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Wednesday, January 1, 2020




नए साल पर एक नई शुरुआत
,कनीना। समीपी गांव अटाली में सेवा दल के सदस्यों ने गांव में पोलीथिन हटाओ अभियान चलाया। जहां पोलीथिन को इकट्ठा करके गड्ढों में दबा दिया गया वहीं कूड़ा कचरा इकट्ठा कर नए साल की नई पहल की।
बाबा खेतानाथ सेवा दल के लगभग 35 सदस्यों ने पूरे गांव को पोलीथिन मुक्त बनाने का संकल्प लिया है और पूरे दिन गांव में जितनी भी पोलीथिन गलियों में बिखरी पड़ी उनको उठा कर गड्ढों में भर दिया।
 ग्रुप के संचालक नवनीत यादव ने बताया कि बाबा खेतानाथ सेवादल को जनसेवा करते हुए पूरा एक वर्ष बीत गया है। इस ग्रुप ने गांव में बच्चों के लिए जिम का प्रबन्ध, सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए एक्स्ट्रा कोचिंग क्लास का प्रबंध व गांव को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया हुआ है।
 उन्होंने कहा कि सफाई एवं स्वच्छता हम सभी का दायित्व बनता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह पहल की थी जो सिर चढ़कर बोल रही है। उन्होंने कहा कि पोलीथिन सैकड़ों वर्षों तक धरती पर पड़ी रह सकती है किंतु नष्ट नहीं होती है। यह नालियों को अवरुद्ध कर देती है वहीं गाय आदि के निगलने पर मौत का कारण बनती है। पोलीथिन पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है वहीं पोलीथिन हटाओ, कपड़े का बैग अपनाओ का नारा उजागर किया। 
इस मौके पर सदस्य राव कुलदीप यादव, हिम्मत यादव, अखिलेश यादव, नवनीत यादव, सोहन लाल, सुरेंद्र सिंह, ऋषिपाल, रविदत्त मिस्त्री, इंद्रजीत, अनिल जांगड़ा, अश्विनी यादव, राहुल जांगड़ा, सक्षम यादव आदि ने मिलकर गांव के लोगों को पोलीथिन रोकने के बारे में व उनके दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया और गांव के सभी दुकानदारों ने भी प्लास्टिक बैग की जगह जूट व कपड़े के बैग रखने की प्रेरणा दी।
फोटो कैप्शन 3 व : पोलीथिन को हटाते तथा गंदगी हटाते अटाली के बाबा खेतानाथ ग्रुप के सदस्य।


3 माह की गाजर की खेती सेें कमा रहे लाखों रुपए
,कनीना। कनीना उपमंडल के मोड़ी गांव के किसान सर्दी के मौसम में गाजर उगाकर लाखों रुपए का मुनाफा ले रहे हैं। वे एक नहीं अपितु दो-दो फसल ले रहे हैं।  गाजर उखाडऩे के बाद मेथी, मटर, टमाटर, मिर्च लगाकर अतिरिक्त लाभ कमाते हैं।
 मोड़ी के मनोज कुमार, दिनेश कुमार, विजयपाल, रणधीर सिंह, बलबीर सिंह, नरेंद्र, अजय कुमार आदि ने बताया कि उन्होंने गाजर की खेती है और वर्ष 2008 से लगातार गाजर उगाते आ रहे हैं। इसे उखाडऩे के बाद मेथी,टमाटर, मिर्ची की फसल पैदावार बतौर रबी फसल ले रहे है। जिसमें भी मुनाफा होता है। वर्तमान में 7 एकड़ में गाजर की बिजाई की गई थी 3 एकड़ से गाजर उखाड़ी जा चुकी है जो अगैती फसल थी।
 उन्होंने बताया अगेती फसल में अधिक मुनाफा होता है। 28 से 32 रुपये प्रति किलो के भाव से गाजर बेची गई। एक एकड़ में 90 से 95 क्विंटल गाजर की पैदावार हुई जिससे 2.40 लाख रुपये का लाभ हुआ है। किसानों ने बताया कि पछेती गाजर पैदावार अधिक देती है किंतु भाव अच्छे नहीं मिलते। गाजर की पैदावार के लिए बीज बोने, गाजर साफ करने की सभी मशीनें ला रखी है किंतु अभी तक इन उपकरणों पर सरकार द्वारा कोई अनुदान नहीं दिया गया। 2008 में उन्हें हुआ था। कई बार अगेती फसल के भाव अधिक मिलते हैं किंतु विषम परिस्थितियों में नष्ट हो जाती है। गाजर बेचने के लिए उन्हें महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, कुंड सब्जी मंडियों में जाना पड़ता है।
इस संबंध में जिला वानिकी अधिकारी डॉ मनदीप यादव ने बताया कि जिला महेंद्रगढ़ में गोठरी, नियामतपुर, मोरूंड में करीब 500 एकड़ में अगैती गाजर की पैदावार ली जाती है जो अगस्त माह में उगा दी जाती है और अक्टूबर-नवंबर में उखाड़ कर उसके स्थान पर दूसरी पैदावार लेते हैं। इस फसल सब्जी में डेढ़ लाख रुपए तक आया प्राप्त होती है लेकिन अब तो सरकार ने भावांतर भरपाई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत 7 किलो के हिसाब से 100 क्विंटल पैदावार का निर्धारित की है। इस प्रकार 70 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत नुकसान की भरपाई कर सकती है। उन्होंने बताया कि अभी तक सब्जी उगाने वाले यंत्रों पर पूरे हरियाणा में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया है जो अगले वर्ष संभव है। एक हाथ लंबी गाजर मूली की पैदावार होती है जो देखने मे बेहतर होती हैं तथा भाव अच्छे मिलते हैं।
फोटो कैप्शन 5 : गाजर की लहलहाती फसल दिखाता मोड़ी का किसान तथा
फोटो कैप्शन 6: लंबी और बेहतर गाजर दिखाता हुआ किसान

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