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Tuesday, October 20, 2020

 

मंगलवार को खरीदा 197 किसानों का बाजरा

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-अब तक 1507 किसानों का 42709 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है
-5 ढेरियों का बाजरा नहीं खरीदा

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कनीना। मंगलवार को कनीना मंडी में 194 किसानों का बाजरा खरीदा गया। बुधवार को 200 किसानों का खरीदा जाएगा बाजरा। कनीना अनाज मंडी हैफेड खरीद एजेंसी की ओर से बाजरे की खरीद 20वें दिन भी जारी है। सोमवार को 197 किसानों का 2150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 6456 क्विंटल बाजरे की खरीद की गई है। किसानों की बार-बार मांग के चलते संख्या दोगुनी कर दी गई है कितु कनीना में सबसे अधिक खरीद होने के बावजूद भी जिले की मंडियों की अपेक्षा प्रतिदिन कम किसान बुलाये जा रहे हैं।
अब तक खरीद इस प्रकार रही-
कनीना अनाज मंडी में प्रथम अक्टूबर से खरीद शुरू हुई थी। आज तक तीन दिन कोई खरीद नहीं की गई है। 18 अक्टूबर तक प्रतिदिन एक सौ किसानों का शेड्यूल डाला जाता रहा है जो बढ़ाकर दो सौ कर दिया गया है किंतु जिले की अन्य मंडियों की तुलना में कम किसान बुलाये जा रहे हैं।
अब तक 1507 किसानों का 42709 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। 15 नवंबर अंतिम तिथि है।
10335 बैग उठान बाकी-
कनीना की अनाज मंडी में मंगलवार तक लगभग 10335 बैग का उठान बाकी था। मंगलवार को 11700 बैगों का उठान किया गया। अब तक 75083 बैग का उठान किया जा चुका है।
मंगलवार 200 किसानों का बाजरा खरीदा जाएगा-
हैफेड मैनेजर सतेंद्र सिंह यादव ने बताया कि मंगलवार को 200 किसानों का बाजरा खरीदा जाएगा। इससे किसानों को राहत मिलने के आसार हैं। 22 अक्टूबर को 200 तो 23 अक्टूबर को 201 किसानों के बाजरा बेचने के लिए शेड्यूल जारी हुआ है।
पांच ढेरियां रद्द की-
हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि निर्धारित मानदंडों को पूरा न कर पाने के चलते पांच ढेरियां रद्द कर दी गई है।
फोटो कैप्शन 09: कनीना मंडी में खरीद का नजारा।

कनीना मंडी में बाजरे की खरीद इस प्रकार हुई है-
                किसान      खरीदा बाजर
1 अक्टूबर    49 किसान    1437 क्विंटल
2 अक्टूबर     को कोई खरीद नहीं हुई
3 अक्टूबर     48 किसान   1549 क्विंटल
4 अक्टूबर     19 किसान     602 क्विंटल
5 अक्टूबर      21 किसान   608 क्विंटल  
6 अक्टूबर      102 किसान  3107 क्विंटल
7 अक्टूबर       55 किसान  1437 क्विंटल
8 अक्टूबर       102 किसान  2476 क्विंटल
9 अक्टूबर       114 किसान  3236 क्विंटल
10 अक्टूबर       खरीद नहीं हुई
11 अक्टूबर       खरीद नहीं हुई
12 अक्टूबर     114 किसान     3323 क्विंटल
13 अक्टूबर     132 किसान  3562 क्विंटल      
14 अक्टूबर     121 किसान   2935 क्विंटल      15 अक्टूबर     116 किसान   3194 क्विंटल
16 अक्टूबर      115 किसान 2939 क्विंटल
17 अक्टूबर       8 किसान    253 क्विंटल
18 अक्टूबर      कोई खरीद नहीं हुई
19 अक्टूबर      194 किसान  5600 क्विंटल
20 अक्टूबर       197 किसान 6456 क्विंटल

रैपिड टेस्ट में मिले कनीना के तीन संक्रमित
दादा पोता मिला संक्रमित
कनीना क्षेत्र में कुल मिले 5 संक्रमित 

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कनीना। कनीना क्षेत्र में पांच कोरोना संक्रमित  मिले हैं जिसमें रैपिड टीम ने कनीना के दो अलग अलग वार्डों में रैपिड एवं आरटीपीसीआर टेस्ट किये जिनमें तीन केस कोरोना संक्रमित  मिले हैं।
नारनौल से आई रैपिड टेस्ट टीम ने कनीना के वार्ड नंबर 12 और वार्ड नंबर 5 में दो प्रकार के टेस्ट किये। वार्ड नंबर 5 में 11 टेस्ट आरटीपीसीआ के किए उनकी रिपोर्ट आएगी किंतु वार्ड नंबर 12 में 11 रैपिड टेस्ट किए गए। जिनमें से तीन कोरोना पाए गए जबकि 15 टेस्ट आरटीपीसीआर के किए गए जिनकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। वहीं दूसरी तरफ गोमला गांव के दादा पोता संक्रमित  मिला है। इनके परिवार के छह सदस्यों ने एक साथ रविवार को  नागरिक अस्पताल में अपना कोरोना सैंपल जमा करवाया था। जिसमें दादा और पोते को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही थी। मंगलवार को इनकी रिपोर्ट पाजिटिव आ गई।
 विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ धर्मेंद्र यादव एसएमओ ने बताया कि नारनौल की टीम ने रैपिड टेस्ट किए है जहां पहले ही एक के संक्रमित  मिला था वहां तीन व्यक्ति एक ही परिवार के कोरोना वार्ड नंबर 12 से एक 45 वर्षीय महिला, एक 18 वर्षीय पुरुष, एक 13 वर्ष की लड़की कोरोना संक्रमित  पाई गई।
 डा धर्मेंद्र एसएमओ ने कहा कि कोरोना जल्द ही हार जाएगा और हमारी जीत होगी। उन्होंने कहा कि बस थोड़ी सी सावधानी की जरूरत है। अगर सभी अनलाक-4 के नियमों का पालन करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब कोरोना हार जाएगा। उन्होंने हाथों में ग्लव्ज, मुंह पर मास्क तथा सेनिटाइजर प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सावधानी बरतने से ही इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।
फोटो कैप्शन 8:कोरोना टेस्ट करती हुई रैपिड टीम।

