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Thursday, April 22, 2021


 

93 किसानों ने बेचा 2400 क्विंटल गेहूं
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 कनीना। कनीना अनाज मंडी में खरीद के 22वें दिन 93 किसानों ने 2400 क्विंटल गेहूं बेचा। विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि अब तक 2622 किसानों ने 94820 क्विंटल गेहूं बेचा है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को दो हजार बैग उठान किए गए और कुल उठान 182500 बैग हो चुका है।





नहीं कर रहे हैं नियमों का पालन
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 कनीना। यद्यपि महामारी बढ़ती ही जा रही है किंतु किसी भीड़ वाले स्थान, सभा, विवाह शादी कार्यक्रम आदि में अभी भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि बगैर मास्क पहने युवा बाइकों पर घूम रहे हैं, बसों में सफर कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ लोग तो सोच भी नहीं रहे हैं कि महामारी भी फैली हुई है। लोग खाली दिमाग इधर-उधर घूमते देखे जा सकते हैं। प्रबुद्ध जनों ने मांग की है कि सख्ती से काम लिया जाए।


हेमसा ने जताया संत के निधन पर शोक
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कनीना। दड़ौली आश्रम के संत शरणानंद के निधन पर हेमसा के जिला अध्यक्ष ने शोक जताया।
हमसा जिला अध्यक्ष बाबूलाल यादव ने बताया कि संत ने आइआइटी रुड़की से बीटेक की परीक्षा उत्तीर्ण की कथा अंग्रेजी विषय के वह बहुत बड़े विद्वान थे। इसके बाद उन्होंने अपना सन्यासी जीवन अपनाया। स्वामी एक महान विद्वान व वेदों के जानकार थे, उन्हें समाज में फैल रहे अंधविश्वास व कुरीतियों को दूर किया तथा जनता को उचित मार्गदर्शन दिया।
   अपना सारा जीवन सामाजिक कार्यों में व्यतीत किया।  स्वामी का जाना समस्त समाज के लिए क्षति है जिसकी क्षतिपूर्ति कभी भी नहीं हो सकती। स्वामी  की आत्मा परमात्मा में विलीन हो गई। स्वामी अपने आप में एक संस्था थे तथा समाज के प्रवर्तक थे ऐसे सिद्ध पुरुष कभी-कभी अवतार लेते हैं। इस मौके पर राजकुमार राव गुढ़ा, प्रदीप यादव, पंकज यादव, प्राचार्य अभय राम यादव, विनय कुमार उपाधीक्षक,  डा कालू करीरा, निहाल पेंटर करीरा, नरेंद्र लिसानिया, मेजर अशोक कुमार, राकेश सरपंच करीरा  विजयपाल प्रवक्ता, विजय सरपंच मघनवास, विजय यादव सुरजनवा गिरधारीलाल करीर, सूबे सिंह प्रवक्ता कपूरी इत्यादि ने शोक संवेदना व्यक्त की।





डॉक्टर की सलाह-----
घर में अधिक समय देकर खुशी खुशी समय बीताए
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 कनीना। कनीना के डाक्टर वेद प्रकाश का कहना है कि कोरोना वायरस पूरे ही जग में समस्या बना हुआ है किंतु अब जल्द ही इसका खात्मा होने जा रहा है। ऐसे में हम सभी का फर्ज बनता है कि इससे रोकथाम के उपाय अपनाए। रोग से बचने का सबसे सरल उपाय है फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखें, घरों में रहकर सरकार के आदेश अनुसार आराम करें, बार-बार हाथों को साबुन या डिटोल से धोए,  सैनिटाइज करना हो तो अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर से ही सेनिटाइज करें। उनका कहना है कि धातुओं पर लंबे समय तक यह कोरोना जीवित रहते हैं। इसलिए धातु के बर्तनों को छूने के बाद हाथों को जरूर धोए। उन्होंने कहा कि इधर-उधर घूमने से समस्या बनती है जब कोई काम ना हो तो अनावश्यक इधर-उधर न घूमे, रोग के लक्षण अगर किसी में नजर आए तो 1 मीटर की दूरी बनाए। अगर रोग के लक्षण नजर आए तो तुरंत डाक्टर से सलाह करनी चाहिए।
  उन्होंने कहा कि मास्क जरूर पहने। मास्क पहनने से न केवल कोरोनावायरस अपितु उड़ती हुई राख, हवा में उड़ते भी कीट आदि से भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोगाणु से बचना ही सबसे बेहतरीन तरीका होगा। ऐसे में किसी भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर न जाए, आसपास सभा आदि हो रहा हो तो बहुत सोच समझकर जाना चाहिए। अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर खुशी खुशी दिन बिताना चाहिए। खुशी-खुशी जीवन जिये, शुद्ध सात्विक भोजन खाए, ताजा सब्जी, दाल आदि जरूर प्रयोग करें।  इससे रोग से बचा जा सकता है।
 डॉ वेदप्रकाश कनीना




