Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Friday, May 29, 2020



ओलावृष्टि ने कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ा

****************************************
*******************************************
********************************************
 
 कनीना। कनीना तथा आसपास क्षेत्रों में शुक्रवार शाम को भारी ओलावृष्टि हुई जिसने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बुजुर्ग कहते हुए हैं मौन हो जाते हैं कि उन्होंने जीवन में इतने भारी मात्रा में और इतने बड़े साइज वाले ओले कभी नहीं देखे। सौभाग्य रहा की फसल पककर तैयार नहीं थी, केवल खेतों में कपास खड़ी हुई है जो पूर्णतया नष्ट हो गई है।
कनीना क्षेत्र के  रामबास, मोड़ी, इसराणा, पड़तल,भोजावास, गोमला, मोहनपुर आदि क्षेत्रों से होकर भारी ओलावृष्टि हुई है जबकि बाकी क्षेत्रों में ओलावृष्टि बहुत कम हुई है।
 65 वर्षीय गजराज सिंह किसान बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतनी भारी मात्रा में ओले देखें और वे भी इतने बड़े की फसल को पूर्णतया नष्ट कर दिया है। किसान बेहद मायूस हैं। कपास उगाने वालों की कपास पूर्णता लुप्त हो गई है सबसे बड़ी बात देखने को मिली कि धरती इस प्रकार सफेद हो गई कि एक इंच जगह भी नहीं बची और तो और टीन शेड, पानी की टंकी आदि आदि में भी छेद हो गए हैं। फसल पर जब ओले पड़े तो यूं लग रहा था फसल नाम की कोई चीज नहीं है।
बुजुर्ग राम सिंह बताते हैं कि उनकी उम्र 80 साल के करीब है। उन्होंने कई बार भारी मात्रा में ओले पड़ते देखे हैं किंतु इतने भारी मात्रा में कभी ओले नहीं आए। कई दिनों से गर्मी पड़ रही थी जिसके बाद बारिश हुई। अंधड़ ने पेड़ों को क्षति पहुंचाई है वहीं 10 एमएम बारिश हुई। दो बार ओलावृष्टि आई। पहली बार अधिक तो दूसरी बार काम ओलावृष्टि हुई। बारिश का लाभ हो सकता था किंतु ओलावृष्टि ने तबाही मचा दी है। कनीना मंडी और खरीद केंद्र पर इस बार किसी प्रकार का कोई अनाज न होने से अनाज को नुकसान नहीं हो पाया।
बस जिससे भी पूछा जाए वह ओलावृष्टि से बहुत दुखी है। वह कहते हैं कि ऐसी ओलावृष्टि अगर खड़ी फसल और पकी हुई फसल पर हो जाए तो शायद एक दाना भी नहीं बच पाए। किसान एक और जहां ओलों की साइज तो दूसरी और ओलों की मात्रा से बहुत अधिक भयभीत है। उनका कहना है अगर ऐसे समय में पशु भी कोई बाहर होता तो उसको भी भारी क्षति होती। पक्षियों पर कितना कुप्रभाव पड़ा बाद में पता जग पायेगा लेकिन जिन पौधों के फूल आए हुए थे वे खत्म हो गए। इसराणा के मनोज कुमार जो सब्जी उगाते हैं, का कहना है कि उनकी सब्जी की ऑर्गेनिक फसल पूर्णतया नष्ट हो गई है। इतनी भारी मात्रा में ओलों से किसान ही नहीं आमजन भी चकित है।
उन्होंने जहां दीवारों पर भी निशान बना दिए हैं। ओलों से दीवारों पर निशान बन गए हैं और उन पर की गई पेंटिंग भी समाप्त हो गई है।
 फोटो कैप्शन 8: दीवारों पर गायब हुई पेंटिंग और पड़ हुए ओलों के निशान।
 फोटो कैप्शन 9: ओलों से सफेद हुई धरती और चारों तरफ ओलों की सफेद चादर।

