अनाज मंडी में बाजरे की आवक बढ़ी
- तीन दिनों में खरीद 22514 क्विंटल पहुंची
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कनीना की आवाज। कनीना की अनाज मंडी में सोमवार से जहां बाजरे की खरीद शुरू हुई और बाजरे की खरीद में अब तेजी आती जा रही है। सोमवार को जहां 30 क्विंटल बाजरा खरीदा गया चूंकि वर्षा के कारण बाजरे की खरीद में दिक्कत आ गई थी। वहीं दूसरे दिन मंगलवार को 9715 क्विंटल बाजार खरीदा गया और तीसरे दिन बुधवार को 12769 क्विंटल बाजरा खरीदा गया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया की बाजरे खरीद के सभी व्यापक प्रबंध किए हुए हैं। अनाज मंडी में बाजरे की त्वरित खरीद की जा रही है। किसान अपने वाहनों में बाजरे को लेकर आ रहे हैं तथा नई अनाज मंडी में पहुंच रहे हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में फड़ों पर स्थान उपलब्ध है। शुरुआत में कनीना की पुरानी अनाज मंडी में बाजरे की खरीद शुरू हुई थी किंतु वहां जगह का अभाव है तथा टीन शेड भी नहीं हैं। बाजरे की खरीद 2200 रुपये प्रति क्विंटल जारी है तथा 300 रुपये सरकार भावांतरण भरपाई के रूप में किसानों के खाते में डालेगी।
अटेली नारनौल कनीना मार्ग पर जाम की स्थिति-
अटेली- नारनौल कनीना मार्ग पर किसानों के वाहनों की भीड़ बढऩे लगी है। नई अनाज मंडी कनीना से करीब दो किमी दूर चेलावास बणी में है जहां जाम की स्थिति बनने लगी है क्योंकि किसान अपने वाहनों में बाजरे की पैदावार लेकर बेचने के लिए आते हैं और सुबह सवेरे न केवल स्कूली बसें अपितु कर्मचारी अपने वाहनों में कार्यालयों में जाते हैं जिसके चलते यहां भीड़ बढ़ जाती है और इस मार्ग पर जाम जैसी स्थिति बन जाती है। अब तक कनीना की पुरानी अनाज मंडी में जाम जैसी स्थिति बनी रहती थी जिससे रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाले यात्री परेशान रहते थे। नई अनाज मंडी और फायर ब्रिगेड आमने-सामने है यहां पर बाजरे की खरीद जारी है और यहां भीड़ बढऩे लगी है।
फोटो कैप्शन 3: कनीना अनाज मंडी में खरीद बाजरे की खरीद फोटो कैप्शन
04: चेलावास के पास मुख्य सड़क मार्ग पर जाम जैसी स्थिति।
सांस्कृतिक मूल्यों में पतन विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
-प्रथम स्थान जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा का रहा
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कनीना की आवाज। राजभाषा पखवाड़ा के अंतर्गत जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में सांस्कृतिक मूल्यों में पतन विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में खंड की 9 टीमों ने भाग लिया।
प्राचार्य राजीव सक्सेना ने बताया कि प्रथम स्थान जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा दूसरा स्थान यूरो इंटरनेशनल स्कूल कनीना तथा तीसरा स्थान राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना को मिला। कार्यक्रम की अध्यक्षता जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य राजीव सक्सेना ने की निर्णायक मंडल में राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल कनीना के वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश यादव ,जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व उप प्राचार्य प्रताप शास्त्री तथा कनीना के रिटायर्ड प्राचार्य कृष्ण सिंह यादव थे।
कार्यक्रम में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय करीरा के प्राचार्य रामस्वरूप यादव ,राजकीय कन्या उच्च विद्यालय के मुख्य अध्यापक नरेश कुमार कौशिक ,कार्यक्रम की समन्वय ,सुदेश कुमारी विनय मोहन ,राकेश कुमार ,शालिनी प्रधान सहित नवोदय विद्यालय का स्टाफ व सभी विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम में तीनों विजेता टीमों को जवाहर नवोदय विद्यालय की तरफ से ट्रॉफी प्रदान की गई।
