धरा हुई पीली, ठंड पुन: जारी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में विगत दो दिनों से ठंड पडऩे लगी है। जहां 30 जनवरी को बसंत पंचमी आ रही है जिसके चलते धरा पीली नजर आ रही है। इस समय सरसों में फलियां आने लगी हैं। कनीना क्षेत्र में इस बार विगत वर्ष की तुलना में अधिक सरसों उगाई गई है। करीब 19000 हेक्टेयर पर सरसों तथा 11 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल व मटर की फसल ठंड के कारण लाभ होने का अंदेशा बना हुआ है। क्षेत्र में लंबे समय से मौसम परिवर्तनशील है। कभी ठंड तो कभी कोहरा पड़ रहा है तो कभी शीत लहर चलती है।
किसान कृष्ण कुमार, रवि कुमार, महेश कुमार, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह आदि ने बताया कि विगत दिनों जहां ठंड तथा कोहरा पडऩा बंद हो गया तो अब पुन: शीतलहर फिर शुरू हो गई है। यदि यूं ही शीतलहर जारी रही तो फसल को लाभ होने की संभावना बढ़ जाती है। उधर कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि यूं ही ठंड पड़ी तो ही फसल को लाभ होगा।
कनीना क्षेत्र में गुरुवार को बूंदाबांदी हुई। ठंड बढ़ी किंतु आज से ही स्कूलों का अवकाश समाप्त हो गया। ऐसे में ठंड में पुन: विद्यार्थी स्कूलों में जाने को मजबूर हो गए हैं।
फोटो कैप्शन 1: बसंत पंचमी का द्योतक पीले फूल।
सेंटर बनाए जाने की मांग
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कनीना। कनीना उपमंडल के तहत मार्किंग सेंटर बनाए जाने की मांग बलवती होने लगी है। लंबे समय से यह मांग चली आ रही है। वर्तमान में 10वीं तथा 12वीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की मार्किंग सेंटर केवल महेंद्रगढ़ तथा नारनौल में हो रहा है।
अध्यापक नेता सुनील कुमार यादव का कहना है कि कभी जिला महेंद्रगढ़ में दो उपमंडल होते थे जिनमें महेंद्रगढ़ तथा नारनौल दोनों स्थानों पर मार्किंग का काम चलता था किंतु अब जिला महेंद्रगढ़ में तीन उपमंडल हो गए जिनमें से कनीना एक है। ऐसे में कनीना में मार्किंग सेंटर स्थापित किया जाए क्योंकि यह मार्किंग सेंटर स्थापित किए जाने से एक और जहां शिक्षकों को दूरदराज मार्किंग के लिए नहीं जाना पड़ेगा वही शिक्षकों को सुविधा भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि मार्च महीने में 10वीं तथा 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो रही है और मार्च महीने के बाद मार्किंग का कार्य अप्रैल में शुरू होता है। ऐसे में अप्रैल में कनीना मार्किंग सेंटर स्थापित किया जाए।
स्कूल खुले किंतु उपस्थिति कम रही
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कनीना। करीब 20 दिनों के अवकाश के बाद फिर से सरकारी स्कूल गुरुवार से खुले किंतु विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम रही। एक बार फिर से सर्दी पडऩे लग गई है, अवकाश दौरान कोहरा नहीं पड़ा किंतु विगत 2 दिनों से फिर से कोहरा नहीं पड़ा। बहुत से विद्यार्थी अब अपने रिश्तेदारों में गए हुए हैं ऐसे में आने में होने कुछ समय लगता है और विद्यालय में विद्यार्थी कम संख्या में पहुंच पाए। क्षेत्र में जहां सर्दी फिर बढ़ गई वही सर्दी में विद्यार्थी फिर से स्कूल में जाने लगे हैं।
सब्जियों की पौध की तैयारियां जोरों पर
