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Monday, September 25, 2023

 
सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने किए जन संवाद कार्यक्रम
सरकार पीपीपी से योजनाओं व सेवाओं का दे रही लाभ - चौधरी धर्मबीर सिंह
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कनीना की आवाज।  हरियाणा उदय कार्यक्रम के तहत कनीना उप मंडल के गांव भोजावास, करीरा, पाथेडा, खेड़ी व नौताना में जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने ग्राम वासियों की समस्याएं सुनी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 107वीं जयंती पर उनके अटेली विधायक सीताराम यादव व भाजपा जिला अध्यक्ष दयाराम यादव भी मौजूद थे।
इस मौके पर सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने गांव भोजावास से मानपुरा तक 85 लाख रुपये की लागत से बनी 2800 मीटर की सड़क, गांव भोजावास से बेवल तक 1 करोड़ 25 लाख की लागत से बनी 4 किलोमीटर लंबी सड़क, गांव पाथेडा से कैमला तक 65 लाख 32 हजार की लागत से बनी 1900 मीटर की सड़क व गांव नौताना से बालरोड तक एक करोड़ की लागत से 1300 मीटर की सड़क सहित चार सड़क मार्गों का उद्घाटन किया।
गांव नौताना में एचआरडीएफ स्कीम के तहत सुमेर के प्लांट से विक्रम ऑयल मील तक गली का उद्घाटन, एफएफसी स्कीम के तहत सत्य प्रकाश के प्लांट से बह्मप्रकाश के प्लांट तक गली का उद्घाटन व एमपी लेड स्कीम के तहत जोहड़ पर टीन शेड का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि हरियाणा ग्राम दर्शन पोर्टल के तहत गांव की फिरनी, श्मशान घाट, लाइब्रेरी, जिम व जोहड़ आदि कार्यों का प्रस्ताव पास कर पोर्टल पर अपलोड करें ताकि बिना देरी के कार्य हो सके।
सांसद ने बताया कि परिवार पहचान पत्र के माध्यम से लोगों को पारदर्शी तरीके से योजना व सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रहे हैं।
इस मौके पर एसडीएम सुरेंद्र सिंह, तहसीलदार ब्रह्मप्रकाश, बीडीपीओ अरुण, बीएंडआर एक्शन अश्वनी कुमार, भोजावास मंडल अध्यक्ष मामन सिंह, निगरानी कमेटी के पूर्व संयोजक मुन्नीलाल शर्मा, भोजावास गांव की सरपंच ओमलता देवी, गांव करीरा की सरपंच सपना, गांव पाथेड़ा की सरपंच मीनू देवी, गांव खेड़ी का सरपंच पंकज के अलावा अन्य विभागों के अधिकारी व गांवों के अनेकों गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 11: जनसंवाद कार्यक्रम में लोगों की समस्याएं सुनते सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह
  13: सड़कों का उद्घाटन करते सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह
 


कनीना अनाज मंडी में बाजरे की खरीद का मामला-
किसानों द्वारा दो बार अनाज मंडी के मुख्य गेट पर ताला लगाने के बाद खरीद हुई शुरू, वर्षा ने डाला विघ्र
- 30 क्विंटल बाजरे की हुई खरीद, आढ़तियों की मांग सभी किसानों का बाजरा खरीदा जाये

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कनीना की आवाज।
सोमवार दोपहर पश्चात तक किसनों और खरीद एजेंसी के अधिकारियों से तनातनी के बाद शाम करीब  3 बजे बाद बाजरे की सरकारी खरीद शुरू हुई तो वर्षा ने विघ्र डाल दिया। महज 30 क्विंटल बाजरा ही खरीदा था कि वर्षा के कारण  खरीद का काम रोक दिया।
