सोमवार को आये चार कोरोना संक्रमित
-रविवार को आये थे 9 कोरोना संक्रमित
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कनीना। कनीना क्षेत्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या एक बार फिर से बढऩे लगी है। यद्यपि हरियाणा सरकार द्वारा कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यालयों को बंद कर दिया गया है किंतु संक्रमित घटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। आठ अप्रैल को लिए गए सैंपल से कनीना उपमंडल के गांवों में रविवार को 9 कोरोना संक्रमित पाए गए थे वहीं सोमवार को कोरोना के 4 संक्रमित केस मिले हैं। इन चार संक्रमितों में दो केस गुढ़ा, एक स्याणा गांव से एक कनीना कस्बे से मिला है। सभी को घर पर आइसोलेट कर दिया है
मिली जानकारी के अनुसार रविवार को कनीना के वार्ड नंबर 3 से 4 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इस परिवार में पहले ही एक केस कोरोना संक्रमित था। परिवार का टेस्ट करने पर आठ माह के एक बच्चे सहित चार अन्य संक्रमित मिले हैं।
वही कनीना उपमंडल के गांव ढाणा से एक युवक, नौताना, करीरा, भोजावास और सेहलंग से भी एक-एक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उधर डॉ धर्मेंद्र यादव एसएमओ का कहना है कि नियमों का सख्ती से पालन करने से ही रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंस बनाए रखने तथा हाथों को अच्छी प्रकार सेनिटाइजर से साफ करके ही रोग का समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि लोग लापरवाही के चलते मास्क तक नहीं लगाते और यही कारण है कि लोग त्वरित गति से फैल रहा है।
रेड रिबन क्लब की ओर से एचआईवी पर आयोजित हुये कई कार्यक्रम
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कनीना। राजकीय महाविद्यालय कनीना में रेड रिबन क्लब की ओर से एचआइवी एड्स पर भाषण, स्लोगन व पोस्टर मेकिंग आदि कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस वर्ष का थीम है - एक निष्पक्ष स्वस्थ दुनिया का निर्माण । जो एक निष्पक्ष स्वस्थ दुनिया बनाने के लिए नए अभियान के रूप में आधारित है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डा जितेंद्र मोरवाल एसडीएच कनीना शामिल हुए। उन्होंने एचआइवी एड्स के प्रमुख कारणों तथा समाज में फैली विभिन्न भ्रांतियों के बारे में बताया। इस अवसर पर रेड रिबन क्लब की अध्यक्षता कर रही कुसुम यादव ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस मौके पर महाविद्यालय का समस्त स्टाफ भी मौजूद रहा।
महाबीर दास मंदिर जिसने पौधारोपण के क्षेत्र में निभाई है अहं भूमिका
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव सीगड़ा महावीर दास मंदिर एक ऐसी संस्था है जिसने हर समय समाज सेवा में अहम भूमिका निभाई है। विभिन्न अवसरों पर न केवल पौधारोपण किया अपितु इस मंदिर के प्रांगण में भी सैकड़ों विभिन्न प्रजातियों के पौधे खड़े हुए हैं। वर्तमान में मंदिर कमेटी लगातार पौधारोपण कार्य में लगी हुई है।
कहां से मिली प्रेरणा -
वास्तव में महाबीर दास एक संत हुये है जिन्होंने यहां पर मंदिर स्थल पर तप शुरू किया था। तत्पश्चात उनकी इच्छा पेड़ पौधे लगाने की थी। उन्होंने सीगड़ा के धार्मिक स्थान पर पौधे लगाए और अपने कंधे पर पानी एक किलोमीटर दूर से लेकर आते थे ताकि इन पौधों की रक्षा हो सके। उस समय पानी की व्यवस्था नहीं थी। 1992 तक उन्होंने भारी संख्या में पौधे लगाए। तत्पश्चात 1992 में समाधि ले ली।
