सब्जी मंडी अभाव में मटर उत्पादक किसान परेशान
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कनीना। पर्याप्त मात्रा में उगाई जा रही कनीना क्षेत्र में मटर की खेती सब्जी मंडी के अभाव में परेशानी का सबब बन रही है। किसानों को अपनी पैदावार लेने के लिए या तो किसी कंपनी की सहायता लेनी पड़ रही है या फिर कम से कम 20 किमी दूर पैदावार बेचने के लिए जाना पड़ता है।
कनीना क्षेत्र में सब्जी उगाने में अग्रणी है। यहां इस बार भडफ़, करीरा व कनीना में मटर की खेती की हुई है। मटर की खेती इस बार बेहतर लाभ दे रही है। विगत दिनों बाजार में मटर एक सौ रुपये किलो तक बिका है। वर्तमान में भी भाव 30 रुपये किलो है। किसानों ने बताया कि अभी तक सब्जी मंडी में देशी मटर की आवक नहीं हुई है। देशी मटर स्वाद में मधुर होती है किंतु किसी कंपनी के साथ टाई अप करके मटर की पैदावार कर रहे हैं। कई बार तो कंपनी उनके मटर को नहीं खरीदती जिससे किसान मायूस हो जाते हैं किंतु कई बार कंपनी बीज देकर उनकी पैदावार को खरीद लेती है।
किसानों ने बताया कि मटर की क्षेत्र में बेहतर पैदावार होती है किंतु किसानों के सामने अपनी मटर को बेचने के लिए कम से कम 20 किमी दूर महेंद्रगढ़ या 35 किमी दूर रेवाड़ी जाना पड़ रहा है। यही कारण है कि बेहतर पैदावार लेने के बावजूद भी किसान अपनी पैदावार का अच्छा लाभ नहीं ले पाते हैं। क्षेत्र में सब्जी मंडी खोले जाने की मांग उठ रही है। किसानों ने बताया कि हर बार सब्जी को मंडी तक ले जाने के लिए कम से कम एक हजार रुपये तक किराया देना पड़ रहा है।
कनीना क्षेत्र में हालांकि सब्जी मंडी का अभाव है किंतु कनीना क्षेत्र में सब्जी उगाकर नाम कमाने वालों की कोई कमी नहीं है। गजराज सिंह, अजय सिंह ने चार एकड़ में मटर उगाया है जो किसी कंपनी से अनुबंधित हैं। जब कनीना में सब्जी मंडी बन जाएगी तब किसानों को लाभ मिलने की अधिक गुंजाइश होगी।
फोटो कैप्शन एक: अजय के खेत पर मटर की बेहतर खेती।
बार बार बदल रहा है मौसम,पुन:लौट आया कोहरा
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कनीना। कनीना क्षेत्र में रबी फसल के दौरान बार बार मौसम में बदलाव आया है। ठंड, धुंध, कोहरा,कभी दिन का ताप अधिक, तो अब पुन: कोहरा पड़ रहा है।
कनीना क्षेत्र में सोमवार को कोहरा पड़ा जो दोपहर तक चला। विगत तीन दिनों से लगातार कोहरा पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में दिसंबर माह में बहुत कम कोहरा पड़ा है। किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि इस वर्ष रबी फसल की बिजाई के बाद मौसम ने कई करवट बदली है। कभी ठंड रहती है कभी दिन का ताप अधिक रहता है तो कभी धुंध पड़ी है। उन्होंने कहा कि कनीना की बावनी भूमि पर करीब 19000 हेक्टेयर में सरसों 11000 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई है। ये दोनों फसलें ही किसानों की मुख्य फसलें है। इन फसलों को उगा कर वर्ष भर की आजीविका कमाते हैं। खरीफ फसल की बिजाई तो मात्र पशु चारे के लिए जाती है। वर्तमान में सरसों पर फूल आए हुए और गेहूं की फसल अंगड़ाई ले रही है। अभी तक बेहतर फसल के आसार नजर आ रहे हैं।
किसानों का कहना है कि यूं ही मौसम चला तो तो गेहूं व सरसों की पैदावार बेहतर हो पाएगी।
उल्लेखनीय है कि रबी फसल चारे के साथ साथ खाने के रूप में प्रयोग करते हैं। इसी फसल पैदावार को किसान बाजार में बेचकर वर्ष भर की आय प्राप्त करते हैं। मौसम की मार झेलने पर भी सरसों एवं गेहूं की फसल बेहतर नजर आ रही है।
