खरीद के 23वें दिन 99 किसानों ने बेचा 3350 क्विंटल गेहूं
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कनीना। कनीना अनाज मंडी में प्रथम अप्रैल से लगातार गेहूं की खरीद जारी है। अभी तक एक दाना भी सरसों का अनाज मंडी में नहीं आया है क्योंकि खुली मंडियों में सरसों के भाव अधिक हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए हैं हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि सरकारी खरीद के 23वें दिन 99 किसानों से 3350 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। अब तक 23 दिनों में 2721 किसानों से 102170 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। शुक्रवार को 7500 बैग की उठान की गई। अब तक कुल 190000 बैग की उठान कनीना मंडी से की जा चुकी है।
फोटो केप्शन 11: कनीना मंडी में गेहूं खरीदते हैफेड अधिकारी।
किसी भी सरकारी व गैर सरकारी संस्थान द्वारा स्कूली बच्चों को बुलाया गया तो उसको बख्शा नहीं जाएगा -एसडीएम
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कनीना। अगर किसी भी सरकारी व गैर सरकारी संस्थान ने बच्चों को बुलाया तो उसकी खैर नहीं है। ये विचार कनीना के एसडीएम दिनेश कुमार ने विभिन्न स्कूलों में औचक निरीक्षण के उपरांत व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना महामारी को लेकर आदेश जारी किया हुआ है कि 31 मई तक प्रदेश के सरकारी व गैर सरकारी सभी स्कूल बंद रहेंगे। जिसको लेकर कनीना के निकटवर्ती चलने वाले कई स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जिसमें सभी स्कूल बंद पाए गए और किसी में भी बच्चे नहीं मिले।
एसडीम दिनेश कुमार ने बताया कि सूचना मिली थी कि कई स्कूल अभी बच्चों को बुलाकर सरकार के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं जिसको लेकर हमने यह कार्रवाई की थी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में भी 31 मई से पहले अगर किसी भी प्राइवेट वह सरकारी स्कूल के अलावा आंगनवाड़ी सेंटर आदि में अगर बच्चों को बुलाया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
फोटो कैप्शन 10: स्कूल का निरीक्षण करते एसडीएम।
माता-पिता को परेशान करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा-दिनेश कुमार
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कनीना। माता पिता को परेशान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा क्योंकि जिस माता-पिता ने भगवान से लाखों मन्नतें मांग कर जिस संतान को पैदा किया वही संतान आज उनको मारपीट कर घर से निकाल रही है। ये विचार कनीना के एसडीएम दिनेश कुमार ने एक बुजुर्ग द्वारा दी गई शिकायत पर करवाई के उपरांत व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि निकटवर्ती ग्राम बाघोत से एक बुजुर्ग द्वारा दी गई शिकायत में पीडि़त ने बताया कि उसके बेटे मारते पीटते हैं और घर से निकलते हैं, जिस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एसडीएम ने बुजुर्ग पिता को आश्वासन दिया कि उनको किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि माता-पिता द्वारा बच्चों को सब कुछ दे दिया जाता है लेकिन उसके बाद भी वही माता-पिता एक एक टुकड़े के मोहताज हो जाते हैं इसलिए हमारी सब की ड्यूटी बनती है की ऐसी संतान को अवश्य ही कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