रामबास व इसराणा के ग्रामीणों की गई स्क्रीनिंग
- 22 लोगों की गई सेंपलिंग 

**********************************
*************************************
कनीना। पिछले 5 दिनों में कस्बे में कोरोना के 2 पॉजीटिव केस आ चुके हैं। कस्बे में कोरोना के दोनों पॉजिटिव मरीज गांवों से संबंध रखते हैं। दोनों पॉजिटिव मरीज दिल्ली से आए हैं । अब शहर से गांव आ रहे लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। सुरक्षा की दृष्टि से दो गांवों के लोगों की स्क्रीनिंग की गई वहीं 22 लोगों के सेंपल भी लिये गए।
ग्रामीणों ने मांग की है कि दिल्ली से कोई भी व्यक्ति आ रहा है उसके ऊपर प्रशासन विशेष तौर पर निगरानी रखें क्योंकि रामबास व इसराणा गांव में दोनों व्यक्ति दिल्ली से आए हैं ।
शुक्रवार को इसराना गांव के तकरीबन 430 ग्रामीणों की स्क्रीनिंग की गई । उनके साथ ही कोरोना पॉजिटिव सीआरपीएफ जवान के घर के आसपास रहने वाले 14 ग्रामीणों की सेंपलिंग की गई ।
   ड्यूटी डॉक्टर दिनेश कुमार, हेल्थ इंस्पेक्टर राजकुमार के निर्देशन में कोरोना पॉजिटिव मरीज के आसपास का एरिया की निगरानी रखी जा रही है। जिनमें उनके साथ एएनएम वह आशा वर्कर सहयोग कर रही हैं ।
कोरोना पॉजिटिव मरीज के आसपास की गलियों को सील किया हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की टीम का गांव के सरपंच, नंबरदार, चौकीदार भी सहयोग कर रहे हैं। डॉक्टर दिनेश का कहना है कि कोरोना से बचाना ही कोरोना का उपाय है। घर से बाहर ना निकले और लोगों से ना मिले ।
वहीं दूसरी तरफ रामबास गांव के तरीबन 1380 ग्रामीणों की स्क्रीनिंग की गई तथा कोरोना  पॉजिटिव मरीज के परिवार के आठ व्यक्तियों की सैंपलिंग की गई ।
ड्यूटी डॉक्टर दिनेश कुमार ने बताया के घर के आस-पास वाली  को सील कर दिया गया है।
एसएमओ डॉ धर्मेंद्र ने लोगों से अपील की है कि कोरोना वायरस अभी खत्म हुआ नहीं हुआ है । इससे बचाव के लिए कोविड-19 की गाइडलाइन की अनुपालना करें।
फोटो कैप्शन 5: रागबास में लोगां की स्क्रीनिंग करते हुए।


8 एमएम बारिश हुई, ओले पड़े 

************************
**************************************
 कनीना। कनीना क्षेत्र में शुक्रवार दोपहर पश्चात बारिश हुई वहीं कुछ गांवों में जमकर ओले पड़े। कपास की तथा चारा देने वाली फसलों को नुकसान हुआ।
खंड के गांव भोजावास, मोड़ी, पड़ताल, ढाणा आदि क्षेत्रों में ओलावृष्टि हुई। मोड़ी गांव के पूर्व सरपंच गजराज सिंह, अजय कुमार, कांता देवी आदि ने बताया कि उनके यहां जमकर ओलावृष्टि हुई है जिसके चलते धरती सफेद हो गई। इस वक्त कपास एवं चारा देने वाली फसलें खड़ी है। उनको नुकसान हुआ है वहीं फल, सब्जियों के पौधों को भी क्षति पहुंची है।
 किसान गजराज सिंह ने बताया कि किन्नू के पौधों पर छोटे-छोटे फल आ गए थे। वे सभी नष्ट हो गए। कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ है। उधर अनाज मंडी में उठान होने से नुकसान नहीं हुआ। अधिकांश बैग सरसों एवं गेहूं का उठान हो चुका है। गुरुवार की रात को भी क्षेत्र में बारिश हुई थी। एक बार फिर से यहां बारिश हुई है।
इस वक्त किसानों ने कपास की फसल उगा रखी थी जो बड़ी हो गई है। 8 एमएम बारिश फसल के लिए नुकसानदायक नहैीु रही और बारिश से राहत मिली है किंतु ओलावृष्टि फसल के लिए जरूर घातक साबित हुई है।
गजराज सिंह किसान ने बताया कि उनके फसलों को ओलों ने ढक दिया। फसल दिखाई देनी बंद हो गई। इतनी भारी मात्रा में ओले पड़े कि घरों में कई कई किलो ग्राम ओले इक_े हो गए। ओलों की साइज भी बड़ा था जिसको लेकर के वे बेहद परेशान नजर आए। किसानों ने बताया कि एक तरफ कोरोना की मार वहीं अब उनकी उगाई हुई फसल को ओलों ने नुकसान कर दिया। ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिन किसानों की कपास की फसल को नुकसान हुआ है उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए ताकि कोरोना के समय किसानों को कुछ आर्थिक मदद मिल सके।
 फोटो कैप्शन 6: फसल पर जमा ओले ओले
7: घर के एक कोने में जमा हुए कई किलो ओले।
 