अकेले संत महाबीर दास द्वारा 250 के करीब बड़े पेेड़ कैंपस में लगाए हुए हैं। खेल के मैदान में भी पौधारोपण किया । तत्पश्चात कमेटियां बनी जिन्होंने पौधोरोपण जारी रखा। वर्तमान में अमर सिंह नंबरदार, महिपाल सिंह तथा कमेटी के सभी 11 सदस्य मिलकर पौधारोपण के साथ साथ विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करवाते रहे हैं। कमेटी हेल्थ चेकअप हर वर्ष आयोजित करवाती है वही मंदिर दूर-दराज तक सामाजिक कार्यों के लिए विख्यात है। इन्हीं की प्रेरणा से लक्की सीगड़ा ने सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब बनाकर 50 हजार तक पौधे विभिन्न स्थानों तक लगाकर पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने का काम किया है।
क्या कहते हें लक्की सिगड़ा-
सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब अध्यक्ष बताते हैं कि बाबा महावीर दास ने सबसे पहले अपने आसपास पौधे लगाएं और अपने हाथों से कच्ची दीवारें बनाने का कार्य किया। इन पौधों को पानी देने के लिए संत महावीर दास खुद अपने हाथों से गांव की एक कुईं से पानी खींचकर इन पौधों को सींचते थे। गांव को हरा-भरा करने में संत महावीर दास जी का अतुलनीय योगदान रहा है।
कालेज में आने वाली किसी भी छात्रा को परेशान नहीं होने दिया जाएगा- एसडीएम
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कनीना। कालेज में स्कूलों में पढऩे वाली छात्र छात्राओं को किसी भी तरह की समस्या नहीं होने दी जाएगी क्योंकि कालेज में पढऩे वाली छात्र-छात्राएं ही आने वाले समय में देश का भविष्य होती हैं।
कनीना एसडीएम दिनेश कुमार ने उन्हाणी में महिला कालेज के सामने खड़ी दर्जनों छात्राओं से रूबरू होते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने छात्राओं से हर पहलू पर उनकी समस्याओं पर चर्चा की जिसमें छात्राओं ने उनको बताया कि पहले विभिन्न रूटों पर छात्राओं के लिए बसें लगा रखी थी जो अब कम हो गई है। इसलिए आने जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं कालेज के सामने रोडवेज बस कम रुकने के कारण भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वही इस अवसर पर एसडीएम के साथ हरियाणा रोडवेज नारनौल विभाग के जीएम विपिन शर्मा भी साथ थे जिन्होंने छात्राओं से बात की तथा उनकी समस्या सुन अपने अधीनस्थ अधिकारियों को उन्हाणी कालेज के सामने आने जाने वाली सभी रोडवेज की बसें रोकने का आदेश दिया। छात्राओं को यह भी आश्वासन दिया कि जिन रूटों पर पहले उनके लिए बसें लगी हुई थी वो फिर चलाई जाएंगी।
विशालकाय जाटी का पेड़ खड़ा है पड़तल
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कनीना। दक्षिण हरियाणा के चंदन नाम से जाने जाने वाले जाटी के बड़े पौधे धीरे धीरे लुप्त होते जा रहे हैं क्योंकि किसानों द्वारा उनको काट लिया गया है या आंधी आदि से टूट चुके हैं किंतु पड़तल बस स्टैंड के पास एक ऊंचा जाटी का पेड़ अभी भी खड़ा है जिसकी ऊंचाई 80-90 फुट की है तथा इसके तने का व्यास करीब आठ फुट का है।
उल्लेखनीय है कि इस पेड़ को देख कर प्रसन्नता होती है कि अभी भी दक्षिण हरियाणा में पाए जाने वाला जाटी नामक पेड़ इस विशालकाय रूप में खड़ा हुआ है। किसान महिपाल सिंह, सूबे सिंह, राजपाल आदि बताते हैं कि जाटी के पेड़ के नीचे फसल बेहतर होती है क्योंकि यह नाइट्रोजन खाद की पूर्ति करता है तथा इसके फल सांगरी भी सब्जी बनाने के काम आते हैं।
