आदर्श गांव दौंगड़ा अहीर में खेल महाकुंभ का हुआ समापन
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कनीना। । अमीलाल टूर्नामेंट का समापन सामाजिक न्याय मंत्री ओम प्रकाश यादव ने किया।
संवाद सहयोगी,कनीना। क्षेत्र के खेल महाकुंभ का समापन सामाजिक न्याय मंत्री ओमप्रकाश यादव ने किया। यंग फार्मर क्लब दौंगड़ा अहीर के इंजीनियर अशोक यादव ने बताया की 2 दिन चले इस महा खेल महाकुंभ में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब तक के खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया तथा क्षेत्र के लोगों ने काफी मनोरंजन किया। जहां पर दूर-दूर से आई कबड्डी की टीमों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।कुश्ती में भी दूर-दूर के पहलवानों ने आकर इस खेल महाकुंभ शोभा बढ़ाई कबड्डी प्रतियोगिता के फाइनल मैच में राजीव गांधी खेल स्टेडियम रोहतक ने बापोड़ा भिवानी को हराकर पहला स्थान प्राप्त किया। पहले स्थान पर रहने वाले टीम को 51000 रुपये तथा दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 31000 रुपये का इनाम मिला तथा जीतपुरा तथा पाई को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला । वही वालीबाल प्रतियोगिता में पहले स्थान पर नजफगढ़ की टीम रही है जिस को 31000 रुपये इनाम मिले वही दूसरा स्थान बहादुरगढ़ की टीम वही जिसको इनाम स्वरूप 21000 रुपये मिले। 31 हजार रुपए की कुश्ती पहलवान संजय कुमार दिल्ली ने जीती। वही इस खेल महाकुंभ में मंत्री ओमप्रकाश यादव के पहुंचने पर ग्राम वासियों की तरफ से वेद प्रकाश आर्य तथा निवर्तमान सरपंच होशियार सिंह ने मंत्री ओम प्रकाश यादव का स्वागत किया। वेदप्रकाश आर्य ने गांव की प्रमुख मांगो को मंत्री के सामने रखा। मंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा की युवा अधिक से अधिक खेल खेलें और योग करें। उन्होंने कहा कि सभी मांगों को वो जल्द से जल्द पूरा करेंगे।
इस अवसर पर जेजेपी के वरिष्ठ नेता कुंवर सिंह कलवाडी ,कर्ण सिंह पहलवान,मामन सिंह,वीर सिंह, अमरजीत, दिनेश पंच, इंजी.अशोक,रवि यादव, विकाश,नरेंद्र, बलजीत, रमेश कोबरा महिपाल मास्टर और समस्त ग्रामीण उपस्थित थे।
फोटो साथ हैं
बिजली विभाग ने की छापेमारी
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कनीना। रविवार को सुबह सवेरे बिजली विभाग ने छापामारी कर विभिन्न घरों से अवैध बिजली प्रयोग करते हुए, राड लगाते हुए तथा बिजली का दुरुपयोग करते हुए पाया। विजय कुमार जेई के नेतृत्व में बिजली कर्मचारियों की टीम ने छापामारी की जिसके चलते हड़कंप मच गई।
चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करने के लिए जरूरी है जीवन कौशल शिक्षा-सूर्यकांत
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कनीना। उम्मीद काउंसलिंग सेंटर डाइट महेंद्रगढ़ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव का कहना है कि आज के इस भौतिकवादी युग में अधिकांश निजी विद्यालयों का फोकस बच्चे की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर होता है। लगभग सभी विद्यालयों में एक निश्चित या बंधे हुए पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाती है और उसी पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चे का मूल्यांकन किया जाता है। इतना ही नहीं अभिभावक तथा शिक्षक भी उस निश्चित पाठ्यक्रम को आधार मानकर बौद्धिक क्षमता या बुद्धि लब्धि बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।