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में लगाई जाने वाली सब्जियों की नर्सरी/पौध किसान तैयार कर रहे हैं। नर्सरी लगाकर जहां किसान अपने खेतों में सब्जियां तैयार करते हैं वही नर्सरी में तैयार पौध को बेचकर वह अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र कई गांवों के कई किसान सर्दियों के मौसम में उगाए जाने वाली सब्जियों की पौध तैयार कर रहे हैं। किसान सत्यवीर भोजावास, गजराज सिंह मोड़ी, महावीर सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह आदि ने बताया कि सर्दियों के मौसम में जनवरी तथा फरवरी माह में सब्जी लगाई जाती हैं। ये सब्जियां मार्च-अप्रैल माह में पैदावार देती है जिससे किसान अपनी पैदावार का लाभ उठाते हुए अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सर्दियों में नर्सरी तैयार करना बहुत कठिन काम है। सावधानी अधिक बरतनी पड़ती हैं। इस वर्ष सर्दी अधिक पडऩे से पौध भी नष्ट हो गई। छोटे-छोटे पौधों को सर्दी से बचाने के लिए अतिरिक्त प्रबंध करने पड़ते हैं तब जाकर कहीं पौध तैयार होती है और सब्जियां उगाने वाले किसानों तक पहुंचाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि नर्सरी तैयार करके सब्जियों की पौध बेचकर भी किसान अतिरिक्त आय कमा लेते हैं। सत्यवीर सिंह भोजावास किसान पूर्णता पौध बिक्री पर निर्भर करते हैं। पौध तैयार करके बेचकर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। उन्होंने सर्दियां प्रारंभ होते वक्त लगाई जाने वाली पौध की बिक्री कर ली है तथा अब सर्दियों के अंतिम चरण में लगाई जाने वाली पौध की तैयारी कर रहे हैं। इसी प्रकार मोड़ी के किसान भी अपने खेतों में सब्जी की पौध लगाने के लिए उनकी नर्सरी तैयार कर रहे हैं। गजराज सिंह ने मोड़ी ने बताया कि वे टमाटर की पौध तैयार कर चुके हैं। अभी पौध छोटी हैं। जनवरी महीने के अंत तक कुछ बड़ी हो जाएंगी और जनवरी के अंतिम सप्ताह तथा फरवरी माह खेतों में लगा दिया जाएगा।
फोटो कैप्शन दो: मोड़ी का किसान सब्जी की पौध दिखाते हुए।
कनीना में बने बाइपास
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कनीना। कनीना के सामान्य बस स्टैंड पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए बाइपास बनाने की मांग बलवती हो गई है। बाइपास बनाए जाने की कई बार चर्चाएं चली किंतु वे दफन हो गई।
कनीना के रवि कुमार, राजेंद्र सिंह, भीम सिंह, सुरेश कुमार, राजेश कुमार ने बताया कि समय समय पर कनीना बाइपास की चर्चाएं चलती रही हैं किंतु कनीना का बाइपास अभी तक नहीं बन पाया है। उन्होंने बताया कि कनीना बस स्टैंड के आस पास लोगों की भीड़ का दाब बढ़ता ही जा रहा है। बस स्टैंड पर जाम की समस्या बनी रहती है वहीं वाहन किसी वैकल्पिक मार्गों से होकर गुजारे जाते हैं। ऐसे में लोगों की मांग है कि कनीना में बाइपास शीघ्र बनवाया जाए। यही नहीं अपितु कनीना में अटेली मार्ग पर रेलवे फाटक पर पुल बनाए जाने की मांग भी है।
अटेली फाटक पर बने ओवर ब्रिज--
कनीना-अटेली मार्ग पर कनीना रेलवे फाटक पर पुल न बनाए जाने से परेशानी बढ़ी है। गाडिय़ों की संख्या बढऩे और उनके आवागमन के चलते बार-बार फाटक बंद रहता है और भारी संख्या में वाहन फाटक के दोनों तरफ खड़े रहते हैं। ऐसे में यदि फाटक पर पुल बना दिया जाए तो आवागमन में सुविधा हो सकती है। पूर्व लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह तथा डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने भी पुल को बनाने का आश्वासन दिया था किंतु अभी तक इस पुल के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि इस पुल के न होने से सुबह से शाम तक बार-बार फाटक बंद होता है और बार-बार यात्री परेशान देखे गए हैं। पुल के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तें भी लगभग पूर्ण कर रहा है। ऐसे में कनीना के तथा आसपास गांव के लोगों की मांग है की अविलंब पुल का निर्माण करवाया जाए।
वित्तमंत्री जी सुनिये
बर्तनों पर घटाया जाए जीएसटी
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कनीना।क्षेत्र के बर्तन विक्रेता परेशान है। प्रतिदिन काम में आने वाले बर्तन हर इंसान को जरूरत होती है लेकिन उन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है जिसको कम करने की लगातार मांग चल रही है। क्षेत्र के बर्तन विक्रेताओं से इस संबंध में बात हुई।