वृक्ष माफिया गिरोह बड़े बड़े पेड़ किसानों के खेतों से खरीदकर उखाड़ लेता है। इस प्रकार खेतों से बड़े पेड़ ही समाप्त कर दिये हैं। इस प्रकार कोई इक्का दुक्का पेड़ बचे हैं जो मन मोह लेते हैं।
अंग्रेजी काल की याद दिलाती है जाटी- पड़तल के बस स्टैंड के पास खड़ी हुई करीब 80 फुट ऊंची तथा धरती पर 10 फुट परिधि वाली जाटी जो करीब 5 फुट ऊपर 9 फुट परिधि की है जबकि 10 फुट ऊंचाई पर तने की परिधि 8 फुट मापी गई। वृक्ष मित्र सतीश कुमार तथा बाल कुमार ने परिधि को मापा। भारी संख्या में लोगों ने इस जाटी के पेड़ की सराहना की।
क्या कहते हैं पड़ताल के निवासी-
पड़तल निवासी पूर्व सरपंच हरीश कुमार,सूरजभान, दौलत सिंह चेयरमैन, विक्रम प्रजापति आदि ने बताया कि पड़तल गांव मुस्लिम बाहुल्य गांव होता था। मुस्लिम लोगों के चले जाने के बाद अभी भी सैकड़ों वर्ष पुराना जाटी का पेड़ खड़ा हुआ है। यह पेड़ गांव की मुख्य फिरनी पर खड़ा हुआ है। उल्लेखनीय की इतने अधिक व्यास वाला जाटी का पेड़ क्षेत्र में बहुत कम उपलब्ध हैं।
फोटो कैप्शन 07: जाटी का विशालकाय पेड़।
संदेश पाने वाले किसान ही ला सकेंगे अनाज मंडी में गेहूं की पैदावार
-अनाज मंडी में जगह की कमी के चलते लिया निर्णय
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कनीना। एक बार फिर से केवल संदेश प्राप्त किसान ही कनीना अनाज मंडी में अपनी गेहूं पैदावार ला सकेंगे । भारी मात्रा में गेहूं आने के बाद जगह अभाव के चलते यह निर्णय लिया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए हैं हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि अभी तक उठान अनाज मंडी नारनौल के लिए हो रहा हो रहा है। ढाई लाख बैग बारदानें के रूप में आए थे जो अभी काफी मात्रा में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक सभी रजिस्टर्ड किसान अनाज मंडी में पैदावार ला सकते थे किंतु अब केवल वही किसान अनाज मंडी में गेहूं लेकर आएंगे जिन्हें मोबाइल पर संदेश प्राप्त होता है।
अभी तक नहीं आया है एक दाना भी सरसों- कनीना अनाज मंडी में अभी तक एक दाना भी सरसों का नहीं आया है। गेहूं की आवक में तेजी आ गई है। प्रारंभ में गेहूं की आवक धीमी रही किंतु तब तेजी आने से फड़ों पर जगह घटती जा रही है। खरीद के 12 दिन बीत गए हैं किंतु सरसों के भाव खुली मंडियों में ऊंचे होने से सरकारी दामों पर कोई किसान सरसों बेचने नहीं आ रहा है। खुली मंडियों में भाव 5200 रुपये प्रति क्विंटल तक हैं जबकि सरसों का सरकारी भाव 4650 रुपयेप्रति क्विंटल है जबकि गेहूं का सरकारी खरीद रेट 1975 रुपये प्रति क्विंटल है। अभी तक गेहूं बेचने के लिए किसान जरूर आ रहे हैं।
12 दिन में 347 किसानों से खरीदा 12 हजार क्विंटल गेहूं--
अनाज मंडी में खरीद के 12 बीत गये हैं। अब तक 12 दिनों में 1263 किसानों से 48014 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। रविवार को अवकाश रहता है। बाकी दिन गेहूं की खरीद जारी रहती है। एक अप्रैल से खरीद शुरू हुई थी अब तक केवल 2 दिनों का ही अवकाश रहा है। कनीना मंडी में 12वें दिन 347 किसानों से 12 हजार क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। 12वें दिन 30 हजार बैग उठान किया गया तथा अब तक 60200 बैग उठान किया जा चुका है।
फोटो कैप्शन 13: कनीना अनाज मंडी में गेहूं की खरीद का नजारा।
कनीना क्षेत्र में दी गई 439 कोरोना वैक्सीन दी गई
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव नांगल हरनाथ, चेलावास, कनीना, भोजावास आदि क्षेत्रों में सोमवार को 439 कोरोना वैक्सीन दी गई।