बाजरा खरीदे जाने में देरी को लेकर किसानों ने अनाज मंडी के मुख्य द्वार पर जाम लगाया और मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। उच्च अधिकारियों के मौके पर पहुंचकर ताला खुलवाया और हैफेड मैनेजर से बात की। मैनेजर साफ सुथरे बाजरे की खरीद करने की बात कह रहे थे जिसको लेकर बाद में अधिकारियों के कहने पर सभी किसानों ने बाजरे की ढेरी लगाने का निर्णय लिया परंतु
ढेरी लगवाये जाने को लेकर भी आढ़ती परेशान नजर आये।
2200 रुपये प्रति क्विंटल बाजरा खरीदा जाएगा और 300 रुपये  सरकार भावांतरण भरपाई के किसानों के खातों में डालेगी।
 सोमवार को सुबह 4 बजे से किसान अपने-अपने वाहनों में बाजरे को लादकर अनाज मंडी रास्ते पर खड़े हो गए। कतार बढ़ती चली गई और एक किलोमीटर लंबी कतार किसानों के वाहनों की लग गई जिससे आवागमन में परेशानी हुई। तत्पश्चात हैफेड मैनेजर वीरेंद्र सिंह ने आढ़तियों को बुलाकर उन्हें निर्देश दिया कि केवल साफ सुथरा बाजार ही खरीदा जाएगा जिसमें टूट फूट डेढ़ प्रतिशत से अधिक न होनी चाहिए। आढ़तियों का कहना था कि सभी बात किसानों का बाजार खरीदा जाए किंतु मैनेजर ने साफ मना कर दिया कि जो नियम है उनके तहत ही बाजार खरीदा जाएगा। तत्पश्चात किसान और रोष पनपा और उन्होंने अनाज मंडी के मुख्य द्वार पर अपने ट्रैक्टर खड़े कर ताला जड़ दिया। सूचना पाकर एसएचओ सिटी कमलदीप, तहसीलदार ब्रह्म प्रकाश, नायक तहसीलदार हरिओम, हैफेड मैनेजर वीरेंद्र सिंह,मार्केट कमेटी सचिव नकुल यादव मौके पर पहुंचे। किसानों को समझाया गया किंतु किसान एक ही बात पर अड़े रहे कि बाजरे की ढेरियां नहीं करेंगे। ढेरी को को रिजेक्ट कर दिया जाता है, ऐसे में ढेरी लगे बाजरे को खरीदा जाए तो ही वे ढेरियां लगाने को तैयार है। उधर आढ़तियों का भी यही कहना था कि वह ढेरियां अपने फड़ों पर डलवा लेंगे किंतु हैफेड की ओर से यदि खरीद नहीं हुई तो किसानों को भारी दिक्कत आएगी। बाजरे को वापस ले जाना परेशानी का कारण बन जाएगा। ऐसे में उच्च अधिकारियों के समझाने पर हैफेड मैनेजर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि साफ सुथरा बाजरा हम खरीद लेंगे, पहले ढेरियां लगाई जाए। वाहनों में डैमेज बाजरे की मात्रा को जांच पाना कठिन होता है।
ऐसे में ढेरियां लगवाना जरूरी है। समझाने बूझाने के बाद ढेरियां लगाने का कार्य शुरू हुआ। सभी किसान अअपने वाहनों को अनाज मंडी के अंदर ले गये और आढ़तियों के फड़ों पर ढेरियां लगने लगे तभी वर्षा शुरू हो गई। महज दो किसनों का 30 क्विंटल बजरा खरीदा गया। इस प्रकार सिर मुंडवाते ही ओले पड़ गये।  सारा काम ठप कर दिया। सभी किसानों ने अपने-अपने बाजरे को ढकना पड़ा, आढ़तियों ने ढेरियों को ढक दिया।
 किसान परेशान हैं बौर उनका कहना है कि पता नहीं बारिश के बाद उनका बाजरा खरीदा जाएगा या नहीं। किसान मानसिंह का कहना है कि सुबह से ट्रैक्टर में साफ सुथरा बाजरा लेकर आया था किंतु मैनेजर कह रहे हैं कि केवल डेढ़ प्रतिशत डैमेज युक्त बाजरा ही खरीदा जाएगा। डैमेज बाजार साफ सुथरा बाजार ही खरीदा जाएगा ऐसे में उनका बाजार नहीं खरीदा गया तो उन्हें कितनी भारी परेशानी होगी।  उधर कृष्ण सिंह ने कहा कि बताया कि उनकी ढेरी को कैंसिल कर दिया है क्योंकि उसमें बहुत भूसा बताया गया। उन्होंने कहा कि साफ सुथरा बाजार है फिर भी उनका बाजरा नहीं खरीदा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि चार ढेरियां शनिवार को  रेवाड़ी सैंपल बतौर भेजी गई थी और वे रिजेक्ट होने के बाद से किसान मायूस है। किसानों का कहना है कि मौसम की मार पडऩे के कारण जैसा ही बाजरा है वह साफ-सुथरा है, वह हम लेकर आ रहे हैं उसे खरीदा जाए। सोमवार को 200 से अधिक गेट पास जारी कर दिए गए और आढ़तियों की फड़ों पर ढेरिया लगा दी गई।
