बहुत काम का है 500 रुपये का निराई करने का खेत का जुगाड़ यंत्र
*************************************************************
*****************************************************************
**************************************************************
कनीना। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस क्षेत्र में किसान भी कुछ पीछे नहीं है। तभी तो अपने खेत का कार्य आसानी से करने के लिए कोई न कोई दिमाग लगाकर नया यंत्र खोज लेते हैं। इसी कड़ी में निराई करने का सरल एवं सुलभ साधन किसानों ने खोज रखा है। किसान लंबे समय से खरीफ और रबी फसलों दोनों में ही प्रयोग कर रहे हैं। दोनों में ही उतना ही कारगर बताया जा रहा है। किसान सूबे सिंह,राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, उमेद सिंह आदि ने बताया कि अधिकतम खर्चा 500 रुपये आता है किंतु जो कार्य कई घंटों में होता है वह कुछ ही समय में पूरा कर दिया जाता है। परंतु इस यंत्र को एक व्यक्ति भी चला सकता है तो दो व्यक्ति भी यंत्र चलाते हैं। उन्होंने बताया किसी साइकिल कि रिम काम में लाई जाती है। उसी पर स्टैंड लगा हुआ स्टैंड पर ब्लेड लगा दी जाती है तथा धक्का देने के लिए दो धकेलने के लिए पाइप लगा दिए जाते हैं। चाहे तो इसे दूसरे व्यक्ति को खींचने के लिए भी रस्सी लगा दी जाती है। एक व्यक्ति चाहे इसे धकेल कर पूरे खेत की निराई कर सकता है वही दो व्यक्ति लगे तो इस कार्य में आसानी हो जाती है। किसानों ने बताया किसी यंत्र पर एक बार कुछ खर्च आता है बार-बार इस पर कोई खर्चे की जरूरत नहीं होती है और कई वर्षों तक चलाया जाता है। किसान प्रदीप, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, उमेद सिंह आदि ने बताया कि यह खुड़ों के जरिए चलता है। खुड के ऊपर से इस यंत्र को धकेला जाता है तो दूसरा उसे खींचता है। ब्लेड फूड के आसपास खड़ी हुई सारे अवांछनीय पौधों को हटा देता है। यहां तक कि खुड को भी प्लेन कर देती है जिससे भविष्य में होने वाली बारिश आदि से सभी पौधों को लाभ हो सके। कुछ कमियां भी हैं। चूंकि यंत्र खुड के अंदर उगी हुई फसलों के बीच से निराई नहीं करता। केवल खुड के ऊपर ही निराई करता है। इस यंत्र से एक दिन में 2 एकड़ की फसल की निराई एक व्यक्ति कर सकता है।
क्या करते कृषि वैज्ञानिक-
कृषि वैज्ञानिकोंडा देवेंद्र कुमार,डॉ देवराज ने बताया इंसान तो क्या किसान भी इस प्रकार की सुविधाजनक तरीके को खोज कर अपने खेत में आसानी से पैदावार ले सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को इस प्रकार के यंत्र खेती करने में सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के यंत्र किसान खोज कर खेत में पैदावार बढ़ा सकते हैं। अभी तो यह खरीफ और रबी दोनों फसलों में काम कर सकता है तथा किसान का समय बचा सकता। इसलिए किसान निश्चित साहित्य तथा कम खर्चे में विश्व खरीदा जा सकता यही कारण है कि किसानों से खरीद रहे हैं कनीना के डॉक्टर सुबह सिंह तथा उनके पुत्र ने बताया कि वे कुछ ही घंटों में एक एकड़ की निराई कर देते हैं। इस प्रकार यह यंत्र बहुत कारगर साबित हो रहा है।
फोटो कैप्शन 4: पिता और पुत्र निराई करते कनीना।
इंजीनियर दूल्हे व एमफिल दुल्हन ने दिया पर्यावरण, स्वच्छता एवं बेटी सुरक्षा का संदेश
