गेहूं की फसल जलकर राख
--सरकार से मुआवजे की मांग
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कनीना की आवाज। गांव तलवाना (खेड़ी) में गेहूँ की लावणी के बाद इकट्ठी की पुलियों में गत 17 अप्रैल को शाम करीब 8 बजे अज्ञात कारणों से आग लग गई। सूचना मिलने पर दमकल विभाग की गाड़ी मौके पर पहुंची लेकिन तब तक गेहूँ की फसल जलकर राख हो चुकी थी।
इस सम्बध में बहुजन समाज पार्टी के नेता प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने फसल जलने से हुए नुकसान का मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। उन्होंने राज्य सरकार व जिला प्रशासन से तत्काल नुकसान का सर्वे करवाकर पीडि़त किसान को पचास हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा व आर्थिक सहायता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि नुकसान के कारण किसान तथा उसका परिवार सदमे में है। इसलिए सरकार व प्रशासन को बड़ा दिल दिखाते हुए पीडि़त किसान की तत्काल मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीडि़त किसान करतार ने दो एकड़ जमीन में गेहूँ की खेती की हुई थी। उसमें लावणी करके पुलियां खेत में ही एक जगह इकट्ठी की हुई थी। जिसमें अज्ञात कारण से आग लग गई। पीडि़त किसान ने दमकल विभाग को सूचना दी मौके पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंची परन्तु तब तक गेहूँ की फसल जल कर राख हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले अज्ञात कारण से उनकी एक एकड़ में बोई गई सरसों की इकट्ठी की गई फसल में आग लग गई जिसके कारण सरसों की फसल भी पूर्णतया जलकर राख हो गई। किसान ने बताया कि गेहूँ व सरसों की फसल जलने से उसे लगभग अढ़ाई लाख रुपये का नुकसान हो गया है। अतरलाल ने कहा कि पीडि़त परिवार के पास और कोई सहारा नहीं है इसलिए सरकार पीडि़त किसान के नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल मुआवजा व आर्थिक सहायता दे।
फोटो कैप्शन: तलवाना गांव में फसल जलने के नुकसान का जायजा लेते बसपा नेता अतरलाल।
सड़क दुर्घटना में एक की मौत
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कनीना की आवाज। रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ मुख्य मार्ग पर भडफ़ के पास बने हुए आरपीएस स्कूल के नजदीक अज्ञात वाहन की टक्कर की वजह से 33 वर्षीय युवक की मौत हो गई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार नरेंद्र पुत्र धर्मपाल वासी करीरा उम्र 33 वर्ष बाइक पर सवार होकर रेवाड़ी की तरफ से अपने गांव करीरा की तरफ जा रहा था तभी रास्ते में आरपीएस स्कूल भडफ़ के नजदीक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। इस हादसे में नरेंद्र बुरी तरह से घायल हो गया। हादसे के बाद आस-पास से जाने वाले राहगीरों ने डायल 112 पर इसकी सूचना दी। डायल 112 टीम ने मौके पर पहुंचकर घायल को उप नागरिक अस्पताल कनीना पहुंचाया। जहां पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घड़ी-महासर निवासी गीतांजलि रोहिल्ला ने एमएससी बोटनी में प्राप्त किया ब्रांज मैडल
-कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया सम्मानित
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कनीना की आवाज। घड़ी-महासर निवासी गीतांजलि रोहिल्ला ने ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय जयपुर से एमएससी बोटनी में ब्रांज मैडल प्राप्त किया है। गीतांजलि ने बताया कि ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय जयपुर के 15 वर्षों का सफर सफलता पूर्वक पूर्ण होने पर 13 वां ज्ञान दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया था। जिसके मुख्यातिथि माननीय पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद एवं विशिष्ट अतिथि डीआईजी सीआईडी सीबी जगदीश शर्मा और पूर्व पुलिस महानिदेशक पीके तिवारी, पद्म विभूषण डॉ. संजय आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में माननीय पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वार विश्वविद्यालय की 18 छात्राओं को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से नवाज़ा गया। विश्वविद्यालय में शोध, मेडिकल, पैरामेडिकल, योगा, तकनीकी, प्रबंधन, पत्रकारिता एवं कानून जैसे क्षेत्रों में सभी छात्राओं को स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधि दी गई। जिनमें गीतांजलि भी शामिल थी। जिन्होंने एमएससी बोटनी विषय में ब्रांज मैडल प्राप्त किया है। जिसके बाद से परिवार में खुशी का माहौल है। गीतांजलि ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों व परिवार के अन्य सदस्यों को दिया है। गीतांजलि ने कहा कि लगन व कड़ी मेहनत से परिश्रम करके किसी भी उपलब्धि को प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर गीताजंलि के पिता इंद्र कुमार, माता किरण देवी, बहन सोनम, भाई शुभम, चाचा पवन कुमार, ज्योति देवी, अंतिम, मनिष, सुमनत कुमार, दिलीषमा देवी, लवी सहित अन्य लोगों ने बधाई दी। पूर्व चेयरमैन संजय ने भी गीतांजलि को इस उपलब्धि पर बधाई देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने बताया कि गीतांजलि का परिवार हालाबाद अटेली मंडी में रह रहा है। अटेली में भी कार्यक्रम का आयोजन कर बेटी गीतांजलि को सम्मानित किया जाएगा।
फोटो कैप्शन 06: गीतांजलि को सम्मानित करते पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व अन्य।
हास्य व्यंग्य ............