कनीना के उप नागरिक अस्पताल के एचआई शीशराम ने बताया कि नंगल हरनाथ में 50, चेलावास में 90 तथा कनीना उप-नागरिक अस्पताल में 110 कोरोना वैक्सीन दी गई। इस मौके पर राजवीर एमपीएचडब्ल्यू, दीप्ति, गंगा, सरिता एएनएम ने वैक्सीन दी और अहम भूमिका निभाई।
उधर भोजावास में के प्राथमिक चिकित्सालय में 189 कोरोना वैक्सीन दी गई।
जानकारी देते हुए राजकुमार एचआई ने बताया कि 45 से 60 वर्ष के बीच 148 वैक्सीन दी गई जबकि 60 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों को 41 कोरोना वैक्सीन दी गई।
उधर बढ़ते हुए कोरोना के चलते डा धर्मेंद्र सिंह एसएमओ ने कहा है कि कोरोना की मार से बचने के लिए नियमित रूप से हाथों की सफाई सैनिटाइजर से करें, 2 गज की दूरी बनाए रखें वहीं मास्क का जरूर प्रयोग करें। उन्होंने सावधानी में ही बचाव की संज्ञा दी।
फोटो कैप्शन 11: पीएचसी भोजावास में कोरोना वैक्सीन देते हुए।
बच्ची के पहले जन्मदिन पर हुआ कुआं पूजन, यज्ञ तथा प्रीतिभोज
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव चेलावास में बच्ची के पहले जन्मदिन पर जहां कुआं पूजन संपन्न कराया गया, वहीं हवन कराने के उपरांत प्रीतिभोज भी दिया गया। विगत वर्ष कोरोना काल में बच्ची सनायरा पैदा हुई थी। उस समय लाकडाउन चल रहा था जिसके चलते
कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
उनके पहले जन्मदिन पर सोमवार को जहां हवन करवाया गया। आर्य आर्य समाज रसूलपुर के सतीश आर्य ने विधि विधान से हवन करवाया। सतीश आर्य ने कहा कि समाज में नारी सम्मान को प्रोत्साहित करने का एक साक्षात उदाहरण इस गांव के उमेद सिंह ने किया है। उन्होंने अपनी पौत्री सनायरा के जन्मदिन पर कुआं पूजन करवाया तथा हवन करवाने के उपरांत अपने
रिश्तेदारों को प्रीतिभोज दिया। इस अवसर पर सनायरा के पिता वतन सहरावत, ताऊ विकास सहरावत, माता पूनम, ताई मंजू ,दादी रोशनी देवी, और बुआ प्रमिला और शर्मिला आदि ने उनको दीर्घायु का आशीर्वाद दिया।
श्री आर्य ने कहा कि समाज के सभी सदस्यों को इससे प्रेरणा लेकर बेटी और बेटों को समान समझना चाहिए तथा भविष्य में समाज से लड़के और लड़कियों में भेदभाव को खत्म करना चाहिए।
फोटो कैप्शन 12: बेटी के जन्मदिन पर हवन करते सतीश आर्य
13: कुआं पूजन करते हुए।
संयुक्त निदेशक शिक्षा विभाग ने कनीना क्षेत्र के कई स्कूलों में मारा छापा
-पाई गई अनियमितताएं, दी गई चेतावनी
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कनीना। माध्यमिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक विजय कुमार यादव ने कनीना क्षेत्र के कई स्कूलों में औचक निरीक्षण किया, छापेमारी की जिसमें अनेक अनियमितताएं पाई गई। मौके पर ही चेतावनी देकर छोड़ दिया गया और भविष्य में सतर्क रहने का सख्त आदेश दिया। मिली जानकारी अनुसार संयुक्त निदेशक ने खंड शिक्षा अधिकारी कनीना में सुबह सवेरे छापा कार्रवाई की जिसमें खंड शिक्षा अधिकारी सत्यवान नारनौल मीटिंग में गए हुए थे वही कुछ अनियमितताएं पाई गई। उन्होंने बताया कि 2 कर्मी लेट आए जिनको चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। उन्होंने उपस्थित कर्मियों को आदेश दिया कि किसी भी कर्मी का किसी प्रकार का कार्य पेंडिंग नहीं होना चाहिए, पेंडिंग पाए जाने संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में सभी कर्मियों के कार्यों को समय रहते पूर्ण किया जाना चाहिए।
