प्रदेश में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने जो डंका बजाया है इससे अभिभावकों का बढ़ेगा मनोबल
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कनीना। कनीना सीनियर सेकेंडरी स्कूल को माडल संस्कृति स्कूल बनाए जाने को लेकर हलका विधायक सीताराम यादव कनीना पालिका कार्यालय पहुंच स्कूल स्टाफ को जी लगाकर मेहनत करने को लेकर कहा। वही सरकारी स्कूलों का बेहतरीन रिजल्ट को लेकर भी स्टाफ को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह मेहनत करते रहे मेहनत कभी बेकार नही जाती। आज पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का डंका बज रहा है यह आप की मेहनत का ही नतीजा है। वहीं उन्होंने कहा कि स्कूल में स्टाफ की कमी नहीं रहने दी जाएगी और स्कूल के विकास के लिए अलग से भी बजट निर्धारित होता है जो कि समय-समय पर मिलता रहेगा चाहे वह खेल के मैदान के लिए हो या भवन व कमरों के लिए हो। इस दौरान कनीना कस्बा, गांव गुढा, गाहड़ा, सीहोर, कोटिया, करीरा सहित अनेक गांव के लोगों की समस्याओं को सुना गया वही उनका मौके पर ही निदान किया गया। वहीं उन्होंने कहा कि हर सप्ताह में एक दिन वे पालिका कार्यालय में लोगों की समस्याओं को सुनने आएंगे और किसी भी व्यक्ति को अगर कोई समस्या है तो वह फोन के द्वारा भी और मिलकर भी अवगत करा सकता है । उनका भी तुरंत प्रभाव से समाधान कराया जाएगा। इस दौरान नगर पालिका चेयरमैन सतीश जैलदार,पार्षद मुकेश रॉकी, अकाउंटेंट शिवचरण जोशी, पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज यादव,डॉ विनोद कुमार, पटवारी शशि शर्मा,ओमबीर नम्बरदार रसूलपुर, सुंदर मानपुरा,भाजपा मंडल अध्यक्ष थान सिंह, मास्टर सुरेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।फ़ोटो केप्शन 5:पालिका कार्यालय में लोगों की समस्या सुनते विधायक सीताराम यादव व पालिका चेयरमैन सतीश जैलदार
कनीना क्राइम
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कनीना। कनीना में 25 वर्षीय युवक अजय की कूलर में करंट आने से मौत हो गई। पुलिस ने 174 के तहत कार्रवाई कर दी है। शव का पोस्टमार्टम भी करवाया गया है।
मजदूर की मौत-
कनीना-महेंद्रगढ़-अटेली मितराहे के पास एक तेल मिल में काम करने वाले मजदूर की छत से गिरकर मौत हो गई। वो छत से नीचे उतर रहाथा कि पैर फिसल गया। पुलिस ने 174 की कार्रवाई कर दी है।
शराब पकड़ी-
पुलिस ने सिहोर निवासी धर्मेंद्र से पांच पेटी शराब की पकड़ी और मामला दर्ज कर लिया।
दो बहनें गायब-
चार दिनों पूर्व कनीना के एक गांव से दो बहनें गायब हो गई। गायब बहनों के पिता की शिकायत पर पुलिस उनकी छानबीन कर रही है।
दानपात्र चोरी का मामला दर्ज-
ककराला में बाबा भैया मंदिर में रखे दानपात्र को तोड़कर चोरी करने के आरोप में पड़तल के कालिया नामक व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया है। सीसीटीवी से उसे पकड़ा गया है।
एक भगोड़ा घोषित-
एसडीजेएम कोर्ट कनीना की ओर से एक आरोपी को पीओ घोषित किया गया है। जिसके खिलाफ कनीना थाने में एक ओर केस दर्ज किया गया है।
बैट्री चोरी-
राजकीय उच्च विद्यालय भडफ़ से यूपीएस की 26 ड्राई बैटरी, इंनर्वटर की बैटरी चोरी अज्ञात चोर कर ले गया। ताला ताड़कर चोरी की है। उधर सत्य भारती स्कूल गाहड़ा से अज्ञात व्यक्ति कंप्यूटर चोरी कर ले गया। पुलिस छानबीन कर रही है।
एक लाख ठगे-
कनीना खंड के गांव सिहोर के हरिराम ने पुलिस थाने में शिकायत देकर साइबर ठगी ेकरते हुए सवा लाख रुपये ठग लिये। ट्रैक्टर देने का वादा किया था किंतु ट्रैक्टर नहीं भेजा।
बाइक चोरी
सत्यनारायण कनीना वार्ड 9 की तीन अगस्त को एक बाइक घर के सामने से चोरी कर ली गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
जायज मांगे सुनी जाए, 32 दिनों से धरने पर
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कनीना। जाट पाली स्थित विश्वविद्यालय के सामने 32 दिनों से शांतिपूर्वक धरना पर बैठे ग्रामीणों की मांगें जायज तथा लोकतांत्रित हैं। इसलिए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को तत्काल हस्तक्षेप करके मांगों को मंजूर करना चाहिए।
उक्त अपील बसपा नेता अतरलाल एडवोकेट ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को एक ज्ञापन भेजकर की है। ज्ञापन के बारे में जानकारी देते हुए अतरलाल ने कहा की वे धरनारत ग्रामीणों की मांगों की जानकारी प्राप्त करने के लिए धरना स्थल पर गए थे तो ग्रामीणों ने उन्हें अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने कहा कि ग्रामीण 32 दिनों से शांतिपूर्वक धरने पर बैठे हैं परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों की अनदेखी कर रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी निकाय का संवेदनहीन होना बहुत ही निंदनीय है। विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता को लेकर ग्रामीणों में भारी रोश व्याप्त है। इसलिए उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन भेजकर ग्रामीणों की मांगों को स्वीकृत करने की अपील की है। ज्ञापन में सीबीआई. से जांच कराने, जिन किसानों की जमीन केन्द्रीय विश्वविद्यालय में गई है, उनके प्रत्येक परिवार से एक-एक व्यक्ति को स्थायी नौकरी देने, यूनिवर्सिटी के प्रत्येक कोर्स में दोनो गांव के एक-एक विद्यार्थी के लिए एक-एक सीट आरक्षित करने, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के इलाके के जितने कर्मचारी हटाए हैं उनको पुन: वापिस लेने तथा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जाट-पाली के आस-पास के गांवों से ही लेने तथा पुराना रास्ता जो बंद कर दिया है उसको खुलवाने की मांगे शामिल हैं।
फोटो कैप्शन 4: जाट पाली के धरनारत ग्रामीण बसपा नेता अतरलाल को ज्ञापन सौंपते हुए।
कनीना की 91 में से 71 कोरोना संक्रमित हुए ठीक
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कनीना। कनीना और इसके समीपी भोजावास एवं मुंडिया खेड़ा अस्पतालों के तहत अब तक कोरोना के 91 मामले आ चुके हैं जिनमें से 71 कोरोना मुक्त हो चुके हैं। 19 अभी भी उपचाराधीन है। एक व्यक्ति की अब तक मौत हो चुकी है।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डॉ धर्मेंद्र ने बताया 91 के अब तक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जिनमें से 71 कोरोना मुक्त हो चुके हैं। एक व्यक्ति की मृत्यु तथा बाकी अभी भी उपचाराधीन है। उन्होंने बताया वर्तमान में 18 कंटेनमेंट जोन भी सक्रिय है। उन्होंने एक बार फिर से लोगों को जागरूक रहने, ऐतिहात के सभी नियमों का पालन करने तथा मास्क आदि प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बचाव में ही बचाव संभव है।