 क्या कहते हैं हैफेड मैनेजर- हैफेड मैनेजर वीरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के आदेश अनुसार साफ सुथरा बाजरा ही खरीदा जाएगा और जिसमें टूट फूट डेढ़ प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। किसान जो बाजरा लेकर आ रहे तीन से पांच प्रतिशत डैमेज मिलता है। उन्होंने कहा कि किसान  नाराज है कि उन्होंने ढेरी लगवाने की बात कह दी और ढेरी लगवाए बगैर किसानों के बाजरे को चेक करना कठिन है। उन्होंने बताया कि बारिश से पहले 30 क्विंटल 2 किसानों का बाजरा खरीदा जा चुका है। किसान पोर्टल पर और गेट पास पर जितना बाजरा दर्शाया गया उतना बाजरा खरीदा जा रहा है। सरकार के आदेश अनुसार वे बाजरे की क्वालिटी चेक करके ही खरीद रहे हैं। उधर मार्केट कमेटी सचिव नकुल यादव ने बताया कि अभी तो बाजरा यही खरीदा जाएगा यदि जगह का अभाव हुआ तो चेलावास बनी स्थित अनाज मंडी में बाजरा खरीदा जाएगा। इसके लिए पहले किसानों को सूचना दे दी जाएगी। ऐसे में उन्होंने कहा किसानों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
 क्या कहते हैं आढ़ती- व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उप प्रधान रविंद्र बंसल का कहना है कि कनीना मंडी में तीन दर्जन से भी अधिक आढ़ती है जिनकी रोटी रोजी यही है। वह चाहते कि जो भी किसान उनके पास ढेरियां लगाए वह खरीदी जाए, रिजेक्ट नहीं की जाए। अगर रिजेक्ट की जाती है तो किसानों को ही भारी परेशानी नहीं अपितु आढ़ती को भारी परेशानी उठानी पड़ेगी। उसके लिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि जो भी किसान बाजरे को बेचने के लिए आए सभी का बाजरा खरीदा जाए ।उन्होंने बताया कि दूसरे प्रदेशों से बाजरा आने की संभावना नहीं है। कुछ आरोप लगाए जा रहे थे कि दूसरे प्रदेशों से बाजरा आएगा। उन्होंने कातिल राजस्थान में बाजरा 2100 रुपये प्रति क्विंटल खुली मंडियों में है जो इस मंडी से तेज है। वहां से महंगा बाजरा खरीद कर यहां बेचने के लिए लाना शायद संभव नहीं है। रविंद्र बंसल ने बताया कि अब यह पता नहीं है की वर्षा के बाद कब खरीद होगी क्योंकि फड़ गीले हो गए हैं और गीले फलों पर खरीद होना संभव नहीं लगता।
फोटो कैप्शन 2 से 8 तक। अनाज मंडी गेट पर ताला लगाया हुआ, किसानों के वाहनों की कतार, बारिश से बाजरे का बचाव तथा हैफेड मैनेजर वीरेंद्र सिंह।







पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ने किया स्कूल का दौरा
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कनीना की आवाज। सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी एवं शिक्षाविद धर्मवीर बलडोदिया ने सोमवार को राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना  का दौरा किया तथा शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से उनकी शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर चर्चा की। उन्होंने जालूरा शौर्य महोत्सव के लिए रिहर्सल कर रही विद्यार्थियों से बात की तथा राष्ट्रभक्ति व शहीदों के अनेक संस्मरण भी सुनाए।
उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों की छिपी  प्रतिभा को पहचाने व उन्हें आगे बढऩे के समुचित अवसर दें क्योंकि इस क्षेत्र में अनेक प्रतिभाएं छिपी हैं जो सिर्फ एक अवसर के इंतजार में है। विद्यालय के मुख्य अध्यापक नरेश कौशिक ने पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी का स्वागत किया तथा उनके द्वारा बतौर डाइट प्राचार्य किए गए शैक्षिक विकास कार्यों की चर्चा की ढ्ढ इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक कैलाश ,राजेश शास्त्री ,शीला देवी शालिनी प्रधान ,राकेश कुमार डीपी, संदीप कुमार,शीतल चौहान ,कश्मीरी निमल, एसएमसी सदस्य हेमलता सहित समस्त स्टाफ सदस्य उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 09: स्कूल का दौरा करते पूर्व डीइओ श्री बलडोदिया।








फिर हुई कनीना क्षेत्र में 3 एमएम वर्षा
-विगत दिनों हुई थी 27 एमएम वर्षा
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में एक बार फिर से सोमवार के दिन दोपहर पश्चात 3 एमएम बारिश हुई। इस वक्त करीब दो प्रतिशत किसानों की बाजरे की फसल खेतों में खड़ी हुई है या पड़ी है जबकि कपास की फसल पूर्ण रूप से खड़ी हुई है। किसान त्वरित गति से कृषि कार्यों में  लगे हुए हैं। इस वर्षा से सुे लाभ मिलने की उम्मीद है चूंकि भावी फसल के लिए तैयारियां चल रही हैं।
विगत दिनों क्षेत्र में करीब 27 एमएम बारिश हुई थी। यदि यूं ही बारिश होती रही तो भावी रबी की फसल सरसों और गेहूं के लिए बेहतर साबित होगी। किसान अजीत कुमार, रवि कुमार, रोहित कुमार, सुनील कुमार, सूबे सिंह आदि बताते हैं की बारिश का होना भावी फसल के लिए शुभ संकेत है।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में अधिकांश किसानों ने अपनी बाजरे की फसल पैदावार ले ली है। कुछ किसान बचे हैं वो भी अपनी फसल पैदावार लेने में लगे हुये हैं। आगामी चंद दिनों में सभी किसान बाजरे की पैदावार घरों में डाल लेंगे।
 क्या कहते हैं कृषि अधिकारी -































































पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज बताते हैं कि वर्षा रबी फसल के लिए लाभप्रद साबित होगी। बाजरे के अवशेष जो खेतों में रह गये हैं वे गल जाएंगे और खाद का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि गेहूं एक नवंबर से 25 नवंबर के बीच बीजाई की जाती है जिसके लिए 21 डिग्री ताप जरूरत होती है जो 145 दिनों में पक जाती है। जबकि सरसों की बिजाई का 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच बेहतर समय होता है जिसके लिए 28 डिग्री ताप की जरूरत होती है। यह डेढ़ सौ दिन में पककर तैयार हो जाती है। रबी फसल की अवधि में दो से तीन बार वर्षा भी हो जाति है वरना सिंचाई से ही यह फसल तैयार की जाती है।
फोटो कैप्शन 10: कनीना क्षेत्र में हुई वर्षा का नजारा







विश्व गर्भनिरोधक दिवस 26 सितंबर
युवा वर्ग को जागरूक बनाना गर्भनिरोधक दिवस उद्देश्य - मोरवाल