फोटो कैप्शन 06: अव्वल रहे विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते प्राचार्य नवोदय एवं अन्य।
रेबीज दिवस-28 सितंबर
रेबीज से बचना बहुत जरूरी है वरना मिलते हैं घातक परिणाम-डा.मोरवाल
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कनीना की आवाज। कुत्ता ,बंदर, बिल्ली आदि के काटने से रेबीज का रोग हो जाता है। रेबीज एक ऐसा रोग है जिसमें इंसान पानी से भी डरता है इसलिए इस रोग को हाइड्रोफोबिया भी कहते हैं। जब कभी कुत्ता, बंदर एवं बिल्ली क,ट जाता है तो सावधानी बहुत जरूरी है और तुरंत टीके लगवाने चाहिए।
कनीना उपनागरिक अस्पताल के डा. जितेंद्र मोरवाल बताते हैं कि लोग कुत्ता, बंदर एवं बिल्ली के काटने के बाद सावधानी नहीं बरती तो जीवन को खतरा हो सकता है। और किसी भी समय यह रोग बढ़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब शहरी तर्ज पर कुत्ते पालने की प्रथम बनी हुई है इसके चलते कुत्ता कभी किसी को काट सकता है और काटने पर तुरंत प्रभाव से टीके लगवाने चाहिए। उन्होंने बताया कि अक्सर कभी कुत्ता काटता है और काटने के बाद यदि कोई खून नहीं निकलता खरोंच आ जाती है तो टीके लगवाने की जरूरत नहीं होती। इसे अच्छी प्रकार साबून,डिटोल एवं तथा अन्य एंटीबायोटिक पदार्थ से धो देना चाहिए परंतु कुत्ते के काटने से कुछ खून निकलता है तो टीके लगवाने जरूरी होते हैं। चार टीके जो 0-3-7 -14 दिनों पर लगाए जाते हैं अर्थात उसी दिन से शुरुआत की जाती है फिर 3 दिन, 7 दिन और 14 दिन पर टीके लगाए जाते हैं किंतु जब कभी कुत्ता ज्यादा काट जाए और रक्त अधिक बहने लगे तो इसे हाई रिस्क नाम से जाना जाता है। उस समय 0-3-7-14 और 30 दोनों पर टीके लगवाने जरूरी है। सरकारी अस्पतालों में जहां कुछ लोगों के लिए ये टीके मुफ्त लगता लगाए जाते हैं बाकी के लिए 100 रुपये फीस निर्धारित की गई है वहीं निजी अस्पताल में इसका खर्चा 300 से 500 रुपये तक ले लेते हैं। उ
उधर वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉक्टर पवन कांगड़ा बताते हैं कि जो लोग कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि पालते हैं उन्हें एंटी रेबीज की टीके जरूर लगवाने चाहिए किंतु यदि ये एंटी रेबीज के टीके लगे हुए कुत्ते बंदर, बिल्ली किसी को काट ले तो सावधानी के लिए टीके जरूर लगवाएं। उन्होंने बताया कि जिन बिल्ली कुत्तों को एंटी रेबीज के टीके लगे हुए हैं उनसे यह रोग होने का खतरा कम होता है परंतु ये कुत्ते भी काट जाए तो टीके जरूर लगवा लेने चाहिए।
एक साल से नहीं हैं अस्पताल में टीके-
कनीना उप नागरिक अस्पताल में करीब एक साल से एंटी रेबीज के टीके तक नहीं है। बीच दौरान कुछ समय के लिए टीके आए थे जो समाप्त हो गये। जिसके चलते मैरिज निजी अस्पताल में लूटने पीटते फिर रहे हैं। निजी अस्पतालों में इसकी कीमत 500 रुपये तक ले लिये जाते हैं। कनीनावासियों की मांग है कि कनीना के उप- नागरिक अस्पताल में एंटी रेबीज के टीके उपलब्ध करवाएं और र्कुत्ते एवं बंदरों द्वारा काटे गये पूर्व मरीजों संतरा, राधेश्याम,महेंद्र, दिनेश आदि ने बताया कि एंटी रेबीज के टीके लगवाने के लिए नारनौल तक जाना पड़ा था। ऐसे में इन टीको की सख्त जरूरत है क्योंकि कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि आजकल बढ़ गए हैं। इनको मारना भी पशु क्रूरता एक्ट में आता है। यहां तक की पीपल फॉर एनिमल संस्थान इनको किसी प्रकार को मारने से रोकती है।
हर माह आते हैं 10 से 15 मरीज-
डा. मोरवाल अनुसार 10 से 15 मरीज हर महीने आ जाते हैं जिनकी संख्या कभी घट जाती है तो कभी बढ़ भी सकती है। उन्होंने बताया कि ये मरीज आते हैं तो उनका प्राथमिक उपचार किया जाता है तत्पश्चात इनको टिकों की सलाह दी जाती है।
फोटो कैप्शन: डा जितेंद्र मोरवाल
वायरस से फैलता है रेबीज का रोग
-हजारों लोग शिकार होते हैं रेबीज के