कोहरे से जहां आवागमन में दिक्कत आ रही है वहीं फसल को लाभ मिलने के आसार हैं।
23 जनवरी को कनीना में याद किया जाएगा शहीदों को
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कनीना। कनीना बस स्टैंड के पास निर्मित शहीद स्मारक पर ऐसे ही अमर सपूतों के नाम वर्णित जिनहोंने देश रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। हर वर्ष शहीदी दिवस पर सभी को याद किया जाता है।
न केवल 1962, 1965, 1971 के युद्धों में अपितु कश्मीर में उग्रवाद को मिटाने में या फिर देशद्रोहियों को सबक सिखाने में कनीना के वीरों का नाम अमिट है। 15 अगस्त 1969 को निर्मित शहीद स्मारक एवं मेमोरियल क्लब पर उन वीरों एवं अमर सपूतों के नाम वर्णित हैं जो युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
1965 में पाक युद्ध दौरान कनीना के हवलदार रामकुमार ने वो अदम्य साहस दिखाया कि सरकार ने उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया। 1971 के युद्ध में सुमेर सिंह एवं शेर सिंह फज्जर ने अपने जौहर दिखाए और अपने प्राण न्यौछावर किए। आज भी उनको ससम्मान याद किया जाता है। कश्मीर में उग्रवादियों से लोहा लेते हुए सूबेदार सुजान सिंह ने 1994 में अपने प्राण मातृभूमि को अर्पित किए जिन्हें सरकार ने अशोक चक्र से सम्मानित किया है। उधर पुलिस में अशोक कुमार ने देशद्रोहियों से लोहा लेते हुए प्राण न्यौछावर किए । उनकी बहादुरी पर ही सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा है।
देश के अमर सपूतों ने हर वक्त मातृभूमि की रक्षा की है। जो पाकिस्तान भारत से दो बार शिकस्त खा चुका हैं उसने एक बार फिर कारगिल में घुसपैठ करवाई जिसका वीरों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। यही नहीं उग्रवाद ने सिर सदा उठाए रखा है और ऐसे में कनीना के डिप्टी कमांडेंट लाल सिंह ने अपने प्राण न्यौछावर करने पड़े हैं। इन सभी के नाम शहीद स्मारक पर वर्णित हैं। उधर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिनके नाम से अंग्रेज थर-थर कांपते थे उस शेर दिल के साथ कनीना के कई जवान, जांबाज, आजाद हिन्द के सिपाही कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। ऐसे ही वीरों में बंशीधर गुप्ता, किरोड़ीमल, पं.घनश्यामदास, गंगाराम, नेतराम, गणेशीलाल प्रमुख हैं। इन वीरों के नाम भी एक अलग आकाश में चमकते नजर आते हैं। इसके अलावा भी कई अन्य वीर हुए हैं जिन्हें याद किया जाता है।
नेताजी की याद में होंगे खेल-- जहां नेताजी स्मारक कनीना में दो वर्षों तक खल आयोजित नहीं हो पाए किंतु फिर से इस वर्ष फुटबाल ओपन प्रतियोगिता आयोजित की गई है। खेलकूद प्रतियोगिताओं के जरिए जहां नेता जी को याद किया जाता है।
पुष्प अर्पित कर याद किया जाएगा-
नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना के अध्यक्ष सतपाल साहब ने बताया कि नेताजी तथा कनीना के विभिन्न कनीना क्षेत्र के विभिन्न शहीदों को 23 जनवरी के दिन सुबह याद किया जाएगा। उन्हें पुष्प अर्पित किए जाएंगे। शहीद परिजनों को सम्मानित भी किया जाएगा।
मूर्ति जनवरी 2016 में स्थापित- नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति कनीना की इस शहीद स्मारक पर 15 अगस्त 1969 को स्थापित की गई है। स्मारक का पुन: रजिस्ट्रेशन 29 जुलाई 2014 को करवाया गया है।
फोटो कैप्शन 2: कनीना स्मारक।
नगरपालिका प्रशासन ने सड़क पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ चलाया अभियान
