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Sunday, August 9, 2020


जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने, जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज
-पुलिस कार्रवाई में जुटी

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कनीना। कनीना खंड के एक गांव के लड़की ने मामला दर्ज करवाया है कि उनके साथ नीम हकीम ने अपने बेटे से दो-तीन बार शारीरिक संबंध बनवाए, उनके पिता के पैसे हड़पे तथा पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहा है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी है।
लड़की ने बयान दर्ज करवाया है कि अलवर जिले के के कोटकासिम निवासी रामफल नीम हकीम है। लड़की का कहना है कि उनकी मां अकसर पीठ दर्द के रोगी रही है और उस
वह रोग ठीक करवाने उनके पास जाती रही है। नीम हकीम के कहने से गांव की जमीन जायदाद बेचने की बात कही और मेरी शादी नीम हकीम के बेटे से जबरन करवा दी। उनके पिताजी आर्मी से 2017 में सेवानिवृत्त होकर आए तो उन्होंने मेरी मां और पिताजी से  काफी पैसे ऐंठ लिये। लड़की के अनुसार नीम हकीम रामपाल सारनवास निवासी ने तथा उनकी मां ने जबरन उनकी शादी रामफल के लड़के श्याम सुंदर से करवा दी। उनकी मांग ने गांव की जमीन जायदाद बेचकर ईकरोटिया राजस्थान में किराये पर रहना शुरू कर दिया। जबरन शादी में श्याम सुंदर का कोई रिश्तेदार नहीं आया और उन्हें जबरदस्ती अपने गांव से ले जाकर कमरे में कैद कर दिया। दो तीन बार श्याम सुंदर ने शारीरिक संबंध भी बनाए। यहां तक कि रामफल ने भी उनके साथ संबंध बनाने का प्रयास किया अब वह मेरे पिता को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
कनीना पुलिस ने रामफल एवं उनके परिजनों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दिया है तथा आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।

भगोड़ा गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा

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कनीना। कनीना पुलिस ने सूचना के आधार पर शनिवार को एक भगोड़े को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। चौकी प्रभारी गोविंद सिंह ने बताया कि सूचना के आधार पर उनकी टीम ने राजस्थान के चुडिना निवासी राजेश उर्फ खननी को गिरफ्तार किया है। जो च़डिना बस स्टैंस से कही भागने की फिराक में था। जिसे रविवार को कनीना कोर्ट में पेश किया गया जहां स उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

