कक्षा 6 में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन मांगे
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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ की एकमात्र जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में कक्षा छठी में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य सुरेश कुमार ने बताया कि अभ्यर्थी एक मई 2008 से 30 अप्रैल 2012 के बीच जन्मा हो तथा किसी भी सरकारी या गैर सरकारी स्कूल में कक्षा 5वीं में अध्ययनरत हो। उन्होंने बताया कि अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2020 रखी गई है। इसके लिए जिले के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर 10 अप्रैल 2021 परीक्षा आयोजित की जाएगी।
फोन पर धमकी देने और फिरौती मांगने की शिकायत दर्ज करवाई
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कनीना। कनीना खंड के गांव गाहड़ा निवासी सज्जन सिंह ने कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है कि उन्हें फोन पर धमकियां मिल रही और पांच लाख रुपये की फिरौती मांगता है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सज्जन सिंह ने पुलिस में शिकायत में कहा गया है कि फोन कि मेरे पास दो फोन है और दोनों फोन नंबरों पर दो अलग-अलग फोन नंबरों से व्हाट्सअप 17 अक्टूबर से आ रहा है जिसमें वह धमकी देते हैं कि 2 दिन के अंदर अंदर उसे जिंदा जला देंगे। जिस प्रकार महेंद्रगढ़ में बरेजा गाड़ी जलाई उसी प्रकार तुझे भी जला देंगे, फोन पर धमकी देता है कि चमार तेरी कोई औकात नहीं है। इस प्रकार जाति सूचक शब्द प्रयोग करता है। अपने आप को राजपूत बताता है। उन्होंने अपने परिवार की रक्षा के लिए मामला दर्ज करने की मांग की जिस पर कनीना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सज्जन सिंह ने बताया कि अब दो की बजाय चार फोन नंबरों से व्हाट्सअप काल एवं संदेश आ रहे हैं जिनमें से सभी को ब्लाक कर दिया गया है। धमकियों का स्क्रीन शाट लेकर पुलिस में भेज दिया है। पुलिस ने शिकायत पर 384/506/3-एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
गरीब एवं होनहार विद्यार्थियों के लिए साबित होगा माडल स्कूल वरदान- सीताराम यादव
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कनीना। कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना को माडल संस्कृति स्कूल का दर्जा देने के लिए भरसक प्रयास किया है। इसके लिए उच्च अधिकारियों से बार-बार संपर्क किया तब जाकर कनीना के स्कूल को माडल संस्कृति का दर्जा दिया है। वैसे भी लोगों की बेहद मांग थी। ये विचार विधायक सीताराम अटेली कनीना के राजकीय वरिष्ठ माडल संस्कृति स्कूल का दर्जा देने के उपरांत उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि आप गरीब एवं विशेषकर जो निजी स्कूलों में फीस नहीं दे पाते वे इस विद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करके और अपना भविष्य संवार सकेें। उन्होंने सभी अभिभावकों और उपस्थित लोगों को कहा कि अब समय आ गया है अधिक से अधिक विद्यार्थियों को इस विद्यालय में प्रवेश दिलाए तथा अपने बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाएं। उन्होंने कहा कि आज का युग स्पर्धा का युग है और स्पर्धात्मक युग में जो बेहतरीन शिक्षा दे पाता है वह स्कूल नाम कमाता है। इस विद्यालय का नाम पहले भी बेहतरीन स्कूलों में रहा है। ऐसे में इस विद्यालय को माडल संस्कृति का दर्जा दिया गया है।
इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल सुनील दत्त यादव ने कहा कि यह विद्यालय उन विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन विद्यालय साबित होगा जो मामूली सी फीस देकर अंग्रेजी माध्यम बेहतरीन शिक्षा पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इइस विद्यालय में अच्छे-अच्छे शिक्षकों को लाया जाएगा जो गरीब तबके के होनहार विद्यार्थियों को भविष्य बेहतर बना सकेंगे। इस मौके पर डीपीसी रेवाड़ी डा राजेंद्र सिंह ने कहा कि यद्यपि वे दूसरे जिले से संबंध रखते लेकिन यहां का स्टाफ आज भी मुझे उतना ही पसंद करता है क्योंकि पहले खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी रह चुका हूं। उन्होंने उन्हें याद करने पर सभी अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर उपस्थित अधिकारियों का शाल ओढ़ाकर स्कूल की ओर से सम्मान दिया गया। वहीं अमरजीत मोहनपुर कंप्यूटर शिक्षक को खेलों में विद्यार्थियों को उपलब्धियां दिलवाने के लिए मंच से सम्मानित किया गया। अमृतलाल ने भजन सुनाकर मन मोह लिया। इस अवसर पर
इस मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त यादव, डा राजेंद्र सिंह यादव डीपीसी रेवाड़ी, बीइओ कनीना सत्यवान सिंह, सतीश जेलदार पालिका प्रधान, पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा, मा दलीप सिंह, प्राचार्य लाल सिंह, पंकज कुमार मुख्याध्यापक, रमन शास्त्री, बाबूलाल प्रधान, मदनलाल शास्त्री आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 6: सीताराम संबोधित करते हुए फोटो कैप्शन 7:उपस्थित विभिन्न अधिकारी
8: माडल संस्कृति स्कूल का उद्घाटन करते सीताराम यादव विधायक अटेली।
स्कूलों में विधि विधान से करवाया जाता है प्रवेश
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कनीना। अनलाक के चलते जहां सरकारी स्कूलों में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी स्कूलों में आ रहे हैं किंतु उन्हें विधि विधान से स्कूल में प्रवेश करने दिया जाता है। विभिन्न शिक्षक मौजूद रहकर ताप आदि नोट करते हैं। अभी तो उनकी रोग संबंधित जानकारी भी पूछ कर लिखनी होती है। सक्षम एप के जरिए उच्च अधिकारियों को यह सूचना भी दी जाती है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा के प्राचार्य कृष्ण सिंह ने बताया कि विद्यार्थी स्कूल के द्वार पर आते हैं तो द्वार पर मौजूद शिक्षक थर्मल स्कैंनिंग करते हैं तथा उनका तापा दिन नोट करके तभी स्कूल के अंदर प्रवेश करवाया जाता है। मुख्याध्यापक महिपाल सिंह, अध्यापिका लक्ष्मी यादव, डीपी शिक्षिका प्रीति यादव, शिक्षक महिपाल सिंह, प्राध्यापिका नीलम ने बताया कि हर दिन इसी विधि से स्कूल में उसने दिया जाता है ताकि कोरोना से बचा जा सके।
इसी प्रकार सभी स्कूलों में विद्यार्थियों को स्कूल में आने दिया जाता है ताकि वे अपनी समस्या हलवा करवा सके।
फोटो कैप्शन 9:राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में थर्मल स्कैंनिंग करते शिक्षक।
नहीं फेंकना चाहिए उगाए हुए जौ एवं गेहूं