102 पौधे लगाए
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कनीना। पूर्वजों की याद में वृक्षारोपण अभियान के तहत जिला के गांव उच्चत तथा सिहोर में प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल के निर्देशन में 51-51 औषधीय तथा छायादार पौधे लगाए गए। सिहोर मेंबाबा भैंया की स्मृति में लगाकर वृक्षारोपण का शुभारंभ किया। उसके बाद गांव के खेल मैदान तथा बाबा भैंया प्रांगण में सहजन तथा शीशम के पौधे लगाए गए। दूसरी तरफ उच्चत गांव में में स्टेडियम में सहजन और शीशम के पौधे लगाए तथा उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया। अतरलाल ने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए हर व्यक्ति से अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधा लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पौधे प्रकृति की जान तथा शान हैं। इसलिए अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण तथा जल संरक्षण में सहयोग देना चाहिए।
जन्माष्टमी पर याद आता है पुराना ठाकुर मंदिर
-यह मंदिर आज भी जर्जर हालात में पौराणिक इतिहास समेटे हुये हैं
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कनीना। कनीना बसासत समकालीन ठाकुर (श्री कृष्ण) मंदिर कनीना आज भी जर्जर हालात में खड़ा हुआ है। यह मंदिर दंतकथा अनुसार झज्जर के नवाब द्वारा तोप से उड़ा दिया गया था। आज भी दूरदराज के लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
इस मंदिर के पास ही वर्तमान में नया ठाकुर मंदिर बनाया हुआ है जहां हर प्रकार का पूजन, विवाह शादी, उत्सव आदि वही मनाए जाते हैं। इसे ठाकुर मंदिर नाम से जाना जाता है।
इसी मंदिर पर दुलेंडी, जन्माष्टमी पर अनेक कार्यक्रम चलते है। यह मंदिर ठाकुर मंदिर नाम से तथा ग्रामीण क्षेत्र में ठाकुर द्वारा नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास मोहल्ला स्वामीवाड़ा है जो ब्राह्मणों का मोहल्ला है। कंवरसेन वशिष्ठ ्रपधान भारत विकास परिषद के अनुसार यह समीपी गांव कोटिया के ब्राह्मणों बचाया गया था। उस समय ब्राह्मण को स्वामी नाम से जाना जाता था। इसलिए आज भी इस मोहल्ले का नाम स्वामी वाड़ा है। मोहल्ले वासियों की मानें तो दूसरे ठाकुर मंदिर की स्थापना बीकानेर के महाराज द्वारा करवाई गई थी जिसका दो वर्ष पूर्व पुनरुद्धार किया गया है। मोहल्ले वासियों का कहना है कि यहां उस समय के पंडित पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं, जब यहां पुराना ठाकुर मंदिर होता था।
कनीना कस्बा करीब 800 वर्ष पुराना माना जा रहा है। उस समय पूजा अर्चना के लिए यह मंदिर निर्मित किया गया था।
आज भी यह पुराना मंदिर दर्शनीय स्थलों में से एक बन सकता है अगर इसकी देखरेख की जाए तथा इसके इतिहास का पूरा विस्तृत वर्णन मिले तो न केवल बच्चे अपितु बूढ़ों में भी कौतूहल पैदा करेगा तथा नई जानकारी का स्रोत भी यह पुराना मंदिर बन सकता है। हालांकि पुराने मंदिर के स्थान के थोड़ा पास एक और मंदिर बीकानेर के राजा द्वारा निर्मित करवाया गया था कुल मिलाकर तीन बार ठाकुर मंदिर बन चुका है।
कनीना पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह इसके इतिहास का दंत कथाओं द्वारा बखान करते हुए कहते हैं कि झज्जर के नवाब का एक साला करीब 200 वर्ष पूर्व इधर से गुजर रहे थे और महेंद्रगढ़ किले की ओर जा रहे थे किंतु उन्हें यहां गाये नजर आई और उसने अपने सैनिकों को ये गाय झज्जर की ओर हाक ले चलने के लिए कहा। उन्होंने इस झज्जर के नवाब के साले का नाम सलावत बताया है। उन्होंने कहा कि जब गांव के लोगों ने यह दृश्य देखा तो दौड़कर गांव के मौजीजान के पास पहुंचे।
उस समय कस्बा कनीना में चौधरी हरसेवक सिंह प्रमुख व्यक्ति होते थे जिन्होंने अपनी घोड़ी पर सवार होकर नवाब के साले को को कनीना कोसली मार्ग पर रनास नामक स्थान पर (जहां वर्तमान में स्थिति निर्मित) के पास घेर लिया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। जब झज्जर के नवाब तक की सूचना गई तो वे स्वयं चलकर क्रोध अवस्था में यहां पहुंचे और मंदिर में पूजा अर्चना करने आने वाले हरसेवक आदि का धार्मिक स्थल ठाकुर मंदिर को तोप से उड़वा दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को पूजा अर्चना पसंद है तो अब देखना है कि पूजा कहां करेंगे। तब से यह जर्जर हालात में आज भी पड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि ंदोबस्त नक्शे में देखना चाहे तो इसका इतिहास आज भी मिल सकता है।
उधर कनीना पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया कि उन्होंने भी इस मंदिर के बारे में अनेकों दंत कथाएं सुनी है किंतु मंदिर कनीना कस्बा स्थापित होते समय बनवाया गया था। उन्होंने कहा कि जब वह पालिका प्रधान थे तब से इसको देखते आ रहे हैं इसी खंडारा अवस्था में पड़ा हुआ है। इसे खंडहर हालात में ही देखा जा सकता है। इसका इतिहास पुराना बताया।
उधर ठाकुर मंदिर में सेवा करने वाले कि कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है की पुराने मंदिर को उड़ा देने के बाद इस मंदिर से करीब 200 गज दूर बीकानेर के राजा द्वारा नया मंदिर स्थापित करवाया गया था। बीकानेर के नवाब का एक बार यहां आना हुआ जो नियमित पूजा करने के बाद खाना खाते थे किंतु यहां मंदिर जर्जर हालात में देखकर उन्होंने नये मंदिरर की नींव रखी। और कोटिया से पुजारी बुलाकर एक नए मंदिर की आधारशिला रखी थी जो लंबे समय तक चला आया। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षो पूर्व उस जर्जर मंदिर के स्थान पर वर्तमान आधुनिक दर्जे का मंदिर निर्मित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका पौराणिक इतिहास है आज भी लोगों की जुबान पर है।
उधर वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि यदि पौराणिक मंदिर का इतिहास इतना ही बेहतर है तो वे इसके लिए कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले तो इस मंदिर के इतिहास के बारे में समुचित जानकारी हासिल करेंगे तत्पश्चात अगर हो सके अगर हो सके तो इसका जीर्णोद्धार करके दर्शनीय स्थल में बदलने का अपनी तरफ से प्रयास करेंगे परंतु अभी तक इसके पौराणिक इतिहास का समुचित ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
