धनौंदा गौशाला को नहीं मिला अनुदान
-अनुदान देने की मांग
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कनीना की आवाज। सरकार द्वारा प्रदेश की सभी रजिस्टर्ड गौशालाओं को अनुदान राशि देकर सराहनीय कार्य किया है लेकिन धनौंदा में स्थित गौशाला में सरकार द्वारा कोई अनुदान राशि नहीं देने के कारण रोष पनप रहा है। इस गौशाला में सैकड़ों गाये रह रही हैं। गौशाला के प्रधान ठाकुर पूर्ण सिंह तवर ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश में चल रही सभी गौशालाओं को आर्थिक मदद दी है लेकिन धनौंदा में चल रही गौशाला में सरकारी मदद नहीं मिली है। गायों को चारा खिलाने कैी समस्या आ खड़ी हुई है। वहीं ठाकुर रतन सिंह तंवर, ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार आदि लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गायों के प्रति रवैया सकारात्मक रहा है जिसके कारण उन्होंने प्रदेश की सभी गौशालाओं में सरकारी अनुदान देकर गोमाता की सेवा की है लेकिन इस गौशाला को वंचित कर दिया है। इस संबंध में जिला उपयुक्त मोनिका गुप्ता ने सहायता राशि पाने उचित माध्यम बताया है।
फोटो कैप्शन 08: गोशाला के लिए सहायता राशि पाने के लिए गुहार करते धनौंदावासी।
भाजपा जिला प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्र
-एक लाख रुपये की साइबर क्राइम में चोरी बरामद करवाने की मांग
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी एवं भाजपा जिला प्रवक्ता ओमप्रकाश लिसानिया ने उनके पुत्र आशीष कुमार के एचडीएफसी खाते से 23 अगस्त को एक लाख रुपये यूपीआई ट्रांजेक्शन द्वारा किसी ने चोरी कर लिए। जिला प्रवक्ता ने साइबर क्राइम की आनलाइन नंबर पर शिकायत भी दर्ज करवाई, कनीना सिटी थाना में पहुंचे, साइबर क्राइम थाने में भी मामला दर्ज करवाया, सांसद चौधरी धर्मवीर, अटेली विधायक सीताराम यादव को भी अवगत करवाया। एसपी से भी निवेदन किया किंतु अभी तक उनके पुत्र के खाते से चोरी की गई राशि बरामद नहीं हो पाई है। उन्होंने आखिरकार प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है और इस प्रकार क्राइम पर अंकुश लगाने की मांग करते हुए उसके पुत्र के खाते की राशि भी वापस दिलवाने की मांग की है।
हिमालय दिवस 9 सितंबर
देश की शान है हिमालय पर्वत
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कनीना की आवाज। हिमालय पर्वत उत्तर भारत में हर प्रकार से भारत देशवासियों की सुरक्षा करता है। आमजन के बीच जागरूकता बढ़ाने और पर्वत की संरक्षण गतिविधियों में सामुदायिक भागीदारी लाने के लिए हिमालय दिवस मनाया जाता है। 2015 में हिमालय दिवस मनाया गया था। हिमालय प्रकृति को बचाने और बनाए रखने और प्रतिकूल मौसम की स्थिति से देश की रक्षा करने में अहम भूमिका निभा रहा है। हिमालय तभी सुरक्षित रहेगा जब उसके निवासियों की तो की रक्षा होगी। हिमालय के महत्व को चिन्हित करने के लिए यह दिवस हर वर्ष मनाया जाता है। खराब भवन योजना और डिजाइन, खराब बुनियादी ढांचे जैसे सड़के पानी की आपूर्ति,पेड़ों किया भूतपूर्व कटाई के कारण हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में कुछ हिमालय की जानकारी रखने वाले लोगों से बातचीत की गई-
हिमालय हिमालय देश में बारिश लाने का एकमात्र स्रोत है तथा प्रतिकूल मौसम की स्थिति से बचाने में अहम भूमिका निभाता है।पर्यावरणविदों एवं कार्यकताओं ने जिसमें सुंदरलाल बहुगुणा, अनिल जोशी आदि ने हिमालय दिवस के द्वारा हिमालय के लिए स्थापित विकास और पारिस्थितिक स्थिरता लाने का कार्य किया है।
अजीत कुमार समाजसेवी