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कनीना। नवरात्रि चल रहे हैं। नवरात्रों पर जहां जौ और गेहूं आदि उगाने की एक प्रथा है। करीब 9 दिनों में ये गेहूं और जौ बड़े हो जाते हैं जिन्हें पानी में बहा दिया जाता है। यद्यपि पानी में बहाने से जहां जल दूषित होता है वहीं अनेक विद्वान मानते हैं कि बहाने नहीं चाहिए। इनका उपयोग करना चाहिए। ये अनेक रोगो में काम आते हैं।
मांगेराम शर्मा प्रसिद्ध योगी है जिन्होंने क्षेत्र में हजारों लोगों को अपनी योग एवं जड़ी बूटियों से ठीक किया है, का कहना है कि ये जौ तथा गेहूं जब आठ दिन बाद काटे जाए तो इनसे जवारे रस प्राप्त किया जा सकता है। इसमें क्लोरोफिल आयोडीन, सेलेनियम, आयरन, विटामिन आदि अनेक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए लाभप्रद है। इसलिए नवरात्रि संपन्न किए जाए इन का ऊपरी भाग काट कर पानी में मिलाकर जरूर व्रत खोलना चाहिए जिससे शरीर लंबे समय तक स्वस्थ रहेगा। उनका कहना है कि जहां करीब 350 के करीब बीमारियां ठीक हो जाती है वही कैंसर में भी लाभप्रद है। दांतों से खून आना, दांतो की समस्या को दूर करने के लिए जवारे रस पी लेना चाहिए।
करीरा के बाल किशन और श्रीकिशन वैद्य
का कहना है कि जवारे रस पीने से लाभ होते हैं इसलिए इनमें बुढ़ापा रोकने, वजन घटाने में काम में लेते हैं वहीं रक्तचाप घटाने, हृदयघात की समस्या में जवारे रस लाभप्रद है। उनका कहना है कि नवरात्रों में जो गेहूं और जौ बड़े हो जाते हैं उनका सेवन किया जा सकता है। इससे दोहरा लाभ होगा। एक तो घर में उगाए हुए जौ एवं गेहूं से जवारे रस तैयार हो सकता है वहीं इनको अनावश्यक रूप से पानी में फेंकने से प्रदूषण बढ़ता है।
फोटो कैप्शन 10:नवरात्रों में घरो में पैदा जवारा
कंजकों को कराया गया भोजन, ढूंढते रहे लड़कियों को
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कनीना। दुर्गा अष्टमी पर कंजकों को भोजन कराया और उन्हें दान पुण्य किया। शनिवार वं रविवार को भी कराया जाएगा भोजन। दोपहर तक कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला जारी रहा। यही नहीं अपितु कुत्तों एवं कौवों ने भी जी भर के भोजन किया। एक-एक लड़की को दो तीन जगह भोजन करना पड़ा।
गुरुवार से कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला जारी है। दुर्गा सप्तमी से सिलसिला शुरू हुआ था और दुर्गा नवमी रविवार को भी जारी रहेगा। वैसे तो कंजकों की कमी रही वहीं उन्हें जबरन खाना खाना पड़ा। पूरे वर्ष यूं तो भ्रूण हत्या की सूचनाएं मिलती रहती हैं किंतु इस दिन ही लड़कियों की मांग रहती है।
नवरात्रों के आठवें दिन मंदिरों में पूजा अर्चना का जोर रहा वहीं मां की कढ़ाई की गई। विभिन्न मंदिरों में रौनक देखने को मिली। रविवार को क्षेत्र में नवरात्रे पूर्ण होने जा रहे हैं। विभिन्न स्थानों पर हवन, कढ़ाई, भजन एवं सत्संग होते रहे। नवरात्रों के अंतिम दिन तो कन्याओं को स्कूलों से, घुमंतू जाति की बस्ती से लाया जाएगा और खाना खिलाने की औपचारिकताएं पूर्ण की जाएगी। कहीं हलवा पूड़ी तो कहीं फास्ट फूड खिलाए गए।
समय के साथ बदल गया कंजकों को हलवा पूड़ी------
इस हाइटेक युग में जहां खानपान में तीव्र गति से बदलाव आ रहा है वहीं नवरात्रों में कंजकों को खाना खिलाने में भी बदलाव आ गया है। हलवा पुड़ी की बजाय उन्हें फास्ट फूड खिलाकर प्रसन्न किया जाता है।
