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Thursday, November 18, 2021

 टमाटर चला होटलों में बथुआ पहुंचा गरीब की रसोई में
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 कनीना। कभी  टमाटर की सब्जी गरीब तबके के लिए उपलब्ध होती थी। देर सवेर दाल खाने को मिलती थी वे अब आदमी की पहुंच से दूर हो गई है। ये होटलों में अमीरों के लिए उपलब्ध हैं जबकि गरीब की रसोई में बथुआ दस्तक दे रहा है। किसान बथुये से परिचित होने से मजबूरन सब्जी के विकल्प  के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।
विगत दिनों से आलू, टमाटर और प्याज महंगाई के कई पायदान छू चुके हैं।  एक किलो दाल 130 रुपये की जिसमें प्याज व टमाटर लग से डालने पड़ते हैं। दाल भी ग्रामीण क्षेत्र के किसान की पहुंच से दूर हो गई अब यह आम लोगों की पहुंच में आ गई है। होटलों में आलू की सब्जी व दाल बनती है जिनको अमीर तबका खा सकता है। अब तो जिस घर में  टमाटर की सब्जी बनती है उसे अमीर बताया जा रहा है।
 गरीब की रसोई में झांक कर देखा जाए तो उसमें बथुआ जगह बना चुका है। जो खेतों में रबी फसल के साथ खुद पैदा होता है और अति औषधीय शाक होने के साथ-साथ कई रूपों में प्रयोग होता है। किसान कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार आदि ने बताया कि उनकी रसोई में बथुआ मिलता है जो रक्त विकारों में लाभप्रद है। एनीमिया के शिकार लोग बथुये को ढूंढकर लाते हैं।
किस रूप में प्रयोग होता है बथुआ-
ग्रामीण क्षेत्रों में तो जहां बथुआ रायता,कोफ्ता पराठे, खाटा का साग, कढ़ी, भाजी, दाल में तथा अन्य रूपों में प्रयोग करते आ रहे हैं। खूबी है कि यह मुफ्त में उपलब्ध है और आम जन इसके बारे में परिचित है।
 आसमान छू रहे हैं भाव -
जहां सब्जियां महंगी हैं वहीं बथुआ मुफ्त में मिलता है और गुणकारी होने के कारण लोग जमकर प्रयोग कर रहे हैं। जहां अमीरों को बथुआ पैसे में नसीब हो रहा है वही गरीबों को मुफ्त में और हर समय उपलब्ध हो रहा है। खेत के पास है रह रहे किसान जब चाहे इसे खेत से उखाड़कर प्रयोग कर रहे हैं। बथुआ पशुओं के लिए भी गुणकारी माना जाता है। वैद्य बालकिशन और श्रीकिशन शर्मा का कहना है कि खून की कमी, पेट की समस्याएं,वात रोग तथा विभिन्न प्रकार के रोगों में कारगर औषधि भी है। हरी पत्तेदार सब्जी भी है। आयुर्वेद में चिनोपोडियम कहा जाता है जो मानव के लिए उपहार है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बथुआ रसोई की ओर चला और अमीरों की रसोई एवं होटलों की और प्याज टमाटर पहुंचने लगा है।
फोटो कैप्शन 9:बथुआ
 10: बथुआ उखाड़ते लोग।







 
विशाल खेल प्रतियोगिता पहलवान अमीलाल टूर्नामेंट  27-28 नवंबर को
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कनीना। आदर्श ग्राम दौंगड़ा अहीर के खेल मैदान में एक विशाल खेल प्रतियोगिता पहलवान अमीलाल टूर्नामेंट  का आयोजन 27-28 नवंबर को किया जाएगा। यह प्रतियोगिता हर साल आयोजित की जाती थी लेकिन बीच में अपरिहार्य कारणों से यह खेल प्रतियोगिता बन्द हो गई थी।
ग्रामीण दिनेश, सुरेश तथा महेश कुमार बताते हैं कि इस प्रतियोगिता में दूर-दूर के खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में भाग लेते थे। कुल मिलाकर यह एक ऐसा उत्सव था जिसे दौंगड़ा ग्राम के निवासियों के साथ-साथ आस-पास के ग्रामवासी भी बड़े उत्साह और उमंग के साथ सेलिब्रेट करते थे। इसीलिए  प्रतियोगिता को दोबारा से शुरू करवाने के लिए गांव के लोगों की पिछले एक महीने से तैयारियां चल रही है तथा प्रतियोगिता को लेकर फिर आज के युवा मुखर हुए हैं। गांव के सहयोग और समर्थन से इसकी एक कमेटी यंग फार्मर क्लबका गठन किया गया।  एक बार पुन: जोश के साथ, नई युवा टीम के साथ इनका आयोजन 27 और 28 नवम्बर को कर रहा है।


