें प्रेरणा लेकर चाचा पूर्व पार्षद मोहन ने अपने दादा की याद में गौशाला में एक बड़ा हाल का निर्माण करवाया। वो कहते थे कि गायों की सेवा करनी चाहिए और वे 35 सालों से किसानों की सेवा कर रहे थे। उनकी हमेशा कोशिश रहती थी किसानों के लिए अच्छी गुणवत्ता के बीज उपलब्ध करवाये जा सके। इस मौके पर पुष्प अर्पित करने वाले लोगों में पूर्व पार्षद मोहन, चेयरमैन विजयपाल, डा नरेंद्र यादव, अजीत कुमार, सिंटू, विनीत कुमार, हर्ष कुमार, बीजेपी युवा नेता देशराज यादव, एडवोकेट मनोज कुमार शर्मा, सतबीर सिंह, हैडमास्टर बीजे कुमार, प्रोफेसर अश्मनी, राजकुमार यादव, कृष बोहरा, जतिन बोहरा, रवि कुमार, सतवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 3: राव सतबीर सिंह बोहरा को याद करते जन।
उपभोक्ता जागरूकता सुरक्षा क्लिनिक सप्ताह कार्यक्रम आयोजित
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कनीना। रविवार को स्थानीय शहीद एके इंडेन गैस एजेंसी द्वारा ककराला के एसडी स्कूल में उपभोक्ता जागरूकता हेतु सुरक्षा क्लिनिक प्रतियोगिता एवं सतर्कता जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ऊपर क्रम के दत्ता मदन लाल शास्त्री ने की। कार्यक्रम में रामधारी यादव व जगदेव चेयरमैन एस डी स्कूल ने उपरोक्त विषय पर उपभोक्ताओं को जागरूक किया। सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम में उपभोक्ताओं को एलपीजी के सुरक्षित प्रयोग हेतु सिलेंडर का रखरखाव में रेगुलेटर सुरक्षा और बोरिंग के बारे में संपूर्ण सुरक्षा संबंधित जानकारियां दी गई। मैकेनिक नवीन कुमार ने लोगों को बताया कि हमेशा आई एस आई मार्क वाले हॉ प्लेट और रबर ट्यूब ही खरीदें। डिलीवरी मैन अशोक कुमार ने हाट प्लेट से जोड़कर दिखाएं। उपभोक्ताओं को जानकारी दी गई थी गैस चूल्हे को जलाने के लिए लाइट का प्रयोग ना करें। कैलेंडर को किसी बंद बॉक्स में ना रखें। अपने आप मरम्मत करना खतरनाक है। हर रात रेगुलेटर नाव को जरूर बंद करें। सिलेंडर को जमीन के स्तर से नीचे या किसी गड्ढे में ना रखें। हाट प्लेट को खिड़की के पास ना रखें। उन्होंने बताया कि खाना पकाने के दौरान सूती वस्त्र का उपयोग करें। क्षेत्र के एलपीजी उपभोक्ताओं को आपातकालीन ग्राहक सेवा प्रकोष्ठ में लीकेज हेल्पलाइन नंबर 1906 की जानकारी दी और एलपीजी से होने वाली दुर्घटना से बचने के उपाय बताए गए।
जीआर स्कूल में दिखी हरियाणा दिवस व दीपावली की धूम
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कनीना। जीआर इंटरनेशनल स्कूल कनीना के प्रांगण में हरियाणा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राजेश भारद्वाज और अविजीत बनर्जी ने बच्चों को संबोधित किया और हरियाणा की संस्कृति भौगोलिक स्थिति और खान पान के बारे में बच्चों को अवगत कराया। हरियाणा दिवस पर बच्चों ने संगीत, नृत्य, कविता व भाषण प्रस्तुत किए। इस अवसर पर रिटायर्ड प्राध्यापक रतन लाल ने बाल भवन में हुई विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में विजेता रहे विद्यार्थियों और ड्राइंग अध्यापक अनिल कुमार, डांस अध्यापक विवेक कुमार और संगीत अध्यापक प्रशांत कुमार को सम्मानित किया। दीपावली से पूर्व विद्यालय में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन अविजीत बनर्जी और पूजा शर्मा की देखरेख में हुआ है। प्रतियोगिताओं में रंगोली प्रतियोगिता को अंतरसदनीय करवाया गया और दीया और कैंडल सजाओ प्रतियोगिताओं को कक्षा स्तर पर करवाया गया। रंगोली प्रतियोगिता में पटेल सदन और टैगोर सदन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया व तिलक सदन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया,दीया सजाओ प्रतियोगिता में अदम्य ने प्रथम स्थान, आरवी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। बी ग्रुप से रिद्धिमा ने प्रथम यशिका और जिया ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। ग्रुप सी में उचित और तिलक ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। मोमबत्ती सजाओ प्रतियोगिता में ग्रुप एस से नैना ने प्रथम और हनी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। ग्रुप बी में रिधिमा ने प्रथम और दीपांशु ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। अंत में विद्यालय के संचालक विजय पाल यादव व प्राचार्य दीपक वशिष्ठ ने विजेताओं को सम्मानित किया।