2008 के बाद से सुपर फास्ट व एक्सप्रैस ट्रेनों के ठहराव को लेकर लगातार चली आ रही है मांग
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कनीना। खंड के लोग कनीना रेलवे स्टेशन पर सुपर फास्ट ट्रेनों का ठहराव करवाने के लिए आसपास क्षेत्र के लोग आए दिन मांग कर रहे हैं। पिछले दिनों कोटिया के पूर्व सरपंच रामकिशन यादव के नेतृत्व में स्टेशन मास्टर के माध्यम से रेलवे के उच्च अधिकारियों को ज्ञापन भेज कर मांग भी की थी। पूर्व सरपंच रामकिशन यादव, सुबेदार मनोज कुमार, लक्की सीगड़ा, राजेश, उमादत्त कौशिक, कर्मवीर, अनुज यादव, हरीश कुमार, प्रियंका वर्मा, पूजा आदि ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते ट्रेन बंद थी। जैसे ही अनलॉक 6 होने के बाद सादलपुर-महेंद्रगढ़-सराय रोहिल्ला, जोधपुर-दिल्ली सराय रोहिल्ला सुपर फास्ट ट्रेन का संचालन प्रारंभ हो गया है ।  बिकानेर मंडल द्वारा उक्त ट्रेन को लगभग 15 जगह ठहराव दिया गया है। कनीना रेलवे स्टेशन पर भी उक्त ट्रेन का ठहराव करवाने के लिए क्षेत्र के लोगों ने बिकानेर मंडल के प्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंप मांग की थी। बता दे कि कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों के ठहराव की मांग वर्ष 2008 के बाद से लगातार चली आ रही है। लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों ने उक्त समस्या का अभी तक कोई समाधान नहीं किया है। पूर्व सरपंच रामकिशन यादव, सुबेदार मनोज कुमार, लक्की सीगड़ा, राजेश, उमादत्त कौशिक, कर्मवीर अनुज यादव, हरीश कुमार, प्रियंका वर्मा, पूजा आदि ने बताया कि एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव कनीना रेलवे स्टेशन पर न होना बड़े दुख की बात है सैनिकों की खान कहे जाने वाले कनीना उपमंडल के सैनिकों व आमजन की इस बड़ी समस्या की तरफ सरकार लगातार अनदेखी कर रही है। सरकार की इस अनदेखी से सैनिक नाराज नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे इस मामले को लेकर कई बार सरकार के नुमाइंदे सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह व रेलवे के उच्च अधिकारियों को अपना मांग पत्र सौपकर अवगत करवा चुके हैं लेकिन केवल और केवल झुठा आश्वासन मिला है जबकि धरताल पर सरकार नकारा साबित हो रही हैं इससे इलाके की जनता में भारी रोष बढ़ता जा रहा है। सरकार को अविलम्भ इस ओर ध्यान देकर कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव करना चाहिए।
वर्ष 2008 से पूर्व सभी ट्रेनों का होता था ठहराव
कनीना खंड के अन्दर अनेकों ऐसे गांव है जिनमें से 50 प्रतिशत परिवारों के लोग आर्मी व अर्ध-सैनिक बलों में तैनात है। कनीना रेवले स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों का ठहराव न होने की वजह से इन सैनिकों को अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ से ट्रेनों को पकडऩा पड़ता है जिसके चलते इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 1935 में स्थापित कनीना खास रेलवे स्टेशन पर ब्रॉड गेज बनाने से पूर्व यहां से गुजरने वाली प्रत्येक ट्रेन का ठहराव था। किंतु वर्ष 2008 में ब्रॉडगेज बनने के बाद फास्ट एवं सुपरफास्ट ट्रेनों के ठहराव स्टेशन पर बंद कर दिया गया। इस रेलवे स्टेशन से होकर रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ के बीच करीब 32 ट्रेन रोज गुजरती हैं। जिनमें एक दिल्ली- सीकर एक्सप्रेस ट्रेन व 18 पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव है। कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सुपरफास्ट ट्रेने रूकवाने के लिए वर्ष 2008 से लगातार मांग चली आ रही है लेकिन इसका परिणाम शून्य ही रहा है। कनीना से करीब 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी रेलवे स्टेशन तो कनीना से 20 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पड़ता है। एक्सप्रेस ट्रेन पकडऩे के लिए लोगों को यहां से महेंद्रगढ़ या रेवाड़ी स्टेशनों में से किसी एक पर जाने को मजबूर होना पड़ता है।  
एक्सप्रैस ट्रेनों का ठहराव न होने से व्यापारियों को भी हो रहा है भारी नुकसान
कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों का ठहराव न होने की वजह से व्यापारियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बता दे कि 20 हजार के करीब आबादी वाली अकेली कनीना मंडी में 100 दुकाने तथा दर्जनभर सरकारी कार्यालय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक एवं मार्केट कमेटी, कनीना का सामान्य बस स्टैंड, नगरपालिका कनीना, बस स्टैंड पर 500 करीब पालिका की दुकानें, पंचायत समिति की दुकाने तथा निजी दुकाने है। जिनके व्यापारियों को अपने काम से दिल्ली जाने के लिए रेवाड़ी से गाडिय़ों को पकडऩा पड़ता है जिससे उनका समय तो खराब होता ही है साथ ही आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है।