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कनीना की आवाज। 26 सितंबर को घर दुनिया भर में गर्भनिरोधक दिवस मनाया जा रहा है जिसके पीछे युवा वर्ग को यौन जागरूकता उत्पन्न करना है। 2007 से शुरू हुई इस दिवस के बारे में डॉक्टर जितेंद्र मोरवाल बताते हैं गर्भ निरोधक उपाय आजमाने से महिला के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि तरीकों से गर्भ निरोध किया जाता है जिसमें गर्भनिरोधक गोलियां प्रमुख रूप से ली जाती है परंतु कुछ महिलाएं चेहरे की खूबसूरती कम ना हो जाए इस बात को लेकर गोलियां नहीं खाती हकीकत में ऐसी कोई दिक्कत नहीं आती। अनेकों प्रकार की गोलियां बाजरा में उपलब्ध है जिनके खाने से कई समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।  
स्थायी समाधान है परिवार नियोजन -
डा. मोरवाल बताते हैं कि परिवार नियोजन भविष्य में संतान न चाहने का स्थायी इलाज है और इसके लिए महज 5 मिनट का समय लगता है। सरकार महिला को 1400 रुपये तथा पुरुष को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि देती है। यही नहीं मोटीवेटर को भी ढाई सौ रुपये तक मिलते हैं। लेप्रोस्कोपिक विधि से आपरेशन किया जाता है। महेंद्रगढ़ और नारनौल में सोमवार और बृहस्पतिवार को परिवार नियोजन कार्यक्रम चैलता है जिसमें आपरेशन किये जाते हैं। उन्होंने बताया परिवार नियोजन स्थायी समाधान होता है जिससे कोई सेहत पर पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
 कनीना में भी चलता था परिवार नियोजन कार्यक्रम - वर्ष 2006 तक कनीना में सर्जन होता था और वह परिवार नियोजन कार्यक्रम यहां चलाता था जिसके बाद यह कार्यक्रम बंद हो गया है। अब क्षेत्र के लोगों को परिवार नियोजन के लिए भी महेंद्रगढ़ नारनौल जाना पड़ता है। कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में यह परिवार नियोजन कैंप लगाने की मांग उठ रही है।
कर्मियों को मिलता था प्रोत्साहन-
पूर्व अध्यापक नेता कंवरसेन वशिष्ठ बताते हैं कि 1980 के बाद कुछ समय तक जो कर्मचारी परिवार नियोजन अपनाता था उन्हें एक वेतन वृद्धि का लाभ मिलता था जिसे पर्सनल पे के नाम से जाना जाता था। बाद में उसे सरकार ने बंद कर दिया। 1975 में इंदिरा गांधी के समय भारी संख्या में जबरदस्ती लोगों के ऑपरेशन भी किए थे लेकिन वर्तमान समय में लोग खुद इच्छा रखते हैं।
 फोटो कैप्शन: डॉक्टर जितेंद्र मोरवाल








नदी दिवस -26 सितंबर
दोहान और कृष्णावती नदियों में अपनी अंतिम छोर तक छोड़ा जाये पानी
-भूमिगत जल स्तर में हो सकता है सुधार
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कनीना की आवाज। जिला महेंद्रगढ़ में किसी वक्त दो प्रमुख नदियां कृष्णावती और दोहान नदी बहती थी। इन नदियों का जल जहां जहां पहुंचता था वहां भूमिगत जल बना रहता था वहीं बेहतर दर्जे की फसल किसान लेते थे परंतु लंबे समय तक इन नदियों में पानी न आने से जहां भूमिगत जल गहराता चला गया ।
 विगत वर्षों सरकार ने फिर इस क्षेत्र में प्रयास तो किया किंतु अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाया। आज भी लोग पानी के आने का इंतजार कर रहे हैं। नदी बहाव स्थल पर किसानों ने अब फसल उगा डाली है परंतु बहुत से किसान इन नदियों में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं।
 दोहान नदी में महेंद्रगढ़ शहर से होकर गुजरती थी जबकि कृष्णावती नदी उप मंडल कनीना के गांवों से गुजरती थी जो आगे जैनाबाद डहीना को पार करती थी।
कृष्णावती को को कनीना के गांव मानपुरा तक तो जोड़ दिया किंतु पानी न आने से किसान बेहद परेशान है।