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कनीना। कनीना की सूरत बिगाडऩे वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ये विचार नगरपालिका सचिव राजाराम ने कनीना फेले अवैध कब्जाधारियों से सड़क को कब्जा मुक्त कराने के उपरांत व्यक्त किए।
राजाराम ने बताया कि कस्बे में दुकानदारों ने दुकानों के सामने अपना सामान रख कर सड़क पर अवैध कब्जा किया हुआ था जिसके कारण इन मार्गों से गाड़ी लेकर निकलना तो दूर की बात पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था। सड़कों पर अतिक्रमण की शिकायतें आए दिन मिल रही थी जिसको लेकर ये अभियान चलाया गया है जिससे की आम जनमानस को साफ सुथरे रास्ते मिल सके।
वहीं इस मौके पर नगरपालिका सचिव के साथ जेई, पुलिस व अन्य स्टाफ के साथ ये अवैध कब्जा मुक्त अभियान चलाया गया जिसमें दुकानदारों द्वारा दुकान हद से बहार रखा सामान नगरपालिका के कर्मचारियों द्वारा उठाकर ट्रेक्टर ट्राली में डालकर नगरपालिका कार्यालय में डाल दिया। उधर इस कार्रवाई से लोगों में खुशी है। राहगीरों का कहना है कि सख्त कार्रवाई की जाए तथा सामान दुकानों से बाहर रखने वालों को कतई उनका सामान नहीं लौटाया जाए।
विदित हो नगरपालिका प्रधान सतीश जेलदार पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि जिस किसी का सामान अतिक्रमण के तहत उठाया जाएगा उसे जब्त कर लिया जाएगा तथा दुकानदारों को वापस नहीं लौटाया जाएगा।
फोटो कैप्शन 3: कनीना पालिका द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए पालिका कर्मचारी।
सुनिए वित्त मंत्रीजी
इनकम टैक्स की स्लैब से परेशान व्यापारी
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वर्तमान में जो इनकम टैक्स में स्लैब रखा गया है वह घटाया जाए। वर्तमान में सदैव 10 प्रतिशत के बाद 20 प्रतिशत तत्पश्चात 30 प्रतिशत है। यह स्लैब 5 प्रतिशत से शुरू किया जाए तत्पश्चात 10 प्रतिशत और उसके बाद 20 फीसदी किया जाए। इससे हर वर्ग के कर्मियों, व्यापारियों को लाभ होगा। इस स्लैब का सीधा लाभ जहां सरकार को होगा वहीं कर्मचारियों, व्यापारियों एवं अधिकारियों को भी होगा। ऐसे में इनकम टैक्स के स्लैब को 5 फीसदी तत्पश्चात 10 फीसदी किया जाए।
- रविंद्र बंसल, उपाध्यक्ष व्यापार मंडल प्रकोष्ठ कनीना।
वर्तमान में इनकम टैक्स की छूट कम है। यह दायरा बढ़ाकर दस लाख तक किया जाए। आयकर में दस लाख रुपये तक की छूट दी जाए तत्पश्चात कर योग्य आय पर 2 प्रतिशत इनकम टैक्स लगना चाहिए। दस लाख से एक करोड़ तक कर योग्य आय पर 10 फीसदी इनकम टैक्स लगाना चाहिए। इससे खजाने खजाने में अधिक पैसा आएगा और हर वर्ग के कर्मचारी, अधिकारी एवं व्यापारी को लाभ होगा। इसके साथ साथ हर जन टैक्स भरने का प्रयास करेगा। वर्तमान में टैक्स स्लैब अधिक है तथा टैक्स का दायरा कम है।
-ओमप्रकाश लिसानिया, उपाध्यक्ष मार्केट कमेटी कनीना
वर्तमान में इनकम टैक्स का दायरा निर्धारित किया हुआ है वह उचित नहीं है। वर्तमान में जो स्लैब चल रहा है वह 10 प्रतिशत,20 प्रतिशत तथा 30 प्रतिशत का है। इसकी बजाय दस लाख रुपये तक कर योग्य आय पर 5 प्रतिशत इनकम टैक्स लगना चाहिए जबकि दस लाख से एक करोड़ तक 10 प्रतिशत इनकम टैक्स लगना चाहिए। तभी इनकम टैक्स की चोरी मिटेगी और आम इनकम टैक्स उपभोक्ता इनकम टैक्स देने प्रयास करेगा उससे बचने का प्रयास नहीं करेगा। इससे खजाने में अधिक से अधिक इनकम टैक्स के जरिए धन की आवक होगी। उन्होंने वित्त मंत्री से इनकम टैक्स स्लैब में परिवर्तन करने की मांग की है।
- गौरी शंकर आयल मिल मालिक, कनीना।
