29 दिन में दो खरीद केंद्रों पर 4577 किसानों से 136044 क्विंटल खरीदा बाजरा
कनीना। कनीना अनाज मंडी में तथा श्रीकृष्ण गौशाला केंद्र पर बाजरे की खरीद जारी है। श्रीकृष्ण गौशाला पर खरीद का गुरुवार को तीसरा दिन था जबकि कनीना अनाज मंडी में बाजरे की खरीद का 29वां दिन था। अब तक 4577 किसानों का 1,36,044 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। गुरुवार को दोनों खरीद केंद्रों पर 469 किसानों ने 14247 क्विंटल बाजरा बेचा। दिन भर में दोनों खरीद केंद्रों से 4775 बैग बाजरे का उठान किया गया और अब तक 2,27,077 बैंग बाजरे का उठान किया जा चुका है।
गुरुवार तक फड़ों पर 45,011 बैग बाजरा पड़ा हुआ है। मानदंडों को पूरा न करने पर 4 ढेरियां रिजेक्ट कर दी गई।
कनीना में 29 दिनों में बाजरे की खरीद इस प्रकार हुई------
किसान खरीदा बाजर
1 अक्टूबर 49 किसान 1437 क्विंटल
2 अक्टूबर को कोई खरीद नहीं हुई
3 अक्टूबर 48 किसान 1549 क्विंटल
4 अक्टूबर 19 किसान 602 क्विंटल
5 अक्टूबर 21 किसान 608 क्विंटल
6 अक्टूबर 102 किसान 3107 क्विंटल
7 अक्टूबर 55 किसान 1437 क्विंटल
8 अक्टूबर 102 किसान 2476 क्विंटल
9 अक्टूबर 114 किसान 3236 क्विंटल
10 अक्टूबर खरीद नहीं हुई
11 अक्टूबर खरीद नहीं हुई
12 अक्टूबर 114 किसान 3323 क्विंटल
13 अक्टूबर 132 किसान 3562 क्विंटल
14 अक्टूबर 121 किसान 2935 क्विंटल
15 अक्टूबर 116 किसान 3194 क्विंटल
16 अक्टूबर 115 किसान 2939 क्विंटल
17 अक्टूबर 8 किसान 253 क्विंटल
18 अक्टूबर कोई खरीद नहीं हुई
19 अक्टूबर 194 किसान 5600 क्विंटल
20 अक्टूबर 197 किसान 6456 क्विंटल
21 अक्टूबर 190 किसान 5918 क्विंटल
22 अक्टूबर 301 किसान 9600 क्विंटल
23 अक्टूबर 382 किसान 10806 क्विंटल
24 अक्टूबर 425 किसान 19297 क्विंटल
25 अक्टूबर कोई खरीद नहीं हुई
26 अक्टूबर 370 किसान 12887 क्विंटल
27 अक्टूबर 309 किसान 8250 क्विंटल
28 अक्टूबर 395 किसान 12180 क्विंटल
29 अक्टूबर 350 किसान 10850 क्विंटल
कनीना मंडी में 20 दिनों में 4243 किसानों से 126268 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है।
कनीना का श्रीकृष्ण गौशाला केंद्र पर खरीद इस प्रकार रही- यह केंद्र 27 अक्टूबर से शुरू हुआ है-
27 अक्टूबर 95 किसान 2649 क्विंटल
28 अक्टूबर 120 किसान 3730 क्विंटल
29 अक्टूबर 119 किसान 3397 क्विंटल श्रीकृष्ण गौशाला मार्ग पर तीन दिनों में 334 किसानों से 3397 क्विंटल बाजरा खरीदा गया है।
अनाज मंडी में लगने लगे बाजरे के ढेर
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कनीना। उठान का कार्य धीमा चलने के कारण अनाज मंडी में बाजरे के ढेर लगने लगे हैं। आढ़तियों ने जहां मार्केट कमेटी सचिव तथा खरीद एजेंसियां फिर को भी पत्र लिखकर इस संबंध में हिदायत दी है।
कनीना व्यापार मंडल के प्रधान रविंद्र बंसल तथा ओमप्रकाश लिसानिया ने बताया कि अकेले उनके हर पर 3000 से अधिक बाजरे के बैग पड़े हुए हैं। यदि उठान नहीं होगा तो जगह अभाव में आगामी खरीद नहीं की जा सकेगी जिससे उनका काम ठप हो जाएगा। उधर उनका कहना है कि गौशाला रोड पर भी जहां बाजरे के बैग पड़े हुए हैं वहीं कनीना मंडी में ढेर लग गए हैं। अब बाजरे का उठान कर रोहतक भेजा जा रहा है। पानीपत का गोदान में बाजरा पहुंचाने की तैयारियां हो चुकी है।
उधर आढ़ती ओमप्रकाश लिसानियां ने बताया कि वर्तमान अनाज मंडी की हालात के बारे में उनकी बात सीताराम यादव विधायक से भी हो चुकी है। उन्होंने भी समस्या को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस संबंध में जिला उपायुक्त से बात की है।
क्या कहते हैं हैफेड मैनेजर-
हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव से इस संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि कनीना अनाज मंडी में उठान प्रभावित हो रहा है। करीब 20 हजार बैग फड़ों पर पर पड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हाणी सेंटर पर बाजरे का स्टोर पूरा होने के कारण अब बाजरा रोहतक के लिए जा रहा है। उन्होंने ट्रांसपोर्ट ठेकेदार को भी पत्र लिखकर अधिक गाडिय़ां जुटाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पानीपत में जल्द ही नया गोदान( स्टोर) स्थापित हो रहा है। तत्पश्चात बाजरा पानीपत ले जाएगा। उन्होंने बताया कि ट्रांसपोर्ट के अभाव के चलते उठान प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि वैसे तो आढ़तियों को इस प्रकार की स्थिति में चट्टे लगाने की हिदायत दी हुई है। लेकिन बाजरे के चट्टे नहीं लगवाए जा रहे हैं। यदि चट्टे लगवा दिये जाएंगे तो नई खरीद के लिए जगह उपलब्ध हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कनीना दो खरीद केंद्र होने के कारण कम ढेर लग रहे वरना बड़े-बड़े ढेर लग चुके होते। गौशाला रोड पर जगह अधिक होने के कारण कोई दिक्कत नहीं हो पाती हैं।
फोटो कैप्शन 7:कनीना मंडी में बाजरे की ढेर।
बुर्जी तोड़ अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग
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कनीना। कनीना के वार्ड 13 निवासी बृजमोहन तथा गाहड़ा के दिलीप सिंह, आनंद प्रकाश, अमर सिंह आदि ने जहां गत दिनों जिला उपायुक्त नारनौल के कनीना आगमन पर ज्ञापन दिया था अब उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजकर मांग की है कि दो गांवों गाहड़ा एवं कनीना की सीमा पर बनी बुर्जी को तोड़ दिया है और रास्ते पर अवैध कब्जा कर लिया है जिसके चलते लोग उनके खेतों के अंदर से जा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
जिला उपायुक्त को दिये ज्ञापन में कहा है कि रास्ता नंबर 720 व 721 पर गांव गाहड़ा के कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। यह रास्ता गाहड़ा और कनीना दोनों की सीमा पर लगता है। उन्होंने कहा है कि चकबंदी के समय बनायी गई बुर्जियों को खुर्द बुर्द कर दिया गया हैं। यहां तक कि दोनों गांव की रास्ते पर अवैध कब्जा कर लिया है जिसके चलते किसान दूसरे किसानों के खेतों से गुजर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बुर्जी तोडऩे वाले तथा रास्ते पर अवैध कब्जा करने वालों के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
शरद पूर्णिमा पर बनाई जाएगी खीर, श्वास रोगियों के लिए रामबाण
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कनीना। 31 अक्टूबर को क्षेत्र में शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर रात के समय खीर बनाने तथा प्रसाद के रूप में अगले दिन बांटने की प्रथा चली आ रही है। मंदिरों में खीर बनाकर रात के समय चंद्रमा की किरणें डालकर खिलाने की परंपरा भी अनोखी है।
घरों में तो खीर बनती ही है साथ में मंदिरों में भी खीर बनाने की परंपरा है। यह खीर रातभर रखी खुले आकाश के नीचे रखी जाती है तथा चंद्रमा की किरणें डालकर इसे रोग विनाशक बनाकर ही खिलाया जाता है। महंत लालदास का कहना है कि इस रात को चंद्रमा अपने आप में पूर्ण होता है बाकी किसी भी पूर्णिमा को इतना बेदाग नहीं होता है। यही कारण है कि इसकी किरणें डाली जाती है जो मन व मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव डालती हैं।
उधोदास आश्रम के महंत लालदास ने बताया कि उनके यहां तो जो खीर बनाई जाती है उस मखमल के कपड़े से ढककर रख दिया जाता है ताकि अधिक मात्रा में चंद्रमा की किरणें गिर सके। इन्हीं किरणों के कारण खीर का स्वाद मधुर बन जाता है। तत्पश्चात इस खीरा को रात के बारह बजे बाद ही प्रसाद बतौर खिलाया जाता है। इस खीर का श्वास रोगियों के लिए बेहद लाभ होता है। उन्होंने बताया कि इस खीर में डालने के लिए कई प्रकार की औषधियां व पदार्थ मंगवाएं हैं ताकि खीर के प्रसाद से उनका रोग ठीक हो सके। रातभर भजन कीर्तन करते हुए ठाकुर जी का भोग लगाकर प्रसाद चखते हंै।