अभिभावक व विद्यालय प्रबंधन चाहता है कि हमारा बच्चा अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग कर कक्षा में अधिकाधिक नम्बर प्राप्त कर जीवन की ऊंचाइयों को छुए। लेकिन बौद्धिक विकास के साथ-साथ भावनात्मक बुद्धि का विकास भी जरूरी होता है जो छात्रों के व्यवहारिक जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। अब शिक्षकों के लिए यह जरूरी है कि छात्रों का मूल्यांकन एक निश्चित व बंधे हुए पाठ्यक्रम के आधार पर करने की बजाय सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आधार बनाकर किया जाना चाहिए तथा बच्चों की अभिरुचि को समझकर उनकी कार्यकुशलता को विकसित किया जाना चाहिए।
अभिभावक तथा शिक्षकों को यह भली भांति जान लेना चाहिए कि छात्रों के लिए उचित निर्णय लेने,समस्याओं को सुलझाने,गंभीर और सृजनात्मक तरीके से सोचने,प्रभावी ढंग से संवाद करने,स्वस्थ संबंध बनाने, दूसरों के साथ सहानुभूति रखने और स्वस्थ तथा प्रभावी ढंग से अपने जीवन का प्रबंधन करने के लिए एवं चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करने के लिए जीवन कौशल शिक्षा बहुत ही आवश्यक है।
असल में बच्चे कोमल मिट्टी के समान होते हैं। इन्हें जैसा आकार दिया जाता है उसी रूप में ढल जाते हैं। बचपन में बताई गई बातें और आसपास के परिवेश से जो कुछ सीखने को मिलता है उसी के अनुरूप उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और कर्त्तव्य बन जाता है कि वे अपने छात्र-छात्राओं को जीवन कौशलों की शिक्षा देकर उनमें एक स्वस्थ जीवनशैली विकसित करें।
दरअसल छात्र जीवन में अनेक शारीरिक व मनोसामाजिक परिवर्तन बड़े तीव्र गति से होते हैं। छात्रों के समक्ष आत्म- छवि बनाने,भावनाओं को प्रबंधित करने,सामाजिक कौशलों को मजबूत करने और आपसी दबाव से निपटने या विरोध करने से संबंधित कई मुद्दे और चिंताएं होती हैं। छात्र संवेदनशील होने के कारण अनेक जोखिम भरी स्थितियों से घिर जाते हैं और इन जोखिम पूर्ण स्थितियों से कैसे निपटा जाए यह निर्भर करता है उनकी जीवन कौशल शिक्षा पर। इसी दिशा में शिक्षा निदेशालय पंचकूला द्वारा यह महसूस किया गया कि छात्रों के पास ऐसे अनेक मुद्दे और प्रश्न थे जिन्हें केवल प्रशिक्षित परामर्शदाताओं और पेशेवर मनोवैज्ञानिकों द्वारा ही संभाला जा सकता था। इसीलिए शिक्षा विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में उम्मीद कॉउंसलिंग सेंटरों को स्थापित कर छात्रों व शिक्षकों के अनेक मनोवैज्ञानिक पहलुओं और मुद्दों को सुलझाने की पहल की गई।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत
पत्रकार के घर दूसरी बार हुई चोरी
- सितंबर माह में भी अज्ञात चोर चोरी कर ले गए थे
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कनीना। दौंगड़ा अहीर के पत्रकार अशोक कुमार के घर शनिवार की रात को अज्ञात चोर घुस कर नकदी व सोने-चांदी के जेवरात ले उड़े। उनके घर में सितंबर 2021 को भी चोरी हुई थी। पत्रकार गांव में हो रहे खेल उत्सव में गए हुए थे इसलिए देर रात लौटे तब तब तक चोरी हो चुकी थी।
पुलिस में दी शिकायत में अशोक कुमार ने कहा है कि अज्ञात चोर घर में घुसकर 7500 रुपये नकद एक सोने की कंठी, एक चांदी की चेन, पांच सोने के लोंग,पांच जोड़ी चुटकी, पांच से सात चांदी के सिक्के अज्ञात चोर चोरी कर ले गए। उन्होंने गांव के किन्हीं चोरों पर शक जाहिर किया है। दौंगड़ा पुलिस चौकी मामले की जांच कर रही है।
अशोक कुमार ने बताया कि 6 सितंबर को भी चोरों ने उनका घर निशाना बनाया था। उस समय भी उनके घर से 2 तोला सोने के गहने, एक गिरनी एक सिक्का एक नाक की बाली ,2 जोड़ी पाजेब तथा 700 रुपये की नकदी ले उड़े थे।