तत्पश्चात उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में औचक दौरा किया। यहां पर कृष्ण कुमार प्राचार्य सहित समस्त स्टाफ मौके पर हाजिर पाया गया। स्कूल विधिवत रूप से चलता पाया गया। संयुक्त निदेशक ने सभी शिक्षकों की फिजिकल वेरिफिकेशन की, विभिन्न रिकार्ड चेक किए तत्पश्चात कक्षा कक्ष में जाकर शिक्षण कार्य को भी देखा और उन्होंने विद्यालय में सभी कार्य विधिवत रूप से चलते पाए जाने पर खुशी जताई।
तत्पश्चात विद्यालय के समस्त स्टाफ एवं प्राचार्य की बैठक ली जिसमें सभी की बारी बारी से समस्या पूछी और प्राचार्य का आदेश दिया कि कर्मचारियों कोई भी कार्य पेंडिंग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रकार की समस्या है तो वह इसी वक्त रख सकते। इस मौके पर शिक्षकों ने अपनी समस्याएं रखी जिनका मौके पर ही समाधान कर दिया गया।
तत्पश्चात संयुक्त निदेशक ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय धनौंदा में छापामारी की जिसमें एक कर्मचारी आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करवाई बगैर छुट्टी पर मिला। उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि नकल रहित परीक्षाएं आयोजित करवानी है।कोविड-19 के नियमों का सख्ती से पालन हो, कक्षा एक से आठवीं तक अवकाश घोषित किया हुआ है किंतु शिक्षकों को स्कूल में समय पर हाजिर होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षक का कार्य विद्यार्थियों को ज्ञान देना है। ऐसे में विद्यार्थियों ज्ञान वृद्धि के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देना चाहिए तभी शिक्षक का सम्मान ऊंचा होगा। उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में मेडिकल संबंधित रेमबर्समेंट आदि कोई पेंडिंग नहीं रहने का आदेश दिया तथा कहा कि समय-समय पर भी अपने प्रगति रिपोर्ट निदेशालय को भेजते रहेंगे। भविष्य में खंड शिक्षा अधिकारी के जरिये स्कूलों की प्रगति रिपोर्ट मांगी जाएंगी। वे स्कूलों का औचक दौरा करेंगे।
अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के चलते पहले विद्यार्थी अच्छी प्रकार पढ़ नहीं पाए। ऐसे में शिक्षकों को जी जान एक करके पढ़ाने की हिदायत दी। किसी प्रकार की समस्या हो तो संबंधित अधिकारी को अवगत करवाना चाहिए ।अधिकारी उच्च अधिकारियों को सूचित करेगा ताकि कार्रवाई की जा सके। इस मौके पर उनके साथ देवेंद्र जांगड़ा राज्य प्रशिक्षण संयोजक पंचकूला एबीआरसी श्रुति आर्या धनौंदा क्लस्टर, प्राचार्य कृष्ण कुमार मुख्याध्यापक महिपाल सिंह, प्राध्यापक अनूप कुमार आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 9: फोटो में बाएं से दाएं अग्रिम पंक्ति में दूसरे नंबर पर संयुक्त निदेशक विजय कुमार यादव।
नगर पालिका कार्यालय को लगा दिया ताला
-उच्चाधिकारियों द्वारा कर्मियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई न करने से क्षुब्ध होकर लगाया ताला
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कनीना। कनीना की नगरपालिका के मुख्य कार्यालय को सोमवार के दिन खुद नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने ताला लगा दिया। उच्चाधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद भी लापरवाह कर्मियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करने पर यह निर्णय लिया है।