हाइटेक युग में जहां हलवा पुड़ी एवं शुद्ध देशी घी से बनी वस्तुओं से इंसान का मोह भंग हो रहा है। नवरात्रों पर कंजकों को भी अब फास्ट फूड खिलाकर प्रसन्न किया जाता है। एक एक कंजक को कई कई जगह खाना पड़ता है। बेचारे कंजक मीठा हलवा पूड़ी, खा खाकर, तंग आ चुके होते हैं और वे फास्ट फूड खाने की चाहत रखते हैं। अब तो लोग भी हाइटेक हो गए हैं। तैयार फास्ट फूड खिलाएं जाते हैं जिनको वे खाकर प्रसन्न रहते हैं। कुरकुरे, लेज, ठंडा आदि खिलाकर बच्चों को प्रसन्न किया जाता है। बच्चे भी इन चीजों को खाकर प्रसन्न होते हैं और यहां तक कि उनको भेंट में मिले पैसों से भी वे फास्ट फूड अधिक खाते हैं। अब तो घर घर में फास्ट फूड खिलाने का प्रचलन बढ़ गया है।
फोटो कैप्शन 5: कंजकों को भोजन कराते हुए।
26 तक कर सकते हैं आवेदन
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कनीना। अब कालेजों में 26 अक्टूबर तक स्नातक स्तर के प्रवेश के लिए आवेदन किया जा सकता है। यह जानकारी देते हुए राजकीय महिला महाविद्यालय उन्हाणी के प्राचार्य विक्रम सिंह ने बताया कि अभी भी 26 अक्टूबर तक आवेदन किया जा सकता है। 28 तारीख को उनकी सूची जारी हो जाएगी। 28 के बाद वे विद्यार्थी भी आवेदन कर सकते जिन्होंने आवेदन नहीं किया या कोई विद्यार्थी अपना प्रवेश रद्द करवा कर दूसरे कालेज में प्रवेश लेना चाहता है तो भी कर सकता है।
उन्होंने बताया कि स्नातक द्वितीय और तृतीय वर्ष की फीस भरने की तिथि घोषित हो गई है। 26 से 28 अक्टूबर तक स्नातक द्वितीय स्तर की फीस भरी जा सकती है जबकि तृतीय स्तर की फीस 29 31 अक्टूबर तक भरी जा सकती है। फीस केवल आनलाइन भरी जाएगी। उन्होंने कहा कि 2 नवंबर से कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। अभी तक कालेज खुले हैं किंतु कक्षाएं विधिवत रूप से 2 नवंबर से शुरू हो जाएंगी।
गोल्डन स्टार फुटबाल क्लब के अध्यक्ष मास्टर देशराज का निधन
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कनीना। खंड ग्राम खेड़ी के गोल्डन स्टार क्लब के अध्यक्ष मास्टर देशराज का निधन हो गया। 70 वर्षीय फास्ट देशराज अपने पीछे एक लड़का और 4 लड़कियां छोड़ गए हैं। 1951 में जन्में मास्टर देशराज राजस्थान में 1980 में शिक्षक बतौर नियुक्त हुए थे। 2011 में उनकी सेवानिवृत्ति बतौर प्रधान शिक्षक हुई थी। वे विगत 25 सालों से गोल्डन स्टार फुटबाल क्लब खेड़ी के अध्यक्ष रहे हैं। आजीवन भर गोल्डन स्टार क्लब के अध्यक्ष मनोनीत किया गया था। गोल्डन स्टार क्लब हर वर्ष फुटबाल प्रतियोगिता आयोजित होती है जिसमें खेल आयोजित करवाते हैं जो देश भर में प्रसिद्ध है। उनकी अंत्येष्टि में जसमेर सिंह कोच, कै. सुरजीत सिंह, सुंदर सिंह ठेकेदार,राजकुमार लाटा,सूबे सिंह सरपंच,पूर्व सरपंच धर्मपाल सिंह आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन: मास्टर देशराज
देशराज बने मंडल महामंत्री
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कनीना। कनीना के देशराज को भाजपा मंडल महामंत्री बनने पर खुशी की लहर है। लोगों ने मिठाई बांट कर बधाई दी।
इस मौके पर देशराज ने पार्टी के शीर्ष नेताओं का धन्यवाद किया और कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेवारी उन्हें सौंपी है उसे मैं पूरी जिम्मेवारी व निष्ठा से निभाऊंगा। इस मौके पर महेश बोहरा ने का कि देशराज को सही जिम्मेदारी सौंपी है। वे अति कर्मठ व्यक्ति है।
इस मौके पर चेयरमैन राजकुमार कनीनवाल, मोहन सिंह पार्षद, कमल पार्षद, महेश बोहरा, सुमेर चेयरमैन, मास्टर कृष्ण, अभिषेक भारद्वाज,सोनू सिंगला, हिमांशु, डाक्टर विनोद और अनेकों पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे।