बदल गया है चौपालों का स्वरूप
*******************************
***************************************
कनीना। कोरोना तो डर के चलते गांवों में  चौपालों का स्वरूप ही बदल गया है। हुक्का,चाय, चिलम सभी बंद, चौपाल पड़ी हैं सुनसान और दिनभर बोलते हैं कांग।
 वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक गांव में चौपाल बनी हुई है, प्रत्येक जाति की चौपाल भी मिल सकती है। लेकिन इन चौपालों में जहां दिनभर व्यस्तता होती थी वर्तमान में वहां  कोई जन नजर नहीं आता। यहां दिनभर हुक्का चलता था विचारों का आदान-प्रदान चलता था वह लगभग समाप्त हो गया है। कोरोना के डर से लोग आपस में पास बैठने से कतराने लगे हैं। ऐसे में चौपाल चौपाल नहीं रह पाई है। अपना अस्तित्व खो रही है।
वैसे भी हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क पहनकर बाहर निकलते हैं।एक दूसरे से खुलकर बात नहीं कर सकते, हुक्का, चिलम आदि पर मुंह लगाना पड़ता है। मुंह लगाने का मतलब है कि रोगाणु को अपने शरीर में ग्रहण करना। यही कारण है कि अब ये चीजे तो दूर इंसान ही चौपालों में नहीं आते हैं।
एक समय था जब चौपालों पर बैठकर लोग अपने सुख दुख की बातें एक दूसरे आदान प्रदान करते थे वही किसी समस्या को निपटाने के लिए भी इक_े बैठते थे किंतु अब कोरोना डर है। ऐसे में वे एम दूसरे के पास आने से ही कतराने लगे हैं। कहीं जहां दुकानों के आसपास भी भारी भीड़ देखने को मिलती थी अब न तो भीड़ है और न हुक्का मिलता है।
जब हुक्के की बात चलती है तो लोग चुप हो जाते हैं। एक और जहां सरकार ने बीड़ी, सिगरेट तंबाकू पर प्रतिबंध लगा रखा है वही कोरोना ने ही इस पर प्रतिबंध लगाने में अहम भूमिका निभाई है। चौपालों में इंसान एवं हुक्का दोनों मिलते थे वे दोनों गायब हो गये हैं। बुजुर्ग इंसान एवं हुक्के घरों में छुप गए हैं। जहां तंबाकू बेचने वालों के तंबाकू खरीददार नहीं हें। चौपाल अपना पहले वाला स्वरूप में आने में भविष्य में कितना समय लगेगा यह कहना कठिन है।
वैसे भी कोरोना बच्चे, बूढ़े और  महिलाओं में अधिक होता है और उन चौपालों पर अधिकांश बुजुर्ग और अनुभवी व्यक्ति बैठते थे और उनमें ही कोरोना का अधिक खतरा बना है। इसलिए उन्होंने चौपालों में आना छोड़ दिया है। बुजुर्ग तो ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में युवा वर्ग ही बेशक कहीं बैठकर गपशप जरूर लगा लेता है। वो भी मुंह पर मास्क लगाकर दो-चार बात बोल कर चलते बनते हैं।
कोरोना के चलते कनीना के महेश बोहरा, मोहन पार्षद, कुलदीप कुमार, रवि कुमार, श्यामसुंदर मासी आदि से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि आप उन्होंने हुक्का ही छोड़ दिया है। वैसे भी उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रतिबंधित है और 31 मई को विश्व मद्यपान निषेध भी मनाया जा रहा है। ऐसे में उक्त छोडऩे में ही उन्होंने भलाई समझी। चौपालों पर चाय भी चलती थी किंतु अब तो चाय की बिक्री घट गई है। क्योंकि चाय की दुकानों पर जो कप व गिलास प्रयोग किए जाते हैं वे इस रोग को फैलाने में मददगार साबित हो सकते हैं। हुक्का,चाय, चिलम यहीं पर समय बिताने के साधन होते थे अब बंद हो चुके हैं।
फोटो कैप्शन 4: चौपाल का रूप लिये बैठे युवा।