क्या कहते हैं वैद्य-
वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन का कहना है कि शरद पूर्णिमा का पर्व बहुत अहमियत रखता है। यह पर्व कई रोगों से छुटकारा दिलाने वाला ही नहीं अपितु इंसान में नया संचार जगाने वाला होता है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने भी इस पर्व का विशेष महत्व बताया है तथा इस पर्व से सर्दी का मौसम जुड़ा है। सर्दी प्रारंभ होने से सेहत के लिए लाभकारी होती हैं। उन्होंने कहा कि इस दिन से जल्दी उठकर स्नान ध्यान करने से सभी कष्टï स्वत: छूट जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सुरेंद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इसी पर्व से जुड़ी है कार्तिक स्नान करने की परंपरा। महिलाएं पूरे एक माह तक चलता रहता है। एक माह बाद इसे संपन्न करती हैं। स्वास्थ्य की दृष्टिï से भी यह समय अनुकूल माना जाता है।
कनीना क्षेत्र में मिले सात संक्रमित
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कनीना। कनीना एवं आस पास गांवों में सात जन संक्रमित मिले हैं।
स्वास्थ्य कर्मी सुनील ने जानकारी देते हुए बताया कि खेड़ी तलवाना गांव का 2 किसान संक्रमित मिले हैं। इन दोनों ने सोमवार को अपना सैंपल जमा कराया था इनको हल्का हल्का बुखार था। जागरूकता दिखाते हुए इन्होंने सैंपल अस्पताल में जमा कराया जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को पाजिटिव आ गई। सीहोर गांव की 2 महिलाएं संक्रमित मिली हैं। इन महिलाओं में से एक महिला उप नागरिक अस्पताल कनीना में शुगर का टेस्ट करवाने के लिए आई हुई थी। चिकित्सक के कहने पर तुरंत सैंपल जमा करवाया जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को पाजिटिव आ गई। दूसरी महिला को हल्का बुखार हुआ था इस वजह से उसने उप नागरिक अस्पताल कनीना में अपना सैंपल जमा करवाया। जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को पाजिटिव आ गई। ढाणा गांव का 70 वर्षीय एक बुजुर्ग संक्रमित मिला है। 70 वर्षीय बुजुर्ग को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी । उसने उप नागरिक अस्पताल कनीना में अपना सैंपल जमा करवाया। जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को पाजिटिव आ गई। कोटिया गांव की 48 वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित मिली है। धनौंदा गांव की महिला संक्रमित मिली है। महिला के पति कुछ समय पहले संक्रमित मिले थे। मंगलवार को महिला ने उप नागरिक अस्पताल में अपना सैंपल जमा करवा या जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को पाजिटिव आ गई ।
एसएमओ डॉ धर्मेंद्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि मौसम बदल रहा है एसी, पंखे, कुलर ना चलाएं। त्योहारों का सीजन चल रहा है इस दौरान मिलावट की मिठाइयां खाने से बचें।
बुर्जी तोड़ अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग
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कनीना। कनीना के वार्ड 13 निवासी बृजमोहन तथा गाहड़ा के दिलीप सिंह, आनंद प्रकाश, अमर सिंह आदि ने जहां गत दिनों जिला उपायुक्त नारनौल के कनीना आगमन पर ज्ञापन दिया था अब उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजकर मांग की है कि दो गांवों गाहड़ा एवं कनीना की सीमा पर बनी बुर्जी को तोड़ दिया है और रास्ते पर अवैध कब्जा कर लिया है जिसके चलते लोग उनके खेतों के अंदर से जा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