जहरीली दवा निगल लेने से व्यक्ति की मौत
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कनीना। उपमंडल के गांव कपूरी में खेती बाड़ी का काम करने वाले किसान की जहरीली दवाई खाने से मौत हो गई। मिली जानकारी के अनुसार राजेंद्र 38 वर्ष जोकि खेती का कार्य करता था। उसने एक ट्रैक्टर भी लिया हुआ था उस ट्रैक्टर के माध्यम से कृषि कार्य करता था। राजेंद्र के पड़ोसी धर्मवीर ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार की शाम को ट्रैक्टर से कार्य करने के बाद राजेंद्र घर पर आया। राजेंद्र की दिमाग की हालत ठीक नहीं थी। वह दिमाग का संतुलन बनाए रखने के लिए दवाई लेता था रात के अंधेरे में उसने दिमाग की दवाई की जगह जहरीली दवाई पी ली इसकी वजह से उसकी तबीयत बिगडऩे लगी परिवार के लोगों ने जब उसे देखा तो तुरंत कनीना के एक निजी अस्पताल लेकर गए जहां पर उन्होंने हाई सेंटर रेफर कर दिया। उसके बाद परिजनों उसको रेवाड़ी के राज्य के अस्पताल में ले गए 2 दिन उपचार के बाद शुक्रवार को सुबह राजेंद्र की मौत हो गई। परिजनों के बयान पर पुलिस ने इत्तफाकिया कार्रवाई करके शव परिजनों को सौंप दिया।
दी कनीना प्राथमिक सहकारी समिति के चुने गए प्रधान और उपप्रधान
-जगदीश रामबास को प्रधान तथा बाबूलाल सीहोर को उपप्रधान चुना
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कनीना। शुक्रवार को दी कनीना प्राथमिक सहकारी समिति की एक बैठक शाखा कनीना में आयोजित की गई। इस बैठक में शामिल डायरेक्टरों ने प्रधान और उपप्रधान पद के चुनाव के लिए नाम प्रस्तावित किए। बैठक में पहुंचे सभी डायरेक्टरों ने सर्वसम्मति से प्रधान और उपप्रधान का चुनाव किया। इस चुनाव में जगदीश रामबास को प्रधान चुना गया। बाबूलाल सीहोर को उपप्रधान चुना गया। कनीना पैक्स के चुनाव अक्टूबर 2020 में हुए थे। लेकिन अभी तक प्रधान और उप प्रधान का चुनाव नहीं हो पाया था। शुक्रवार को चुनाव अधिकारी मेनपाल, बैंक प्रबंधक युद्धवीर की देखरेख में कनीना पैक्स चुनाव संपन्न कराए गए। कनीना पैक्स के लिए हुए चुनाव में 10 डायरेक्टर चुने गए थे। लेकिन चुनाव प्रक्रिया में 6 डायरेक्टरों ने हिस्सा लिया जबकि सातवा वोट बैंक के सरकारी कर्मचारी द्वारा डाला गया। 4 डायरेक्टरों ने चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुए 6 डायरेक्टर मुनेश, संतरा देवी ,मंजीता यादव ,सोमबीर ,जगदीश, बाबूलाल शामिल थे। बैंक के सरकारी कर्मचारी के रूप में दी महेंद्रगढ़ कापरेटिव बैंक के विकास अधिकारी बलजीत यादव शामिल हुए और उन्होंने अपना वोट डाला। आपको बता दें कि कनीना पैक्स के प्रधान और उपप्रधान पद के चुनाव के लिए कोरम पूरा करने के लिए 7 वोटों की जरूरत थी। 6 डायरेक्टर और एक सरकारी कर्मचारी के वोट को मिलाकर कोरम पूरा हुआ। चुनाव प्रस्रि5या में शामिल नहीं होने वाले डायरेक्टरों में सविता कनीना ,होशियार सिंह कनीना, राजेंद्र ककराला, काशीराम भडफ़ थे। कनीना पैक्स के डायरेक्टर चुने हुए काफी समय हो गया था लेकिन कई बार मीटिंग होने के बावजूद प्रधान और उपप्रधान पद का चुनाव नहीं हो पाया था। शुक्रवार को भी चुने गए 10 डायरेक्टरों में से 4 डायरेक्टर शामिल नहीं हुए। लेकिन बैंक की नियमावली के अनुसार 7 लोगों द्वारा कोरम पूरा होता है। इस बैठक में 6 डायरेक्टर और एक सरकारी कर्मचारी के वोट को मिलाकर कोरम पूरा हुआ और चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न कराए।