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कनीना। पर्याप्त मात्रा में उगाई जा रही कनीना क्षेत्र में मटर की खेती सब्जी मंडी के अभाव में परेशानी का सबब बन रही है। किसानों को अपनी पैदावार लेने के लिए या तो किसी कंपनी की सहायता लेनी पड़ रही है या फिर कम से कम 20 किमी दूर पैदावार बेचने के लिए जाना पड़ता है।
कनीना क्षेत्र में सब्जी उगाने में अग्रणी है। यहां इस बार भडफ़, करीरा व कनीना में मटर की खेती की हुई है। मटर की खेती इस बार बेहतर लाभ दे रही है। विगत दिनों बाजार में मटर एक सौ रुपये किलो तक बिका है। वर्तमान में भी भाव 30 रुपये किलो है। किसानों ने बताया कि अभी तक सब्जी मंडी में देशी मटर की आवक नहीं हुई है। देशी मटर स्वाद में मधुर होती है किंतु किसी कंपनी के साथ टाई अप करके मटर की पैदावार कर रहे हैं। कई बार तो कंपनी उनके मटर को नहीं खरीदती जिससे किसान मायूस हो जाते हैं किंतु कई बार कंपनी बीज देकर उनकी पैदावार को खरीद लेती है।
किसानों ने बताया कि मटर की क्षेत्र में बेहतर पैदावार होती है किंतु किसानों के सामने अपनी मटर को बेचने के लिए कम से कम 20 किमी दूर महेंद्रगढ़ या 35 किमी दूर रेवाड़ी जाना पड़ रहा है। यही कारण है कि बेहतर पैदावार लेने के बावजूद भी किसान अपनी पैदावार का अच्छा लाभ नहीं ले पाते हैं। क्षेत्र में सब्जी मंडी खोले जाने की मांग उठ रही है। किसानों ने बताया कि हर बार सब्जी को मंडी तक ले जाने के लिए कम से कम एक हजार रुपये तक किराया देना पड़ रहा है।
कनीना क्षेत्र में हालांकि सब्जी मंडी का अभाव है किंतु कनीना क्षेत्र में सब्जी उगाकर नाम कमाने वालों की कोई कमी नहीं है। गजराज सिंह, अजय सिंह ने चार एकड़ में मटर उगाया है जो किसी कंपनी से अनुबंधित हैं। जब कनीना में सब्जी मंडी बन जाएगी तब किसानों को लाभ मिलने की अधिक गुंजाइश होगी।
फोटो कैप्शन एक: अजय के खेत पर मटर की बेहतर खेती।
बार बार बदल रहा है मौसम,पुन:लौट आया कोहरा
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कनीना। कनीना क्षेत्र में रबी फसल के दौरान बार बार मौसम में बदलाव आया है। ठंड, धुंध, कोहरा,कभी दिन का ताप अधिक, तो अब पुन: कोहरा पड़ रहा है।
कनीना क्षेत्र में सोमवार को कोहरा पड़ा जो दोपहर तक चला। विगत तीन दिनों से लगातार कोहरा पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में दिसंबर माह में बहुत कम कोहरा पड़ा है। किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि इस वर्ष रबी फसल की बिजाई के बाद मौसम ने कई करवट बदली है। कभी ठंड रहती है कभी दिन का ताप अधिक रहता है तो कभी धुंध पड़ी है। उन्होंने कहा कि कनीना की बावनी भूमि पर करीब 19000 हेक्टेयर में सरसों 11000 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई है। ये दोनों फसलें ही किसानों की मुख्य फसलें है। इन फसलों को उगा कर वर्ष भर की आजीविका कमाते हैं। खरीफ फसल की बिजाई तो मात्र पशु चारे के लिए जाती है। वर्तमान में सरसों पर फूल आए हुए और गेहूं की फसल अंगड़ाई ले रही है। अभी तक बेहतर फसल के आसार नजर आ रहे हैं।
किसानों का कहना है कि यूं ही मौसम चला तो तो गेहूं व सरसों की पैदावार बेहतर हो पाएगी।
उल्लेखनीय है कि रबी फसल चारे के साथ साथ खाने के रूप में प्रयोग करते हैं। इसी फसल पैदावार को किसान बाजार में बेचकर वर्ष भर की आय प्राप्त करते हैं। मौसम की मार झेलने पर भी सरसों एवं गेहूं की फसल बेहतर नजर आ रही है।
कोहरे से जहां आवागमन में दिक्कत आ रही है वहीं फसल को लाभ मिलने के आसार हैं।
23 जनवरी को कनीना में याद किया जाएगा शहीदों को
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कनीना। कनीना बस स्टैंड के पास निर्मित शहीद स्मारक पर ऐसे ही अमर सपूतों के नाम वर्णित जिनहोंने देश रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। हर वर्ष शहीदी दिवस पर सभी को याद किया जाता है।
न केवल 1962, 1965, 1971 के युद्धों में अपितु कश्मीर में उग्रवाद को मिटाने में या फिर देशद्रोहियों को सबक सिखाने में कनीना के वीरों का नाम अमिट है। 15 अगस्त 1969 को निर्मित शहीद स्मारक एवं मेमोरियल क्लब पर उन वीरों एवं अमर सपूतों के नाम वर्णित हैं जो युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
1965 में पाक युद्ध दौरान कनीना के हवलदार रामकुमार ने वो अदम्य साहस दिखाया कि सरकार ने उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया। 1971 के युद्ध में सुमेर सिंह एवं शेर सिंह फज्जर ने अपने जौहर दिखाए और अपने प्राण न्यौछावर किए। आज भी उनको ससम्मान याद किया जाता है। कश्मीर में उग्रवादियों से लोहा लेते हुए सूबेदार सुजान सिंह ने 1994 में अपने प्राण मातृभूमि को अर्पित किए जिन्हें सरकार ने अशोक चक्र से सम्मानित किया है। उधर पुलिस में अशोक कुमार ने देशद्रोहियों से लोहा लेते हुए प्राण न्यौछावर किए । उनकी बहादुरी पर ही सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा है।
देश के अमर सपूतों ने हर वक्त मातृभूमि की रक्षा की है। जो पाकिस्तान भारत से दो बार शिकस्त खा चुका हैं उसने एक बार फिर कारगिल में घुसपैठ करवाई जिसका वीरों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। यही नहीं उग्रवाद ने सिर सदा उठाए रखा है और ऐसे में कनीना के डिप्टी कमांडेंट लाल सिंह ने अपने प्राण न्यौछावर करने पड़े हैं। इन सभी के नाम शहीद स्मारक पर वर्णित हैं। उधर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिनके नाम से अंग्रेज थर-थर कांपते थे उस शेर दिल के साथ कनीना के कई जवान, जांबाज, आजाद हिन्द के सिपाही कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। ऐसे ही वीरों में बंशीधर गुप्ता, किरोड़ीमल, पं.घनश्यामदास, गंगाराम, नेतराम, गणेशीलाल प्रमुख हैं। इन वीरों के नाम भी एक अलग आकाश में चमकते नजर आते हैं। इसके अलावा भी कई अन्य वीर हुए हैं जिन्हें याद किया जाता है।
नेताजी की याद में होंगे खेल-- जहां नेताजी स्मारक कनीना में दो वर्षों तक खल आयोजित नहीं हो पाए किंतु फिर से इस वर्ष फुटबाल ओपन प्रतियोगिता आयोजित की गई है। खेलकूद प्रतियोगिताओं के जरिए जहां नेता जी को याद किया जाता है।
पुष्प अर्पित कर याद किया जाएगा-
नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना के अध्यक्ष सतपाल साहब ने बताया कि नेताजी तथा कनीना के विभिन्न कनीना क्षेत्र के विभिन्न शहीदों को 23 जनवरी के दिन सुबह याद किया जाएगा। उन्हें पुष्प अर्पित किए जाएंगे। शहीद परिजनों को सम्मानित भी किया जाएगा।
मूर्ति जनवरी 2016 में स्थापित- नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति कनीना की इस शहीद स्मारक पर 15 अगस्त 1969 को स्थापित की गई है। स्मारक का पुन: रजिस्ट्रेशन 29 जुलाई 2014 को करवाया गया है।
फोटो कैप्शन 2: कनीना स्मारक।
नगरपालिका प्रशासन ने सड़क पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ चलाया अभियान