मुझे एक विज्ञान अध्यापक दे दो, मुझे एक विज्ञान अध्यापक दे दो
-फिरते रहो भूखे प्यासे गलियों में, खाते रहो गालियां
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लेखक दो बार राज्यपाल से सम्मानित, राष्ट्रीय स्तर तक के सैकड़ों पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार एवं कवि हैं जिनकी 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
(किसी नेता या अधिकारी को लेकर यह हँसी व्यंग्य नहीं लिखा गया है। अगर किसी से मेल खाता हो तो उसे संयोग समझा जाए)
कनीना की आवाज। कभी यह माना जाता था कि विज्ञान की पढ़ाई सबसे बेहतर होती है और विज्ञान लिख पढ़कर कम से कम शिक्षक तो बनेगा। परंतु आज के दौर में विज्ञान शिक्षक बनना कई मायनों में घातक साबित हो रहा है।
विज्ञान शिक्षक रो रहे, सुन लो हमारी पुकार।
मान सम्मान करना हमारा, सोचो बार बार।।
बात चुनाव की है एक पीठासीन अधिकारी तैनाती लगाने वाले अधिकारियों से जोर-जोर से चिल्लाकर कह रहा- मुझे एक विज्ञान अध्यापक दे दो, मुझे एक विज्ञान अध्यापक दे दो।
बात को गहराई तक पता लगाया तो उसने कहा मुझे एक अच्छे काम करने वाले की जरूरत है और मतदान के काम की सभी गतिविधियां विज्ञान अध्यापक बखूबी कर सकते हैं। जहां कहीं भी देखो विज्ञान एवं गणित अध्यापकों की तैनाती अधिक लगाई जाती है।
एक बुजुर्ग ने पूछा-भाई, ये विज्ञान अध्यापक ज्यादा वेतन लेते हैं क्या?
विज्ञान अध्यापक ने मायूस चेहरे से कहा- बाबा, नहीं ये उतनी ही तनख्वाह लेते हैं जितनी एक हिंदी, ड्राइंग, पीटीआई लेता है। परंतु दुर्भाग्य है हर जगह उससे अधिक काम लिया जाता है। कभी शिक्षा पाने में भी दिन-रात प्रयोगशाला में समय बिताते बिताते आंखें खो दी, सेहत भी गंवा दी और नतीजा यह है कि शिक्षक बनने पर उन्हें एक 10 रुपये भी फालतू तनख्वाह नहीं मिलती ताकि वो समाज में सिर उठाकर कह सके-मैं विज्ञान अध्यापक हूं। जहां कहीं भी जरूरत हो केवल विज्ञान/गणित अध्यापकों की तैनाती लगाई जाती है।
सोच ले इंसान अगर, जग में नहीं होगा विज्ञान।
धरती पर पड़ा कल्पना कर, न बढ़ेगा तेरा ज्ञान।।
एक नगर पालिका में मतदाता सूचियों का पुन:: निरीक्षण का कार्य चल रहा था। विशेषकर विज्ञान और गणित अध्यापकों को तैनाती पर लगाया गया। जहां पहले जहां बीएलओ और अनेक शिक्षक कार्य कर रहे थे उनके साथ विज्ञान एवं गणित शिक्षक अधिक लगाये गये। वो इसलिये तैनात किये गये ताकि वो वोटरों को पहचान सके? विज्ञान अध्यापक जो शायद अपने घरों में पढऩे पढ़ाने और परिवार के साथ अधिक समय देते हैं। उनको इसलिए लगाया गया कि वह गांव के लोगों को पहचान सके, इससे दुर्भाग्य क्या होगा? गांव के लोगों को तो वो नहीं पहचान पाते परंतु लोगों की मुफ्त में गालियां जरूर मिलती है।
शिक्षकों की तैनाती लगाई जाती है, स्कूलों में जहां सुबह 8 से 2:30 बजे तक का समय होता है किंतु मतदाता पुनर्निरीक्षण का कार्य क्या केवल शिक्षकों का ही रह गया है? क्या सरकार से अन्य विभागों के कर्मचारी वेतन नहीं लेते? फिर भी केवल विज्ञान/गणित अध्यापकों को छांट छांटकर ज्यादा लगाया जाए तो समझो इससे बुरा वक्त विज्ञान शिक्षकों एवं शिक्षकों का नहीं हो सकता है? सुबह 8 बजे से रात के 7 बजे तक तैनाती देते शिक्षक देखे गये। कुछ की पत्नियों ने तो साफ तौर से कहा-क्या तुम्ें रात को भी काम करने के लिए दिया जाता है, ऐसे कौन अधिकारी हैं जो रात को भी तैनाती लगाते है? अच्छा होगा रात को भी काम करते रहना, घर न आना?
लोगों ने शिक्षकों से पूछा तुम इतनी रात क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा- क्या करें हमने विज्ञान और गणित की शिक्षा पा ली। कुछ शिक्षक कह रहे थे कि दुर्भाग्य है कि जिस किसी के घर में जाए, कोई पानी तक पूछता, उनसे यह नहीं पूछा जाता कि तुम्हें इस काम के लिए अतिरिक्त राशि मिलेगी? एक विज्ञान ने तपाक से उत्तर दिया- अतिरिक्त गालियां जरूर मिलेगी, जहां भी जाते हैं बस यही कहते कि हमारे वोट अध्यापकों ने काट दिये। हमारे जानबूझकर वोट काट दिए गए। अधिकारियों के पास तथाकथित नेता पहुंचते हें और कहते हैं कि मतदाता सूचियों में उनके वोट ही नहीं है? कैसे अध्यापकों की तैनाती लगाई जाती है?
अधिकारी यह कहते सुने हैं कि नेताजी, चिंता मत करो, सभी मत जोड़ दिए जाएंगे। थोड़ा ख्याल रखो। नेता ने कहा तो इन शिक्षकों को खिंचकर लिया करो। अधिकारी ने कहा चिंता मत करो,इन अध्यापकों के चूडिय़ां चढ़ाई जाएगी।
जग में कोई एक ऐसा पढ़ा लिखा व्यक्ति नहीं जो शिक्षकों से नहीं पढ़ा हो। उनको इस धूप में गलियों में घुमाया जाता है उनके पानी खाने पीने का कोई किसी को ख्याल नहीं है, केवल अपना काम पूरा करवा लिया जाता है। अंदाजा इस बात से ही लग जाता है कि भविष्य में एक शिक्षक बनना कितना कठिन होगा?