फोटो कैप्शन 11: पैक्स के चुनावों में चुने गये प्रधान एवं उप प्रधान का स्वागत करते हुए।
रक्तदान महादान है युवा इसके महत्व को अवश्य समझे - एसडीएम दिनेश
-40 यूनिट रक्त किया इकट्ठा
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कनीना। सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब द्वारा लाइफविवा वैलनेस एवं रेडक्रास सोसाइटी नारनौल के सहयोग से कान्हा जी स्कूल कनीना में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि दिनेश एसडीएम कनीना ने रक्तदान शिविर का उद्धघाटन किया।
शिविर के दौरान सरकार के दिशा निर्देशानुसार कोरोना वायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी की गई।
मुख्य अतिथि एसडीएम कनीना दिनेश ने बीएमडी क्लब को सफल आयोजन की शुभकामनाएं देते हुए कहा की रक्तदान महादान है। धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे लोग है, जिनको अभी भी रक्तदान करने से डर लगता है। तो हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें जागरूक करें। हम लोगों का यह भावना जन-जन तक पहुंचनी चाहिए कि रक्तदान महादान है, इससे लाखों लोगों की जिंदगी बच सकती है।
स्वास्थ्य विभाग से उपस्थित डा. नेहा ने कहा कि हर तीन माह में एक बार रक्तदान करना चाहिए। इससे आपके शरीर में आयरन की मात्रा ठीक बनी रहती है, जिसके कारण दिल संबंधी बीमारियां नहीं होती है। अगर आप रक्त दान करेंगे तो आपके शरीर में खून के नए कण बनेंगे, जिससे आपका स्वास्थ्य सही रहेगा। रक्त दान करने से ब्लड प्रेशर सामान्य और कोलेस्ट्राल का स्तर कम रहता है। नियमित रूप से रक्तदान करने से कैलोरी और वसा जल्दी बर्न होता है, जिससे मोटापा भी नहीं होता।
जिला युवा अधिकारी महेन्द्र कुमार नायक,एडवोकेट रेखा यादव एवं पिंकी यादव एमडी कान्हा जी स्कूल ने भी आये हुए रक्तदाताओं को प्रेरित करते हुए कहा की रक्तदान ही है, जो न केवल किसी जरूरतमंद का जीवन बचाता है बल्कि जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियों के ढेरों रंग भी भरता है।
क्लब चेयरमैन लक्की सीगड़ा ने सभी आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा की इस समय रक्त की कमी को देखते हुए यह शिविर लगाया गया। जिसमें सुबह से ही रक्तदाताओं का आना शुरू हो गया था। भविष्य में भी क्षेत्र के युवा हर समय रक्त दान करने के लिए तैयार रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान सभी रक्तदाताओं को प्रमाण-पत्र भी वितरित किया। इस रक्त दान शिविर में लगभग 40 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया।