उपमंडल कनीना में आईएनए के दो सैनिक जीवित
-सरकार दे रही है उन्हें सम्मान

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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के कनीना उपमंडल के के तहत वर्तमान में दो आइएनए के सैनिक जीवित हैं जिनकी उम्र 90 वर्ष से अधिक हो चुकी है। जहां करीरा में प्रभातीलाल तो स्याना में गुगन सिंह अभी जीवित हैं।
गांव स्याणा में आजाद हिंद के एक नहीं दो-दो सैनिक हुए है जिनमें से एक शहीद हो चुके हैं तथा दूसरा अभी भी जीवित हैं। संयोगवश दोनों का नाम गुगन सिंह है।
दोनों ने ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सेना में भर्ती होकर आजादी की लड़ाई में भाग लिया और देश के लिए नाम कमाया है। दोनों ने ही अपने देश की आजादी के लिए खुलकर लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों से लोहा लिया, जेल में गए और अनेकों यातनाएं झेली।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने 1942 में आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। इस फौज में करीब 43 हजार सैनिक थे। जब यह फौज गठित की गई तो भारतीय सैनिक आकर्षित हुए और जोश एवं जुनून के साथ नेताजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर युद्ध में लड़े। स्याणा के दोनों सैनिक इसी फौज में भर्ती हुए थे।
 दोनों में से एक गुगन सिंह आज जिला उपमंडल कनीना में एकमात्र आइएनए के जीवित सैनिक है जो कि दूसरे गुगन सिंह की मौत हो चुकी  हैं। दोनों ने जो यातनाएं सही और जो कष्ट उठाए उनको कभी नहीं भुलाया जा सकता। एक गुगन सिंह आज जीवित है जिनकी उम्र 94 वर्ष के करीब बताई जा रही है। गांव स्याणा में जीवाराम के घर में सबसे छोटे बेटे का नाम गुगन सिंह है जो आइएनए के सेनानी हैं और आज जीवित है। ये 1940 में अंग्रेजी सेना भर्ती हो गए और अंबाला कैंट में इनकी ट्रेनिंग पूरी की गई। ट्रेनिंग करते हुए पाकिस्तान के हैदराबाद में सेवा के लिए भेज दिया गया। तत्पश्चात उन्हें भारत के  हैदराबाद भेजा गया। तत्पश्चात मुंबई मुंबई भेजा और वहां से ईरान में भेज दिया गया।
हिटलर से मिलकर नेताजी सुभाषचंद्र बेस ने  आजाद हिंद फौज का गठन किया जिसमें भर्ती होकर उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर भाग लिया। बोस सेना का गठन करकेे जापान चले गए तो उन्होंने अन्य सैनिकों को संगठित किया। मगर जर्मनी की हार हो गई। जर्मनी का क्षेत्र अमेरिका के आधीन हो गया। सभी सेनानी अब अमेरिका का कब्जे में आ गए। अमेरिका एवं इंग्लैंड के बीच एक समझौता हुआ जिसमें बंदी सैनिकों की अदला-बदली की गई। इनको इंग्लैंड भेजा गया। इंग्लैंड जाकर वे बीमार हो गए। उन्हें वायुयान द्वारा हैदराबाद के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। अस्पताल में इलाज दौरान कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्हें आसौदा(रोहतक) भजा गया। वहां से उन्हें 25 रुपये देकर घर भेज दिया गया। मगर वे घर आने की बजाय दरियागंज दिल्ली में कांग्रेस के कार्यालय में चले गए या आजादी की लड़ाई में लड़ते रहने की सोच कर 1946 में कांग्रेस कार्यालय में गए थे किंतु उनके हालात सुधार नहीं हुआ तो वे घर आ गए। देश आजाद होने के बाद 1957 में ये पूर्ण स्वस्थ हो गए और फिर से सेना में भर्ती हो गए। 1957 से 1974 तक इन्होंने देश की सेवा की तथा रिटायर कर दिया गया। तत्पश्चात से  वे अपने गांव आ गए और गांव में अपने परिजनों के साथ रहते हैं। उपमंडल कनीना के वे एकमात्र ऐसे सेनानी है जो आजाद हिंद फौज से संबंध रखते हैं और अभी भी जीवित हैं।
शहीद गुगन सिंह -
आजाद हिंद फौज के दूसरे स्याणा गांव के संनानी का नाम भी गुगन सिंह है जिनका जन्म 1900 में जुलाई माह में कन्हीराम के घर जन्म हुआ था। बचपन से ही देश भक्ति में विश्वास रखते थे। यही कारण है कि  1919 में मात्र 19 वर्ष की उम्र में सेना में भर्ती हो गए। देशभक्ति की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी थी। सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित आजाद हिंद फौज के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। आइएनए में रहते हुए उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए बर्मा में एक गोली उनके चेहरे पर लगी तथा लगभग एक माह तक सिर्फ पानी एवं दूध के सहारे जीवित रहते हुए इन्होंने जिंदगी की जंग लड़ी। नेताजी सुभाष चंद्र की मृत्यु उपरांत इनको अंग्रेजों द्वारा कैद कर लिया और यातनाएं देते हुए इन्हें मांडले(बर्मा) की जेल में भेज दिया गया। लगभग 9 वर्ष तक जेल में रहने के बाद अंग्रेजों द्वारा रिहा कर दिया गया। रिहाई के पश्चात लगभग 10 वर्ष बाद अपने घर आए। इस दौरान इनकी धर्मपत्नी जीवनी देवी की मृत्यु हो चुकी थी। गांव के लोगों को नेताजी एवं आजाद हिंद फौज की कहानी सुनाते हुए 23 सितंबर 1986 को वे शहीद हो गए। उनके दो पुत्र एवं एक पुत्री हैं। इनके पुत्र चिरंजीलाल सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर है। इनके पौत्र ज्ञान सिंह वर्तमान में शिक्षा विभाग में कार्यरत है।
 आज जब सैनिकों की चर्चा चलती है तो दोनों गुगल राम का नाम लिया जाता है जिनमें से आज एक शहीद हो चुके हैं और दूसरे अभी भी जीवित है। जीवित सेनानी अपनी देशभक्ति की गाथा जन जन को सुना रहे हैं। जिसको सुनकर लगता है आज भी उनमें वह जज्बा है जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समय देखने को मिलता था।
  उधर करीरा में करीरा गांव के दो आजाद हिंद के प्रभातीलाल आज भी जीवित हैं। इनकी भी उम्र 90 साल से अधिक है। जब जब स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ आती है इनको सम्मान दिया जाता है और याद किया जाता है। जेलों की यातनाएं सहने वाले तथा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की सशक्त जानकारी देने वाले दो ही सैनक कनीना क्षेत्रमें बचे हैं।
फोटो कैप्शन: जीवित आइएनए सेनानी प्रभातीलाल एवं गुगन सिंह

