मोबाइल और 5000 रुपये की नगदी छीनी
-विरोध किया तो कर डाली पिटाई
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कनीना की आवाज। ककराला के एक व्यक्ति से 5000 रुपये की नकदी और मोबाइल छीनकर तीन व्यक्ति फरार हो गए । कनीना पुलिस में उन्होंने मामला दर्ज करवाया है।
वीरेंद्र ककराला ने पुलिस में कहा है कि वह अंबेडकर चौक कनीना के पास जा रहा था ,तभी मोहित एवं दो अन्य व्यक्ति मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए । हाथ से 5000 रुपये और फोन छीन ले गए । विरोध किया तो थप्पड़ मारें और कहा कि यदि पुलिस में गए तो जान से हाथ धो बैठोगे। उन्होंने अपना मोबाइल और नकदी बरामद करवाने की मांग की है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है जांच जारी है।
78000 हजार रुपये और मोटरसाइकिल छीनी
-कपूरी जा रहा था युवक
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कनीना की आवाज। पुलिस ने गांव खेड़ी निवासी सुनील की शिकायत के आधार पर तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ रुपए व बाइक छिन्ने को लेकर मामला दर्ज किया है। सुनील ने पुलिस को दी शिकायत मे बताया कि 18 सितम्बर को वह अपने गांव खेड़ी से बाइक पर सवार होकर बपनी बहन की ससुराला गांव कपूरी जा रहा था। जब वह ककराला अंडरपास के पास पहुंचा तो एक राह चलते व्यक्ति ने उसे हाथ दिया। बाइक रोकने पर उस व्यक्ति ने पूछा कि कहा तक जाओगे। उसके बाद मैने बताया कि मैं कपूरी तक जाउंगा। उसने कहा क्या काम है, मैंने कहा अपनी बहन को पैसे देकर आऊंगा। उसने कहां मैं भी थोड़ी आगे की और चलूँगा मुझे भी बैठा लो, फिर वह नौजवान लड़का मेरी बाइक के उपर बैठ गया फिर हम दोनों बाइक पर चल दिए। पीछे बैठे वाले नौजवान व्यक्ति ने किसी के पास फोन किया। ककराला अंडरपास क्रास होते ही करीब 15-20 मीटर के बाद सडक पर दो लड़के पीछे से एक बाइक पर सवार होकर आये उन दोनों लडको ने अपनी बाइक मेरी बाइक के आगे लगा दी। मैंने बाइक रोक दी फिर इन दोनों लडको व मेरे पीछे बैठे लडके ने मुझे पकडकर मेरी जेब से 78 हजार रुपए निकाल लिए व मेरी बाइक को लेकर मौके से फरार हो गए। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीन अज्ञात युवकों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस-21 सितंबर
व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही है संभव-काउंसलर पिंकी यादव
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कनीना की आवाज। शांति का वास्तविक स्नोत हमारे भीतर ही है। अपने मन को शांत करना ही आंतरिक शांति का सूत्र है। असल में ये सभी उत्प्रेरक तो हमारे अंतस को संतुलन प्रदान करने में सहायक मात्र बनते हैं। शांति हमारे जीवन में इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि शांत वातावरण में ही मनुष्य के रचनात्मक व्यक्तित्व का विकास होता है। शांति ही सकारात्मकता की वृद्धि करती है। शांति में ही प्रगति न केवल निहित होती है, अपितु उसे समृद्धि की पहली सीढ़ी भी माना जाता है। व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही संभव है। इसीलिए हमें यथासंभव शांति के सान्निध्य में रहने का प्रयास करना चाहिए। हमारी संस्कृति में तो पृथ्वी से लेकर समस्त अंतरिक्ष की शांति के लिए प्रार्थना की गई है। हमें उसी संस्कृति को समृद्ध करना है।
हम सभी जीवन में शांति की कामना करते हैं। शांति केवल संघर्ष या हिंसा के अभाव का नाम नहीं है। यह एक सकारात्मक आंतरिक घटना है। जब हम विश्व शांति की बात करते हैं, तो हम एक आवश्यक सत्य को भूल जाते हैं। विश्व शांति या बाहरी शांति, व्यक्तियों में स्वयं के साथ शांति के बिना होना असंभव है। एक शांतिपूर्ण दुनिया को आकार देने के लिए, नैतिक मूल्यों की ओर बढऩे का समय है जो किसी भी मानव समाज का आधार बनते हैं।
