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Sunday, April 18, 2021



पक्षियों के लिए नियमित रूप से दाना पानी की व्यवस्था कर रही है गीता शर्मा
-करीब 6 हजार परिवारों को बांट चुकी है तुलसी
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कनीना।  उपमंडल के गांव इसराना निवासी गीता शर्मा विगत ढाई वर्षों से  पर्यावरण संरक्षण और महिला स्वावलंबन क्षेत्र में काम कर रही है।
गर्मी के दिनों में वो  पक्षियों के लिए दाने और सकोरों में पानी भरना, कभी नहीं भूलती। सभी जीव जंतु पर्यावरण के संरक्षण में अपना अपना योगदान देते हैं लेकिन वर्तमान समय में जंगलों की भारी कमी के कारण पक्षियों की बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। अत: मानव का दायित्व बनता है कि पर्यावरण के साथ-साथ उनका संरक्षण भी करें। इसी को ध्यान में रखते हुए गीता शर्मा नियमित रूप से पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करती है। इसके अलावा पूरे वर्ष भर में घर में प्रयोग होने वाली प्लास्टिक जैसे साड़ी फाल के लिए पेपर रसोई में मसाला इत्यादि के आने वाली प्लास्टिक पेपर में तुलसी के पौधे उगा कर समाज में वितरित करते हैं।  इस महीने में अब तक 6000 परिवारों को तुलसी वितरित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे चुकी है।
गीता द्वारा ये तुलसी के पौधे अपने घर में ही खाली जगह पर तैयार किये जाते है। जिनके लिए घर पर ही जैविक खाद डालकर खाली पालीथिन व प्लास्टिक के डिब्बों में तुलसी के बीज डालकर तैयार किये जाते हैं। जिनको तैयार होने में लगभग 20 से 45 दिन का समय लगता है। यह प्रेरणा उन्हें अपने पति मोहित के लगातार समाज सेवा करते रहने व संस्था में जुडऩे से मिली। जिसमें संस्था ने डेढ़ लाख पौधों का संकल्प लिया तब से वह ये कार्य बखूबी निभा रही है। जिसमें उन्होंने अब तक जन्मदिन, विवाह या अन्य खुशी के अवसरो पर 6 हजार परिवारों को तुलसी वितरित की जा चुकी है। उन्हें जब पता चला कि तुलसी में औषधीय गुण होते हैं तथा रोगों से बचाने की महत्वपूर्ण बूटी है तब से उन्होंने लोगों के दर्द एवं रोग निवारण का संकल्प लेकर तुलसी बांटने का मन बनाया जिसमें वो कामयाब रही है। उनका कहना है कि जब तक उनके शरीर में प्राण रहेंगे तब तक तुलसी के पौधे बांटती रहेगी।
उन्होंने पक्षियों के लिए सिकोरे रखने व उनमें पानी डालने की प्रेरणा उन्होंने पिछले साल संस्था में बीइंग ह्यूमैन संस्था शामिल होने पर प्राप्त की। जहाँ पर भी गांव में पक्षियों के लिए दाने पानी की कमी महसूस हुई इन्होंने उसे पूरा किया और अबकी बार भी अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने गांव की एक सौ औरतों को भी साथ लिया है। जिन्होंने गीता के कार्यो से प्रसन्न होकर इस नेक कार्य में अपना सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
उनके मन में गर्मियों में विचार आया कि इस भीषण गर्मी में जब इंसान का जीना कठिन होता है तो पक्षियों पर क्या बीतती होगी। यही सोचकर  उन्होंने पक्षियों के लिए सिकोरे रखने व पानी से भरने, दाना डालने का मन बनाया। हर वर्ष दो क्विंटल बाजरा खरीदकर रख लेती हैं तथा जीवों को नियमित रूप से घर के पास ही बने चबूतरे पर डालती है।
गीता शर्मा ने कहा सामाजिक संस्था बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल ईसराना द्वारा 11000 सकोरे रखने की जो मुहिम चलाई है वह बहुत ही सराहनीय है। इस मुहिम से समाज में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा और युवा पीढ़ी को एक अच्छा मार्गदर्शन मिलेगा। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा अब तक अलग अलग जिलों में सैकड़ों कन्याओं के जन्म पर कुंआ पूजन कर कन्या के माता को सम्मानित कर चुके हैं जिससे कि प्रदेश में लिंगानुपात को बराबर रखा जा सके।
फोटो कैप्शन 6: सिकोरे रखती गीता शर्मा।
            7: तुलसी के पौधे तैयार करती गीता शर्मा।



आयुर्वेद व योगा पर वेबीनार .....
