9 एकड़ की कड़बी जलकर राख
- आसपास की कड़बी को बचाया
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कनीना। कनीना के डीएवी कालेज के पास विभिन्न किसानों की करीब 9 एकड़ की इकट्ठी की कड़बी जलकर राख हो गई। मौके पर फायर ब्रिगेड पहुंची जिसने करीब 3 घंटे कड़ी मशक्कत करने पर आग पर काबू पाया। यद्यपि विनोद कुमार,निहाल सिंह, सतीश कुमार, मनोज कुमार आदि की कड़बी जलकर राख हो गयी किंतु आस-पास लगी कुछ और किसानों की कड़बी को बचा लिया गया।
विस्तृत जानकारी देते हुए फायर अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि करीब अढ़ाई बजे उन्हें सूचना मिली थी। तुरंत फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया। इस मौके पर मंसाराम चालक, शैलेंद्र तथा महावीर फायरमैन मौके पर पहुंचे और आग पर कड़ी मशक्कत के बाद करीब तीन घंटों में काबू पा लिया। इससे पास के किसानों की लगाई गई कड़बी की छुरियों को बचा लिया गया है। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में आए दिन आगजनी की घटनाएं घट रही हैं।
किसानों का एक-एक दाना खरीदा जाएगा
-किसी भी प्रकार से परेशान नहीं होने दिया जाएगा -एसडीएम
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कनीना। गेहूं व सरसों की खरीद को लेकर सोमवार को कनीना एसडीएम दिनेश कुमार ने अपनी टीम के साथ कनीना अनाज मंडी का दौरा कर किसानों से मुलाकात की। इस अवसर पर इनके साथ हैफेड मार्केट कमेटी कनीना का स्टाफ मौजूद था।
एसडीएम दिनेश ने मंडी में आए गेहूं व सरसों को लेकर आढ़तियों से बात की तथा उनको बिजली झरना लगाने, साफ सफाई रखने के लिए कहा। अगर गेहूं में 12 फीसदी तक नमी है तो गेहूं को खरीदा जाए, अगर इससे ज्यादा नमी है तो उस गेहूं को सूखाने के बाद ही खरीदा जाए। गेट पास व अन्य सुविधाएं किसान को बिना देरी के उपलब्ध कराई जाएं ताकि किसान की मेहनत से पैदा की गई फसल का एक-एक दाना सरकार के निर्देशानुसार खरीदा जाए। वहीं आढ़तियों ने एसडीएम को आश्वासन दिया कि सरकार के निर्देश अनुसार ही मंडी में खरीददारी की जाएगी, वैसे भी इस मंडी में पहले की तरह साफ सुथरा काम किया जाएगा। आढ़तियों ने एसडीएम को बताया के अब तक बाजरे की खरीद का लगभग 12 -13 लाख रुपए नहीं मिला है जिसको दिलवाया जाए। जिसको लेकर एसडीएम ने संबंधित विभाग को किसानों व आढ़तियों की बाजरे की बाकी पेमेंट को जल्द से जल्द करने का निर्देश दिया।
एसडीएम ने कहा कि किसान को सरसों में गेहूं बेचने के लिए किसी तरह भी परेशान नहीं होने दिया जाएगा इस अवसर पर इनके साथ डा रोशन लाल हैफेड, भरपूर सिंह सोसाइटी स्टाफ, जितेंद्र सिंह मंडी सुपरवाइजर, बृजेश कुमार, उमेद सिंह जाखड़ पटवारी के अलावा अन्य कर्मचारी व अधिकारी मौजूद थे।
30 किसानों का खरीदा 800 क्विंटल गेहूं-
गेहूं कर आवक में तेजी आने लगी है। सोमवार को 30 गेट पास दिये गये जिसमें 39 किसानों ने करीब 800 क्विंटल गेहूं बेचा। अब तक महज 257 क्विंटल ही गेहूं खरीदा गया था। सरसों का एक दाना भी नहीं आया। एसडीएम ने रविवार को तेल मिलों पर छापेमारली भी की थी।
फोटो कैप्शन 13: एसडीएम दिनेश एवं स्टाफ अनाज मंडी का दौरा करते हुए।