----- मनोवैज्ञानिक पिंकी यादव
दूसरों के साथ वह न करें जो आप अपने साथ होना नहीं चाहते हैं। यदि आप नहीं चाहते कि कोई आपके अभ्यास में बाधा डाले तो आपको दूसरों के अभ्यास में बाधा नहीं डालनी चाहिए। हमें अपनी पहचान बनाए रखनी होगी और साथ ही दूसरों की पहचान का सम्मान करना होगा। आंतरिक शांति विश्व शांति की कुंजी है। यदि लोग अपने अंदर इस शांतिपूर्ण स्थान तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं तो बाहरी शांति एक वास्तविकता बन सकती है।मानसिक अशांति का सर्वोत्तम उपचार है, शांति को विकसित करना। जो व्यक्ति स्वभाव से ही शांत हो, वह किसी भी परिस्थिति में अपना विवेक, न्याय की पहचान अथवा हास- परिहास का स्वभाव नहीं खोता । वह हमेशा सच्चाई को, भावनाओं या इच्छाजनित धारणा से अलग कर सकता है। आज की तनावपूर्ण जीवनशैली में शांति और शकुन के लिए हम तरह-तरह के प्रयास करते हैं। असल में मानसिक शांति की अवस्था मस्तिष्क की तरंगों के स्वरूप को अल्फा स्तर पर ले आता है जिससे चिकित्सा की गति बढ़ जाती है। मस्तिष्क पहले से अधिक सुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है। मानसिक शांति मस्तिष्क के आतंरिक रूप को स्वच्छ व पोषण प्रदान करती है। जब भी आप व्यग्र, अस्थिर और भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं तब ध्यान के माध्यम से आप अपने आप को शांत कर सकते हैं और मानसिक विश्रांति की अवस्था में हमेशा नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं। मस्तिष्क और शरीर को आराम मिलता है। मानसिक क्षमता बढ़ती है। तनाव से राहत मिलती है। इसलिए हमें बारंबार ध्यान करना चाहिए और उससे प्राप्त उत्तरोत्तर शंति के प्रभाव को बनाए रखना चाहिए। हमें प्रेम, अच्छाई और सामंजस्यता के विचारों को अवश्य प्रसारित करते रहना चाहिए।
शांति से ही आपसी भाईचारा कायम रह सकता है । विश्व के कल्याण में भी हमेशा शांति और सद्भाव की आवश्यकता पड़ती रही है । कई बार शांति स्थापित करने के लिए धर्म युद्ध का होना भी आवश्यक हो जाता है।
जैसा कि गीता में वर्णित है कि महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा था अगर तीनों लोक देने से शांति मिलती हो तो यह बहुत सस्ती रहेगी लेकिन तीनों लोक देने के बाद भी दुर्योधन क्या तुम्हें शांति से नहीं रहने देगा इसलिए युद्ध तो करना ही पड़ेगा।
--स्वामी वि_ल गिरी जी महाराज संचालक गौशाला बुचावास
मानसिक अशांति का सर्वोत्तम उपचार है, शांति को विकसित करना। जो व्यक्ति स्वभाव से ही शांत हो, वह किसी भी परिस्थिति में अपना विवेक, न्याय की पहचान अथवा हास- परिहास का स्वभाव नहीं खोता । वह हमेशा सच्चाई को, भावनाओं या इच्छाजनित धारणा से अलग कर सकता है। आज की तनावपूर्ण जीवनशैली में शांति और सुकून के लिए हम तरह-तरह के प्रयास करते हैं। असल में मानसिक शांति की अवस्था मस्तिष्क की तरंगों के स्वरूप को अल्फा स्तर पर ले आता है जिससे चिकित्सा की गति बढ़ जाती है। मस्तिष्क पहले से अधिक सुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है। मानसिक शांति मस्तिष्क के आतंरिक रूप को स्वच्छ व पोषण प्रदान करती है। जब भी आप व्यग्र, अस्थिर और भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं तब ध्यान के माध्यम से आप अपने आप को शांत कर सकते हैं और मानसिक विश्रांति की अवस्था में हमेशा नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं। मस्तिष्क और शरीर को आराम मिलता है। मानसिक क्षमता बढ़ती है। तनाव से राहत मिलती है। इसलिए हमें बारंबार ध्यान करना चाहिए और उससे प्राप्त उत्तरोत्तर शांति के प्रभाव को बनाए रखना चाहिए। हमें प्रेम, अच्छाई और सामंजस्यता के विचारों को अवश्य प्रसारित करते रहना चाहिए।