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के एक से एक नुसखे आयुर्वेद में - जयवीर कुमार
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कनीना। वर्तमान में कोविड-19 जैसी महामारी की स्थिति में आयुर्वेद की लोकप्रियता पर कनीना में एक वेबीनार का आयोजन किया। जिसमें मुख्य वक्ता लाइव विवा वैलनेस कंपनी के एमडी जयवीर कुमार थे। वही बीएमडी योगा इंस्टीट्यूट संचालक लक्की सिगड़ा विशिष्ट वक्ता रहे। इस वेबीनार में महेंद्रगढ़ ही नहीं दूसरे जिलों सहित राजस्थान, एमपी, उत्तर प्रदेश आदि जगहों के लोग भी जुड़े।
जयवीर कुमार ने कहा कि कोविड-19 जैसी महामारी से बचने के लिए 2 गज दूरी व मास्क है जरूरी वाला नियम जरूर अपनाना पड़ेगा। साथ में देश में हो रहे सकारात्मक बदलाव से आयुर्वेद में अब लोग रूचि ले रहे हैं और देश अंग्रेजी इलाज से निराश-हताश होकर अंतिम उम्मीद लिए आयुर्वेद की ओर जा रहे हैं। आज शायद ही कोई घर होगा जहां आयुर्वेद से जुड़ा एकाध उत्पाद न हो। अनियमित जीवनशैली से परेशान लोग हर्बल उत्पाद के प्रति न सिर्फ उन्मुख हो रहे हैं, बल्कि सुबह के व्यायाम में योग से लेकर खानपान और उपचार में आयुर्वेदिक दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ क्रियाएं ऐसी हैं जिसे अपनाने को लंबा इंतजार भी उन्हें कुबूल है। पंचकर्म उन्हीं में से ही एक है। अलग-अलग ऋतुओं में लोग आयुर्वेद की कुछ क्रियाएं कराते हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित किया जाए। उन्होने यह भी बताया कि एक्यूप्रेशर शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग के निदान करने की अच्छी विधि है। चिकित्सा शास्त्र की इस शाखा का मानना है कि मानव शरीर पैर से लेकर सिर तक आपस में जुड़ा है। एक्यूप्रेशर एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है, जिसे पैरों और तलवे में मौजूद ऐसे कई स्थल होते हैं जिनकी मदद से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है। कोरोना काल में हल्की-फुल्की खांसी और गले में खराश को लेकर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। मौसम में बदलाव और ठंडा-गर्म खाने-पीने से भी इस तरह की समस्या हो सकती है। इसकी दवा तो आपकी रसोई में मौजूद है। बस आवश्यकता है उसे जानने और दूसरों को समझाने की है। सूखी खांसी व गले में खराश को दूर करने में आयुष का घरेलू उपचार बहुत कारगर है। ताजे पुदीने के पत्ते और काला जीरा को पानी में उबालकर दिन में एक बार भाप लेने से इस तरह की समस्या से राहत मिल सकती है। लौंग के पाउडर को मिश्री या शहद के साथ मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने से इस तरह की समस्या दूर हो सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के एक से एक नुसखे आयुर्वेद में मौजूद हैं, जिसको आजमाकर हम कोरोना ही नहीं अन्य संक्रामक बीमारियों को भी दूर रख सकते हैं। इन नुसखों के कोई विपरित प्रभाव नहीं हैं। भोजन में हल्दी, धनिया जीरा और लहसुन का इस्तेमाल भी इसमें बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है।
