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Friday, May 8, 2020


शेल्टर होम से चोरी छुपे निकल रहे हैं श्रमिक 
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कनीना।  कनीना प्रशासन द्वारा यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के श्रमिकों को उनके गृह क्षेत्र भेजे जाने के निर्णय के बाद कनीना में उन्हें विभिन्न गांवों से कनीना में इक_ा करके एक बड़ी समस्या मोल ले ली है। विभिन्न गांव में लेबर जिनके यहां रुकी हुई थी वह जल्द से जल्द पीछा छुड़वाने के लिए शेल्टर होम में छोडऩे लगे हैं या फिर यह मजदूर पैदल ही चल कर न केवल शेल्टर होम अपितु घर के लिए रवाना हो रहे हैं।
उधार शेल्टर होम में पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण जहां गंदगी ही गंदगी बढ़ गई है। किसी भी रोग के फैलने की संभावना भी बढ़ गई है। न तो इनको को खाना समय पर मिल रहा है और न ही इनको शौचालय की सुविधा मिल पा रही है। इनको बसों से भेजा जा रहा है। प्रशासन द्वारा बसें उपलब्ध कराई है किंतु लेकिन एक ही रूठ के कुछ श्रमिक चले गए हैं तो कुछ बैठे देखते रह गए। यदि एक ही रूठ के सभी मजदूरों को एक ही बस में भेजा जाता तो ज्यादा बेहतर होता।
 उधर नगरपालिका भी प्रशासन से तंग आ चुकी है। आलम यह है कि नगरपालिका के पदाधिकारियों ने सीएम हरियाणा को एक शिकायत भेजी है जिसमें उन्होंने कहा है कि न ता श्रमिकों के लिए तो खाना मिल पा रहा है और न ही शौचालय हैं। प्रशासन ने अचानक इन मजदूरों को यहां इक_ा तो कर दिया किंतु सुविधा नहीं जुटाई है जिसके चलते किसी महामारी का फैलने का खतरा बढ़ा है। ऐसे में उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी भविष्य में कोई समस्या बनती है या महामारी फैलती है तो उसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा नगरपालिका नहीं। उन्होंने शिकायत सीएम हरियाणा को भेज दी है।
उधर मजदूर बेचारे एक जगह पड़े पड़े भी तंग आ चुके हैं जिसके चलते अपने सामान को 24 घंटे अपने साथ रखते हैं, देखरेख करते हैं और उठाकर बार-बार पैदल ही जाने का प्रयास करते हैं किंतु दुर्भाग्य होता है कि उन्हें फिर से कोई पुलिस रोक लेती है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न गांवों में ये मजदूर  पैसे कमाने के लिए आए थे किंतु अब पैसे कमाना तो भूल गए और रोग से डर कर अपने गृह क्षेत्र में जाना चाहते हैं और वह भी अब का दुर्लभ हो गया है।
यह मजदूर भी अब बार-बार आंदोलन करने पर उतारू हो जाते हैं, विभिन्न कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, दुखी और परेशान हो गए हैं। यहां की नगरपालिका कनीना में गुरुवार को भारी संख्या में जमा हो गए थे और उन्हें यूंपी में भेजने की मांग करने लगे। उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेजा गया था।
पालिका प्रधान सतीश जेलदार का कहना है कि जब तक मजदूरों की संख्या निश्चित थी तब तक 2000 लोगों को रोजाना खाना खिला रहे थे और अब भी खिला रहे हैं किंतु कई शेल्टर होम से दूसरे शेल्टर होम से सूचना आती है कि खाना भेजा जाए। ऐसे में खाना अचानक उपलब्ध करवा पाना कठिन है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि तथा लिखित रूप से भी भेजा है कि इन लोगों को अविलंब इनके गृह क्षेत्र भेजा जाए।
फोटो कैप्शन 2: पैदल ही अपने गृह प्रदेश चोरी से निकलते श्रमिक।

ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के होम शेल्टरों में बढ़ी गंदगी 