 किसान जुटे सरसों की निराई गुड़ाई में
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 कनीना। जैसे तैसे किसानों ने डीएपी की कमी को झेलते हुये सरसों की बिजाई कर ली है। अगेती फसल उगाने वाले किसान निराई गुड़ाई में लग गए हैं। 49200 एकड़ पर सरसों की बिजाई की गई है जो विगत वर्षों की तुलना में रिकार्ड है। इतने क्षेत्रफल पर सरसों की बिजाई पहले कभी नहीं हुई थी। किसान अगेती फसल उगाने वाले किसान सुनील, दिनेश, महेश आदि ने बताया कि सरसों फसल खेतों में दिखाई देने लग गई है ऐसे में किसान निराई गुड़ाई के काम में लग गई है। किसानों ने बताया कर निराई गुड़ाई करने से खेतों में खड़े हुए अवांछनीय पौधों को हटाया जाता है ताकि फसल बेहतर हो सके। उन्होंने बताया कि निराई-गुड़ाई के बाद खाद का छिड़काव किया जाएगा और फसल बेहतर बन जाएगी।
 क्या कहता है कृषि विभाग-
कृषि विभाग के डा देवराज का कहना है कि विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष जहां 800 एकड़ पर अधिक सरसों की बिजाई की गई है। सरसों के अच्छे दाम मिलने से किसान उत्साहित है और धीरे-धीरे किसानों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है। गेहूं भी अधिक उगाई जाने की संभावना है। एक सप्ताह तक और गेहूं उगाया जा सकता है।
फोटो कैप्शन 8: खेत में निराई करता किसान।



चने उगाना भुला किसान
-विगत वर्ष की तुलना में दो एकड़ पर अधिक उगाये हैं चने
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 संवाद सहयोगी, कनीना। कनीना उपमंडल में जहां 1980 के दशक में भारी मात्रा में चने उगाये जाते थे और सरसों उगाने वाले किसान इक्का-दुक्का मिलते थे किंतु आज उसका उल्ट चने को भूल गए हैं। महज 10 एकड़ तक चने गये हैं। इस बार विगत वर्ष की तुलना में 2 एकड़ पर अधिक ैचने उगाये गये हैं।
 कनीना के किसान दीपचंद ने एक एकड़ में चने उगाये गये हैं। उन्होंने बताया कि 3 वर्ष पहले भी उन्होंने बेहतर पैदावार ली थी चने का साग तोडऩे वाले तथा अन्य किसान उनको देखकर लालायित जरूर है किंतु उगाने से हिचकिचा रहे हैं। यदि चने अधिक क्षेत्रफल पर उगाये जाये तो फिर से बीता हुआ जमाना लौट सकता है।
 क्या कहता है कृषि विभाग -कृषि विभाग की माने तो विगत वर्ष जहां 8 एकड़ में चने उगाये थे वहीं इस बार 10 एकड़ में चने उगाए गए हैं। उन्होंने बताया स्याणा और नौताना में चने उगाये जाते हैं। डाक्टर देवराज यादव ने बताया कि दस एकड़ में चने उगाये गये हैं। कनीना खंड में इक्का-दुक्का किसान अपने खेतों में जरूर चने उगा लेता है। वैज्ञानिकों की माने तो चने उगाने से खेत में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। चने का भाव भी कम नहीं है किंतु सरसों की बदौलत चने अधिक आय नहीं दे सकते हैं। यही कारण है कि किसान सरसों उगाने की चाहत रखते हैं।
फोटो कैप्शन 7: चने के खेत को निहारता किसान