 लक्की सिगड़ा ने बताया कि आयुर्वेद बच्चों को बचपन से पढऩा चाहिए जो कि हम लोग नहीं पढ़ाते है। इसकी जानकारी सभी बच्चों को होनी चाहिए। उन्होंने कहा में पूरी कोशिश करूंगा कि इसको बढ़ावा दिया जाए। आयुर्वेद भारत में उत्पन्न विभिन्न वनस्पतियों के आधार पर, यहाँ पर प्रचलित व्यायाम क्रियाओं एवं यौगिक क्रियाओं के आधार पर किया जाता है। उसी प्रकार विभिन्न ऋतुओं, काल के आधार पर उत्पन्न वातावरण की परिवर्तित स्थितियों के आधार पर ही आहार-विहार पर ही, विभिन्न त्योहार आदि पर विभिन्न के व्यंजन आदि को बनाया जाता है। ऋतु काल परिवर्तन के आधार पर ही विभिन्न प्रकार के पथ्य-उपथ्य की कल्पना की गयी है।
स्वस्थ रहने के लिए योग बहुत जरूरी है। इसे नियमित करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें सर्वांगासन का विशेष महत्व है। इससे थाराइड आदि विभिन्न तरह के रोग शरीर से दूर रहते हैं। कोरोना काल में योग का महत्व और बढ़ गया है। इसे घर पर परिवार के साथ आसानी से करते हुए स्वस्थ रहा जा सकता है।
योग में विभिन्न प्रकार के आसन व प्राणायाम आदि बताए गए हैं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए यह आसन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही खराब जीवन शैली से पैदा हुए मन के विकारों को दूर कर स्ट्रेस, डिप्रेशन और चिता को भी कम करता है। सर्वांगासन को सभी आसनों की जननी भी कहा जाता है।
 नरवीर सिंह ने कहा कि आयुर्वेद व योगा को अपनाकर खुद व परिवार को स्वस्थ किया जा सकता है। योग केवल शरीर पर ही काम नहीं करता, यह मन को शक्तिशाली व तनाव रहित बनाता है। कमजोर शरीर को शक्तिशाली मन चला सकता है, परन्तु एक शक्तिशाली शरीर को कमजोर मन नहीं चला सकता है। योग क्रियाओं से मन को स्थिर रखते हुए शारीरिक एवं मानसिक विकारों से मुक्ति पाने का उपक्रम ही योग है। इस वेबीनार में विनोद राणा फरीदाबाद, विशाल राणा फरीदाबाद, दिलीप कुमार जयपुर, कुलदीप कुमार बीकानेर, सुखराम मैनपुरी, अजय कुमार इटावा, रामदेव आगरा, प्रवीण कुमार खोरड़ा, नवीन यादव ढाना सहित अनेक लोग शामिल हुए।
फोटो कैप्शन 12:वेबीनार का एक नजारा।





500 महिलाओं को दे चुकी है प्रमिला यादव प्रशिक्षण
-परिवार का पालन पोषण कर रही हैं ये महिलाएं
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कनीना। एक समय था जब अधिकतर महिलाएं सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित रहती थी और वह घरेलू कामकाज में ही उलझ कर अपना पूरा जीवन बिता देती थी। लेकिन आज के समय में कुछ महिलाएं अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते निभाते अपना कीमती समय समाज कल्याण पर्यावरण संरक्षण जागरूकता सामाजिक बुराइयों के प्रति लोगों को जागरूक करना व महिलाओं व लड़कियों की शिक्षा तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु अपना अमूल्य योगदान दे रही है।
यही कार्य गत करीब दस वर्षों से से मेघनवास निवासी प्रमिला यादव कर रही है। उस वह सिर्फ इसकी वजह से सैकड़ों लड़कियां सिलाई कढ़ाई तथा कंप्यूटर जैसी शिक्षा प्राप्त कर लगभग 500 महिलायें अपनी आजीविका कमा रही है और अपना घर परिवार भी चला रही है।
प्रमिला यादव प्रयास श्री बालाजी संस्था ,की महिला कार्यक्रम प्रमुख है और समय-समय पर आंगनबाड़ी केंद्रों और अन्य सार्वजनिक स्थानों विभिन्न गांव में जाकर महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण ,जल संरक्षण, तथा साफ-सफाई के लिए तो जागरूक कर ही रही है। इसके साथ साथ सरकार की सभी योजनाओं के बारे में वह महिलाओं को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके साथ-साथ प्रोमिला संस्था द्वारा संचालित सिलाई कढ़ाई सेंटर जो कि मुख्यत: झुगियों में चलाए जा रहे हैं। उनकी देखरेख भी करती है तथा खुद उनको प्रशिक्षण भी देती हैं। 40 गांव में 600 महिलाएं प्रोमिला की इस मुहिम से जुड़ी हुई है और समय-समय पर समाज में फैली बुराइयों के प्रति अन्य महिलाओं को जागरूक करने का कार्य कर रही है।