*****************************************************************
*****************************************************************
कनीना। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा एवं राष्ट्रपति पुरस्कार अवार्डी अशोक कुमार भारद्वाज ने गांव कोटिया निवासी अपने भांजे के विवाह उत्सव में पर्यावरण संरक्षण एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बेटी सुरक्षा और सड़क सुरक्षा का संदेश दिया। विवाह उत्सव पर हिंदुस्तान पैट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड में उच्च पद पर आसीन एसिस्टेंट प्रोसेस टैकनीशियन इंजीनियर सोनू और उनकी नववधू ज्योति ने अपने परिवार सहित अपने विवाह उत्सव पर पर्यावरण संरक्षण , स्वच्छता,बेटी सुरक्षा एवं सड़क सुरक्षा का संदेश दिया। इस अवसर पर उन्होंने संकल्प लिया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर बेटियों की सुरक्षा करेंगे,बेटी को बचाएंगे और बेटियों को पढ़ाएंगे तथा सड़क के नियमों का पालन करेंगे और हर मंगल उत्सव पर पौधारोपण करेंगे तथा स्वच्छता को अपनाएंगे। वहीं उन्होंने अपने परिवार के साथ आमजन को संदेश दिया कि हमें हर मांगलिक कायक्रम को हमारी परंपराओं और हमारे सामाजिक ताने-बाने के साथ मनाना चाहिए और हर मांगलिक कार्यक्रम में हमें पौधारोपण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिन-प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जो कि देश और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए हमें हर उत्सव पर पेड़ पौधों के सम्मान में आगे रहना चाहिए। कहा कि संस्कृति और प्रकृति दोनों को सुरक्षा देना बहुत जरूरी है, यदि पेड़ पौधे बचेंगे तो हमारी प्रकृति सुरक्षित रहेगी और यदि देश के अंदर बेटियों को संस्कार, सम्मान और सुरक्षा मिलेगी तो हमारी संस्कृति जीवित रहेगी। इस अवसर पर दिल्ली पुलिस में सेवा दे रहे इंजीनियर सोनू (दूल्हा)के पिता योगेंद्र शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपनी परंपराओं को आगे रखते हुए अपने बेटे का विवाह उत्सव मनाया है । कहा कि विवाह उत्सव पर देश के प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया संदेश को आगे रखते हुए वर और वधू ने लोगों को संदेश दिया कि हमारे देश में बिगड़ते पर्यावरण को शुद्ध रखना हमारा दायित्व बनता है । वही साथ साथ में उन्होंने अपील की है कि विवाह उत्सव जैसे कार्यक्रमों में हम भाग दौड़ के चलते अपनी गाडिय़ों की स्पीड अधिक रखते हैं,इसलिए गाडिय़ों को संतुलन में चलाएं और सड़क सुरक्षा अभियान को अपनाएं और डिपर का प्रयोग करें तथा शराब पीकर गाड़ी न चलाएं। इस अवसर पर भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में देवउठनी एकादशी से लेकर अब तक दर्जनों विवाह उत्सव में अपना संदेश पहुंचा रहे राष्ट्रपति पुरस्कार अवॉर्डी अशोक कुमार भारद्वाज ने कहा कि देवउठनी एकादशी से लेकर अब तक के शुभ लगनों में उन्होंने 15 वर वधू को परिवार के साथ में संकल्प दिलाया है, ताकि हर व्यक्ति पेड़ पौधों से जुड़े ,स्वच्छता को अपनाएं ,सड़क और बेटी सुरक्षा के प्रति अपना दायित्व निभाए । उन्होंने कहा कि कई वर्षों से इस प्रकार की मुहिम को लेकर चल रहे हैं और इस मुहिम के तहत अब तक वह भिवानी, महेंद्रगढ़ ,दादरी,रेवाड़ी,हिसार और राजस्थान के झुंझनू जिले में वर और वधू को परिजनों के साथ संकल्प दिला चुके हैं। उन्होंने कहा कि लोक डाउन के दौरान भी उन्होंने करीब 30 विवाह उत्सव पर वर वधू को मास्क, सैनिटाइजर, पर्यावरण सुरक्षा, बेटी सुरक्षा के संकल्प के साथ लोगों को जागरूक किया है।