फोटो कैप्शन: देशराज कनीना।
नमो देव्यै,महादेव्यै
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एक किसान की बेटी कर रही है एमबीबीएस -अपने बलबूते पर पहुंची इस मुकाम तक
-नहीं भूली है घास काटकर पशुओं को चराना
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कनीना। हरियाणा में जहां बेटियों को गर्भ में ही मारा जा रहा है वही बेटी आज किस क्षेत्र में कम नहीं है। कनीना की एक बेटी रीतिका जिन्होंने अपने माता-पिता की सेवा की, घर का काम करवाया, चारा खेत से लाकर पशुओं को चारा चराया, दूध दोहने में मदद की, खेत में फव्वारा सेट आदि बदलने तथा सभी कृषि कार्यों में अपने पिता और माता की मदद करने के पश्चात नीट की परीक्षा पास कर एमबीबीएस कर रही है। जिसने उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा मारा है बेटियों को लिखाते पढ़ाते नहीं।
अपने बल पर पहुंची इस मुकाम तक- रितिका अपने बल पर इस मकान तक पहुंची है। कनीना में एक नंबर 1998 को जन्मी पिता दिनेश कुमार महज दसवीं पास है जबकि उनकी मां मंजू पांचवीं कक्षा पास है। एमबीबीएस तक अपनी बच्ची को पहुंचाना बहुत कठिन काम था। किंतु बच्ची ने घर का काम करने के अतिरिक्त देर रात तक पढ़कर इस मुकाम तक पहुंच सिद्ध कर दिया कि मेहनत कभी असफल नहीं जाती है। पहली से पांचवीं कक्षा एसएनडी आदर्श स्कूल से पास करने के बाद कक्षा 6 से 12 तक की परीक्षा आरआरसीएम कनीना में पास की। अपनी मेहनत के बल पर इस मुकाम तक पहुंच गई है कि आज हर कोई उनकी प्रशंसा करने में जुटा हुआ है।
अब भी जब घर आती है तो पहले उन पशुओं की ओर दौड़ती है जिनकी सेवा करते हुए इस मुकाम तक पहुंची। तत्पश्चात अपने माता-पिता के खेत में अब भी कार्य करवाती है जिसे देखकर नहीं लगता कि यह एमबीबीएस की छात्रा है जो इतना छोटा काम माना जाने वाला काम भी कर सकती है।
कनीना के एक किसान की बेटी रीतिका वर्तमान में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। अब तक को खेतों में दरांती और बाकड़ी चलाती थी किंतु अब वे अपनी मेहनत के बल पर एमबीबीएस की शिक्षा पा रही है और आपरेशन करने की तैयारी में जुटी हुई है। वे अपनी मेहनत के बल पर इस मुकाम तक पहुंची है। पीजीआई रोहतक में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है।
उनके पिता दिनेश कुमार दएक सामान्य किसान है और सारा खर्चा खेती से ही निकाल रहे हैं जबकि उनकी मां मंजू एक गृहणी है जो अधिक पढ़ी लिखी है दोनों ही माता तथा पिता बहुत कम पढ़े लिखे लेकिन उनकी पुत्री ने नाम रोशन किया है और डाक्टरी की पढ़ाई कर रही है। वे दसवीं कक्षा से बुद्धिमान विद्यार्थियों में से एक थी। उन्होंने दसवीं की परीक्षा आरआरसीएम से दस सीजीपीए प्राप्त करके पास की और अपने विद्यालय में टापर रही थी। 10 + 2 की परीक्षा भी आरआरसीएम से 95 फीसदी अंकों से पास की थी। उनकी मेहनत पर सभी को नाज है। तत्पश्चात उन्होंने ओबीसी आल इंडिया एमबीबीएस के लिए 938वां रेंक प्राप्त किया था जबकि पीजीआई रोहतक में 13वां रैंक प्राप्त किया और आजकल रोहतक एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। उन्हें अपने माता पिता पर गर्व है जो किसान होकर भी अपनी पुत्री को इस मुकाम तक ले गए। माता पिता को अपनी पुत्री पर नाज है। उनके पिता दिनेश कुमार ने बताया कि घर पर भी जहां लावणी का काम, चारा डालना, झाड़ू पोछा लगाना आदि में जितनी तन्मयता से काम करत थी उतनी ही पढ़ाई में ध्यान लगाती थी। देर रात तक अध्ययन करती थी जिसके चलते वह आज एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। उन्होंने क्षेत्र का उन्होंने नाम रोशन किया है