3.5 किलो वजनी चुकंदर उगाई
-पहले पैदा की थी 5.5 फुट लंबी लौकी
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कनीना। कनीना के पूर्व शिक्षक रामप्रताप ने सर्दियों में जहां 5.5 फुट लंबी घिया/लौकी पैदा कर नाम कमाया था। अब उन्होंने 3.5 किलो वजन वाली चुकंदर उगाई है। यदि इसके पत्तों का वजन जोड़ा जाए तो 5 किलो से अधिक है। देसी खाद डालकर यह कमाल कर दिखलाया है।
किसान के रूप में काम कर रहे रामप्रताप ने बताया कि उन्हें पता चला है कि चुकंदर विभिन्न रोगों में विशेषकर उच्च रक्तचाप में बहुत लाभप्रद है। इसलिए उन्होंने चुकंदर को उखाड़ा नहीं ताकि वक्त पडऩे पर काम आ सके। यही कारण है कि चुकंदर वजन बढ़कर 3.5 किलो की हो गई है। उन्होंने बताया ऐसी अनेकों चुकंदर उनके खेत में खड़ी हुई हैं।
फोटो कैप्शन 12: 3.5 किलो की चुकंदर दिखाते रामप्रताप पूर्व शिक्षक।
माता मंदिर मंदिरों में लगे खाने के ढेर
-बासौड़ा पर्व पर चला आ रहा है रिवाज
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कनीना। बासौड़ा पर्व के अवसर पर जहां माता के मंदिरों में विभिन्न प्रकार के पकवानों एवं खानों के ढेर लग गए हैं। चौराहों तथा विभिन्न धार्मिक स्थानों के द्वार पर भी भारी मात्रा में अनाज, पकवान, चावल आदि डाले गए। जीव-जंतु भी दिनभर पकवानों के मजे लेते देखे गए।
कनीना का माता स्थल ,संत मोलडऩाथ आश्रम के पास स्थित है। जहां सुबह सोमवार से भारी मात्रा में अनाज चढ़ाया गैया। कुछ लोग इस अनाज को इक_ा कर पशुओं के चारे के रूप प्रयोग करते देखे। पशुपालक इस अनाज को इक_ा करके गाय, भैंस तथा सुअर आदि को खिलाते देखे गये। आगामी 3 सप्ताह तक यहां इसी प्रकार का दृश्य देखने को मिलेगा।
बासी खाने के लिए प्रसिद्ध है बासौड़ा- बासौड़ा क्षेत्रीय पर्व है तथा लंबे समय से पर्व मनाया जाता रहा है। उन दिनों जब दवा का अधिक ज्ञान नहीं होता था, चेचक रोग बहुत फैलता था। उस जमाने से इस प्रकार का रीति रिवाज बुजुर्गों ने चलाया जिसमें बासी खाना खाया जाता है। बासी खाने से माना जाता है चेचक आदि रोग नहीं होते। यही नहीं पुत्र आदि के स्वस्थ रहने की कामना से भी महिलाएं इस पर्व को मनाती हैं।
क्या कहते हैं डा मेहरचंद--
कनीना के वयोवृद्ध डा मेहरचंद(84) इस पर्व के बारे में बताते हैं कि बासौड़ा पर्व बुजुर्गों के समय से चला आ रहा है। जिन महिलाओं के एक साल के अंतराल में संतान हुई हो वह खाने के रूप में घर घर भेंट देती हैं जिसे कंडवारी नाम से जाना जाता है। माता स्थल पर जहां सीढिय़ों पर भी खाना बिखरा पड़ा है। इस प्रकार के दृश्य को देखकर लगता है कि बासौड़ा के प्रति लोगों का बहुत अधिक रुझान है। सुबह सवेरे उठकर महिलाएं यहां पूजा अर्चना करने आती है और सभी पकवान एवं भोजन या चढ़ाती हैं। तत्पश्चात इसका पूरा परिवार भोग लगाता आया है।
फोटो कैप्शन 11: माता स्थल पर लगे खाने के ढेर।
तीन गांवों में दी 293 वैकसीन
-रविवार को दी थी 250 वैक्सीन
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव गुढ़ा, कनीना तथा कोटिया में वैक्सीन दी गई। वक्सीन देने में शीशराम एचआई के देखरेख में राजेश कुमार, सुशीला, सुमन, संदीप तथा संजोग ने कनीना के एसडीएच, कोटिया के पंचायतघर तथा गुढा के उप स्वास्थ्य केंद्र पर वैक्सीन दी गई।