सामाजिक ताने बाने को समर्पित इस विवाह उत्सव में दूल्हे सोनू के पिता योगेंद्र शर्मा, ताऊ सत्यनाराय,दुर्गा प्रसाद, दुल्हन के पिता अनिल कौशिक,माता बबीता ,दुल्हे की माता प्रेम देवी,सबिता देवी ,मास्टर राजेश झाड़ली ,रामेश्वर दास महाराज , दुल्हे की बहन नैना , सुमन ,मुकेश शर्मा,मोनू कुमार,उमा देवी, बलराम फौजी ,गौतम कुमार, अंकित कुमार ,संतोष, मुनी देवी,सुमन ,ममता ,अर्चना,मोनिका,सुनीता सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल रहे।
फोटो कैप्शन 6: वर वधू को पौधा भेंटब् करते अशोक भारद्वाज।
लंबे समय से सीवर जाम, कर्मचारी व अधिकारी नहीं दे रहे हैं ध्यान
-लोग हैं परेशान समस्या का नहीं होता समाधान
***********************************************
*******************************************************
कनीना। कनीना में वार्ड नंबर 7 में सीवर व्यवस्था जाम है। जगह जगह गंदा पानी रिसाव कर प्रदूषण फैला रहा है। समस्या को सुनने वाला कोई नजर नहीं आता है।
मन्नू सिंह, बादल सेठ, प्रवीण यादव, नीरज उर्फ मोनू ,संजय पंडित ,सूबेसिंह रोहिल्ला, दीपक रोहिल्ला, मीना देवी आदि ने जानकारी देते हुए बताया कि वार्ड नंबर 7 में पिछले एक माह से सारे सीवर जाम पड़े हैं जिसके कारण लोगों के घरों में गंदा पानी घुस रहा है जिसकी शिकायत जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी से लेकर उच्च अधिकारियों तक देकर अवगत करा दिया गया है। लोगों का कहना है पहले कस्बे की हालत बुरी नहीं होती थी और सीवर की कभी समस्या नहीं बनती थी शिकायत करने पर सारा स्टाफ उक्त समस्या का समाधान करने आता था लेकिन अब समस्यों पर ध्यान नहीं देते जिसके कारण लोगों को नारकीय जीवन जीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। लोगों ने जिला उपायुक्त से मांग कर उक्त समस्या के समाधान को तुरंत कराने की गुहार लगाई है ताकि लोग नारकीय जीवन जीने से बच सके।
फोटो कैप्शन 3: वार्ड सात में ओवरफ्लो होती सीवर व्यस्था।
प्लागिंग कार्यक्रम चलाकर स्वच्छता का दिया सन्देश दिया
************************************************
***************************************************
कनीना। वाइब्रेंट रामपुरा फाउण्डेशन ने रविवार को अपने नन्हे स्वयंसेवकों की सहायता से खण्ड अटेली के गांव रामपुरा में सार्वजनिक स्थानों पर प्लागिंग कार्यक्रम चला कर धर्मशाला और मंदिर परिसर में सफाई अभियान शुरू किया। छोटे बच्चों ने भाग लेकर लोगों को संदेश दिया कि रविवार का सार्वजनिक अवकाश ,सही अर्थों में सार्वजनिक कार्यों हेतु सदुपयोग करना चाहिए।
इस अभियान में मुख्य रूप से नन्हे विद्यार्थियों वंश,योगेश, प्रत्युष्या,मनु, परी, तन्वी, जान्हवी और फाउंडर योगी प्रदीप निर्बाण ने भाग लेकर लोगों को स्वच्छता की महत्ता का सन्देश दिया।
फोटो कैप्शन 5: नन्हे बच्चे सफाई अभियान चलाते हुए।
गौशाला में तीन लाख की लागत के बायलर का हुआ उद्घाटन
-अढ़ाई क्विंटल के मुकाबले 50 किलो लकड़ी से ही चल पायेगा काम