1. लक्की सीगड़ा समाज सेवी

सैनिक बाहुल्य इस क्षेत्र में एक्सप्रेस गाडिय़ों का ठहराव नहीं होना क्षेत्रवासियों के लिए अपमान है। कनीना ख़ास स्टेशन के साथ लगभग का बीस हजार की आबादी का क्षेत्र जुड़ा हुआ हैं। कृषि प्रधान लोगो के साथ-साथ सैनिकों और व्यापारियों का आवागमन हमेशा होता रहता हैं। रेल मंत्रालय द्वारा जल्द से जल्द ट्रेनों के कनीना ख़ास स्टेशन पर ठहराव के आदेश देने चाहिए।



2. हरीश कुमार सुंदरह

मैं सुंदरह गांव का रहने वाला हूं। हमारे गांव में बहुत अधिक सैनिक है । सुपर फास्ट ट्रेन ना रुकने की वजह से सैनिकों को रेवाड़ी से ही ट्रेन बदलकर या बस के माध्यम से गांव तक आना पड़ता है जिसमें उनको बहुत अधिक परेशानी होती है। कनीना के आसपास क्षेत्र के विद्यार्थी दिल्ली यूनिवर्सिटी इत्यादि में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं । अगर सुपरफास्ट ट्रेन रुकने लग जाए तो उन सभी विद्यार्थियों को भी फायदा हो जाएगा। 




3. अनुज यादव गाहड़ा आसपास के क्षेत्र के व्यापारी दुकानदार दिल्ली से सामान लेकर आते हैं उनके मुख्य समस्या यह है कि दिल्ली से रेवाड़ी तक तो सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों में सामान लेकर आ जाते हैं लेकिन रेवाड़ी आकर उनको बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है अगर सुपर फास्ट ट्रेनों का ठहराव कनीना में हो जाता है तो इनको बहुत अधिक फायदा होगा ।  रेल प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए ।
4. प्रियंका वर्मा धनोंदा

कनीना क्षेत्र सैनिक बाहुबल क्षेत्र है। सैनिक जब छुट्टी पर आता है तो उसकी इच्छा होती है कि अपने गांव के पास वाले स्टेशन पर ही उतर कर अपने घर जाऊं, लेकिन सुपरफास्ट ट्रेनों का कनीना में ठहराव नहीं है। जबकि कनीना उपमंडल है तकरीबन 20 हजार आबादी वाला क्षेत्र है। कनीना में इन ट्रेनों का ठहराव नहीं है और सतनाली में इन ट्रेनों का ठहराव दिया जा रहा है। यह इलाके के साथ सौतेला व्यवहार हैं। बीकानेर मंडल को  इस पर ध्यान देना चाहिए और कनीना खास रेलवे स्टेशन पर भी ठहराव करना चाहिए।
देश व समाज हमें इतना कुछ देता है कि हम ताउम्र उसकी सेवा करें तो भी कम है। इसी सोच के साथ पिन्की यादव ने देश के सामने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान लॉकडाउन की स्थिति में भी कपड़े के मास्क सिलकर नि:शुल्क वितरण कर समाजसेवा एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।
महिला सशक्तिकरण और समाज सेवा के प्रति इसी समर्पण को देखते हुए अनेकों बार पिन्की यादव को संत नाम देव पब्लिक स्कूल नारनौल ,नेत्रहीन कन्या विद्यालय नारनौल,राजकीय महिला महाविद्यालय नारनौल,औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान डेरोली अहीर एवं रेवाड़ी,नवभारत फर्टिलाइजर ,टाटा मोटर्स नारनौल ,गौड़ ब्राह्मण सभा नारनौल,कबीरदास आश्रम नारनौल ,गाँधी हाई स्कूल नारनौल सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानों से भी नवाजा जा चुका हैं 7 हरियाणा केन्द्रीय विश्विद्यालय में बेस्ट खेल महिला सम्मान से नवाजा गया 7 इनके द्वारा समय-समय पर राष्ट्रीय स्तर पर कई युवा सम्मेलनों सहित अन्य सेमिनारों में भी भाग लेकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया हैं 7 वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टिट्यूट नॉएडा से भी ट्रेनिंग लेकर समाज सेवा में कार्य को आगे बढ़ा रही हैं 7

