दस डायरेक्टरों का चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न
-17 प्रत्याशी,5136 वोटर थे
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कनीना। कनीना प्राथमिक कृषि सहकारी समिति लिमिटेड कनीना की प्रबंधन कमेटी के चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो गये। शाम साढ़े छह बजे तक वोटों की गणना जारी रही। 36 प्रत्याशीयों ने नामांकन भरा था। नामांकन वापस लेने के बाद अब 17 प्रत्याशी मैदान में वोट के मैदान में रह गये थे। 3140 वोट पड़े। मतगणना सवा सात बजे शाम तक चलती रही।
विस्तृत जानकारी देते हुए एआर सुधीर अहलावत ने बताया कि मंगलवार को शाम 4 बजे तक मतदान चला। 12 गांवों से कुल 17 प्रत्याशी मैदान में है। जिनमें संतरा देवी इसराणा, अजीत कुमार ककराला, बाबूलाल सीहोर, दलीप सिंह गाहड़ा,मंजीता कनीना, धर्मपाल कोटिया, हरकेश इसराना, होशियार सिंह कनीना, जगदीश रामबास, काशीराम भडफ़, लीलाराम झाड़ली, मुनेश देवी सीहोर, राजेंद्र सिंह ककराला,सविता देवी कनीना, सुभाष शर्मा करीरा सोमबीर छितरोली हैं।
5136 वोटर थे-
मतदान के लिए कनीना की धर्मशाला निवास धर्मशाला में बूथ नंबर 1 बनाया गया था जहां 1211 वोटर थे वहीं गोविंद बाई धर्मशाला कनीना मंडी में बूथ नंबर दो जहां भडफ़, कोटिया करीरा कपूरी के वोटर ने अपना मतदान किया। यहां 1381 वोटर मतदान करेंगे। बिक्री केंद्र सीहोर में बूथ नंबर 3 बनाया गया है जहां सीहोर, छितरोली, गाहड़ा और झाड़ली के 1151 मतदाताओं ने अपना वोट डााला। बिक्री केंद्र ककराला बूथ नंबर 4 बनाया गया था जहां 1393 ककराला, रामबास, इसराणा के वोटर थे। उन्होंने बताया कि हरियाणा सहकारी समिति अधिनियम 1984 और रूल 1989 के अंतर्गत 2 महिलाएं एक अनुसूचित जाति एवं एक पिछड़ा वर्ग के लिए निदेशक मंडल में स्थान आरक्षित था। चुनाव निष्पक्ष रूप से करवाने के लिए चार बूथों पर चार चार चुनाव अधिकारी तैनात थे। हरियाणा सहकारी समिति अधिनियम 1984 और रूल 1989 के अंतर्गत 2 महिलाएं एक अनुसूचित जाति एवं एक पिछड़ा वर्ग के लिए निदेशक मंडल में स्थान आरक्षित रहेगा।
किसको कितने वोट मिले--
नाम वोट
संतरा देवी इसराणा 208
अजीत कुमार ककराला 232
बाबूलाल सीहोर 265
दलीप सिंह गाहड़ा, 06
मंजीता कनीना, 323
धर्मपाल कोटिया, 26
हरकेश इसराना, 05
होशियार सिंह कनीना, 347
जगदीश रामबास, 262
कुसुमलता भडफ़ 15
काशीराम भडफ़, 318
लीलाराम झाड़ली, 16
मुनेश देवी सीहोर, 99
राजेंद्र सिंह ककराला, 445
सविता देवी कनीना, 367
सुभाष शर्मा करीरा 31
सोमबीर छितरोली 109
फोटो कैप्शन 8 व 9: वोट डालते हुये वोटर।
10 एवं 11 जीत का जश्र मनाते हुए।
13 दिनों में 756 किसानों का 21331 क्विंटल बाजरा खरीदा
-तीन ढेरियां नमी एवं अन्य कमी के चलते नहीं खरीदी