कृष्णावती नदी में पानी छोड़े जाने की उठी है मांग--
 यूं तो कृष्णावती नदी जो नीम का थाना और पाटन से निकालकर करीब 300 गांव को जल उपलब्ध करवाती रही है। 1976 में अधिक पानी आने से इसकी चौड़ाई भी बढ़ गई थी किंतु 1995 में राजस्थान सरकार ने कचरेड़ा बांध बना दिया जिसके बाद पानी की आवक बंद हो गई थी किंतु हरियाणा सरकार ने जहां इस नदी को फिर से चालू करने के लिए कच्ची खोदाई करवाई थी। कनीना उपमंडल के गांव मानपुर तक कृष्णावती नदी की कच्ची खोदाई की गई जिस पर करोड़ों रुपये की लागत आई थी।
 किसान बड़ी आशा के साथ इस नदी पर नजर टिकाये हुए हैं ताकि कभी तो खेतों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा किंतु किसानों सुमेर सिंह, दिनेश कुमार ,महेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह ,लाजपत आदि ने बताया की नदी की खोदाई के बाद से अब तक कोई पानी की आवक नहीं हुई है जिससे किसानों की सभी आशाओं पर पानी फिर गया है। किसानों ने बताया की कृष्णावती नदी में यदि पानी छोड़ दिया जाए तो भूमि का जलस्तर ऊंचा उठेगा परंतु फिलहाल इस कृष्णावती कच्ची नदी में भारी मात्रा में अड़ंगा खड़ा हुआ है, झाड़ झंकार खड़े हैं जिसके चलते किसान मायूस है। उन्हें विश्वास था कि यह इस नदी से के जल से ही जोहड़ों में पानी भरा जाएगा और मवेशियों को पेयजल उपलब्ध होगा किंतु कोई लाभ नहीं हुआ। एक ओर तो खेतों के बीचों बीच नदी बना दी वहीं नदी में झाड़ झंकार खड़े हैं, जल नहीं आता। ऐसे में किसानों ने मांग की है किस नदी में जल छोड़ा जाए ताकि उन्हें खेती के लिए तथा भूमिगत जल की बढ़ोतरी के लिए जल उपलब्ध हो सके।











विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस 26 सितंबर
-आज के दिन सबसे जरूरी है पर्यावरण स्वास्थ्य
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कनीना की आवाज। विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने ,पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। विश्व प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है जिसके पीछे  मानवीय गतिविधि है। ग्लोबल वार्मिंग चिंता का विषय बना हुआ है फिर भी पर्यावरण को दूषित किया जा रहा है जिसका परिणाम भविष्य में भयंकर हो सकता है। पर्यावरण अगर सुरक्षित नहीं होगा तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ज्यों ज्यों इंसान सभ्य हुआ त्यों त्यों उसने पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। े 26 सितंबर 2011 को विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस की स्थापित की गई थी।  आज के दिन ध्वनि, हवा, पानी सब दूषित होते जा रहे हैं जिसके चलते भारी संख्या में रोग बढ़ते जा रहे हैं। वायु प्रदूषण से अनेक बीमारियां बढ़ी हैं जल प्रदूषण से भी कई बीमारियां हो रही है जिनमें टाइफाइड डायरिया, डेंगू प्रमुख है। अगर स्वास्थ्य को यूं ही प्रदूषित करते रहे तो आने वाले समय में बड़ी समस्या पर्यावरण की उभरेगी। इस संबंध में पर्यावरण प्रेमियों से बात हुई।