फोटो कैप्शन 9: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की शपथ दिलवाती प्रमिला यादव।
  साथ में प्रमिला यादव।




महिला सशक्तिकरण में उल्लेखनीय उदाहरण है रेखा यादव एडवोकेट
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कनीना। सहारा मत ढूंढो, सहारे छूट जाएंगे,हौसला रखो, हौसले काम आएंगे
इसी सोच के साथ रेखा यादव ने समाज के सामने समाजसेवा एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।  20 जून,1979 में जन्मी रेखा यादव की शुरुआती शिक्षा गांव रामबास में हुई।  वर्ष 1999  में जिला रेवाड़ी के आलियावास गांव में शादी हुई। बहुत मुसीबतों का सामना करते हुए वर्ष 2010 में राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी और वर्ष 2011  में डीएलएल की पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात कार्य क्षेत्र महेन्द्रगढ़ को ही चुना और 2010 में ही लघु सचिवालय महेन्द्रगढ़ में पहली महिला एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस शुरू की क्योंकि महेंद्रगढ़ में कोई रेगुलर प्रैक्टिस में महिला अधिवक्ता नहीं थी। जैसे ही महेंद्रगढ़ में अपनी प्रैक्टिस शुरू की तो बहुत सी दिक्ततों का सामना करना पड़ा। वो पहली अधिवक्ता है जो लगातार प्रैक्टिस कर रही है। चार जूनियर महिला अधिवक्ता उनके पास प्रैक्टिस कर रही हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महेंद्रगढ़ की पन्नेल एडवोकेट के रूप में भी लगातार अपना योगदान दे रही है।
लघु सचिवालय महेन्द्रगढ़ में बतौर एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस करते हुए लगभग 30-35 गरीब और असहाय लोगो के नि:शुल्क मुकदमे लड़ चुकी हैं। अब तक लगभग 40 -45  घरेलु मामलों में समझौते करवाकर लोगों के घर उजडऩे से बचाएं हैं।
बीएमडी क्लब के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में चलाए जा रहे एक परिवार-एक पौधा मिशन से जुड़कर भी लगभग विभिन्न गांवों में 500 से जयादा पौधे लगाकर पर्यावरण को संरक्षित करने में योगदान दिया है। महिला सशक्तिकरण,कन्या भ्रुण हत्या,दहेज़ प्रथा ,बाल विवाह ,नशा -एक समस्या आदि का उन्मूलन,सफाई अभियान ,झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों एवं परिवारों की सहायता कर खाद्य एवं शिक्षण सामग्री वितरित करना जैसे सामाजिक कार्यों में भी अग्रसर रहती है। बेटियों के जन्म पर परिवार का सम्मान कर कुआं-पूजन कार्यक्रम का आयोजन करवाकर उनकी शिक्षा पर भी बल देने के लिए समाज के लोगो को जागरूक कर रही है। क्षेत्र की लगभग 15  महिलाओं को अपनी पूंजी से सिलाई मशीन दिलवाकर उनका रोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर भी बनाया गया हैं ।
लाकडाउन के दौरान समाज का हर व्यक्ति प्रत्येक की मदद करने के लिए कदम बढ़ा रहा है। इस क्रम में एडवोकेट रेखा यादव का सहयोग भी किसी से कम नहीं है। समय मिलते ही नि:शुल्क कपड़े के मास्क तैयार कर लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए जरूरतमंद को वितरित करती रही है।