पवन आर्या बर्तन विक्रेेता ने बताया कि इस समय वे बर्तनों से अपनी रोटी रोजी कमाते हैं लेकिन सरकार ने बर्तनों पर 12 फीसदी जीएसटी लगा रखा है। उनका कहना है कि यदि सरकार बर्तनों पर जीएसटी घटा कर दो या तीन प्रतिशत कर दें तो इससे न केवल बर्तन विक्रेताओं का लाभ होगा अपितु ग्राहकों को भी अधिक लाभ होगा। उन्होंने बजट में बर्तनों पर जीएसटी अविलंब घटाने की मांग की है।
राकेश सिंगला का कहना है कि बर्तन हर इंसान को जरूरत होती है। बहुत गरीब से गरीब व्यक्ति को भी बर्तन चाहिए तो अमीर व्यक्ति को भी बर्तन चाहिए। ऐसे में यदि बर्तनों पर अधिक जीएसटी होता है तो उन्हें महंगे दामों पर बर्तन मिलेंगे। जिसका परिणाम यह होता है कि बहुत से गरीब व्यक्ति तो बर्तन खरीदना नहीं चाहते। यदि बर्तनों पर जीएसटी घटा दिया जाए तो हर इंसान को राहत महसूस होगी। उन्होंने आने वाले बजट में बर्तनों पर जीएसटी घटाने की मांग की है।
धनपत सेठ कनीना बर्तन विके्रता ने बताया बर्तन विक्रेता अमीर नहीं होते। बड़ी मुश्किल से अपना गुजर-बसर कर पाते हैं। वैसे भी बर्तन अधिक नहीं बिकते जिससे रोटी रोजी कमाना कठिन होता है। ऐसे में उन पर सरकार 12फीसदी जीएसटी लगाकर उनको बर्तन खरीदने के लिए सोचने को मजबूर कर देती है। उनका कहना है कि यदि बर्तनों पर जीएसटी बिल्कुल कम कर दिया जाए तो उनकी रोटी रोजी सुरक्षित रहेगी वहीं बर्तन खरीदने वाले आसानी से सस्ते में बर्तन खरीद पाएंगे। जिसका लाभ न केवल दुकानदारों को मिलेगा अपितु आम ग्राहक और आम व्यक्ति को भी इसका लाभ मिलेगा। ऐसे में उन्
होंने बजट में बर्तनों पर जीएसटी घटाकर 3 फ़ीसदी करने की मांग की है।
फोटो कैप्शन: पवन आर्या, राकेश सिंगला, धनपत सेठ।
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कनीना। कनीना क्षेत्र में विगत दो दिनों से ठंड पडऩे लगी है। जहां 30 जनवरी को बसंत पंचमी आ रही है जिसके चलते धरा पीली नजर आ रही है। इस समय सरसों में फलियां आने लगी हैं। कनीना क्षेत्र में इस बार विगत वर्ष की तुलना में अधिक सरसों उगाई गई है। करीब 19000 हेक्टेयर पर सरसों तथा 11 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल व मटर की फसल ठंड के कारण लाभ होने का अंदेशा बना हुआ है। क्षेत्र में लंबे समय से मौसम परिवर्तनशील है। कभी ठंड तो कभी कोहरा पड़ रहा है तो कभी शीत लहर चलती है।
किसान कृष्ण कुमार, रवि कुमार, महेश कुमार, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह आदि ने बताया कि विगत दिनों जहां ठंड तथा कोहरा पडऩा बंद हो गया तो अब पुन: शीतलहर फिर शुरू हो गई है। यदि यूं ही शीतलहर जारी रही तो फसल को लाभ होने की संभावना बढ़ जाती है। उधर कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि यूं ही ठंड पड़ी तो ही फसल को लाभ होगा।
कनीना क्षेत्र में गुरुवार को बूंदाबांदी हुई। ठंड बढ़ी किंतु आज से ही स्कूलों का अवकाश समाप्त हो गया। ऐसे में ठंड में पुन: विद्यार्थी स्कूलों में जाने को मजबूर हो गए हैं।
फोटो कैप्शन 1: बसंत पंचमी का द्योतक पीले फूल।
सेंटर बनाए जाने की मांग
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कनीना। कनीना उपमंडल के तहत मार्किंग सेंटर बनाए जाने की मांग बलवती होने लगी है। लंबे समय से यह मांग चली आ रही है। वर्तमान में 10वीं तथा 12वीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की मार्किंग सेंटर केवल महेंद्रगढ़ तथा नारनौल में हो रहा है।