पृथ्वी दिवस पर ...
पृथ्वी मां है, इसे बचाये-लक्की
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संवाद सहयोगी,कनीना। पृथ्वी हमारी मां है इसे बचाये। ये विचार क्षेत्र के समाजसेवियों के हैं। उन्होंने पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी को बचाने की अपील की।
लक्की सिंगड़ा का कहना है कि पृथ्वी के बगैर हमारा जीवन संभव नहीं है जैसे हमें अपने जीवन के लिए पृथ्वी की जरूरत है वैसे ही आज पृथ्वी को भी हमारी जरूरत है। क्योंकि पिछले कुछ दशकों में हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण बहुत बढ़ा हैं उससे हमारी पृथ्वी को काफी नुकसान हो रहा है। जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान की जरूरत पड़ती है जो हमें इस पृथ्वी से ही मिलते हैं तो हमारा भी कोई दायित्व बनता हैं कि हम इस पृथ्वी के लिए कुछ करने और अपने आने वाली पीढ़ी की रक्षा करने का भी प्रण ले।  
यदि पृथ्वी पर इसी तरह प्रदूषण होता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि हमारी पृथ्वी हमारी जरूरतों के विपरीत काम करने लगेगी। पृथ्वी को बचाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने की आवश्यकता हैं। पॉलीथिन के प्रयोग पर बैन करना होगा,पेड़ पौधे लगाने की आवश्यकता है।
मनोज कुमार मेघनवास का कहना है कि किसी भी दिवस का महत्व तभी है जब मानव अपनी जिम्मेदारी समझें अन्यथा यह आम दिनों की तरह सामान्य दिन है। हमारी पृथ्वी का मतलब यह नहीं कि यह सिर्फ मनुष्य के लिए है अपितु यह इस धरा पर रह रहे सभी जीव जगत के लिए है। सभी का इस पर समान अधिकार है। मानव इतना निर्दयी  हो गया है कि वो सभी फैसले जीव जगत की परवाह किए बगैर अपनी सुविधा अनुसार ले रहा है। यह अंतराष्ट्रीय समस्या है। इसके लिए प्रयास भी विश्व स्तर पर करने होंगे। गत वर्ष वैश्विक लाकडाउन में प्रर्यावरण सन्तुलन में जो सुधार हुआ था वो हमारे लिए उदाहरण है। मिलों दूर से हिमालय दिखाई दे ने लगा था। और वायु शुद्धता सूचकांक में सुधार हुआ था। विकसित देशों को यह विचार करना होगा कि वे सभ्यता के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं या विनाश के लिए। हमारी संस्कृति में वृक्ष पूजन के बिना कोई अनुष्ठान संपन्न नहीं होता था। हमें अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पर्यावरण संरक्षण हेतु उपाय करने चाहिए।
फोटो कैप्शन: लक्की सिगड़ा, मनोज मेघनवास।





कनीना में दी गई 194 कोरोना वैक्सीन
- भोजावास में 75 वैक्सीन दी गई
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां वैक्सीन की मांग बढ़ गई है। कनीना उप नागरिक अस्पताल में 200 वैक्सीन आई जिनमें से 175 प्रथम डोज गुरुवार को दे दी गई तथा 19  सेकंड डोज दी गई। इस प्रकार कनीना उप नागरिक अस्पताल 194 डोज एक ही दिन में दी गई। एच आई शीशराम ने बताया कि पवन, सुनील, सुनीता एएनएम ने अहं भूमिका निभाई।
उल्लेखनीय है कि एक बार फिर से कोरोना बढऩे के कारण लोगों में जागरूकता आई है। समाजसेवियों ने मांग की है कि अधिक से अधिक वैक्सीन का प्रबंध किया जाए।
कोरोना के मरीज बढ़े