   इंसान को पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए न केवल अधिक पेड़ लगाने होंगे अपितु वायु को दूषित करने वाले सभी कारकों पर नियंत्रण करना होगा। लोग भारी शोर शराबा करके ध्वनि प्रदूषण करते हैं, डीजे पूरे वेग से बजाये जाते हैं उन पर प्रतिबंध लगाना होगा। यदि फिर भी इंसान नहीं जागा तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसे में पर्यावरण सुरक्षा करना हम सभी का फर्ज बनता है। जल को बचाना, वायु को प्रदूषित होने से रोकना तथा ध्वनि विस्तार को यंत्रों पर प्रतिबंध लगेगा तब ही पर्यावरण बच पाएगा।  --- राजेंद्र सिंह वृक्ष मित्र
 पिछले सात वर्षों से देश भर में एक लाख पौधे लगाने के लक्ष्य के साथ कार्य करते हुए लगभग पचास हजार से ज्यादा पौधे रोपित किए जा चुके हैं। दस से ज्यादा गांवों के धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ लगवाये, पचास से ज्यादा सेमिनारों का आयोजन कर युवाओं में पर्यावरण के प्रति लगाव को जागृत कर पौधरोपण को बढ़ावा दिया हैं। युवाओं को प्रेरित कर अपने जन्मदिन एवं अन्य अवसरों पर पौधरोपण करने की परंपरा का भी आगाज करते हुए पर्यावरण संरक्षण को गति प्रदान की हैं। उनका कहना है कि पैसों से पर्यावरण को नहीं खरीदा जा सकता न ही स्वच्छ बनाया जा सकता है। यह पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
      -----लक्कीराव सिगड़ा समाजसेवी
लगभग 5 सालों से अपनी जन्मभूमि व आस पास के क्षेत्रों को हरा भरा करने के लिए जुटे हुए हैं, खुद अपने हाथों से पौध नर्सरी तैयार करके 20 हजार पौधो से पर्यावरण को संरक्षित कर चुके हैं।
गांव की गलियों में 200 पौधे लगाये ताकि गांव के  प्रत्येक व्यक्ति का पौधो से लगाव हो जिसमे  बोटल पाम,  फाइकस अशोक, कनेर, चंपा जैसे पौधे लगाये। गाव की  जंगलात मे  1000 छायादार पौधे लगाये साथ ही गाव मे  फलो का बाग लगाया जिसमे 100 जामुन,  50 जाल,  100 एपल बेर,  50 सेहसुआ जैसे फलो के पौधे लगाए ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जीव जंतुओं को खाने के लिए भोजन मिल सके। जंगलात में 100 आर्जुन के औषधीय पौधे लगाये। पिछले 2 वर्ष में हर वर्ष 3000 फलदार पौधे जैसे आम, जामुन, चीकु, अमरुद,  कटहल आदि के  पौधे वितरित किए।  रामबास मे 3 पार्कों का निर्माण किया गया साथ ही हनुमान पार्क मे एक हर्बल पार्क का निर्माण किया गया है जिसमे भारी मात्रा में पौधे लगाये हैं। हमें लोगो को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों तथा इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।
---मनोज कुमार रामबास पर्यावरणविद
फोटो कैप्शन : राजेंद्र सिंह, मनोज कुमार, लक्कीराव।







हर हर महादेव की जयकारे के साथ 197वें दिन  जारी रहा धरना
-ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं अडिग
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कनीना की आवाज।  राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना 197वें दिन जारी रहा। धरने की अध्यक्षता मास्टर विजयपाल सिंह सेहलंग ने की और उन्होंने बताया कि सोमवार का दिन है, बाघेश्वर धाम बाघोत में शिव भक्त, बाबा शिव भोले के दर्शन करने के बाद धरना स्थल पर पहुंचते हैं। वे जी जान से चाहते हैं कि कट निर्माण कार्य अविलंब शुरू हो। शिव भक्तों का कहना है किआप लोग धरना स्थल पर बैठे रहे बाबा शिव भोले आपकी मांग को जरूर पूरा करवाएंगे।  हमारी भी बाबा शिव भोले से यही मांग है की राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर कट का काम जल्द शुरू करवाया जाए।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष  विजय सिंह चेयरमैन  ने बताया कि धरने को चलते 197 दिन हो गए हैं। किसानों में आक्रोश है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं किया गया। किसानों को विश्वास है की कट अवश्य बनेगा इसलिए वे शांतिपूर्वक ढंग से धरना स्थल पर बैठे हुए है तथा केंद्र सरकार को किसानों के दर्द को समझते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर कट के काम को वरीयता के आधार पर शुरू करना चाहिये।