शीशराम एचआई ने बताया कि गुढ़ा में 109, कनीना में 84 तथा कोटिया में 100 लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई। कोरोना वैक्सीन देने के बाद करीब आधा घंटा आराम करने की हिदायत दी जाती है ताकि किसी प्रकार की दिक्कत का पता चल सके।
भडफ़ तथा कपूरी में 250 वैक्सीन -
रविवार और छुट्टी के दिन भी वैक्सीन देने का सिलसिला जारी है। सरकार के आदेश अनुसार छुट्टी के दिन भी अब कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। इसी कड़ी में कपूरी और भडफ़ गांवों में रविवार को ढाई सौ वैक्सीन डोज दी गई। विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने बताया कि कपूरी में 50 तो भडफ़ में 200 दी गई। जहां राकेशएमपीएचडब्ल्यू, शारदा, सुनीता एएनएम तथा शीशराम एचआई की देखरेख में काम पूर्ण किया।
फोटो कैप्शन 12: गुढ़ा में कोरोना की वैक्सीन देते हुए एएनएम।
13: कोटियां के पंचायतघर में वैक्सीन लेने के बाद आराम करती महिलाएं।
कनीना अदालत ने घोषित किया भगोड़ा
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कनीना। कनीना अदालत ने विक्रम उर्फ बाली नामक व्यक्ति को लंबे समय से न्यायालय से अनुपस्थित रहने पर भगोड़ा घोषित कर दिया। मिली जानकारी अनुसार वह 17 अप्रैल 2018 से अनुपस्थित चल रहा है जिसके चलते कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है।
प्रतिभा प्रतियोगिता में खुशी का चयन
- रसूलपुर में हुआ छात्रा का सम्मान
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कनीना। राजकीय उच्च विद्यालय रसूलपुर में आठवीं की छात्रा खुशी ने प्रतिभा प्रतियोगिता (एनएमएमएस) की परीक्षा में सफलता हासिल की है(
उनकी सफलता पर विद्यालय ने उन्हें एक सादे समारोह में समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर विद्यालय प्रभारी मंजूरानी ने छात्रा एवं समस्त स्टाफ सदस्यों बधाई दी तथा अन्य विद्यार्थियों को इस छात्रा से प्रेरणा लेने पर बल दिया। उन्होंने अन्य विद्यार्थियों को इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक भाग लेने पर बल दिया तथा शिक्षकों को भी इस प्रकार के आयोजन के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर लीलूराम प्रवक्ता, सुरेंद्र कुमार, सुभाष वर्मा ,वीरेंद्र सिंह, सुरेंद्र मोरवाल, अशोक कुमार, धीर सिंह, विनोद कुमार, धर्मवीर, दिनेश कुमार, रवी प्रकाश, अजीत सिंह, नित्यानंद, सर्वेश तथा छात्रा की दादी राजबाला देवी सहित विभिन्न जन मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 9: छात्रा खुशी कसो सम्मानित करते हुए रसूलपुर स्टाफ।
पक्षियों के लिए होगी दाना पानी की व्यवस्था
-एक परिवार-एक परिंडा मिशन का किया गया शुभारम्भ
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कनीना। बीएमडी क्लब द्वारा सामाजिक सरोकारों के उत्थान हेतु एवं बेजुबान पक्षियों की संरक्षण के उद्देश्य से कनीना स्कूल से एक परिवार-एक परिंडा मिशन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता काउंसलर पिंकी यादव ने की। काउंसलर पिंकी यादव, सचिव इंद्रजीत शर्मा एवं चेयरमैन लक्की सीगड़ा,रचना शर्मा एवं कर्मपाल यादव द्वारा क्लब कार्यालय पर 11 सिकोरे लगाकर मिशन की शुरुआत की। एक परिवार एक परिंडा मिशन का मुख्य उद्देश्य समाज एवं लोगों को ज्यादा से ज्यादा परिंडा अभियान से जोड़कर बेजुबान पक्षियों के लिए दाना- पानी की व्यवस्था करने के लिए प्रेरित करना है।