एक विज्ञान/गणित शिक्षक अपने बच्चों को जोर-जोर से कह रहा था -भाई, मैं मरने से पहले तुमसे एक ही लाख पते की बात कहता हूं, निवेदन करता हूं, बेशक पढऩा पर विज्ञान की पढ़ाई करके विज्ञान शिक्षक न बनना। विज्ञान की पढ़ाई करोगे तो शरीर भी गवां बैठोगे, आंखें खो बैठोगे और यह प्रशासन और यह सरकार तुम पर ही कड़ी नजर रखेगी। तुम संस्कृत, ड्राइंग, हिंदी आदि पढ़कर शिक्षक बन जाना या फिर पटवारी, पुलिसकर्मी या चपड़ासी बन जाना, वो बहुत बेहतर है? विज्ञान के अतिरिक्त अन्य विषय पढ़ोगे तो सेहत भी बनी रहेगी, शिक्षक भी लग गए तो वेतन भी विज्ञान शिक्षक से कम नहीं मिलेगा। सभी के बराबर ही वेतन मिलेगा।
कितना बुरा वक्त आ गया अधिकारियों को कोई सफेदपोश नेता जाकर यह नहीं पूछता कि यह दिन रात काम कर रहे हैं इनके लिए पानी खाने का कोई प्रबंध है क्या? कोई इनको पारिश्रमिक दिया जाता है? यह बात पूछने वाला नहीं, सिर्फ यह कहते हैं कि इन शिक्षकों ने हमारी वोट काट दी? बड़ा दुख होता है कि शिक्षक के साथ ऐसा दुव्र्यवहार। जिस किसी के घर में शिक्षक जाते हैं तो शिक्षकों ने बताया कि अनेकों बुरी बुरी बातें, खरी खोटी सुननी पड़ती है। कुछेक परिवार तो यह कहते सुने गए यह क्यों हांड रहे हो गगलियां में, कभी तो दोपहर को चैन से घर में बैठा करो?
पार्षद, प्रधान पूर्व प्रधान अच्छी प्रकार वोटरों को जानते हैं, उनकी तैनाती क्यों नहीं लगाई जाती ताकि वह अपने वोट अच्छी प्रकार बनवा सके। आज का युग इतना बुरा क्यों? शिक्षकों ने बताया कि विगत कई सालों से चाहे पालिका चुनाव की तैनाती, मतगणना की तैनाती दे चुके हैं, ग्राम पंचायतों के चुनाव करवा चुके हैं परंतु पारिश्रमिक नहीं दिया जाता। अफसोस की बात है कि उनसे काम लिया जाता है, अपनी जेब से पैसे खर्च करके किराया खर्च करके चुनाव की तैनाती देने के लिए जाते हैं और उनको पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता। कोई नेता या अधिकारी उनकी इस बात की ओर ध्यान नहीं देता। नेताओं को तो बस वोट चाहिए, उन्हें इस बात की खबर नहीं कि आखिर ये शिक्षक या अन्य कर्मचारी जो तैनाती दे रहे हैं, इनके लिए भी पारिश्रमिक दिया जाए? जहां वेतन बढ़ा ना हो तो नेता आराम से अपना वेतन बढ़ा लेंगे जहां कुछ पैसे काटने हो, लट्ठ खाने हो तो कर्मचारियों शिक्षकों को तैनात कर दिया जाता है। एक आम आदमी से उच्च अधिकारी तक शिक्षकों के कट्टर दुश्मन है। यहां तक कि शिक्षक का शिक्षक ही दुश्मन मिलेगा। यह कटू सत्य है। वैसे तो कहा जाता है नारी के दुश्मन नारी है किंतु शिक्षक का दुश्मन, असली दुश्मन भी शिक्षक ही है। शिक्षक से अधिकारी बन जाते हैं परंतु वह भी यह बात नहीं सोचते कि शिक्षकों के प्रति अच्छा व्यवहार किया जाए। बस एक ही बात समझते हैं कि शिक्षकों के पीछे डंडा लेकर दौड़ा जाए इनका खून पिया जाए इनसे काम लिया जाए, चाहे स्कूल में प्रवेश कम हो चाहे प्रवेश के समय उनकी तैनाती लगाकर स्कूलों में विद्यार्थी कम कर दिये जाए परंतु तैनाती लगाई जाए। जहां प्रवेश चल रहे हो उस समय अगर तैनाती लगा दी जाए वह भी विज्ञान और गणित अध्यापकों की तो भविष्य कैसा होगा? स्कूल में कम विद्यार्थी आएंगे फिर ऊपर से यह कहा जाएगा कि विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। अधिकारी उच्च शिक्षा अधिकारी इस बात को नहीं जानते कि शिक्षकों की तैनाती लगाने पर स्कूलों में कैसे विद्यार्थी बढ़ पाएंगे ? पढ़ाई के वक्त शिक्षकों की तैनाती लगा दी जाती है विद्यार्थियों पर क्या बीतेगी, क्या अभिभावक कहेंगे? बस सोचते रहिये।
भाजपा सरकार में देश एवं प्रदेश कर रहा है तरक्की-चौधरी
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कनीना की आवाज। महेंद्रगढ़ जिला संयोजक प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम एवं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के हरियाणा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चौधरी रामनिवास खेड़ी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में देश एवं प्रदेश दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। आज देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश में चल रहे लंबित मुद्दों को निपटा कर जनता से किए हुए वादे पूरे किए।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई, राम मंदिर के मुद्दे को सुलझा कर राम मंदिर का निर्माण करवाया, देश में राफेल जंगी जहाज लाकर भारतीय सेना और सीमाओं को मजबूत किया, आयुष्मान कार्ड योजना से पात्र लोगों का इलाज फ्री कराने की सुविधा दी।
चौधरी ने कहा कि आज विश्व भारत का लोहा मान चुका है, आज देश सुरक्षित हाथों में है और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है।
देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से खुश है और एक बार फिर 2024 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनेंगे।
फोटो कैप्शन: रामनिवास चौधरी