इस अवसर पर इस कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि जयवीर कुमार एमडी लाइफविवा वैलनेस ,महेन्द्र कुमार नायक जिला युवा अधिकारी एनवाइकेएस,एडवोकेट रेखा यादव एवं एचआर डिजिटल के एमडी नवीन यादव, घनश्याम एवं कर्मपाल,इंद्रजीत शर्मा,कर्मपाल यादव,नरवीर सिंह,स्वीटी,रोनिका यादव ,मोहित शर्मा,प्रियंका प्रजापति ,दीपिका,निशा ,रेडक्रास से घनश्याम, सिंटू यादव लैब टेक्नीशियन,सुरेंद्र शर्मा ,सुदेश,प्रवीण,पूनम,निशा सहित अन्य युवा साथी एवं रक्तदाता उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 8 व 9: रक्तदान करते हुए तथा उपस्थित एसडीएम दिनेश कुमार।
व्यसनों में संलिप्त होने लगे हैं स्कूल एवं कालेज के विद्यार्थी
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कनीना। कनीना के कालेज एवं स्कूली विद्यार्थी भी विभिन्न नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं। अभिभावक, शिक्षक एवं आम जन चिंतित है।
शहरों के बाद अब गांवों के युवा भी विभिन्न प्रकार के व्यसनों में संलिप्त हो रहे हैं। बीड़ी, सिगरेट, चिलम, हुक्का, शराब, नशीली दवाएं तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। ये चीजें आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपलब्ध हैं। कहने को तो सरकार ने बीड़ी सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है किंतु ये नशीले पदार्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भी दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। परचून की दुकानों से लेकर अन्य दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं।
शराब की तस्करी के साथ-साथ ताशबाजी में पूरी तरहा लिप्त होते जा रहे है। आश्चर्य यह है कि शहरों की ताशबाजी की संस्कृति ने अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पूरी पैठ बना ली है। बेराजगार युवकों के लिए एक आसरा या समय काटने का सहारा बना सट्टा उनके परिवारों को बर्बादी की कगार पर खड़ा करता जा रहा है।
युवा वर्ग बीड़ी सिगरेट एवं शराब आदि को सार्वजनिक स्थानों पर भी प्रयोग करते देखे जा सकते हैं। स्कूल हो या कालेज अब तो युवा वर्ग इन व्यसनों की ओर अधिक लिप्त हो रहा है जिसके पीछे मां बाप का नौकरी पर चले जाना और बच्चों पर निगरानी न रखना माना जा रहा है।
बेरोजगार आर्थिक आय जुटाने के रूप में शराब की तस्करी कर रहे हैं। ताश की आड़ में जुआ तक खेलते हैं। कुछ युवक तो हताश व निरास होकर अपना सब कुछ लुटाकर आत्महत्या करने भी विवश हो चुके है।
डा अजीत शर्मा एवं वैध बालकिशन इस संबंध में कहते हैं कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम तथा शराब युवा वर्ग दिखाए के लिए शुरू तो कर देता है किंतु इससे पीछा छुड़ाना कठिन हो जाता है। ये नशीली वस्तुएं शरीर, मन एवं धन को बर्बाद कर डालती है। गुर्दे, आंखें, हृदय, पाचन तंत्र, तंत्रिका तंत्र खराब हो जाते हैं और युवा असामयिक वृद्ध हो जाते हैं।
अभिभावक रमेश, नरेश, कृष्ण एवं योगेश का कहना है कि युवा वर्ग पर निरंतर नजर न डालने से वो कुसंगति में पड़ जाता है और विभिन्न व्यसनों में लिप्त होकर जीवन को बर्बाद कर बैठता है। उनका मानना है कि युवाओं पर नजर रखनी, स्कूल एवं कालेज में शिक्षकों से पूछताछ जरूरी बन गई है।
शिक्षक राजेश कुमार, सत्येंद्र एवं नरेश ने बताया कि उन्होंने स्कूलों एवं कालेजों में युवा वर्ग को इन व्यसनों में पीडि़त देखा है और पकड़ा भी है किंतु वे सरकार के नियमानुसार दंड नहीं दे सकते हैं जिसके चलते उनके हौसले बुलंद हैं।