फोटो कैप्शन 11: जीआर स्कूल के अव्वल रहे विद्यार्थी।
आरआरसीएम में आयोजित हुई पीटीएम
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,कनीना। आरआरसीएम पब्लिक स्कूल कनीना में आज शिक्षक.अभिभावक संघ की बैठक का आयोजन किया गया जिसमें अभिभावकों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन रोशन लाल यादव ने शिक्षक.अभिभावक संघ की बैठक का विधिवत शुभ आरम्भ किया उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य अभिभावकों को उनके बच्चों की शैक्षिक प्रगति एवं पाठ्य सहगामी क्रियाओं में उनकी प्रगति से अवगत कराना है प्
इस अवसर पर संस्था के निदेशक संजय यादव ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि शिक्षक.अभिभावक संघ की बैठक अपना विशेष महत्व रखती है जिसके द्वारा विद्यालय व समाज एक दूसरे के सम्पर्क में आते है जिससे विद्यार्थियों की शैक्षिक एवं सामाजिक प्रगति का विकास होता है
कार्यक्रम को अंत मं विद्यालय के प्राचार्य नरेन्द्र गौतम ने भी संबोधित किया अभिभावकों का शिक्षक.अभिभावक संघ की बैठक में आने पर उनका हार्दिक आभार प्रकट किया । कार्यक्रम में समस्त अध्यापकगण एवं अभिभावक उपस्थित थे।
एसडी विद्यालय ककराला में दीया डेकोरेशन प्रतियोगिता का आयोजन
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कनीना। एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला में प्रकाश के पावन त्योहार दिवाली के उपलक्ष्य में दीया डेकोरेशन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता कक्षावार एल के जी से 12वीं के विद्यार्थियों के बीच हुई। सभी प्रतिभागीयो ने बहुत ही सुंदर दीये सजाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
रैडीयन्ट विभाग में कक्षा छठी से अंशिका व प्रिया ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। सातवीं कक्षा से अदिती व नैन्सी पुत्री नवीन ने संयुक्त रूप से तथा कक्षा आठवीं से सिद्ध ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। छठी कक्षा से वंशिका व कंचन एवं सातवीं से देवांशी तथा आठवीं कक्षा से आंकाक्षा द्वितीय स्थान पर रहे।
कनिष्ठ विभाग में आठवीं कक्षा से दीपिका , शाक्षी व भूमिका ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। सातवीं कक्षा से प्रतिक , रिया व हर्ष ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। छठी कक्षा से दिपेश , रिशान्त व निधि व पांचवीं से रिद्धि शिवांशु व कल्पना ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। चौथी कक्षा से रक्षा , नवया तथा तीसरी कक्षा से दिव्यांशी प्रथम स्थान पर रहे। दूसरी कक्षा से हार्दिक , सौरय व कनिष्का व प्रथम कक्षा से पार्थ व तनवी तथा यूकेजी से रिशु व एलकेजी से जयन्त प्रथम स्थान रहे।
वरिष्ठ विभाग में नौवीं कक्षा से गुनमय पतथा दसवीं कक्षा महम प्रथम स्थान पर रहे। नौवीं कक्षा से यतीन ्र, तम्मना तथा दसवीं कक्षा व हर्षित ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। बाहरवीं कक्षा से कर्ण ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
विद्यालय निदेशक जगदेव यादव ने सभी प्रतिभागियों को शुभ कामनाएं देते हुए कहा कि सभी पाठ्य सहगामी क्रियाओं में सभी विद्यार्थियों की भूमिका सुनिश्चित होनी चाहिए। इससे विद्यार्थियों के कौशल विकास में वृद्धि होती है तथा आत्मविश्वास बढ़ता है। भारत एक विशाल और उत्सव प्रिय देश है। यहां के हर त्योहार का अपना महत्व है। ओर हर त्योहार कोई न कोई संदेश देता है। हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों पर चलते हुए समाज में नैतिकता को स्थापित करने का प्रयास करते रहना होगा।
इस अवसर पर प्राचार्य ओमप्रकाश, वरिष्ठ सदस्य राजेन्द्र यादव, सीईओ आरएस यादव, वरिष्ठ विभाग के मुखिया पूर्ण सिंह, कनिष्ठ विभाग के मुखिया नरेन्द्र यादव, शैक्षणिक विभाग के मुखिया सुनील यादव, सुरेन्द्र कुमार चौहान, संदीप कुमार, सरित बाला, सुशीला, अनिता, शोभा राय, सुमित्रा उपस्थित रहे।