 सोमवार को चेयरमैन रोशन लाल कनीना, पंच सुरेंद्र सिंह उर्फ सौदा, कृष्ण,लीला राम छिथरौली धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने बताया आप इस इलाके के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हो। इस इलाके के विकास के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर कट बनना अति आवश्यक हैं। हम तन- मन- धन से  आप को समर्थन देते हैं, आपके साथ हैं, जहां भी हमारी जरूरत पड़ेगी हम सेवा के लिए तैयार रहेंगे।
 इस मौके पर  पहलवान रणधीर सिंह, नरेंद्र शास्त्री, डॉ लक्ष्मण सिंह, मास्टर विजयपाल,  मनोज कुमार करीरा, वेद प्रकाश, पहलवान धर्मपाल,प्रधान कृष्ण कुमार,सूबेदार हेमराज अत्री, रामकुमार,शेर सिंह, नंबरदार लोकेंद्र सिंह, बाबूलाल,  मुंशी राम, ओम प्रकाश,  प्यारेलाल, डॉ राम भक्त, रोशन लाल आर्य,  हंस कुमार, सीताराम, सूबे सिंह पंच,  दाताराम व गणमान्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: धरना स्थल पर कट के लिए बैठे ग्रामीण।








चुनावी तैनाती का पारिश्रमिक नकद न दिए जाने का रोष
-करीब एक साल बीत जाने पर भी नहीं मिला पारिश्रमिक
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कनीना की आवाज। करीब एक वर्ष पूर्व एक और जहां शिक्षा विभाग के लगभग सभी शिक्षकों को चुनावी तैनाती में लिया गया था किंतु शिक्षकों को इस बार पंचायत चुनाव में पारिश्रमिक नकद न दिए जाने का भारी रोष पनप रहा है। शिक्षकों का कहना है कि विगत समय में मतगणना तथा अन्य तैनातियों  का पारिश्रमिक भी अभी तक नहीं मिला है। ऐसे में इस बार पारिश्रमिक देने के लिए महज पेई कोड लिया गया है जिससे पारिश्रमिक मिलना उन्हें कठिन नजर आ रहा है क्योंकि जीरो एवं शून्य आपस में मिलते हैं वहीं कई पीठासीन अधिकारियों ने पारिश्रमिक फार्म में आधी अधूरी जानकारी दी हैं। उन्होंने मांग की है कि सभी शिक्षकों को अविलंब पारिश्रमिक भिजवाने सुनिश्चित किया जाए। वैसे भी इस बार दीपावली के दिनों में तथा अवकाश के दिनों में रिहर्सल एवं चुनाव पूर्ण करवाये गये हैं। शिक्षक पूरी पूरी रात चुनावी तैनाती में लगे रहे यहां तक की सामान जमा करवाते समय भी पूरी रात कागज कार्रवाई करते रहे परंतु उन्हें पारिश्रमिक बतौर पीठासीन अधिकारी को 350 रुपये तथा अन्य को 250 रुपये प्रतिदिन के निर्धारित किये गये थे जिनमें से प्रतिदिन का किराया भी एक सौ रुपये तक खर्चा आया था। पारिश्रमिक न के बराबर रखा गया था।  चुनावी तैनाती जो सबसे कठिन कार्य होता है उसके लिए पारिश्रमिक अल्प देने की बात कही गई थी किंतु वो पारिश्रमिक भी अभी तक नहीं दिया गया है।  शिक्षकों ने इस संबंध में चुनाव आयोग से प्रार्थना की है कि अविलंब पारिश्रमिक सभी शिक्षकों को स्कूलों में जाकर प्रदान किया जाए।





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