दो ट्रेन चली दोनों नहीं रुकती 

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 कनीना। कनीना खास नामक रेलवे स्टेशन परअनलाक के वक्त दो ट्रेन चलनी शुरू हुई हैं किंतु दोनों ही नहीं रुकती। कोरोना से पूर्व कनीना खास रेलवे स्टेशन पर कुछ ट्रेनों का अस्थाई ठहराव किया गया था किंतु वो ठहराव भी कोरोना की भेंट चढ़ गया था। वर्षों से यहां ट्रेन न रुकने की समस्या चली आ रही है। वहीं दूसरी ओर छोटे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुक जाती है और उपमंडल स्तरीय रेलवे स्टेशन पर कोई ठहराव न होने से परेशानी जस की तस रह जाती है।
व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उप प्रधान रविंद्र बंसल, मुकेश पार्षद, प्रहलाद पार्षद, मुकेश नंबरदार आदि ने बताया कि दुर्भाग्य कनीना खास के साथ ही रहा है। जहां कनीना खास रेलवे स्टेशन 20 हजार आबादी के कस्बे से बना सैनिक बाहुल्य सब-डिवीजन होते हुए भी हाल ही में दो ट्रेन जोधपुर- दिल्ली तथा बीकानेर- दिल्ली पुन: चलाई गई हैं किंतु इनका फायदा कनीना को नहीं हुआ।  उन्होंने कहा कि विगत इतिहास में हलका कनीना को तोड़ा जाना, जेबीटी को खत्म किया जाना कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव ने करना कनीना के साथ भेदभाव को इंगित करते हैं। यहां तक कि कनीना की पालिका को भी वर्ष 2000 में तोड़ दिया था और कनीना ग्राम पंचायत बनकार चुनाव करवा दिये थे। उनका कहना है कि कनीना में जहां नेताओं और मंत्रियों की फौजी दी है।  किसी जमाने में जहां पेप्सू रियासत के समय भी कनीना के सूबेदार ओंकार सिंह मंत्री होते थे, वही कनीना के राव दलीप सिंह मंत्री हुए हैं वहीं कर्नल राम सिंह भी कनीना से संबंध रखते थे। बनवारीलाल, सूबेदार लाल सिंह भी कनीना से विधायक रहे हैं। परंतु दुर्भाग्य है कि कनीना खास (1935) में रेलवे स्टेशन होते हुए भी कोई ट्रेन नहीं रुकती है। कहने को तो उपमंडल तो है परंतु सुविधाओं का टोटा है। ट्रेन पकडऩे के लिए भी कनीना वासियों को कम से कम 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।


रक्तदान से किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है- एडीसी अभिषेक मीणा 

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कनीना्र। युवा शक्ति संघ व ग्रामवासी दौंगड़ा अहीर के सहयोग से गांव के पहले सरपंच बलबीर सिंह महाशय की पुण्यतिथि पर श्याम मंदिर में रक्तदान कैंप का आयोजन किया गया। कैंप का उद्घाटन आईएएस अभिषेक मीणा एडीसी नारनौल ने किया। इस मौके पर उन्होंने रक्त दाताओं को बैज लगाकर उनका उत्साहवर्धन किया। इस मौके पर एडीसी अभिषेक मीणा ने कहा कि रक्तदान से किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है तथा किसी की पुण्यतिथि मनाने का इससे अच्छा शायद ही कोई तरीका हो सकता है । उन्होंने कहा कि रक्तदान में हर सेहतमंद युवा को अपना सहयोग देना चाहिए। उन्होंने इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि युवा वर्ग खेलों की तरफ ध्यान दें ताकि उनका शरीर तंदुरुस्त रहें और वह समाज सेवा के कार्य में अपना अहम योगदान दें। इस मौके पर बाबूलाल आर्य पूर्व मुख्यअध्यापक ने कहा कि रक्तदान के प्रति फैली हुई भ्रान्तियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। दुनियां की हर वस्तु का निर्माण फैक्ट्रियों में किया जा सकता है लेकिन रक्त का निर्माण जीवित व्यक्ति के शरीर में ही हो सकता है।
इस मौके पर इंजीनियर विकास यादव ने बलबीर सिंह महाश्य के जीवन का परिचय देते हुए बताया कि बचपन से ही वे तीव्र बुद्धि व मेहनती थे बचपन में ही महाशय महर्षि दयानंद की विचारधारा व वैदिक सिद्धांतों से प्रभावित हो गए थे। उन्होंने गौ रक्षा आंदोलन व हिंदी आंदोलन का नेतृत्व कर सबसे बड़े जत्थे के साथ आंदोलन में पहुंचे तथा कारावास भी गए। 1934 में गांव में आर्य समाज स्थापना के प्रमुख स्तंभ थे तथा इनमें उनका योगदान अभूतपूर्व रहा। हरियाणा के गांव की पहली पंचायत चुनाव में गांव के निर्विरोध सरपंच चुने गए तथा उन्होंने अपना कार्यकाल उस समय के नियम प्रावधान के तहत साफ-सुथरे ढंग से पूरा किया तथा वो 11 गांव की न्याय पंचायत के भी अध्यक्ष रहे। वे गायन कला में निपुण थे। शिक्षा के महत्व को पहचान गए थे। इस कारण गांव में व आसपास के गांव के स्कूल निर्माण के समय स्कूल भवन व उपदेशों के द्वारा इक_ा की गई धनराशि को स्कूल के निर्माण में सारी की सारी दान दी। उस समय समाज की सबसे बड़ी कुरीति मृत्यु भोज की थी। उन्हीं के प्रयासों से इस कृति पर गांव में पूर्ण रूप से प्रतिबंध किया जो कि आज यथावत लागू है। गांव में राज्य स्तरीय खेल अमीलाल मेमोरियल नामक टूर्नामेंट के समय में अपने भजनों व उपदेशों के माध्यम से प्राप्त धनराशि से वित्त प्रबंधन में भी उनका सहयोग रहा। युवाओं व बच्चों में वैदिक संस्कारों से प्रेरित करने में उनका विशेष रुझान था। गांव की भलाई व विकास कार्य में इनका विशेष योगदान रहा। इनकी पंचायत योजना को गांव के लोग आज भी याद करते हैं। 20 अक्टूबर 1981 में इनके हृदय गति रुकने से इनकी आकस्मिक मृत्यु हुई ।इनके जीवन से प्रेरणा लेकर आज का युवा वैदिक सिद्धांतों पर चलते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाने का प्रण लेते हैं। इस मौके पर युवा शक्ति संघ के बलजीत सिंह ने बताया कि रक्तदान कैंप में 50 युवाओं ने रक्तदान किया। इस दौरान बलजीत, वेदप्रकाशआर्य, दिनेश, विजय, पवन, आकाश, वीरेंद्र,मनोज,नीरज ,अनिकेत,कपिल, तुषार, संजय पंच, शिवम, दीप,रमेश कोबरा, विवेक, संदीप, दिनेश प्रजापत, गजेंद्र, पुनीत,अजय राजकुमार, रामानंद मास्टर ,ईश्वर सिंह ठेकेदार, हरिसिंह मास्टर, सोहनलाल बोहरा, सरपंच प्रतिनिधि होशियार सिंह, दिनेश पंच, मामन सिंह प्रधान, महेंद्र सिंह ठेकेदार, महेंद्र जेई, महिपाल मास्टर, शेर सिंह प्रधान सहित अनेकों लोग थे।
एडीसी अभिषेक मीणा रक्त दाताओं को बैज लगाकर सम्मानित करते हुए
देश व समाज हमें इतना कुछ देता है कि हम ताउम्र उसकी सेवा करें तो भी कम है। इसी सोच के साथ पिन्की यादव ने देश के सामने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान लॉकडाउन की स्थिति में भी कपड़े के मास्क सिलकर नि:शुल्क वितरण कर समाजसेवा एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।
फोटो कैप्शन 7: एडीसी अभिषेक मीणा रक्तदाताओं से हालचाल जानते हुये।