दहेज विरोधी संस्था का निर्विरोध हुआ चुनाव
.रामेश्वर दयाल गोमला को चुनाव प्रधान
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कनीना। दहेज विरोधी संस्था ने बैठक कर कार्यकारिणी का गठन किया गया। उक्त आशय की जानकारी देते हुए रामेश्वरदयाल गोमला ने बताया हमने एक दहेज विरोधी संस्था चला रखी है जिसका कार्यकाल 3 वर्ष का रखा जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य बिना मां बाप की बच्चियों की शादी करना होता है उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार इस संस्था ने कई शादियां कराई है जिन का सारा खर्चा स्वयं संस्था उठाती है। उन्होंने बताया कि हमारी संस्था 3 वर्ष तक कार्य करती है उसके बाद फिर संस्था में कार्यकारिणी का गठन किया जाता है जिसको लेकर आज हमारी संस्था में फिर कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षता जगराम यादव सुंदराह ने की वहीं दहेज विरोधी संस्था में प्रधान रामेश्वर दयाल गोमला को बनाया गया तथा उप प्रधान अशोक कुमार व सतीश कुमार राता कला को मनोनीत किया गया वही सचिव दयानंद शर्मा गोमली उपसचिव देवराज खराना खजांची ईश्वर सिंह सांतोद प्रवक्ता हंसराज रामबास सूचना अधिकारी विनोद कुमार एडवोकेट भोजावास आदि को सर्वसम्मति से चुनाव किया गया।
फोटो कैप्शन 02: दहेज विरोधी संस्था के चुने हुये पदाधिकारी।
मंगलवार से दीपावली पर्व की शुरूआत
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कनीना। दीपावली का पर्व एक पर्वों का समूह है। इस पर्व से पहले तथा बाद में भी दीपावली की धूम रहती है। मंगलवार से ही दीपावली पर्व की शुरूआत हो जाएगी। धन तेरस का पर्व मनाया जा रहा है जिसके बाद तो एक के बाद एक पर्व लगातार चलते रहेंगे।
ग्रामीण अचल में 02 नवंबर धन तेरस के दिन से ही दिवाली के दीये जलाने शुरू कर दिए जाते हैं। इस दिन माना जाता है कि बर्तन खरीदना लाभकारी है। यही कारण है कि इस दिन बर्तनों की दुकानों पर भारी भीड़ मिलती है। धन तेरस के दिन ही बर्तन क्यों खरीदे जाते हैंए के विषय में माना जाता है कि देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन के पश्चात इसी दिन ही धनवंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से बाहर आए थे। अमृत पाने के लिए देवता बर्तन लेकर दौड़े थे। इसी कारण से यह दिन धनवंतरि त्रयोदशी कहलाता है। लोगों का मानना है कि धनवंतरि इस दिन ही सभी को अमृत बांटते हैं और अमृत पाने की लालसा को लेकर नए बर्तन खरीदे जाते हैं। प्रार्थना की जाती है कि उनका यह नया बर्तन अमृत से भरा रहे और परिवार खुश एवं खुशहाल रहे। वैद्य के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।
दिवाली के एक दिन पूर्व यानी 03 नवंबर नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली का त्योहार आता है। यह पर्व श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे स्नान करना लाभप्रद माना जाता है। अतरू लोग सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करते हैं। इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दिवाली का पर्व कहा जाता है। नरक चतुर्दशी का पर्व असुर नरकासुर की याद दिलाता हैं। अति अभिमानी और देवताओं को सताने वाला नरकासुर राक्षस का भगवान् श्रीकृष्ण ने इसी दिन वध किया था। कहीं मृत्यु का देवता उन्हें नरक न प्रदान करेए इस भय के मारे लोग यमराज की पूजा करते हैं। इसे दूसरे दिन की दिवाली भी कहा जाता है।
04 नवंबर दिवाली का पर्व अंधेरे को मिटाने वाला तथा प्रकाश रूपी पुष्प भेजने वाला हिन्दुओं का महान पर्व है। जब भगवान् श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास भेजा गया था तभी से प्रजाजन अति दुरूखी थे और पल.पल उनको याद करते रहते थे। आखिरकार एक दिन रावण ने सीता का ही हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। हनुमान की सहायता से जब सीता का पता लगाया तो भगवान् श्रीराम ने लंका पर धावा बोलकर रावण का वध कर दिया जिसे दशहरा नाम दिया गया । उस दिन पश्चात श्रीराम अयोध्या के लिए लौट चले थे। जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो लोगों ने खुशी के मारे तीन दिन देशी घी के दीये जलाए थे। तभी से यह त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। अमावस्या के दिन घोर अंधेरा होता है किंतु दीप जलाकर इस अंधेरे को नष्ट कर दिया जाता है। इस त्योहार पर घरों और आवास को चमकाया जाता है। लक्ष्मी सरस्वती और गणेशजी की पूजा की जाती है।