एडवोकेट रेखा यादव ने कहा कि लाकडाउन में घर में रहने से बोर हो रही थी। इसलिए समय बिताने और लोगों की मदद करने के लिए मास्क बनाने का काम शुरू किया। जिन्हे बाजार से मास्क नहीं मिल पा रहा है या जो खरीद नहीं पाए हैं उन्हें भी मास्क मिल सकें इस बात को ध्यान में रखकर कपडे के मास्क बनाने का निर्णय लिया। कपड़ें से बने इन मास्कों को अच्छी तरह धोने के बाद ही लोगों को वितरित करती है। रेखा यादव अभी तक 250 से अधिक मास्क वितरित कर चुकी हैं ।
एडवोकेट रेखा यादव ने यह भी कहा की आज समूचा देश कोरोना वायरस की चपेट में आने से संकट की घड़ी से गुजर रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए हम सभी को अपने-अपने स्तर पर भी सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। संकट की इस घड़ी में हम देश के साथ खड़ा होकर लोगों की जितनी मदद कर सकें वो हमें अवश्य करनी चाहिए। एडवोकेट रेखा यादव द्वारा स्वयं मास्क वितरित करने के साथ-साथ 250 मास्क सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब को भेंट किए हैं।
े रेखा यादव सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब से जुड़कर महिला विंग मुख्य कन्वीनर के रूप में नि:स्वार्थ भाव से समाज सेवा दे रही हैं । इसी कड़ी में वर्तमान में भी संस्था वैश्विक महामारी कोरोना वायरस जैसी संवेदनशील स्थिति में भी सरकार ,प्रशासन एवं आमजन के सहयोग के लिए भी प्रयासरत हैं।
समाज सेवा के प्रति इसी समर्पण को देखते हुए अनेकों बार सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका हैं। समय-समय पर कई युवा सम्मेलनों सहित अन्य विधिक सेवा सेमिनारों में भी भाग लिया हैं।
फोटो कैप्शन: रेखा यादव
फोटो कैप्शन 10: सिलाई मशीन वितरित करती रेखा यादव।




बढ़ती ही जा रहे हैं कोरोना संक्रमित
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। एक और जहां सरकार रोग से बचने की हिदायत दे रही है परंतु लोग मास्क प्रयोग नहीं कर रहे हैं।  परिणाम स्वरूप कोरोना केस बढ़ते ही जा रहे है। कनीना में
चार कोरोना संक्रमित पाए गए जिनमें से तीन को घर पर आइसोलेट कर दिया गया है।  धर स्याणा में तीन, धनौंदा में एक ,नंगल हरनाथ में दो अगियार में एक सहित आसपास आने पास भी गांव में कोरोना संक्रमित मिले हैं।
डॉ धर्मेंद्र का कहना है कि फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखनी चाहिए इससे रोग नहीं लगेगा। वहीं मास्क लगाकर इधर उधर जाना चाहिए, हाथों को बार-बार साबुन या डिटोल से धोना चाहिए। सैनिटाइजर का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रकार की कोई खांसी सर्दी, जुकाम बुखार आदि की शिकायत है तो डॉक्टर की सलाह लेने से नहीं हिचकिचाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खाना नियमित रूप से खाते रहना चाहिए। हो सके घर का ही खाना खाए। खाने के लिए कोई बंदिश नहीं है। लेकिन खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
कोरोना को हराने के लिए अपनी बारी आने पर वैक्सीन ले। कोरोना संक्रमित के संपर्क में अगर आ जाये तो तुरंत अपना टेस्ट करवाए। देरी के कारण रोग बढ़ सकता है। इस बार कोरोना ज्यादा घातक है तथा फैलने की दर भी अधिक है। ऐसे में बचाव में ही बचाव है।


हितेंद्र बोहरा बने प्रांतीय उपाध्यक्ष