काउंसलर पिंकी यादव ने कहा की पक्षियों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। पक्षियों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। ऐसे में उनकी अच्छी तरह से केयर करने और भावी पीढिय़ों तक बचाए रखने के लिए यह जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करें। ऐसे ही छोटे छोटे प्रयासों से सभी के सहयोग से परिंदों का संरक्षण हो पाएगा।जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक प्रणाली की पक्षियों को बचाने के लिए बड़ी चुनौती हैं। गर्मी के दौरान पशु-पक्षियो को पानी न मिलने से मौत हो जाती है। बढ़ते तापमान की वजह से पक्षी खुद को असहाय महसूस करते हैं और उड़ान नहीं भर पाते। कई बार तो कमजोर और बीमार होकर नीचे भी गिर पड़ते हैं। प्रकृति को बचाने और पर्यावरण को बनाए रखने के लिए पक्षियों के लिए पानी व दाने की व्यवस्था करना अनिवार्य है।
उपाध्यक्ष जयवीर कुमार ने कहा कि एक परिवार एक परिंडा अभियान के तहत सड़को पर जगह जगह प्याऊ लगाई जाएगी और पक्षियों के लिए परिंडों की व्यवस्था की जाएगी। इस अभियान के तहत परिंदो के लिए पार्कों, उद्यानों और अनेको स्थानों सहित देश भर में 11000 परिंडे बांधे एवं वितरित किए जाएंगे।
क्लब चेयरमैन लक्की सीगड़ा ने पक्षियों को बचाने की अपील करते हुए कहा कि बीएमडी क्लब पर्यावरण संरक्षण एवं बेजुबान पक्षियों के प्रति हमेशा से ही संवेदनशील रहा हैं। इसी का नतीजा हैं कि गांव में जगह -जगह पक्षियों के लिए दाना-पानी के पात्र उपलब्ध हैं। इस अवसर पर संयोंक नरवीर सिंह,दीपिका,रोनिका यादव,सुरेंद्र भडफ़,स्वीटी यादव,निशा,पूजा,नीरज,कविता सहित अन्य सदस्यगण भी उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 10: एक परिेंडा एक परिवार के तहत बीएमडी क्लब परिंडा लगाते हुए।
गायब होती जा रही है पक्षियों की चहचहाहट
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कनीना। गायब हो चली है पक्षियों की चहचहाहट । अब न तो घरों में तथा न खेतों में पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ता है। इस संबंध में बुजुर्गों का कहना है कि खेतों में जहरीली दवाएं डाले जाने तथा आखेट से उनकी संख्या घट रही है। अब तो इक्का दुक्का ही किसी पक्षी का शोर सुनाई पड़ता है।
झोपड़ी की जगह आलीशान कोठियां बन जाने से पक्षियों की कलरव अब नहीं सुनाई पड़ती है। भीषण गर्मी में उनके लिए जल एवं अन्न न मिलना, खेतों में जहरीली दवाएं एवं खाद डालने ने उनको हाशिए पर ला खड़ा किया है।
किसी जमाने में घरों में चिडिय़ां एवं रंग बिरंगे जीव कलरव करते, सुबह सवेरे चहचहाहट सुनाई पड़ती थी। उस वक्त कोठियां कम होती थी और कच्चे घर एवं झोपड़ी अधिक होती थी। विभिन्न प्रकार की चिडिय़ों के दर्शन ही नही अपितु उनके गीत भी सुनने को मिलते थे किंतु अब दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं।