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कनीना। कनीना अनाज मंडी हैफेड खरीद एजेंसी की ओर से बाजरे की खरीद जारी है। विगत 13 दिनों से खरीद जा रही है। मंगलवार को 132 किसानों की बाजरे की खरीद 2150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से की गई है। किसानों की बार-बार मांग उठ रही है कि बाजरा बेचने वाले किसानों की संख्या बढ़ाई जाए। विभिन्न अधिकारी समस्या को सुनने के लिए कनीना मंडी पहुंचे। नया खरीद केंद्र स्थापित करने के लिए मंगलवार को एसडीएम कनीना रणबीर सिंह, डीएम हैफेड पुनीत पंघाल, सचिव मार्केट कमेटी कनीना ओमप्रकाश जगलान एवं हैफेड मैनेजर सत्येंद्र यादव ने कनीना कालेज, गौशाला रोड़ तथा उन्हाणी कालेज सथलों का निरीक्षण किया।
कितनी हुई है कनीना में खरीद-
कनीना मंडी में बाजरे की खरीद इस प्रकार हुई है-
किसान खरीदा बाजर
1 अक्टूबर 49 किसान 1437 क्विंटल
2 अक्टूबर को कोई खरीद नहीं हुई
3 अक्टूबर 48 किसान 1549 क्विंटल
4 अक्टूबर 19 किसान 602 क्विंटल
5 अक्टूबर 21 किसान 608 क्विंटल
6 अक्टूबर 102 किसान 3107 क्विंटल
7 अक्टूबर 55 किसान 1437 क्विंटल
8 अक्टूबर 102 किसान 2476 क्विंटल
9 अक्टूबर 114 किसान 3236 क्विंटल
10 अक्टूबर खरीद नहीं हुई
11 अक्टूबर खरीद नहीं हुई
12 अक्टूबर 114 किसान 3323 क्विंटल
13 अक्टूबर 132 किसान 3562 क्विंटल
इस प्रकार 756 किसानों का 21331 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। अब तक 36729 बैगों का उठान किया जा चुका है जबकि जबकि सोमवार को 5933 बैग की मंडी से उठान की गई।
तीन ढेरियां नहीं खरीदी गई-
हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि कनीना में तीन ढेरियां निर्धारित मानदंडों पर खरी न उतर पाने के कारण उनकी बोली नहीं लगाई गई। उन्होंने किसानों से साफ सुथरा एवं निर्धारित नमी का बाजरा बाजार मे लाने की अपील की।
बुधवार को बेचेंगे 123 किसान बाजरा-
मैंनेजर ने बताया कि बुधवार को 123 किसान बाजरा बेचेंगे। उनका शेड्यूल जारी हो चुका है।
फोटो कैप्शन 8: बाजरे की खरीद करते अधिकारी।
डीएम हैफेड ने नये खरीद केंद्र की जगह का किया निरीक्षण
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कनीना। कनीना में बढ़ती हुई किसानों की मांग के दृष्टिगत एक और खरीद केंद्र के लिए जगह निर्धारित करने के लिए उच्च अधिकारियों की टीम ने दौरा किया और कनीना क्षेत्र के तीन अलग-अलग स्थानों का निरीक्षण किया। अभी किस स्थान पर दूसरा खरीद केंद्र स्थापित होगा निश्चित होना बाकी है।
मिली जानकारी अनुसार एसडीएम रणवीर सिंह, सीएम हैफेड पुनीत पंघाल, सचिव मार्केट कमेटी ओम प्रकाश जगलान, मैनेजर हैफेड सत्येंद्र यादव आदि ने कनीना कालेज, कनीना गौशाला रोड तथा उन्हाणी कालेज का निरीक्षण किया जहां खरीद की जा सकती है। एक नया केंद्र बनाया जाएगा। बार-बार उठी है मांग -
कनीना में बाजरा बेचने वाले किसानों की संख्या बढ़ाने को लेकर बार-बार मांग उठ रही है। सांसद चौधरी धर्मवीर के समक्ष भी गत दिनों मांग उठी वही अन्नदाता सहायक कमेटी ने भी यही मांग रखी थी। जब कोई भी अधिकारी यहां किसानों की समस्या सुनने के लिए आता है उनके समक्ष यही मांग रखी जा रही है जिसके चलते एक नये खरीद केंद्र के बनाए जाने की पूरी संभावना है।
जल्दी बन सकता है नया खरीद केंद्र -
नया खरीद केंद्र बहुत जल्दी बन सकता है। सभी अधिकारियों ने तीनों स्थलों का निरीक्षण किया है तथा अभी अंतिम रिपोर्ट देनी बाकी है कि कौन से स्थान पर खरीद संभव है। उस स्थान पर भी खरीद का कार्य चलेगा।