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कनीना। कनीना की सूरत बिगाडऩे वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ये विचार नगरपालिका सचिव राजाराम ने कनीना फेले अवैध कब्जाधारियों से सड़क को कब्जा मुक्त कराने के उपरांत व्यक्त किए।
राजाराम ने बताया कि कस्बे में दुकानदारों ने दुकानों के सामने अपना सामान रख कर सड़क पर अवैध कब्जा किया हुआ था जिसके कारण इन मार्गों से गाड़ी लेकर निकलना तो दूर की बात पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था। सड़कों पर अतिक्रमण की शिकायतें आए दिन मिल रही थी जिसको लेकर ये अभियान चलाया गया है जिससे की आम जनमानस को साफ सुथरे रास्ते मिल सके।
वहीं इस मौके पर नगरपालिका सचिव के साथ जेई, पुलिस व अन्य स्टाफ के साथ ये अवैध कब्जा मुक्त अभियान चलाया गया जिसमें दुकानदारों द्वारा दुकान हद से बहार रखा सामान नगरपालिका के कर्मचारियों द्वारा उठाकर ट्रेक्टर ट्राली में डालकर नगरपालिका कार्यालय में डाल दिया। उधर इस कार्रवाई से लोगों में खुशी है। राहगीरों का कहना है कि सख्त कार्रवाई की जाए तथा सामान दुकानों से बाहर रखने वालों को कतई उनका सामान नहीं लौटाया जाए।
विदित हो नगरपालिका प्रधान सतीश जेलदार पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि जिस किसी का सामान अतिक्रमण के तहत उठाया जाएगा उसे जब्त कर लिया जाएगा तथा दुकानदारों को वापस नहीं लौटाया जाएगा।
फोटो कैप्शन 3: कनीना पालिका द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए पालिका कर्मचारी।
सुनिए वित्त मंत्रीजी
इनकम टैक्स की स्लैब से परेशान व्यापारी
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वर्तमान में जो इनकम टैक्स में स्लैब रखा गया है वह घटाया जाए। वर्तमान में सदैव 10 प्रतिशत के बाद 20 प्रतिशत तत्पश्चात 30 प्रतिशत है। यह स्लैब 5 प्रतिशत से शुरू किया जाए तत्पश्चात 10 प्रतिशत और उसके बाद 20 फीसदी किया जाए। इससे हर वर्ग के कर्मियों, व्यापारियों को लाभ होगा। इस स्लैब का सीधा लाभ जहां सरकार को होगा वहीं कर्मचारियों, व्यापारियों एवं अधिकारियों को भी होगा। ऐसे में इनकम टैक्स के स्लैब को 5 फीसदी तत्पश्चात 10 फीसदी किया जाए।
- रविंद्र बंसल, उपाध्यक्ष व्यापार मंडल प्रकोष्ठ कनीना।
वर्तमान में इनकम टैक्स की छूट कम है। यह दायरा बढ़ाकर दस लाख तक किया जाए। आयकर में दस लाख रुपये तक की छूट दी जाए तत्पश्चात कर योग्य आय पर 2 प्रतिशत इनकम टैक्स लगना चाहिए। दस लाख से एक करोड़ तक कर योग्य आय पर 10 फीसदी इनकम टैक्स लगाना चाहिए। इससे खजाने खजाने में अधिक पैसा आएगा और हर वर्ग के कर्मचारी, अधिकारी एवं व्यापारी को लाभ होगा। इसके साथ साथ हर जन टैक्स भरने का प्रयास करेगा। वर्तमान में टैक्स स्लैब अधिक है तथा टैक्स का दायरा कम है।
-ओमप्रकाश लिसानिया, उपाध्यक्ष मार्केट कमेटी कनीना
वर्तमान में इनकम टैक्स का दायरा निर्धारित किया हुआ है वह उचित नहीं है। वर्तमान में जो स्लैब चल रहा है वह 10 प्रतिशत,20 प्रतिशत तथा 30 प्रतिशत का है। इसकी बजाय दस लाख रुपये तक कर योग्य आय पर 5 प्रतिशत इनकम टैक्स लगना चाहिए जबकि दस लाख से एक करोड़ तक 10 प्रतिशत इनकम टैक्स लगना चाहिए। तभी इनकम टैक्स की चोरी मिटेगी और आम इनकम टैक्स उपभोक्ता इनकम टैक्स देने प्रयास करेगा उससे बचने का प्रयास नहीं करेगा। इससे खजाने में अधिक से अधिक इनकम टैक्स के जरिए धन की आवक होगी। उन्होंने वित्त मंत्री से इनकम टैक्स स्लैब में परिवर्तन करने की मांग की है।
- गौरी शंकर आयल मिल मालिक, कनीना।
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