जिला उपायुक्त को दिये ज्ञापन में कहा है कि रास्ता नंबर 720 व 721 पर गांव गाहड़ा के कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। यह रास्ता गाहड़ा और कनीना दोनों की सीमा पर लगता है। उन्होंने कहा है कि चकबंदी के समय बनायी गई बुर्जियों को खुर्द बुर्द कर दिया गया हैं। यहां तक कि दोनों गांव की रास्ते पर अवैध कब्जा कर लिया है जिसके चलते किसान दूसरे किसानों के खेतों से गुजर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बुर्जी तोडऩे वाले तथा रास्ते पर अवैध कब्जा करने वालों के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
बीज निगम काउंटर का किया उद्घाटन
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कनीना। राष्ट्रीय बीज निगम एनएससी काउंटर का उद्घाटन नगर पालिका पार्षद मोहन सिंह व एनएससी के एरिया इंचार्ज विष्णु शर्मा द्वारा किया गया। यह बीज कंपनी सरकारी उपक्रम है जो किसानों को सब्सिडी पर बीज देती है।
मोहन पार्षद ने बताया कि सरकार का पहला ध्यान किसानों की तरफ ही है। अच्छा व सस्ता बीज उपलब्ध करवाने के लिए सीहोर-छितरोली रोड पर यह काउंटर खोला गया है ताकि किसान भाइयों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना रहे। उनको सही जगह व सही समय पर सस्ता बीज उपलब्ध हो सके विष्णु शर्मा ने बताया कि एनएससी किसान भाइयों के लिए उच्च गुणवत्ता के बीच उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबंध है और सरकार की हमेशा कोशिश रहती है की अच्छी से अच्छी किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध करवाए जा सकें। श्री शर्मा ने बताया कि इस काउंटर से किसान भाइयों को अनुदान में गेहूं बीज 940 रुपये प्रति बैग के हिसाब से दिया जायेगा। किसान भाइयों को संबोधित करते हुए महेश बोहरा ने कहा कि मेरे पिता राव सत्यवीर सिंह बोहरा लगातार 35 वर्षों तक किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज व खाद उपलब्ध करवाते रहे थे। आज उन्हीं की प्रेरणा से आज राष्ट्रीय बीज निगम का काउंटर यहां खुलना संभव हुआ है। श्री बोहरा ने कहा कि किसान अन्नदाता है, किसान की बदौलत ही सभी को भोजन मिलना संभव है। उन्होंने इच्छा जताई कि वे हमेशा किसानों की सेवा करते रहेंगे। किसानों की सेवा करते रहेंगे और समय-समय पर सही जानकारी वह उच्च गुणवत्ता की क्वालिटी उपलब्ध करवाते रहेंगे। इस मौके पर मा. हरि सिंह डा नरेंद्र यादव, सुमेर सिंह चेयरमैन, पार्षद कमल सिंह, मा. कृष्ण सिंह, मा. जय सिंह, कृष्ण कुमार, राजकुमार यादव, सुरेंद्र यादव, नवीन यादव, सोनू कैमला, मिंटू, भरत सिंह, एडवोकेट मनोज शर्मा, धर्म सिंह, गोविंद यादव, मा. अश्वनी यादव, राकेश, नितिन, नरेंद्र आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 4: बीज केंद्र का उद्घाटन करते हुए पालिका पार्षद मोहन सिंह।
दुर्घटना में आरपीएस की प्रवक्ता की मौत
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कनीना। कनीना खंड के गांव चेलावास की लड़की की बुचावास के पास दुर्घटना में मौत हो गई। अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। वे आरपीएस इंजीनियरिंग कालेज में भौतिक शास्त्र की प्रवक्ता थी।
मिली जानकारी के अनुसार निशा अपनी स्कूटी पर सवार होकर चेलावास से आरपीएस कालेज म़हेंद्रगढ़ जा रही थी। बूचावास के पास कोई अज्ञात वाहन चालक टक्कर मार गया।आस पास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। एंबुलेंस बुलाई गई किंतु अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मौत की खबर सुनकर पूरे गांव में सन्नाटा छाया हुआ है। निशा पुत्री मेहताब आरपीसी में पढ़ा रही थी। उनका पोस्टमार्टम महेंद्रगढ़ से करवा दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जमीन के झगड़े में दो को लगी गंभीर चोट किया मामला दर्ज
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कनीना। जमीन को लेकर दो गुटों में हुए झगड़े में एक व्यक्ति को लगी चोट के कारण गंभीर रूप से घायल हो गया।