सतीश जेलदार ने कहा कि दुर्भाग्य है कनीना नगर पालिका को आगे बढ़ाने की वजह से कुछ कर्मचारी और अधिकारी पीछे धकेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां सोमवार को चतुर्थ श्रेणी कर्मी ही कार्यालय में मौजूद थे जबकि विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए आने वाले कनीना कस्बावासी बेहद परेशान नजर आए। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर ऑपरेटर और अकाउंटेंट चंडीगढ़ गए हुए हैं बाकी अधिकारी और कर्मचारी लंबे समय से नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एमई तो दिवाली के बाद से ही नहीं आ रहा है। यही नहीं बाकी अधिकारी भी सप्ताह में एक-दो बार आते हैं और वे भी बिना हाजिरी लगाएं ही चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले भी अधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों की नगर पालिका में हाजिरी सुनिश्चित करवाई जाए ताकि विभिन्न विकास कार्य करवाए जा सके किंतु अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया। इसलिए उन्होंने क्षुब्ध होकर, लोगों की परेशानी देखकर मुख्य सीढियों को ताला जड़ दिया ताकि कोई भी जन अपनी समस्या लेकर कार्यालय में इधर उधर न भटके।
उन्होंने कहा कि अब एक बार फिर से उच्च अधिकारियों को शिकायत करेंगे यदि फिर भी शिकायत पर अमल नहीं किया और कार्यालय में आने वाले कर्मियों और अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं की तो मुख्यमंत्री से गुहार लगाएंगे ताकि कनीनावासी किसी विकास कार्य के लिए परेशान न हो पाए और विभिन्न विकास कार्यों को गति दी जा सके। उन्होंने कहा कि यदि कोई कर्मचारी अधिकारी नहीं आना चाहता तो अन्यत्र बदली करवा लेनी चाहिए और उनकी जगह कोई अन्य कर्मचारी इस कार्य को भलीभांति कर सकेगा।
उल्लेखनीय है कि कनीना की नगर पालिका आजादी से भी पुरानी है । यहां कभी टाउन कमेटी भी होती थी। समय-समय पर इस कमेटी ने बहुत विकास कार्य करवाए हैं। वर्तमान में कनीना नगर पालिका का भवन बेहतर दर्जे का है जहां विभिन्न पद है किंतु कर्मचारी और अधिकारी मौके पर नहीं मिलते। उन्होंने खेद जताया कि नगरपालिका को जानबूझकर अधिकारी और कर्मचारी पीछे धकेल रहे हैं।
फोटो कैप्शन 8: नगरपालिका के मुख्य द्वार पर लगा ताला।
अंबेडकर जयंती मनाये जाने को लेकर आयोजित की गई बैठक
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कनीना। डा भीमराव आंबेडकर जन जागरण समिति की बैठक नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना में केके पूनिया की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में सभी पदाधिकारियों ने डा आंबेडकर जन्मदिन मनाने पर विचार विमर्श किया। बैठक में डा पवन कुमार कांगड़ा ने बताया कि डा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर अपने निजी कोष से पेंट करवा दिया गया है जो अस्पताल के पास स्थित है। कृष्ण कुमार पूनिया ने इस मौके पर डा पवन कांगड़ा को सम्मानित किया। इस मौके पर डा कृष्ण कुमार पूनिया ने बताया कि 14 अप्रैल को डाक्टर आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए जाएंगे। कोविड-19 को देखते हुए सरकार के दिशा निर्देश का विशेष पालन किया जाएगा। इस मौके पर सभी पदाधिकारियों ने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया। इस मौके पर वरिष्ठ उप प्रधान बलबीर सिंह तोंदवाल, समिति के महासचिव जागे राम मेहरा, ओमप्रकाश डहकवाल,समिति सचिव सरपंच रतिराम मोहनपुर, करण सिंह, हरि सिंह चौहान, पवन कांगड़ा इत्यादि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन फोटो कैप्शन साथ 7: डा कांगड़ा को सम्मानित करते समिति के पदाधिकारी।
जल बचाओ अभियान, बूंद-बूंद है कीमती.....