फोटो कैप्शन नदी का फोटो कैप्शन दो खेत में फव्वारा उठाते हुए फोटो कैप्शन तीन कपास चुनते हुए रितिका फाइल फोटो
नमो देव्यै,महादेव्यै
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यदि इच्छाशक्ति हो तो आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता
-स्टेट अवार्डी नाम से जानते हैं प्रमिला को
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कनीना। यदि दिल में कर गुजरने की क्षमता हो और इच्छाशक्ति हो तो आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता। यह कहावत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बूचावास में कार्यरत जेबीटी शिक्षिका प्रमिला पर लागू होती है। जिन्होंने 5 सितंबर 2019 को हरियाणा राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा गया है।
9 फरवरी 1979 को दिल्ली में जन्मी तथा कनीना खंड के गांव गुढ़ा में कुलदीप कुमार से विवाहिता प्रमिला ने अपनी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की तथा वहीं से बीएससी की डिग्री हासिल की। तत्पश्चात शादी होने के बाद जेबीटी की परीक्षा डाइट महेंद्रगढ़ से पास करके, वर्ष 2000 में बतौर जेबीटी राजकीय प्राथमिक पाठशाला गुढ़ा में शिक्षण कार्य शुरू किया। दिल्ली में उनके पिता ओमप्रकाश फर्नीचर बनाने का काम करते हैं तथा मां सितारा देवी शिक्षिका पद से सेवानिवृत्त हो चुकी है। प्रमिला के दो भाई दोनों शिक्षक हैं वही दो भाभियां हैं जो शिक्षिकाएं हैं। ऐसे में उनका परिवार शिक्षक समाज से जुड़ा हुआ है।
वर्ष 1997 में उनकी गुढ़ा में शादी हुई। उन्हें ससुराल में भी सहयोगी प्रवृत्ति का परिवार मिला। ससुर ओम प्रकाश अति सहयोगी प्रवृत्ति के होने के चलते उन्होंने जेबीटी में प्रवेश पा लिया किंतु उनकी सास एवं दादा ससुर(ससुर के पिता) बीमार होने के कारण वे 2 माह तक जेबीटी कालेज नहीं जा सकी जिसके कारण नाम काटने की नौबत आ गई थी। क्योंकि एक तरफ अपने दादा ससुर की देखभाल उन्हीं को करनी पड़ती थी वही अपनी सास की भी सेवा करनी पड़ती थी। एक दिन जब डाइट प्राचार्य ने उन्हें बुलाकर सख्त हिदायत दी कि तुम्हारा नाम काट दिया जाएगा तो आंखों में आंसू भरकर प्रमिला ने एक ही जवाब दिया कि पढ़ाई तो दोबारा प्रवेश करके वह पा सकती है किंतु सास और दादा ससुर को फिर से नहीं पा सकेगी। उनके इस सेवाभाव को सुनकर डाइट प्राचार्य के भी आंखों में आंसू आ गए तथा उनका पूरा सहयोग करने का वचन दिया। उनके दादा ससुर एवं सास स्वर्ग सिधार गए। उनका परिवार अधिक बड़ा न होने के कारण जिम्मेदारियां अधिक नहीं थी लेकिन वे वह पढ़ाई से पीछे नहीं हटी। तत्पश्चात उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा भी पास की।
