Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Tuesday, September 12, 2023

 
प्रतिमाह 30 हजार रुपये कमा लेते हैं केंचुआ खाद बेचकर
-दूर दराज तक उनके केंचुआ खाद की मांग
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कनीना की आवाज। कनीना का किसान रोहित अपनी मेहनत बल पर प्रतिमाह केंचुआ खाद/वर्मी कंपोस्ट तैयार करकके, बोरों में भरकर बेचकर करीब 30 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं। अपने खेत में उन्हाणी गांव के पास उन्होंने केंचुआ फार्म बना रखा है जहां उन्होंने 60 ट्राली गाय के गोबर की खाद गौशालासे मंगवा कर काम शुरू किया था। जिसमें एक लाख रुपये के केंचुआ भी खरीद कर लाया। तत्पश्चात एक ट्राली गोबर से 70 बैग केंचुआ खाद प्राप्त हुआ। करीब साढ़े तीन माह में यह खाद प्राप्त हो गया है। इस खाद के 50 किलो के बैग भरकर ने केवल झज्जर अपितु नर्सरी क्षेत्र में भिजवा रहे हैं। एक ट्राली में करीब 35 क्विंटल गोबर का खाद आता है।
 रोहित कुमार ने बताया करीब साढ़े तीन माह में ये केंचुआ गोबर को खाकर खाद में बदल देते हैं। इस खाद की फिर छलनी द्वारा साफ किया जाता है। वैसे तो अब मशीन खाद को छानने के लिए आ गई है किंतु अभी तक वे अपने हाथों से चलने वाले छानने द्वारा इन्हें छानते हैं और बैग भरकर नर्सरी एवं जहां मांग है वहां पहुंचा रहे हैं। इसी केंचुआ खाद से वो सब्जी भी उगा लेते हैं जिससे घर का गुजर बसर हो जाता है। उन्होंने बताया कि मजदूरों द्वारा भी काम करवाते हैं जिनकी मजदूरी भी इसी काम से निकाल ली जाती है। तत्पश्चात प्रति महीने करीब 30 हजार रुपये की आय होती है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि केंचुआ खाद को सबसे उत्तम खाद और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है वहीं केंचुआ फार्म को लगाने में अधिक खेत की जरूरत नहीं होती है। थोड़े से क्षेत्रफल पर ही केंचुआ खाद तैयार किया जा सकता है।
 उनका कहना है इस प्रकार के काम को करने से आत्मविश्वास बढ़ता है वहीं लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है।
 फोटो कैप्शन 10 एवं 11: केंचुआ फार्म दिखाते हुए रोहित कुमार।







स्वस्थ मां ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है- मनीषा
  --गर्भवती महिलाओं को दी गई खानपान की टिप्स
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कनीना की आवाज। महिलाओं को पौष्टिक आहार लेने की सख्त आवश्यकता होती है क्योंकि पौष्टिक आहार से गर्भवती महिलाओं का तो स्वास्थ्य ठीक रहता है साथ ही उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का भी स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसलिए समय पर पौष्टिक आहार  लेना चाहिए। ये विचार कनीना महिला एवं बाल विकास विभाग की वरिष्ठ सुपरवाइजर मनीषा यादव ने मंगलवार को उनके सर्कल में आने वाले गांव कोका, मोहनपुर, चेलावास, इसराना, उन्हाणी, रसूलपुर, गढ़ा आदि गांव में जाकर वहां गांव की गर्भवती महिलाओं को पोषण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि  समय-समय पर अपने स्वास्थ्य को ध्यान मै रखते हुए अच्छा खाना पीना तथा समय पर सोना समय पर उठना बैठना अति आवश्यक होता है। तभी स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। मनीषा यादव ने गर्भवती महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ रहने के लिए  दूध, घी, दही, अंकुरी अनाज, हरी सब्जियां व अंडे आदि का प्रयोग करते रहना चाहिए तभी खुद को व गर्भ में पल रहे बच्चे को स्वस्थ रख सकते हैं। इस अवसर पर गांव की अन्य महिलाएं व वर्कर हेल्पर उपस्थित रही।
फोटो कैप्शन 09: मनीषा महिलाओं को जानकारी देते हुए।






