विगत 1 महीने से सरसों की खरीद जारी
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कनीना। कनीना अनाज मंडी तथा इसके तहत तीन खरीद केंद्रों पर 15 अप्रैल से सरसों की खरीद जारी है वहीं 20 अप्रैल से गेहूं खरीदा जा रहा है। विगत एक माह में 431320 बैग सरसों के खरीदे हैं जबकि 63230 बैग गेहूं के खरीदे हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड मैनेजर सत्येंद्र यादव ने बताया कि सभी खरीद केंद्रों पर लगातार सरसों की खरीद जारी है। किसानों को दो पारियों में बुलाया जा रहा है। सुबह और शाम किसान सरसों बेच कर आ रहे हैं। वैसे तो अभी तक सभी किसानों का एक बार में भी नंबर नहीं आया है किंतु धीरे-धीरे उनका नंबर आ जाएगा।
सत्येंद्र यादव ने बताया कि कनीना में 180430 बैग, सेहलंग में 86066 बैग, दौंगड़ा अहीर में 82115 बैग सरसों वहीं करीरा में 82709 बैग सरसों के खरीदे गए हैं।
उन्होंने बताया कि 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई 14 मई तक 63230 बैग गेहूं के खरीदे जा चुके हैं। उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट देते हुए बताया कि सरकार के आदेशानुसार सरसों और गेहूं खरीदी जा रही है। जब तक सरकार का आदेश रहेगा सरसों की खरीद यूं ही चलती रहेगी। उधर प्रतिदिन किसान सरसों गेहूं बेचने के लिए लगातार आ रहे हैं। किसानों को अपनी बारी आने का इंतजार जरूर है।
फोटो कैप्शन 3: सरसों खरीद किसान अधिकारी।
हमें खाना खिलवा दो साहब और पैरों में हुए घावों पर दवाई लगवा दो
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कनीना। हमें खाना खिलवा दो साहब, आपकी बड़ी मेहरबानी होगी क्योंकि हम दो दिन पहले लुहारू से चले थे और बड़ी ही मुश्किल से कनीना पहुंचे हैं।
प्रवासी मजदूरों ने अपना दुख व्यक्त करते हुए सतीश जेलदार प्रधान को बताया कि हम दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में यहां आए थे तथा कुछ पैसा कमा कर जोड़ा भी था कि अपने पीछे घर पर रहने वालों को जाकर देंगे जिससे बहन, बेटी की शादी हो जाएगी लेकिन कोरोना नामक आई इस महामारी के कारण जिसके खेत व ट्यूबवैल पर काम कर कुछ पैसा जोड़ा था जोड़ा हुआ था वो भी साथ आए परिवार पर खर्च हो गया और इस हालत में पैदल चलने पर विवश होना पड़ा। कई दिनों से भूख व प्यास के साथ पैरों में मिले घावों के कारण कनीना में ही रुक कर बसो का इंतजार करना पड़ेगा।
उन पर रहम खाकर रात के वक्त पालिका प्रधान ने उनके लिए खाना बनवाकर खिलाया। वही इन मजदूरों के साथ आए लगभग दस वर्ष के एक बच्चे के पैरों की हालत को देखकर पत्थर दिल की भी आँखों में पानी भर आएगा लेकिन इसके बाद भी इनकी और ध्यान देने वाला कोई नही है।
मिली जानकारी के अनुसार अब इनके खाने-दाने व मरहम पट्टी का खर्च नगरपालिका द्वारा उठाया जा रहा है। वही इससे पहले भी इस क्षेत्र में आए हजारों प्रवासियों को रहने तथा खाने पीने की सेवा क्षेत्र के समोजसेवियों द्वारा की गई थी। प्रवासी मजदूरों ने जिला प्रशासन व सरकार से मांग करते हुए गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द अपने प्रदेश में भिजवाया जाए।
फोटो कैप्शन 2: पैदल चलकर कनीना आए लोग अपनी व्यथा सुनाते हुए।
बहुत कष्ट सहना पड़ा है प्रवासियों को
-आए थे रोटी रोजी कमाने मिली यातनाएं