बढ़ता ही जा रहा है पृथ्वी पर प्रदूषण
-बचाने के लिए आगे आ रहे हैं बहुत कम लोग
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कनीना की आवाज। यूं तो पृथ्वी दिवस को 192 देशों देश मनाते हैं और 1970 से पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। पृथ्वी दिवस का मुख्य उद्देश्य शुद्ध हवा, पानी और पर्यावरण लोगों को के लिए लोगों को प्रेरित करना है। जनसंख्या बढ़ती जा रही है। आज के दिन देश की जनसंख्या 142 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या पहुंच गई है जिसके कारण पृथ्वी पर प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि हरित गृह प्रभाव उत्पन्न होता जा रहा है जिसके पीछे कार्बन डाइऑक्साइड का बढऩा एक कारण है। हरित गृह के कारण पृथ्वी का ताप बढ़ता ही जा रही है। 1880 से अब तक 20 प्रतिशत समुद्रों का जलस्तर बढ़ गया है जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघल गए हैं इसको लेकर के पर्यावरणविद मानते हैं कि 2085 में मालदीव पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है। 1960 के दशक में कीटनाशक एवं प्रदूषकों के बढ़ते फैलाव को लेकर जो जागरूकता दशाई गई उसके तहत कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने, बढ़ते प्रदूषण को रोकना, बढ़ते प्रदूषण को रोकने की विधियां सुझाई गई।
जहां प्रदूषण बढ़ता है जिसके कारण जंगल ,वन्य जीव विलुप्त होते चले जाते हैं। ऐसे में महसूस किया गया कि हवा और जल के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए जिससे सारी पृथ्वी के जीव इस हवा और जल को साफ ढंग से प्रयोग कर सकें।
आज जिस गति से प्रदूषण बढ़ रहा है उससे बचाने का एकमात्र उपाय है अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए जाए किंतु पेड़ पौधे लगाने की दर बहुत कम है जिसके चलते प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। हर वर्ष जहां आपदाएं आती है, वही धुआं और कोहरा बढऩे से धूम कोहरा की समस्या उत्पन्न हो रही है। धूम-कोहरे के कोहरे के कारण लोगों में दमा तपेदिक दमा जैसी बीमारी बढ़ रही है। पृथ्वी का तापमान हर वर्ष कुछ न कुछ बढ़ जाता है जिसके चलते ध्रुवों पर जमी हुई बर्फ पिघल सकती है। समय रहते यदि नहीं चेता गया तो भविष्य में बुरे परिणाम होंगे।
क्या कहते हैं शिक्षाविद-
शिक्षाविद रविंद्र कुमार बताते हैं कि धरती पर प्रदूषण कई तरीकों से बढ़ रहा है।जिस गति से प्रदूषण बढ़ रहा है उस और ध्यान देना बहुत जरूरी है नहीं तो भविष्य में एक बड़ी आफत बन सकती है। आज के दिन धरा पर जल और अन्न, हवा और फल प्रदूषित हो चले हैं।
सरसों तुलाई कार्य के लिए निविदा हुई स्थगित
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को दी कनीना कोआपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी लिमिटेड कनीना द्वारा सरसों तुलाई से संबंधित कार्य के लिए निवेदिता अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। मैनेजर संजीव कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार 22 अप्रैल को सरसों की तुलाई आदि कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया की जानी थी जिसका अपरिहार्य कारणों के चलते अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
पृथ्वी मां है, इसे बचाये-लक्की
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कनीना की आवाज। पृथ्वी हमारी मां है इसे बचाये। ये विचार क्षेत्र के समाजसेवियों के हैं। उन्होंने पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी को बचाने की अपील की।
लक्की सिंगड़ा का कहना है कि पृथ्वी के बगैर हमारा जीवन संभव नहीं है जैसे हमें अपने जीवन के लिए पृथ्वी की जरूरत है वैसे ही आज पृथ्वी को भी हमारी जरूरत है। क्योंकि पिछले कुछ दशकों में हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण बहुत बढ़ा हैं उससे हमारी पृथ्वी को काफी नुकसान हो रहा है। जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान की जरूरत पड़ती है जो हमें इस पृथ्वी से ही मिलते हैं तो हमारा भी कोई दायित्व बनता हैं कि हम इस पृथ्वी के लिए कुछ करने और अपने आने वाली पीढ़ी की रक्षा करने का भी प्रण ले।
यदि पृथ्वी पर इसी तरह प्रदूषण होता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि हमारी पृथ्वी हमारी जरूरतों के विपरीत काम करने लगेगी। पृथ्वी को बचाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने की आवश्यकता हैं। पॉलीथिन के प्रयोग पर बैन करना होगा,पेड़ पौधे लगाने की आवश्यकता है।