घर से बाहर जाना है तो मास्क का प्रयोग

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कनीना।   कनीना सीएचसी के अधीन आज 14 तथा सेहलंग सीएससी के अधीन 7 कोरोना मरीज आने से क्षेत्र में इन की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसको लेकर आमजन परेशान है। क्षेत्र के प्रबुद्ध एवं समाजसेवी लोगों ने जिला प्रशासन से मांग कर कोरोना गाइडलाइन का पालन न करने वाले लोगों पर शिकंजा कसने की मांग की है ताकि क्षेत्र में कोरोना महामारी फैलने से रोकी जा सके। वही सेहलग सीएससी प्रभारी डा प्रभा यादव से इस बारे में जानकारी ली तो उनका कहना था कि आए दिन कोरोना मरीज बढऩे से क्षेत्र में बड़ी समस्या बनती जा रही है जिसको लेकर सरकार प्रशासन व आमजन परेशान है। उन्होंने यह भी कहा कि यह महामारी तब तक नहीं रुक सकती जब तक आमजन सजग नहीं होगा क्योंकि इस बीमारी से खुद ही बचाव करना पड़ेगा। जिसको लेकर उन्होंने कहा कि हमें घरों में रहना चाहिए। अगर किसी काम के लिए हमें घर से बाहर जाना है तो मास्क का प्रयोग तथा सोशल डिस्टेस का भी प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन अवश्य ही लेनी चाहिए ताकि हमारे शरीर में रोगरोधक क्षमात बढ़ जाए और रोगों से लडऩे की शक्ति बढ़ जाए ताकि कोरोना जैसी महामारी से बच सकें। उन्होंने बताया कि आज हमने 60 लोगों को कोरोना वैक्सीन दी हैं और यह सिलसिला जोरों पर जारी है। क्षेत्रवासियों ने जिला उपायुक्त व स्थानीय प्रशासन से मांग कर मास्क न लगाने वाले लोगों पर शक्ति की जाए वही धारा 144 का भी खुलकर प्रयोग किया जाए ताकि देश में बढ़ रहे कोरोना महामारी से बचा जा सके।



 स्वामी शरणानंद की कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता -कृष्णानंद
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कनीना। क्षेत्र के परम संत शरणानंद महाराज के निधन पर क्षेत्र के साधु संतों के अलावा समाजसेवी लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्होंने उक्त संत के चले जाने पर बहुत बड़ी क्षति बताया है।
स्वामी शरणानंद महाराज एक परम संत थे जिन्होंने अपने जीवन में हजारों पुण्य के कार्य किए और  पथभ्रष्ट लोगों को मार्गदर्शन कराया। जिसके कारण उनको करोड़ों लोग याद कर रहे हैं इसी कड़ी में परम संत स्वामी कृष्णानंद महाराज स्वामी ,संजीव कुमार महाराज ने स्वामी शरणानंद जी महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।  उन्होंने कहा कि शरणानंद के जाने पर कहां कि क्षेत्र से एक बहुत बड़े संत का चला जाना इस क्षेत्र के लिए बड़े दुख की बात है। स्वामी कृष्णानंद  जी ने कहा कि स्वामी शरणानंद जी को वेद शास्त्रों के अलावा सामाजिक ज्ञान का भंडार थे जिन्होंने अपनी मृदु बानी से लाखों लोगों का भला किया और उनको भक्ति मार्ग दिखाया जिसको हम कभी नहीं भुला पाएंगे। शोक व्यक्त करने वालों में महाराज संजीव कुमार, राजकुमार शास्त्री, रमन शास्त्री ओम प्रकाश शास्त्री, बाल किशन एवं श्रीकिशन करीरा, महावीर पहलवान, ठाकुर रतन सिंह, फतेह चंद दायमा, वरुण शास्त्री आदि ने स्वामी जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।