इस प्रकार से हो सकती है समस्या हल-
यदि नया खरीद केंद्र स्थापित हो जाता है तो किसानों की बाजरे बेचने की समस्या हज हो सकती है क्योंकि जिस मंथर गति से बाजरा बिक रहा है उस गति से सभी किसानों का एक बार भी नंबर 15 नवंबर तक नहीं आता नजर आ रहा है। फोटो कैप्शन 7 एवं 8: उच्च अधिकारी नयेखरीद केंद्र की जगह का निरीक्षण करते हुए
नहीं बनाया गया नहर का पुल
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कनीना। कनीना से चरखी दादरी मार्ग पुन: निर्मित कर दिया है किंतु पिछले 6 महीने से धनौंदा के पास नहर का पुल ठीक करने की बार-बार मांग चल रही किंतु पुल पर न तो सड़क बनाई नई और न समाधान किया गया। गड्ढे होने की वजह से अब तक यहां 4 दुर्घटनाएं घट चुकी हैं। बार-बार प्रशासन से मांग करने के बाद भी पुल के पास ऊपर करीब 200 मीटर दूरी की सड़क अधूरी छोड़ रखी है।
कनीना से करीब 5 किलोमीटर दूर बस स्टैंड से थोड़ा पहले बड़ी नहर गुजरती है। जिस पर बनाया गया पुल अति जर्जर है। पुल से दादरी को सड़क जाती किंतु इस पुल पर कोई नई सड़क निर्मित नहीं की गई है। विगत समय में सड़क का निर्माण किया गया था किंतु उसे भी पुल पर छोड़ दिया गया। जिसकी वजह से यहां आए दिन दुर्घटनाएं घट रही है।
यहां से गुजरने वाले विजय पाल सिंह, दिनेश कुमार, राजवीर सिंह, देशराज आदि ने बताया कि उनके लिए बड़ी समस्या बनी हुई है। जिस गति से गाड़ी चल रही होती है, अचानक ब्रेक लेने पड़ते हैं और कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है।
जर्जर है पुल -
बड़ी नहर के ऊपर से गुजरने वाली सड़क पर गड्ढे बने हुए हैं और जर्जर है। यहां बारिश का पानी कई कई दिन नहीं सूखता है। यह समस्या आज की नई लंबे समय से चली आ रही है।
धनौंदा के सरपंच रुपेंद्र सिंह ने भी इस पुल को निर्मित ना किए जाने पर रोष जताया है और उन्होंने कहा कि वे उच्च अधिकारियों से इस संबंध में बात करेंगे। करीब एक दर्जन गांवों के लोग इधर से गुजरते हैं।
घट चुकी अब तक 4 दुर्घटनाएं -
यहां 4 दुर्घटनाएं अलग-अलग समय घटित हो चुकी है। इसमें से एक की मौत भी हो चुकी है बार-बार मांग की जा रही है कि इस पुल के ऊपर सड़क निर्मित की जाए किंतु इस सड़क का निर्माण अधर में लटका हुआ है। लोग बेहद परेशान हैं।
फोटो कैप्शन 6: धनौंदा नहर पर कच्ची सड़क
बुजुर्गों के पद चिन्हों पर चल रहा है युवा वर्ग -कर रहे हैं वृक्षारोपण
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कनीना। एक और जहां वृक्ष माफिया गिरोह बड़े-बड़े पेड़ों को खरीद कर उखाडऩे में तल्लीन है यही कारण है कि जाटी,नीम,कीकर आदि के बड़े पेड़ लगभग समाप्त होते जा रहे हैं। कुछ लोग वृक्षमित्र की भूमिका निभाते हुए पौधारापण में अहम भूमिका अदा कर गये हैं। उनमें से कुछ स्वर्ग सिधार गए हैं किंतु आज भी उनके लगाए हुए पेड़ पौधों आज भी उनकी याद दिलाते हैं। कुछ वृक्ष मित्र उनके पद चिन्हों पर चल रहे हैं और वृक्षों को बढ़ावा दे रहे हैं।
कनीना और आसपास के करीब आधा दर्जन वृक्ष मित्र आज भी इन पेड़ों की देखरेख कर रहे और नए पेड़ पौधे लगाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