----बनवारीलाल सेवानिवृत्त अध्यापक
फोटो कैप्शन: बनवारीलाल, बिट्ठलगिरी महाराज, पिंकी यादव।
नवोदय की नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा में रिक्त सीटों के लिए आनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू
-31 अक्टूबर रखी है अंतिम तिथि
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कनीना की आवाज। जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में शैक्षणिक स्तर 2024-25 के लिए कक्षा 9 और 11वीं में रिक्त स्थानों पर प्रवेश परीक्षा के लिए आनलाइन आवेदन आमंत्रित किया जा रहे हैं। प्रवेश परीक्षा 10 फरवरी 2024 को आयोजित की जाएगी। कक्षा 9 एवं 11वीं के आनलाइन आवेदन के लिए अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2023 रखी गई है जो नवोदय विद्यालय की साइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य करीरा राजीव सक्सेना ने बताया कि नौवीं कक्षा में प्रवेश पाने के लिए कक्षा 8 में शैक्षणिक सत्र 2023-24 में अध्ययनरत होना चाहिए, अभ्यर्थी का जन्म एक मई 2009 से 31 जुलाई 2011 दोनों तिथियां के बीच होना चाहिए।
वहीं 11वीं कक्षा के लिए सरकारी स्कूल से या सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल में दसवीं कक्षा में अध्ययनरत होना चाहिए और उसका जन्म 1 जून 2007 से 31 जुलाई 2009 के बीच होना चाहिए। उन्होंने प्राचार्य ने बताया कि निशुल्क शिक्षा, सह आवासीय विद्यालय में दी जाएगी। अलग-अलग छात्रावास राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए एक वर्ष के लिए अहिंदी भाषी जवाहर नवोदय विद्यालय विजयनगर मध्य प्रदेश में माइग्रेशन, विभिन्न खेलों में उत्तम, स्काउट गाइड, संगीत आदि विशेष ध्यान दिया जाता है।
जवाहर नवोदय विद्यालय विजयनगरम में विद्यार्थियों के साथ मार पिटाई का मामला
-समस्त स्टाफ ने लिखित रूप से विद्यार्थियों के सुरक्षा, बेहतर शिक्षा देने का दिलाया विश्वास
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कनीना की आवाज। जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के 18 विद्यार्थी जिनमें से 11 लड़के और साथ 7 लड़कियां 1 वर्ष के लिए आंध्र प्रदेश के जवाहर नवोदय विद्यालय विजयनकरम गये हुये है जिनके साथ दो बार मार पिटाई विजयनगरम विद्यालय शिक्षक द्वारा किए जाने को लेकर अभिभावक परेशान हैं तथा विगत दिनों से रोष पनप रहा है। जिसके चलते अभिभावक बार-बार उच्च अधिकारियों से मिलकर अपने बच्चों का माइग्रेशन रद्द करने की मांग कर रहे हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के प्राचार्य भी बार-बार जयपुर संभाग के उपायुक्त को तथा उच्च अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दे रहे हैं। बार-बार बैठक आयोजित की जा चुकी है तथा अभिभावक जिला उपयुक्त एवं एसपी आदि से भी मिल चुके हैं। 19 सितंबर को विजयनगरम जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य ने समस्त 20 अध्यापकों से लिखित रूप से एक पत्र करीरा की जवाहर नवोदय विद्यालय प्राचार्य को भेजते हुए पूरा आश्वासन दिया कि उनके विद्यार्थियों को शैक्षणिक, शारीरिक और हर प्रकार से सुरक्षित रखा जाएगा। किसी प्रकार की उनकी कोई शिकायत भविष्य में नहीं आएगी। पूरा आश्वासन देते हुए एक पत्र भेजा है। यह पत्र जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के प्राचार्य ने अभिभावकों को उनके ग्रुप में भेज दिया है। अब अभिभावक को पर निर्भर करता है कि वह क्या उत्तर दे पाते हैं?