पूर्व शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा के बहनोई शेर सिंह के निधन पर अनेक गणमान्य लोगों ने जताया शोक
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कनीना। कनीना खंड के गांव झाड़ली के निवर्तमान सरपंच भगवत दयाल के मौसा शेर सिंह के निधन पर अटेली विधायक सीताराम यादव, पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा व महेंद्रगढ़ भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा एडवोकेट सहित अनेकों लोगों ने उनके आवास पर पहुंचकर शोक व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि गांव झाड़ली के निवर्तमान सरपंच भगवत दयाल शर्मा के मौसा शेर सिंह शर्मा का ट्यूबवेल पर जाते समय 10 अक्टूबर को बाइक से एक्सीडेंट हो गया था। वह पीजीआई रोहतक में उपचाराधीन थे। जहां उनका 27 नवंबर को निधन हो गया। शेरसिंह शर्मा का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव झाड़ली में शनिवार को दोपहर बाद किया गया। शेर सिंह शर्मा पूर्व शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा की बहनोई थे, शेर सिंह शर्मा सामाजिक व धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। उनके निधन पर क्षेत्र के अनेक लोगों ने उनके आवास पहुंचकर शोक व्यक्त किया। शोक व्यक्त करने वालों में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव के पीआरओ राजेश यादव, सुरेश यादव कुरहावटा, गौतम शर्मा एडवोकेट, राजेंद्र उर्फ राजू, लालचंद, हरनारायण, राजकुमार, सुभाष यादव लावन व बलवंत यादव अमित मादौगढ़ सहित अनेक लोग मौजूद थे।
कहीं खुशी कहीं गम
-कनीना क्षेत्र में किसानों का रुझान फल सब्जियां उगाने की ओर
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कनीना। कनीना उपमंडल में सब्जी मंडी का अभाव होते हुये भी किसान फल एवं सब्जियां उगाने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। सर्दी एवं गर्मी भारी मात्रा में फल एवं सब्जियां पैदा की जाती हैं जिन्हें रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, चरखी दादरी बेचने के लिए जाना पड़ता है।फल तथा सब्जियां उगाकर किसानों में कहीं खुशी तों कहीं गम देखने को मिल रहा है।
मन मोहने लगे हैं किन्नू---
कनीना उपमंडल के गांव करीरा स्थित महावीर सिंह अग्रणी किसानों में एक माने जाते हैं। उनके यहां एक एकड़ में करीब एक सौ पेड़ किन्नू के फलों से लद गए हैं और फल देने लग गए हैं। उन्हें अनुमान है कि 80 क्विंटल इस बार पैदा किन्नू होंगे जिससे उन्हें करीब 80 हजार से एक लाख रुपये तक की आय प्राप्त होगी।
महावीर सिंह ने बताया कि विगत वर्ष भी किन्नू ने अच्छी पैदावार दी थी परंतु यदि वे स्वयं इनका उत्पादन कर बेचने जाते हैं तो अधिकार आय होती है और ठेके पर देने पर कम पैदावार देंगे।
उन्होंने बताया कि अक्सर भडफ़ के पास मुख्य सड़क मार्ग पर ताजा किन्नू स्वयं भी बेच देते हैं। यही कारण है विगत वर्षों से महावीर अमरूद बाजरे के बिस्कुट, विभिन्न प्रकार के आचार, बेर, नींबू, आंवला के लड्डूआदि के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार किन्नू गत वर्ष की तुलना में कुछ महंगे है।
जैविक विधि से मूली उगाकर भडफ़ का किसान हरीश कमा रहा मुनाफा-