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कनीना की आवाज। रेबीज एक घातक वायरस है जो संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है। एक बार जब कोई व्यक्ति रेबीज के लक्षण दिखाना शुरू कर देता है, तो यह रोग मृत्यु का कारण बनता है।
रेबीज वायरस आपके शरीर में तब प्रवेश करता है जब किसी संक्रमित जानवर की लार खुले घाव में मिल जाती है। यह नसों के साथ बहुत धीरे-धीरे चलता है। जब यह आपके मस्तिष्क तक पहुंचता है, तो व्यक्ति को कोमा और मौत की ओर ले जाता है।
आमतौर पर रेबीज वयस्कों की तुलना में बच्चों को ज्यादा होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। घाव से होते हुए रेबीज वायरस व्यक्ति के मस्तिष्क तक चला जाता है। रेबीज वायरस आपके तंत्रिका तंत्र में आने से पहले आपके शरीर में कई दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकता है। इस दौरान आपको कोई लक्षण दिखाई नहीं देता हैं। इसके बाद तीन चरणों से होकर कोमा की स्थिति आ जाती है।
जब किसी मनुष्य के शरीर में रेबीज के प्रवेश करता है तो उसके बाद कई हफ्तों तक आमतौर पर रेबीज के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। बाद में बुखार,थकान,काटने के घाव में जलन, खुजली, झुनझुनी, दर्द या सुन्नता, खांसी, गला खराब होना, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, दस्त दिखाई पड़ते हैं। बाद में एरोफोबिया एवं हाइड्रोफोबिया, लकवा जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
कोई भी स्तनधारी जानवर रेबीज वायरस फैला सकता है। जिनसे रेबीज वायरस फैलने की अधिक संभावना होती है उनमें
पालतू जानवर और खेत वाले जानवर, बिल्ली, कुत्ते, घोड़े,जंगली जानवर, बंदर आदि किंतु आमतौर पर यह वायरस कुत्तों के काटने से ज्यादा फैलता है।
रेबीज के निदान के लिए लक्षणों की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। यदि आपको किसी जंगली जानवर या किसी पालतू जानवर ने काट लिया है या खरोंच दिया है, जिसे रेबीज हो सकता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से इस बारे में बताना चाहिए और उचित उपचार लेना शुरू कर देना चाहिए। डॉक्टर आपके घाव या खरोंच की जांच करेंगे और आपसे जानवर के बारे में पूछेंगे। कुछ जांच जैसे लार परीक्षण,म्त्वचा बायोप्सी,रक्त पराीक्षण,एमआरआई आदि से रोग का पता लगाया जाता है। एक बार लक्षण दिखने पर रेबीज के लिए कोई उपचार नहीं है। एक बार रेबीज आपके मस्तिष्क में चले जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।
यूरो स्कूल में आर्ट मेले का हुआ आयोजन
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कनीना की आवाज। यूरो स्कूल कनीना में आज शहीद-ए-आजम भगत सिहँ का जन्मदिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस शुभावसर पर स्कूल प्रांगण में एक भव्य आर्ट मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में कक्षा छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस मेले में सभी विद्यार्थियों ने अपनी उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन करते हुए शहीद भगत सिंह के बड़े ही सुन्दर व आकर्षक छायाचित्र बनाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
इस शुभावसर पर शैक्षणिक निदेशक डॉ. राजेन्द्र यादव, प्राचार्य सुनील यादव व उप प्राचार्या मंजू यादव ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के छायाचित्र पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर उनके जीवन पर प्रकाश डालकर विद्यार्थियों को अवगत कराया।
साथ ही उन्होंने बताया कि हमें ऐसे वीर जन नायकों के जीवन से प्रेरणा व शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें राष्ट्र पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। इस आर्ट मेले के समापन पर उन्होंने विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया और इस आर्ट मेले के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए कार्डिनेटर संजू यादव, गतिविधि प्रभारी रितू तंवर व समस्त अध्यापकों को हार्दिक शुभकामनाएं दी।