वर्ष 2018 में जब स्टेट अवार्ड दिए गए अखबार में प्रकाशित शिक्षकों को सम्मान पाते हुए उसकी भी प्रबल इच्छा हुई कि वह भी सम्मान पाएगी। बस यही दृढ़ इच्छा उन्हें स्टेट अवार्ड की ओर ले गई और वर्ष 2019 में उन्होंने प्रथम प्रयास स्टेट अवार्ड के लिए आवेदन किया और वे पूर्ण सफल हो गई। राज्यपाल एवं शिक्षा मंत्री के हाथों से उन्हें स्टेट अवार्ड (शिक्षक राज्य शिक्षक) पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो बहुत कम शिक्षकों को ही मिल पाता है। वे बताती है कि जब वे बूचावास शिक्षिका बतौर कार्यरत थी तो संगीता प्राचार्या डाइट उनकी कक्षा में आ पहुंची। उस दिन वे अवकाश पर थी किंतु कक्षा को देखकर संगीता प्राचार्या बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने बार-बार उनकी कक्षा की प्रशंसा की। बताती है कि गरीब बेसहारा माता-पिता रहित बच्चों की वे मदद करती है किंतु किसी को यहां तक कि अपने पति को भी नहीं बताती है। उनके एक पुत्र और एक पुत्री कालेजी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अपने समय की अच्छी कबड्डी खिलाड़ी थी और उन्हें वर्ष 1995
तत्कालीन शिक्षा मंत्री दिल्ली ने सम्मानित भी किया। उन्हें याद है जब वे दिल्ली में पढ़ती थी दौड़ में 10 विद्यार्थियों का विशेष नाम आया जिनमें उन्हें पांच सौ रुपये का नकद पुरस्कार मिला था जिसे आज तक नहीं भूल पाई है। कर्मठ और उदार दिली होने के चलते वे इस मुकाम पर है कि लोग उन्हें स्टेट आवार्डी के नाम से जानते हैं।
फोटो कैप्शन 3:स्टेट अवार्ड लेते हुए तथा प्रमिला फाइल फोटो साथ में पासपोर्ट फोटो
विधि विधान से करनी चाहिए सिद्धिदात्री की पूजा-प्रदीप शास्त्री
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कनीना। मां सिद्धिदात्री नवरात्रि तिथि महानवमी के नाम से प्रसिद्ध है। महानवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप की पूजा मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधि विधान से की जाती है। विस्तृत जानकारी देते हुये कनीना खाटू श्याम मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप शास्त्री ने कहा कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को कार्य की सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही शौक रोग एवं भय से मुक्ति मिलती है। देव गंधर्व सूर्य शादी भी सिद्धियों को प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की आराधना करते माता सिद्धिदात्री हर मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं। देवों के देव महादेव भी इनकी पूजा करते हैं। शीतकालीन नवरात्रि शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सिद्धिदात्री मां की पूजा की विधि-
माता सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान और सिंह की सवारी करने वाली मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं में गदा चक्र कमल का फूल शंख धारण करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मांड के आरंभ में सर्वशक्तिमान देवी आदि पराशक्ति भगवान शिव के शरीर के बाएं भाग जाती का रूप में प्रकट हुई थी। मां सिद्धिदात्री की होने वाली पूजा से व्यक्ति को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती है। मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए अपने समस्त शो करो एवं भय से मुक्त प्राप्त कर सकते हैं। मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि देवों के देव महादेव जब तारक मंत्र देते हैं तो मासिक जाति का मतदान करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करती हैं। माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों के लिए आशीर्वाद प्रदान करती हैं महा नवमी के दिन प्रात: काल में स्नान आदि से निर्मित हो