****************************************************************
******************************************************************
कनीना। भारत में गौ सेवा रामायण काल से सेवा कार्यों में से एक है।वर्तमान में भी गायों की सेवा की जा रही है। ये विार श्रीकृष्ण गोशाला कनीना में यज्ञ का आयोजन उपरांत तथा बायलर के उद्घाटन के अवसर पर गौ सेवा प्रमुख कंवरसेन वशिष्ठ ने व्यक्त किये।
श्रीकृष्ण गौशाला में रविवार को हवन आयोजित हुआ। इस मौके पर यजमान मनफूल सिंह आर्य थे। मनफूल सिंह ने कहा कि हवन से वातावरण शुद्ध होता है। आज के समय में प्रदूषण सिर चढ़कर बोलता है। इन परिस्थितियों में हवन का औचित्य बढ़ जाता है।
गायों के लिए चाट उबालने के लिए तीन लाख की लागत से बायलर का उद्घाटन करने के पश्चात भारत विकास परिषद् दक्षिण हरियाणा गौ-सेवा प्रमुख कंवरसेन वशिष्ठ ने गायों के बारे में विचार रखें। उन्होंने बताया कि भारत विकास परिषद दक्षिण हरियाणा गौ-सेवा को लेकर बहुत सक्रिय है और कनीना की गौशाला के बारे में बताया गौशाला के प्रबंधन में कार्यकुशलता की चर्चा पूरे प्रदेश में है।उन्होंने कहा कि पहलवान हुकम सिंह ने कनीना गौैशाला के प्रधान पद पर रहते हुए गौशाला को बहुत आगे बढ़ाया है। इसी क्रम में राजेंद्र सिंह लोढ़ा पूर्व प्रधान ने कहा कि गायों का पालन पोषण प्रत्यक घर में हाोना चाहिए। उनका दूध अधिक मात्रा में करने के उपाय सुझाए। गौशाला की स्थापना से लेकर आज तक की सभी गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। गौशाला में अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे। भारत विकास परिषद् शाखा कनीना के अध्यक्ष व पूर्व पार्षद मोहन सिंह ने गौशाला का अवलोकन किया व गायों को गुड़ खिलाया। इस मौके पर मनोज यादव, मोहर सिंह प्रधान आर्य समाज कनीना, प्रेम चंद मंडप, राम सिंह गाहडा ने अपने विचारों में गौ सेवा के बारे में स्वामी दयानंद के विचार रखें। अंत में मनफूल सिंह आर्य ने भजन द्वारा ईश्वर की खोज वह पता के समाधान के बारे में विस्तार से वर्णन किया और सभी को गौ सेवा करने का आह्वान किया। प्रधान गौशाला ने बताया कि कनीना गौशाला में तीन लाख रुपये की की लागत बायलर मंगवाया है जिसमें चाट(गायों के सांद्र चारे)को उबालने में बहुत कम लकड़ी काम में लाई जाती है तथा गौशाला की गायों की सेवा इससे संभव है। कंवरसेन वशिष्ठ ने 11 हजार रुपये मुकेश मंडी पार्षद वार्ड नंबर 7 ने भी 11 हजार रुपये, वह भरपूर सिंह पुत्र लक्ष्मण सिंह ने 11 हजार रुपये वहीं 5100 रुपये महिला मंडल कनीना मंडी ने गौशाला की चारे के लिए दान किए।
प्रधान हुकुमचंद ने बताया कि गौशाला में साढ़े तीन लाख प्रति माह वेतन दिया जाता है व डेढ़ लाख रुपए का पेट्रोल व डीजल प्रति माह प्रयोग किया जाता है। ये सारा खर्चा कनीना व आस-पास के गांवों से व सरकारी अनुदान से प्राप्त होते हैं व प्रधान ने सरकार से मांग की है कि गायों की मृत्यु उपरान्त उनके अवशेषों का उचित प्रयोग करने का प्रबंध किया जाये क्योंकि अब मृत्यु उपरान्त उन्हें दबाया जाता है। जबकि जगह की कमी की वजह से आगे ऐसा करना संभव नहीं है। इस मौके पर राजेंद्र सिंह पार्षद , गौभक्त होशियार सिंह,रमेश, धनपत साहब,राम सिंह पूर्व पार्षद, ओमप्रकाश आर्य,बिमला आर्य, हवलदार गणपत,रतन सिंह करीरा आदि सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन एक व दो: गौशाला कनीना में बायलर का उद्घाटन करते हुए कंवरसेन वशिष्ठ।