मनोज कुमार मेघनवास का कहना है कि किसी भी दिवस का महत्व तभी है जब मानव अपनी जिम्मेदारी समझे अन्यथा यह आम दिनों की तरह सामान्य दिन है। हमारी पृथ्वी का मतलब यह नहीं कि यह सिर्फ मनुष्य के लिए है अपितु यह इस धरा पर रह रहे सभी जीव जगत के लिए है। सभी का इस पर समान अधिकार है। मानव इतना निर्दयी हो गया है कि वो सभी फैसले जीव जगत की परवाह किए बगैर अपनी सुविधा अनुसार ले रहा है। यह अंतराष्ट्रीय समस्या है। इसके लिए प्रयास भी विश्व स्तर पर करने होंगे। विगत वर्षों वैश्विक लाकडाउन में प्रर्यावरण सन्तुलन में जो सुधार हुआ था वो हमारे लिए उदाहरण है। मिलों दूर से हिमालय दिखाई दे ने लगा था। और वायु शुद्धता सूचकांक में सुधार हुआ था। विकसित देशों को यह विचार करना होगा कि वे सभ्यता के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं या विनाश के लिए। हमारी संस्कृति में वृक्ष पूजन के बिना कोई अनुष्ठान संपन्न नहीं होता था।
पिंकी यादव को पर्यावरण से बहुत प्रेम हैं जो भविष्य में सुरक्षित पर्यावरण के संरक्षण के लिए पिंकी नि:स्वार्थ भाव से कार्य कर रही हैं। विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाकर उनका लालन-पालन करने में योगदान दिया हैं। आज तक 1000 से जयादा पौधरोपण करने का कार्य किया है। बेटियों को समर्पित मुहिम एक बेटी-एक पौधा मुहिम को भी लगातार आगे बढ़ाते हुए 500 से ज्यादा पौधरोपण कर बेटियों को पर्यावरण के साथ जोड़ा हैं। पौधरोपण कर न केवल हरियाली को बढ़ावा दिया बल्कि युवा पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाई है। जन्मदिवस हो या अन्य कोई अवसर या त्यौहार हो ,प्रत्येक अवसर पर पौधा लगाने की एक परम्परा भी शुरू सी हो गई हैं।
पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में अलख जगाने वाले मनोज कुमार रामबास ने गाव के मुख्य रस्तों को हरा भरा करने के लिए 125 पौधे लगाए हैं। साथ ही गाव मे 3 पार्क तैयार किये गये हैं।
जिसमें मुख्य बस स्टैंड पर हनुमान पार्क विकसित किया है जिसमें घास के साथ साथ ट्रक के दोनों तरफ 180 पौधे लगाए हैं। इसके साथ ही राधा कृष्ण मंदिर के पास पार्क व अंबेडकर पार्क बनाया जिसमें 120 पौधे लगाये हैं। इसके साथ ही गाव की जंगलात एक एकड़ भूमि पर फलों की वाटिका लगाई जिसमें 250 पौधे जामुन, आम, इमली, लेहसुआ आदि के है। इसके साथ ही जंगलात मे पीपल बरगद पापडी अर्जुन कनेर चंपा आदि के 450 पौधे लगाकर जंगलात को हराभरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
फोटो कैप्शन: लक्की सिगड़ा, मनोज मेघनवास, मनोज मेघनवास, पिंकी यादव।
राष्ट्रीय मार्ग पर कट के लिए 40वें दिन भी धरना रहा जारी
-धूप एवं लू की मार झेल रहे हैं धरनाधारी
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कनीना की आवाज। 152-डी राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेहलंग-बाघोत गांव के बीच कट बनवाने के लिए 40वें दिन भी धरना जारी रहा। धरने की तेज सिंह नौसवा ने अध्यक्षता की।
धरने के 40वें दिन 40 गावों की संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन नौताना ने बताया कि जल्द ही नई रणनीति बनाकर बड़ा कदम लिया जाएगा। क्योंकि आज धरना का 40वां दिन है और तेजी से बढ़ती गर्मी, धूप, लू और गर्मी के कारण धरना दे रहे हैं। कट बनने तक धरना रहेगा जारी। इस कट के बनने से यह पिछड़ा हुआ इलाका राजधानी चंडीगढ़ और राज्य के बाकी इलाकों से जुड़ जाएगा और इलाके का पिछड़ेपन दूर हो जाएगा। अनेक नेता समय समय पर यहां आकर धरने को समर्थन दे चुके हैं। बस कट बनवाकर काम शुरू करवाने का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 152 -डी से झाड़ली प्लांट की दूरी महज 8 किलोमीटर है और इसके पास दर्जनों सीमेंट कंपनी है जिनका देश के साथ व्यापार करने का यही एकमात्र रास्ता है। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय भी यहां से महज 8 किलोमीटर है और केंद्रीय विश्वविद्यालय में देशभर से छात्र आते है।
इस मौके पर सैकड़ों गावों के गणमान्य लोग व विजय सिंह चेयरमैन नौताना, राज सिंह पूर्व पार्षद नौताना, महावीर पहलवान बाघोत, रणधीर पहलवान बाघोत, रवि प्रधान सेहलंग, डा. धर्मेंद्र धनखड़ सेहलंग, रवि प्रधान सेहलंग, सरपंच स्याना वीरपाल, विकास सरपंच नौताना ,हरिओम आर्य सरपंच पोता,विनीत सरपंच सेहलंग, राजेंद्र सरपंच बाघोत, पंकज हिंदू सरपंच खेड़ी, रामनिवास बंसल सरपंच तलवाना,बलवान सरपंच छितरोली, दलबीर सिंह डलवा सरपंच चिडिय़ा, लीलाराम जिला पार्षद ,अजीत तंवर जिला पार्षद, विजयपाल सेहलंग ,प्रकाश पोता,हरिओम यादव पोता, सतपाल पोता , हिमत मास्टर स्याना, रघुबीर पंच सेहलंग, राजेंद्र बागोत,एडवोकेट केपी यादव सेहलंग,सतपाल चेयरमैन पोता, मखन लाल स्वामी बसई व आदि गणमान्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 5: धरने पर बैठे लोग।
फोन नंबर नहीं, पता नहीं, फिर भी ढूंढते उनका ठिकाना
-शिक्षक फिर रहे हैं मारे मारे, 1414 वोटर ढूंढने का मसला