बूंद बूंद है कीमती...
 दो संतों की याद दिलाता है शिरीषवाला जोहड़
-लंबे समय से सहेजे हुए है पानी
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 कनीना। कनीना का शिरीषवाला जोहड़ दो परम संतों की याद दिलाता है। करीब 800 सालों से यह जोहड़ सिरसवाला नाम से प्रसिद्ध है। बड़ी बणी नामक स्थान परस्थित है जो रेलवे स्टेशन के करीब है। यहां वर्तमान में विभिन्न शिक्षण संस्थान भी बने हुए हैं किंतु प्राचीन समय में यहां केवल सिरस का पेड़ होता था जिसके कारण यह जोहड़ सिरस वाला नाम से जाना जाता रहा है।
बड़ी बणी में कनीना नगर पालिका की सबसे अधिक जगह होती थी जहां दूर-दराज तक जाल के पेड़ होते थे। धीरे-धीरे बड़ी बणी का विनाश हो गया किंतु यहां के जोहड़ का बाद में कायाकल्प कर दिया गया। कनीना बसासत के समय का यह जोहड़ चला आ रहा है। कनीन गोत्र के कान्ह   सिंह जब यहां आए थे तभी से यह  जोहड़ स्थित था। कालांतर में इस में बारिश का पानी भरा जाता था और विभिन्न जीव जंतु, जंगली जीव जल पीकर  प्रसन्न हो जाते थे। लंबे समय से यह जोहड़ यही स्थित है कालांतर में यहां रामेश्वर दास नामक संत का आगमन हुआ और उन्होंने तप स्थल यही बनाया। उधर कनीना की छोटी-बणी में संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ जोहड़ पर तप करते थे किंतु एक दूसरे के पास उनका आवागमन होता रहता था। दोनों संत समय समय पर सिरस वाला जोहड़ पर बैठते थे तो कभी रामेश्वर दास भी मोलडऩाथ आश्रम पर जाकर ज्ञान की चर्चा करते थे। सिरस वाला जोहड़ दोनों संतों की याद दिलाता है जहां का भी दोनों संतों ने इसी जोहड़ के पानी में समाधि लगाई थी और होड़ लगी थी। बुुजर्ग बताते हैं कि रामेश्वर दास जोहड़ से जल्दी बाहर आ गए थे किंतु संत शिरोमणि मोलडऩाथ लंबे समय तक इसी जोहड़ में समाधि लिए बैठे रहे। सर्दी के दिन होने से उनको निमोनिया हो गया था और  उन्होंने समाधि ले ली।
सिरसवाला जोहड़ बहुत लंबे समय से जन्माष्टमी के मेले के लिए प्रसिद्ध है। गोगा और जन्माष्टमी पर्व पर जहां जल में जाटी और गोगा नामक पौधे बहाने की परंपरा चली आ रही है। समय बदला इसी जाहड़ पर जहां रामेश्वर दास के शिष्य राधे दास ने भी तप किया और उन्होंने भी समाधि ले ली। इस जोहड़ का लंबा इतिहास चला आ रहा है। जहां समय-समय पर मेलेे भी लगते हैं तथा भंडारे भी चलते हैं। जोहड़ का पानी कभी साफ होता था किंतु बाद में इसे मलिन कर दिया गया। यह कच्चा जोहड़ पूर्व एसडीएम संदीप सिंह ने पक्का बनवा दिया गया। किंतु नहर इसके पास से गुजरने वाली नहर से जोड़ देने के कारण सदा पानी भरा रहता है ऐसे में यह जोहड़ कनीना के इतिहास की याद दिलाता है वही संतों की रमणीक स्थली की भी याद दिलाता है। यह जोड़ लंबे समय से पानी को सहेजे हुए हैं।
क्या है शिरीष-
 सिरस/शिरीष/सिरसा का बड़ा पेड़ होता है जिसके फूल बहुत कोमल होने से उन्हें सुकुमार कहा जाता है। यह अति औषधीय पौधा होता है। इस जोहड़ के तट पर भी कभी यह पेड़ मिलता था। इसी के कारण जोहड़ का नाम पड़ा है।
फोटो कैप्शन 5 व 6: शिरीषवाला जोहड़ का वर्तमान स्वरूप।