इन पक्षियों को समाप्त करने में जहां उच्च वोल्ट की तारें, किसान द्वारा खेतों में जहरीली दवाएं, खाद डालने एवं उनके लिए गर्मियों में जल का अभाव का अहं योगदान रहा है। इस संबंध में पीपल फार एनिमल्स के राजेंद्र सिंह का कहना है कि किसानों ने अपने हाथों से उनको मार डाला है।
उनका कहना है कि पक्षियों की चहचाहट गुल होने के पीछे कई कारण रहे हैं जिनमें मुख्यत: जीवों के लिए आवास का अभाव, जहरीले अन्न खाना, पानी न मिलना तथा सर्दी एवं गर्मी के चलते मौत हो जाना प्रमुख हैं। उच्च वोल्टेज के तार एवं शिकार आदि भी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। गर्मियों में उनके लिए जल का अभाव उनकी मौत का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि पक्षियों का मानव से गहरा संबंध रहा है किंतु अब झोपड़ी न होने से पक्षी आवास कहां बनाए?
क्या कहते हैं पर्यावरणविद- पर्यावरण विद मनोज कुमार एवं रविंद्र कुमार का कहना है किपर्यावरण के साथ छेड़छाड़ इन जीवों के लिए हानिप्रद साबित हो रहा है। मौसम में बदलाव, पानी, भोजन की कमी उनकी कमी का कारण बन रहे हैं।
फोटो कैप्शन 6: कनीना में देखे सूखे पेड़ पर शाम के वक्त बैठे पक्षी।
नहीं लौटे मजदूर, किसानों का गेहूं कटाई का काम प्रभावित
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कनीना। कनीना क्षेत्र में इस बार फिर से मजदूरों की कमी चल रही है। यही कारण है कि मजदूरी भी बढ़ा दी गई है। विगत वर्ष जहां कोरोना के कारण मजदूर नहीं मिले थे वहीं इस बार होली पर अपने गांवों में गए हुए मजदूर अभी तक नहीं लौटे हैं।
सरसों की लावणी के समय किसानों को मजदूर उपलब्ध थे जो होली के पर्व पर अपने गांव लौट गए गांव किंतु अभी तक वापस नहीं आए हैं। अधिकांश मजदूर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैंं। एक ओर जहां कोरोना बढ़ रहा है जिसके चलते भी मजदूरों के दिल में विगत वर्ष का कोरोना डर दिल में घुसा है। यही कारण है कि मजदूर नहीं आ रहे हैं। मजदूरी का रेट भी बढ़ाकर डेढ़ गुना कर दिया गया है। कुछ किसान तो मजबूरी बस कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों से कटाई/ लावणी आदि करवा रहे हैं। खेतों में फसल पकी खड़ी है।
एक संस्थान ऐसा भी जिसने कोरोना काल में भी शिक्षा की अलख जगाए रखी
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कनीना। कोविड -19 वैश्विक महामारी के कारण भारत सहित विश्व के अनेक देशों में स्कूलों को बंद रखा गया जिसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा। ऐसे में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) महेन्द्रगढ़ ने सरकार द्वारा जारी एसओपी की अनुपालना करते हुए डिजिटल स्वरूप को स्वीकारते हुए आनलाइन शिक्षण गतिविधियों को जारी रखा। डाइट प्राचार्य श्री सुभाषचंद्र यादव के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में डाइट के समस्त विषय विशेषज्ञों ने आनलाइन शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से जिले के सभी अध्यापकों व छात्रों को लाभान्वित किया। इसी कड़ी में श्री लालसिंह यादव ने जिला संयोजक की भूमिका में निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम को पोषित किया वहीं डा.विक्रम सिंह ने तकनीकी समन्वयक के रूप में निष्ठा कार्यक्रम को समृद्ध किया।इसके साथ ही महेन्द्रगढ़ खंड में डा. नरेश कुमार यादव व सुरेंद्र चौधरी ने निष्ठा कायक्रम को सुचारु रूप से चलाकर विशेष उपलब्धियाँ दर्ज कराई।इसी तरह अटेली खंड की जिम्मेदारियों का निर्वहन श्री अरुण कुमार प्रवक्ता ने किया।आपको बताते चलें कि डाइट महेन्द्रगढ़ ने निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरियाणा प्रान्त में जिला महेन्द्रगढ को प्रथम स्थान दिलाकर न केवल एक कीर्तिमान स्थापित किया अपितु समस्त शिक्षण संस्थानों के लिए एक रोल माडल प्रस्तुत किया। वहीं दूसरी ओरर उम्मीद काउंसलिंग सेंटर डाइट महेंद्रगढ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत ने टेलीकाउंसिलिंग के जरिये कोविड-19 की वजह से उत्पन्न होने वाली परेशानियां जैसे-चिन्ता, तनाव,कुण्ठा, क्रोध,घबराहट, डर, फोबिया, समायोजन की समस्या आदि मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर परामर्श देकर अध्यापक एवं विद्यार्थियों में एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया साथ ही विद्यार्थियों व अध्यापकों को जीवन की चुनौतियों से निपटना भी सिखलाया।इतना ही नहीं लोकडाउन के दौरान छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक गतिविधियां ना रुके ,इस बात के चलते शिक्षा तकनीकी विंग के संयोजक श्री राजेश दुआ व उनकी टीम के विषय विशेषज्ञों द्वारा सामूहिक रूप से विभिन्न स्कूलों के अध्यापकों का सहयोग लेकर विद्यार्थियों के लिए रोचक एवं उच्च तकनीकी आधारित विषय वस्तु राष्ट्रीय दीक्षा पोर्टल पर अपलोड की गई ताकि छात्र भविष्य में कभी भी इस विषय-वस्तु को राष्ट्रीय दीक्षा पोर्टल पर देखकर अपने अधिगम स्तर को उन्नत कर सकें।
भाविप के पदाधिकारियों ने ली शपथ
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कनीना। भारत विकास परिषद शाखा कनीना के विभिन्न पदाधिकारियों को भाविप के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र शर्मा, प्रांतीय महासचिव डा आरबी राव व जिला महासचिव संजय शर्मा ने पद की शपथ दिलवाई। गत दिनों इनका चुनाव हुआ था।
अध्यक्ष मोहन सिंह यादव, सचिन लखनलाल कैमला, कोषाध्यक्ष प्रेम कुमार सिंगला, उपाध्यक्ष कृष्ण सिंह ने अपने अपने पदों की गोपनीयता व भारत विकास परिषद् के संविधान की शपथ ली। पदधिकारियों ने कहा कि उन्हें जो दायित्व दिया गया है उसको वे ईमानदारी व सभी को साथ लेकर संस्थान की मूल संस्कृति,संपर्का, सहयोग, संस्कार, सेवा, समर्पण को जन जन तक पहुंचाने का पूरा पूरा प्रयास करेंगे।
इस मौके पर संरक्षक कंवरसैन वशिष्ठ, शिव कुमार, मास्टर दलीप सिंह, संतलाल,धनपत साहब, प्रवक्ता अश्वनी कुमार,देशराज, महेश बोहरा, सरिता भारद्वाज, अरुणा कौशिक, सुशीला देवी समस्त सदस्य मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 5: भाविप के पदाधिकारी पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते हुए।
आरआरसीएम की दो छात्राओं को विधायक ने किया पुरस्कृत
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कनीना। आरआरसीएम पब्लिक स्कूल कनीना में सोमवार को भारत को जानोश प्रतियोगिता में अटेली के विद्यायक सीताराम यादव द्वारा पुरस्कार प्राप्त करने वाली छात्रा पूजा और अंकिता को विद्यालय प्रबंधन द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन रोशन लाल यादव, संस्था के निदेशक संजय यादव एवं प्राचार्य नरेन्द्र गौतम ने भी संबोधित किया और भारत को जानो प्रतियोगिता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
जैविक खेती में कमा लेता है अजय किसान हजारों रुपये
-कश्मीरी एप्पल बेरी से मिल रहे हैं बेर
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कनीना। गेहूं और सरसों की खेती छोड़कर इसराणा का किसान अजय सिंह जैविक खेती कर रहा है। बेर के क्षेत्र में भी नाम कमा चुके है। जैविक खेती के लिए लोगों को भी जागरूक कर रहे है।
किसान अजय सिंह इसराणा का कहना है कि एक तरफ हम धरती को बचाने के लिए पौधारोपण कर रहे हैं जबकि दूसरी तरफ हम कीटनाशकों का प्रयोग करने में लगे हुए हैं। बावजूद इसके जमीन में कीटनाशकों का प्रयोग कम होने के बजाय हर साल बढ़ता ही जा रहा है । इसी वजह से खेती योग्य भूमि भी बंजर बनती जा रही है । इस समय मीन में मौजूद आर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी धीरे धीरे घट रही है। जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खेती करनी चाहिए। अजय कस्बे के युवाओं को जागरूक करने के साथ-साथ उनकी मदद रहा है। इस वक्त आसपास के तकरीबन 60 किसानों का एक ग्रुप बना रखा है जिसमें सभी लोग जैविक सब्जियां उगाते है। इन सभी किसानों ने मार्केट में बिक रही जहरीली सब्जी को हटाकर जैविक सब्जी बेचने में लगे हुए हैं।
जैविक सब्जियां उगाने का काम दो वर्ष पहले डेढ़ एकड़ जमीन में सब्जी टमाटर, गोभी एवं बैंगन से किया था जिसमें सारा खर्चा निकाल कर 1 लाख 70 हजार की बचत हुई । डा मनदीप यादव तत्कालीन जिला बागवानी अधिकारी से भी उन्होंने भरपूर सहयोग मिला। वर्तमान में बैंगन, ककड़ी, टमाटर, प्याज, मिर्च,टमाटर, एप्पल बेर, पालक,टिंडा व नींबू के भी पौधे लगाए हुए हैं। इस प्रकार मिश्रित खेती कर रहे हैं। छह एकड़ में उन्होंने सब्जी उगा रखी है और बेहतर आय मिल रही है। पैदावार शुरू हो गई।
जैविक खेती करने वाले किसान अजय सिंह ने बताया कि वह ट्रैक्टर ट्राली के माध्यम से गांव गांव जाकर आर्गेनिक सब्जियां बेचता है। आर्गेनिक सब्जियों के दाम रूटीन की सब्जियों से एक दो रुपया कम ही रखता है।
वर्तमान में तरबूज दो एकड़, ककड़ी आधा एकड़, बैंगन आधा एकड़, टमाटर एक एकड़, मिर्च आधा एकड़, देसी टिंडा,घिया, तोरई, पेठा एक एकड़, पत्ता गोभी एवं प्याज एक एकड़ में उगाई हुई हैं। उन्हें प्रशासन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। आधा दर्जन किसान के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। कश्मीरी एप्पल बेरी के पौधे अभी भी बेर दे रहे हैं।
फोटो कैप्शन 6 : ककड़ी की पैदावार लेता किसान अजय इसराणा।
7: कश्मीरी एप्पल बेरी पर लगे बेर।
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