अधिकतर किसान परंपरागत तरीके से सरसों, गेहूं जैसी फसलों की खेती करते हैं। जिससे उन्हें उतना फायदा नहीं हो पाता है। ऐसे में किसान सब्जियों की खेती मुनाफा कमा रहे है। बागबानी विकास केंद्र सुंदरह के डीएचओ डॉ प्रेम, मूली की खेती के बारे में बताते हैं कि जैसे आपके पास एक एकड़ जमीन है, उसमें एक ही फसल कभी मत लगाइए। एक दो तीन साल अनुभव करिये और थोड़ी थोड़ी सब्जियां लगाइए। सब्जियों का मार्केट और मार्केट भाव देखकर उसकी खेती करनी चाहिए। मूली की खेती करने के लिए महेंद्रगढ़ जिला उत्तम है। भडफ़ गांव के किसान हरीश यादव जैविक विधि से मूल उगा कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। किसान हरीश ने बताया कि उन्होंने तकरीबन दो महीने पहले 1 एकड़ में मूलियां उगाई थी जो 45 दिनों में तैयार हो गई है। एक एकड़ में तकरीबन 100 क्विंटल मूली हो जाती है इस वक्त मूली 7 रुपये से 10 रुपये किलो थोक के भाव में बिक बिकने के बाद अब भाव गिरे हैं। उनका कहना है कि एक एकड़ में तकरीबन 80 हजार रूपये की मूली बिक जाती है। किसान हरीश ने बताया कि हर वर्ष मूली के साथ-साथ अन्य सब्जियां उगाते हैं।
जैविक खेती करने के लिए कर रहे हैं जागरूक-
किसान हरीश ने खेत के पास ही एक नर्सरी बनाई हुई है उस पर सब्जियों को बेचने के साथ-साथ लोगों को जैविक विधि से गेहूं सरसों का सब्जियों को उगाने के लिए जानकारी देते रहते हैं। किसान ने बताया कि उन्होंने गांव में ग्रुप बनाए हुए हैं। जिसके तहत महीने में एक बार सामूहिक बैठक का आयोजन किया जाता है उस बैठक में सभी लोगों को बुलाकर जैविक विधि से सब्जियों को उगा कर बाजार में बेचने तक की जानकारी साझा करते हैं।
गाजर के भाव गिरने से किसान परेशान-
गाजर के भाव दीपावली के बाद तक बेहतर मिलने के पश्चात अब दिनों दिन घटते जा रहे हं जिसके चलते किसान परेशान हैं। किसानों ने बड़े उत्साह के साथ गाजर उगाई थी जो दीपावली पर 45 रुपये किलो तक गाजर के भाव मिले थे किंतु वर्तमान में थोक भाव 7 से 8 रुपये प्रति किलो हैं जिसके चलते किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। किसान महाबीर, ललित,गजराज सिंह, महेश कुमार आदि ने बताया कि उन्होंने एक-एक एकड़ में गाजर की काश्त की थी। दीपावली पर जहां 30 रुपये किलो तक भाव मिले जबकि दीपावली के बाद तक भी 45 रुपये किलो तक भाव आ गये थे। अब प्याज के भाव में भी गिरावट आ गई और गाजर के भाव तो ज्यादा गिर गये हैं।
उन्होंने बताया कि गाजर खोदाई का खर्चा ज्यादा आता है। किसानों ने बताया कि इस भाव में बेचने की बजाय खोदाई ही बंद कर दी है। भाव बेहतर होने पर खोदाई कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि किसान की सबसे बड़ी समस्या सब्जी उगाने में आती है, कभी भाव बहुत अच्छे मिलते हैं तो कभी भाव कम मिलते हैं। किसान अच्छे भाव का इंतजार कर रहे हैं।
सब्जी मंडी का अभाव-
कनीना क्षेत्र में सब्जी मंडी का अभाव है। कनीना की सब्जी मंडी चेलावास में स्थापित होने जा रही है। सब्जी मंडी बन जाने पर ही उन्हें अधिक लाभ मिलेगा। किसानों की नजर सब्जी मंडी पर टिकी हुई है। वर्तमान में दूर दराज सब्जी मंडियों में सब्जी बेचने जाना पड़ता है।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
डा देवराज कृषि विस्तार सलाहाकार का कहना है कि कनीना की बावनी नाम की भूमि पर गर्मियों तथा सर्दियों में भारी मात्रा में सब्जी होती है। इससे किसानों को बेहतर लाभ मिलता है। अगर सब्जी मंडी पास हो तो किसानों की आय बढ़ सकती है।
फोटो कैप्शन 7: मूली की पैदावार लेता किसान हरीश भडफ़
8 व 9: किन्नू से लदे हुये पेड़ तथा दिखाता महाबीर किसान
10: किसान ललित गाजर दखाते हुये।।
हमने भाजपा को वोट दिया, हम धू प्रदूषण टूटी सड़क का ले रहे हैं मजा
....... टांग दिया है कनीना मंडी में साइन बोर्ड