मां बहनों की इज्जत ही मां की सच्ची आराधना -कृष्णानंद
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कनीना। संसार की महिलाओं को सम्मान देना ही मां की सच्ची आराधना है।
क्योंकि जब तक हम संसार की मां बहन बेटी को सम्मान नहीं देंगे तब तक हम सुख और शांति को प्राप्त नहीं कर सकते। ये विचार संत शिरोमणि कृष्णानंद महाराज ने कनीना के गांव धनौंदा की बणी में हवन उपरांत व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि शपथ लेनी चाहिए कि जीवन में मां बहन बेटियों की इज्जत करेंगे। किसी युग में मां बहन और बेटियों पर अत्याचार हुआ है तो सभी लोगों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
   उन्होंने कहा कि यज्ञ एक ऐसा साधन है जिससे निकलने वाले धुएं से कीटाणु खत्म होते हैं और जीवाणुओं को बल मिलता है। एसडीएम दिनेश कुमार ने भी यज्ञ पर बोलते हुए कहा कि यज्ञ में मिल जुल कर रहना सीखा जाता है क्योंकि जिस प्रकार यज्ञ में जो सामग्री डाली जाती है वह विभिन्न पदार्थों से मिश्रित होती है जो स्वयं तो जल जाती है पर सुगंध देकर जाती है जिससे मानव को सुखमय जीवन मिलता है।  इस अवसर पर डा फतेह चंद दायमा,अनिल यादव, ज्योति सिंगल, विनय पाल खेड़ी, अतर सिंह, शिव कुमार जांगड़ा, विजय कुमार हलवाई, सुरेंद्र यादव, नरेंद्र लाल पवन प्रजापत के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 1: धनौंदा में हवन करते संत।




मोटरसाइकिल सवार को मारी अज्ञात गाड़ी ने टक्कर, घायल, मामला दर्ज
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव पड़तल के पास एक तेज रफ्तार की गाड़ी ने मोटरसाइकिल सवार को टक्कर मारी जिसके चलते मोटरसाइकिल सवार गिर गया, उन्हें
कनीना के उप नागरिक अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत को देखते हायर सेंटर रेफर कर दिय। उनका इलाज रेवाड़ी के निजी अस्पताल में चल रहा है। पुलिस ने अज्ञात चालक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।
 मिली जानकारी अनुसार सत्यपाल नांगल मोहनपुर ने मामला दर्ज करवाते हुए कहा है कि वह अपने साले के लड़के को भोजावास डाक्टर को दिखा कर वापस अपने गांव मोहनपुर नांगल आ रहा था। पड़तल के पास पहुंचा तो तेज रफ्तार से पड़ताल की ओर से आ रही गाड़ी ने मेरे आगे चल रहे हैं मोटरसाइकिल सवार को टक्कर जड़ दी। मोटरसाइकिल सवार गिर गया। सत्यपाल ने अपनी मोटरसाइकिल रोक उसे उठाया और उसे पहचाना वह अंकित नाम का युवक उनके गांव का रहने वाला था। उन्होंने निजी साधन उपलब्ध करवाकर अंकित को कनीना अस्पताल पहुंचाया तभी अंकित के परिजन कनीना आ गए। उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। उनका इलाज रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांंच शुरू कर दी है।





 विगत वर्ष की तुलना में खरीदा जा चुका है अधिक गेहूं
 -गेहूं की आवक अब हो गई है कम
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 कनीना। कनीना अनाज मंडी में विगत वर्ष की तुलना के इस वर्ष गेहूं की करीब दोगुनी खरीद हो चुकी है जबकि विगत वर्ष सरसों की आवक बहुत अधिक थी। इस बार एक दाना भी सरसों का नहीं खरीदा गया। गेहूं की आवक धीरे-धीरे कम होने लग गई है। किसान कम संख्या में गेहूं लेकर आ रहे हैं।
किसानों की माने तो उनका कहना है कि गेहूं के भाव बढऩे लगे हैं। कोरोना के चलते हर चीज महंगी होने लग गई है जिसके चलते गेहूं के भाव बढऩे लगे हैं। सरसों तो पहले ही महंगे दामों पर बिक रही थी। यही कारण है कि कनीना अनाज मंडी में सरकारी रेट पर सरसों बेचने कोई किसान आज तक नहीं आया है जबकि गेहूं की मांग गांवों में अधिक होने के कारण किसान गेहूं लेकर कम आ रहे आ रहे हैं। प्रतिदिन जहां 200 किसान से अधिक आते थे अब वही 80 किसानों के आसपास पहुंच रहे हैं। यही हालात रही तो आने वाले समय में गेहूं बेचने के लिए कोई किसान नहीं आएगा।
कितनी रही है गेहूं की खरीद-
 विगत वर्ष पूरे खरीद दौरान एक लाख पांच हजार बैग गेहूं के खरीदे गए थे जबकि इस वर्ष अभी तक इस वर्ष 1,84,840 बैग गेहूं के खरीदे जा चुके हैं।
हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि विगत वर्ष सरसों की खरीद रिकार्ड थी, अब की बार गेहूं की खरीद रिकार्ड पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अभी तक एक दाना भी सरसों नहीं खरीदा है क्योंकि किसान सरसों लेकर नहीं आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 2: कनीना मंडी में गेहूं की खरीद का नजारा।