  कैश क्राप के रूप में गेंदा उगाकर कमा रहे लाभ
-त्योहारों पर रहती है बड़ी मांग  
 

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कनीना। कनीना खंड के कई गांवों के किसान फूलों की खेती करके लाखों रुपये प्रति एकड़ कमा रहे हैं। विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं होती। नवरात्रों के बाद अब दीपावली पर भारी मांग होगी।
  कनीना के गोमला, गोमली, रामबास,भोजावास, मोड़ी आदि गांवों के किसान कुछ वर्षों से गेंदा की खेती करते आ रहे हैं। करीब तीन माह की इस खेती में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है वहीं इस क्षेत्र में बेहतर पैदावार होती है। इस बार 120 रुपये प्रति क्विंटल भाव मिलने से किसान बेहद प्रसन्न हैं।
  किसानों ने बताया कि वे कई वर्षों से गेंदा उगाकर क्षेत्र को मुफ्त में खुशबू दे हैं तथा दिल्ली एवं गुडग़ांव जैसे शहरों में एक सौ रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं। उनका कहना है कि समीपी क्षेत्र में फूलों की मांग बहुत कम है और फूलों की मंडी का अभाव है। ऐसे में अधिक किराया वहन करके दिल्ली व गुडग़ांव जैसे शहरों में ही फूलों को ले जाया जाता है। किसान जयप्रकाश,सुरेंद्र, मुनीलाल, मनोज, सुमेर सिंह, कर्मवीर, जितेंद्र, महेंद्र ने बताया कि नवरात्रों में गेंदा के बेहतर भाव मिल रहे हैं जो पहले कभी नहीं मिले। दीपावली, जन्माष्टमी, नवरात्रों पर भारी मांग होती है। किसान सुरेंद्र  ने बताया कि विगत वर्ष दो कनाल में गेंदा उगाकर 29 हजार रुपये की आय हुई थी वहीं इस बार डेढ़ कनाल में गेंदा उगाया है।
   पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज का कहना है कि खरीफ फसल बतौर फूलों की खेती को कैश क्राप नाम से जाना जाता है जो 90 दिनों की ही फसल होती है। इस क्षेत्र की मिट्टी में बेहतर पैदावार होती है। यही कारण है कि क्षेत्र के कई गांवों के किसान अब परंपरागत खेती की बजाय कैश क्राप की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पर्वों पर विशेष मांग होती है। नवरात्रों पर फूलों की बेहतर मांग के बाद अब दीपावली पर्व पर भारी मांग होती है। उन्होंने कहा कि कनीना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी आदि में अगर फूलों की मंडी हो तो किसानों की रुचि इस ओर बढ़ सकती हैं। सरकार द्वारा सम्मानित किसान गजराज सिंह ने फूलों की खेती के लाभ बताते हुए इस पर दूसरी फसल आसानी से लेने की बात कही।   
फोटो कैप्शन 5 एवं 6: गेंदा की खेती।  