 बाबा दयाल का विशाल मेले 17 सितंबर को
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कनीना की आवाज। आगामी 17 सितंबर को बाबा दयाल का धनौंदा में एक विशाल मेला लगेगा। जिसमें ग्रामीणों द्वारा विभिन्न प्रकार के खेल कराए जाएंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए बाबा दयाल मेला कमेटी के प्रधान ठाकुर रतन सिंह तंवर ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भाद्रपद की दोज को बाबा दयाल का विशाल मेला लगेगा जिसमें भक्त आकर प्रसाद चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। सांगी बाबू दान सिंह चौहान एंड पार्टी द्वारा पूर्व संध्या पर सांग आयोजित होगा। 15 सितंबर रात्रि को सुरेंद्र गिगनाव, दीपक एंड पार्टी चिडिय़ा के  हरियाणवी कलाकारों द्वारा कंपीटीशन कराया जाएगा।
 इस मेले में 21 हजार रुपये तक की कुश्तियां आयोजित होगी। कुश्तियां बराबर छूटने वाले पहलवानों को इनाम नहीं दिया जाएगा।






 बंदर बने हैं आफत
- आधा दर्जन बंदरों के काटने की हो चुकी हैं घटित
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कनीना की आवाज। कनीना शहर में बंदरों के कारण जीना मुहाल हो गया है। प्रतिदिन हजारों रुपये का नुकसान बंदर कर जाते हैं। किसी पेड़, फल, सब्जी, एंटीना , वायर आदि को नहीं छोड़ते। बंदर इधर-उधर घूमते रहते हैं। कुछ लोग आज भी इनको हनुमान के फौजी मानकर उनकी पूजा करते हैं किंतु दुर्भाग्य है कि आधा दर्जन घटनाएं बंदरों के काटने की घटित हो चुकी है। अब तक बंदरों को पकड़वाकर दूर नहीं भेजा गया है।
 महज वर्ष 2008 में नगरपालिका द्वारा 60 बंदरों को अन्यत्र छुड़वाया गया था तथा पश्चात कनीना मंडी के समाजसेवी शिवकुमार अग्रवाल लगातार सीएम विंडो एवं आरटीआई द्वारा बंदरों को पकड़वाकर दूर भिजवाने की मांग कर रहे हैं। 31 मार्च 2014 को नांगल माला क्षेत्र में इन 100 आतंकी बंदरों को छुड़वाने की अनुमति भी वन विभाग ने दे दी थी किंतु अब तक बंदरों को नहीं पकड़वाया गया है।
शिव कुमार अग्रवाल को विश्वास है कि निकट भविष्य में इन बंदरों को जरूर दूर छुड़वा दिया जाएगा। सीएम विंडो की जब उन्होंने आरटीआई लगाई तो उसे पता चला कि अभी प्रशासनिक अधिकारी कार्य भार ग्रहण कर रहे हैं उसके बाद ही बंदरों को दूर छुड़वाने की कार्रवाई की जाएगी। कस्बा कनीना के लोगों ने इन बंदरों से निजात पाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है। कस्बा कहानी में करीब 500 बंदर 20 हजार की आबादी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। सबसे बड़ी विशेषता है कि कस्बा कनीना के  घरों में उगाये गये पेड़ पौधे भी नहीं छोड़ते।
 सुनील कुमार, महेश, दिनेश, रवि कुमार आदि ने बताया कि बंदरों से उनका जीना मुहाल हो गया है। इन बंदरों को अविलंब दूर छुड़वाये जाने की मांग है।