मिली जानकारी के अनुसार खंड के गांव बाघोत के जोगेंद्र के पिता ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरा बेटा जोगेंद्र व दूसरा बड़े भाई का लड़का संतोष जो अपने खेत में 26 अक्टूबर को सांय तकरीबन 6 बजे पानी दे रहा था तभी गया था । तभी 5 लोग हाथ में सरिया लेकर आए। दो व्यक्तियों ने संतोष पर तथा 3 लोगों ने जोगिंद्र पर हमला बोल दिया। हमले में घायल जोगिंद्र को रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। जबकि संतोष को महेंद्रगढ़ अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहीं इसकी सूचना कनीना पुलिस के एएसआई संजय कुमार ने बताया कि अस्पताल से कुछ रिपोर्ट आनी बाकी है। रोज नामचे में इनकी रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
फोटो कैप्शन 1: पुलिस में बयान दर्ज करवाता हुआ एक घायल।
कनीना में लगे कैंप में पशुपालकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में दी जानकारी
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कनीना कनीना स्थित पशु अस्पताल में जिलाधिकारियों ने एस्केड योजना के तहत किसानों को विभाग की विभिन्न गतिविधियों व योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई इस कैंप में मुख्य अतिथि एसडीओ डा ईश्वर नाफरिया विशिष्ट अतिथि राजकुमार थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर लालचंद ने की । इस कैंप में कनीना, करीरा, भडफ़, कोटिया, ककराला, कपूरी, चेलावास आदि गांवों के लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ईश्वर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाएं पशुपालकों के लिए चली हुई है जिसमें मिनी डेरी का एक प्रोजेक्ट चला हुआ है। इस प्रोजेक्ट में 11 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें 2 भैंस से लेकर 50 दुधारू पशुओं तक का लोन प्राप्त किया जा सकता है। पशुओं की यूनिट कोष 88 हजार रुपये तक है। इस योजना के तहत पशु पालक पशु पालकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। दूसरी योजना भेड़ बकरी पालने की है। इस योजना के तहत सामान्य, एससी, एसपी के लोग भेड़ बकरियां पाल सकते हैं। इस योजना में भेड़ बकरियां सरकार द्वारा दी जाती है इसमें बीस बकरी व एक मेंढ़ा सरकार देती है। इस योजना के तहत पशुपालक को एक वर्ष में दस बकरी व एक मेंढ़ा सरकार को वापस देने होते हैं। इस योजना के तहत पशुपालक से सरकार 70 हजार रुपये का एक चेक एडवांस में लेती है। किसी भी कारण से अगर पशुपालक
दस बकरी व एक मेंढ 1 वर्ष में जमा नहीं करवाता है तो एडवांस में दिये गए चेक को कैश करवा लिया जाता है। इस योजना की ट्रेनिंग हिसार में 21 दिन की होती है। जिसमें रहने खाने का खर्चा सरकार के द्वारा दिया जाता है। तीसरी योजना सूअर पालन की है। इस योजना में सूअर पालन करने वाले व्यक्ति को आनलाइन सरल पोर्टल पर फॉर्म जमा करवाना होता है। जिसमें डिपार्टमेंट की तरफ से प्रोसेस करके बैंक में भेज दिया जाता है। अगर व्यक्ति सरकार की सभी शर्तों को पूरा करता है तो उसको 6 सूअर मादा व एक सूअर नर के लिए 50 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसी योजना में 12 सूअर मादा व दो सूअर नर के लिए एक लाख रुपये दिए जाते हैं।
विशिष्ट अतिथि राजकुमार ने पशुओं में होने वाले रोगों के उपचार के बारे में पशुपालकों को अवगत करवाया है। उन्होंने कहा कि पशुपालक अपने घरों में रखी जड़ी बूटी या पंसारी के पास उपलब्ध जड़ी बूटियों से अपने पशुओं का इलाज कर सकते हैं। डाक्टर नरेंद्र बोहरा ने पशुओं को होने वाला रोग गलघोटू के बारे में बताते हुए कहा कि