प्रतिदिन बेचने लगे हैं 200 किसान अपना बाजरा

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कनीना। किसानों की अधिक मांग के चलते कनीना मंडी में अब प्रतिदिन करीब 200 किसानों को बाजरा बेचने के लिए बुलाया जाने लगा है किंतु अभी भी किसान इस खरीद को ऊंट के मुंह में जीरा बता रहे हैं।  12725 किसान रजिस्टर्ड है जबकि हजारों किसान दूसरी मंडियों से भी आने की संभावना है।  200 किसान प्रतिदिन के हिसाब से भी सभी किसानों का बाजरा निर्धारित तिथि तक बिकने की उम्मीद नहीं है। खरीद की अंतिम तिथि 15 नवंबर है।
 किसान राजेंद्र सिंह, भूप सिंह, महेंद्र सिंह, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि वे अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं।
वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द किसानों को एक-एक बार बुलाया जाए।
जहां 19 अक्टूबर को 199 तो 20 अक्टूबर को 202 किसान बुलाये गये हैं वहीं 21 अक्टूबर को  200 वहीं 22 अक्टूबर को 200 तो 23 अक्टूबर को 201 किसानों के बाजरा बेचने के लिए शेड्यूल जारी हुआ है।
 क्या कहते कनीना मंडी के आढ़ती-
 कनीना मंडी के आढ़ती रविंद्र बंसल का कहना है कि जिन किसानों को बुलाया जाता है वे कम है, अधिक किसानों को प्रतिदिन बुलाया जाए क्योंकि कनीना मंडी शाम तक खाली हो जाती है। ऐसे में अधिक किसानों को बुलाया जा सकता है।
 उधर कनीना मार्केट कमेटी के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश लिसानिया का भी यही कहना है कि अधिक किसानों को बुलाया जाए तो किसानों को लाभ मिलेगा।
क्या कहते हैं हैफेड मैनेजर -
हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव का कहना है कि कनीना मंडी में 200 किसानों तक की भुलाया जा सकता है। अधिक किसानों को बुलाया जाएगा तो ढेरियां अधिक बड़ी हो जाएंगी जिन को संभाल पाना भी कठिन हो जाएगा। दूसरा खरीद केंद्र स्थापित होगा तब ही यह संभव हो पाएगा।
वैसे भी कनीना मंडी में आए दिन ढेरियां रिजेक्ट हो रही है जिनके पीछे कारण माना जाता है कि या तो बाजरा रंगहीन होता है या उनमें कीट लगे ेिमलते हैं उस पर बदबू आती है। इसलिए वह रिजेक्ट कर दिया जाता है
क्या कहते हैं किसान -
पोता गांव के शेर सिंह किसान ने बताया कि अब तक 20 दिन बाजरे की खरीद हो चुकी है किंतु केवल गांव से एक ही किसान का नंबर आया है जबकि सैकड़ों किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। उन्होंने खेद जताया कि सरसों बिक्री के समय भी उनका नंबर नहीं आया था। इसी प्रकार के किसान रमेश एवं दिनेश आदि ने बताया कि उनका भी बाजरा नहीं बिक रहा, सरसों में भी परेशानी हुई थी।
 

 

नमो देव्यै महा देव्यै.................
बचपन में पिता का साया उठा, मां ने खेती बाड़ी करके पाला, कर रही दीन दुखियों की सेवा