दिवाली के अगले दिन अर्थात 05 नवंबर अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग। एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि.त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर.चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है।
दिवाली के दूसरे दिन यानी 06 नवंबर को भैया दूज नाम से जाना जाता है। यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने भाई को बुलाकर उनका आदर सत्कार करती हैं। तथा उनके दर्शन किए बगैर अन्न भी ग्रहण नहीं करती हैं। बहन भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा करती हैं। इस प्रकार दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनों तक चलने वाला पर्व हैे जिसका महत्व आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उतना ही है जितना पहले कभी होता था।
फोटो कैप्शन 2: बाजार में बर्तनों की सजी हुई दुकानें।
यादगार दीवाली मनाएंगे शहीदों को याद करेंगे
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कनीना। लोगों में धीरे धीरे आई जागरूकता के चलते इस बार प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिए युवा एवं बुजुर्ग आगे आने लगे हैं। दीवाली के दिन दीये जलाकरए घर की मिठाई खाकर मनाएंगे। दीवाली को हंसी खुशी, भाईचारा एवं एकता के साथ एक दूसरे को मिठाई बांटकर मनाना चाहते हैं। इस बार दीवाली पर युवा एवं बुजुर्ग जागृत हैं और वे प्रदूषण के विषय में जानते हैं। मैत्रीभाव से मिलकर दीवाली मनाने का निर्णय लेने वालों की होड़ लगी हुई है। दीये जलाने व शहीदों की याद में एक एक दीया जलाने का निर्णय लिया है।
कनीना के समाजसेवी विजयपाल का कहना है कि पटाखों से भारी प्रदूषण होता है जहां कोर्ट के आदेशों के चलते राहत मिली है वहीं लोग जागरूक हुए हैं। यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वे पेड़ पौधे लगाकर तथा लोगों को सादगीपूर्ण दीवाली मनाने को प्रेरित करेंगे। उनको प्रदूषण खल रहा है।
युवा राजेश शास्त्री का कहना है कि प्रसिद्ध पर्व पर प्रदूषण क्यों करेंघ् हवन आदि करके वातावरण को शुद्ध रखने का प्रयास किया जाएगा। लोगों को प्रेरणा देकर पटाखे न चलाने या बहुत कम चलाने पर बल दिया जाएगा। उनका कहना है कि गले मिलकर मिठाई का आदान प्रदान करके ही दीवाली का आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि खुशियों का त्योहार है इसमें नाखुशी कैसे बर्दाश्त की जाएघ्
निर्मल कुमार नांगल हरनाथ का कहना है कि प्रेमए भाईचाराए एकता का पर्व दीवाली है। इस पर्व पर प्रदूषण करके बुजुर्ग एवं रोगियों के लिए सांस लेने की तकलीफ पैदा हो जाती हैं। ऐसे में अगर प्रदूषण रहित दीवाली सबके मन को लुभाएगी। उन्होंने मिठाइयां बांटकर दीवाली मनाने पर बल दिया।
समाजसेवी जसवंत सिंह का कहना है कि देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। पर्व पर तेल या मोमबत्ती जलाना अशुभ मानते थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
डा मुंशीराम का कहना है कि देसी घी के दीये जलाकर हिंदुओं के महान पर्व को मनाना अति लाभदायक एवं फलदायक होता है। देसी घी के दीये जलाने प्रदूषण नामक बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे भी घरों में पशुधन मिलता है और देसी घी भी आसानी से मिल जाता हे। ऐसे में इस पर्व पर देसी घी के दीये ही जलाएंगे।
महेश कुमार समाजसेवी का कहना है कि वे न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
फोटो कैप्शन: राजेश शास्त्री विजयपाल निर्मल कुमार महेश कुमार जसवंत सिंह डा मुंशीराम।
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Monday, November 1, 2021
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