हिमालय हिमालय पर्वत पर करीब एक हजार से अधिक बांध बना रखे हैं। पर्यटन, उद्योग के नाम पर अनियोजित विकास हो रहा है। हिमालय की जैव विविधता भी खतरे में है। ऐसे में हिमालय संरक्षण की जरूरत है। पेड़ बचाने के लिए ग्लेशियरों का पिघलना और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को रोकने के उपाय सोचने चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा एक विश्वविद्यालय खोलकर जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की समस्या से भारी नुकसान झेल रहे हिमालय को लेकर दीर्घकालिक तैयारी करना उचित कदम है। डा मुंशीराम
यदि हिमालय पर्वत का नुकसान हुआ तो आने वाले समय में प्राकृतिक जड़ी बूटियां खनिज संपदा, वन संपदा लुप्त हो जाएंगे। बिजली उत्पादन से होने वाले लाभ से कहीं अधिक वन संपदा, कृषि भूमि जड़ी बूटियां, खनिज पदार्थ की जरूरत है। ऐसे में हिमालय पर्वत को बचाने का प्रयास करना चाहिए। हिमालय भारत का रक्षक है। जब हिमालय की सुरक्षा रहेगी तभी संरक्षण संभव हो पाएगा।
रवि कुमार समाजसेवी
फोटो कैप्शन: मुंशीराम, अजीत कुमार, रवि कुमार।
शिक्षा को हमले से बचने का अंतरराष्ट्रीय दिवस 9 सितंबर
छात्र ,शिक्षकों एवं स्कूलों की सुरक्षा आज के दिन महत्वपूर्ण है
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कनीना की आवाज। वर्ष 2020 से पहली बार शिक्षा को हमले से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य छात्र शिक्षक और स्कूलों की सुरक्षा करना है और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
जब कभी विषम परिस्थितियों में सरकार शैक्षणिक संस्थाओं का उपयोग करती है तो परिणामस्वरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने से बच्चे वंचित रह जाते हैं। विगत वर्षों में कोरोना काल दौरान विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हुई, स्कूलों में कोरोना बचाव के लिए मजदूरों का ठहराव किया गया था।
क्या कहते हैं स्कूल, शिक्षक और विद्यार्थी की सुरक्षा के बारे में प्रबुधजन-
स्कूलों और कालेजों के लिए जो बसें लगाई जाती है वो भी खतरा हो सकती है, यहां तक की चालक लगाए जाते हैं वो भी कई बार बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होते। स्कूलों में यहां तक की सुरक्षा के लिए कोई विशेष सुरक्षा का कदम नहीं उठाया जाता। ऐसे में यदि किसी प्रकार की घटना घट सकती है। यहां तक की बच्चों को समुचित सुरक्षा की जानकारी, रास्ते में चलने, साधन में चलने या स्कूल से घर आते समय आवारा जीवों एवं जानवरों से सुरक्षा की जानकारी नहीं जुटाई जाती है। जिसके कारण भी कुछ असुरक्षित भावना बच्चों में पैदा हो सकती है।
सुरेश कुमार
विद्यार्थियों, शिक्षकों के साथ भी अनेक दुव्र्यवहार ,मार पिटाई यहां तक कि हमले की घटनाएं घटी हैं। स्कूलों में भी कई बार ऐसी घटनाएं घटती आ रही है किंतु न तो स्कूल कालेजों में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं और न ही शिक्षा को बचाने के व्यापक कदम उठाये गये हैं। ऐसे में शिक्षा पाने वाले विद्यार्थी और शिक्षा देने वाले अध्यापकों के साथ-साथ स्कूलों को भी सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है।
मनोज कुमार शिक्षाविद
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के लिए जरूरी है छोटे बच्चों से लेकर बड़े विद्यार्थी तक, शिक्षक वर्ग तथा स्कूल सभी सुरक्षित हो। ऐसे में सुरक्षात्मक स्कूल वातावरण बनाया जाना चाहिए। स्कूलों पर धन बढ़ाने की आवश्यकता होती है। संकट के समय में सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक अवसरों को प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए। गृह युद्ध, आतंकी हमले और आपदा के समय बच्चों की शिक्षा के अधिकार पर पडऩे वाली दुर्दशा के प्रति दुनिया को जागरूक करना चाहिए। जिन देशों में बच्चों की जान को खतरा हुआ है तथा स्कूलों को क्षति पहुंची उनके वित्तीय स्वास्थ्य और सैन्य सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।