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कनीना। वर्षों से प्रवासी क्षेत्र में मजदूरी करने आते हैं और कुछ धन कमाकर परिवार सहित खुशी-खुशी लौट जाते हैं परंतु इस बार कोरोना के चलते मजदूरों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि अधिकांश मजदूर बिना कुछ धन कमाए ही वापस लौटने को मजबूर हुए।
एक और जहां कोरोना के चलते काम नहीं मिला वहीं जिस भी ट्यूबवेल या गांव में रुके हुये थे उन्होंने जल्द से जल्द उनसे पीछा छुड़ाना चाहा है। कहने को तो उनको सुविधाएं दी गई लेकिन हकीकत उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ है खाने को भी समय पर रोटी नहीं मिली। जैसे-तैसे उनको शेल्टर होम में भेज दिया गया है। जिसे भी खेत मालिक के यहां 10 से 15 मजदूर काम करते थे इनको खाना खिलाना भी उनके लिए भारी पड़ गया था। यही कारण है कि मजदूरों को भारी कठिनाई झेलनी पड़ी यहां तक कि शेल्टर होम में भी उनको परेशानियां आई। जहां एक तरफ घर की चिंता वहीं दूसरी ओर इन शेल्टर होम में रोग फैलने का भय उन्हें दिन रात सताता रहा। प्रशासन द्वारा भी लंबे समय के बाद बस रूपी साधन उपलब्ध करवाए हैं जिसके चलते इन मजदूरों की इस बार बहुत अधिक परेशानी हुई। अब मजदूर ढूढे भी नहीं मिलेंगे। अब हालात यह बनेंगे कि मजदूर ढूंढे भी नहीं मिलेंगे और लोग मजदूरों के लिए तरसते नजर आएंगे।
सबसे बड़ी उपलब्धि इस दौरान करीना ने हासिल की। कनीना क्षेत्र के लोगों ने आसपास के गांवों ने कनीना नगरपालिका के प्रधान सतीश जेलदार से मिलकर जो खाने का प्रबंध किया वह पूरे ही प्रदेश में सराहनीय रहा जिसका परिणाम है आए दिन कुछ मजदूर बहुत दूर से आकर यहां रुकने को मजबूर हो रहे हैं। वैसे भी दूरदराज क्षेत्रों में यहां तक आने से कोई उन्हें नहीं रोक रहा है किंतु जब यह रेवाड़ी जिले की सीमा में प्रवेश करते हैं तो डहीना में उन्हें जरूर रोक लिया जाता है। जिसके चलते कनीना आखिरी पड़ाव बन जाता है। ऐसे में कनीना पुणे दूरदराज तक ख्याति अर्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यद्यपि पालिका प्रधान अधिक अनुभव नहीं रखते लेकिन बहुत ही अनुभवी व्यक्ति बतौर उभर कर उन्होंने जो कदम उठाए वास्तव में सराहनीय कहे गए हैं।
अभी भी मजदूर दूरदराज से कनीना का नाम सुनकर आ रहे हैं जब उनसे पूछा जाता है तो वह अपनी सारी व्यथा सुनाते हुए बताते हैं कि किस प्रकार उनको यातनाएं सहन करनी पड़ी और महज कनीना में बेहतरीन खाना मिलने की सूचना भी उनको मिली। जिसके चलते चाहे पैदल चलकर आना पड़े। हाल ही में 30 मजदूर लोहारू से पैदल चलकर पहुंचे हैं जबकि कनीना 17 मई को खाने का कार्यक्रम बंद करने जा रहे ऐसी हालातों में हो सकता खाने के कार्यक्रम पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
विधि विधान से होगा 17 मई को शेल्टर होम का समापन
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कनीना। कनीना नगर पालिका में विगत करीब डेढ़ माह से चला आ रहा प्रवासियों को खाना खिलाने का सिलसिला 17 मई को विधि विधान से समापन हो रहा है। इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि 17 मई को अनेकों कार्यक्रम आयोजित होंगे।
इन कार्यक्रमों में जहां सतीश जेलदार के यहां पोती होने की खुशी में शेल्टर होम में कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं समाजसेवियों को खीर, हलवा, पूरी, सब्जी आदि खिलाई जाएगी वहीं उन्हें बेहतर कार्य करने के उपलक्ष्य में सम्मानित भी किया जाएगा। सीताराम यादव विधायक अटेली के पहुंचने की संभावना ह।
