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Sunday, May 31, 2020

 कड़ी धूप में भी बंदरों से पेड़ों की करनी होती है सुरक्षा
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कनीना। कनीना कस्बे में बंदरों की समस्या सिर चढ़कर बोल रही है। लंबे अरसे से कनीना में बंदर बेहद परेशान कर रहे हैं। हर घर में हजारों रुपए का नुकसान प्रतिवर्ष कर देते हैं। यदि बागवानी, फल फूल पौधे लगा लिए जाये तो कुछ ही दिनों में बंदरों द्वारा उखाड़ दिये जाते हैं। कस्बा की सुमंत देवी का कहना है कि वह दिन भर पेड़ पौधों के पास धूप और छांव में बैठी रहती है। क्योंकि बंदर न जाने का उनके फलों को तोड़ जाते हैं। पौधों को क्षत विक्षत कर जाते हैं तथा छोटे पौधों को तो उखाड़ कर रख देते हैं। बंदरों द्वारा काटने, परेशान करने, नुकसान पहुंचाने की घटनाएं आम हो गई है। एक बार कनीना नगर पालिका ने कुछ बंदर पकड़वा कर छुड़वाए थे और अब फिर से उन्हें दूर छुड़वाने की मांग उठ रही है।
सुमंत देवी का कहना है कि पौधे बड़ी मेहनत से लगाए जाते हैं और कुछ ही मिनटों में ये बंदर तोड़ जाते हैं। यहां तक कि बच्चों को डराते हैं और काटने का डर भी होता है।
उधर पालिका प्रधान सतीश जैलदार का कहना है कि जल्द ही बंदरों को पकड़वा कर दूर छुड़वा दिया जाएगा।
 फोटो कैप्शन 2: सुमंत देवी दोपहर में पेड़ों की सुरक्षा करते हुए।


स्याणा में व्यक्ति ने खाई फांसी 
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 कनीना। कनीना खंड के गांव स्याणा में एक व्यक्ति ने घर में ही फांसी का फंदा लगा आत्महत्या कर ली। मिली जानकारी अनुसार कर्मवीर स्याना निवासी जो टीबी एवं दमा का मरीज था। लंबे समय से बीमारी पीडित होने से तंग आकर आत्महत्या कर ली है। उसके एक लड़का और एक लड़की भी है। उनके भाई ने रामफल ने  पुलिस में दर्ज मामले में कहा गया है कि लंबे समय से बीमारी से परेशान होने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली है।


सभी दुकानें रही बंद 

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 कनीना। कनीना क्षेत्र में रविवार को सभी दुकानें बंद रही। कोरोना के चलते दुकानें रविवार को बंद रखने का आदेश है जिसका पालन किया गया। महज बीज की दुकानें और आपातकालीन सुविधाएं जरूर खुली रही।

मुआवजा देने की मांग की

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कनीना। पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने सरकार से ओलावृष्टि से हुये फसल नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने जारी एक बयान में कहा है कि जिला महेंद्रगढ़ के बहुत से गांवों में कपास की और सब्जी की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। इस नुकसान को देखते हुए अविलंब गिरदावरी करवाकर मुआवजा देने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की शाम को भारी ओलावृष्टि हुई जिसके चलते सब्जी की फसलों  एवं कपास फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

दुष्कर्म करने के प्रयास का मामला दर्ज

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,कनीना। कनीना के गांव उच्चत में गांव के ही एक युवक द्वारा गांव की एक लड़की के साथ जबरदस्ती करने का मामला प्रकाश में आया है। मिली जानकारी के अनुसार उपमंडल के गांव उच्चत की एक पीडि़ता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि शुक्रवार को वह अपने ताऊ के घर से वापस अपने घर आ रही थी रास्ते में पहले से खड़े गांव के ही एक युवक द्वारा उसका मुंह दबाकर उसको पास के एक खाली प्लाट में खिंच ले गया जहां उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की। जब पीडि़ता ने शेर मचाया तो आवाज आवाज सुनकर परिजन दौड़ कर आए। तब तक वह छोड़ कर भाग तथा उसने भागते हुए यह भी कहा कि भविष्य उसे उठवा दूंगा जिससे कि तेरा पता भी नही चलेगा।
वही पीडि़ता ने बताया कि जब वे शिकायत देकर वापस अपने घर लौटे तो उसके परिजनों ने उनके साथ गाली-गलोच कि तथा जान से मारने की सरेआम धमकी दी है जिसकी सूचना पुलिस को दूरभाष पर देकर सारे मामले से अवगत कराया गया है। वही पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पीडि़ता के बयान पर गांव के ही युवक सचिन के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर पीडि़ता के न्यायालय में 164 के बयान दर्ज करा जांच आरंभ कर दी है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।