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कनीना की आवाज। हाल ही में कनीना पालिका की मतदाता सूची का प्रथम प्रकाशन हो गया है जिसमें 8371 मतदाता है जबकि 5 साल पहले कनीना पालिका के चुनाव 2018 में हुए थे उस समय मतदाता 9135 थी। अगर 5 साल का अंतर देखा जाए तो 764 मतदाताओं का है, जो 5 साल में घट गए हैं किंतु विधानसभा की मतदाता सूची जो 5 जनवरी 2023 को प्रकाशित हो चुकी है उसके अनुसार कनीना की बूथ नंबर 54 से 6 तक दिखाए गए हैं जिनमें 9785 मतदाता है। 1414 मतदाता कनीना पालिका के 13 वार्डों में कहीं छूट गए हैं। इन मतदाताओं को ढूंढने का सिलसिला चल रहा है, शिक्षकों की तैनाती लगाई गई है किंतु शिक्षक गलियों में मारे मारे फिर रहे हैं, वार्ड में ढूंढना होता है किंतु बहुत से ऐसे मतदाता है जो मिल नहीं रहे हैं। वार्ड कहीं है तथा वो दूसरी जगह मिलते हैं। ऐसे में तपती धूप में शिक्षक ही अकेले मारे मारे फिर रहे हें। एक तरफ शिक्षकों की बुराई होती है वही इस कार्य के लिए अन्य विभागों के कर्मी जो सरकार से वेतन ले रहे हैं, उनको काम नहीं सौंपा जाता? इतने मतदाताओं को ढूंढना आसान कार्य नहीं है क्योंकि उनके नेता फोन नंबर है नहीं कोई ठिकाना है। जब किसी से पूछा जाता है कोई 3 किलोमीटर दूर बता दिया जाता है या फिर किसी को कहीं किसी ढाणी में बता दिया जाता है। जब शिक्षक वहां जाकर देखते हैं तो पता चलता है। इस नाम का मतदाता नहीं है। अनेकों ऐसे मतदाता है जो किराए के भवनों में रहते हैं और समय-समय पर किराए के मकान बदल रहे हैं। जिसके कारण उनके को ढूंढ पाना भी कठिन हो गया है। एक और जहां विधानसभा के 11 वार्डों को नगर पालिका के 13 वार्डों में विभाजित किया गया है। विभाजन का कार्य सही ढंग से न होने के कारण यह मतदाता कहीं रह गए जिसके चलते दावे और आपत्ति करने वालों की लंबी कतार लग गई है।
शिक्षकों ने शिक्षकों ने बताया कि एक और जहां इसी वक्त स्कूलों में प्रवेश का समय चल रहा है वह इस प्रकार के कार्य में उनकी तैनाती लगा दी जाती है जिसके कारण विद्यार्थियों की स्कूलों में संख्या घटती जा रही है। इस कार्य में विशेषकर विज्ञान और गणित के शिक्षकों को वरीयता दी गई है जिनकी स्कूलों में भी अधिक आवश्यकता होती है। इधर उधर खोये मतदाताओं को ढूंढने के लिए जहां 13 वार्डों में विभिन्न कर्मियों की तैनाती की गई है जो कभी किसी पेड़ के नीचे तो कभी किसी पेड़ के नीचे घूमते फिर रहे हैं परंतु यह मतदाता नहीं मिल रहे हैं ।उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि कहीं से इनके फोन नंबर उपलब्ध हो जाए ताकि सभी मतदाताओं का पता लगाया जा सके।
मतदाता दिखा रहे हैं अपने तेवर- शिक्षक गलियों में घूम रहे हैं तो कुछ मतदाता जिनके नाम सूची से गायब है, इन शिक्षकों पर अपनी पूरी भड़ास निकाल रहे हैं। उधर अधिकारियों के पास भी जाकर रौब झाड़ते हैं और वह अधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। वर्तमान में जो वार्ड पार्षद है उनको भी अगर आदेश दिया जाता तो वह कम से कम इन वोटरों को ढूंढने में मदद कर सकते थे। परंतु उनकी मदद उनको मदद के लिए प्रशासन ने नहीं बुलाया है। ऐसे भी वोटर है जो इनका वोट तो बन गया है लेकिन मतदाता सूची में नाम ही नहीं है वह वोट जुड़वाने की जुगत में लगे हुए हैं।
वर्तमान वार्ड मेंबर दिलीप सिंह ,पूर्व शिक्षक पूर्व पार्षदों ने बताया कि बहुत से ऐसे वोटर है जिनके बारे में वे भी नही जानते। इन पार्षदों एवं पोस्टमैन आदि के पास शिक्षक बार-बार आ रहे, पता लगा रहे किंतु नहीं पता लग पा रहा कि वोटर कहां से कहां के हैं।
फोटो कैप्शन 4: वोटरों की तलाश मेें शिक्षक घर घर जाते हुए।
एयरटेल पेमेंट बैंक की फर्जी रसीद तैयार कर लगाया कंपनी को करीब चार लाख का चूना -धोखाधड़ी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज।कनीना में एयरटेल पेमेंट बैंक की फर्जी रसीद तैयार कर व्यक्ति ने 3,97,850 रुपये का कंपनी को चूना लगा दिया जिसके चलते कंपनी के ब्रांच मैनेजर ने कनीना थाने में मामला दर्ज करवाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अनिल कुमार ब्रांच मैनेजर श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड ने मामला दर्ज करवाते हुए कहा है कि हमारी ब्रांच शाखा चौहान कंपलेक्स दादरी फ्लाईओवर के पास महेंद्रगढ़ में स्थित है। परवेज अख्तर जो मुरादाबाद उत्तर प्रदेश का रहने वाला है, कंपनी में पिछले 7 सालों से रुरल एरिया इंचार्ज कनीना के पद पर कार्यरत था। कंपनी की मिनी ब्रांच निहाल कंपलेक्स कनीना में स्थित है।
दोषी इसी शाखा पर कार्यरत था। उन्होंने पद का नाजायज फायदा उठाते हुए कंपनी के द्वारा फाइनेंस लोन की किस्तें ग्राहकों से लेनी होती है का पैसा लेकर कंपनी में जमा नहीं करवाया। 26 अक्टूबर 2022 को एयरटेल पेमेंट बैंक की तीन रसीदें 181550 रुपये 140600 रुपये तथा 27 अक्टूबर 2022 की 75700 काटकर कंपनी के खाते में अपलोड कर दी। जब कंपनी के ब्रांच मैनेजर ने 26 और 27 अक्टूबर 2022 को कैश कलेक्शन का रिकार्ड में ब्यौरा मांगा तो 26 अक्टूबर तथा 27 अक्टूबर 2022 की तीन फर्जी रसीदें दे दी। जब इस संबंध में 1 नवंबर 2022 को एयरटेल पेमेंट बैंक के अभिकर्ता संजीव गुप्ता से कनीना में संपर्क किया तो संजीव गुप्ता ने बताया कि परवेज ने कोई पेमेंट जमा नहीं की और ना ही ये रसीदें हमारे बैंक की है। ये रसीद एक फर्जी तौर से तैयार की गई है जो गलत हैं। उन्होंने कहा है कि उपरोक्त व्यक्ति ने कंपनी के साथ धोखाधड़ी करके ग्राहकों से पैसा उठने की नियत से फर्जी रसीद काटकर कंपनी को करीब 3,97,850 का घोटाला किया है। अब दोषी के मोबाइल पर संपर्क किया फोन भी बंद आ रहा है। ऐसे में उन्होंने धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है। पुलिस ने विभिन्न धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