पुस्तक दिवस पर विशेष
-पुस्तकों के प्रति रुचि धीरे धीरे घट गई है
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कनीना। एक जमाना था जब पुस्तकों के प्रति बेहद लगाव होता था। दिन रात चांद के प्रकाश में, चिमनी, लालटेन आदि की सहायता से पुस्तकें पढ़ी जाती थी। पुस्तकों के लिए बेशक धन कम होता था, मोबाइल होते नहीं थे ऐसे में पुस्तक ज्ञान का एकमात्र सहारा होती थी। चाहे किसी भी रूप में पुस्तक पढ़ी जाए, लोग
पुस्तक पढ़ते थे किंतु अब दुर्भाग्य है पुस्तकों से मोह धीरे धीरे भंग हो गया है। पुस्तक पढ़ते नहीं, कापीराइट का ज्ञान नहीं है।
राधेश्याग गोमला लेखक का का कहना है कि पुस्तकें मानव जीवन के लिए सर्वाधिक उपयोगी मार्गदर्शक साधन हैं। पुस्तकें वो धरोहर हैं जो हमें भूत वर्तमान और कहीं कहीं भविष्य का भी दर्शन कराती हैं। आज जो मानव बेहतर वर्तमान जी रहा है, इसे बेहतर बनाने में पुस्तकों का सर्वाधिक योगदान रहा है। अगर पुस्तकें नही होती तो मानव विकास की वो बुलन्दियां नही छू पाता जहां आज वह खड़ा है। पुस्तकें ज्ञान तो देती ही हैं, साथ साथ जीने का ढंग सिखाती हैं, मरने की कला सिखाती हैं। और तो और मृत्यु के बाद और अगले जीवन तक की राह सुझाती हैं। वर्तमान की संपत्ति पुस्तकें भविष्य की पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक का काम करती हैं।
स्याणा से समशेर सिंह कोसलिया का कहना है कि पहले के जमाने की अपेक्षा अब के युग में लोग पुस्तक खरीद कर बहुत ही कम पढ़ते हैं।
पहले के जमाने में लोग पुस्तक को अपना मित्र समझते थे और आज के जमाने में मोबाइल फोन को अपना मित्र समझते हैं। पहले के जमाने में लेखक से भी लोग पुस्तक खरीद कर पढ़ते थे और आज के जमाने में मुफ्त में लेकर पढ़ते हैं और यहां तक की कुछ तो मुफ्त में ली गई पुस्तक को भी नहीं पढ़ते। अब तो लोगों को पुस्तकों से प्यार की बजाय मोबाइल से प्यार हो गया है।
कुछ लोगों को तो पुस्तक के प्रारंभिक पेज को पढ़कर ही शेष पेजों को न पढ़कर फेंक देने की आदत है। कुछ लोगों की सोच यह होती है कि पुस्तक के लेखक को पता नहीं कितनी ही अनाप-शनाप पैसे की कमाई होती है और लेखक को धनवान समझते हैं जबकि लेखक आर्थिक आधार पर गरीब होता है और मन से धनवान है। ऐसे में पुस्तकों के प्रति जन रुझान नहीं है।
उधर आशा यादव लेखिका का कहना है कि आने वाले समय में पुस्तक की कद्र घट जाएगी और लोग भूलते चले जाएंगे कि पुस्तक के लेखन में कैसे कैसे कष्ट लेखक सहन करते आये हैं।
समाजसेवी एवं शिक्षक राजेश उन्हाणी का कहना है की पुस्तकों से जिसको प्यार होता है वह जीवन में सफल होता है। किंतु अब पुस्तकों से न ही तो प्यार रहा, न पुस्तकों से लगाव रहा। अब तो महज मोबाइल से ज्यादा प्यार है। यही कारण है पुस्तकें गुम होती रही है। आजकल तो कापीराइट एक्ट का पता अधिकांश लोगों को नहीं है।
तथ्य या रचना हूबहू चोरी कर लेते हैं। ऐसे में कापीराइट का मामला भी बनता है। यही कारण है कि पुस्तकों का जमाना लद गया है।
फोटो कैप्शन: राधेश्याम गोमला, समशेर सिंह कोसलिया, राजेश उन्हाणी। जागरण
आयुर्वेदिक सलाह......................