जाए। इसके पश्चात मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजन करें जिसमें उनको पुष्प अक्षत सिंदूर धूप फल आदि समर्पित करें। षोडशोपचार पूजा करें, आज के दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाले अनहोनी से आपका बचाव होगा मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। इनकी पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होगा प्रात: काल उठकर माता सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अनिवार्य है। मां दुर्गा को मीठा हलवा, खीर, मालपुआ, नारियल मिष्ठान बहुत अच्छी है। नवरात्रि में उनको इन सामग्रियों का भोग लगाना चाहिए। माता रानी को सभी प्रकार का हलवा पसंद है। छोले का भोग लगाना चाहिए। आरती के पश्चात महानवमी को भी लोग कन्या पूजा करते हैं। कन्याओं को माता दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना गया है। कन्या पूजन के लिए आप कन्याओं को अपने यहां आमंत्रित करें उनके आगमन पर उनका चरण धोकर स्वागत करें और वंदना करें और श्रद्धा पूर्वक आसन पर बैठाये। अब उनको अक्षत पुष्प आदि से पूजन करें और तिलक करें। आरती उतारे इसके पश्चात उनको घर पर बने पकवान भोजन कराएं ।भोजन होने के बाद उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें तथा दान दक्षिणा देकर उन्हें खुशी खुशी विदा करें माता रानी ऐसा करने से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं और अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इसलिए सभी भक्तों को माता रानी की आराधना बड़े प्रेम और स्नेह के साथ करनी चाहिए। वन वांछित फल देने वाली जो हमारे मन में है वह सिर्फ माता ही जान सकती है और माता हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण करती हैं।
फोटो कैप्शन प्रदीप शास्त्री
हवन से होती है मनोकामनाएं पूर्ण-प्रवेश पंडित
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कनीना। कनीना बाबा मोलडऩाथ आश्रम परिसर स्थित माता मंदिर में दुर्गा अष्टमी के दिन जा विशाल हवन आयोजित किया गया वहीं भंडारे का आयोजन भी किया गया। हवन उपरांत माता का प्रसाद वितरित किया गया।
इस मौके पर हवन यजमान पंकज एडवोकेट सपत्नी तथा हरीश कुमार सपत्नी थे। पंडित प्रवेश शर्मा ने हवन विधि विधान से आयोजित करवाया।
उन्होंने हवन के विषय में कहा कि हवन पुण्य का कार्य होता है। वैसे तो माता के नवरात्रे करना पुण्य का कार्य होता है किंतु हवन इसकी महत्ता को बढ़ा देता है। माता की विधि विधान से 8 दिनों से पूजा-अर्चना चल रही है, तत्पश्चात यह प्रसाद वितरित किया गया है जो अपने आप में सर्वश्रेष्ठ कार्य होता है। उन्होंने कहा कि हवन से सभी प्रकार के पाप नाश दूर होते हैं। ऐसे में हमें समय-समय पर हवन करवाते रहना चाहिए। प्रवेश पंडित ने कहा कि हवन से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राजा महाराजा भी बड़े-बड़े हवन करवाते आए हैं। यहां तक कि विभिन्न पर्वों, उत्सवों पर हवन करवाए जाते हैं। हमारी सभ्यता में हवन का एक विशेष महत्व है, इसलिए हवन जरूर करवाने चाहिए।
इस मौके पर मंदिर संरक्षक संजीत कुमार,दिनेश कुमार, प्रकाश, सुरेंद्र, मुकेश शर्मा, रमेश कुमार, अतर सिंह साहब, अनिल कुमार आदि उपस्थित थे। सभी ने हवन में पूर्ण आहुति दी।
फोटो कैप्शन एक: हवन कराते हुए प्रवेश पंडित।
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