फोटो कैप्शन 02: संबंधित है।
श्रद्धा 29 सितंबर से
14 अक्टूबर तक चलेंगे श्राद्ध
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में श्राद्ध 29 सितंबर से शुरू होंगे और 14 अक्टूबर तक चलेंगे। इसके लिए प्रत्येक घर में तैयारियां शुरू हो गई है। विस्तृत जानकारी देते हुए सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि हर साल पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्वनी मास की अमावस्या तक चलते हैं। इस बार 29 सितंबर से शुरू होंगे 14 अक्टूबर तक चलेंगे। अमावस्या का दिन सर्वप्रिय अमावस्या भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि पितरों की आत्मिक शांति के लिए पितृपक्ष में श्रद्धा किए जाते हैं। पितृ पक्ष का दिन अपने पूर्वज और पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिन मृत्यु लोक से पूर्वज धरती लोक पर आते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान तर्पण और श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। पितृ पक्ष श्राद्ध करने का विशेष फल भी प्राप्त होता है। पितृ विपक्ष दौरान खीर पूरी तथा विभिन्न पकवान बनाकर पितरों को खिलाए जाते हैं। यहां तक की चौराहों पर कौवों के लिए विभिन्न स्थानों पर भोजन रखा जाता है।
सुरेंद्र शर्मा ने कहा की विधि विधान से पितृ पक्ष सलाद करने चाहिए। तत्पश्चात नवरात्रि पर्व शुरू हो जाएंगे। नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होंगे।
ग्रामीणों का धरना 199वें दिन भी रहा जारी
-ग्रामीण अडिग हैं धरने पर
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना 199वें दिन जारी रहा। धरने की अध्यक्षता ओमप्रकाश सेहलंग ने की और उन्होंने बताया जब तक केंद्र सरकार कट का काम शुरू नहीं करती है हम धरना स्थल पर बैठे रहेंगे।
धरने की अध्यक्षता ओमप्रकाश सेहलंग ने बताया कि धरने को चलते 199 दिन हो गए हैं। हम धरना स्थल पर शांतिपूर्वक और अनुशासनिक तरीके से बैठे हुए हैं, केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा 9 मार्च 2022 को पचगांव गुरुग्राम रैली में राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा की गई है। यह घोषणा केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा करवाई गई थी ििकंतु अभी तक मांग को सिरे नहीं चढ़ाया गया है। हमारा काम है कट का संदेश केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह तक पहुंचाना और उन्हें याद दिलाना की कट की घोषणा उन्होंने की है। हमें विश्वास है, कट बनेगा, समय लग सकता है।
उन्होंने बताया कि हमारा धरना बाबा शिव भोले की नगरी बाघेश्वर धाम में चल रहा है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा शिव भोले के दर्शन करने के लिए बाघेश्वर धाम पहुंचते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनने से भक्तों को बाबा शिव भोले के दर्शन करने में समय कम लगेगा, दूरी कम हो जाएगी और टूटे-फूटे रोड से छुटकारा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनने से जवान बच्चों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, उद्योग लगेंगे, शैक्षणिक संस्थान बढ़ेंगे और बाघेश्वर धाम पर्यटक स्थल बनेगा।
इस मौके पर धरना संघर्ष समिति अध्यक्ष विजय सिंह नौताना,कृष्ण कुमार पंच और मुंशी राम सेहलंग, विजयपाल सेहलंगिया, पहलवान रणधीर सिंह, नरेंद्र शास्त्री,डॉ लक्ष्मण सिंह, सरपंच पंकज हिंदू, पहलवान धर्मपाल , बाबूलाल,वेद प्रकाश,चेयरमैन सतपाल, प्रधान कृष्ण कुमार, सूबेदार हेमराज अत्रि, रामकुमार, ठेकेदार शेर सिंह, रामकिशन, प्यारेलाल, डॉ राम भक्त, रोशन लाल आर्य, मनोज कुमार करीरा, सूबेदार श्रीराम,
हंस कुमार,सीताराम, सूबे सिंह पंच, दाताराम, सुरेंद्र सिंह व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 01: कट के लिए धरने पर बैठे लोग।