उन्होंने बताया कि इस दिन गरीब लोगों को भी खाना खिलाया जाएगा और यह कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 22 मार्च से यह कार्यक्रम शुरू किया गया था। प्रतिदिन 2000 लोग खाना खा रहे थे। पूरे ही प्रदेश में कनीना का नाम रोशन हुआ है। प्रधान ने खुशी जताई कि कनीना के आसपास गांव के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर सहयोग किया जिसके चलते इतने दिनों तक यह कार्यक्रम जारी रहा।
शेल्टर हूं मुझे खाली फिर भी खाना खिलाने का कार्य जारी
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कनीना। कनीना नगर पालिका कार्यलय परिसर में अभी भी खाना खिलाने का कार्य जारी है यद्यपि शेल्टर होम खाली हो गए हैं लेकिन अभी भी समीपी गांवों के तथा कुओं पर रहने वाले किसानों के यहां रुके हुए श्रमिक एवं मजदूर खाना खाने प्रतिदिन आते हैं। कस्बे के कुछ ऐसे लोग भी आ रहे हैं जिनके पास कोई काम धंधा नहीं है। ऐसे में नगरपालिका का संपूर्ण स्टाफ बेहतर ढंग से प्रतिदिन खाना खिला रहा है। जहां शेल्टर होम के वक्त भारी भीड़ होती थी अब उतनी भीड़ नहीं रही इसलिए इस शेल्टर होम में खाना खिलाना 17 मई से बंद किया जा रहा है।
प्रवेश रहेगा जारी किसी कागज की लॉक डाउन तक नहीं की जाएगी मांग
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कनीना। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास, विभाग और सरकार कर रही है जिसके तहत अब प्रवेश के लिए स्कूल किसी प्रकार का कोई कागज नहीं मांगा जाएगा। लाकडाउन के बाद ही कागज मांग की जाएगी तब तक ऑनलाइन प्रवेश दिया जाएगा।
विस्तृत जानकारी देते हुए खंड शिक्षा अधिकारी अभयराम यादव ने बताया कि सरकारी हिदायतों के अनुसार अब कोई विद्यार्थी प्रवेश ले सकेगा, उनसे किसी प्रकार के कागज की कोई सर्टिफिकेट, फोटोस्टेट कागज की कोई जरूरत नहीं होगी। सभी सर्टिफिकेटस आनलाइन उपलब्ध हैं। जो अभिभावक बताएगा उस अनुसार कार्रवाई की जाएगी लेकिन लाकडाउन के बाद उनसे सभी कागज लिए जा सकेंगे। तब तक प्रवेश देना निश्चित किया जाना है।
उधर लॉकडाउन के चलते इस बार स्कूलों में संख्या घटने के आसार बन गए हैं क्योंकि सरकारी स्कूलों में विशेषकर गरीब तबके के बच्चे उित्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान के श्रमिकों के बच्चे पढ़ते हैं। कोरोनावायरस की मार झेल कर यह लोग अपने-अपने घरों को चले गए हैं जिसके चलते उनके बच्चे भी उनके साथ गए हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों में अब भविष्य में लंबे समय तक इन विद्यार्थियों के आने की संभावना नहीं बन जा रही है। अगर ऐसा होता है तो सरकारी स्कूलों में संख्या और भी घटने के आसार बन जाएंगे। यद्यपि सरकार सरकारी स्कूलों के शिक्षक, मुख्याध्यापक, प्राचार्य, खंड शिक्षा अधिकारी संख्या को विधिवत रूप से बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षण का कार्य लगातार जारी है। अपने घरों से ही शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। इस कार्य में निजी स्कूल किसी प्रकार कम नहीं हैं।
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