बहरहाल कनीना का ठाकुर मंदिर जो वर्तमान में नया भवन परिसर बना हुआ है उसके थोड़ा सा पीछे पौराणिक मंदिर अपने समय की दास्तान कह रहा है। इतिहासकारों से इस संबंध में जानकारी हासिल करनी चाही इतिहासकार प्रोफेसर कर्मवीर सिंह का कहना है कि इस बाबत कुछ नहीं कह सकते क्योंकि कोई ऐसा ठोस प्रमाण हो जिसके आधार पर इस के समय की गणना की जा सके तो ज्यादा बेहतर होगा। परंतु ऐसा कोई ठोस प्रमाण ने होने से इस मंदिर के पौराणिक इतिहास के बारे में कह पाना कठिन है।
फोटो कैप्शन 3 नया मंदिर, 4 पुराना जर्जर हालात में खंडहरनुमा मंदिर साथ में केएस वशिष्ठ दलीप सिंह, राजेंद्र सिंह लोढा, सतीश जेलदार की फोटो।
102 पौधे लगाए
संवाद सहयोगी,कनीना। पूर्वजों की याद में वृक्षारोपण अभियान के तहत जिला के गांव उच्चत तथा सिहोर में प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल के निर्देशन में 51-51 औषधीय तथा छायादार पौधे लगाए गए। सिहोर मेंबाबा भैंया की स्मृति में लगाकर वृक्षारोपण का शुभारंभ किया। उसके बाद गांव के खेल मैदान तथा बाबा भैंया प्रांगण में सहजन तथा शीशम के पौधे लगाए गए। दूसरी तरफ उच्चत गांव में में स्टेडियम में सहजन और शीशम के पौधे लगाए तथा उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया। अतरलाल ने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए हर व्यक्ति से अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधा लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पौधे प्रकृति की जान तथा शान हैं। इसलिए अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण तथा जल संरक्षण में सहयोग देना चाहिए।
जन्माष्टमी पर याद आता है पुराना ठाकुर मंदिर
-यह मंदिर आजभी जर्जर हालाज में पौराणिक इतिहास समेटे हुये हैं
कनीना। कनीना बसासत समकालीन ठाकुर (श्री कृष्ण) मंदिर कनीना आज भी जर्जर हालात में खड़ा हुआ है। यह मंदिर दंतकथा अनुसार झज्जर के नवाब द्वारा तोप से उड़ा दिया गया था। आज भी दूरदराज के लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
इस मंदिर के पास ही वर्तमान में नया ठाकुर मंदिर बनाया हुआ है जहां हर प्रकार का पूजन, विवाह शादी, उत्सव आदि वही मनाए जाते हैं। इसे ठाकुर मंदिर नाम से जाना जाता है।
इसी मंदिर पर दुलेंडी, जन्माष्टमी पर अनेक कार्यक्रम चलते है। यह मंदिर ठाकुर मंदिर नाम से तथा ग्रामीण क्षेत्र में ठाकुरद्वारा नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास मोहल्ला स्वामीवाड़ा है जो ब्राह्मणों का मोहल्ला है। कंवरसेन वशिष्ठ ्रपधान भारत विकास परिषद के अनुसार यह समीपी गांव कोटिया के ब्राह्मणों बचाया गया था। उस समय ब्राह्मण को स्वामी नाम से जाना जाता था। इसलिए आज भी इस मोहल्ले का नाम स्वामी वाड़ा है। मोहल्ले वासियों की मानें तो दूसरे ठाकुर मंदिर की स्थापना बीकानेर के महाराज द्वारा करवाई गई थी जिसका दो वर्ष पूर्व पुनरुद्धार किया गया है। मोहल्ले वासियों का कहना है कि यहां उस समय के पंडित पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं, जब यहां पुराना ठाकुर मंदिर होता था।
कनीना कस्बा करीब 800 वर्ष पुराना माना जा रहा है। उस समय पूजा अर्चना के लिए यह मंदिर निर्मित किया गया था।
आज भी यह पुराना मंदिर दर्शनीय स्थलों में से एक बन सकता है अगर इसकी देखरेख की जाए तथा इसके इतिहास का पूरा विस्तृत वर्णन मिले तो न केवल बच्चे अपितु बूढ़ों में भी कौतूहल पैदा करेगा तथा नई जानकारी का स्रोत भी यह पुराना मंदिर बन सकता है। हालांकि पुराने मंदिर के स्थान के थोड़ा पास एक और मंदिर बीकानेर के नवाब द्वारा निर्मित करवाया गया था कुल मिलाकर तीन बार ठाकुर मंदिर बन चुका है।
कनीना पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह इसके इतिहास का दंत कथाओं द्वारा बखान करते हुए कहते हैं कि झज्जर के नवाब का एक साला करीब 200 वर्ष पूर्व इधर से गुजर रहे थे और महेंद्रगढ़ किले की ओर जा रहे थे किंतु उन्हें यहां गाये नजर आई और उसने अपने सैनिकों को ये गाय झज्जर की ओर हाक ले चलने के लिए कहा। उन्होंने इस झज्जर के नवाब के साले का नाम सलावत बताया है। उन्होंने कहा कि जब गांव के लोगों ने यह दृश्य देखा तो दौड़कर गांव के मौजीजान के पास पहुंचे।
उस समय कस्बा कनीना में चौधरी हरसेवक सिंह प्रमुख व्यक्ति होते थे जिन्होंने अपनी घोड़ी पर सवार होकर नवाब के साले को को कनीना कोसली मार्ग पर रनास नामक स्थान पर (जहां वर्तमान में स्थिति निर्मित) के पास घेर लिया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। जब झज्जर के नवाब तक की सूचना गई तो वे स्वयं चलकर क्रोध अवस्था में यहां पहुंचे और मंदिर में पूजा अर्चना करने आने वाले हरसेवक आदि का धार्मिक स्थल ठाकुर मंदिर को तोप से उड़वा दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को पूजा अर्चना पसंद है तो अब देखना है कि पूजा कहां करेंगे। तब से यह जर्जर हालात में आज भी पड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि ंदोबस्त नक्शे में देखना चाहे तो इसका इतिहास आज भी मिल सकता है।
उधर कनीना पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया कि उन्होंने भी इस मंदिर के बारे में अनेकों दंत कथाएं सुनी है किंतु मंदिर कनीना कस्बा स्थापित होते समय बनवाया गया था। उन्होंने कहा कि जब वह पालिका प्रधान थे तब से इसको देखते आ रहे हैं इसी खंडारा अवस्था में पड़ा हुआ है। इसे खंडहर हालात में ही देखा जा सकता है। इसका इतिहास पुराना बताया।
उधर ठाकुर मंदिर में सेवा करने वाले कि कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है की पुराने मंदिर को उड़ा देने के बाद इस मंदिर से करीब 200 गज दूर बीकानेर के नवाब द्वारा नया मंदिर स्थापित करवाया गया था। बीकानेर के नवाब का एक बार यहां आना हुआ जो नियमित पूजा करने के बाद खाना खाते थे किंतु यहां मंदिर जर्जर हालात में देखकर उन्होंने नये मंदिरर की नींव रखी। और कोटिया से पुजारी बुलाकर एक नए मंदिर की आधारशिला रखी थी जो लंबे समय तक चला आया। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षो पूर्व उस जर्जर मंदिर के स्थान पर वर्तमान आधुनिक दर्जे का मंदिर निर्मित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका पौराणिक इतिहास है आज भी लोगों की जुबान पर है।
उधर वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि यदि पौराणिक मंदिर का इतिहास इतना ही बेहतर है तो वे इसके लिए कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले तो इस मंदिर के इतिहास के बारे में समुचित जानकारी हासिल करेंगे तत्पश्चात अगर हो सके अगर हो सके तो इसका जीर्णोद्धार करके दर्शनीय स्थल में बदलने का अपनी तरफ से प्रयास करेंगे परंतु अभी तक इसके पौराणिक इतिहास का समुचित ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
बहरहाल कनीना का ठाकुर मंदिर जो वर्तमान में नया भवन परिसर बना हुआ है उसके थोड़ा सा पीछे पौराणिक मंदिर अपने समय की दास्तान कह रहा है। इतिहासकारों से इस संबंध में जानकारी हासिल करनी चाही इतिहासकार प्रोफेसर कर्मवीर सिंह का कहना है कि इस बाबत कुछ नहीं कह सकते क्योंकि कोई ऐसा ठोस प्रमाण हो जिसके आधार पर इस के समय की गणना की जा सके तो ज्यादा बेहतर होगा। परंतु ऐसा कोई ठोस प्रमाण ने होने से इस मंदिर के पौराणिक इतिहास के बारे में कह पाना कठिन है।
फोटो कैप्शन 3 नया मंदिर, 4 पुराना जर्जर हालात में खंडहरनुमा मंदिर साथ में केएस वशिष्ठ दलीप सिंह, राजेंद्र सिंह लोढा, सतीश जेलदार की फोटो।
गोगा पीर की छड़ी घूमने लगी
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कनीना। गोगा पीर की छड़ी ने कनीना में घूमना शुरू कर दिया है। यह छड़ी गोगा पर्व के पास आने पर ही दिखाई पड़ती है। करीब 50 फुट ऊंची गोगा पीर की मुबारक देने वाली छड़ी को चंद एक जाति विशेष के लोग घर घर ले जाते हैं।
वर्षों से कनीना में एक जाति विशेष के लोग रामावतार की अध्यक्षता में गोगा पर्व नजदीक आने पर गोगा छड़ी को कनीना में घूमाने लग जाते हैं जो इस ओर इंगित करते हैं कि अब गोगा पर्व नजदीक आ पहुंचा है। करीब 50 फुट ऊंची यह गोगा की छड़ी अति मेहनत से बनाई हुई है। इस छड़ी में एक बड़े बांस पर मोर पंख, रंगीन वस्त्र,गोटा आदि से सजाकर गोगा पीर की छड़ी बनाते हैं। गोगा पर्व से 10-12 दिन पूर्व ही इस छड़ी को लेकर पांच सात जनों की एक टोली, ढोल और ताशों के साथ नृत्य करती द्वार-द्वार तक पहुंचती है और छड़ी की मुबारक देते हैं।
जहां गोगा की छड़ी अति मनमोहक होती है वहीं छड़ी के साथ गीत एवं भजन करती टोली भी अति सुंदर लगती है। इस छड़ी को देखने के लिए बच्चों की भारी भीड़ जमा हो जाती है वहीं घर घर के द्वार पर जाने पर घर के दरवाजे खोलकर इसका स्वागत किया जाता है। इस छड़ी के आने के पीछे मुबारकवाद देना होता बदले में प्रत्येक घर से इन्हें कुछ दान दक्षिणा दी जाती है।
फोटो कैप्शन 1: गोगा पर्व की मुबारक देने वाली छड़ी।
गोगा पीर की छड़ी घूमने लगी
कनीना। गोगा पीर की छड़ी ने कनीना में घूमना शुरू कर दिया है। यह छड़ी गोगा पर्व के पास आने पर ही दिखाई पड़ती है। करीब 50 फुट ऊंची गोगा पीर की मुबारक देने वाली छड़ी को चंद एक जाति विशेष के लोग घर घर ले जाते हैं।
वर्षों से कनीना में एक जाति विशेष के लोग रामावतार की अध्यक्षता में गोगा पर्व नजदीक आने पर गोगा छड़ी को कनीना में घूमाने लग जाते हैं जो इस ओर इंगित करते हैं कि अब गोगा पर्व नजदीक आ पहुंचा है। करीब 50 फुट ऊंची यह गोगा की छड़ी अति मेहनत से बनाई हुई है। इस छड़ी में एक बड़े बांस पर मोर पंख, रंगीन वस्त्र,गोटा आदि से सजाकर गोगा पीर की छड़ी बनाते हैं। गोगा पर्व से 10-12 दिन पूर्व ही इस छड़ी को लेकर पांच सात जनों की एक टोली, ढोल और ताशों के साथ नृत्य करती द्वार-द्वार तक पहुंचती है और छड़ी की मुबारक देते हैं।
जहां गोगा की छड़ी अति मनमोहक होती है वहीं छड़ी के साथ गीत एवं भजन करती टोली भी अति सुंदर लगती है। इस छड़ी को देखने के लिए बच्चों की भारी भीड़ जमा हो जाती है वहीं घर घर के द्वार पर जाने पर घर के दरवाजे खोलकर इसका स्वागत किया जाता है। इस छड़ी के आने के पीछे मुबारकवाद देना होता बदले में प्रत्येक घर से इन्हें कुछ दान दक्षिणा दी जाती है।
फोटो कैप्शन 1: गोगा पर्व की मुबारक देने वाली छड़ी।
40 त्रिवेणी लगाई
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कनीना। अटल त्रिवेणी कार्यक्रम के तहत भाजपा कनीना मंडल के प्रधान अतर सिंह कैमला, उपप्रधान कंवर सेन वशिष्ठ के नेतृत्व में कनीना खंड के गांव में 40 त्रिवेणी लगाई गई।
कवर सेन वशिष्ठ ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने देश के विभिन्न पदों पर कार्यक्रम करते हुए देश को हरा भरा बनाने के लिए कनीना में 6 त्रिवेणी लगाई गई है।
पहली त्रिवेणी नेताजी सुभाष चंद्र बोस क्लब कनीना में लगाई। दूसरी रेलवे पार्क हाली मंडी में ओमप्रकाश लिशानिया। तीसरी गौशाला कनीना हरिराम मित्तल। चौथी रेलवे स्टेशन पार्क मुरारी लाल मित्तल ने आरएस वाटिका में शीलू ने और आज लाल गिरी पार्क में ओम प्रकाश यादव, कवर सैन वशिष्ठ, कैलाश चंद्र शर्मा ने अपनी देखरेख में लगवाया। महंत कैलाश दास हरियाली लगाने में बहुत रुचि रखते हैं और हरियाणा को हरा-भरा बनाने के लिए जो कार्यक्रम चला चल रहा है इस पर बहुत खुशी जाहिर की। इस मौके पर धनपत साहब, कैलाश दास, महंत, ओम प्रकाश, राम प्रताप यादव ,अनिल यादव मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 2: त्रिवेणी लगाते हुए कंवरसेन वशिष्ठ।
40 हत्रिवेणी लगाई
संवाद सहयोगी,कनीना। अटल त्रिवेणी कार्यक्रम के तहत भाजपा कनीना मंडल के प्रधान अतर सिंह कैमला, उपप्रधान कंवर सेन वशिष्ठ के नेतृत्व में कनीना खंड के गांव में 40 त्रिवेणी लगाई गई।
कवर सेन वशिष्ठ ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने देश के विभिन्न पदों पर कार्यक्रम करते हुए देश को हरा भरा बनाने के लिए कनीना में 6 त्रिवेणी लगाई गई है।
पहली त्रिवेणी नेताजी सुभाष चंद्र बोस क्लब कनीना में लगाई। दूसरी रेलवे पार्क हाली मंडी में ओमप्रकाश लिशानिया। तीसरी गौशाला कनीना हरिराम मित्तल। चौथी रेलवे स्टेशन पार्क मुरारी लाल मित्तल ने आरएस वाटिका में शीलू ने और आज लाल गिरी पार्क में ओम प्रकाश यादव, कवर सैन वशिष्ठ, कैलाश चंद्र शर्मा ने अपनी देखरेख में लगवाया। महंत कैलाश दास हरियाली लगाने में बहुत रुचि रखते हैं और हरियाणा को हरा-भरा बनाने के लिए जो कार्यक्रम चला चल रहा है इस पर बहुत खुशी जाहिर की। इस मौके पर धनपत साहब, कैलाश दास, महंत, ओम प्रकाश, राम प्रताप यादव ,अनिल यादव मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 2: त्रिवेणी लगाते हुए कंवरसेन वशिष्ठ।