मानसिक आरोग्य को प्राथमिकता दें शिक्षक - सूर्यकांत
***************************************************
*******************************************************
कनीना।मानसिक अरोग्य सम्पूर्ण स्वास्थ्य का एक अनिवार्य हिस्सा है इसलिए समाज को इसके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञ सूर्यकांत यादव का कहना है कि हमें पहले परिवार के भीतर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बातचीत करने की जरूरत है और धीरे-धीरे समाज के प्रत्येक नागरिक को इसके प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। साथ ही हमें अपने शिक्षकों को इस तरह से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है कि वे बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का आसानी से पता लगा सकें।
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे प्रतिदिन के जीवन, पारिवारिक और सामाजिक समझ और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह जीवन की विभिन्न घटनाओं में संतुलन स्थापित करने में सहायक होता है। जीवन की खुशियों में खुश रहता है और यदि दु:ख या विपरीत परिस्थिति आए तो उससे निकलने और दुबारा जीवन को सही दिशा में जीने का तरीका सिखाता है।
शोध बताते हैं कि हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार है लेकिन यह जानते हुए भी कि वह मानसिक समस्या से अकेले जूझ रहा है, वह किसी डॉक्टर को दिखाने से डरता है। इसका बहुत बड़ा कारण हमारे समाज का मानसिक समस्या के बारे में गलत धारणा रखना या पूर्वाग्रहग्रस्त होना है। हम छोटी-छोटी शारीरिक समस्या जैसे: सर्दी, जुकाम और बुखार से लेकर बड़ी से बड़ी बीमारी – हृदयरोग, मधुमेह और कैंसर तक के लिए तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेते हैं। बिना किसी संकोच के सबको बताते हैं लेकिन किसी मानसिक बीमारी की न हम चर्चा करना चाहते हैं न ही किसी समाधान पर ध्यान देते हैं। यह स्थिति अत्यंत दुखद है जो भविष्य में विस्फोटक रूप ले सकती है। शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं जिनका निदान संभव है लेकिन सही समय पर मनोवैज्ञानिक परामर्श न लेने से छोटी मानसिक समस्या? बड़ी बन जाती है।
प्राय: देखा गया है कि मानसिक समस्या को 'पागलपनÓ से संबंधित समस्या मान लिया जाता है जबकि यथार्थ में ऐसा बिलकुल नहीं है।अवसाद, उलझन और तनाव तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारियां हैं जिन्हें हम नजरअंदाज करते हैं। अवसाद की समस्या में व्यक्ति को नींद न आना, भूख न लगना, शरीर का वजन अचानक कम या ज्या?दा होना, मन उदास रहना, किसी से भी मिलने का मन न करना, नकारात्मक बातें सोचना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को अंधेरे से डर लगता है, तो कुछ को मंच से, बच्चों को परीक्षा से डर लगता है तो किसी को छिपकली से; इन सभी समस्याओं का निदान संभव है यदि आप सही समय पर प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता से उचित परामर्श लें।