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कनीना। टूटी सड़कों की सुध न लिए जाने पर लोग बेहद तंग है और अब सड़कों पर साइन बोर्ड टांगने लग गए हैं जिसमें साफ लिखा होता है कि हमने भाजपा को वोट दिया, आज हम धूल ,प्रदूषण, टूटी सड़क का मजा ले रहे हैं। अधिकारी और नेताओं से निवेदन है कि हमारे साथ बैठकर वातावरण का आनंद ले। ऐसा ही बोर्ड कनीना मंडी में पीएनबी बैंक शाखा के पास पेड़ों पर टंगा हुआ दिखाई देता है।
उल्लेखनीय है कि कनीना अनाज मंडी मार्ग बहुत जर्जर हो चला है और यहां भाजपा को वोट देने वालों की कमी नहीं थी। फिर भी इस सड़क की सुध लिए जाने पर आखिरकार रातों रात यह साइन बोर्ड टांग दिया गया है जिसको देखने वाले लोग पढ़कर पता लगा लेते हैं कि सड़क अति जर्जर है। उधर भाजपा के लोग सीधे शब्दों में अब समझने लगे हैं कि इनकी सड़क की सुध जल्द से जल्द ली जाए वरना ऐसे बोर्ड और भी टंग सकते हैं। उल्लेखनीय कनीना अनाज मंडी मार्ग दो भागों में बटा हुआ है जहां नगरपालिका के तहत आधा सड़क मार्ग आता है वही आधा मार्ग मार्केट कमेटी के तहत आता है। कनीना पालिका ने पहले ही इस सड़क का एस्टीमेट दिया हुआ है। ऐसी बात कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताई। उधर नेता अतरलाल ने सड़क की सुध न लेने के चलते रोष स्वरूप जुलूस निकाला था और इस सड़क की सुध लेने की मांग की थी।
फोटो कैप्शन 6: कनीना मंडी सड़क मार्ग पर पेड़ों पर टंगा टूटी सड़क को दर्शाने वाला साइन बोर्ड।
मृत देह उलझी सीमा विवाद में
-लंबे समय बाद माना कि यह कनीना पुलिस क्षेत्र का मामला
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कनीना। कोटिया गांव के पास एक बाइक सवार को ट्रक ने कुचल दिया। अपने माता पिता की इकलौती संतान था। मृत सचिन को महेंद्रगढ़ तथा रेवाड़ी सीमा विवाद में भी उलझा रहा। मिली जानकारी के अनुसार कोसली की तरफ से आ रहे बाइक सवार को रेवाड़ी और महिंद्रगढ जिले की सीमा पर तेज गति से आ रहे राजस्थान नम्बर के ट्रक ने कुचल दिया। बाइक सवार सचिन कैोटिया का रहने वाला था। ये लोग बहुत समय से कनीना ही रह रहे थे। मृतक सचिन अपने मां बाप के एक ही संतान था। राजस्थान नम्बर ट्रक चालक बाइक सवार को कुचलने के बाद रुका नही और तेज गति से ट्रक को दौड़ाता हुआ ले जा रहा था। वही नजदीक पैट्रोल पंप पर काम करने वाले लोगों ने एक किलोमीटर पीछा करके ट्रक को रुकवाया। मौके पर कनीना पुलिस व रेवाड़ी जिले की नाहड़ पुलिस चौकी के कर्मी आए। लंबे समय तक पता नही लग पायामृतक रेवाड़ी जिले की सीमा में है या महेंद्रगढ़ जिले की सीमा में है। घटना दोनों जिलों की सीमा की है। बाद में कनीना पुलिस ने शव अपनी सीमा में माना।
बढ़ती ही जा रही है सरसों की खेती जबकि चने की खेती घटी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सरसों की खेती बढ़ती ही जा रही है जबकि चने की खेती घट रही है। इस बार विगत वर्ष की तुलना में सरसों अधिक उगाई गई है किंतु भरसक प्रयासों के बावजूद भी चने की खेती अधिक नहीं बढ़ पा रही है। सरकार द्वारा किसानों को सरसों के बेहतर दाम दिए जाने के चलते सरसों की फसल की तरफ बढ़ा है। यद्यपि स्कूल, कालेज, मैरिज प्लेस बनाये जाने, बागवानी की ओर रुझान होने के चलते कृषि योग्य बेशक भूमि घटी है इसके बावजूद भी इस वर्ष क्षेत्र में सरसों की फसल की बिजाई 800 हेक्टेयर पर अधिक की गई है। वहीं क्षेत्र में गेहूं की बिजाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल तो सरसों का 5050 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज ने बताया कि ने बताया कि खंड में 2018 में करीब 19300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की फसल की बिजाई की गई थी जो वर्ष 2019 में 19950 हेक्टेयर तो 2020 में 19500 हेक्टेयर पर बिजाई की गई है। गेहूं की पैदावार 2018 में 11020 हेक्टेयर पर, वर्ष 2019 में 10405 हेक्टेयर तो 2020 में 10200 हेक्टेयर पर बिजाई की गई है। चना वर्ष 2018 में 50 हेक्टेयर, 2019 में 40 हेक्टेयर तो 2020 में 10 हेक्टेयर पर उगाया गया है। वर्ष 2020 में सरसों 48425 एकड़ पर तो 2021 में 49200 एकड़ पर वहीं चना 2021 में आठ एकड़ में उगाया गया है।