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कनीना। भारत विकास परिषद् दक्षिण हरियाणा के प्रांतीय उपाध्यक्ष हितेंद्र बोहरा बनने व डा आरबी यादव को प्रांतीय महासचिव बनाने पर भारत विकास परिषद् शाखा कनीना के संरक्षक कंवर सैन वशिष्ठ व शाखा अध्यक्ष मोहन सिंह पार्षद,शाखा के अन्य पदाधिकारियों व समस्त सदस्यों ने खुशी जाहिर करते हुए महेन्द्र सिंह प्रदेश अध्यक्ष का धन्यवाद किया है। उन्होंने इतने योग्य अनुभवी व्यक्तियों को दायित्व देकर सभी का मान सम्मान बढ़ाया है। डाक्टर आरबी यादव हर महीने के दूसरे रविवार को शिवलाल धर्मशाला मंडी कनीना मे गरीब लोगों का मुफ्त इलाज करते हैं।


पक्षियों के लिए नियमित रूप से दाना पानी की व्यवस्था कर रही है गीता शर्मा
-करीब 6 हजार परिवारों को बांट चुकी है तुलसी
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कनीना।  उपमंडल के गांव इसराना निवासी गीता शर्मा विगत ढाई वर्षों से  पर्यावरण संरक्षण और महिला स्वावलंबन क्षेत्र में काम कर रही है।
गर्मी के दिनों में वो  पक्षियों के लिए दाने और सकोरों में पानी भरना, कभी नहीं भूलती। सभी जीव जंतु पर्यावरण के संरक्षण में अपना अपना योगदान देते हैं लेकिन वर्तमान समय में जंगलों की भारी कमी के कारण पक्षियों की बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। अत: मानव का दायित्व बनता है कि पर्यावरण के साथ-साथ उनका संरक्षण भी करें। इसी को ध्यान में रखते हुए गीता शर्मा नियमित रूप से पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करती है। इसके अलावा पूरे वर्ष भर में घर में प्रयोग होने वाली प्लास्टिक जैसे साड़ी फाल के लिए पेपर रसोई में मसाला इत्यादि के आने वाली प्लास्टिक पेपर में तुलसी के पौधे उगा कर समाज में वितरित करते हैं।  इस महीने में अब तक 6000 परिवारों को तुलसी वितरित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे चुकी है।
गीता शर्मा ने कहा सामाजिक संस्था बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल ईसराना द्वारा 11000 सकोरे रखने की जो मुहिम चलाई है वह बहुत ही सराहनीय है। इस मुहिम से समाज में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा और युवा पीढ़ी को एक अच्छा मार्गदर्शन मिलेगा। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा अब तक अलग अलग जिलों में सैकड़ों कन्याओं के जन्म पर कुंआ पूजन कर कन्या के माता को सम्मानित कर चुके हैं जिससे कि प्रदेश में लिंगानुपात को बराबर रखा जा सके।
फोटो कैप्शन 6: सिकोरे रखती गीता शर्मा।
            7: तुलसी के पौधे तैयार करती गीता शर्मा।




मजदूर वर्ग कोरोना के डर से अपने प्रदेश लौटने लगा
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कनीना। कोरोना महामारी के डर से कनीना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में देश के विभिन्न कोनों से मजदूरी करने आए मजदूर घबराकर वापिस अपने प्रदेशों को लौटने लगे हैं। पहले ही क्षेत्र में कम मजदूर आये हैं। अधिकांश मजदूर होली पर अपने गांव गये थे जो लौटकर वापस नहीं आये हैं। लावणी का काम किसानों ने स्वयं करना पड़ा हे।
यद्यपि हरियाणा सरकार ने लाकडाउन न करने की बात कही है किंतु मजदूरों के दिल में महामारी का भय है। कुछ परिवारों से बात की तो उन्होंने बताया कि परिवार का लालन पालन करने के लिए हरियाणा आए थे और अब शक है कि कोरोना महामारी में विगत वर्ष की भांति लाकडाउन ना लग जाए। इसलिए अपने घर लौटना चाहते हैं। अगर लाकडाउन लग गया तो परिवार वाले वहां और हम यहां भटकते फिरेंगे। ऐसे में मजदूरी के कुछ पैसे मिली है उसे लेकर जा रहे हैं।