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कनीना। प्रशासन द्वारा कनीना में प्रवासी मजदूरों के लिए बनाए होम शेल्टरों में आए विभिन्न प्रदेशों के हजारों मजदूरों मेें होम सैन्टरों में खाने-पीने की सही व्यवस्था न मिलने के कारण प्रशासन के प्रति रोष पनप रहा है। वही प्रवासी मजदूरों ने प्रशासन से मांग कर उन्हें जल्द से जल्द अपने प्रदेशों में भेजने की गुहार भी लगाई है। जिसको लेकर पुलिस ने इन मजदूरों को काफी समझाने का प्रयास भी किया लेकिन परिणाम शून्य ही रहा।
 गुरुवार की मुकेश निवासी पुर्णिया बिहार को चोट भी लगी जिसको लेकर सभी मजदूरों ने उग्र रूप धारण कर लिया तथा प्रशासन के खिलाफ नारे-बाजी कर अपना रोष जाहिर किया वही कस्बे के समाजसेवियों लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशासन द्वारा कनीना उपमंडल के समीपवर्ती गांवों से विभिन्न राज्यों में जाने वाले सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को कनीना में स्थापित होम शेल्टरों में लाकर रखा था वही प्रशासन द्वारा इनकी खाने-पीने की सही व्यवस्था न होने के कारण कान्हा कालेज में रखे बिहार के मजदूरों को गुरुवार देर रात तक व्यवस्था सही न मिलने के कारण तथा भोजन समय पर न मिलने के कारण उनमें प्रशासन के खिलाफ आक्रोश पनपा और मामला यहां तक पहुंच गया कि इन मजदूरों को यहां रोकना किसी महायुद्ध से कम नही आंका जा रहा है।
उधर पिछले लंबे समय से क्षेत्र की जनता द्वारा कनीना में बने दो प्रवासी होम शेल्टरों में जमकर दान दिया जिससे इन शेल्टरोंमें रहने वाले हजारों प्रवासी मजदूरों को सही समय पर खाना व ठहरने की उत्तम व्यवस्था प्राप्त हुई जिसमें प्रशासन का एक खोटा पैसा तक नहीं खर्च हुआ।
जब प्रशासन द्वारा बिहार, मध्यप्रदेश तथा यूपी को भेजने वाली लेबर को लाकर जब कनीना रखा और उनका दो दिन का सही ढ़ंग से खाना तक नही खिलाया गया तो प्रशासन के विरुद्ध भड़क उठे। वही कस्बे की नगरपालिकाके चैयरमेन सतीश जेलदार, दलीप सिंह, मुकेश रोकी, संदीप सिंह कुमार , ओमप्रकाश ठेकेदार, अशोक कुमार उपाध्यक्ष के अलावा अन्य कस्बावासियों ने बताया कि दो दिन पूर्व स्थानीय प्रशासन द्वारा बिहार, यूपी तथा मध्यप्रदेश की हजारों की तादाद में प्रवासी लेबर को लाकर कनीना में तीन होम शेल्टरों में रखा गया है जिनमें उनकी रहने सही व्यवस्था न होने के कारण उन्होंने सारे कस्बे को मलमूत्र त्यागकर दुर्गंधमय कर दिया है और कोरोना के किसी रोग के फैलने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बाबत प्रशासन को अवगत भी कराया गया है।
लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन द्वारा मजदूरों को भेजने की व्यवस्था नही हो पा रही थी तो उन्होंने यहां बुलाकर नहीं बैठाना चाहिए।  कस्बा में विभिन्न स्थानों पर गंदगी का वातावरण बन रहा है।
फोटो कैपन 1 एवं 2: रोष व्यक्त करते हुए शेल्टर होम के तथा होम के बाहर के मजदूर।




307 किसानों की 7483 क्विंटल सरसों खरीदी  

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कनीना। कनीना अनाज मंडी में सरसों तथा इसके तहत तीन खरीद केंद्रों पर शुक्रवार को 307 किसानों की 7483 क्विंटल सरसों खरीदी है।
 विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड मैनेजर सत्येंद्र यादव ने बताया कि कनीना 120 किसानों ने 3410 क्विंटल, करीरा के 45 किसानों ने 1240 क्विंटल,सेहलंग में 77 किसानों ने 2098 क्विंटल, दौंगड़ा में 65 किसानों ने 1735 क्विंटल सरसों बेची  है जबकि 57 किसानों ने 1295 क्विंटल गेहूं बेचा है।

बची हुई सरसों लानी पड़ती है किसानों को घर 

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 कनीना। सरकार के आदेश अनुसार जहां खरीद सरसों की खरीद केंद्रों पर 15 के गुणज में बची हुई सरसों खरीदी जाती है जबकि इस गुणज मेंनहीं है उसे घर लाना पड़ता है।
कनीना के रामकिशन ने बताया कि उनकी 35 किलो सरसों बच गई थी जिसको उन्हें मजबूरन कर लाना पड़ा जो कोई काम की नहीं है। उनका कहना है कि बची हुई सरसों भी खरीदी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार के नियमानुसार 15 के गुणज में अगर सरसों है तो वह खरीदी जा सकती है वरना वह सरसों खरीदी नहीं जाएगी। उनकी 35 से किलो अधिक होने के कारण खरीदी नहीं गई इसके स्थान अगर 45 किलो होती तो बिक जाती। उनका कहना है कि भगवान ने उन्हें यह सरसों दी है वह खरीदी जानी चाहिए। ऐसे में उन्होंने मांग की है कि सरसों की एक-एक दाना खरीदा जाना चाहिए।