चने लड़ा रहा अस्तित्व की लड़ाई-
करीब 20 वर्ष पहले किसानों का चना उगाने में बहुत उत्साह दिखाता था किंतु अब चने उगाना ही भूल गये हैं। चने को उगाने पर पैदावार नहीं दे पा रहा है। बरानी भूमि अभाव चने की पैदावार में रोड़ा बन गया है।
कनीना के दीपचंद ने विगत वर्षों भी एक एकड़ में चने उगाए थे और इस वर्ष भी उगाये हैं। किसान राजेंद्र सिंह, मा रविंद्र सिंह भी थोड़े से भूभाग पर चने उगाते हैं। रामानंद यादव ने बताया कि वे अब भी बेहतर चने की पैदावार ले लेते हैं। वे कई वर्षों से चने की खेती करते आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 01: लहलहाती सरसों की फसल।
अनाज मंडी में बाजरे का भाव एक माह में 350 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा
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कनीना। इस वर्ष जहां बाजरे की सरकारी खरीद नहीं हुई किंतु किसान खुली मंडियों में बाजरा बेच रहे हैं जहां 10 अक्टूबर को बाजरे के भाव 1360 पर प्रति क्विंटल था जो आज 23 नवंबर को 1760 प्रति क्विंटल के हिसाब से बीका है वहीं वर्तमान में 1725 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है। मुर्गीफार्म केंद्रों मांग अधिक होने के चलते किसानों के घरों से ही मुर्गी पालक बाजरा खरीदकर ले जा रहे हैं।
इस साल जहां राजस्थान में बाजरा का भाव अधिक होने के कारण बाजरे की आवक नहीं हुई केवल हरियाणा के किसानों का बाजरा ही अनाज मंडी के तक पहुंच रहा है। कनीना मंडी के व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष रविंद्र बंसल ने बताया कि 10 अक्टूबर को जहां बाजरा 1360 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था वहीं नवंबर माह में 1760 रुपये प्रति क्विंटल बिकने के बाद अब 1725 रुपये प्रति क्विंटल भाव चल रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने बाजरा एमएसपी दरों पर खरीदने की बात कही थी किंतु बाजरा न खरीदकर किसानों के खाते में 6 हजार रुपये प्रति एकड़ या 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से राशि डाल दी तथा दस एकड़ तक यह राशि डाली गई है।
अब तो किसानों को बाजरे के अच्छे भाव मिलने लगे हैं। उधर मुर्गी पालन केंद्र संचालक रमेश, दिनेश, योगेश, सुरेश आदि ने बताया कि मुर्गी पालन केंद्रों पर बाजरे की भारी मांग है। यही कारण है कि जहां खुली मंडियों तक कम बाजरा जाता है। जबकि बाजरे पर आधारित छोटे-छोटे उद्योग ध्ंाधे चलाने वालों तक अधिक मात्रा में पहुंच रहा है।
खत्म कर दी है बुर्जी और सेहदा
-लाल पत्थर भी इक्का-दुक्का नजर आता है
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कनीना। 1962 में चकबंदी के समय हर 5 एकड़ एवं 10 एकड़ पर स्थापित किए गए लाल पत्थर, दो गांवों की सीमा पर स्थापित बुर्जी, तीन गांवों की सीमा पर स्थापित सेहदा धीरे-धीरे किसानों ने खत्म कर दिया। अब जब पैमाइश होती है तो इनके अभाव में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। कभी-कभी तो दो गांवों की सीमा विवाद के चलते धरती को खोदना पड़ता है और बनाई गई बुर्जी को देखना होता है।