जोहड़ भरने की मांग

*******************************
*********************************
कनीना। बहुजन समाज पार्टी के नेता ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन से अटेली हलके के सूखे जोहड़ों को तत्काल नहरी पानी से भरवाने की मांग की है।
 अतरलाल ने कहा कि उन्हें विधानसभा क्षेत्र के गांव पाथेड़ा, अगिहार, खेड़ी, सेहलंग,नौताना, स्याणा, बाघोत, मुंडिया खेड़ा, दौंगड़ा जाट, दौंगड़ा अहीर, अटाली, सागरपुर, तिगरा, खोड़, छितरोली, झाड़ली, धनौन्दा, खरकड़ा बास, कैमला, उन्हानीए चेलावास, झिगावण, रामबास, इसराना, मोहनपुर, गुढ़ा, उच्चत, कोका, कपूरी, करीरा, कारिया, तलवाना, दुलोठ जाट, कटकई, पड़तल, भोजावास, ढाणा, मोड़ी, खैराणा, खैरानी, बोचडिय़ा, महासर, गढी रुथल, खारीवाड़ा, कांटीए बांस, खेड़ी, रामपुरा, नावदी, नीरपुर, सैदपुर पृथ्वीपुरा, राजपुरा आदि गांवों के ग्रामीणों से शिकायत मिली है कि उनके गांव के जोहड़ इस भयंकर गर्मी में सूखे पड़े हैं। कई गांवों में तो नहरी पानी पर आधारित जोहड़  तालाब भी सूखे पड़े हैं। परिणाम स्वरूप मवेशी, पशु ,पक्षियों को पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन से तत्काल जोहड़ों को नहरी पानी से भरने की मांग करते हुए उन जोहड़ों को भी पक्के खालें बनाकर नहरी पानी से भरने की मांग की, जो अब तक नहरी पानी से नहीं जोड़े गए हैं।


मार्केट कमेटी में पाए गोलमाल को लेकर हरियाणा के मुख्य प्रशासन ने कसा शिकंजा, कनीना के सचिव को किया निलंबित

**********************************
***************************************
कनीना। कनीना मंडी में अवैध रूप से सरकारी कैंटर में भर कर लाई गई सरसों के मामले को लेकर सरकार ने  शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।और कनीना मार्केट कमेटी के सचिव को तुरन्त प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार महेन्द्रगढ़ कृषि विपणन बोर्ड विभाग की शिकायत पर कनीना पुलिस ने देर रात को कनीना अनाज मंडी की मनीष ट्रेडिंग कंपनी, बोहरा जी ट्रेडिंग कंपनी दौंगड़ा अहीर, बालाजी इंटर प्राइजेज, शिव नरेश ट्रेडिंग फर्म सेहलंग, डिंपल ट्रेंडिंग फर्म सेहलंग के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है।
यहां गौरतलब है कि कनीना व इसके आसपास की विभिन्न फर्मों द्वारा अपनी गोलमाल की चर्चा जोरों पर रही जिसको लेकर सरकार द्वारा इसकी जांच हरियाणा के मुख्य प्रशासक डाक्टर डा जे गणेशन को दी गई जिसको लेकर उन्होंने दिवस जिले की विभिन्न मंडियों का जायजा लिया तथा जिन-जिन मंडियों में कमी पाई गई उनके सचिवों को तुरन्त प्रभाव से निलंबित करने के आदेश भी जारी कर दिये गये।
 वही इस आदेश के उपरांत क्षेत्र के समाजसेवियों एवं प्रबुद्ध लोगों ने हरियाणा के मुख्य प्रशासक डाक्टर जे गणेशन व हरियाणा सरकार का तहेदिल से धन्यवाद किया है। 



नरेश सिंह शेखावत को हाईकोर्ट के अटारनी जरनल की नियुक्ति पर खुशी जताई

**********************************









*******************************
कनीना। हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश सिंह शेखावत को हरियाणा सरकार द्वारा सीनियर अटारनी जरनल बनाए जाने पर क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। यहां गौरतलब है कि नरेश सिंह शेखावत वरिष्ठ अधिवक्ता रोहताश सिंह शेखावत के पुत्र है।

No comments: