Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Sunday, April 16, 2023










 
 व्यक्ति की मौत, स्वजनों ने हत्या की संभावना जताई
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव मोड़ी में एक व्यक्ति की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।  उसके परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है। मामला मोहम्मद तनवीर आलम कटिहार, बिहार ने दर्ज करवाया है।
 पुलिस में दी गई शिकायत में कहा है कि मैं मोहम्मद तनवीर आलम अंसारी कटिहार,  बिहार में रहता हूं तथा अब दिल्ली के करोल बाग में रहने लग गया हूं। रविवार सुबह जब मैं करोल बाग में था तो मेरे साढू मोहम्मद अंजार आलम का फोन आया कि उसका भाई मोड़ी के आश्रम में रहता था जिसकी मौत हो गई। अंजार आलम ने कहा कि मैं तो दूर हो आप वहां पहुंचो।  सूचना पाकर मैं अपने साथी मोहम्मद मसरूर आलम बिशनगंज को लेकर मोड़ी पहुंचा। आश्रम में मेरे साढू अंजार आलम के भाई मंजूर आलम अंसारी की लाश रखी हुई थी जिसके मुंह, नाक, कान से खून निकल रहा था। उन्होंने शक जाहिर किया है किसी व्यक्ति ने चोट मारकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और आगामी कार्रवाई जारी है।








साढ़े 10 घंटे तक रही बिजली आपूर्ति बाधित
-धनौंदा से कनीना पावर हाउस में वायर डालने का मसला
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कनीना की आवाज। कनीना में पूर्व घोषित साढ़े 10 घंटे तक बिजली आपूर्ति बंद रही। सुबह 7 बजे बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई थी जो शाम 5:30 बजे के करीब फिर से बहाल की गई।
 मिली जानकारी अनुसार धनौंदा के 400 केवी केंद्र से कनीना 132 केवी सब स्टेशन से वायर लगाने के चलते बिजली आपूर्ति बंद रही। जिसके चलते कनीना में पेयजल सप्लाई भी बाधित रही। पेयजल के लिए लोग इधर-उधर भटकते फिरे। गर्मी अधिक होने के कारण पानी की अधिक मांग रही किंतु पेयजल की सप्लाई नहीं हो पाई। उल्लेखनीय है कि कनीना उपकेंद्र को महेंद्रगढ़ एवं धनौंदा से जोड़ा जा चुका है जिसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि एक आपूर्ति फेल हो जाए तो दूसरी तरफ से विद्युत आपूर्ति बहाल की जा सकती है। बिजली आपूर्ति बंद होने से बिजली पर आधारित रोजगार चलाने वाले परेशान रहे। रविवार होने के कारण अधिकांश कर्मचारी व ग्रामीण घरों में देखे गए जिस पर बिजली आपूर्ति बंद होने से परेशानी अधिक उठानी पड़ी। जबकि किसान अभी भी खेतों में काम कर रहे हैं।









एक दिवसीय योगा ट्रेनिंग कैप आयोजित
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कनीना की आवाज। इंडियन काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग कनीना में एक दिवसीय बीएमडी योग ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया गया।
इस योग कैम्प में योगा ट्रेनर के रूप में अंतरराष्ट्रीय योगा एक्सपर्ट डॉ. बी इस्लाम कैरानवी ने युवाओं को योगाभ्यास कराकर प्रशिक्षित किया। इस योगा शिविर का मुख्य उद्देश्य युवाओं को योगा के बारे में जागरूक करना हैं। उन्होंने कहा कि देश को आचार, विचार, व्यवहार के धनी, परोपकार की भावना से ओतप्रोत और 21वीं सदी की बीमारियों से बचा कर तंदुरुस्त रखने वाले एक लाख योग विज्ञान सिखाने वाले बेहतरीन स्किल्ड प्रोफेशनल पैरामेडिकल चिकित्सा सहायकों की तुरंत प्रभाव से जरूरत है। इस काम में योगदान देने के लिए इंडियन काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग हरियाणा ने कनीना महेंद्रगढ़ में एक योगा लीडरशिप कार्यशाला का आयोजन किया।  इस अवसर पर योग के मैदान में उनके द्वारा किए गए विशिष्ट योगदान की प्रदर्शनी भी युवाओं में उत्साह वर्धन के लिए लगाई गई। कार्यशाला में दिलचस्पी,  मेहनत और लगन से उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिए गए।  इस दौरान योगा सैंटर के संचालक इंद्रजीत शर्मा व लक्की राव,  मनोज, पिंकी, रेखा, अंकित, नरेन्द्र, प्रियंका, भारती, शिक्षा, प्रवीण सहित अन्य योग प्रशिक्षक मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 05: वर्कशाप के दौरान दिशा निर्देश देते डा. बी इस्लाम कैरानवी।









गर्मी बढ़ी, पक्षियों के लिए रखे सिकोरे
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कनीना की आवाज। जंगलों में भी सिकोरे रखकर कई किसान पक्षियों की सेवा कर रहे हैं। अब जब गर्मी में पानी का अभाव होता है तो ये लोग पक्षियों की सेवा करते हैं। ऐसे ही शख्स सूबे सिंह हैं। किसान सूबे सिंह खेतों में रहते हैं।
 सूबे सिंह का बहना है कि गर्मियों में तापमान 40-45 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। पक्षियों की सुरक्षा करना जरूरी बन जाता हैं। उनके लिए दाना पानी का प्रबंध किया जाना उचित है।
 भीषण गर्मी के चलते एक ओर जहां पक्षियों का जीना कठिन हो रहा है वहीं उनकी संख्या घटने के पीछे भीषण गर्मी भी एक कारण है। लेकिन लोगों के जागरूक हो जाने के कारण अब घरों की छतों पर सिकोरे रखे जाने लगे हैं वहीं दाने भी डाले जाते हैं।
   वर्तमान में लोग भी जीव जंतुओं के प्रति जागरूक हो गए हैं। वे अपने घरों की छतों पर तथा दीवारों पर निरीह पक्षियों के लिए गर्मियों में सिकोरे रखते आ रहे हैं। इन सिकोरों में सुबह एवं शाम को पानी भरते हैं ताकि पक्षी जल पी सके और भीषण गर्मी से बच सके। कनीना के राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह,तथा महेश कुमार प्रतिदिन सिकोरों में पानी भरते हैं।
    बाबा मोलडऩाथ, बाबा राधेदास, विभिन्न मंदिर कनीना के पास ही पक्षियों के लिए विशेष चबूतरे बनाए गए हैं जहां भक्त देवी देवता के दर्शन के लिए जाते हैं तो अपने साथ अन्न ले जाते हैं। इस अन्न को पक्षियों के लिए डाल देते हैं। पक्षी इसी अन्न को खाते हैं।
फोटो कैप्शन 06: पक्षियों के लिए सिकोरे का प्रबंध करते समाजसेवी।








30 सालों में ही भूले जौ एवं चना की खेती
-चना एवं जौ शून्य हेक्टेयर पर पहुंचा
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कनीना की आवाज। किसान जौ एवं चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्राकृतिक ठंडक प्राप्त करते हैं। अब न तो जौ की खेती होती और न राबड़ी एवं धानी। इसी प्रकार भूने हुये, टाट, छोल्ला, होला, चटनी, कुट्टी का जायका खत्म हो चुका है।  
  1986-87 तक कनीना क्षेत्र की करीब 33 हजार हेक्टेयर भूमि हजारों एकड़ में जौ की खेती तो हजारों हेक्टेयर पर चने की खेती की जाती थी। वैसे तो जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता है। जब नवरात्रे चलते हैं तो जौ की विशेष मांग होती है। गेहूं-चना एवं जौ -चने की मिश्रित खेती की जाती थी। 1982 में स्ंिप्रकलर फव्वारा आया जिसके चलते चने की खेती घटती जा रही है और वर्तमान में तो चना अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
जौ---
जौ को गंगा में डालने, पूजा अर्चना,हवन आदि में काम आता है वहीं पैदावार 40 मण प्रति हेक्टेयर तथा भाव 2000 रुपये क्विंटल तक होता है। होली के पर्व पर जहां जौ को भूनकर पूरा परिवार चखता है और तत्पश्चात ही लावणी की शुरुआत होती आ रही है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था।  जौ की रोटी खाने के लिए या फिर धानी बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं।
  जौ की रोटी प्रचलन था जो सेहत के लिए अति लाभकारी मानी जाती थी। राबड़ी चाव से खाते हैं वहीं जौ का प्रयोग बीयर आदि बनाने में लेते हैं। शरीर में ठंडक के लिए राबड़ी को गर्मियों में खाते हैं किंतु अब राबड़ी की बजाय चाय पर आ पहुंचा है।
 डा देवराज कृषि विस्तार अधिकारी का कहना है कि जौ एवं चने की खेती को किसान भूल गये हैं।
चना-
तीन दशक पूर्व कनीना क्षेत्र में चने की पैदावार सर्वाधिक होती थी जो अब शून्य हेक्टेयर पर चला गया है। किसी एक या दो क्यारी में किसान चना उगाते हैं। दालों भावों में तेजी आ रही है। विगत 2014 में महज तीस हेक्टेयर में चना उगाया था। वर्ष 2015 में 52 हेक्टेयर पर चने की बीजाई की गई थी। 2015 से 2018 तक भी चने की महज 70 से 80 हेक्टेयर बिजाई की गई थी जो 2020 तक 10 हेक्टेयर से कम सिमट कर रह गया है। 2022 में शून्य पर चला गया है।
 कभी विवाह शादी में अवश्य लड्डू बनाए जाते थे किंतु अब जब किसी के शादी होती है तो लड्डू के लिए चने दूर दराज से लाने पड़ते हैं। पूर्व उप जिला शिक्षा अधिकारी रामानंद यादव आज भी चना उगाते हैं। वर्तमान में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है जो चने के लिए प्रतिकूल है। चना बहुत कम पानी में ही पैदावार देता है।
 बुजुर्ग राम सिंह, दुलीचंद, धनपती का कहना है कि कभी इस क्षेत्र में चने की खेती की जाती थी तो चने की सब्जी, चने की रोटी, मेसी रोटी, हरे चने की चटनी, खाटा का साग, कढ़ी, परांठे व कई अन्य सब्जियों में डालकर जायका लिया जाता था। जब तक चना सूख न जाता था तब तक चने को खाते रहते थे। यद्यपि चने का भाव बेहतर है किंतु पैदावार नहीं होती है किंतु जौ अब भी पैदावार अच्छी दे सकता है किंतु किसानों को लाभ नजर नहीं आता है। अब तो जौ चने का स्थान सरसों एवं गेहूं ने ले लिया है। यदि चने की पैदावार घटती गई तो मेसी रोटी, लड्डू संकट में पड़ जाएंगे।
फोटो कैप्शन 4: किसान द्वारा डिगरोता में ली गई चने की पैदावार।









 सेहलंग-बाघोत कट के लिए धरना 35वें दिन भी जारी।
-धरने की अध्यक्षता की डा. लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने
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कनीना की आवाज। 152-डी राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेहलंग-बाघोत कट के लिए धरना 35वें दिन भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता डा. लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने की। दूर दराज से लोगों ने आकर धरने का समर्थन किया।
  डा. लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने बताया कि इस कट के बनने से कोसली, झज्जर, चरखी दादरी, अटेली,महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा। साथ ही इस कट के बनने से सतनाली, नाहड़, महेंद्रगढ, झोजू ,कनीना, मतानहेल खंड के लाखों लोगों को फायदा होगा। साथ ही इस कट के बनने से महेंद्रगढ़- भिवानी, गुरुग्राम,रोहतक लोकसभा की कुल 25 विधानसभा के लोगों को फायदा होगा।
उन्होंने बताया कि यहां पर चार जिलों की सीमा लगती है और 4 जिलों के सैकड़ों गांवों को यह कट बनने से फायदा होगा। यहां पर प्रस्तावित आईएमटी खुडाना, एनटीपीसी झाड़ली, केंद्रीय विश्वविद्यालय , बाघेश्वर धाम  और 8 से 12 लाख ग्रामीणों को फायदा होगा। इस कट के बनने से यहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
बाघेश्वर धाम में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु आते है , यहां साल में 2 बार मेला लगता है और लोग कावड़ चढ़ाते हैं।
 इस मौके पर विजय सिंह चेयरमैन नौताना, राज सिंह पूर्व पार्षद नौताना, महावीर पहलवान बाघोत, रणधीर पहलवान बाघोत, एडवोकेट केपी यादव सेहलंग, रवि प्रधान सेहलंग, राहुल राव पोता, सरपंच धनोंदा वीर सिंह, पृथ्वी सिंह पंच धनौंदा, दीपक पंच धनौंदा, मखन लाल स्वामी बसई, ओमप्रकाश नौताना, डा. धर्मेन्द्र धनखड़ छितरोली, सतपाल चेयरमैन पोता,सतपाल उर्फ सतिया पोता,सत्यवीर सिंह पूर्व सरपंच नौसवा,रिंकू बाघोत, धोलू बाघोत, दारा सिंह पोता,मनोज कुमार पोता, सीताराम सेहलंग, ओमप्रकाश चंडीगढ़, हरिओम यादव पोता  व आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 03: धरने पर कट के लिए बैठे लोग।





चुनावी तैनाती का पारिश्रमिक नकद न दिए जाने का रोष
-छह माह बीत जाने पर भी नहीं मिला पारिश्रमिक
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कनीना की आवाज। एक और जहां शिक्षा विभाग के लगभग सभी शिक्षकों को चुनावी तैनाती में लिया गया था किंतु शिक्षकों को इस बार पंचायत चुनाव में पारिश्रमिक नकद न दिए जाने का भारी रोष पनप रहा है। शिक्षकों का कहना है कि विगत समय में मतगणना तथा अन्य तैनातियों  का पारिश्रमिक भी अभी तक नहीं मिला है। ऐसे में इस बार पारिश्रमिक देने के लिए महज पेई कोड लिया गया है जिससे पारिश्रमिक मिलना उन्हें कठिन नजर आ रहा है क्योंकि जीरो एवं शून्य आपस में मिलते हैं वहीं कई पीठासीन अधिकारियों ने पारिश्रमिक फार्म में आधी अधूरी जानकारी दी हैं। उन्होंने मांग की है कि सभी शिक्षकों को अविलंब पारिश्रमिक भिजवाने सुनिश्चित किया जाए। वैसे भी इस बार दीपावली के दिनों में तथा अवकाश के दिनों में रिहर्सल एवं चुनाव पूर्ण करवाये गये हैं। शिक्षक पूरी पूरी रात चुनावी तैनाती में लगे रहे यहां तक की सामान जमा करवाते समय भी पूरी रात कागज कार्रवाई करते रहे परंतु उन्हें पारिश्रमिक बतौर पीठासीन अधिकारी को 350 रुपये तथा अन्य को 250 रुपये प्रतिदिन के दिये गये हैं जिनमें से प्रतिदिन का किराया भी एक सौ रुपये तक खर्चा आया है। पारिश्रमिक न के बराबर है। एक और गेस्ट शिक्षकों को भी प्रति घंटे के हिसाब से अधिक पारिश्रमिक दिया जाता रहा है और चुनावी तैनाती जो सबसे कठिन कार्य होता है उसके लिए पारिश्रमिक अल्प देने की बात कही जा रही है। वह भी समय पर नहीं दिया जाता। शिक्षकों ने इस संबंध में चुनाव आयोग से प्रार्थना की है कि अविलंब पारिश्रमिक सभी शिक्षकों को स्कूलों में जाकर प्रदान किया जाए।







 रविवार को खरीद रही बंद किंतु उठान रहा जारी
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कनीना की आवाज। कनीना की नई और और पुरानी दोनों अनाज मंडियों में रविवार को खरीद का कार्य बंद रहा किंतु उठान का कार्य जारी रहा। विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड मैनेजर संजीव कुमार ने बताया कि रविवार को खरीद नहीं होती है इसलिए गेहूं और सरसों की खरीद नहीं हो पाई हुई किंतु उठान का कार्य जारी रहा।









आसमान में छाए बादल, किसानों की चिंता बढ़ी
-करीब 80 फीसदी किसानों ने फसल पैदावार ले ली
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में रविवार को सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे जिसके चलते किसानों की चिंता बढ़ती चली गई। वैसे भी मौसम विभाग 18 अप्रैल से बूंदाबांदी की संभावना जता चुका है। किसान मौसम के बदलते तेवरों के दृष्टिगत सरसों और गेहूं पैदावार लेने की त्वरित कार्रवाई कर रहा है।  कनीना की बावनी नाम से जानी जाने वाली भूमि से करीब 80 फीसदी किसानों ने फसल पैदावार ले ली है। बचे हुये किसानों द्वारा फसल पैदावार लेने का कार्य त्वरित गति से जारी है।
पूर्व कृषि अधिकारी डॉ देवराज ने बताया कि करीब 80 प्रतिशत किसानों ने अपनी फसल पैदावार ले ली है जो कि पहले ही वर्षा और ओलावृष्टि का दर्द झेल चुके हैं। उस पर बार-बार मौसम बदलने के चलते जल्दी से जल्दी पैदावार को घरों में डालना चाहते है। यही कारण है कि दिन-रात एक किये बिना सोए किसान अपनी पैदावार ले रहे हैं। आगामी दो दिनों में यह आंकड़ा 98 फीसदी पार कर लेने की संभावना है। किसान इस बार सीधे ही अनाज मंडी में अपनी फसल पैदावार ले जा रहे हैं, बहुत कम किसान अपने घरों में पैदावार को डाल रहे हैं। बार-बार हर बार मौसम बदलना आफत बना हुआ है।
 फोटो कैप्शन 02: आसमान में छाए काले बादल।








विवाहिता घर से गायब,
-बहला-फुसलाकर ले जाने का लगाया आरोप
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के एक गांव की लड़की जो रेवाड़ी जिले में विवाहिता है, मायके में मिलने के लिए आई थी परंतु अपनी लड़की को ससुराल से लाने की बात कहकर घर से निकली थी जो घर वापस नहीं पहुंची। कनीना पुलिस ने उसके पिता के बयान पर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर दिया है।
 पीडि़ता के पिता ने कहा है कि उनकी लड़की रेवाड़ी जिले में विवाहिता है। जिसके एक लड़का और एक लड़की है। वह अपने मायके में मिलने के लिए लड़के से साथ आई थी। लड़की को ससुराल पक्ष में छोड़ कर आई थी। 13 अप्रैल को शाम के समय लड़की को ससुराल से लेकर आने की बात कहकर मायके से निकली थी किंतु न तो ससुराल पहुंची और नहीं मायके पहुंची। पीडि़त ने पुलिस में शिकायत में कहा है कि नवीन नामक व्यक्ति चरखी दादरी जिले से संबंध रखता है उसे बहला-फुसलाकर शादी की नियत से ले गया है। कनीना पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।









ताप बढऩे से दिन में कूलर करने लगे प्रयोग
-मक्खी मच्छर भिनभिनाने लगे हैं
-एसी करने लगे साफ सफाई
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कनीना की आवाज। गर्मी बढऩे से घरों, दफ्तरों, दुकानों में पंखे प्रयोग हो रहे है। एसी तथा कूलरों को साफ करने लगे हैं। दुकानों पर गर्मी के मौसम अनुसार कपड़े आने लगे हैं।
  विगत दिनों बारिश के कारण ताप नहीं बढ़ पाया था किंतु अब ताप 40 डिग्री पहुंच जाने से घरों, दफ्तरों एवं विभिन्न संस्थाओं में अब पंखे की हवा सुहाने लगी है। लोगों का मानना है कि मक्खी एवं मच्छरों से निजात पाने का एक तरीका पंखा भी है। जब तक पंखा चलता है तब तक मक्खी एवं मच्छरों से कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
   अब गर्मी ने तेजी से बढ़ती जा रही है।  माना जा रहा है कि इस वर्ष अधिक गर्मी पड़ेगी। बहरहाल अभी से ही तपन महसूस की जाने लगी है और गर्मी के चलते किसान भी त्वरित गति से फसल पैदावार ले रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी एसी एवं कूलरों की सफाई शुरू कर दी गई है। कूलर बनाकर रोटी रोजी कमाने वाले भीम सिंह ने बताया कि इस बार गर्मी बढऩे से लोगों ने पुराने कूलरों को ठीक करवाना शुरू कर दिया गया है ताकि गर्मी से बचा जा सके। कूलरों को ठीक करवाने वालों के फोन भी आने लगे हैं।
अनाज की टंकी की मांग कम-
  टंकी विक्रेता भीम सिंह, राजकुमार, दिनेश आदि ने बताया कि इस बार अनाज की टंकी की मांग कम है। एक तो गेहूं वर्षा एवं ओलावृष्टि से खराब हो गया है वजहीं गेहूं का रंग बदरंग हो गया है जिसके चलते अनाज की टंकी की मांग कम है। किसान पैदावार को घरों में खाने के लिए नहीं बेचने के लिए अनाज मंडियों में ले जा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 01: कूलरों को ठीक करते मिस्त्री।






पालिका प्रधान पद एक-दावेदार अभी से ही अनेक
-प्रधान पद का होगा सीधा चुनाव, पार्षदों का नहीं होगा प्रधान चुनाव में रोल
-विकास कार्यों के करवाने में स्वयं ले सकेगा स्ट्रांग निर्णय
-आधा दर्जन आ चुके हैं प्रधान पद के दावेदार
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कनीना की आवाज। पालिका चुनाव लडऩा युवाओं का सपना बन गया है। सभी को पालिका अध्यक्ष का पद नजर आने लगा है। अभी से ही युवा, बुजुर्ग एवं महिलाओं में जोश देखने को मिल रहा है। पालिका चुनावों को लकर अभी से ही दावेदारी बढऩे लगी है। कुछ परिवार तो महिला या पुरुष हर हाल में चुनाव लडऩे को लालायित हैं। चाहे प्रधान पद महिला हो या पुरुष चुनाव लडऩे को खुद या उसकी पत्नी या मां चुनाव लड़ेगी। मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहते।
 अब लगता है हर वर्ग का सपना, प्रधान पद अपना।
वोट की जरूरत है, वोट देगा वो ही अपना।।
अभी भी कनीना नगर पालिका का कार्यकाल एक माह के करीब है किंतु चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। जब से नगर पालिका के मतदाता सूचियों का पुन: निरीक्षण का कार्य शुरू हुआ है तब से चुनाव के लिए भारी संख्या में युवा और बुजुर्ग अपनी अपनी दावेदारी जताने लगे हैं। बहुत से लोग चुनाव नहीं लडऩा चाहते किंतु चुनाव लड़ाने में मदद करने की बात कहने लगे हैं। वही चुनाव लडऩे वाले दावेदारों की लंबी शृंखला बन गई है। अभी तक पार्षद के चुनाव के लिए महेश बोहरा दावेदारी जता रहे हैं। महेश बोहरा अपने पिता स्व.सत्यवीर बोहरा जो पहले कनीना पालिका के पार्षद रह चुके हैं, के पद चिन्हों पर चलते हुए इस चुनाव में भाग लेना चाहता है और पार्षद पद के लिए ही नामांकन की दावेदारी करेंगे। उनकी इच्छा केवल पार्षद ही बनने की है। उधर वार्ड चार से योगेश कुमार भी पार्षद के चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं।  वार्ड एक से विजय चेयरमैन संचालक बेगराज मैरिज पैलेस भी वार्ड एक से पार्षद के चुनाव लड़ेंगे।
साफ छवि ईमानदार, चाहते सभी हो प्रधान।
विकास के काम कराये, बढ़े कनीना की शान।।
लेकिन सबसे अधिक दावेदारी अभी से ही चेयरमैन पद के लिए करने लगे हैं। क्योंकि विगत योजनाओं में चेयरमैन का चुनाव सभी पार्षद मिलकर करते रहे हैं। कनीना नगर पालिका के तहत 13 पार्षद चुने जाते रहे हैं जबकि दो पार्षद अब तक मनोनीत होकर आए थे। जिसके चलते प्रधान पद हथियाना तलवार की धार के समान हो गया था। परंतु भावी योजना में  चेयरमैन पद का चुनाव डायरेक्ट होगा। कहने का अर्थ है कि एक वोटिंग मशीन/मतदाता पेटी चेयरमैन पद के लिए होगी वहीं दूसरी वार्ड मेम्बर  के लिए होगी। जिसके चलते इस बार चेयरमैन पद के लिए अधिक लोग तैयारी में जुटे हुए हैं। जिस किसी को भी देखे वही चेयरमैन पद की दावेदारी जता रहा है। कनीना के वार्ड 12 का निवासी अमित नंबरदार का कहना है कि वो भी पालिका के प्रधान पद का दावेदार है तथा जोर शोर से चुनाव लडूंगा।
 कनीना के वर्तमान चेयरमैन सतीश जेलदार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनका पुत्र प्रीतम जोनू चेयरमैन पद के चुनाव लड़ेंगे। और सतीश जेलदार स्वास्थ्य के कारणों के चलते आराम करेंगे।
उधर पूर्व प्रधान मा. दिलीप सिंह प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं या फिर उनका पुत्र चुनाव में खड़े होंगे और वो भी प्रधान पद के लिए ही दावेदारी जताएंगे। पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा भी चुनाव में खड़े होंगे वो भी वोटरों का मन डोल रहे हैं।
सीधा चुनाव प्रधान का, आओ भाग्य अजमाये।
कौन कितने पानी में है, लो अब पता लगाये।।
युवा पीढ़ी पर नजर डाले तो पता चलता है कनीना के एडवोकेट विनय यादव, एडवोकेट पंकज यादव,  वर्तमान में उप प्रधान पद पर आसीन अशोक ठेकेदार, सतपाल साहब,  मनीष पार्षद, मनोज कुमार इस बार पालिका चुनाव में प्रधान पद की दावेदारी करेंगे। इन सभी से इस संवाददाता की बात हुई, सभी ने स्वीकार किया कि वे चुनाव जरूर लड़ेंगे। कम से कम एक दर्जन युवा अभी अधर में है अर्थात उनका कहना है कि यदि लोगों ने चाहा तो वे चुनाव लड़ेंगे वरना वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। कनीना के प्रमुख समाजसेवी भगत सिंह और बलवान सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे अपितु वे चुनाव लडऩे वालों की मदद करेंगे।
 उधर पार्षद राजेंद्र सिंह का भी कहना है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे किंतु वोटर कहेंगे तो वे चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में लगता है कनीना पालिका चेयरमैन का पद एक अनार सौ बीमार जैसी कहावत पर चलेगा। अभी धीरे धीरे लोग मन बना रहे हैं और चुनाव लडऩे की तैयारियों में जुट रहे हैं। धीरे-धीरे युवा पीढ़ी उभर कर सामने आ रही है और चुनाव लडऩे की बात कह रही है।
इंतजार है चुनावों का, डूबे सोच विचार।
कब होगी चुनाव घोषणा,मिलेगा जन प्यार।।
 उल्लेखनीय है कि लंबे समय से कनीना कस्बे में विभिन्न उत्सव एवं पर्वों पर अपने बोर्ड और बैनर लगवा कर अपनी दावेदारी जताते आ रहे हैं, ऐसे अनेकों युवा हैं जो चुनाव लडऩे की पहले ही बोर्ड एवं बैनर से इच्छा जाहिर कर चुके हैं।
 अब देखा जाना है कि चुनाव कब तक होगा? जानकारों का मानना है कि चुनावों में करीब छह माह लग सकते हैं। परंतु सबसे बड़ा मुद्दा कनीना पालिका प्रधान पद की कैटेगरी का है? यही अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह महिला या पुरुष के लिए आरक्षित होगा और कि कैटेगरी के लिए आरक्षित होगा? जब अंतिम निर्णय हो जाएगा कि प्रधान पद कौन लड़ सकता है, तभी लोग चुनाव में आगे आएंगे। अभी तो लंबी शृंखला चुनाव लडऩे वालों की बनने की संभावना है।
भाजपा नेताओं का जिस किसी के सिर पर होगा वो प्रत्याशी अपना प्रभाव अधिक दिखा सकता है। कनीना के तीन प्रभावी व्यक्तित्व इस वक्त केंद्रीय मंत्री, विधायक आदि से आशीर्वाद पाने और उनके आशीर्वाद से टिकट पाने की बात कर रहे हैं। वक्त बताएगा कि सत्तारूढ़ पार्टी का इन चुनावों पर कोई असर होगा या नहीं।
चाणक्य ने कहा है, किसी को पीछे धकेलना,
बस एक बोतल शराब की हाथ में थमा दो।
और अगर है दुश्मन बड़ा, जहान में तो बस,
जय जयकारे जमकर लगा, चुनाव लड़ा दो।।








49 के हुये पालिका कार्य करवाना होगी मेरी प्राथमिकता-प्रीतम जोनू
-प्रधान पद की, की प्रबल दावेदारी
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कनीना की आवाज। भावी पालिका चुनावों के बाद प्रधान पद दबाव रहित होगा। अब तक पार्षदों के दम पर प्रधान बनता था किंतु पहली बार भावी चुनावों के बाद प्रधान पद स्वतंत्र होगा। वो अपनी इच्छा से पूरा काम करवा पाएगा। ये विचार भावी प्रधान पद के प्रत्याशी प्रीतम जोनू ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि अगर वो प्रधान बना तो जो 49 कार्य अधूरे रह गये उन्हें सबसे पहले पूरे करना प्राथमिकता होगी। किसी प्रकार के दबाव रहित काम करना होगा।
 अटके हुये करूंगा काम, करता हूं मैं वादा।
 आशीर्वाद बनाये रखना, प्रधान पद का इरादा।
कनीना पालिका चुनाव भविष्य में होने जा रहे हैं। विभिन्न चुनाव लडऩे वाले अपने अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। कनीना नगर पालिका के के भावी चुनावों को लेकर अभी से ही  जोर शोर से कवायद शुरू हो चुकी है। अभी भी कनीना पालिका का कार्यकाल करीब एक माह बचा है। तत्पश्चात चुनाव की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।  युवा वर्ग इस बार पहले से ही चुनाव लडऩे के लिए लालायित है। मतदाता सूचियों का पुन: निरीक्षण का कार्य शुरू हो चुका है।
आ गये चुनाव अब, कर लो मिलकर तैयारी।
वोट मिलेंगे जिसे ज्यादा, उसे मिले जिम्मेदारी।।
 कनीना पालिका के वर्तमान प्रधान सतीश जेलदार के पुत्र प्रीतम जोनू  चेयरमैन पद के लिए आगे आए हैं। वे जोर शोर से प्रचार में जुट गये हैं तथा लोगों से घर घर जाकर मिल रहे हैं। उन्होंने एक भेंटवार्ता में बताया कि उनकी प्राथमिकता कनीना का समुचित विकास होगा। सभी लोगों को अपने साथ लेकर चलेंगे और जो विकास कार्य उनके पिता नहीं कर पाए उनको पूरा कर दिखलाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ विकास कार्य अधूरे पड़े हैं जबकि वर्तमान कार्यकाल पूर्ण होने जा रहा है। उनकी प्राथमिकता प्रधान पद के लडऩे की है।अब पूरे जोश के साथ मैदान में उतरेंगे और चुनाव लड़ेंगे।
 उधर सतीश जेलदार ने बताया कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण मैं चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा किंतु मेरी जगह मेरा पुत्र प्रीतम जोनू चुनाव लड़ेगा। उन्होंने बताया कि प्रीतम जोनू एमसीए करने के बाद कानून की पढ़ाई कर रहा है और उनकी प्राथमिकता पालिका चेयरमैन चुनाव लड़कर चेयरमैन बनकर विकास कार्य करवाने की है। उन्होंने बताया कि युवा वर्ग से लेकर महिला और बुजुर्ग भी उनसे बहुत अधिक प्रभावित है। ऐसे में वे चाहते हैं कि पालिका का चेयरमैन पद पर पहुंचे और उनके पिता द्वारा छोड़े हुये अधूरे कार्यों को पूर्ण कर दिखलाए।
एक और जहां प्रीतम जोनू चेयरमैन पद की दावेदारी करें वही एक दर्जन युवा और बुजुर्ग भी अभी से ही चेयरमैन पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। अभी पालिका प्रधान पद का आरक्षण का ड्रा निकाला जाएगा। तत्पश्चात ही पता चल पाएगा कि पालिका का प्रधान पुरुष होगा या महिला और वह किस वर्ग का होगा। तब तक चुनाव लडऩे वालों की लंबी शृंखला बनती जा रही है।
पढ़ा लिखा हूं आज, सबको लेकर चलूंगा साथ।
वोट देना मुझको बस, एक दूजे से मिला हाथ।।     
फोटो कैप्शन: प्रीतम जोनू


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