अभी तो बस गाडिय़ां चल रही है लेकिन कोरोना इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो वह दिन दूर नहीं के सारे देश में लाकडाउन लग जाएगा और बस गाडिय़ां बंद हो सकती हैं। रामलाल, कृष्ण कुमार, धीरेंद्र, रवि, नरेश, कालिया के अलावा अन्य मजदूरों ने बताया कि अब तो घर पहुंचना ही बेहतर होगा।
 यहां गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने यह बात साफ कर दी है कि बाहर से आने वाले लोग अपना काम करें,उनको किसी प्रकार से परेशान नहीं होने दिया जाएगा लेकिन उसके बाद भी अन्य प्रदेशों से आए मजदूर वर्ग के लोग कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से डरकर अपने प्रदेश भागने लगे हैं। क्षेत्र के समाजसेवियों ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश से बाहर जाने वाले व दूसरे प्रदेशों से आने वाले सभी लोगों की कोरोना जांच करानी चाहिए।
फोटो कैप्शन 04: अपने प्रदेशों में लौटने के लिए रेलवे स्टेशन जाते मजदूर।



कोरोना योद्धा से बात
कोरोना से डरना चाहिए घबराना नहीं- अनूप कुमार
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कनीना। कोरोना से डरना चाहिए घबराना नहीं। ये विचार कोरोना योद्धा अनूप पटवारी ने दैनिक जागरण से बातचीत दौरान व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष एक सितंबर को अचानक उन्हें दिल्ली अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा था जबकि 20 सितंबर को उन्हें छुट्टी मिली थी।  30 अगस्त की रात सांस फूलने लगी, मुंह खोलकर सांस लेना भी कठिन हो गया। उस समय तुरंत संजय गांधी अस्पताल भर्ती करवाया गया। जहां  4 सितंबर को कोरोना संक्रमित पाया गया था। घरवालों से दूर रहा ताकि उनसे कहीं रोग न फैल जाए। उन्होंने कहा कि उस वक्त आक्सीजन का स्तर रक्त में कम हो गया था। यह स्तर 98 प्रतिशत के आसपास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी एक बहन सरिता को विगत वर्ष कोरोना में गंवा दिया था। जयपुर भर्ती भी करवाया। 10 दिनों के करीब भर्ती रही किंतु वह कोरोना की मार झेलती दुनिया से चली गई।
उन्होंने कहा कि ठीक है कि कोरोना एक महामारी है जिसे घबराना नहीं चाहिए किंतु जरूर डरना चाहिए। यदि किसी में सांस की तकलीफ  हो तो जरूर तुरंत डाक्टरी सहायता लेनी चाहिए, वरना अंजाम बुरा हो सकता है।
उन्होंने उन लोगों लोगों को जागरूक किया कि दूरी बनाकर रखें, मास्क जरूर पहने, सरकार द्वारा दी गई हिदायतों का जरूर पालन करें। यदि कोरोना संक्रमित पाया जाए तो डाक्टरों की सलाह जरूर लें तथा डाक्टरों द्वारा दी गई हिदायतों का पालन करें।
उन्होंने बताया कि कभी उन्हें बुखार, खांसी आदि नहीं हुआ किंतु अचानक कोरोना संक्रमित हो गया। यह बीमारी  इस प्रकार की है कि सीधी फेफड़ों पर धावा बोलती है। ऐसे में इस रोग से बचना ही सबसे बेहतर जरिया है। मास्क पहनने, दूरी बनाये रखने की बात कही।
फोटो कैप्शन: अनूप सुहाग पटवारी कोरोना योद्धा।


सोमवार को होगी गेहंू की सरकारी खरीद