उन्हाणी गांव के दीपचंद पहलवान और कनीना के मंगल सिंह दोनों आज स्वर्ग सिधार चुके लेकिन इन्होंने जितने पीपल, बरगद, नीम, कीकर,लेहसुआ, बेलपत्र आदि लगाए उतने आज की पीढ़ी नहीं लगा पाएगी। दीपचंद पहलवान जो कनीना के राजकीय स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बतौर 31 दिसंबर 1099 को सेवानिवृत्त हुए। अविवाहित दीपचंद ने कनीना स्कूल, कनीना कालेज, शमशान घाट, जोहड़ पर पीपल, बरगद, जामुन, लेहसुवा, नीम एवं
गुल्लर आदि कितने पेड़ लगाए। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना का परिसर आज वृक्षों से आच्छादित, छायादार और रमणीक नजर आता है। दूर दराज से पानी लाकर पौधों के सींचते थे। उनके द्वारा लगाया हुआ एक बरगद का पेड़ 8 चक्रों में विभाजित है। कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जाते यह वृक्ष दिखाई देता है जो पहलवान ने लगाया था। उनके द्वारा एक हजार के करीब पेड़ पौधे आज भी विभिन्न क्षेत्रों में विशालकाय बने हुये हैं।
कनीना के मंगल सिंह, कनीना के नगर पालिका में कार्यरत होते थे। नगर पालिका में वर्ष 2003 तक कार्यरत रहे और 2011 में इनकी मौत हो गई थी। इनके द्वारा जोहड़ कलरवाली, पीपल वाली बणी, होली वाला जोहड़ तथा विभिन्न स्थानों पर पीपल बरगद, गुल्लर के सैकड़ों पेड़ लगाए।आज भी वह पेड़ उनकी याद दिला रहे हैं। बहुत से पेड़ तो टूट कर गिर गये हैं।
उन्हाणी के निवासी जगमाल आज भी जीवित हैं। इन्होंने अपने हाथों से पानी नहर द्वारा का पानी लाकर आम, अमरूद, केला, जामुन आदि से हरी भरी आच्छादित वाटिका तैयार की थी। कनीना से महेंद्रगढ़ जाते समय उन्हाणी नहर के पास यह वाटिका मन मोह लेती थी। इसको देख कर गर्मीमें जन आराम करते थे। आज वे 95 वर्ष की उम्र में चारपाई पर है और चलने फिरने में असमर्थ है। ये किसी जमाने में एक अच्छे कारीगर होते थे इनके द्वारा कनीना एवं आस पास बहुत से भवनों का निर्माण किया गया था किंतु बाद में पेड़ पौधे लगाकर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उधर कनीना के रवींद्र यादव राजस्थान में मुख्य शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुये हैं जिन्होंने रोड़वाल में 250, बिरनवास में 200, माजरा में 150, ढीकवाड़ में 250 पौधे लगाकर हरा भरा क्षेत्र बनाने में कसर नहीं छोड़ी है। सेवानिवृति के बाद वे अपने उन्हाणी गांव के पास स्थित खेत पर ही रहते हैं। उन्होंने 300 पौधे किन्नू के तथा 250 पौधे छायादार लगा रखे हैं जिनकी वो स्वयं ही देखभाल कर रहे हैं।
राजेंद्र सिंह कनीना निवासी जिन्होंने राष्ट्रपति को अभयारण्य अपनी भूमि पर खोलने की भी मांग की थी किंतु उनकी मांग सिरे नहीं चढ़ पाई है। यह जंगली पेड़ पौधों की देखरेख में नाम है वहीं आम बाड़ करेले, जामुन आदि सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं और अभी भी जीव जंतु एवं पेड़ पौधों की सुरक्षा के लिए जाने जाते हैं। इनके भाई सूबे सिंह भी उनके पद चिन्हों पर ही चल रहे हैं।