गाड़ी घुसी दुकान में, एक घायल
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव भोजावास निवासी कैलाश ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है कि 18 अप्रैल को वह अनिल कुमार भोजावास बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान में बैठा था। अचानक सुंदराह रोड की तरफ से एक बैलेनो गाड़ी तेज रफ्तार से आई और दुकान में घुसा घुस गई जिससे मोटरसाइकिल को टक्कर लगी और कैलाश को घायल कर दिया। दुकान के बाहर खड़े पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा। चालक उतरकर मौके से भाग खड़ा हुआ। कैलाश कोा नारनौल के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां ईलाज चला और अब छुट्टी मिली है। उन्होंने कनीना पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया है। पुलिस ने गाड़ी चालक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
पूर्व कैप्टन प्रभु दयाल की स्मृति में बनाये चबूतरें एवं सीटें
- दो चबूतरे एवं सीटें की राहगीरों के हवालें
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कनीना की आवाज। कनीना खास रेलवे स्टेशन के बहार पूर्व कैप्टन प्रभु दयाल की स्मृति में उनके पुत्र सज्जन सिंह बोहरा ने पुराने शहतूत और बरगद के दो पेड़ों के चारों ओर चबूतरे बनवाए हैं। साथ में बैठने की सीटें भी लगवाई जो आमजन को समर्पित कर दिये गये हैं।
कनीना के कई गणमान्य जनों की उपस्थिति में सज्जन सिंह बोहरा ने सीटें एवं चबूतरे आमजन के लिए खोले दिये गये। इस मौके पर सज्जन सिंह बोहरा ने कहा कि अच्छे लोग चले जाते हैं किंतु उनकी याद हमेशा रहती है। ऐसे में यदि हम उनकी याद को ताजा करना चाहे तो जनहित के कार्य करने चाहिए। इसी कड़ी में चबूतरे और बैठने की सीटें बनवाई है ताकि लोग तपती गर्मी में यहां ट्रेन आने का इंतजार कर सके। यही नहीं पास में पार्क है। पार्क में आने जाने वाले लोग भी यहां विश्राम कर सकते हैं। सज्जन सिंह बोहरा ने बताया कि उनके पिता पूर्व कै. प्रभुदयाल ने कई वर्षों पहले यहां बरगद और शहतूत का पेड़ लगाये थे जो आज विशालकाय हो गए हैं।
श्री बाहरा ने बताया कि उनके पिता स्व. कै प्रभुदयाल पर्यावरण प्रेमी थे। उन्होंने आस पास सैकड़ों पेड़ पौधे लगाए और उनकी सेवा की है। इस मौके पर प्रसाद वितरित भी किया गया।
फोटो कैप्शन 01 : चबूतरे को समर्पित करते कनीना क्षेत्र के लोग और सज्जन सिंह बोहरा।
कनीना मंडी में हो रही है गेहूं की कम आवक
- 2 साल पहले ढाई लाख क्विंटल गेहूं खरीदा था
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कनीना की आवाज। लगातार 2 वर्षों से कनीना की अनाज मंडी में गेहूं की आवक बहुत कम हो रही है। जहां विगत वर्ष गेहूं महज 26 बैग की खरीद हुई थी वहीं इस वर्ष भी धीमी गति से खरीद हो रही है। खरीद के 11 दिन बीत गए हैं किंतु 10,000 क्विंटल गेहूं भी नहीं खरीदा गया है।
गेहूं कम आने के पीछे मांग अधिक होना है । गेहूं कम मात्रा में उगाया गया जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के खेत से ही खरीद लिया जा रहा है और किसान अपनी गेहूं को 2200 रुपये प्रति क्विंटल से बेच रहे हैं और जबकि सरकारी रेट 2125 रुपये प्रति क्विंटल है। गेहूं घर से ही बेचने से उन्हें अधिक लाभ हो रहा है। यही कारण है कि अनाज मंडी तक गेहूं की आवक कम हो रही है। किसान अजीत कुमार, सुमेर सुमेर, सिंह, सुरेंद्र, राजेंद्र सिंह एवं सूबे सिंह ने बताया कि गेहूं कम मात्रा में उगाया गया वो भी वर्षा तथा ओलावृष्टि खराब कर दी है। भविष्य में गेहूं महंगा होने की संभावना है। जिसके चलते इस बार कुछ किसान गेहूं का स्टाक कर रहे ताकि वक्त पडऩे पर काम आए। परंतु 2 साल पहले ढाई लाख क्विंटल से भी अधिक गेहूं खरीदा गया। किसानों के गेहूं को अनाज मंडी तक कम लाने के पीछे यह भी कारण है कि कहीं अधिक आवक होने से सरकार विगत समय में ओलावृष्टि से हुये नुकसान का मुआवजा कम न कर दे।
फोटो कैप्शन 03: कनीना मंडी का एक नजारा।
जारी हो मतदाताओं की सप्लीमेंट्री सूची
-जिनके वोट बन चुके हैं किंतु सूची में नहीं हैं
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कनीना की आवाज। हाल ही में कनीना नगर पालिका के चुनाव के दृष्टिगत मतदाता सूचियों का प्रारंभिक प्रकाशन हो चुका है। अभी दावे और आपत्तियां चल रही हैं किंतु जिस किसी नए मतदाता ने 23 दिसंबर 2022 तक आवेदन कर दिया था उनके नाम तो मतदाता सूची में आ गए हैं किंतु बाद के वे मतदाता जिन्होंने आवेदन कर दिया वोट बन चुका है तथा वोटर नंबर भी मिल चुके हैं किंतु अभी तक उन्हें सूची में नहीं दिखाया गया है। ऐसे में मतदाताओं ने मांग की है कि अब तक जिस किसी मतदाता ने आवेदन किया है और वोट बन चुके हैं एवं वोटर नंबर मिल चुके हैं उनको प्रारंभिक प्रकाशित मतदाता सूची में सप्लीमेंट के रूप में जोड़ा जाए।
उल्लेखनीय है कि एक जनवरी 2023 को जिस किसी की उम्र 18 साल हो गई है उनके वोट बनाए गए हैं किंतु अनेकों ऐसे मतदाता है जिनका वोट तो बन गया किंतु मतदाता सूची में नहीं दर्शाया गया है। ऐसे में उन्होंने मांग की है कि सप्लीमेंट सूची हर बार जोड़ी जाती है वह जोड़कर उन्हें भी शामिल किया जाए। कनीना की आरती, रोहित, टिंकू, दिनेश आदि ने बताया कि उनके परिवार के सदस्यों ने वोट तो बनवा लिया और वोटर नंबर भी मिल चुके हैं किंतु मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। कुछ मतदाताओं को विधानसभा सूची में नाम जुड़कर जुड़कर नहीं आया। ऐसे में वे मतदाता भागदौड़ कर रहे हैं जिनके नाम मतदाता सूची में अब नहीं है। उनके नाम मतदाता सूची में नाम जोडऩे की प्रक्रिया जारी है। दावे और आपत्तियां चल रही है । वार्डों में चुनाव लडऩे वाले अब सक्रिय हो गए हैं तथा उनके वोट शामिल करवाने के लिए कटिबद्ध हैं।
पालिका चुनावों के लिए नहीं आ रहे सशक्त संभावित प्रत्याशी सामने
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कनीना। कनीना पालिका के चुनावों की हलचल बढ़ गई है। मतदाता सूचियों का प्राथमिक प्रकाशन हो चुका है। अंतिम प्रकाशन के बाद पता चलेगा कि कितने मतदाता कनीना में हैं। वर्तमान में 8371 मतदाता 13 वार्ड में दर्शाए गए हैं। जिनकी संख्या अभी बढ़ेगी।
कनीना पालिका 1952 से चली आ रही है। कनीना नगर पालिका के समय-समय पर अनेक प्रधान रह चुके हैं। जब जब कनीना पालिका चुनाव आते हैं तब तब एक ही बात उठती है कि सशक्त, ईमानदार और विकास पुरुष को प्रधान पद के लिए आगे लाया जाए किंतु हकीकत है अभी तक ऐसा कोई सशक्त व्यक्तित्व सामने नहीं आया है जो पुराने चुनाव लड़ते आ रहे लोगों को टक्कर दे सके। हो सकता है भविष्य में ऐसा कोई चेहरा उभर सकेगा परंतु वर्तमान समय में ऐसा कोई चेहरा स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। यह बात हर व्यक्ति के दिलों दिमाग में बैठी हुई है जिसके चलते इन चुनाव को अभी तक अनेकों युवा एवं बुजुर्ग अवलोकन कर रहे हैं, सोच सोचकर भावी प्रधान के गुण अपने दिलोदिमाग में बैठा रहे हैं ताकि समय आने पर ऐसे व्यक्ति का साथ दिया जा सके।
यही कारण है कि कनीनावासी अभी तक यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि इस चुनाव में किसे उतारा जाए का बेहतर ढंग से कनीना का नेतृत्व कर सके। पूर्व प्रधान एवं वर्तमान प्रधान सतीश जेलदार अपने अपने परिजनों को उतार सकते हैं। अभी चुनाव होने में 6 माह का समय भी लग सकता है। ऐसे में नए नए चेहरे उभर कर भी आ सकते हैं। बहरहाल चुनाव को लेकर के जब चर्चाएं गर्म हैं। आने वाले वक्त में पता लग पाएगा कि कौन चुनाव में भागीदारी करेगा। इस बार पालिका प्रधान के चुनाव डायरेक्ट होना सभी लोगों के मन को सुहा रहा है क्योंकि अब तक पालिका प्रधान बनते आए वह किसी के रहमों करम पर होते थे या पार्षदों पर निर्भर रहे हैं। सभी की नजरें चुनाव पर टिकी हुई है और बेहतर से बेहतर प्रत्याशी ढूंढने की तैयारियों में जुटे हुये हैं।
चुनाव लडऩे के दावेदार-
अभी तक पार्षद के चुनाव के लिए महेश बोहरा दावेदारी जता रहे हैं। उधर वार्ड चार से योगेश कुमार भी पार्षद के चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं। वार्ड एक से विजय चेयरमैन वार्ड एक से पार्षद के चुनाव लड़ेंगे। इस बार चेयरमैन पद का चुनाव डायरेक्ट होगा। जिसके चलते इस बार चेयरमैन पद के लिए अधिक लोग तैयारी में जुटे हुए हैं।
कनीना के सज्जन सिंह बोहरा, सुमेर सिंह मैनेजर चुनाव लड़ेंगे और प्रधान पद की दावेदारी करेंगे। कनीना के वार्ड 12 का निवासी अमित नंबरदार पालिका के प्रधान पद का दावेदार है। कनीना के वर्तमान चेयरमैन सतीश जेलदार के पुत्र प्रीतम जोनू चेयरमैन पद के चुनाव लड़ेंगे। उधर पूर्व प्रधान मा. दिलीप सिंह प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं या फिर उनका पुत्र चुनाव में खड़े होंगे और वो भी प्रधान पद के लिए ही दावेदारी जताएंगे। पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा भी चुनाव में खड़े होंगे वो भी वोटरों का मन टटोल रहे हैं। कनीना के एडवोकेट विनय यादव, एडवोकेट पंकज यादव, वर्तमान में उप प्रधान पद पर आसीन अशोक ठेकेदार, मनीष पार्षद, मनोज कुमार इस बार पालिका चुनाव में प्रधान पद की दावेदारी करेंगे।
फोटो कैप्शन 02 कनीना नगरपालिका।
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