बरसात में अकसर पशु (गाय-भैंस) गलघोंटू रोग की चपेट में आ जाते हैं। पशुओं में लगने वाला यह जीवाणु जनित रोग संक्रमित है और तेजी से फैलता है। अगर लक्षण का पता लगने के बाद पशुओं का शीघ्र इलाज शुरू न किया जाए तो 24 घंटे के भीतर पशु की मौत भी हो जाती है। यह रोग पास्चुरेला मल्टोसीडा नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह जीवाणु सांस नली में तंत्र के ऊपरी भाग में मौजूद होता है। मौसम परिवर्तन के कारण पशु मुख खुर (गलघोंटू) रोग की चपेट में आ जाता है। इस के लक्षण में विशेष रूपसे पशु को अचानक तेज बुखार हो जाता है। बुखार की चपेट में आने से रोगी पशु सुस्त रहने लगता है तथा खाना-पीना छोड़ देता है। पशु की आंखें भी लाल रहने लगती हैं। उसे सांस लेने में भी दिक्कत होती है। उसके मुंह से लार गिरने लगती है। नाक से स्राव बहना तथा गर्दन व छाती पर दर्द के साथ सोजिश आना मुख्य लक्षण है। इस रोग के रोकथाम के लिए पशुओं को हर वर्ष बरसात के इस मौसम में गलघोटू रोग का टीका लगवाएं। इसके साथ ही बीमार पशु को अन्य पशुओं से दूर रखें क्योंकि यह तेजी से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है। जिस जगह पर पशु की मृत्यु हुई हो वहां कीटाणुनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाए। पशुओं को बांधने वाले स्थान को स्वच्छ रखें तथा रोग की संभावना होने पर तुरंत पशु चिकित्सकों से संपर्क करें। पशुओं में लगने वाला दूसरा बड़ा रोग है चेचक या माता।
यह भी विषाणुओं से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है जो आमतौर से गायों तथा उसकी संतान में होता है। कभी कभी गायों के साथ साथ भैंसों में भी यह रोग देखा गया है। इस रोग में पशु की मृत्यु दर तो कम होती है परंतु पशु की कार्यक्षमता एवं दुग्ध उत्पादन में अत्यधिक कमी आती है। यह रोग भी आमतौर से एक पशु से दूसरे पशु को लगता है। दूध दूहने वाले ग्वालों द्वारा भी यह रोग एक गाँव से दूसरे गाँव में फैलता है। इस रोग से बचाव हेतु वर्ष में एक बार नवम्बर -दिसम्बर माह में टिका अवश्य लगवाना चाहिए। खुर और मुख संबंधी बीमारियां खुर और मुख की बीमारियां, खासकर फटे खुर वाले पशुओं में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। जिनमें शामिल है भैंस, भेड़, बकरी व सूअर। ये बीमारी भारत में काफी पाई जाती है व इसके चलते किसानों को काफी अधिक आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। बकरियों में पीपीआर रोग बहुत जल्दी फैलता है। पीपीआर रोग विषाणु जनित एक रोग है, जिससे बकरियों में अत्यधिक मृत्यु होती है। इसलिए पीपीआर रोग को बकरियों में महामारी या बकरी प्लेग के नाम से भी जाना जाता है। शुरुआती दौर में बकरियों में बुखार, जुकाम व डायरिया की शिकायत होती है। इसके बाद नाक व थूथन में छाले पडऩा शुरू हो जाते हैं। बकरी व भेड़ खाना-पीना छोड़ देती है। देर से इलाज करने पर कोई दवा कारगर साबित नहीं होती। डाक्टर लालचंद ने पशुपालकों को पशु किसान क्रडिट कार्ड योजना के बारे में बताया उन्होंने कहा कि पूरे जिले में कनीना ब्लॉक के तकरीबन 75 किसानों को पशु किसान कार्ड बनाया गया है। सरकार की दुग्ध प्रतियोगिता योजना के तहत 18 लीटर से 22 लीटर तक दूध देने वाली भैंस को 15 हजार रुपये व 22 लीटर से ऊपर दूध देने वाली भैंस को 25000 रुपये इनाम स्वरूप दिया जाता है। वही गोवंश वर्धन योजना के तहत 8 किलो से 12 किलो के बीच में सफेद हरियाणवी नस्ल की गाय को 10000 रुपए 12 लीटर से ऊपर दूध देने वाली गाय को 15000 रुपए व 18 लीटर से ऊपर दूध देने वाली गाय को 20000 रुपये इनाम में दिए जाते हैं । इस कैंप में डाक्टर ईश्वर नाफरिया, राजकुमार, डा लालचंद, डाक्टर नरेंद्र बोहरा, डा प्रवीण यादव, जसवीर, उमेद सिंह, पंकज, संदीप, विक्रम आदि ने अपने विचार किसानों के सामने रखें ।
फोटो कैप्शन 2: कैंप में पशुपालकों व किसानों को जानकारी देते हुए विशेषज्ञ।
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