मनोज कुमार मेघनवास ने टीम बना लगभग 150 स्थानों पर लगवाए हैं। वे लगभग हजारों पौधे लगाए हैं। उनका लक्ष्य हर वर्ष लगभग 2000 लगाने का है। उनके लगाये हुये हजारों पौधे पेड़ बनने की ओर अग्रसर है। बतौर शिक्षक वे मेघनवास ,डुलाना, चितलांग, देवास,भांडौर ऊंची,सुरजनवास,भालखी, मुडायन,मन्दोला,धवाना,भालखी माजरा,पाली,जांट,मालडा,सीसोठ,रिवासा, पालड़ी,जांजडियास,खातौदडा,कुरावटा, बलाना,खैरोली, झूक, माजरा,सीगडा,खायरा,खुडाना,,बैरावास, ककराला, अधिकतर पौधे नीम,बढ़, पीपल, पापड़ी,सीसम, छायादार वृक्ष लगा चुके हैं।
कनीना के पोहप सिंह अपने चाचा मंगल सिंह के पद चिन्हों पर चले चलते जा सैकड़ों बड़ेपेड़ पौधे लगाए हैं किंतु अपने चाचा का मुकाबला ये नहीं कर पा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 5: दीपचंद पहलवानों उन्हाणी द्वारा लगाया हुआ विशालकाय बरगद का पौधा जो कनीना की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में खड़ा है साथ में दीपचंद पहलवान,जगमाल सिंह, मंगल सिंह, मनोज कुमार, पोहप सिंह,राजेंद्र सिंह, रविंद्र कुमार की फोटो।
कनीना क्षेत्र में मिले 6 संक्रमित
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कनीना। कोरोना का कहर दिन-प्रतिदिन बढ़ता हुआ जा रहा है। कनीना शहर से लेकर गांव ढाणियों तक इसका कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है । मंगलवार को कनीना क्षेत्र में 6 व्यक्ति संक्रमित मिले हैं। उप नागरिक अस्पताल के सुनील ने जानकारी देते हुए बताया कि कनीना क्षेत्र में 6 व्यक्ति संक्रमित मिले हैं। जिसमें कनीना के वार्ड नंबर 7 से तीन व्यक्ति संक्रमित मिले हैं। यह तीनों व्यक्ति पहले से संक्रमित आए व्यक्ति के संपर्क में आए थे। जिसकी वजह से इन्होंने अपना सैंपल उप नागरिक अस्पताल में जमा कराया था । जिनकी रिपोर्ट मंगलवार को पाजिटिव आ गई। गुढा गांव में रहने वाले तीन व्यक्ति संक्रमित मिले ये तीनों पहले संक्रमित आए व्यक्ति के संपर्क में आए थे। इन तीनों ने भी सैंपल पिछले दिनों सैंपल जमा करवाया था। जिनकी रिपोर्ट मंगलवार को पाजिटिव आ गई। एसएमओ डॉ धर्मेंद्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि जब तक कोई दवाई नहीं आई है तब तक मास्क ही इसकी वैक्सीन है । मास्क लगाकर रहे सोशल डिस्टेंस बना कर रहे बार-बार आप हाथ धोते रहें।
प्रतिदिन किया जाता है ओपीडी को सेनिटाइज
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कनीना। कोविड-19 के दृष्टिगत सभी सावधानियां यहां के उप नागरिक अप्ताल में बरती जा रही है। कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में सभी कक्षों और ओपीडी को प्रतिदिन सेनीटाइज किया जाता है। प्रतिदिन करीब 125 ओपीडी में मरीज आते हैं जिसके चलते नियमों का पालन तो किया ही जाता है वही प्रतिदिन सेनिटाइजर भी किया जाता है। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में जगदीश कुमार प्रतिदिन सेनिटाइज करते हैं। सोडियम हाइपोक्लोराइड द्वारा ेसेनिटाइज का कार्य किया जाता है।