प्राचार्य जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा राजीव सक्सेना ने बताया कि कि उन्हें एक पत्र समसत स्टाफ एवं प्राचार्य जवाहर नवोदय विद्यालय विजयनगरम का मिल चुका है। इस पत्र में उन्होंने समस्त आश्वासन दिया है कि माइग्रेटेड बच्चे सुरक्षित रहेंगे और उनके शैक्षणिक गतिविधियों पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। ै प्राचार्य ने बताया कि यह पत्र संबंधित अभिभावकों के ग्रुप में छोड़ दिया गया है। अभिभावक अभी इस पत्र को पढ़कर भविष्य में क्रिया और प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे।
विज्ञान प्रदर्शनी में रखे 45 विभिन्न माडल
-इशु का डबल मिसाइल मॉडल रहा प्रथम
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह विज्ञान प्रदर्शनी विज्ञान अध्यापक डॉक्टर होशियार सिंह यादव और समस्त विज्ञान के प्राध्यापक को द्वारा आयोजित करवाई गई थी। जिसमें 45 विभिन्न विषयों के मॉडल कक्षा 6 से 12वीं तक प्रस्तुत किये,जिन प्रतिदर्शों को सभी विद्यार्थियों के लिए अवलोकनार्थ रखा गया। सभी विद्यार्थियों ने इनका अवलोकन कर उनके मन में एक जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि भविष्य में इस प्रकार के मॉडल वे भी बनाएंगे।
प्रदर्शनी का अवलोकन प्राचार्य सतीश कुमार, एसएमसी प्रधान हर प्रसाद, विज्ञान प्राध्यापक देवेंद्र कुमार, प्राध्यापिका अर्चना, मीनाक्षी, रणू और संतोष देवी ने किया और विद्यार्थियों के मॉडल प्रथम, द्वितीय, तृतीय छांटे।
इस अवसर पर प्राचार्य सतीश कुमार ने कहा कि विज्ञान प्रदर्शनी में विद्यार्थियों को कर के सीखने पर बल दिया जाता है। न केवल विद्यार्थी अपनी बौद्धिक क्षमता का परिचय देते हैं अपित अपनी हस्तकला से बेहतरीन मॉडल प्रस्तुत कर नाम कमाते हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग विज्ञान का युग है और इस विज्ञान के युग में विद्यार्थियों को इस प्रकार के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए ताकि भविष्य में वे वैज्ञानिक आदि बन सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान के प्रति रुचि जागृत होना इस बात को इंगित करता है कि भविष्य में भी वे विज्ञान के प्रति रुचि जगाएं रखेंगे और वैज्ञानिक बनने की लाइन में खड़े होंगे।
इस अवसर पर डॉक्टर होशियार सिंह यादव विज्ञान अध्यापक देवेंद्र कुमार आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार विद्यार्थियों ने अपने अपने माडल तैयार किये हैं। विस्तृत जानकारी देते हुए मधु प्राध्यापिका ने बताया कि कक्षा 6 से 8 में भविष्य विद्यार्थी का लेजर सिक्योरिटी प्रथम रहा, हाइड्रोलिक क्रेन गौरव विद्यार्थी का द्वितीय स्थान पर, रोड सेफ्टी का मॉडल तीसरे स्थान पर रहा। इसी प्रकार स्वास्थ्य विषय में अच्छा और खराब भोजन स्नेहा का मॉडल प्रथम,आधुनिक चिमनी रितिका का माडल द्वितीय स्थान पर रहा। जीव विज्ञान विषय में
उत्सर्जन तंत्र हिमांशी का प्रथम तथा सुरेखा और चंचल का रक्त परिसंचरण द्वितीय स्थान पर रहा। भौतिक शास्त्र में डबल मिसाइल यीशु का प्रथम स्थान जबकि पुली जयश्री का द्वितीय स्थान पर रहा। रसायन शास्त्र में रीसाइकिल आफ वाटर महक का प्रथम, जबकि स्मार्ट सिटी अनीता का द्वितीय स्थान पर रहा।