 राष्ट्रीय अंधविश्वास निवारण दिवस-13 सितंबर
-अंधविश्वास के कारण चली जाती है अनेकों जान
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कनीना की आवाज। अंधविश्वास आज के वैज्ञानिक युग में भी अनेक लोगों के दिलों में घर किए हुए हैं। अंधविश्वास के चलते विभिन्न प्रकार के जादू टोने तथा अवैज्ञानिक बातों में लोग विश्वास करते हैं जिसका परिणाम यह होता है अनेकों जान चली जाती हैं अंधविश्वास पर नजर डालें तो पता चलता है कि कुछ कम पढ़े लिखे लोग इस प्रकार की बातों में अधिक विश्वास करते हैं और इन बातों को अपने दैनिक जीवन से जोड़कर अपशकुन की पहले ही संभावना जताने लग जाते हैं।
 जब कोई व्यक्ति किसी शुभ कार्य के लिए जा रहा हो तो कोई छींक देता है तो बुरा मानते हैं, बिल्ली विशेष कर काली बिल्ली रास्ता कट जाए तो बुरा मानना, इसी प्रकार भूत प्रेतों में विश्वास करना खाली घड़ा आने पर अपशकुन समझना, झाड़ फूंक में विश्वास करना, हथेली पर खुजली चलने पर पैसे आने की संभावना जताना और न जाने कितनी ही बातें अंधविश्वास की जेहन में घर कर गई है जिसके चलते समाज में यह एक बुराई पनप रही है। कितनी ढोंगी लोग भोलेभाले लोगों को भी इस प्रकार अपने चंगुल में फंसा लेते हैं। उनके प्रति यदि जागरूकता लाई जाए तभी भविष्य में एक सार्थक परिणाम सामने आएगा। अंधविश्वास की जो धारणा घर कर रही है उसे छुटकारा पाने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा तभी जाकर लोगों अंधविश्वास से बच पाएंगे।
 विश्वास विश्वासों के बारे में विभिन्न लोगों से चर्चा की तो पता चला कि अंधविश्वास को जड़ से उखाडऩे के लिए अभी कुछ समय और लगेगा, विज्ञान ने इन अंधविश्वासों से पर्दा हटा दिया है और सिद्ध कर दिया है कि इन बातों का दैनिक जीवन से कोई संबंध नहीं है फिर भी लोग इनमें विश्वास करते हैं। क्या कहते हैं शिक्षाविद-
   भारतीय संविधान की अनुच्छेद 51 भारतीय नागरिकों के लिए वैज्ञानिक सोच और मानवतावाद और सुधार की भावना विकास करना एक मौलिक कर्तव्य बताया गया है वही 1954 में ड्रग एंड मैजिक अंधविश्वासों गतिविधियों में कमी लाने के लिए बनाया गया है। बिहार राज्य में जादू टोने पर रोक लगाने का वाला पहला राज्य है, 2013 में महाराष्ट्र में मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्यों की रोकथाम और उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया। कर्नाटक में 2017 में अंधविश्वास विरोधी कानून लाने का कार्य किया गया। अंधविश्वास को रोकने के लिए सख्त नियमों की जरूरत है।   
            --शिक्षाविद विजयपाल
 अंधविश्वास न केवल अल्प शिक्षित और निम्न वर्ग में देखने को मिलता है बल्कि विद्वान व्यक्ति भी इस चंगुल में फंसे देखे गए हैं। अंधविश्वास विभिन्न समाज में अलग-अलग देखने को मिलते हैं। कुछ लोग 13 की संख्या को अशुभ मानते हैं, चेहरा देखने के शीशे टूटने को बुरा मानते हैं, मासिक धर्म के दौरान महिला को मंदिर में प्रवेश वर्जित मानते हैं, यहां तक की श्राद्ध चल रहे हो उसे समय कोई शुभ कार्य नहीं करते और न जाने कितने अंधविश्वास हमारे समाज में घर किए हुए हैं। उनको जड़ से हटाना जरूरी बन गया है और इसका एकमात्र इलाज है शिक्षा। शिक्षा द्वारा लोगों शिक्षित करके ही लोगों की अंधविश्वास की भावना से दूर किया जा सकता है।
      -- शिक्षाविद नरेश कुमार
 अंधविश्वास हमारे समाज को खोखला कर रहा है। लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर अपनी जान तक गंवा देते हैं। जिस प्रकार घोड़े की नाल का मिलना शुभ मानते हैं, जब किसी शुभ काम के लिए जा रहे हो आगे से पानी से भरा घड़ा मिल जाए उसे भी शुभ मानते हैं, 13 के अंक को अशुभ मानते हैं या झाड़ फूंक में विश्वास रखना, जादू टोने में विश्वास रखना। जो समाज को ग्रसित कर रहे हैं। इनसे बचना बहुत जरूरी है वरना अनेकों कुरीतियां घर कर जाएगी और भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। इसके लिए लोगों को इन जादू दोनों की सच्चाई की जानकारी देना जरूरी है।
    --शिक्षाविद सुनील कुमार
 अंधविश्वास को आज भी लोग मानते हैं। जिस प्रकार मंगलवार और अमावस्या के दिन पितृ श्राद्ध में शेव नहीं करना, नहाने के भी नियम तथा बिल्ली के काटने पर बड़ा अशुभ मानना, छिपकली किसी अंग पर गिरे तो बुरा मानना, यहां तक की अनेकों ऐसी बुराइयां घर किए हुए हैं। विधवा महिला रास्ते में मिलने पर बुरा मानना, परीक्षा देने जाते समय माता-पिता बच्चों को दहिया दी खिलाते हैं जो शुभ मानते हैं। इन सभी के पीछे हमारी अशिक्षा और अज्ञानता है।  इस प्रकार की अज्ञानता से बचने के लिए इन बुराइयों को जड़ से उखाडऩा जरूरी है।
 -- शिक्षाविद कृष्ण कुमार
फोटो कैप्शन: कृष्ण कुमार, नरेश कुमार, सुनील कुमार, विजय पाल।





गर्मी और उमस में ग्रामीणों का धरना 184वें दिन रहा जारी
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना 184वें दिन में प्रवेश कर गया है। मंगलवार को धरने की अध्यक्षता मास्टर विजयपाल  सेहलंग  ने की और उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार बुजुर्ग किसानों की परेशानी को समझे और कट के काम को जितना जल्दी हो सके शुरू करवायें।
उन्होंने बताया कि धरने को चलते 184 दिन हो गए हैं, गर्मी और उमस बढ़ रही है, किसान बाजरे और कपास की फसल को काटने और निकालने में लगे हुए हैं, ऐसे में किसानों को धरने के लिए समय निकालना पड़ रहा है वहीं अगली फसल की तैयारी भी करनी है। मौसम के मिजाज को देखते हुए किसानों को चिंता बढ़ रही है, यदि बरसात हो गई तो हमारी फसल बर्बाद हो जाएगी।  उन्होंने कहा कि सरकार के इंतजार में है कि वो राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत-सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू करें।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन, संयोजक पहलवान रणधीर सिंह बाघोत, नरेंद्र शास्त्री छिथरोली और डा. लक्ष्मण सिंह   सेहलंग ने बताया कि हम प्रतिदिन यह सोचकर धरना स्थल पर बैठते हैं कि केंद्र सरकार  राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू कर देगी या हमें संदेश मिलेगा कि आपका काम शुरू होने जा रहा है, शाम तक कोई संदेश न मिलने के कारण निराशा अवश्य होती है, लेकिन हमें विश्वास है कि सरकार कट के काम को अवश्य और जल्दी शुरू करेगी। उन्होंने बताया कि धरना  स्थल पर बैठे किसानों की तबीयत कई बार बिगड़ चुकी है। विषम परिस्थितियों को सामना करते करते परेशान हो चले हैं।  केंद्र सरकार बुजुर्गों के दर्द को समझे और राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू करवाया जाए।
 इस मौके पर रणजीत सिंह यादव अनानास, अत्तर सिंह, राज सिंह,ठेकेदार शेर सिंह, पूर्व सरपंच सतवीर नौसवा, डा. राम भक्त,दाताराम, बाबूलाल,पहलवान धर्मपाल, चेयरमैन सतपाल,ओम प्रकाश, जय सिंह पंच, प्रधान कृष्ण कुमार, सीताराम, नंबरदार नथूराम, सुरेंद्र सिंह, मास्टर विजय सिंह,  रोशन लाल आर्य, पूर्व उपसरपंच हंस कुमार, मुंशी राम , सूबेदार हेमराज, सूबे सिंह पंच,  शेर सिंह,  प्यारे लाल
व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 08: कट के लिए धरने पर बैठे ग्रामीण।




भूतपूर्व सैनिक व अर्धसैनिक कल्याण संगठन की कार्यकारिणी का चुनाव 15 को
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कनीना की आवाज।  भूतपूर्व सैनिक व अर्धसैनिक कल्याण संगठन करीरा की कार्यकारिणी का चुनाव 15 सितंबर को करवाया जाएगा। अध्यक्ष कैप्टन समर सिंह ने बताया कि चुनाव का समय संगठन के कार्यालय में 11 बजे का होगा। इसके लिए पुरानी कमेटी व अन्य सभी सदस्य हाजिर रहेंगे।