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कनीना। कनीना सीनियर सेकेंडरी स्कूल को माडल संस्कृति स्कूल बनाए जाने को लेकर हलका विधायक सीताराम यादव कनीना पालिका कार्यालय पहुंच स्कूल स्टाफ को जी लगाकर मेहनत करने को लेकर कहा। वही सरकारी स्कूलों का बेहतरीन रिजल्ट को लेकर भी स्टाफ को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह मेहनत करते रहे मेहनत कभी बेकार नही जाती। आज पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का डंका बज रहा है यह आप की मेहनत का ही नतीजा है। वहीं उन्होंने कहा कि स्कूल में स्टाफ की कमी नहीं रहने दी जाएगी और स्कूल के विकास के लिए अलग से भी बजट निर्धारित होता है जो कि समय-समय पर मिलता रहेगा चाहे वह खेल के मैदान के लिए हो या भवन व कमरों के लिए हो। इस दौरान कनीना कस्बा, गांव गुढा, गाहड़ा, सीहोर, कोटिया, करीरा सहित अनेक गांव के लोगों की समस्याओं को सुना गया वही उनका मौके पर ही निदान किया गया। वहीं उन्होंने कहा कि हर सप्ताह में एक दिन वे पालिका कार्यालय में लोगों की समस्याओं को सुनने आएंगे और किसी भी व्यक्ति को अगर कोई समस्या है तो वह फोन के द्वारा भी और मिलकर भी अवगत करा सकता है । उनका भी तुरंत प्रभाव से समाधान कराया जाएगा। इस दौरान नगर पालिका चेयरमैन सतीश जैलदार,पार्षद मुकेश रॉकी, अकाउंटेंट शिवचरण जोशी, पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज यादव,डॉ विनोद कुमार, पटवारी शशि शर्मा,ओमबीर नम्बरदार रसूलपुर, सुंदर मानपुरा,भाजपा मंडल अध्यक्ष थान सिंह, मास्टर सुरेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।फ़ोटो केप्शन 5:पालिका कार्यालय में लोगों की समस्या सुनते विधायक सीताराम यादव व पालिका चेयरमैन सतीश जैलदार
कनीना क्राइम
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कनीना। कनीना में 25 वर्षीय युवक अजय की कूलर में करंट आने से मौत हो गई। पुलिस ने 174 के तहत कार्रवाई कर दी है। शव का पोस्टमार्टम भी करवाया गया है।
मजदूर की मौत-
कनीना-महेंद्रगढ़-अटेली मितराहे के पास एक तेल मिल में काम करने वाले मजदूर की छत से गिरकर मौत हो गई। वो छत से नीचे उतर रहाथा कि पैर फिसल गया। पुलिस ने 174 की कार्रवाई कर दी है।
शराब पकड़ी-
पुलिस ने सिहोर निवासी धर्मेंद्र से पांच पेटी शराब की पकड़ी और मामला दर्ज कर लिया।
दो बहनें गायब-
चार दिनों पूर्व कनीना के एक गांव से दो बहनें गायब हो गई। गायब बहनों के पिता की शिकायत पर पुलिस उनकी छानबीन कर रही है।
दानपात्र चोरी का मामला दर्ज-
ककराला में बाबा भैया मंदिर में रखे दानपात्र को तोड़कर चोरी करने के आरोप में पड़तल के कालिया नामक व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया है। सीसीटीवी से उसे पकड़ा गया है।
एक भगोड़ा घोषित-
एसडीजेएम कोर्ट कनीना की ओर से एक आरोपी को पीओ घोषित किया गया है। जिसके खिलाफ कनीना थाने में एक ओर केस दर्ज किया गया है।
बैट्री चोरी-
राजकीय उच्च विद्यालय भडफ़ से यूपीएस की 26 ड्राई बैटरी, इंनर्वटर की बैटरी चोरी अज्ञात चोर कर ले गया। ताला ताड़कर चोरी की है। उधर सत्य भारती स्कूल गाहड़ा से अज्ञात व्यक्ति कंप्यूटर चोरी कर ले गया। पुलिस छानबीन कर रही है।
एक लाख ठगे-
कनीना खंड के गांव सिहोर के हरिराम ने पुलिस थाने में शिकायत देकर साइबर ठगी ेकरते हुए सवा लाख रुपये ठग लिये। ट्रैक्टर देने का वादा किया था किंतु ट्रैक्टर नहीं भेजा।
बाइक चोरी
सत्यनारायण कनीना वार्ड 9 की तीन अगस्त को एक बाइक घर के सामने से चोरी कर ली गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
जायज मांगे सुनी जाए, 32 दिनों से धरने पर
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कनीना। जाट पाली स्थित विश्वविद्यालय के सामने 32 दिनों से शांतिपूर्वक धरना पर बैठे ग्रामीणों की मांगें जायज तथा लोकतांत्रित हैं। इसलिए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को तत्काल हस्तक्षेप करके मांगों को मंजूर करना चाहिए।
उक्त अपील बसपा नेता अतरलाल एडवोकेट ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को एक ज्ञापन भेजकर की है। ज्ञापन के बारे में जानकारी देते हुए अतरलाल ने कहा की वे धरनारत ग्रामीणों की मांगों की जानकारी प्राप्त करने के लिए धरना स्थल पर गए थे तो ग्रामीणों ने उन्हें अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने कहा कि ग्रामीण 32 दिनों से शांतिपूर्वक धरने पर बैठे हैं परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों की अनदेखी कर रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी निकाय का संवेदनहीन होना बहुत ही निंदनीय है। विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता को लेकर ग्रामीणों में भारी रोश व्याप्त है। इसलिए उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन भेजकर ग्रामीणों की मांगों को स्वीकृत करने की अपील की है। ज्ञापन में सीबीआई. से जांच कराने, जिन किसानों की जमीन केन्द्रीय विश्वविद्यालय में गई है, उनके प्रत्येक परिवार से एक-एक व्यक्ति को स्थायी नौकरी देने, यूनिवर्सिटी के प्रत्येक कोर्स में दोनो गांव के एक-एक विद्यार्थी के लिए एक-एक सीट आरक्षित करने, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के इलाके के जितने कर्मचारी हटाए हैं उनको पुन: वापिस लेने तथा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जाट-पाली के आस-पास के गांवों से ही लेने तथा पुराना रास्ता जो बंद कर दिया है उसको खुलवाने की मांगे शामिल हैं।
फोटो कैप्शन 4: जाट पाली के धरनारत ग्रामीण बसपा नेता अतरलाल को ज्ञापन सौंपते हुए।
कनीना की 91 में से 71 कोरोना संक्रमित हुए ठीक
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कनीना। कनीना और इसके समीपी भोजावास एवं मुंडिया खेड़ा अस्पतालों के तहत अब तक कोरोना के 91 मामले आ चुके हैं जिनमें से 71 कोरोना मुक्त हो चुके हैं। 19 अभी भी उपचाराधीन है। एक व्यक्ति की अब तक मौत हो चुकी है।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डॉ धर्मेंद्र ने बताया 91 के अब तक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जिनमें से 71 कोरोना मुक्त हो चुके हैं। एक व्यक्ति की मृत्यु तथा बाकी अभी भी उपचाराधीन है। उन्होंने बताया वर्तमान में 18 कंटेनमेंट जोन भी सक्रिय है। उन्होंने एक बार फिर से लोगों को जागरूक रहने, ऐतिहात के सभी नियमों का पालन करने तथा मास्क आदि प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बचाव में ही बचाव संभव है।