नियमित गुनगुना पानी सेवन करे
-भाप को नाकों से खींचे
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कनीना। ग्रामीण आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बाघोत में आयुष मेडिकल आफिसर डा शशी मोरवाल का कहना है कि कोरोनावायरस के चलते नित्य प्रति गुनगुना पानी पीना चाहिए। जो चाय पीते हैं उन्हें अधिकतम दो कप चाय पीनी चाहिए किंतु चाय या तो नींबू की हो या फिर चाय में तुलसी, लौंग, काली मिर्च, अदरक, अजवायन, अदरक आदि डालकर बनी हो। हो सके भाप को नाकों से खींचे।
उन्होंने कहा कि रात के वक्त दूध में हल्दी डालकर पीना चाहिए। एक गिलास दूध में चौथाई चम्मच हल्दी डालकर जरूर पीये। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते नियमित सफाई के साथ खाना खाने से पूर्व जरूर हाथों को हैंडवाश से धोना चाहिए। दिन में तीन चार बार हाथ धोए।
डॉ शशि मोरवाल का कहना है कि ऐतिहात के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। ताजा फल और सब्जियों का ही उपयोग करना चाहिए। फल सब्जियों को अच्छी प्रकार धोकर प्रयोग करें। वहीं उन्होंने कहा कि खट्टे फल जिनमें संतरा,मौसमी आदि का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए ताकि विटामिन-सी की पूर्ति हो सके।
उन्होंने कहा कि बासी खाना नहीं खाना चाहिए। जब घर से बाहर निकले तो नाक में घी या तेल सरसों या नारियल जरूर लगाकर निकले। हल्का खाना तथा गर्म खाना ही खाना चाहिए। सूखे मेवे अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए वहीं अंकुरित अनाज जैसे चना, मूंग, भुना हुआ चना आदि प्रयोग करना चाहिए ताकि कोरोना से बचा जा सके।
डा शशी मोरवाल, आयुष मेडिकल अधिकारी जीएडी बाघोत(कनीना)
20 डोज कोरोना की दी गई
-500 वैक्सीन आई
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कनीना। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में जहां 20 डोज कोरोना की विभिन्न लोगों को दी गई। जहां अप नागरिक अस्पताल का समय प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे का होने के कारण बहुत से लोग कोरोना वैक्सीन लेने से वंचित रह गए। आप भविष्य में भी अस्पताल का यही समय रहेगा। उप नागरिक अस्पताल के एचआई शीशराम ने बताया कि गत दिवस की बची हुई 20 डोज विभिन्न लोगों को दी गई हैं।
500 डोज आई--
शीशराम ने बताया कि जहां कोरोना वैक्सीन समाप्त होते ही 500 और वैक्सीन आ चुकी है जो शनिवार को लगाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि अभी तक 45 वर्ष से 60 वर्ष तक के या इससे अधिक उम्र के लोगों को ये डोज दी जा रही हैं।
भोजावास में नहीं लगी वैक्सीन-
भोजावास में शुक्रवार को कोई वैक्सीन नहीं लगी। यहां वैक्सीन का अभाव था। एचआई राजकुमार चौहान ने बताया कि अब तक वैक्सीन का अभाव था किंतु शुक्रवार को 300 नई वैक्सीन भोजावास के लिए आ चुकी हैं।
67 सैंपल लिये--
उधर डाक्टर जितेंद्र मोरवाल उप नागरिक अस्पताल कनीना ने बताया कि शुक्रवार को 67 विभिन्न लोगों के कोरोना सैंपल लिए गए हैं। प्रतिदिन कोरोना जांच के लिए यहां सैंपल लिए जा रहे हैं। इनकी रिपोर्ट 2 से 3 दिन के अंदर अंदर आ जाती है तत्पश्चात आगामी कार्रवाई की जाती है।
उधर कनीना में दो दिनों में आए करीब आधा दर्जन कोरोना संक्रमितों को घर पर ही आइसोलेट कर दिया गया है तथा उनके संपर्क में आए लोगों को स्क्रीनिंग कर दिया गया है।
किसान जुटे कृषि कार्यों में
-कपास की ओर रुझान कम
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कनीना। किसान एक बार फिर से खरीफ फसल की तैयारियों में लग गए हैं। रबी फसल पैदावार लेने के बाद अन्न को बेचकर किसान खरीफ विशेषकर कपास की बीजाई की तैयारियों में लगे हैं। खेतों में खाद डालने का काम जारी है।