इस अवसर पर सविंद्र सिंह, संतोष कुमारी, महिपाल सिंह विनोद कुमार, नरेश कुमार, सूबे सिंह, मिथिलेश कुमार, रणवीर सिंह, जगदीश बाबू सहित समस्त स्टाफ मौके पर हाजिर रहा।
फोटो कैप्शन 7 एवं 8: विज्ञान प्रदर्शनी में भाग लेते विद्यार्थी एवं अवलोकन करते अधिकारी।
नगरपालिका कर्मियों ने मांगों के समर्थन में जताया रोष
-काले बिल्ले भी लगाये
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कनीना की आवाज। कनीना नगरपालिका कर्मियों ने मांगों के समर्थन में जताया रोष और काले बिल्ले भी लगाये।
नगरपालिका कर्मचारी संघ, हरियाणा के साथ कई दौर के समझौतों में मानी गई मांगो को सरकार पूरा करने में अब तक विफल रही है। सरकार के इस रवैये से पालिका कर्मचारियों में भारी नाराजगी है । यह बात आज नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य उप महासचिव सुनील कुमार चिंडालिया ने संघ द्वारा चलाए गए जनसंपर्क अभियान जत्थे के अंतर्गत कर्मचारी संपर्क अभियान के दौरान आज नगरपालिका कनीना के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कही इस दौरान कर्मचारियों ने काले बिल्ले लगाकर विरोध सभाएं आयोजित की तथा बाजारों में भी विरोध प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर मांगों को लागू करने की मांग की। जनसंपर्क अभियान जत्थे में श्री चिंडालिया के अलावा संघ के राज्य कैशियर महेंद्र संगेलिया भी शामिल रहे । संघ ने कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए 15 अक्टूबर को रोहतक में राज्य स्तरीय विशाल आक्रोश रैली करने का निर्णय लिया ।
संघ के राज्य कैशियर महेंद्र संगेलिया व राज्य उप महासचिव सुनील कुमार चिंडालिया ने सरकार पर ठेका प्रथा समाप्त करने अनुबंध सीवर एवं सफाई कर्मचारियों को नियमित भर्ती के माध्यम से नई नियमित नियुक्ति देने, डीमिनेशन कॉडर में शामिल पदों को बहाल करने पालिका कर्मचारियों को ठेकेदारी से मुक्त करने एवं अग्निशमन विभाग को स्थानीय निकाय में शामिल करने तथा अनुबंधित अग्निशामको व ड्राइवर को सृजित पदों पर समायोजित करने समान काम समान वेतन देने हरियाणा कौशल रोजगार भंग करने आदि अन्य मांगों पर हुए फैसलों को लागू करने में सरकार विफल रही है। श्री चिंडालिया ने कहा कि सफाई कर्मचारियों के 4298 व 68 सीवरमैन की भर्ती का पत्र सरकार ने 8 जनवरी को जारी किया था आज तक 60 नगरपालिका 22 नगर परिषदों व11 नगर निगमो में इस पत्र पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा पूछे जाने पर प्रदेश की सभी निकायों ने अपनी रिपोर्ट में यह सूचना शहरी स्थानीय निकाय निदेशक को दी है ।
सरकार की वायदा खिलाफी के खिलाफ तथा ठेकेदारी प्रथा में लगे फायर कर्मियों, ग्रुप सी व डी तथा सफाई व सीवर मैनों के आर्थिक शारीरिक, शोषण व निरंतर सीवर सेफ्टी टैंको और बीमारियों से हो रही सीवर, सफाई कर्मचारियों की मौतों पर रोक लगाने तथा अन्य मांगों को लेकर संघ ने आज 19 व 20 सितम्बर से सभी पालिकाओं में काले बिल्ले लगाकर भोजन अवकाश के समय झाड़ू और झंडू के साथ विशाल विरोध समय आयोजित की हैं, तथा 25 सितंबर से 29 सितंबर तक कार्मिक भूख हड़ताल की जाएगी।