राजेश कुमार
फोटो कैप्शन: मनोज, सुरेश, राजेश कुमार।
बूढ़ों की दौड़ में रामकिशन बढड़़ा ने बाजी मारी
-गोगा नवमी पर्व पर आयोजित हुई खेल कूद प्रतियोगिताएं
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कनीना की आवाज। गोगा मेला कमेटी कनीना द्वारा खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई। जिसमें दौड़ में रामकिशन शर्मा बाढड़ा ने बाजी मारी।
खेलकूद की जानकारी देते हुए मेला कमेटी के सदस्य प्रीतम उर्फ जोनू ने बताया कि 10 साल से छोटे बच्चों की 100 मीटर दौड़ में नैतिक प्रथम, नवीन द्वितीय और साहिल तृतीय स्थान पर रहा। 14 साल तक के बच्चों की 100 मीटर दौड़ में लोकेश प्रथम, मोंटी द्वितीय, रोहित तृतीय स्थान पर रहा। 18 साल तक के युवकों की दौड़ में दीपक धनौंदा प्रथम, कपिल द्वितीय, साहिल तृतीय स्थान पर रहा। 100 मी ओपन दौड़ में संजय सतनाली प्रथम, खेतानाथ शामली द्वितीय तथा दीपक धनौंदा तृतीय स्थान पर रहे।
छोटी बच्चियों की 100 मीटर दौड़ में देवना प्रथम, अर्चना द्वितीय और पलक एवं ईशा तृतीय स्थान पर रहे। 100 मी. ओपन दौड़ में अंतिम प्रथम, नितिशा चेलावास द्वितीय, ज्योति खरकड़ा तृतीय स्थान पर रहे। 400 मी. ओपन दौड़ में पूजा बूचौली प्रथम, अंतिम दुधवा द्वितीय, देवना झीगावन तृतीय स्थान पर रहे। लड़कियों की 1600 मीटर दौड़ में चोली प्रथम, अंतिम दुधवा द्वितीय, नितिशा चेलावास तृतीय स्थान पर रहे।
लड़कों की 400 मी ओपन दौड़ में मोहन सांगवान आदमपुर प्रथम, उमेश कुमार ककराला द्वितीय और विकास ककराला तृतीय स्थान पर रहे। 1600 मी खुली दौड़ में मोहित नारनौल प्रथम, मोहन आदमपुर द्वितीय और अमित कोका तृतीय स्थान पर रहे। बुजुर्गों की दौड़ में रामकिशन शर्मा बाढड़ा प्रथम, रोशन लाल कनीना द्वितीय, शादी राम चिडिय़ा तृतीय स्थान पर रहे। विभिन्न विभिन्न स्थान पाने वाले लड़के, लड़कियों एवं बुजुर्गों को नकद राशि देकर पुरस्कृत किया गया।
फोटो केप्शन 06: बुजुर्गों की आयोजित दौड़ का नजारा।
कट की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना 180वें दिन रहा जारी
-आश्वासनों के सहारे बैठे हैं अनिश्चितकालीन धरने पर
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट की मांग को लेकर ग्रामीण 180 दिनों से आश्वासन के सहारे धरने पर बैठे हैं। शुक्रवार को धरने की अध्यक्षता पूर्व सरपंच बेड़ा सिंह -बाघोत ने की।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 180 दिन हो गए हंै। इस अवधि दौरान आंधी और बरसात एवं विषम परिस्थितियों को सहते हुए महज इस आशा से बैठे हैं कि कट जरूर बनेगा। धरने पर बैठे किसानों कोएक तरफ खेती की चिंता तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की चिंता है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर कट का काम शुरू कर देती है तो किसान खेती का काम खुशी से कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमारी परेशानी को समझे। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा कर रखी है। हम सरकार को याद दिला रहे हैं कि घोषणा करने के बाद कट शुरू करने में देरी नहीं होनी चाहिए। यदि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनने से इस क्षेत्र के विकास के सभी रास्ते खुल जाएंगे। उद्योग,शिक्षा और रोजगार के नए विकल्प मिलेंगे।