वटी रोग-प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है-डा शशी मोरवाल

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कनीना। आयुष मंत्रालय द्वारा जारी रोग-प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने के लिए संशमनी वटी के किट बाट कर लोगों को कोरोना से बचने के उपाय बता कर जागरूक किया।
 आयुष विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर शशी मोरवाल ने कस्बा कनीना में बस स्टैंड, अनाज मंडी, रेलवे रोड़, बिजली विभाग व अन्य मार्केट में आयुष विभाग द्वारा जारी रोग प्रतिरोध क्षमता के लिए संसमन वटी किट वितरित किए।
 इस अवसर पर बोलते हुए डा मोरवाल ने बताया कि जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा अजीत सिंह आदेशानुसार  पिछले पांच दिन से उनकी समूची टीम कस्बे में विभिन्न स्थानों पर उक्त किट देकर लोगों को कोरोना नामक महामारी को लेकर बचाव के प्रति जागरूक अभियान चलाया हुआ है।
 टीम में डा पूजा, महेन्द्र कुमार डिस्पेंसर, विनोद कुमार डिस्पेंसर आदि द्वारा लोगों को उनके नीजि स्थानों पर जाकर उक्त किट उपलब्ध कराए गए है ताकि देश व प्रदेश के लोग इस महामारी से बच सके। वही टीम की सदस्या डाक्टर पूजा ने भी लोगों को कहा कि इस महामारी से बचने के लिए रोजाना संसमन वटी की एक टेबलेट सुबह और एक सांय गर्म पानी के साथ लेनी चाहिए तथा आए दिन दूध में हल्दी डालकर पीना चाहिए। दाल चीनी, अदरक का काढ़ा बना कर पीना चाहिए तथा खाने में हरी सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए तथा अपने घरों में रह कर शरीर की इम्यूनिटी पावर को बढ़ा कर इस महामारी से अपने तथा अपने परिवार को बचाना चाहिए। वही डा शशी मोरवाल ने यह भी बताया कि इस जागरूक अभियान में लगभग आज पांच सौ किट लोगों को बाट कर कोरोना से बचने के उपाय भी बताए हैं।




बची हुई सरसों लानी पड़ती है किसानों को गार्ड 

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 कनीना सरकार के आदेश अनुसार जहां खरीद सरसों की खरीद केंद्रों पर 45 के फिगर मंदिर के गुना जिले आगर सरसई बैठती है तो ठीक है वरना बची हुई सरसों गर्भवती चलाने के नियम से खफा है
कनीना के रामकिशन के सामने बताएं कि उनकी 35 किलो सरसों बच गई थी जिसको उन्हें मजबूरन कर लाना पड़ा जो कोई काम की नहीं है उनका कहना है कि बची हुई सरसों भी खरीदी जानी चाहिए उन्होंने बताया कि सरकार के नियमानुसार 15 के गुणज में अगर सरसों है तो वह खरीदी जा सकती है वरना वह सरसों खरीदी नहीं जाएगी उनकी 735 से किलो अधिक होने के कारण खरीदी नहीं गई जिसके कारण उन्हें 35 किलो शक्कर डालनी सरसों को कहां प्रयोग करें क्योंकि भगवान ने उन्हें यह सर्दी है ऐसे में उन्होंने मांग की है कि सरसों की एक-एक दाना खरीदा जाना चाहिए



विश्व संवाद परिषद् ने उन्हाणी के राजेश को किया सम्मानित

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कनीना। वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के बारे में आम व्यक्तियों को जागरूक करने, डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों का पालन करने आदि सामाजिक कार्य करने पर उन्हाणी निवासी  राजेश कुमार को विश्व संवाद परिषद् के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्याम सुंदर पचौरी द्वारा प्रशंसा पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान पत्र उनको ई-मेल से भेजा गया है।
गौरतलब है कि राजेश कुमार राजकीय प्राथमिक पाठशाला खेड़ी ईंट भट्टा में कार्यरत हैं और वर्तमान में सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं।
उनका कहना है कि कोरोना महामारी की इस जंग में घर के अंदर रहे तभी सुरक्षित रह सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की इस महामारी से संबंधित कोई झूठा भ्रामक प्रचार प्रसार न करें। सोशल मीडिया पर प्राप्त झूठे मैसेज को आगे फारवर्ड न करें। यह विषम समय बीत जाएगा और एक दूसरे के सहयोग से  कोरोना हार जाएगा तथा भारत जीत जाएगा।

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