102 पौधे लगाए
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कनीना। पूर्वजों की याद में वृक्षारोपण अभियान के तहत जिला के गांव उच्चत तथा सिहोर में प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल के निर्देशन में 51-51 औषधीय तथा छायादार पौधे लगाए गए। सिहोर मेंबाबा भैंया की स्मृति में लगाकर वृक्षारोपण का शुभारंभ किया। उसके बाद गांव के खेल मैदान तथा बाबा भैंया प्रांगण में सहजन तथा शीशम के पौधे लगाए गए। दूसरी तरफ उच्चत गांव में में स्टेडियम में सहजन और शीशम के पौधे लगाए तथा उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया। अतरलाल ने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए हर व्यक्ति से अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधा लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पौधे प्रकृति की जान तथा शान हैं। इसलिए अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण तथा जल संरक्षण में सहयोग देना चाहिए।
जन्माष्टमी पर याद आता है पुराना ठाकुर मंदिर
-यह मंदिर आज भी जर्जर हालात में पौराणिक इतिहास समेटे हुये हैं
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कनीना। कनीना बसासत समकालीन ठाकुर (श्री कृष्ण) मंदिर कनीना आज भी जर्जर हालात में खड़ा हुआ है। यह मंदिर दंतकथा अनुसार झज्जर के नवाब द्वारा तोप से उड़ा दिया गया था। आज भी दूरदराज के लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
इस मंदिर के पास ही वर्तमान में नया ठाकुर मंदिर बनाया हुआ है जहां हर प्रकार का पूजन, विवाह शादी, उत्सव आदि वही मनाए जाते हैं। इसे ठाकुर मंदिर नाम से जाना जाता है।
इसी मंदिर पर दुलेंडी, जन्माष्टमी पर अनेक कार्यक्रम चलते है। यह मंदिर ठाकुर मंदिर नाम से तथा ग्रामीण क्षेत्र में ठाकुर द्वारा नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास मोहल्ला स्वामीवाड़ा है जो ब्राह्मणों का मोहल्ला है। कंवरसेन वशिष्ठ ्रपधान भारत विकास परिषद के अनुसार यह समीपी गांव कोटिया के ब्राह्मणों बचाया गया था। उस समय ब्राह्मण को स्वामी नाम से जाना जाता था। इसलिए आज भी इस मोहल्ले का नाम स्वामी वाड़ा है। मोहल्ले वासियों की मानें तो दूसरे ठाकुर मंदिर की स्थापना बीकानेर के महाराज द्वारा करवाई गई थी जिसका दो वर्ष पूर्व पुनरुद्धार किया गया है। मोहल्ले वासियों का कहना है कि यहां उस समय के पंडित पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं, जब यहां पुराना ठाकुर मंदिर होता था।
कनीना कस्बा करीब 800 वर्ष पुराना माना जा रहा है। उस समय पूजा अर्चना के लिए यह मंदिर निर्मित किया गया था।
आज भी यह पुराना मंदिर दर्शनीय स्थलों में से एक बन सकता है अगर इसकी देखरेख की जाए तथा इसके इतिहास का पूरा विस्तृत वर्णन मिले तो न केवल बच्चे अपितु बूढ़ों में भी कौतूहल पैदा करेगा तथा नई जानकारी का स्रोत भी यह पुराना मंदिर बन सकता है। हालांकि पुराने मंदिर के स्थान के थोड़ा पास एक और मंदिर बीकानेर के राजा द्वारा निर्मित करवाया गया था कुल मिलाकर तीन बार ठाकुर मंदिर बन चुका है।
कनीना पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह इसके इतिहास का दंत कथाओं द्वारा बखान करते हुए कहते हैं कि झज्जर के नवाब का एक साला करीब 200 वर्ष पूर्व इधर से गुजर रहे थे और महेंद्रगढ़ किले की ओर जा रहे थे किंतु उन्हें यहां गाये नजर आई और उसने अपने सैनिकों को ये गाय झज्जर की ओर हाक ले चलने के लिए कहा। उन्होंने इस झज्जर के नवाब के साले का नाम सलावत बताया है। उन्होंने कहा कि जब गांव के लोगों ने यह दृश्य देखा तो दौड़कर गांव के मौजीजान के पास पहुंचे।
उस समय कस्बा कनीना में चौधरी हरसेवक सिंह प्रमुख व्यक्ति होते थे जिन्होंने अपनी घोड़ी पर सवार होकर नवाब के साले को को कनीना कोसली मार्ग पर रनास नामक स्थान पर (जहां वर्तमान में स्थिति निर्मित) के पास घेर लिया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। जब झज्जर के नवाब तक की सूचना गई तो वे स्वयं चलकर क्रोध अवस्था में यहां पहुंचे और मंदिर में पूजा अर्चना करने आने वाले हरसेवक आदि का धार्मिक स्थल ठाकुर मंदिर को तोप से उड़वा दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को पूजा अर्चना पसंद है तो अब देखना है कि पूजा कहां करेंगे। तब से यह जर्जर हालात में आज भी पड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि ंदोबस्त नक्शे में देखना चाहे तो इसका इतिहास आज भी मिल सकता है।
उधर कनीना पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया कि उन्होंने भी इस मंदिर के बारे में अनेकों दंत कथाएं सुनी है किंतु मंदिर कनीना कस्बा स्थापित होते समय बनवाया गया था। उन्होंने कहा कि जब वह पालिका प्रधान थे तब से इसको देखते आ रहे हैं इसी खंडारा अवस्था में पड़ा हुआ है। इसे खंडहर हालात में ही देखा जा सकता है। इसका इतिहास पुराना बताया।
उधर ठाकुर मंदिर में सेवा करने वाले कि कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है की पुराने मंदिर को उड़ा देने के बाद इस मंदिर से करीब 200 गज दूर बीकानेर के राजा द्वारा नया मंदिर स्थापित करवाया गया था। बीकानेर के नवाब का एक बार यहां आना हुआ जो नियमित पूजा करने के बाद खाना खाते थे किंतु यहां मंदिर जर्जर हालात में देखकर उन्होंने नये मंदिरर की नींव रखी। और कोटिया से पुजारी बुलाकर एक नए मंदिर की आधारशिला रखी थी जो लंबे समय तक चला आया। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षो पूर्व उस जर्जर मंदिर के स्थान पर वर्तमान आधुनिक दर्जे का मंदिर निर्मित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका पौराणिक इतिहास है आज भी लोगों की जुबान पर है।
उधर वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि यदि पौराणिक मंदिर का इतिहास इतना ही बेहतर है तो वे इसके लिए कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले तो इस मंदिर के इतिहास के बारे में समुचित जानकारी हासिल करेंगे तत्पश्चात अगर हो सके अगर हो सके तो इसका जीर्णोद्धार करके दर्शनीय स्थल में बदलने का अपनी तरफ से प्रयास करेंगे परंतु अभी तक इसके पौराणिक इतिहास का समुचित ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