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कनीना। कनीना अनाज मंडी में शनिवार और रविवार को गेहूं की खरीद बंद रहने के बाद सोमवार को खरीद होगी। जानकारी देते हुये हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि खरीद के लिए व्यापक प्रबंध किये हुये हें। करीब 80 हजार क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। सरसों बेचने के लिए कोई किसान नहीं आया है। बारदाने की कोई कमी नहीं है। उन्होंने किसानों से अपील की कि साफ सुथरा गेहूं लाये ताकि उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आये।


योग शोधार्थी








सलाह--
गिलोय, हल्दी और तुलसी का इस्तेमाल-मुदगल
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कनीना।  कोरोना से बचने के लिए वैक्सीनेशन के डोज़ के साथ साथ प्रतिदिन योग और आयुर्वेद का डोज लेना भी बहुत जरूरी है। दुनिया ने कोरोना काल में योग, आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति के मूल्यों का सामथ्र्य देखा है। कोरोना कालखंड ने दुनिया को अपनी दिशा और दशा पर अवलोकन करने पर मजबूर कर दिया है । ये विचार निलेश मुदगल जिला प्रभारी, पतंजलि योग समिति महेंद्रगढ़ एवं शोधार्थी ने व्यक्त किये।
  उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पूरी दुनिया को एक आशा और विश्वास जगा रही है। इस कालखंड में दुनिया ने फिर एक बार मान लिया कि पहला सुख निरोगी काया ही है और इसके लिए योग, आयुर्वेद और संयमित जीवनशैली ही एकमात्र विकल्प है। योग आज विश्व की बड़ी जरूरत है और यह संभावनाओं से भरपूर है।
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना इस साल पहले से ज्यादा बलवान होकर लौटा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर अखिलेश यादव तक तमाम बड़े-बड़े दिग्गजों को, बड़े-बड़े बालीवुड स्टार्स को और उन लोगों को जो हेल्थ आइकान माने जाते हैं, उनको कोरोना ने चपेट में ले लिया। एक तरफ मास्क पहनना, चीजों को छूने के बाद हाथ सेनिटाइज करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है. वहीं दूसरी तरफ योग करना कभी भी नहीं छोडऩा है।
 निलेश मुदगल ने ने कहा कि कोरोना से बचने के लिए गिलोय, हल्दी और तुलसी का इस्तेमाल ज्यादा मात्रा में करें। इसके अलावा अदरक, काली मिर्च, लौंग और मुलेठी का काढ़ा बनाकर पिये। कोरोनिल वटी, श्वासारी वटी एवं अणु तेल का उपयोग करें व घर में इसे अवश्य रखें। हमने शुरुआती दौर में ही इस काढ़े को पीने के लिए बोला था। आज भी पूरा देश इस काढ़े का इस्तेमाल कर रहा है. इससे इम्यूनिटी बढ़ती है. इस बारे में पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट ने पहले भी रिसर्च की और वैक्सीन के दौर में भी रिसर्च की.
  उन्होंने कहा कि रोगप्रतिरोधक क्षमता हमारा बहुत बड़ा बचाव है। आप वैक्सीन की डबल डोज के साथ योग-आयुर्वेद की डबल डोज भी लीजिए. जिन लोगों के फेफड़े की हालत बहुत ज्यादा खराब है, वे भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, अभ्यानंतर कुम्भक, भुजंगासन, कन्धारासन, गौमुखासान आदि का अभ्यास करें। कोरोना से एक की भी जान नहीं जाए, यही हमारा मकसद है।
अपनी महान विज्ञान आधारित भारतीय संस्कृति पर विश्वास एवं स्वाभिमान का भाव रखते हुए नित्य योग, आयुर्वेद, यज्ञ, सात्विक एवं हल्का आहार, प्राकृतिक जीवनशैली को अपनी दिनचर्या में स्थान दीजिए।
फोटो कैप्शन: निलेश मुद्गल।

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