अध्यापक नेता सुनील कुमार यादव का कहना है कि कभी जिला महेंद्रगढ़ में दो उपमंडल होते थे जिनमें महेंद्रगढ़ तथा नारनौल दोनों स्थानों पर मार्किंग का काम चलता था किंतु अब जिला महेंद्रगढ़ में तीन उपमंडल हो गए जिनमें से कनीना एक है। ऐसे में कनीना में मार्किंग सेंटर स्थापित किया जाए क्योंकि यह मार्किंग सेंटर स्थापित किए जाने से एक और जहां शिक्षकों को दूरदराज मार्किंग के लिए नहीं जाना पड़ेगा वही शिक्षकों को सुविधा भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि मार्च महीने में 10वीं तथा 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो रही है और मार्च महीने के बाद मार्किंग का कार्य अप्रैल में शुरू होता है। ऐसे में अप्रैल में कनीना मार्किंग सेंटर स्थापित किया जाए।
स्कूल खुले किंतु उपस्थिति कम रही
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कनीना। करीब 20 दिनों के अवकाश के बाद फिर से सरकारी स्कूल गुरुवार से खुले किंतु विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम रही। एक बार फिर से सर्दी पडऩे लग गई है, अवकाश दौरान कोहरा नहीं पड़ा किंतु विगत 2 दिनों से फिर से कोहरा नहीं पड़ा। बहुत से विद्यार्थी अब अपने रिश्तेदारों में गए हुए हैं ऐसे में आने में होने कुछ समय लगता है और विद्यालय में विद्यार्थी कम संख्या में पहुंच पाए। क्षेत्र में जहां सर्दी फिर बढ़ गई वही सर्दी में विद्यार्थी फिर से स्कूल में जाने लगे हैं।
सब्जियों की पौध की तैयारियां जोरों पर
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में लगाई जाने वाली सब्जियों की नर्सरी/पौध किसान तैयार कर रहे हैं। नर्सरी लगाकर जहां किसान अपने खेतों में सब्जियां तैयार करते हैं वही नर्सरी में तैयार पौध को बेचकर वह अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र कई गांवों के कई किसान सर्दियों के मौसम में उगाए जाने वाली सब्जियों की पौध तैयार कर रहे हैं। किसान सत्यवीर भोजावास, गजराज सिंह मोड़ी, महावीर सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह आदि ने बताया कि सर्दियों के मौसम में जनवरी तथा फरवरी माह में सब्जी लगाई जाती हैं। ये सब्जियां मार्च-अप्रैल माह में पैदावार देती है जिससे किसान अपनी पैदावार का लाभ उठाते हुए अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सर्दियों में नर्सरी तैयार करना बहुत कठिन काम है। सावधानी अधिक बरतनी पड़ती हैं। इस वर्ष सर्दी अधिक पडऩे से पौध भी नष्ट हो गई। छोटे-छोटे पौधों को सर्दी से बचाने के लिए अतिरिक्त प्रबंध करने पड़ते हैं तब जाकर कहीं पौध तैयार होती है और सब्जियां उगाने वाले किसानों तक पहुंचाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि नर्सरी तैयार करके सब्जियों की पौध बेचकर भी किसान अतिरिक्त आय कमा लेते हैं। सत्यवीर सिंह भोजावास किसान पूर्णता पौध बिक्री पर निर्भर करते हैं। पौध तैयार करके बेचकर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। उन्होंने सर्दियां प्रारंभ होते वक्त लगाई जाने वाली पौध की बिक्री कर ली है तथा अब सर्दियों के अंतिम चरण में लगाई जाने वाली पौध की तैयारी कर रहे हैं। इसी प्रकार मोड़ी के किसान भी अपने खेतों में सब्जी की पौध लगाने के लिए उनकी नर्सरी तैयार कर रहे हैं। गजराज सिंह ने मोड़ी ने बताया कि वे टमाटर की पौध तैयार कर चुके हैं। अभी पौध छोटी हैं। जनवरी महीने के अंत तक कुछ बड़ी हो जाएंगी और जनवरी के अंतिम सप्ताह तथा फरवरी माह खेतों में लगा दिया जाएगा।
फोटो कैप्शन दो: मोड़ी का किसान सब्जी की पौध दिखाते हुए।
कनीना में बने बाइपास
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कनीना। कनीना के सामान्य बस स्टैंड पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए बाइपास बनाने की मांग बलवती हो गई है। बाइपास बनाए जाने की कई बार चर्चाएं चली किंतु वे दफन हो गई।