नगरपालिका कर्मचारी संघ, हरियाणा के राज्य राज्य केशियर महेंदर संगेलिया उप महासचिव सुनील कुमार चिंडालिया ने संयुक्त रूप से आन्दोलन को सफल व व्यापक बनाने के लिए हिमाचल व हरियाणा के कालका बॉर्डर व हरियाणा पंजाब डबवाली बॉर्डर, हरियाणा-यूपी होड़ल करमन बॉर्डर व हरियाणा-राजस्थान बार्डर नांगल चौधरी से जत्थे निकालने की भी शुरुवात कर दी है।
संघ के राज्य उप महासचिव सुनील कुमार चिंडालिया ने सरकार पर पालिका व अग्निशमन कर्मचारियों के साथ विश्वास घात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने 29 अक्टूबर 2022 व 5 अप्रैल 2023 को किये समझौते में मानी गई मांगो को लागू नहीं किया गया है, जिस कारण प्रदेश के सभी पालिकाओं, परिषदों, नगर निगमों व अग्नि शमन विभाग के कर्मचारियों में भारी आक्रोश है, कर्मचारियों के आक्रोश को मद्देनजर रखते हुए संघ अब सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करेगा।
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार मानी गई मांगो, फायर विभाग को शहरी स्थानीय निकाय विभाग में शामिल करने, अनुबंधित कर्मचारियों, मैन पावर के ठेकों व वर्कआउट सोर्स, ऑपरेशनल एन्ड मेंटेनेंस, डोर-टू-डोर, पार्ट 1 व पार्ट-2, दैनिक वेतनभोगी, डीसी रेट पर लगे सभी सफाई व सीवर कर्मचारियों, फायर मैनो व ड्राइवरों व ग्रुप सी व डी के कर्मचारियों को एक कलम से पक्का करने, पक्का करने तक सभी भत्तों सहित समान काम-समान वेतन देने, 2063 फायर ऑपरेटर कम ड्राइवरों की भर्ती पर रोक लगाओ, क्लर्कों को 35400 ग्रेड पे देने वह ग्रुप डी के कर्मचारियों को 29100 ग्रेड पे देने तथा सहायक सफाई निरीक्षक, सफाई निरीक्षक, वरिष्ठ सफाई निरीक्षक व जेई की वेतन विसंगति दूर करो, डिमिनेशन कॉडर में शामिल पदों को बहाल करो, माली, बेलदार, मेशन, ट्यूबवैल ड्राइवर व हेल्पर चौकीदारों व्हीकल ड्राइवरों को तेल साबुन दो, विभिन्न पालिकाओं परिषदों निगमो व फायर विभाग के कर्मचारियों को नियम व शर्तों में ढील देकर 6 सितंबर 2019 के पत्र अनुसार विभाग के रोल पर करने, पालिका, परिषद, निगम में सैनिटेशन स्टाफ व ग्रुप सी वेडिंग तथा फायर विभाग में कर्मचारियों के नए पदसृजित करने, फायर कर्मियों को 1 हजार रुपये जोखिम भत्ता देने तथा सफाई कर्मचारियों को 1 हजार रुपये स्वच्छता प्रोत्साहन राशि देने व मांग पत्र में वर्णित मांगों का समाधान के लिए 15 अक्टूबर को रोहतक में होने वाली आक्रोश रैली के मंच से हड़ताल का ऐलान करेगा।
आज के प्रदर्शन विरोध सभाओं में अन्य के इलावा व जिला प्रधान राहुल सारवान महेंद्रगढ़ इकाई प्रधान पूरन कनीना इकाई प्रधान अनिल मलकट सचिव सुनील कुमार उप प्रधान प्रीति के अलावा सैकड़ों कर्मचारी कार्यकर्ता भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 04: रोष प्रकट करते हुए पालिका के सफाई कर्मी।
सरस्वती मूर्ति के लिए नींव रखते समय मधुमक्खियां ने काटा कई शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को
-प्राथमिक उपचार करके भेजा घर
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बूचावास में सरस्वती मां की मूर्ति की नींव रखते समय ऊपर वृक्ष पर लगे मधुमक्खियां के छत्ते में हलचल बढ़ गई और बड़ी मधुमक्खियां इतनी तेजी से क्रोधित हो गई कि कई विद्यार्थी और अध्यापकों को काट खाया। तत्पश्चात हड़कंप मच गई और आसपास के झगडोली से डाक्टरों को तथा निजी डाक्टर को बुलाया गया और विद्यार्थी एवं अध्यापकों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की गई। तत्पश्चात उनकी हालत ठीक होने पर ही उनका घर भेजा गया। मिली जानकारी बूचावास स्कूल प्रांगण में जहां सरस्वती माता की मूर्ति नहीं है और इसी उद्देश्य के लिए मां सरस्वती की मूर्ति की नींव रखी जानी थी। ज्यों ही दीया जलाया और आगामी कार्रवाई करनी चाहिए तभी छत्ते में हलचल बढ़ गई मधुमक्खियां इतनी तेजी से क्रोधित हो गई आसपास के बैठे हुए विद्यार्थी और शिक्षकों को काट खाया।