वैसे तो किसानों की प्रमुख फसल गेहूं की है। किसान गेहूं को खाने के लिए सबसे अधिक प्रयोग करते हैं वहीं बाजरे की फसल चारे के लिए अधिक उपजाया जाता है और खाने के लिए कम। रबी फसल बेहतर पैदावार नहीं दे पाई। कुछ पैदावार हुई बेचकर घर के कामों के लिए धन प्राप्त किया है। विगत वर्षों से किसान कपास फसल की ओर आकर्षित हुये थे किंतु विगत वर्ष कपास की फसल में रोग आ जाने से किसान नुकसान की ओर चले गये थे। परिणामस्वरूप इस बार किसानों का रुझान कपास की ओर कम है।
अब किसान खरीफ फसल की तैयारी में लग गया है। खेतों में खाद डालने विशेषकर गोबर का खाद डालकर उसे बिखेरने तथा बारिश होने का इंतजार करेंगे। किसान गर्मियों में अपनी ऊंटगाड़ी, ट्रैक्टर एवं ट्राली से खाद खेतों में डालते हैं।
कनीना के किसान अजीत सिंह, योगेश कुमार, रोहित कुमार ने बताया कि रबी फसल पैदावार लेने के तुरंत बाद किसान अपनी खरीफ फसल में लग जाता है। इस दौरान बाजरा, ग्वार एवं कपास आदि उगाते हैं। किसानों ने बताया कि खरीफ फसल पूर्णरूप से बारिश पर आश्रित है। बारिश होने पर बीजाई कर देते हैं।
किसान पशु पालक होने के कारण पशुओं के गोबर से खाद बनाते हैं या फिर गोबर से कंपोस्ट व केंचुआ खाद बनाकर खेतों में डालने लगे हैं। किसान मेहनती है और गर्मी में भी खेतों में खाद डाल रहे हैं।
फोटो कैप्शन 2: किसान खेत में खाद डालते हुए।
बुजुर्गों से चर्चा
जीवन में पहली बार देखी है ऐसी महामारी
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कनीना। कनीना क्षेत्र के बुजुर्गों से कोरोना के बारे में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इस प्रकार की महामारी देखने को मिली, जब लोग घरों में छुपे हुए हैं। यह दूसरा साल चल रहा है और लोग परेशान हो चले हैं। महामारी घटने का नाम ही नहीं ले रही है। विभिन्न बुजुर्गों से इस संबंध में चर्चा की।
वयोवृद्ध हरद्वारी लाल 95 वर्षीय ने बताया कि उनके जीवन में महामारी जरूर आई तथा सुनी थी परंतु इस प्रकार की महामारी पहली बार देख रहे हैं जब घर में छुपकर भी चैन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा की महामारी अजब है जो जिसका पक्का इलाज भी अभी तक नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने तो जग को हिलाकर रख दिया है। वह भी चिंतित है पर महामारी के सामने शून्य हैं। उन्होंने इस महामारी से बचने की अपील की है।
वयोवृद्ध डा मेहर चंद 84 वर्षीय का कहना है कि वह बहुत लंबे समय से विभिन्न प्रकार के रोग देख चुके हैं किंतु 2020 से जो महामारी चली हुई है कोरोना नामक महामारी नाम दिया है। यह पहली बार देखने को मिली है। इस प्रकार की बीमारी पहले कभी जीवन में नहीं देखी थी। यही कारण है कि इस बीमारी ने तो बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी को परेशान कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। लोग बेहद परेशान हैं।
उनका कहना है कि इस महामारी से बचने के कदम उठाए जा रहे हैं। फिर भी लोग महामारी से पीडि़त हैं।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि सरकार द्वारा बताई हुई कि हिदायतों का पालन करना चाहिए ताकि इस रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि मास्क एक बहुत आसान तरीका है परंतु इसको नियमित रूप से लोग नहीं पहनते जिसके कारण रोग होने का अंदेशा बना रहता है।
फोटो कैप्शन 4: डा मेहरचंद और हरद्वारी लाल।
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Friday, April 23, 2021
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