साधू समाज के सच्चे हीरे थे ब्रह्मचारी कृष्णानंद महाराज -स्वामी धर्मदेव
-संत कृष्णानंद की मौत पर जताया शोक
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कनीना की आवाज। ब्रह्मचारी कृष्णानंद महाराज साधू संत समाज के हीरे थे जिनको समाज कभी भुला नहीं सकता और उनकी कमी समाज में हमेशा बनी रहेगी। यह कहना है महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज पटौदी का।
उन्होंने कृष्णानंद महाराज आश्रम में पहुंच उनके अनुयायियों को व्यक्त किये और स्वामी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि संत शरीर से अवश्य ही दूर हो जाते हैं लेकिन सच्चे संत सूक्ष्म शरीर से इस दुनिया में हमेशा विराजमान रहते हैं और समाज को सही मार्गदर्शन करते हुए समाज की भलाई के कार्य करते हैं। स्वामी जी आश्रम के पत्ते पत्ते में विराजमान है, बस केवल उनको आत्मज्ञान की आंखों से देखने की जरूरत है। वो कल भी हमारे साथ थे आज भी हमारे साथ है और आगे भी हमारे साथ रहेंगे और हमारे शुभ तथा अशुभ कर्मों को देख रहेंगे।
कृष्णानंद जी महाराज गांव धनौंदा के एक परिवार में जन्मे थे और संत थे जिन्होंने मात्र 4 वर्ष की आयु में घर बार छोड़ दिया था और संतों की शरण में जाकर परमात्मा की भक्ति की। कृष्णानंद एक आश्रम की स्थापना कर उसमें हजारों वृक्ष लगाए। स्वयं अस्वस्थ रहते हुए भी आए दिन लोगों को सुबह 08 बजे से 10 बजे तक उनकी सेवा करते थे। उनका चला जाना इस क्षेत्र की सबसे बड़ी क्षति है जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। इस अवसर पर उनके साथ मार्केट कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ठाकुर रतन सिंह तंवर, समाजसेवी राजेंद्र नंबरदार, पूर्व पंच घनश्याम सिंह के अलावा भक्त मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 05: महामंडलेश्वर धर्मदेव पटौदी कृष्णानंद आश्रम में संत कृष्णानंद के पंचतत्व में विलीन होने के बाद शोक जताते हुए।
बच्चा ढूंढकर पहुंचाया उसके घर
-परिजनों ने जताया आभार
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कनीना की आवाज। लापता नाबालिग बच्चे को पुलिस ने कनीना क्षेत्र से बरामद किया, दोस्त के साथ खेलते-खेलते उसके घर से चला गया था बच्चा
सूचना मिलते ही तुरंत प्रभाव से डीएसपी सहित थाना की पुलिस टीमें बच्चे को ढूंढने में लग गई, रात भर ढूंढती रही पुलिस की टीमें, बच्चे को सकुशल बरामद कर परिजनों को सौंपा।
डीएसपी कनीना, थाना शहर कनीना, थाना सदर कनीना और स्पेशल स्टाफ कनीना की पुलिस टीमों ने लापता नाबालिग बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया है। कनीना क्षेत्र में बच्चा स्कूल गया था और दोस्त के साथ खेलते-खेलते स्कूल से सीधा दोस्त के घर चला गया था। इसके बाद बच्चा दोस्त के घर खेलता रहा और वहीं सो गया। स्कूल से काफी समय बाद भी जब बच्चा घर नहीं लौटा तो परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक नितिश अग्रवाल के दिशा-निर्देशानुसार पुलिस टीमें बच्चे को तलाशने में जुट गई। डीएसपी कनीना मोहम्मद जमाल और थाना शहर कनीना, थाना सदर कनीना व स्पेशल स्टाफ कनीना पुलिस की टीमें रात भर बच्चे को तलाशती रही। काफी मशक्कत करने के बाद बच्चे को पुलिस ने सकुशल बरामद कर लिया और परिजनों के सुपुर्द कर दिया। बच्चे के परिजनों ने पुलिस टीम का धन्यवाद किया है।
श्राद्ध के होते हैं 12 प्रकार होते हैं -पंडित ऋषि राज शर्मा
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कनीना की आवाज।
शितिकंठा ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि राज शर्मा ने बताया की इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और इसका समापन 14 अक्टूबर को होने जा रहा है. पितृ पक्ष 16 दिनों की अवधि होती है जिसमें अपने पितरों को याद किया जाता है और उनके नाम का तर्पण किया जाता है.