मानसिक समस्या को लेकर हम जितना अधिक जागरूक होंगे, इस विषय पर जितना अधिक बात करेंगे या जानकारी साझा करेंगे और इसे शारीरिक समस्या की तरह ही सामान्य समझेंगे, उतनी ही आसानी से इस समस्या से लड़ा जा सकता है।अवसाद और तनाव जैसी समस्या से अपने समाज को मुक्त किया जा सकता है। ध्यान रखिए, मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता व नैदानिक मनोचिकित्सक हमेशा मनोरोगी की सहायता के लिए तत्पर हैं। जरूरत है तो जागरूक होने की, समस्या पर चर्चा करने की और सबसे जरूरी मानसिक रोगी को घृणा या हेय दृष्टि से देखने के बजाय संवेदनशीलता दिखाने की और उसे आगे आने और अपनी समस्या खुलकर बताने के लिए प्रोत्साहित करने की। इसी दिशा में स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा,पंचकूला ने पहल करते हुए हरियाणा के विभिन्न जिलों में उम्मीद काउंसलिंग सेंटरों को स्थापित किया है जिनका उद्देश्य है मनोवैज्ञानिक सेहत व सुरक्षा सुनिश्चित करना,स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराना, विद्यार्थियों के भावनात्मक, व्यवहारिक व सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित करने के साथ-साथ समग्र मनोवैज्ञानिक अधिगम का निर्धारण करना है।
फोटो कैप्शन: मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत
हमाम की बिक्री घटी, गैस पर आधारित गीजर की मांग बढ़ी
**********************************************************
************************************************************
कनीना। लकड़ी के ईंधन से चलने वाले हमाम की बिक्री घट गई है। एक बार में 70 लीटर तक पानी गर्म कर सकता है तथा अल्प खर्च में यह काम करता है। अब इसके स्थान पर गैस सिलेंडर पर आधारित गीजर की मांग बढ़ गई है।
सर्दी का मौसम आने पर भी हमाम की बिक्री इस बार न के बराबर है। दुकानदार भीम सिंह ने बताया कि विगत वर्ष हमाम की अधिक मांग रही थी। बिजली का खर्च घटाने के लिए लोगों ने खूब हमाम खरीदे थे। इस हमाम में ऊपर से ठंडा पानी डाला जाता है तो नीचे से गर्म पानी निकाला जाता है। कम लकड़ी जलाने से ही अधिक पानी गर्म कर देता है। लेकिन इस यंत्र से वायु प्रदूषित होती है।
किसी जमाने में प्रसिद्ध हमाम के बारे में दुकानदार ने बताया कि लोहे की चद्दर से हमाम बनाया जाता है जिसके गर्म होने से पानी गर्म होता है। इसमें लकड़ी जलाई जाती है जो प्रदूषण का कारण तो जरूर बनती है किंतु बिजली के मुकाबले कम खर्चीला है। बिजली कम आने से लोग परेशान हैं ऐसे में बिजली के यंत्रों से पानी गर्म करने से शरीर पर खुजली आदि रोग लग जाते हैं।
भीम अनुसार हमाम में पानी गर्म करक स्नान करने से रोगों से छुटकारा मिल सकता है किंतु बिजली के यंत्रों जिनमें राड आदि से पानी गर्म करके स्नान करने से रोग अधिक लगने की संभावना बन जाती है। हमाम की जगह सिलेंडर पर आधारित गीजर ने ले लिया है।
अशोक कुमार मैकेनिक ने बताया कि अब हमाम एवं बिजली पर आधारित गीजर का युग जा चुका है। अब तो गैस सिलेंडर पर आधारित गीजर ही पसंद किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि छोटे परिवार के लिए एक सिलेंडर में पूरे तीन माह तक पानी गर्म हो जाता है। यह सस्ता एवं बिजली पर आधारित नहीं है। यही कारण है कि इसकी मांग बढ़ रही है।
फोटो कैप्शन 3: दुकान के आगे रखे हमाम।
No comments:
Post a Comment