 
एसडी विद्यालय के 209 खिलाडिय़ों का राज्य स्तर के खेलों के लिए हुआ चयन
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संवाद सहयोगी,कनीना। एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला में 8 नवबंर से 10 नवबंर 2021 को ब्लाक स्तर के और 12 नवबंर से 16 नवबंर 2021 तक जिला स्तर के खेलों का आयोजन किया । जिनमें एसडी विद्यालय के के 209 छात्रों का राज्य स्तरीय खेलों के लिए चयन हुआ। चयनित खिलाडिय़ों में लड़कों में बाक्सिंग के लिए अंडर 14 के 9 खिलाडिय़ों का, अंडर 17 के 4 खिलाडिय़ों का, 19 अंडर 06 खिलाडिय़ों का, लड़कियों में अंडर 17 की 6 लड़कियों का, अंडर 19 की 8 लड़कियों का, हाकी के लिए लड़कों में अंडर 14, 17 के लड़कों की टीम का, फुटबाल के लिए लड़कों में अंडर 14, 17, 19 के लड़कों व लड़कियों की टीम का, जूड़ो के लिए लडकों में अंडर 14 के 7 खिलाडिय़ों का, अंडर 17 के 5 खिलाडिय़ों का, अंडर 19 के 3 खिलाडिय़ो का, लड़कियों में अण्डर 14 की 6 लड़कियों का, अण्डर 17 की 3 लड़कियों का, अंडर 19 की 5 लड़कियों का, कुश्ती के लिए लड़कों में अंडर 14 के 3 लड़कों का, अंडर 17 के 2 लड़कों का, अंडर  19 के 9 लड़कों का, अंडर  14 की 7 लड़कियों का, अंडर  17 की 2 लड़कियों का, अण्डर 19 की 3 लड़कियों का, बास्केट बाल के लिए अंडर  17 की लड़कियों की टीम का, हैंडबाल के लिए लड़कों में अंडर 14 लड़कों व लड़कियों की टीम का, एथलेटक्स में अण्डर 14 के 4 लड़कों व 1 लड़की का, वालीबाल के अण्डर 14, 19 लड़कियों टीम का, अण्डर 17 के लड़कों की टीम का, थ्रोबॉल के लिए अंडर 17 के 1 लड़के का, बैडमिंटन के लिए अंडर  17 की 1 लड़की का आर्चरी के लिए अंडर 14 की 1 लड़की का, अंडर  19 के 2 लड़कों का और वेटलिफ्ंिटग के लिए 2 लड़कों का चुनाव हुआ। जो अपने आप में बड़ा ही गौरवशाली रहा।
विद्यालय निदेशक यादव जगदेव यादव ने राज्य स्तरीय खेलों के लिए चयनित खिलाडिय़ों को बधाई दी और खेलों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद भी जीवन में जरूरी है। जो जीवन में तन और मन को स्वस्थ रखते हैं। खेल भी जीवन का एक अंग है जो शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास में सहायक होते है। खेलों से जहां स्वास्थ्य ठीक रहता है वही मनुष्य का चारित्रिक व आध्यात्मिक विकास भी होता है।  खेल एक शारीरिक गति विधि है जो तनाव और चिंता को दूर करते है।
इस अवसर पर प्राचार्य ओमप्रकाश, वरिष्ठ सदस्य राजेन्द्र यादव, सीईओ आरएस यादव, वरिष्ठ विभाग के मुखिया पूर्ण सिंह, कनिष्ठ विभाग के मुखिया नरेन्द्र यादव, शैक्षणिक विभाग के मुखिया सुनील यादव, सुरेन्द्र कुमार चौहान, संदीप कुमार, प्रवीन कुमार, सोनपाल, कर्मबीर, रत्न सिंह, प्रदीप आदि सभी कोच उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 6: एसडी स्कूल के विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में अव्वल रहे विद्यार्थी।