 5 एमएम बारिश
अच्छी बारिश का अभी तक इंतजार 

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कनीना। कनीना क्षेत्र में रविवार दोपहर पश्चात 5 एमएम बारिश हुई। अभी तक किसान बेहतर बारिश का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 1995 में कुछ अच्छी बारिश हुई थी तब से लेकर आज तक 25 वर्ष बीत गए हैं किंतु अच्छी बारिश नहीं हुई है। किसान आज भी 1995 के वर्ष को नहीं भुला पा रहे हैं जब पूरे हरियाणा में बाढ़ आ गई थी। एकमात्र जिला महेंद्रगढ़ बाढ़ से बचा था। अधिकांश बसें इधर से ही गुजर रही थी।
कनीना क्षेत्र में रविवार को दोपहर पश्चात बारिश हुई बारिश खड़ी फसलों के लिए लाभप्रद साबित होगी।किसान भी खुश है। किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह अजीत सिंह  विजय कुमार  दिनेश कुमार आदि ने बताया कि बारिश जरूर हो रही है लेकिन अच्छी बारिश नहीं हो रही है। इस समय कपास और बाजरा पकान पर पहुंचे हुए हैं। ऐसे में बारिश बेहतर साबित होगी।
 कृषि अधिकारी भी इस बारिश को फसल के लिए ज्यादा बेहतर मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सावन माह के अंतिम दिन कुछ बारिश हुई थी। तत्पश्चात फिर से रविवार को बारिश हुई है। बारिश के चलते जहां गर्मी से कुछ राहत मिली है वहीं किसान अभी भी अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक अच्छी बारिश नहीं होगी तब तक भूमिगत जलस्तर भूमिगत जलस्तर नई बढ़ेगा।
किसान अजीत कुमार ने बताया कि उन्होंने बाजरे की फसल उगा रखी है जहां बाजरे की फसल पकान पर पहुंची हुई है और पकान के बाद इसी माह के अंत में बाजरे की कटाई होने की पूरी संभावना है। अगेती फसल अब भुट्टे निकाल रही है। उधर किसान दिनेश कुमार एवं रवि कुमार ने बताया कि उन्होंने कपास की फसल उगा रखी है और इस समय कपास की फसल खड़ी हुई है। किसानों से बातचीत की गई तो किसानों ने कहा कि इस समय बारिश होना बेहतर संकेत है।
कृषि अधिकारी डॉक्टर देवराज का कहना है कि बारिश इस फसल के लिए बेहतर साबित होगी। क्योंकि इस महीने के अंत तक फसल कटाई शुरू हो सकती है। ऐसे में यदि एक बार फिर से कुछ बारिश और हो जाए तो किसानों के वारे न्यारे हो सकते हैं। उन्होंने कहा की बंपर पैदावार हो सकती है लेकिन अभी मौसम अनुकूल होगा तो ही बेहतर पैदावार होगी।
 फोटो कैप्शन 4: क्षेत्र में खड़ी हुई बाजरे की फसल।

वर्षों से आयोजित होते आ रहे हैं ठाकुर मंदिर में विभिन्न कार्यक्रम
शादी पर धोक यही लगाई जाती है