संघर्ष समिति के सदस्य डा.लक्ष्मण सिंह , ओमप्रकाश यादव सेहलंग, संघर्ष समिति के सदस्य बाबूलाल सेहलंग और नरेंद्र शास्त्री छिथरौली ने बताया कि हम बाघेश्वर धाम शिवनगरी में रह रहे हैं। यहां पर बाबा शिव भोले का बहुत पुराना मंदिर है जहां लाखों की संख्या में शिवभक्त बाबा भोले के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं। भक्तगण जो मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है, हम भी बाबा शिव भोले से यही मन्नत मांगते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू किया जाए।
इस मौके पर सरपंच पंकज हिंदू खेड़ी , पहलवान रणधीर सिंह , राम भक्त, पूर्व उपसरपंच हंस कुमार, पहलवान धर्मपाल, दाताराम, मुंशी राम,वेद प्रकाश, सूबेदार श्री राम, रोशन लाल आर्य, मनोज कुमार करीरा , चेयरमैन सतपाल, प्रधान कृष्ण कुमार , रघुवीर सिंह पंच , सूबेदार हेमराज, सूबे सिंह पंच, रामकुमार, शेर सिंह, मुंशी राम, कृष्ण कुमार पंच, प्यारे लाल
व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 04: कट के लिए धरने पर बैठे लोग।
सनातन संस्कृति धरा की पुरानी संस्कृति
-ठाकुर मंदिर में संपन्न हुए भजन कीर्तन
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कनीना की आवाज। भारत में सनातन संस्कृति का उदय हुआ जो इस पृथ्वी की सबसे पुरानी संस्कृति है जो मनुष्य जीवन में समरसता रखती है जो हमारे महर्षियों ने अपने अथक प्रयासों से प्राप्त किया है। भगवान श्रीराम ने सनातन धर्म की स्थापना की। ये विचार ठाकुर मंदिर में संपन्न भजन कीर्तन में कंवरसेन वशिष्ठ ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि 7875 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण भगवान ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अलौकिक गीता ज्ञान दिया था जिसे सूचीबद्ध करके गीता का सनातन ज्ञान कहा गया है जो भारत की आम जनता में बहुत ही प्रिया रहा है। इनका गुणगान श्रीमद् भागवत गीता के माध्यम से ठाकुर जी के मंदिर में कनीना के नित्य नियम अनुसार सरोज देवी द्वारा सनातनी परंपरा को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में सनातन पुजारी तो 5 करोड़ है परंतु सनातन जानकारी की बहुत कमी है जो आमजन को बहुत खलती है। सनातन जानकारी न होने के कारण सनातन धर्म को आडंबर धर्म कहा जाने लगा है जो बहुत ही अनुचित है। अब समय आ गया है सत्य को समझना होगा तभी असत्य हारेगा। इस मौके पर रामेश्वर साहब, परमानंद शर्मा, रतन सिंह मास्टर, होशियार सिंह, राजेंद्र प्रसाद पार्षद, कृष्ण शर्मा ,प्रतीक वशिष्ठ, जितेंद्र शर्मा, रमेश ,नेमीचंद मास्टर ,रमेश शर्मा सौरभ शर्मा प्रमोद शर्मा, सुरेश शर्मा, पवन शर्मा सहित गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 05: ठाकुर जी के मंदिर में भजन कीर्तन करते कनीनावासी।
हृदय, नेत्र रोग एवं सामान्य रोग चिकित्सा का 66वां शिविर 10 सितंबर को
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कनीना की आवाज। कनीना अनाज मंडी स्थित लाला शिवलाल धर्मशाला में सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना की ओर से 66वां हृदय, नेत्र रोग, जांच एवं परामर्श शिविर 10 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। इस मौके डा अश्विनी यादव हृदय रोग तथा डा. राहुल नेत्र रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस मौके पर इसीजी, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर एवं बीपी आदि की जांच की जाएगी। वही हृदय रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं सामान्य रोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहेंगे। उल्लेखनीय की लंबे समय से सेवा भारती की ओर से इस प्रकार के कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 65 निशुल्क शिविर आयोजित किए जा चुके हैं जिसमें हजारों लोगों ने लाभ उठा लिया है। उन्होंने बताया कि सेवा भारती लगातार जन सेवा में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि प्राय हृदय रोगों की जांच उन लोगों को करवानी चाहिए जिनकी सांस फूलती हो, अत्यधिक मोटापा, अत्यधिक पसीना आता हो, उम्र 40 वर्ष से अधिक हो, तंबाकू-धूम्रपान सेवन करने वाले, रक्तचाप से पीडि़त, अत्यधिक घबराहट बेचैनी, हृदय संबंधित पारिवारिक रोग प्रवृत्ति, आलसी जीवन शैली वाले जरूर इस शिविर का में जांच करवाएं। उन्होंने बताया कि यह शिविर हर माह के दूसरे रविवार को आयोजित होता है।
उन्होंने बताया कि सेवा भारती की शाखा कनीना के सौजन्य में आर्य समाज मंदिर में प्रतिदिन शाम 4 से 5:30 बजे तक निशुल्क प्राथमिक चिकित्सा केंद्र व महिला सिलाई केंद्र चलता है।
गोगा एवं जाटी पौधों की
हुई पूजा
-खीर एवं लापसी का लगा भोग
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को कनीना क्षेत्र में गोगा पर्व मनाया गया। जाटी एवं गोगा पौधों की पूजा करके पकवान बनाए गए। खीर एवं लापसी का भोग लगाया वहीं दिनभर पूजा चली। कई जगह गोगा के नाम पर मेले लगे वहीं भंडारे आयोजित हुए। दीवारों पर गोगा देव की तस्वीर बनाकर उनकी पूजा की गई।
गोगा पर्व जाहर वीर गोगा देव की याद में भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाता है। जाटी व गोगा दोनों पौधों की पूजा करके जल में प्रवाहित किया गया। कनीना में शिरीषवाला जोहड़ पर मेले में गोगा एवं जांटी पौधा ले जाने का रिवाज है जहां जल में प्रवाहित किया गया।
गोगा जिसे जाहर वीर गोगा कहा जाता है। गोगा एक पौधे को कहते हैं जो शाक है जिसे अपामार्ग, लटजीरा, चिरचिटा आदि नामों से जाना जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे अचिरांथिस अस्पेरा कहते हैं। इसमें इतने अधिक औषधीय गुण है कि इसे गोगा देव के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि गोगा देव के साथ साथ गोगा पौधे की भी पूजा की जाती है जो कई बीमारियों में सहायक है वहीं घर के आस पास मिल जाता है।
गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। जहां भाद्रपद शुक्लपक्ष की नवमी को गोगा का मेला भरता है।
गोगा जी गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य थे। उनका जन्म चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। ददरेवा में सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जेवरसिंहकी पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरक्षनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगा वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे।
गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है। उनके जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं है गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति है। ग्रामीण क्षेत्रों में गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ति उत्कीर्ण की जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा की स्मृति में मेला लगता है।
हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छडियों की विशेष पूजा करते हैं।
राजस्थान के महापुरुष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था।
प्रत्येक घर में पूजा का स्थान निर्धारित होता है जो अक्सर रसोई में होता है। दीवार पर हल्दी व चंदन से गोगा पीर व जाटी पौधे की तस्वीर बनाई जाती हैं। तवे की कालिख से तस्वीरों को रंग भरा जाता है। गोगा व जाटी पौधों की टहनी तस्वीर के पास रख दी जाती हैं और विधि विधान से पूजा की जाती है। शाम होने के बाद उन्हें जोहड़ में बहा दिया जाता है।
फोटो कैप्शन 2: दीवार पर कालिख से बनाया गया गोगा वीर देव।
एवं 3: गोगा एवं जाटी जिनकी पूजा हुई।
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