सड़क मार्ग पर भर गया है गंदा जल
-वर्ष के अधिकांश समय में भरा मिलता है गंदा जल
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कनीना की आवाज। मामूली सी बारिश होते ही फिर से होलीवाला सड़क मार्ग पर गंदा पानी भर गया है। सड़क मार्ग लगातार पानी खड़ा रहने से अति जर्जर हालात में हो गया है वही दर्जनभर घरों में सीलन आ गई है। अपने घरों में बार बार सुधार करवाकर सीलन से बचने का प्रयास कर रहे हैं। प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
होलीवाला जोहड़ के सामने से गुजरने वाली तथा रेवाड़ी सड़क मार्ग को को जोडऩे वाली सड़क मार्ग अति जर्जर हो गई है वहीं गंदा पानी भरने से विगत छह माह से लोग परेशान हैं।
आज के दिन सबसे बुरी हालात होलीवाला जोहड़ की है। आज भी सड़क मार्ग पर पानी भरा हुआ है। कई घरों के साथ-साथ पानी जमा है, होली दहन स्थल भी पानी में भरा हुआ है। आवागमन भी पानी से हो रहा है परंतु यहां पर कुछ समय के लिए लगाया गया इंजन भी हटा दिया गया है जिससे परेशानी और बढ़ गई है।
 गुड्डू चौधरी,पंकज एडवोकेट, कुलदीप फिटर आदि ने बताया कि उनके घरों के पास लगातार पिछले 2 महीने से पानी खड़ा हुआ है। घरों को भी नुकसान होने का अंदेशा है। घरों में आवागमन भी इसी पानी से हो रहा है। हजारों व्यक्ति प्रतिदिन इस मार्ग से गुजरते हैं किंतु गंदे पानी से गुजरना मजबूरी बन गया है। वैकल्पिक मार्गों को भी ढूंढा जा रहा है किंतु कोई ऐसा सुलभ मार्ग नजर नहीं आता जिसके चलते लोग बेहद परेशान हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इंजन लगाकर होलीवाला जोहड़ का पानी कम किया जाए ताकि सड़क मार्गों और घरों के पास खड़ा हुआ पानी खत्म हो सके और आवागमन सुलभ हो सके जिससे लोगों को राहत मिल सकेगी।
  उन्होंने बताया कि विगत दिनों प्रशासन की ओर से इस सड़क मार्ग की सुध लेने के लिए अधिकारी पहुंचे थे जो आश्वासन देकर गये थे किंतु अभी तक इस सड़क मार्ग की सुध नहीं ली गई है। विगत अर्से में बार बार इंजन लगाकर इसका पानी खत्म किया जाता रहा है किंतु स्थाई समाधान नहीं ढूंढा जा रहा है। स्थायी समाधान करने की मांग कनीनावासियों ने की है।
फोटो कैप्शन 06: होलीवाला जोहड़ रोड पर भरा हुआ गंदा जल।






टमाटर से दोगुने भाव पर बिक रही हैं कचरी
-टमाटर को भी पछाड़ दिया है कचरी ने
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कनीना की आवाज।  किसानों के यहां खरीफ मौसम में कचरी खरपतवार पर्याप्त होती है जो किसानों के लिए उपहार बनकर आई है। कचरी से गरीब तबके के लोग अपनी रोटी रोजी कमा लेते हैं। कचरी 60 रुपये किलो बिक रही हैं। खरीफ फसल दौरान कचरी अपने आप पैदा होती है जिसे किसान सूखाकर या फिर बगैर सूखाए ही काम में लेते हैं। बाजार में कचरी की भारी मांग है और यह 60 रुपये किलो के हिसाब से बिकती हैं। राजस्थान में तो कचरी की खेती की जाती है।प्रदेश के किसान भी इसकी खेती की सोच रहे हैं।
      किसान कृष्ण कुमार, सूबे सिंह व रमेश कुमार ने बताया कि उनके खेतों में बगैर उगाए ही भारी संख्या में कचरी पैदा हो जाती है जिसे लेने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं विशेषकर वे लोग  
जो बाजार की कीटनाशी व उर्वरकों से परिपूर्ण सब्जियों को खाकर तंग आ चुके हैं। ग्रामीण महिला लाली, संतरा व कमला ने बताया कि वे कचरी को कई प्रकार की सब्जियों में डालते हैं और सब्जियों का जायका बढ़ाती हैं। जब अधिक मात्रा में कचरी पैदा होती है तो उनका उपयोग सूखाकर किया जाता है। इन फलों को काटकर धूप में सूखा लिया जाता है तथा समयानुसार उन्हें विभिन्न सब्जियों के बनाने में उपयोग किया जाता है।
  क्या कहते हैं किसान-
सब्जी विक्रेताओं रमेश, नरेश एवं कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी दुकानों पर कचरी की मांग है किंतु किसान अपने खेतों से कचरी तोड़कर ला रहे हैं।  मजबूरी भी ऐसा करवा रही है।
गृहणियों आशा, अनीता, शकुंतला आदि ने बताया कि टमाटर की जगह रसोईघर में अब कचरी आ गई है। यह पेट के लिए बेहतर होती हैं।
क्या कहते हैं डाक्टर एवं वैद्य-
क्षेत्र के आयुर्वेद के जानकार वैद्य कालू करीरा, डाक्टर अजीत शर्मा फिजिशियन ने बताया कि कचरी में विटामिन-सी के अलावा कई अन्य विटामिन एवं खनिज लवण मिलते हैं। पेट के रोगों के लिए कचरी दवा का काम करती है और सब्जी को भी स्वादिष्ट बनाती है।
फोटो कैप्शन  07: खेतों में मिलने वाली कचरी।  


