बहरहाल कनीना का ठाकुर मंदिर जो वर्तमान में नया भवन परिसर बना हुआ है उसके थोड़ा सा पीछे पौराणिक मंदिर अपने समय की दास्तान कह रहा है। इतिहासकारों से इस संबंध में जानकारी हासिल करनी चाही इतिहासकार प्रोफेसर कर्मवीर सिंह का कहना है कि इस बाबत कुछ नहीं कह सकते क्योंकि कोई ऐसा ठोस प्रमाण हो जिसके आधार पर इस के समय की गणना की जा सके तो ज्यादा बेहतर होगा। परंतु ऐसा कोई ठोस प्रमाण ने होने से इस मंदिर के पौराणिक इतिहास के बारे में कह पाना कठिन है।
फोटो कैप्शन 3 नया मंदिर, 4 पुराना जर्जर हालात में खंडहरनुमा मंदिर साथ में केएस वशिष्ठ दलीप सिंह, राजेंद्र सिंह लोढा, सतीश जेलदार की फोटो।
102 पौधे लगाए
संवाद सहयोगी,कनीना। पूर्वजों की याद में वृक्षारोपण अभियान के तहत जिला के गांव उच्चत तथा सिहोर में प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल के निर्देशन में 51-51 औषधीय तथा छायादार पौधे लगाए गए। सिहोर मेंबाबा भैंया की स्मृति में लगाकर वृक्षारोपण का शुभारंभ किया। उसके बाद गांव के खेल मैदान तथा बाबा भैंया प्रांगण में सहजन तथा शीशम के पौधे लगाए गए। दूसरी तरफ उच्चत गांव में में स्टेडियम में सहजन और शीशम के पौधे लगाए तथा उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया। अतरलाल ने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए हर व्यक्ति से अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधा लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पौधे प्रकृति की जान तथा शान हैं। इसलिए अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण तथा जल संरक्षण में सहयोग देना चाहिए।
जन्माष्टमी पर याद आता है पुराना ठाकुर मंदिर
-यह मंदिर आजभी जर्जर हालाज में पौराणिक इतिहास समेटे हुये हैं
कनीना। कनीना बसासत समकालीन ठाकुर (श्री कृष्ण) मंदिर कनीना आज भी जर्जर हालात में खड़ा हुआ है। यह मंदिर दंतकथा अनुसार झज्जर के नवाब द्वारा तोप से उड़ा दिया गया था। आज भी दूरदराज के लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
इस मंदिर के पास ही वर्तमान में नया ठाकुर मंदिर बनाया हुआ है जहां हर प्रकार का पूजन, विवाह शादी, उत्सव आदि वही मनाए जाते हैं। इसे ठाकुर मंदिर नाम से जाना जाता है।
इसी मंदिर पर दुलेंडी, जन्माष्टमी पर अनेक कार्यक्रम चलते है। यह मंदिर ठाकुर मंदिर नाम से तथा ग्रामीण क्षेत्र में ठाकुरद्वारा नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास मोहल्ला स्वामीवाड़ा है जो ब्राह्मणों का मोहल्ला है। कंवरसेन वशिष्ठ ्रपधान भारत विकास परिषद के अनुसार यह समीपी गांव कोटिया के ब्राह्मणों बचाया गया था। उस समय ब्राह्मण को स्वामी नाम से जाना जाता था। इसलिए आज भी इस मोहल्ले का नाम स्वामी वाड़ा है। मोहल्ले वासियों की मानें तो दूसरे ठाकुर मंदिर की स्थापना बीकानेर के महाराज द्वारा करवाई गई थी जिसका दो वर्ष पूर्व पुनरुद्धार किया गया है। मोहल्ले वासियों का कहना है कि यहां उस समय के पंडित पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं, जब यहां पुराना ठाकुर मंदिर होता था।
कनीना कस्बा करीब 800 वर्ष पुराना माना जा रहा है। उस समय पूजा अर्चना के लिए यह मंदिर निर्मित किया गया था।
आज भी यह पुराना मंदिर दर्शनीय स्थलों में से एक बन सकता है अगर इसकी देखरेख की जाए तथा इसके इतिहास का पूरा विस्तृत वर्णन मिले तो न केवल बच्चे अपितु बूढ़ों में भी कौतूहल पैदा करेगा तथा नई जानकारी का स्रोत भी यह पुराना मंदिर बन सकता है। हालांकि पुराने मंदिर के स्थान के थोड़ा पास एक और मंदिर बीकानेर के नवाब द्वारा निर्मित करवाया गया था कुल मिलाकर तीन बार ठाकुर मंदिर बन चुका है।
कनीना पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह इसके इतिहास का दंत कथाओं द्वारा बखान करते हुए कहते हैं कि झज्जर के नवाब का एक साला करीब 200 वर्ष पूर्व इधर से गुजर रहे थे और महेंद्रगढ़ किले की ओर जा रहे थे किंतु उन्हें यहां गाये नजर आई और उसने अपने सैनिकों को ये गाय झज्जर की ओर हाक ले चलने के लिए कहा। उन्होंने इस झज्जर के नवाब के साले का नाम सलावत बताया है। उन्होंने कहा कि जब गांव के लोगों ने यह दृश्य देखा तो दौड़कर गांव के मौजीजान के पास पहुंचे।
उस समय कस्बा कनीना में चौधरी हरसेवक सिंह प्रमुख व्यक्ति होते थे जिन्होंने अपनी घोड़ी पर सवार होकर नवाब के साले को को कनीना कोसली मार्ग पर रनास नामक स्थान पर (जहां वर्तमान में स्थिति निर्मित) के पास घेर लिया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। जब झज्जर के नवाब तक की सूचना गई तो वे स्वयं चलकर क्रोध अवस्था में यहां पहुंचे और मंदिर में पूजा अर्चना करने आने वाले हरसेवक आदि का धार्मिक स्थल ठाकुर मंदिर को तोप से उड़वा दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों को पूजा अर्चना पसंद है तो अब देखना है कि पूजा कहां करेंगे। तब से यह जर्जर हालात में आज भी पड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि ंदोबस्त नक्शे में देखना चाहे तो इसका इतिहास आज भी मिल सकता है।
उधर कनीना पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया कि उन्होंने भी इस मंदिर के बारे में अनेकों दंत कथाएं सुनी है किंतु मंदिर कनीना कस्बा स्थापित होते समय बनवाया गया था। उन्होंने कहा कि जब वह पालिका प्रधान थे तब से इसको देखते आ रहे हैं इसी खंडारा अवस्था में पड़ा हुआ है। इसे खंडहर हालात में ही देखा जा सकता है। इसका इतिहास पुराना बताया।
उधर ठाकुर मंदिर में सेवा करने वाले कि कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है की पुराने मंदिर को उड़ा देने के बाद इस मंदिर से करीब 200 गज दूर बीकानेर के नवाब द्वारा नया मंदिर स्थापित करवाया गया था। बीकानेर के नवाब का एक बार यहां आना हुआ जो नियमित पूजा करने के बाद खाना खाते थे किंतु यहां मंदिर जर्जर हालात में देखकर उन्होंने नये मंदिरर की नींव रखी। और कोटिया से पुजारी बुलाकर एक नए मंदिर की आधारशिला रखी थी जो लंबे समय तक चला आया। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षो पूर्व उस जर्जर मंदिर के स्थान पर वर्तमान आधुनिक दर्जे का मंदिर निर्मित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका पौराणिक इतिहास है आज भी लोगों की जुबान पर है।
