तीन माह की गाजर की खेती सेें कमा रहे लाखों रुपए
-एक फसल को उखाड़ ले
रहे हैं दूसरी रबी फसल
जिला महेंद्रगढ़ में नकदी फसलें लुभा रही किसानों को
Hoshiar Singh Yadav Kanina
यूं तो हरियाणा का जिला महेंद्रगढ़ पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है। जहां राजस्थान से सटा होने के कारण रेतीली मिट्टी पाई जाती है और जल का कोई बेहतर स्रोत भी नहीं है किंतु इस क्षेत्र के लोग किसान नकदी फसलें उगा कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। कनीना उपमंडल के मोड़ी गांव के किसान सर्दी के मौसम में गाजर उगाकर लाखों रुपए का मुनाफा ले रहे हैं। वे एक नहीं अपितु दो-दो फसल ले रहे हैं। गाजर उखाडऩे के बाद मेथी, मटर, टमाटर, मिर्च लगाकर अतिरिक्त लाभ कमाते हैं। जिला महेंद्रगढ़ के कई गांव में जहां गाजर, मूली, शलजम आदि उगाकर 3 माह में लाखों रुपए कमा रहे हैं। यही नहीं इस फसल को उखाड़कर दूसरी फसल भी सर्दी के मौसम में ले लेते हैं। ऐसे में एक नहीं अपितु रबी की दो-दो फसले एक साथ ले रहे हैं। जिला महेंद्रगढ़ में किसान गजराज सिंह, महावीर सिंह, अजीत कुमार आदि ने दूरदराज तक नाम कमाया है। वही उन्हें सरकार द्वारा भी समय-समय पर पुरस्कृत किया गया है।
जिला महेंद्रगढ़ के गांव मोड़ी के मनोज कुमार, दिनेश कुमार, विजयपाल, रणधीर सिंह, बलबीर सिंह, नरेंद्र, अजय कुमार आदि ने बताया कि उन्होंने गाजर की खेती है और वर्ष 2008 से लगातार गाजर उगाते आ रहे हैं। इसे उखाडऩे के बाद मेथी,टमाटर, मिर्ची की फसल पैदावार बतौर रबी फसल ले रहे है। जिसमें भी मुनाफा होता है। वर्तमान में 7 एकड़ में गाजर की बिजाई की गई थी 3 एकड़ से गाजर उखाड़ी जा चुकी है जो अगैती फसल थी।
उन्होंने बताया अगेती फसल में अधिक मुनाफा होता है। 28 से 32 रुपये प्रति किलो के भाव से गाजर बेची गई। एक एकड़ में 90 से 95 क्विंटल गाजर की पैदावार हुई जिससे 2.40 लाख रुपये का लाभ हुआ है। किसानों ने बताया कि पछेती गाजर पैदावार अधिक देती है किंतु भाव अच्छे नहीं मिलते। गाजर की पैदावार के लिए बीज बोने, गाजर साफ करने की सभी मशीनें ला रखी है किंतु अभी तक इन उपकरणों पर सरकार द्वारा कोई अनुदान नहीं दिया गया। 2008 में उन्हें हुआ था। कई बार अगेती फसल के भाव अधिक मिलते हैं किंतु विषम परिस्थितियों में नष्ट हो जाती है। गाजर बेचने के लिए उन्हें महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, कुंड सब्जी मंडियों में जाना पड़ता है। वर्ष 2008 से लगातार गाजर उगाने वाले किसानों ने बताया कि उन्हें भारी मुनाफा हो रहा है। जब वे अगैती फसल उगाते हैं। अगैती फसल उगाने में थोड़ी परेशानी अधिक आती है किंतु पैदावार भी काम होती है परंतु सबसे अधिक लाभ होता है क्योंकि भाव बहुत बेहतर मिलते हैं। इस मौसम में विषम परिस्थितियों के कारण भी फसल तबाह हो जाती है। कई कई बार तो किसानों को लाभ की बजाय नुकसान भी अगैती फसल में उठाना पड़ता है किंतु किसान कई बार बेहतर आय लेकर पीछे तक की भरपाई कर लेते हैं। उधर पछेती फसल से जहां आए ज्यादा नहीं होती किंतु पैदावार अधिक होती है और बाजार में मांग भी कम होती है। किसान बेहतर दर्जे की गाजर मूली उगा रहे हैं। ये गाजर एवं मूली एक एक हाथ लंबी होती है जिनके बाजार में बहुत अधिक मांग होती है। किसानों ने बताया कि किसान अपनी गाजर, मूली, शलजम आदि को धोने के लिए साफ करने के लिए भी मशीनें लाए हुए हैं अपितु उनके पास बीज बोने की भी विशेष मशीनें है ताकि उनका काम जल्दी में हो सके। किसानों को सबसे अधिक नकदी फसलों को बाजार तक ले जाने की समस्या गाजर मूली शलजम आदि को बेचने के लिए उन्हें 20 द्यह्य 25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है जहां तक का किराया अधिक लग जाता है किंतु इतना होते हुए भी किसान खुश है।
इस संबंध में जिला वानिकी अधिकारी डॉ मनदीप यादव ने बताया कि जिला महेंद्रगढ़ में गोठरी, नियामतपुर, मोरूंड में करीब 500 एकड़ में अगैती गाजर की पैदावार ली जाती है जो अगस्त माह में उगा दी जाती है और अक्टूबर-नवंबर में उखाड़ कर उसके स्थान पर दूसरी पैदावार लेते हैं। इस फसल सब्जी में डेढ़ लाख रुपए तक आया प्राप्त होती है लेकिन अब तो सरकार ने भावांतर भरपाई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत 7 किलो के हिसाब से 100 क्विंटल पैदावार का निर्धारित की है। इस प्रकार 70 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत नुकसान की भरपाई कर सकती है। उन्होंने बताया कि अभी तक सब्जी उगाने वाले यंत्रों पर पूरे हरियाणा में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया है जो अगले वर्ष संभव है। एक हाथ लंबी गाजर मूली की पैदावार होती है जो देखने मे बेहतर होती हैं तथा भाव अच्छे मिलते हैं।
डॉ मनदीप यादव ने बताया कि पछेती गाजर, मूली, शलजम उगाने वाले किसान भी कम नहीं है लेकिन पछेती फसल पर दूसरी फसल ले पाना रवि की दूसरी फसल ले पाना बहुत कठिन है। ऐसे में पछेती नकदी फसल लेने वाले महज एक ही फसल ले पाते हैं।
भावांतर भरपाई योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है किसान को यदि हानि होती है तो वे अपनी हानि का क्लेम सरकार से कर सकते हैं। प्रत्येक नकदी फसल/सब्जी के लिए अलग-अलग भाव निर्धारित किए गए हैं। उनका कहना है कि किसानों को इस योजना का भी लाभ उठाना चाहिए।
अभी तक नकदी फसलें/सब्जी उगाने वाले यंत्रों पर पूरे ही हरियाणा में कोई अनुदान का प्रावधान नहीं है किंतु अगले वर्ष अनुदान की पूरी पूरी संभावना है। ऐसे में किसानों को खुशी है कि अगले वर्ष जरूर उनको इस योजना का लाभ मिल सकेगा।
No comments:
Post a Comment