सड़क मार्ग पर भर गया है गंदा जल
-वर्ष के अधिकांश समय में भरा मिलता है गंदा जल
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कनीना की आवाज। मामूली सी बारिश होते ही फिर से होलीवाला सड़क मार्ग पर गंदा पानी भर गया है। सड़क मार्ग लगातार पानी खड़ा रहने से अति जर्जर हालात में हो गया है वही दर्जनभर घरों में सीलन आ गई है। अपने घरों में बार बार सुधार करवाकर सीलन से बचने का प्रयास कर रहे हैं। प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
होलीवाला जोहड़ के सामने से गुजरने वाली तथा रेवाड़ी सड़क मार्ग को को जोडऩे वाली सड़क मार्ग अति जर्जर हो गई है वहीं गंदा पानी भरने से विगत छह माह से लोग परेशान हैं।
आज के दिन सबसे बुरी हालात होलीवाला जोहड़ की है। आज भी सड़क मार्ग पर पानी भरा हुआ है। कई घरों के साथ-साथ पानी जमा है, होली दहन स्थल भी पानी में भरा हुआ है। आवागमन भी पानी से हो रहा है परंतु यहां पर कुछ समय के लिए लगाया गया इंजन भी हटा दिया गया है जिससे परेशानी और बढ़ गई है।
 गुड्डू चौधरी,पंकज एडवोकेट, कुलदीप फिटर आदि ने बताया कि उनके घरों के पास लगातार पिछले 2 महीने से पानी खड़ा हुआ है। घरों को भी नुकसान होने का अंदेशा है। घरों में आवागमन भी इसी पानी से हो रहा है। हजारों व्यक्ति प्रतिदिन इस मार्ग से गुजरते हैं किंतु गंदे पानी से गुजरना मजबूरी बन गया है। वैकल्पिक मार्गों को भी ढूंढा जा रहा है किंतु कोई ऐसा सुलभ मार्ग नजर नहीं आता जिसके चलते लोग बेहद परेशान हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इंजन लगाकर होलीवाला जोहड़ का पानी कम किया जाए ताकि सड़क मार्गों और घरों के पास खड़ा हुआ पानी खत्म हो सके और आवागमन सुलभ हो सके जिससे लोगों को राहत मिल सकेगी।
  उन्होंने बताया कि विगत दिनों प्रशासन की ओर से इस सड़क मार्ग की सुध लेने के लिए अधिकारी पहुंचे थे जो आश्वासन देकर गये थे किंतु अभी तक इस सड़क मार्ग की सुध नहीं ली गई है। विगत अर्से में बार बार इंजन लगाकर इसका पानी खत्म किया जाता रहा है किंतु स्थाई समाधान नहीं ढूंढा जा रहा है। स्थायी समाधान करने की मांग कनीनावासियों ने की है।
फोटो कैप्शन 06: होलीवाला जोहड़ रोड पर भरा हुआ गंदा जल।

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