उधर वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि यदि पौराणिक मंदिर का इतिहास इतना ही बेहतर है तो वे इसके लिए कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले तो इस मंदिर के इतिहास के बारे में समुचित जानकारी हासिल करेंगे तत्पश्चात अगर हो सके अगर हो सके तो इसका जीर्णोद्धार करके दर्शनीय स्थल में बदलने का अपनी तरफ से प्रयास करेंगे परंतु अभी तक इसके पौराणिक इतिहास का समुचित ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
बहरहाल कनीना का ठाकुर मंदिर जो वर्तमान में नया भवन परिसर बना हुआ है उसके थोड़ा सा पीछे पौराणिक मंदिर अपने समय की दास्तान कह रहा है। इतिहासकारों से इस संबंध में जानकारी हासिल करनी चाही इतिहासकार प्रोफेसर कर्मवीर सिंह का कहना है कि इस बाबत कुछ नहीं कह सकते क्योंकि कोई ऐसा ठोस प्रमाण हो जिसके आधार पर इस के समय की गणना की जा सके तो ज्यादा बेहतर होगा। परंतु ऐसा कोई ठोस प्रमाण ने होने से इस मंदिर के पौराणिक इतिहास के बारे में कह पाना कठिन है।
फोटो कैप्शन 3 नया मंदिर, 4 पुराना जर्जर हालात में खंडहरनुमा मंदिर साथ में केएस वशिष्ठ दलीप सिंह, राजेंद्र सिंह लोढा, सतीश जेलदार की फोटो।
गोगा पीर की छड़ी घूमने लगी
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कनीना। गोगा पीर की छड़ी ने कनीना में घूमना शुरू कर दिया है। यह छड़ी गोगा पर्व के पास आने पर ही दिखाई पड़ती है। करीब 50 फुट ऊंची गोगा पीर की मुबारक देने वाली छड़ी को चंद एक जाति विशेष के लोग घर घर ले जाते हैं।
वर्षों से कनीना में एक जाति विशेष के लोग रामावतार की अध्यक्षता में गोगा पर्व नजदीक आने पर गोगा छड़ी को कनीना में घूमाने लग जाते हैं जो इस ओर इंगित करते हैं कि अब गोगा पर्व नजदीक आ पहुंचा है। करीब 50 फुट ऊंची यह गोगा की छड़ी अति मेहनत से बनाई हुई है। इस छड़ी में एक बड़े बांस पर मोर पंख, रंगीन वस्त्र,गोटा आदि से सजाकर गोगा पीर की छड़ी बनाते हैं। गोगा पर्व से 10-12 दिन पूर्व ही इस छड़ी को लेकर पांच सात जनों की एक टोली, ढोल और ताशों के साथ नृत्य करती द्वार-द्वार तक पहुंचती है और छड़ी की मुबारक देते हैं।
जहां गोगा की छड़ी अति मनमोहक होती है वहीं छड़ी के साथ गीत एवं भजन करती टोली भी अति सुंदर लगती है। इस छड़ी को देखने के लिए बच्चों की भारी भीड़ जमा हो जाती है वहीं घर घर के द्वार पर जाने पर घर के दरवाजे खोलकर इसका स्वागत किया जाता है। इस छड़ी के आने के पीछे मुबारकवाद देना होता बदले में प्रत्येक घर से इन्हें कुछ दान दक्षिणा दी जाती है।
फोटो कैप्शन 1: गोगा पर्व की मुबारक देने वाली छड़ी।
गोगा पीर की छड़ी घूमने लगी
कनीना। गोगा पीर की छड़ी ने कनीना में घूमना शुरू कर दिया है। यह छड़ी गोगा पर्व के पास आने पर ही दिखाई पड़ती है। करीब 50 फुट ऊंची गोगा पीर की मुबारक देने वाली छड़ी को चंद एक जाति विशेष के लोग घर घर ले जाते हैं।
वर्षों से कनीना में एक जाति विशेष के लोग रामावतार की अध्यक्षता में गोगा पर्व नजदीक आने पर गोगा छड़ी को कनीना में घूमाने लग जाते हैं जो इस ओर इंगित करते हैं कि अब गोगा पर्व नजदीक आ पहुंचा है। करीब 50 फुट ऊंची यह गोगा की छड़ी अति मेहनत से बनाई हुई है। इस छड़ी में एक बड़े बांस पर मोर पंख, रंगीन वस्त्र,गोटा आदि से सजाकर गोगा पीर की छड़ी बनाते हैं। गोगा पर्व से 10-12 दिन पूर्व ही इस छड़ी को लेकर पांच सात जनों की एक टोली, ढोल और ताशों के साथ नृत्य करती द्वार-द्वार तक पहुंचती है और छड़ी की मुबारक देते हैं।
जहां गोगा की छड़ी अति मनमोहक होती है वहीं छड़ी के साथ गीत एवं भजन करती टोली भी अति सुंदर लगती है। इस छड़ी को देखने के लिए बच्चों की भारी भीड़ जमा हो जाती है वहीं घर घर के द्वार पर जाने पर घर के दरवाजे खोलकर इसका स्वागत किया जाता है। इस छड़ी के आने के पीछे मुबारकवाद देना होता बदले में प्रत्येक घर से इन्हें कुछ दान दक्षिणा दी जाती है।
फोटो कैप्शन 1: गोगा पर्व की मुबारक देने वाली छड़ी।
40 त्रिवेणी लगाई
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कनीना। अटल त्रिवेणी कार्यक्रम के तहत भाजपा कनीना मंडल के प्रधान अतर सिंह कैमला, उपप्रधान कंवर सेन वशिष्ठ के नेतृत्व में कनीना खंड के गांव में 40 त्रिवेणी लगाई गई।
कवर सेन वशिष्ठ ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने देश के विभिन्न पदों पर कार्यक्रम करते हुए देश को हरा भरा बनाने के लिए कनीना में 6 त्रिवेणी लगाई गई है।
पहली त्रिवेणी नेताजी सुभाष चंद्र बोस क्लब कनीना में लगाई। दूसरी रेलवे पार्क हाली मंडी में ओमप्रकाश लिशानिया। तीसरी गौशाला कनीना हरिराम मित्तल। चौथी रेलवे स्टेशन पार्क मुरारी लाल मित्तल ने आरएस वाटिका में शीलू ने और आज लाल गिरी पार्क में ओम प्रकाश यादव, कवर सैन वशिष्ठ, कैलाश चंद्र शर्मा ने अपनी देखरेख में लगवाया। महंत कैलाश दास हरियाली लगाने में बहुत रुचि रखते हैं और हरियाणा को हरा-भरा बनाने के लिए जो कार्यक्रम चला चल रहा है इस पर बहुत खुशी जाहिर की। इस मौके पर धनपत साहब, कैलाश दास, महंत, ओम प्रकाश, राम प्रताप यादव ,अनिल यादव मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 2: त्रिवेणी लगाते हुए कंवरसेन वशिष्ठ।
40 हत्रिवेणी लगाई
संवाद सहयोगी,कनीना। अटल त्रिवेणी कार्यक्रम के तहत भाजपा कनीना मंडल के प्रधान अतर सिंह कैमला, उपप्रधान कंवर सेन वशिष्ठ के नेतृत्व में कनीना खंड के गांव में 40 त्रिवेणी लगाई गई।
कवर सेन वशिष्ठ ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने देश के विभिन्न पदों पर कार्यक्रम करते हुए देश को हरा भरा बनाने के लिए कनीना में 6 त्रिवेणी लगाई गई है।
पहली त्रिवेणी नेताजी सुभाष चंद्र बोस क्लब कनीना में लगाई। दूसरी रेलवे पार्क हाली मंडी में ओमप्रकाश लिशानिया। तीसरी गौशाला कनीना हरिराम मित्तल। चौथी रेलवे स्टेशन पार्क मुरारी लाल मित्तल ने आरएस वाटिका में शीलू ने और आज लाल गिरी पार्क में ओम प्रकाश यादव, कवर सैन वशिष्ठ, कैलाश चंद्र शर्मा ने अपनी देखरेख में लगवाया। महंत कैलाश दास हरियाली लगाने में बहुत रुचि रखते हैं और हरियाणा को हरा-भरा बनाने के लिए जो कार्यक्रम चला चल रहा है इस पर बहुत खुशी जाहिर की। इस मौके पर धनपत साहब, कैलाश दास, महंत, ओम प्रकाश, राम प्रताप यादव ,अनिल यादव मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 2: त्रिवेणी लगाते हुए कंवरसेन वशिष्ठ।
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