व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उप प्रधान ने ली वैक्सीन डोज
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कनीना। कनीना अनाज मंडी स्थित व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उप-प्रधान रविंद्र बंसल ने अपनी पत्नी अनीता बंसल के संग कोरोना की प्रथम वैक्सीन ली। उन्होंने वैक्सीन लेने के बाद कहा कि वैक्सीन आत्म सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी बन गई है। जब पूरे ही जग में महामारी फैल रही है ऐसे में अपनी अपनी सुरक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है। देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी जा रही कोरोना वैक्सीन को जरूर लेना चाहिए। यह सुरक्षित तो है ही साथ में महामारी से भी बचाती है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है इस महामारी को जड़ से उखाडऩा चाहिए। अपने देश में जहां वैक्सीन बनी हुई है, इस वैक्सीन का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए तभी इस महामारी को भगाया जा सकता है।
उमड़ी भीड़-
 कनीना उप नागरिक अस्पताल में जहां 2 दिनों के बाद वैक्सीन आने से भीड़ उमड़ पड़ी। प्रथम तो दूसरी डोज लेने के लिए उप नागरिक अस्पताल में लोग पहुंचे। उल्लेखनीय है कि कनीना उप नागरिक अस्पताल में जहां दोनों ही डोज समाप्त हो गई थी। 2 दिनों के बाद फिर से डोज आई है। यही कारण है कि लोगों में जागरूकता देखने को मिली।
फोटो कैप्शन 3: रविंद्र बंसल डोज लेते हुये।



किसान जुटे कृषि कार्यों में
-कपास की ओर रुझान कम
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 कनीना। किसान एक बार फिर से खरीफ फसल की तैयारियों में लग गए हैं। रबी फसल पैदावार लेने के बाद अन्न को बेचकर किसान खरीफ विशेषकर कपास की बीजाई की तैयारियों में लगे हैं। खेतों में खाद डालने का काम जारी है।
   वैसे तो किसानों की प्रमुख फसल गेहूं की है। किसान गेहूं को खाने के लिए सबसे अधिक प्रयोग करते हैं वहीं बाजरे की फसल चारे के लिए अधिक उपजाया जाता है और खाने के लिए कम। रबी फसल बेहतर पैदावार नहीं दे पाई। कुछ पैदावार हुई बेचकर घर के कामों के लिए धन प्राप्त किया है। विगत वर्षों से किसान कपास फसल की ओर आकर्षित हुये थे किंतु विगत वर्ष कपास की फसल में रोग आ जाने से किसान नुकसान की ओर चले गये थे। परिणामस्वरूप इस बार किसानों का रुझान कपास की ओर कम है।
 अब किसान खरीफ फसल की तैयारी में लग गया है। खेतों में खाद डालने विशेषकर गोबर का खाद डालकर उसे बिखेरने तथा बारिश होने का इंतजार करेंगे। किसान गर्मियों में अपनी ऊंटगाड़ी, ट्रैक्टर एवं ट्राली से खाद खेतों में डालते हैं।
  कनीना के किसान अजीत सिंह, योगेश कुमार, रोहित कुमार ने बताया कि रबी फसल पैदावार लेने के तुरंत बाद किसान अपनी खरीफ फसल में लग जाता है। इस दौरान बाजरा, ग्वार एवं कपास आदि उगाते हैं। किसानों ने बताया कि खरीफ फसल पूर्णरूप से बारिश पर आश्रित है। बारिश होने पर बीजाई कर देते हैं।
  किसान पशु पालक होने के कारण पशुओं के गोबर से खाद बनाते हैं या फिर गोबर से कंपोस्ट व केंचुआ खाद बनाकर खेतों में डालने लगे हैं।  किसान मेहनती है और गर्मी में भी खेतों में खाद डाल रहे हैं।
फोटो कैप्शन 4: किसान खेत में खाद डालते हुए।













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