चकबंदी के समय में पूर्व से पश्चिम दिशा में हर 5 एकड़ पर तथा उत्तर से दक्षिण पर दिशा में 10 एकड़ पर लाल पत्थर नाम से पत्थर गाड़े गए थे। गहराई तक गाड़े गये ये पत्थर आज भी वैसे के वैसे मिल सकते हैं। यह सत्य है कि किसानों ने उनको इसलिए काट दिया या तोड़ डाला क्योंकि वे हल चलाने में या ट्रैक्टर द्वारा जुताई करने में समस्या बन रहे थे परंतु जब भी पैमाइश की जाती है तीन लाल पत्थरों का ही सहारा लिया जाता है। यदि इन पत्थरों की दूरी में कहीं फर्क भी पाया जाता है तो उसे किले से काट दिया जाता है। ये चकबंदी की बेहतरीन व्यवस्था थी। जब पैमाइश की गई, खेत का रास्ता छोड़ा गया था बहुत ही सूझबूझ से काम लिया गया था। पैमाइश के लिए, भविष्य के लिए भी लाल पत्थर छोड़े गए थे। दो गांवों की सीमाओं पर बुर्जी बनाई गई थी ताकि दूर से और नजर आए। वहीं तीन गांवों की सीमा पर सेहदा बनाए जाते थे और आज वो सेहदा नजर नहीं आते और लाल पत्थर भी नजर नहीं आते। यही हालात बुर्जियों की है।
दो गांव की सीमा पर बुर्जी स्थापित की जाती थी और जो गहराई पर स्थापित की जाती थी। कच्चा कोयला भरकर चूना से बनाई जाती थी। ऊपर लाल पत्थर या बुर्जी बनाई जाती थी ताकि दूर से दिखाई दे कि यह दो गांव की सीमा है और उन सीमाओं पर दोनों गांव के लोग पेड़ पौधे लगाते थे। विवाह शादी के समय भी इन सीमाओं पर रस्म अदा की जाती थी।
तीन गांव की सीमा हो वहां पेयजल सप्लाई टैंक जैसा सेहदा बनाया जाता था। यह भी 6-7 फुट गहराई तक गाड़ा जाता था। दूर से दिखाई देता था कि यहां 3 गांवों की सीमा लगती है।
ये बुर्जी और सेहदा खसरा एवं गिरदावरी में नोट किये जाते थे। जब भी पैमाइश की जाती है तीन लाल पत्थरों से मिलान करके की जाती है। यदि कहीं अंतर आता है तो किले से काटने की परंपरा है।
क्या कहते हैं उमेद सिंह जाखड़ पटवारी-
उमेद सिंह जाखड़ पटवारी का कहना है कि बुर्जी, सेहदा,लाल पत्थर चकबंदी की निशानी ही नहीं भविष्य में की जाने वाली पैमाइश का आधार होती है। इनके साथ छेड़छाड़ करना अपराध है। यदि इनके साथ छेड़ करता है तो उसकी एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। नियम अनुसार ऐसे व्यक्ति को सजा का प्रावधान है।
विवाह शादी में निभाई जाती है परंपरा-
विवाह शादी करके दुल्हन को गाड़ी में लाया जाता है तो वह अपने साथ एक लाल कपड़े से बंधेे हुए करवे में मिठाई तथा पैसे आदि डालकर लाते हैं। जब अपने गांव की सीमा में प्रवेश करते है तो इसे फेंक दिया जाता है। यद्यपि इसके पीछे माना जाता है कि जंगली जीव इस मिठाई को खाएंगे और वह भी खुश हो जाएंगे।
कौन-कौन सी सीमाएं लगती है-
कनीना की कुल 2383 हेक्टेयर भूमि है जिसके चारों ओर कोटिया, करीरा, भडफ़, उन्हाणी, चेलावास, ककराला, गाहडा आदि गांवों की सीमाएं लगती हैं। लगभग सारे पत्थर और बुर्जी सेहदा आदि तोड़ दिए हैं या भूमि में दबे हुए हैं। जब कभी गांवों की सीमा का विवाद हो जाता है तो बुर्जी को भूमि से खोदकर ढूंढा जाता है। परंतु ऐसा भी होता है कि कई बार ये नहीं मिलती।
फोटो कैप्शन 3 और 2: लाल पत्थर एवं लाल पत्थर को दिखाता किसान देशराज कोटिया।
30 नवंबर तक बनाये जाएंगे पहचान पत्र
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कनीना। चुनाव आयोग के आदेश अनुसार एक जनवरी 2022 को 18 वर्ष आयु आधार मानते हुए कनीना के 11 बूथों पर रविवार को नये मतदाताओं को सूचि में जोडऩे का काम चला। शनिवार को भी पहचानपत्र बनाये गये थे। 13 व 14 नवंबर को भी वोटर कार्ड बूथों पर बन चुके हैं। अधिकतम 20 पहचानपत्र विभिन्न वार्डों में बनाये गये। नवंबर माह में चार दिनों तक बीएलओ बूथों पर उपलब्ध रहे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सुनील कुमार बीएलओ ने बताया कि जिनकी उम्र 18 वर्ष उन्होंने विभिन्न बूथों पर दो दिनों तक मतदान पहचानपत्र बनाए गए हैं। बीएलओ ने बताया कि प्रथम जनवरी 2022 को आधार मानते हुए जिन युवाओं की उम्र 18 वर्ष हो गई हैं उनके नए वोट बनाए जा गये हैं। यह कार्य 30 नवंबर तक चलना है।
विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वोट बनाने के अलावा शुद्धीकरण, वोट शिफ्टिंग का कार्य भी किया किया जाएगा। नया वोट बनवाने के लिए फार्म नंबर 6, कटवाने के लिए फार्म नंबर 7, शुद्धिकरण के लिए फार्म 8 भरा जाएगा। उल्लेखनीय है कि कनीना, अटेली विधानसभा के तहत आता है। विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न मतदाता जिनकी उम्र 18 वर्ष हो गई है अपना वोट बनवाने के लिए निर्धारित फार्म भरकर जमा करवाये। कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सहित विभिन्न बूथों पर वोट बनवाने का कार्य चलेगा।
फोटो कैप्शन 5: मतदाता पहचानपत्र बनाते बीएलओ।
मोटरसाइकिल को ट्राला ने मारी टक्कर,एक की मौत, मामला दर्ज
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कनीना। कनीना -कोसली मार्ग पर कोटिया के पास एक ट्राले ने मोटरसाइकिल सवार को टक्कर मार दी जिससे मोटरसाइकिल सवार घायल हो गया। उन्हें घायल अवस्था में कनीना के उप नागरिक अस्पताल लाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने सोनू शर्मा कोटिया निवासी के बयान पर ट्राला चालक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। ट्राला चालक ट्राला छोड़ भाग खड़ा हुआ।
मिली जानकारी के अनुसार सचिन कोटिया निवासी अपनी मोटरसाइकिल पर कोसली किसी काम से जा रहा था। सोनू शर्मा कोटिया ने दिये बयान में कहा है कि वह सचिन के पीछे अपनी बाइक पर जा रहा था। कोटिया के पास पेट्रोल पंप से कारोली मोड़ की तरफ पहुंचे तो सामने से तेज रफ्तार का ट्राला आया और मोटरसाइकिल सवार सचिन को टक्कर मार दी। सचिन मोटरसाइकिल समेत सड़क पर गिर गया। ट्राला चालक ने ट्राले को साइड में खड़ा कर फरार हो गया। सोनू शर्मा सचिन को कनीना उप नागरिक अस्पताल लाया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कनीना पुलिस ने ट्राला चालक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।
घर में में बैठे लोगों से की मार पिटाई
- 9 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव भोजावास में घर में बैठे हुए लोगों के साथ विभिन्न लोगों ने आकर राड लाठी एवं डंडों आदि से मार पिटाई की। पुलिस आई तब तक भाग खड़े हुए। कनीना पुलिस ने दीपचंद नामक व्यक्ति की शिकायत पर 9 लोग विभिन्न लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
मिली जानकारी अनुसार दीपचंद ने पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि वह अपनी पत्नी अंगूरी तथा पुत्र वेद प्रकाश के साथ बैठे बात कर रहे थे। घर में बात कर रहे थे तभी सरजीत, उमेश, मोनू ,विकास सुधीर, सोनू, प्रमोद, कौशल, सुबोध से आए हुए लोगों ने वेद प्रकाश को थप्पड़ जड़ दिया तथा दीपचंद के साथ लाठी, उंडों एवं राड़ से मार पिटाई शुरू कर दी। जान से मारने की बोलने लगे। जब 112 पर कॉल कर पुलिस बुलाई और पड़ोसी बाहर आ गए तो ये लोग भाग खड़े हुए। दीपचंद को इलाज के लिए उसके परिजनों ने कनीना नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया जहां जहां से डाक्टरों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। उनका इलाज रोहतक में चल रहा है। कनीना पुलिस में दीपचंद ने की शिकायत पर 9 विभिन्न लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
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