फोटो कैप्शन 06: फस्र्ट ऐड के बाद घर जाते हुए विद्यार्थी।
किसानों में आक्रोश, 192वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए अनिश्चितकालीन धरना 192वें दिन जारी रहा। धरने की अध्यक्षता डॉक्टर लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने की।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 192 दिन हो गए हैं, केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू ना होने के कारण किसानों में आक्रोश है। उन्हें समझा दिया गया है कि आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। धैर्य रखें, कट बनेगा, समय लग सकता है। केंद्र सरकार को हम बार-बार यह याद दिलाना चाहते हैं कि हमारी मांग जायज है, इस पर जल्दी सोच विचार करके कट का काम शुरू किया जाए।
संघर्ष समिति के संयोजक पहलवान रणधीर सिंह बाघोत ने बताया कि केंद्र सरकार को बुजुर्ग किसानों की परेशानी की तरफ ध्यान देना चाहिए। सरकार हमारी है और कट का काम भी हमारी सरकार को ही करना है। हम शांति प्रिय ढंग से धरना स्थल पर बैठे हुए हैं और संवैधानिक तरीके से इस कट को बनवाना चाहते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य है कि काम भी बन जाए और कोई नुकसान भी ना हो।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू करें जिससे नारनौल और चंडीगढ़ से आने -जाने वालों को राहत मिल सके। जवान बच्चों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में नये आयाम मिल सके।
इस मौके पर संघर्ष समिति के सदस्य नरेंद्र शास्त्री छिथरोली और पहलवान धर्मपाल सेहलंग ठेकेदार शेर सिंह,चेयरमैन सतपाल, प्रधान कृष्ण कुमार, मास्टर विजयपाल, मुंशी राम, सूबेदार हेमराज,वेद प्रकाश, रामकुमार,अशोक चौहान, सज्जन सिंह, शेर सिंह, सत्यनारायण साहब, बाबूलाल, प्यारेलाल, कुलदीप शर्मा, हंस कुमार, सीताराम, सूबे सिंह पंच व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 05: कट की मांग के लिए धरना देते किसान।
अल्जाइमर रोग दिवस -21 सितंबर
प्रारंभ में ही रोग का निदान
संभव है बाद में नहीं -डा. मोरवाल
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कनीना की आवाज। अल्जाइमर जिसे भूलने का रोग नाम से जाना जाता है। इस बीमारी में याददाश्त कमजोर हो जाती है जिससे निर्णय नहीं ले पता। यहां तक की बोलने की क्षमता भी कम होती चली जाती है। यह वास्तव में एक पैतृक रोग माना गया है, इसके पीछे रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवन शैली आदि कारण हो सकते हैं। 60 वर्ष की उम्र में के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है। यदि की शुरुआती दौर में रोग पर काबू पाया जा सकता है जैसे-जैसे इंसान बूढ़ा होता जाता है याददाश्त कमजोर होती चली जाती है, दिमाग के काम करने की क्षमता में गंभीर बदलाव आ जाते हैं, इस समय दिमाग की कोशिकाएं नष्ट होनी शुरू हो जाती है, दिमाग में जो कोशिकाएं होती है वो अन्य कोशिकाओं से संवाद करके एक नेटवर्क बनाती है किंतु जब यह नेटवर्क नहीं बन पाती तो देखने, सुनने, सूंघने आदि में गिरावट आ जाती है।