कनीना के प्रादुर्भाव के समय से जल सहेजे हुये है कालरवाली जोहड़
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कनीना। कस्बा कनीना यूं तो जोहड़ों का कस्बा नाम से जाना जाता है। जहां कनीना के प्रादुर्भाव से पहले कालरवाली जोहड़ का नाम एक है। वर्तमान में कस्बा का अधिकांश पानी सहेजे हुए हैं। कभी शुद्ध जल से भरा हुआ यह जोहड़ दूर दराज तक प्रसिद्ध था जिसके जल का लोग आचमन करके इसके तट पर पूजा अर्चना करते थे। कालांतर में इसका जल गंदे जल से तबदील हो गया। यद्यपि एसटीपी(सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण के बाद से इस जोहड़ का जल फसल उत्पादन में सबसे अधिक काम में लाया जा रहा है।
एक वक्त था जब कस्बा कनीना में छोटी बणी कालरवाली जोहड़ से शुरू होकर संत शिरोमणि मोलडऩाथ और बस स्टैंड तक पहुंचती थी। यहां पर दामोदरदास की कुई होती थी। दामोदरदास एक संत होते थे जिन्होंने जोहड़ के किनारे तप स्थल बनाया था और जल के लिए कुआं खुदवाया था। जिनके यहां से प्रस्थान के बाद कुआं भी समाप्त हो गया है किंतु अवशेष आज भी उपलब्ध हैं। कालरवाली जोहड़ के तहत करीब 20 एकड़ जमीन होती थी। यह जोहड़ इसलिए कालरवाली नाम से पुकारा जाता है क्योंकि इस का जल कल्लर /कालर होता था जो फसल के लिए ज्यादा कारगर नहीं था। वैसे भी स्थान पर बहुत अधिक कंकर होते थे। यह स्थल के चारो ओर कैर और जाल आदि के भारी संख्या में पेड़ होते थे। कनीना बसासत के समय महात्माओं का आगमन और डेरा रहा। दामोदरदास वाली कुई पर लोग नहाते थे और आराम भी करते थे। तत्पश्चात इस जोहड़ के किनारे बुजुर्गों ने विशेषकर नगर पालिका के पूर्व कर्मी स्व. मंगल सिंह ने यहां न केवल पीपल के पेड़ लगाए अपितु दिन रात सेवा की। आज वो पीपल के पेड़ भी इस जोडऩे ने लील लिये है। कम से कम एक दर्जन बड़े पेड़ इस जोहड़ में समा गए हैं। इस जोहड़ के किनारे बुजुर्ग रघुबीर सिंह(पूजा के बल पर भगत जी कहते थे), चौ. तारा सिंह आदि जोहड़ का आचमन करते थे और इसके तट पर घंटों पूजा अर्चना करते थे। यहां पर गाय इकट्ठी होती थी। कनीना में तीन स्थलों स्कूल, होली वाला जोहड़ और कालरवाली जोहड़ पर 100 से 200 गाये ठहरती थी। वे भी इसी का जल पीती थी। वन्य जीव जंतु इस जोहड़ का पानी पीते थे। साफ-सुथरा पानी होने के कारण पानी का उपयोग किया जाता था। लंबे समय तक बारिश का पानी सहेजता था। उस वक्त बारिश अधिक होने के कारण भी इस जोहड़ में पानी अधिक ठहरता था।
यह शुद्ध पानी का जोहड़ सैकड़ों सालों तक शुद्ध जल धारण करने के बाद कालांतर में गंदे पानी के जोहड़ में तब्दील कर दिया गया। नगर पालिका की ओर से कस्बा कनीना के संपूर्ण नाले और नालियों का जल होलीवाला और कालर वाली जोहड़ में डालने की योजना बनी और यहां गंदा जल भरने लगा लेकिन शिविर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से इस जोहड़ में सहेजा हुआ गंदा पानी भी बेशकीमती बन गया है। जोहड़ से 3 किलोमीटर दूर रणास वाली बणी में शिविर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगा दिए जाने के बाद इस जोहड़ का पानी वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने एसटीपी तक पहुंचाने की नई योजना बनाई और उसे सिरे चढ़ा दिया है। पानी को पाइपों द्वारा एसटीपी तक ले जाया जाता है जहां शोधित पानी को किसानों को आपूर्तित किया जाता है। वर्तमान में इस जोहड़ का जल धीरे-धीरे काम होता जा रहा है, वरना इस जोहड़ कम जल कम होने का नाम नहीं लेता था।
कस्बा कनीना के पुराने जोहड़ों में कालरवाली का भी एक नाम है। जोहड़ का जल आसपास के कैरों और जालों में रहने वाले वन्य प्राणी भी प्रयोग करते थे। आज न तो बणी बची हैं और न पुराना कुआं। अपितु अतिक्रमण के चलते जोहड़ का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर है। आने वाले समय में जोहड़ एक छोटे तड़ाग में तबदील होने की संभावना बन गई है।