क्षेत्र में हुई 45  एमएम बारिश, किसान चले बाजरे की ओर 

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कनीना। क्षेत्र में दो दिनों में 34 एमएम बारिश हो चुकी है। जहां शनिवार की रात 24 एमएम बारिश और तेज हवाएं चली वही शुक्रवार की रात को आंधी, बारिश एवं ओलावृष्टि हुई।

रविवार को 11 एमएम बारिश हुई शुक्रवार की रात 10 एमएम बारिश हुई। इस प्रकार क्षेत्र में दो दिनों में 45 एमएम बारिश हो चुकी है। किसान बाजरे की बिजाई करने के लिए उत्सुक नजर आए। वीडियो की दुकानों पर हलचल बढ़ गई है। बीज विक्रेता कुलदीप सिंह तथा महेश बोहरा ने बताया कि अब बारिश ठीक-ठाक होने से किसान बाजरे की बीजाई करना चाहते हैं। यही कारण है कि बीजों की बिक्री में इजाफा हुआ है। उधर किसानों की इच्छा है कि अधिक से अधिक बाजरा पैदावार लिया जाये। हर वर्ष मई के अंतिम सप्ताह में बारिश होती है। बारिश के चलते बिजाई प्रारंभ हो जाती लेकिन कई बार बीजाई खराब चली जाती है। बार बार बारिश होने से किसानों की बिजाई प्रभावित हो जाती है।

ओलावृष्टि ने कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ा

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कनीना। कनीना तथा आसपास क्षेत्रों में शुक्रवार शाम को भारी ओलावृष्टि हुई जिसने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बुजुर्ग कहते हुए हैं मौन हो जाते हैं कि उन्होंने जीवन में इतने भारी मात्रा में और इतने बड़े साइज वाले ओले कभी नहीं देखे। इस वक्त फसल पककर तैयार नहीं थी, केवल खेतों में कपास खड़ी हुई है जो पूर्णतया नष्ट हो गई है।
कनीना क्षेत्र के  रामबास, मोड़ी, इसराणा, मानपुरा,भोजावास, गोमला, बोहका आदि क्षेत्रों से होकर भारी ओलावृष्टि हुई है जबकि बाकी क्षेत्रों में ओलावृष्टि बहुत कम हुई है।
 65 वर्षीय गजराज सिंह किसान बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतनी भारी मात्रा में ओले देखें और वे भी इतने बड़े की फसल को पूर्णतया नष्ट कर दिया है। किसान बेहद मायूस हैं। कपास उगाने वालों की कपास पूर्णता लुप्त हो गई है सबसे बड़ी बात देखने को मिली कि धरती इस प्रकार सफेद हो गई कि एक इंच जगह भी नहीं बची और तो और टीन शेड, पानी की टंकी आदि आदि में भी छेद हो गए हैं। फसल पर जब ओले पड़े तो यूं लग रहा था फसल नाम की कोई चीज नहीं है।
मोड़ी के किसान अजय कुमार के फव्वारा पाइपों में छेद हो गए। किसानों को भारी क्षति उठानी पड़ी है। बुजुर्ग बताते हैं कि इतने बड़े ओले कभी उनके जीवन में नहीं पड़े। अंधड़ ने पेड़ों को क्षति पहुंचाई है । किसान गजराज मोड़ी, कांता मोड़ी ने बताया कि सब्जी, फलदार पौधे, कपास, ंबाजर आदि पूर्णरूप से नष्ट हो गए।
बस जिससे भी पूछा जाए वह ओलावृष्टि से बहुत दुखी है। वह कहते हैं कि ऐसी ओलावृष्टि अगर खड़ी फसल और पकी हुई फसल पर हो जाए तो शायद एक दाना भी नहीं बच पाए। किसान एक और जहां ओलों की साइज तो दूसरी और ओलों की मात्रा से बहुत अधिक भयभीत है। उनका कहना है अगर ऐसे समय में पशु भी कोई बाहर होता तो उसको भी भारी क्षति होती। पक्षियों की मौत हो गई। जिन पौधों के फूल आए हुए थे वे खत्म हो गए। इसराणा के किसान अजय जो सब्जी उगाते हैं, का कहना है कि उनकी सब्जी की ऑर्गेनिक फसल पूर्णतया नष्ट हो गई है। पोलीहाउस में छेद हो गये। इतनी भारी मात्रा में ओलों से किसान ही नहीं आमजन भी चकित है। बाजर की फसल बर्बाद हो गई।
उन्होंने जहां दीवारों पर भी निशान बना दिए हैं। ओलों से दीवारों पर निशान बन गए हैं और उन पर की गई पेंटिंग भी समाप्त हो गई है। किसानों ने क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा देने की मांग की है।
 फोटो कैप्शन 1: दीवारों पर गायब हुई पेंटिंग और पड़ हुए ओलों के निशान।


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