कनीना के रवि कुमार, राजेंद्र सिंह, भीम सिंह, सुरेश कुमार, राजेश कुमार ने बताया कि समय समय पर कनीना बाइपास की चर्चाएं चलती रही हैं किंतु कनीना का बाइपास अभी तक नहीं बन पाया है। उन्होंने बताया कि कनीना बस स्टैंड के आस पास लोगों की भीड़ का दाब बढ़ता ही जा रहा है। बस स्टैंड पर जाम की समस्या बनी रहती है वहीं वाहन किसी वैकल्पिक मार्गों से होकर गुजारे जाते हैं। ऐसे में लोगों की मांग है कि कनीना में बाइपास शीघ्र बनवाया जाए। यही नहीं अपितु कनीना में अटेली मार्ग पर रेलवे फाटक पर पुल बनाए जाने की मांग भी है।
अटेली फाटक पर बने ओवर ब्रिज--
कनीना-अटेली मार्ग पर कनीना रेलवे फाटक पर पुल न बनाए जाने से परेशानी बढ़ी है। गाडिय़ों की संख्या बढऩे और उनके आवागमन के चलते बार-बार फाटक बंद रहता है और भारी संख्या में वाहन फाटक के दोनों तरफ खड़े रहते हैं। ऐसे में यदि फाटक पर पुल बना दिया जाए तो आवागमन में सुविधा हो सकती है। पूर्व लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह तथा डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने भी पुल को बनाने का आश्वासन दिया था किंतु अभी तक इस पुल के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि इस पुल के न होने से सुबह से शाम तक बार-बार फाटक बंद होता है और बार-बार यात्री परेशान देखे गए हैं। पुल के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तें भी लगभग पूर्ण कर रहा है। ऐसे में कनीना के तथा आसपास गांव के लोगों की मांग है की अविलंब पुल का निर्माण करवाया जाए।
वित्तमंत्री जी सुनिये
बर्तनों पर घटाया जाए जीएसटी
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कनीना।क्षेत्र के बर्तन विक्रेता परेशान है। प्रतिदिन काम में आने वाले बर्तन हर इंसान को जरूरत होती है लेकिन उन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है जिसको कम करने की लगातार मांग चल रही है। क्षेत्र के बर्तन विक्रेताओं से इस संबंध में बात हुई।
पवन आर्या बर्तन विक्रेेता ने बताया कि इस समय वे बर्तनों से अपनी रोटी रोजी कमाते हैं लेकिन सरकार ने बर्तनों पर 12 फीसदी जीएसटी लगा रखा है। उनका कहना है कि यदि सरकार बर्तनों पर जीएसटी घटा कर दो या तीन प्रतिशत कर दें तो इससे न केवल बर्तन विक्रेताओं का लाभ होगा अपितु ग्राहकों को भी अधिक लाभ होगा। उन्होंने बजट में बर्तनों पर जीएसटी अविलंब घटाने की मांग की है।
राकेश सिंगला का कहना है कि बर्तन हर इंसान को जरूरत होती है। बहुत गरीब से गरीब व्यक्ति को भी बर्तन चाहिए तो अमीर व्यक्ति को भी बर्तन चाहिए। ऐसे में यदि बर्तनों पर अधिक जीएसटी होता है तो उन्हें महंगे दामों पर बर्तन मिलेंगे। जिसका परिणाम यह होता है कि बहुत से गरीब व्यक्ति तो बर्तन खरीदना नहीं चाहते। यदि बर्तनों पर जीएसटी घटा दिया जाए तो हर इंसान को राहत महसूस होगी। उन्होंने आने वाले बजट में बर्तनों पर जीएसटी घटाने की मांग की है।
धनपत सेठ कनीना बर्तन विके्रता ने बताया बर्तन विक्रेता अमीर नहीं होते। बड़ी मुश्किल से अपना गुजर-बसर कर पाते हैं। वैसे भी बर्तन अधिक नहीं बिकते जिससे रोटी रोजी कमाना कठिन होता है। ऐसे में उन पर सरकार 12फीसदी जीएसटी लगाकर उनको बर्तन खरीदने के लिए सोचने को मजबूर कर देती है। उनका कहना है कि यदि बर्तनों पर जीएसटी बिल्कुल कम कर दिया जाए तो उनकी रोटी रोजी सुरक्षित रहेगी वहीं बर्तन खरीदने वाले आसानी से सस्ते में बर्तन खरीद पाएंगे। जिसका लाभ न केवल दुकानदारों को मिलेगा अपितु आम ग्राहक और आम व्यक्ति को भी इसका लाभ मिलेगा। ऐसे में उन्
फोटो कैप्शन: पवन आर्या, राकेश सिंगला, धनपत सेठ।
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