क्या कहते हैं पालिका के पूर्व प्रधान-
वयोवृद्ध नगर पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह बताते हैं कि यह जोहड़ बुजुर्गों के लिए एक प्रकार से वरदान था। इधर से घूमने फिरने वाले लोग यहां आराम करते थे और शकुन मिलता था। इस जोहड़ के जल का आचमन करते थे, इसमें स्नान करके, तटपर पूजा अर्चना करते थे और बैठकर घंटों तप करते थे। शुद्ध पानी पीने के लिए भी काम में लेते थे ,जीव-जंतु इसका उपयोग करते थे।
विगत वर्षों इस जोहड़ में मत्स्य पालन की योजना बनी किंतु पानी गंदा होने के कारण मत्स्य पालन कारगर साबित नहीं हो सका। जोहड़ ने करीब 800 वर्षों का उतार चढ़ाव देखा है। कभी मवेशी इसका जल पीकर घंटों इसमें आराम करते थे किंतु अब पशु भी आरओ एवं नलों का जल पीने लग गये हैं। नगर पालिका ने पक्की दीवार भी निर्मित करवा दी है। पालिका चाहे तो यह ऐतिहासिक एवं रमणीक स्थल बन सकता है।
फोटो कैप्शन 6:कालर वाली जोहड़ तथा पूर्व पालिका प्रधान मास्टर दिलीप सिंह।
वैज्ञानिक आधार भी है नवरात्रों का
-चैत्र नवरात्रे 13 अप्रैल से हो रहे हैं शुरू
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कनीना। चैत्र या वासंती नवरात्रों का वैज्ञानिक आधार भी है। नवरात्रों में दुर्गा मां के नौ रूपों में मां की पूजा करने के अलावा व्रत शरीर में स्फूर्ति एवं संचार होता है।
इस मौके पर व्रत रखाने एवं पुराने अन्न को नौ दिनों तक शरीर से समाप्त करके नए अन्न को ग्रहण करने का नियम है। मौसम के बदलाव से नया अन्न तुरंत शरीर में ग्रहण नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि इस दिन व्रत किया जाता है।
माना जाता है कि एक बार शरीर में ग्रहण किया अन्न 9 दिनों में पूर्ण रूप से शरीर में पच जाता है और रक्त में परिवर्तित हो जाता है। किंतु नवरात्रि बदलाव का समय होता है या तो सर्दी से गर्मी या गर्मी से सर्दी के मौसम में नवरात्रे आते हैं। इस समय नया अनाज भी उपलब्ध हो जाता है। शरीर से पुराना खाया हुआ अनाज 9 दिनों में पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है क्योंकि नया अन्न ग्रहण करने से बीमारियां एलर्जी आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।
यही कारण है कि नवरात्रों पर 9 दिन व्रत रखा जाता है ताकि शरीर का पुराना अनाज पूर्ण रूप से समाप्त हो जाए तत्पश्चात धीरे-धीरे नए अनाज को ग्रहण किया जाता है जो शरीर में स्फूर्ति और संचार पैदा करता है। धार्मिक आधार पर इन दिनों नवरात्रों में मां के नौ रूपों के पूजा करते है। इस दिन बैसाखी का पर्व, नव संवत्सर, गुड़ी पाड़वा आदि कई नामों से जाने जाने वाले पर्व भी मनाए जा रहे हैं।
इस पर्व का क्षेत्र में विशेष महत्व होता है यही कारण है कि नवरात्रों को लेकर गत दिनों से तैयारियां पूर्ण हो चुकी है और नवरात्रों का आगाज हो रहा है। नवरात्रि वास्तव में शरीर में शक्ति ,संचार, स्फूर्ति प्रदान करने वाला होता है। नौ दिनों तक उगाये गये जौ को व्रत समापन के दौरान ज्वारे रस के रूप में पीना सेहत के लिए बेहतर माना जाता है किंतु लोग उगाये हुये जौ को जोहड़/नहर में डाल आते हैं। इसको प्रयोग नहीं करते हैं।
फिर याद आई जौ की
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कनीना। बेशक क्षेत्र में जौ की पैदावार घटती जा रही है किंतु नवरात्रों वर जौ की याद बहुत आती हैं। गर्मियों में राबड़ी बनाने में, पूजा अर्चना में, होली पर,विवाह शादी के पर्व पर जौ को याद किया जाता है। नवरात्रों में जौ की फिर से मांग बढ़ गई है। जो उगाकर नवरात्रों पर जौ का रस पीना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
गंगा पर जाते हैं तो गंगा में जौ डाले जाते हैं। एक कहावत है गंगा में जौ उगाना, बहुत शुभ माना जाता है। यही कारण है कि जौ की मांग एक बार फिर बढ़ गई है। बाजार में जौ आ गए हैं।
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