--इसे डिमेंशिया नाम से जाना जाता है जो आयु के अनुसार बढ़ता चला जाता है। वास्तव में इसके पीछे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरती चली जाती, खत्म होती चली जाती ह। यदि प्रारंभ में इसको पकड़ लिया जाए तो इलाज संभव है। कुछ थेरेपी इसके लिए चलाई जाती है। यह एक पैैतृक बीमारी होती है जो अधिक उम्र के व्यक्तियों में अधिक मिलती है। इस रोग की सात स्टेज होती है। प्रारंभिक स्टेज में तो अक्सर अधिकांश व्यक्ति शामिल हो जाते हैं किंतु दूसरी और तीसरी स्टेज तक बहुत कम लोग पहुंचते हैं। यदि उसे समय इसे पकड़ लिया जाए तो निश्चित रूप से इसका कुछ समाधान हो सकता है। इस बीमारी में जहां बोलने धीरे-धीरे याददाश्त खत्म होने और तत्पश्चात एक ऐसी अवस्था आती है कि जब अपने पर ही काबू नहीं कर पाता। लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते यही कारण है कि बाद में यह बड़ी समस्या बनकर उभरती है। इस रोग में याददाश्त खत्म, सामान्य कामकाज करने में कठिनाई, भाषा के साथ समस्या, समय और स्थान में निर्णय लेने में कठिनाई,मूड में बदलाव, व्यक्तित्व में बदलाव, प्रयास करने में अक्षमता आ जाती है।
---- डॉक्टर जितेंद्र मोरवाल कनीना
भूलने की बीमारी या अल्जाइमर को हमारे यहां लोग ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। पहले तो कई लोग इसे बीमारी भी नहीं मानते हैं। ऐसे में अभी हमारे देश में इसे लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। दरअसल अल्जाइमर रोग एक मानसिक विकार है, जिसके कारण मरीज की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और इसका असर दिमाग के कार्यों पर पड़ता है। आमतौर पर यह मध्यम उम्र या वृद्धावस्था में मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। यह डीमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, जिसका असर व्यक्ति की याद्दाश्त, सोचने की क्षमता, प्रतिदिन की गतिविधियों पर पड़ता है। यह भी सच है कि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन ये भी सच है कि इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। इसकी शुरुआत नाम भूलने से होती है। इसके बाद सोचने-समझने में मुश्किल होने लगती है। खासतौर पर शाम के समय मानसिक रूप से भ्रमित होना, एकाग्रता में कमी, नई चीजें सीखने की क्षमता में कमी, साधारण सी गणना करने में मुश्किल महसूस करना या आस-पास की चीजों, लोगों को पहचानने में मुश्किल होना। बीमारी के शुरुआती दौर में कुछ थैरेपी और दवाओं के माध्यम से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त रोगी को बौद्धिक गतिविधियों से जुडऩा चाहिए। साथ ही पढ़ाई, खेलकूद जैसे क्रास वर्ड और अन्य दिमागी शक्ति लगने वाली गतिविधियों के साथ सामाजिक क्रियाकलाप में सक्रिय रहना चाहिए। रोज टहलना और थोड़ा व्यायाम करना चाहिए।
----सूर्यकांत यादव मनोवैज्ञानिक व परामर्शदाता
फोटो कैप्शन: डा जितेंद्र मोरवाल एवं सूर्यकांत यादव
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