डा धर्मेंद्र एसएमओ ने बताया कि कोरोना-19 के दृष्टिगत हर सावधानी बरती जा रही है। रोगों से बचने के लिए सभी को हिदायत दी गई है। थर्मल स्कैनिंग करके ही अस्पताल में अंदर आने दिया जाता है वही मरीजों को एक निश्चित द्वार से ही बाहर निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि मास्क पहनना बहुत जरूरी कर रखा है। सावधानी नहीं बरतेंगे तो रोग को रोकना कठिन होगा। उन्होंने पूर्ण रूप से सावधानी बरतने की हिदायत लोगों को दी ताकि रोग पर काबू पाया जा सके। उन्होंने कहा कि रोग पर जीत निश्चित है। सावधानी से काम ले।
उनके अनुसार प्रतिदिन हाथों की सफाई ,मुंह पर मास्क प्रयोग करें, हो सके तो घर से बाहर नहीं निकले। जरूरी हो तो ऐतिहात के नियमों का पालन करते हुए फिजिकल डिस्टेंस बनाकर जाए।
फोटो कैप्शन 1: जगदीश कुमार ओपीडी का सेनीटाइज करते हुए।
सरसों की बिजाई में जोर शोर से लगे किसान
-किसान अच्छे बीज एवं खादों की मांग बढ़ी
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कनीना। यद्यपि दिन का ताप अभी घटा नहीं है किंतु किसान आखिरकार सरसों की बिजाई में लग गए हैं। कई दिनों से इंतजार कर रहे थे किंतु मौसम में मामूली सा बदलाव आया। वैसे भी 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच सरसों बिजाई का उचित समय माना जाता है। किसान बाजरे की पैदावार लेने के पश्चात से खेत की तैयारी, डीएपी खाद बोने के कार्य में लगे हुए थे किंतु क्षेत्र में तापमान फिर भी कम नहीं हुआ जिसके चलते आखिरकार किसानों ने बीजाई शुरू कर दी है।
सरसों की बिजाई इस बार अधिक क्षेत्रफल पर होने की उम्मीद है। यही कारण है कि अभी से ही बीजाई में लग गए हैं। मौसम बदलने पर ताप कम हो सकता है जो सरसों की बिजाई के लिए फायदेमंद हो सकता है किंतु अधिक ताप सरसों की फसल के लिए नुकसानदायक है।
किसान सुनील कुमार, अजीत कुमार, अरविंद सिंह, दिनेश कुमार, भूपेंद्र सिंह आदि ने बताया कि उन्होंने तो सरसों की बिजाई शुरू कर दी है 600 से 700 प्रति हेक्टेयर की बिजाई का चार्ज लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले खाद की बिजाई की थी। सरसों की बिजाई शुरू कर दी है ।गेहूं की बिजाई नवंबर में की जाएगी। किसान त्वरित गति से खेतों में सरसों की उन्नत किस्में उगाने लग गए।
कृषि विशेषज्ञ डा देवराज ने बताया की मौसम विभाग जल्द ही मौसम परिवर्तन की बात कह रहा है। यदि आकाश में बादल छाते हैं तो ताप डाउन होगा और तापमान कम होने से सरसों की बीजाई के लिए लाभ होगा। उन्होंने कहा अभी तक तो दिन का तापमान अधिक है जो फसल के लिए उचित नहीं है उन्होंने कहा कि अभी तो अधिक संख्या में किसान बिजाई में नई लगे हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि एक-दो रोज और इंतजार करें ताकि तापमान घट जाए और तुरंत प्रभाव से बिजाई कर दे। प्रतिवर्ष इसी प्रकार की घटना देखने को मिलती है जब बीजाई के वक्त ताप अधिक होता है और सरसों में धोलिया रोग लग जाता है।
क्या कहते हैं खाद बीज विक्रेता-
खाद एवं बीज विक्रेता महेश कुमार, बिजेंद्र सिंह, महेश कुमार आदि ने बताया कि उनके पास खाद की कोई कमी नहीं है वहीं बीजों की बिक्री भी बढ़ी है। किसान सरकारी खाद केंद्रों की ओर अधिक जाते हैं।
फोटो कैप्शन 2 एवं 3: सरसों की बिजाई करता हुआ किसान
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