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कनीना। एक ओर समाज में कुछ लोग बेरोजगारी एवं असहाय की दुहाई देते हैं वहीं दूसरी ओर एसी महिलाएं भी हैं जिन्होंने कांटों का मुंह तोड़ एक सुंदर रास्ता बनाया है जिस पर हर कोई चलने का इच्छुक है। ऐसी शख्सियत पिंकी यादव है जिनके पिता का साया बचपन में छीन गया, मां ने खेती बाड़ी करके पढ़ा लिखाकर इस मुकाम तक पहुंचाया कि आज गरीबों की सेवा कर रही है सलाहकार का निर्वहन कर रही है।  
पिंकी यादव ने समाज के सामने समाजसेवा एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है। गांव सीगड़ा(महेन्द्रगढ़) हरियाणा की रहने वाली हैं। ऐसे लोग बिरले होते हैं जो सपने लेते ही नहीं अपितु पूरा भी करते हैं। एक साधारण परिवार में नारनौल में जन्मी पिंकी यादव 1993 को जन्मी। जब वो आठवी कक्षा में पढ़ रही थी तो उनके पिता रघुनाथ सिंह का साया सिर से उठ गया। तीन बहने व दो भाई असहाय हो गये जो कमाने लायक नहीं थे। चूंकि पिता का काम खेतीबाड़ी था ऐसे में उनकी माता सुरेश देवी जो महज दसवी कक्षा पास है ने स्वयं खेतीबाड़ी करके पूरे परिवार को पालना शुरू किया। 2006 में पिन्की के पिता की मृत्यु के बाद परिवार पर दु:ख का पहाड़ टूट पड़ा था लेकिन माता सुरेश देवी ने बुलंद हौसले के साथ बेटी पिंकी की परवरिश करने में कोई कमी नहीं छोड़ी और हर संभव विपरीत परिस्थितियों में बेटियों की शिक्षा पर बल देकर सफल बनाया।
पिंकी यादव की शुरुआती शिक्षा राजकीय प्राथमिक स्कूल खरखड़ी नारनौल से हुई। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से स्नातक की परीक्षा पास की और वर्ष 2017 में हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर की। इसके बाद गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार से परामर्श द्वारा व्यवहार परिवर्तन में परास्नातक डिप्लोमा इन बिहेवियर एंड काउंसलिंग मोडिफिकेशन किया। पिंकी यादव दो बार वर्ष 2015 व 2017 में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा के साथ-साथ वर्ष 2015 में ही केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा भी पास कर ली। दो बार वर्ष 2016 व 2017 में राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा भी पास कर चुकी हैं। इसके बाद राजकीय आईटीआई नारनौल में बतौर परामर्शदाता काम करके अपने भाइयों एवं बहनों को पढ़ाने में सहयोग किया। आज उनके भाई बहन अपने पैरों पर खड़े हैं।
पिंकी यादव की शादी एक साल पहले महेंद्रगढ़ जिला के गांव सीगड़ा निवासी लक्की सीगड़ा से हुई। इनके पति ने भी इनका पूरा सहयोग किया ताकि जनसेवा के ध्येय को पा सके।
समाज सेवा का रहा है जुनून-
चूंकि पिंकी विषम परिस्थितियों में पली एवं पढ़ी लिखी है जिसके चलते इनके मन में गरीब एवं असहाय की सेवा करने का जुनून कूट कूटकर भरा है। समाज हित के साथ-साथ  महिला सशक्तिकरण,खेल गतिविधियां,साहसिक कार्य,सामाजिक बुराइयों(कन्या भ्रूण हत्या,दहेज़ प्रथा ,बाल विवाह ,नशा -एक समस्या आदि) का उन्मूलन,सफाई अभियान ,सांस्कृतिक कार्यक्रम, झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना,नि:शुल्क सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण केन्द्र चलवाना,जीवन कौशल कार्यक्रम एवं जागरूकता शिविर जैसे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं सामाजिक कार्यों का आयोजन किए गए हैं। बेटियों के जन्म पर परिवार का सम्मान कर कुआं -पूजन कार्यक्रम का आयोजन करवाना,गांवों और कच्ची बस्तियों में जाकर जन समुदाय को बेटियों  के प्रति जागरूक किया। समय-समय पर बेटियों के लिए आत्मरक्षा शिविर के तहत  सैकड़ों लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाये हैं ।
बतौर परामर्शदाता पिंकी यादव ने बहुत से सेमिनारों में युवाओं की परामर्श कर कैरियर को सही दिशा प्रदान की हैं। झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले परिवारों की शिक्षा के प्रति मानसिकता को बदलकर उनके बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी प्रेरित किया हैं। लगभग 100  से अधिक परिवारों को बेटी जन्म कुआं पूजन कार्यक्रम के तहत सम्मानित भी कर चुकी हैं।
पिंकी अपनी मां एवं परिवार के साथ-साथ अपने पति के सहयोग से समाज सेवा के पथ पर निरंतर मंजिल की ओर अग्रसर है।
पिंकी यादव की भविष्य में महिलाओं को लघु उद्योग के प्रति जागरूक कर आत्मनिर्भर बनाना, सामाजिक बुराइयों दहेज प्रथा,बल विवाह ,नशा -एक समस्या को समाप्त करना आदि  इसी तरीके से समय-समय पर विभिन्न योजनाओं को चलाकर समाज को सही दिशा देने का प्रयास करने की योजना हैं।
देश व समाज हमें इतना कुछ देता है कि हम ताउम्र उसकी सेवा करें तो भी कम है। इसी सोच के साथ पिंकी यादव ने देश के सामने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान लाकडाउन की स्थिति में भी कपड़े के हजारों मास्क सिलकर नि:शुल्क वितरण कर समाजसेवा एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।
महिला सशक्तिकरण और समाज सेवा के प्रति इसी समर्पण को देखते हुए अनेकों बार पिंकीी यादव को संत नाम देव पब्लिक स्कूल नारनौल ,नेत्रहीन कन्या विद्यालय नारनौल,राजकीय महिला महाविद्यालय नारनौल, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान डेरोली अहीर एवं रेवाड़ी, नवभारत फर्टिलाइजर ,टाटा मोटर्स नारनौल ,गौड़ ब्राह्मण सभा नारनौल,कबीरदास आश्रम नारनौल ,गांधी हाई स्कूल नारनौल सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानों से भी नवाजा जा चुका हैं। हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बेस्ट खेल महिला सम्मान से नवाजा गया। इनके द्वारा समय-समय पर राष्ट्रीय स्तर पर कई युवा सम्मेलनों सहित अन्य सेमिनारों में भी भाग लेकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया हैं। वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टिट्यूट नोएडा से भी ट्रेनिंग लेकर समाज सेवा में कार्य को आगे बढ़ा रही हैं।
फोटो कैप्शन: पिंकी यादव
फोटो कैप्शन 4: पिंकी यादव अपने पति के साथ मिलकर कोरोना काल में खाद्य सामग्री वितरित करते हुए।


कोई प्रसिद्ध मिठाई बनाई जाए जिससे कनीना का नाम दूर-दराज तक रोशन हो एसडीएम 

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कनीना। कनीना के एसडीएम रणबीर सिंह ने जहां विभिन्न हलवाइयों, उप नागरिक अस्पताल अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की जिसमें दीपावली और विभिन्न पर्वों की दृष्टिगत बिकने वाली मिठाइयों के बारे में कुछ हिदायतें जारी की।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार महेंद्रगढ़ रसगुल्ले और जलेबी, गोहाना के जलेबे(बड़ी जलेबी) प्रसिद्ध है उसी प्रकार कनीना की कोई एक ऐसी मिठाई होनी चाहिए जिससे कनीना का नाम दूर तक जाये।  सुनिश्चित करें कि मिठाइयों की पैकिंग तिथि तथा खराब होने की तिथि अंकित करें ताकि खरीददार को सतमुचित जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि मिठाई खरीदने वाले को कोरोना के दृष्टिगत शारीरिक दूरी पर खड़ा किया जाए तथा उनका समस्त ब्यौरा भी लिखा जाए। उन्होंने कहा कच्ची एवं खराब मिठाई किसी हाल में न पैक  करें। अगर किसी प्रकार की कोताही बरती गई तो किसी हाल में नहीं बख्शा जाएगा।
 उपस्थित डा धर्मेंद्र एसएमओ को समय-समय पर जांच करते रहने की हिदायत दी ताकि खराब मिठाई से बीमार होने आदि से बचा जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि मिठाई बनाते समय बहुत सावधानी बरतें।
उन्होंने कहा कि हर हलवाई की पहचान उसकी मिठाई होती है।  कनीना की में इतने अधिक संख्या में हलवाई होते हुए भी कोई बेहतरीन मिठाई नहीं बनाई है जिससे कनीना का नाम रोशन हुआ हो।
उन्होंने कहा कि महंगी मिठाइयों के साथ डब्बा न तोला जाए तो उचित लगेगा। एक डब्बा 100 से 150 ग्राम तक का होता है।  इस मौके पर विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 1: एसडीएम कनीना रणबीर सिंह हलवाइयों एवं अधिकारियों को संबोधित करते हुए।