पितरों को जल देने का समय प्रात: 11:30 से 12:30 के बीच का होता है. पितरों को जल चढ़ाते समय कांसे का लोटा या तांबे के लोटे का प्रयोग करें. पितरों को पानी दे !
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. पूर्वजों की कृपा से जीवन में आने वाली कई प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं. व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों से भी मुक्ति मिलती है.
वैसे तो साल में एक बार 16 दिनों के लिए पितृ पक्ष का समय आता है लेकिन मान्यता है कि श्राद्ध के कुल 12 प्रकार होते हैं। जानें उन प्रकारों और पितृ पक्ष के महत्व के बारे में।
नित्य श्राद्ध
यह श्राद्ध नित्य श्राद्ध कहलाता है क्योंकि यह श्राद्ध जल और अन्न द्वारा प्रतिदिन होता है। श्रद्धा भाव से माता-पिता एवं गुरुजनों के नियमित पूजन को नित्य श्राद्ध कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अन्न के अभाव में जल से भी श्राद्ध किया जा सकता है।
नैमित्तिक श्राद्ध
मान्यतानुसार किसी एक व्यक्ति को निमित्त बनाकर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं।
काम्य श्राद्ध
जब किसी कामना की पूर्ति हेतु श्राद्ध कर्म किये जाते हैं तो इसे काम्य श्राद्ध कहा जाता है। मान्यता है कि इस श्राद्ध कर्म को करके मनुष्य की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
वृद्ध श्राद्ध
विवाह, उत्सव आदि अवसरों पर वृद्धों के आशीर्वाद लेने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध वृद्ध श्राद्ध कहलाता है। लोग विवाह के अवसर पर सर्वप्रथम पितरों का आह्वान करते हैं जिससे उनके जीवन में आने वाले बाधाएं दूर हो जाएं।
सपिंडी श्राद्ध
सपिण्डन शब्द का अभिप्राय पिण्डों को मिलाना। पितर में ले जाने की प्रक्रिया ही सपिण्डन है। प्रेत पिण्ड का पितृ पिण्डों में सम्मेलन कराया जाता है। इसे ही सपिण्डन श्राद्ध कहते हैं।
पार्वण श्राद्ध
पार्वण श्राद्ध इसी पर्व से संबंधित होता है। किसी पर्व जैसे पितृ पक्ष, अमावस्या या पितरों को मृत्यु की तिथि आदि पर किया जाने वाला श्राद्ध पार्वण श्राद्ध कहलाता है।
गोष्ठी श्राद्ध
गोष्ठी शब्द का अर्थ समूह होता है। इसलिए अपने अर्थ को चरितार्थ करते हुए यह श्राद्ध सामूहिक रूप से किए जाते हैं।
शुद्धयर्थ श्राद्ध
शुद्धि के निमित्त जो श्राद्ध किए जाते हैं। उसे सिद्धयर्थ श्राद्ध कहते हैं। इस श्राद्ध में मुख्य रूप से ब्राह्मणों को भोजन (पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोजन का महत्त्व) कराना अच्छा होता है।
कर्माग श्राद्ध
कर्माग का अर्थ कर्म का अंग होता है, अर्थात किसी प्रधान कर्म के अंग के रूप में जो श्राद्ध सम्पन्न किए जाते हैं। उसे कर्म श्राद्ध कहते हैं।
यात्रार्थ श्राद्ध
यात्रा के उद्देश्य से किया जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है। जैसे- तीर्थ में जाने के उद्देश्य से या देशांतर जाने के उद्देश्य से किया गया श्राद्ध।
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