अव्वल रहे विद्यार्थी सम्मानित
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कनीना। आर.सी.एम.पब्लिक स्कूल कनीना मे आज जिला स्तरीय खेल-कूद प्रतियोगिताओं में सफल विद्यार्थियों को सम्मानित करने के निमित एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया । गौरतलब है की इन प्रतियोगिताओं में  आयु वर्ग 19 में लड़को में 200 मीटर दौड़ में निशु ने दूसरा, 400 मीटर में निशु प्रथम,800 मीटर दौड़ में सोनु ने दूसरा , 1500 मीटर दौड़ में मंदीप ने दूसरा तथा रिले 4&400 मीटर में स्कूल टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया वही जुडो में भार वर्ग  60 कि.ग्रा. में कौशल, भार वर्ग 66 की. ग्रा. में हितेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और कुश्ती में 65कि. ग्रा. में रवि ने प्रथम स्थान प्राप्त किया वही दो विद्यार्थियों  विशाल व राहुल का राज्य स्तरीय कबड्डी टीम के लिए चयन हुआ ढ्ढ वही आयु वर्ग 17 में लडको में तैराकी में 100 मीटर फ्री स्टाइल में साहिल ने प्रथम, 50 मीटर बेक स्ट्रोक में सचिन ने प्रथम, 50 मीटर फ्री स्टाइल में दिपेन्द्र प्रथम व प्रतीक ने दूसरा स्थान प्राप्त किया वहीं  200 मीटर दौड़ में विकास प्रथम व 800 मीटर में नितेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया वहीं कुश्ती में भार वर्ग 45 कि. ग्रा. में शिवम, 41 कि. ग्रा. में प्रतीक, 38 कि. ग्रा.  में मीत, 35 कि. ग्रा. में जतिन तथा भार वर्ग 33 कि. ग्रा. में  साक्षी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया ढ्ढ वही आयु वर्ग 17 में लडकियों में बेडमिंटन में मानशी और मुस्कान का राज्य स्तरीय टीम के लिए चयन हुआ वही आयु वर्ग 14 में 100 मीटर दौड़ में पायल ने प्रथम स्थान प्रपात किया तथा आयु वर्ग 14 में साक्षी ने कुश्ती में 33 कि. ग्रा. में प्रथम स्थान प्राप्त कर जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए अपना स्थान पक्का किया ढ्ढ
इस अवसर पर विद्यालय में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें संस्था के चेयरमैन रोशन लाल यादव ने विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया उन्होने अपने सम्बोधन में कहा कि खेलों से बालको का शारीरिक व मानसिक विकास होता है और आपसी भाईचारा बढ़ता है।
इस अवसर पर संस्था के निदेशक संजय यादव ने बताया कि विद्यार्थियों को श्रेष्ठ खिलाड़ी बनाने के लिए हमारे  विद्यालय में विद्यार्थियों की तैयारी के साथ-साथ समय-समय पर अनेक प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाती है।
अंत मे कार्यक्रम को विद्यालय के प्राचर्य नरेन्द्र गौतम ने भी संबोधित किया व सफल विद्यार्थियों व कोच अशोक तंवर, हरिओम तंवर, मुकेश कुमार व संजय कुमार को उनकी सफलता पर हार्दिक शुभ कामनाएं एवं बधाई प्रदान की।






    
मानसिक आरोग्य को प्राथमिकता दें शिक्षक - सूर्यकांत
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कनीना।मानसिक अरोग्य सम्पूर्ण स्वास्थ्य का एक अनिवार्य हिस्सा है इसलिए समाज को इसके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञ  सूर्यकांत यादव का कहना है कि हमें पहले परिवार के भीतर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बातचीत करने की जरूरत है और धीरे-धीरे समाज के प्रत्येक नागरिक को इसके प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। साथ ही हमें अपने शिक्षकों को इस तरह से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है कि वे बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का आसानी से पता लगा सकें।
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे प्रतिदिन के जीवन, पारिवारिक और सामाजिक समझ और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह जीवन की विभिन्न घटनाओं में संतुलन स्थापित करने में सहायक होता है। जीवन की खुशियों में खुश रहता है और यदि दु:ख या विपरीत परिस्थिति आए तो उससे निकलने और दुबारा जीवन को सही दिशा में जीने का तरीका सिखाता है।
शोध बताते हैं कि हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार है लेकिन यह जानते हुए भी कि वह मानसिक समस्या से अकेले जूझ रहा है, वह किसी डॉक्टर को दिखाने से डरता है। इसका बहुत बड़ा कारण हमारे समाज का मानसिक समस्या के बारे में गलत धारणा रखना या पूर्वाग्रहग्रस्त होना है। हम छोटी-छोटी शारीरिक समस्या जैसे: सर्दी, जुकाम और बुखार से लेकर बड़ी से बड़ी बीमारी – हृदयरोग, मधुमेह और कैंसर तक के लिए तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेते हैं। बिना किसी संकोच के सबको बताते हैं लेकिन किसी मानसिक बीमारी की न हम चर्चा करना चाहते हैं न ही किसी समाधान पर ध्यान देते हैं। यह स्थिति अत्यंत दुखद है जो भविष्य में विस्फोटक रूप ले सकती है। शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं जिनका निदान संभव है लेकिन सही समय पर मनोवैज्ञानिक परामर्श न लेने से छोटी मानसिक समस्या? बड़ी बन जाती है।
प्राय: देखा गया है कि मानसिक समस्या को 'पागलपनÓ से संबंधित समस्या मान लिया जाता है जबकि यथार्थ में ऐसा बिलकुल नहीं है।अवसाद, उलझन और तनाव तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारियां हैं जिन्हें हम नजरअंदाज करते हैं। अवसाद की समस्या में व्यक्ति को नींद न आना, भूख न लगना, शरीर का वजन अचानक कम या ज्या?दा होना, मन उदास रहना, किसी से भी मिलने का मन न करना, नकारात्मक बातें सोचना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को अंधेरे से डर लगता है, तो कुछ को मंच से, बच्चों को परीक्षा से डर लगता है तो किसी को छिपकली से; इन सभी समस्याओं का निदान संभव है यदि आप सही समय पर प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता से उचित परामर्श लें।
 मानसिक समस्या को लेकर हम जितना अधिक जागरूक होंगे, इस विषय पर जितना अधिक बात करेंगे या जानकारी साझा करेंगे और इसे शारीरिक समस्या की तरह ही सामान्य समझेंगे, उतनी ही आसानी से इस समस्या से लड़ा जा सकता है।अवसाद और तनाव जैसी समस्या से अपने समाज को मुक्त किया जा सकता है। ध्यान रखिए, मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता व नैदानिक मनोचिकित्सक  हमेशा मनोरोगी की सहायता के लिए तत्पर हैं। जरूरत है तो जागरूक होने की, समस्या पर चर्चा करने की और सबसे जरूरी मानसिक रोगी को घृणा या हेय दृष्टि से देखने के बजाय संवेदनशीलता दिखाने की और उसे आगे आने और अपनी समस्या खुलकर बताने के लिए प्रोत्साहित करने की। इसी दिशा में स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा,पंचकूला ने पहल करते हुए हरियाणा के विभिन्न जिलों में उम्मीद काउंसलिंग सेंटरों को स्थापित किया है जिनका उद्देश्य है मनोवैज्ञानिक सेहत व सुरक्षा सुनिश्चित करना,स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराना, विद्यार्थियों के भावनात्मक, व्यवहारिक व सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित करने के साथ-साथ समग्र मनोवैज्ञानिक अधिगम का निर्धारण करना है।
फोटो कैप्शन: मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत



आयुष विभाग की










ओर से आयोजित पांच दिवसीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संपन्न
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 कनीना। कनीना के नेताजी मेमोरियल क्लब में बाल दिवस पर पांच दिवसीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित मधुमेह प्रबंधन शिविर का संपन्न हो गया। जिसका समापन  डा शशि मोरवाल ने किया।
 इस मौके पर विभिन्न विशेषज्ञों की टीम ने जहां मधुमेह, भार, बीपी आदि पांच दिनों के बाद फिर से चेक किया। इस मौके पर जहां मनोज कुमार योग शिक्षक पतंजलि ने विभिन्न योग करवाएं और बताया कि योग से सेहत में सुधार हुआ है।
 इस अवसर पर ध्यान, योगिक प्रणायाम के पश्चात सूक्ष्म व्यायाम जिनमें गर्दन हिलाना, बाजू हिलाना, घुटने मोडऩा आदि योग एवं जोगिंग खड़े होकर ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, वृक्षासन कटिचक्रासन, बैठकर मंडूकासन, योग मुद्रासन, शशांक आसन, उष्ट्रासन वक्रासन करवाए वहीं स्पाइन से संबंधित उत्तानपाद आसन, सर्वांगासन हलासन, पवन मुक्त आसन, सेतुबंध आसन, मर्कटासन, शवासन के साथ-साथ अन्य आसन भी करवाएं। साथ में भस्त्रिका, कपालभाति के अलावा मेडिटेशन, योग निद्रा आदि आने गतिविधियां करवाई गई।
 इस मौके पर डा शशि मोरवाल ने बताया कि आसन अनेक रोगों से मुक्ति दिला सकती हैं।
इसलिए आयुष विभाग ने यह कार्यक्रम चलाया है ताकि रोगों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि आयुष विभाग समय-समय पर इस प्रकार के कार्यक्रम चलाकर विभिन्न लोगों को स्वास्थ्य लाभ देता है। इस अवसर पर डॉ शशि मोरवाल के अतिरिक्त अनुराधा डिस्पेंसर, महेश बोहरा, सुरेंद्र प्राध्यापक, शिवकुमार अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 2: बीपी शुगर जांच करते हुए अधिकारी।
 3: योग करते योग साधक







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