बैंक शाखा के समक्ष 11 बजे तक लगी भारी भीड़ 

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 कनीना। यहां के सामान्य बस स्टैंड समीप एसबीआई बैंक शाखा के समक्ष सुबह करीब 11 बजे तक भारी भीड़ रही। द्वार बंद रखा गया और बहुत कम लोगों को अंदर आने दिया गया जिसके चलते भारी भीड़ जमा हो गई।
तत्पश्चात  लोगों ने शोर-शराबा किया और तब जाकर द्वार खोला गया और सभी लोग अंदर जा पाये।
उल्लेखनीय की सोमवार की वजह से जहां बैंक से संबंधित कार्यों के लिए अधिक उपभोक्ता आते हैं किंतु मंगलवार को भी भीड़ रही। यही कारण है कि सुबह से ज्यादा भीड़ जमा हो गई और देखते देखते भीड़ ने शोर शराबा करना शुरू कर दिया।
उपस्थित लोगों में हरीश, अनुज यादव, सुशील, शमशेर, सुभाष, मंजीत, संतरा, मंजू, राजबाला, कांता आदि ने बताया कि करीब 1 घंटे से परेशान रहे हैं। जब कभी सोमवार आता है यहां भीड़ देखने को मिलती है, भीड़ के दृष्टिगत दरवाजे से बहुत कम लोगों का अंदर जाने दिया जाता है। यद्यपि अंदर ज्यादा भीड़ से समस्या तो पैदा होती है किंतु बाहर खड़े बुजुर्ग परेशान हो जाते हैं।
एसबीआई प्रमुख बैंक के जहां खजाने से संबंधित सभी कार्य संपन्न होते हैं। उपभोक्ताओं ने मांग की है कि यहां पर्याप्त बैठने, पानी आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई जाए। इस संबंध में बैंक के अधिकारियों से दूरभाष पर बात करने का प्रयास किया किंतु फोन का कोई उत्तर नहीं मिला।
फोटो कैप्शन दो: एसबीआई बैंक की शाखा के बाहर भीड़ का नजारा।

विधि विधान से होनी चाहिए स्कंदमाता की पूजा 

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कनीना। नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप की पूजा की जाती है जिसका नाम स्कंदमाता है। कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता का नाम दिया गया है भगवान स्कंद बाल बाल रूप में माता की गोद में विराजमान है। ये विचार खाटू श्याम मंदिर कनीना के पुजारी पंडित प्रदीप शास्त्री ने मंदिर में व्यक्त किये।
माता की पूजा कैसे करें-
सबसे पहले माता के लिए चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए इसके बाद शुद्धिकरण करने के लिए पंचगव्य तैयार करना चाहिए जिसके लिए हमें गोमूत्र गाय का गोबर गाय का घी गाय का दही गाय का दूध एक पात्र में एकत्रित करके पंचगव्य तैयार करें और उसे ग्रहण करें जिस स्थान में पूजा कर रहे उस स्थान में भी इसका छिड़काव करें और माता रानी के लिए चौकी के बगल में चांदी या मिट्टी के घड़े में जल भरकर कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद हमें मन में संकल्प लेना चाहिए कि है माता यथाशक्ति यथा भक्ति पूजा कर रहे हैं। जो हमारा सामर्थ है उस हिसाब से हम आपकी सेवा में हाजिर हुए हैं, अपना बालक मानकर हमें क्षमा करें। वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों के द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें माता का आवाहन करना चाहिए। जिसके लिए हमें आसन, आचमन,स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, बिल पत्र, दूर्वा, सिंदूर, आभूषण, पुष्प हरा पुष्प माता को प्रिय है। हरा पुष्प चढ़ाना चाहिए सुगंधित द्रव्य धूप में फल और माता से क्षमा याचना करनी चाहिए तत्पश्चात वितरण करके पूजा संपन्न करें पंचमी तिथि की अष्टधातु देवी स्कंदमाता हैं जिन व्यक्तियों को संतान का अभाव हो वे माता की पूजन अर्चन तथा मंत्र जाप कर लाभ उठाएं। स्कंदमाता संतान को प्राप्ति देने वाली हैं निश्चय ही स्कंदमाता की पूजा करने से हमारी मनोरथ सफल होती है।  माता को भोग एवं प्रसाद स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद गौ ब्राह्मण को देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। हमारे मन को शांति मिलती है और माता रानी अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं हमारे जीवन के सभी कष्टों को नाश करती हैं और हमारे परिवार का कल्याण करते हैं इसीलिए हमें स्कंदमाता की मन मानसिक शांत चित्त से स्थिर मन से माता की पूजा करनी चाहिए।
फोटो कैप्शन 3: मां की आराधना करता हुआ पुजारी पंडित प्रदीप शास्त्री।

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