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कनीना। कनीना के पुराने ठाकुर मंदिर में जहां जन्माष्टमी पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे वहीं प्रसाद वितरण एवं भजन आयोजित होंगे। जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जा रही है।
विस्तृत जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि लंबे समय से यहां समय समय पर विभिन् कार्यक्रम आयोजित होते आये हैं। उन्होंने बताया कि सुबह छह बजे  ठाकुर जी को नहला धुला कर चंदन का टीका लगाया जाता है और धूप दीप से आरती होती है। पहले अग्नि के अंगारों को चम्मच में डालकर धूप डालकर आरती की जाती थी वहीं शाम 6 बजे और रोज सुबह प्रसाद बांटते है। इसी तरह शाम को आरती होती है। प्रसाद बांटा जाता है और बाद में औरतें मिलकर कीर्तन भजन करती हैं। वर्ष 1962 से 1975 तक शाम को हर मंगलवार को सभी नर नारा ढोलक पेटी ( मृदंग) के साथ भजन करते थे।
 उन्होंने बताया कि हर महीने पूर्णमासी को भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन होता है और प्रसाद बांटा जाता है। होली के बाद धुलेंडी  को आसपास के गांव व कनीना निवासी बच्चों के जन्म के बाद उनके बाल मंदिर  की चौखट पर चढ़ाए जाते हैं।
 गांव में शादी के बाद जोड़ा ठाकुर जी का आशीर्वाद लेने घोड़ी पर चढ़कर मंदिर में धोक लगाने आते हैं। यह कस्बा की पुरानी रीत चली आ रही है। लड़का लड़की की शादी में कोठार में रखी मिठाई का प्रयोग ठाकुर जी मंदिर का पुजारी पहले मिष्ठान भोग लगाता तत्पश्चात रखे सामान का प्रयोग किया जाता है। बाद में रखे सामान का प्रयोग किया जाता है। शादी में 1 दिन पहले शाम को जागरण की प्रथा है। उसमें पुजारी ठाकुर जी की चौकी ले जाता है। जन्माष्टमी को शाम को भगवान कृष्ण का व्रत करने वाले व भक्तगण मंदिर में भजन-कीर्तन करते हैं और रात को 12 बजे प्रसाद वितरण होता है।           
 दीपावली की शाम को दीये जलाए जाते हैं। गांव वासी और पुजारी दीपावली के एक दिन बाद अंकुर आता है। उस दिन ठाकुर जी को खीर, चावल, बाजरा व अन्य मिष्ठान का भोग लगाया जाता है और दोपहर में उसका प्रसाद वितरण किया जाता है। जिसमें छाछ की कढ़ी  गांव वासियों को प्रिय है। गुरु पूर्णिमा को रात 12 बजे खीर का प्रसाद वितरण किया जाता है।
कैसे हुआ था मंदिर निर्माण-
 पुजारी बताते हैं कि मंदिर की स्थापना महाराज बीकानेर के राजा करवाई थी। कनीना गांव में उस समय कोई ब्राह्मण नहीं था तब कोटिया गांव से एक ब्राह्मण को स्वामीवाडा नामक मोहल्लेमें बसाया गया था। पूरे गांव ने उसको अपना गुरु मानकर सम्मानित किया था व भरण पोषण के लिए जमीन दी थी। ब्राह्मण को गांववासी स्वामी कहते थे इसलिए इस मोहल्ले का नाम स्वामीवाड़ा नाम पड़ा वर्तमान में स्वामीवाड़ा में ब्राह्मणों के 25 घर हैं।
फोटो कैप्शन 3: कनीना का ठाकुर मंदिर।


प्रत्येक स्कूल और मनाया जाएगा स्वतंत्रता दिवस

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कनीना। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक स्कूल में मनाया जाएगा। विस्तृत जानकारी देते हुए खंड शिक्षा अधिकारी अभय राम यादव ने बताया कि स्कूलों में इस बार विद्यार्थियों को नहीं बुलाया जाएगा। महज एसएमसी पदाधिकारी बुलाए जाएंगे और यदि कोरोना वारियर्स हैं से तो उनको सम्मानित किया जाएगा। जहां बड़े स्तर पर आयोजन होगा वहां पुलिस सलामी, एनसीसी की परेड भी आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि गांव में सबसे पढ़ी लिखी लड़की से ध्वजारोहण करवाया जाएगा।

गाहड़ा गांव में सफाई कर्मी होने के बाद भी, लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर

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कनीना। जहां सरकार हर गांव को स्वच्छ बनाने का दावा ठोक रही है वही खण्ड़ के गांव गाहड़ा में आज भी ऐसी कई गलिया है जिनमें गाड़ी लेकर जाना तो दूर की बात पैदल चलना भी दूभर हो रहा है। गांव के नरेन्द्र कुमार, इन्द्रजीत शर्मा, सतीश, राजू, नरेश के अलावा अन्य कई ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव में सफाई कर्मी लगा होने के बाद भी गांव की गलियों में भरी गंदगी के कारण बुरी हालत है। जिसके कारण इन गलियों में चार पहिये के वाहन लेकर चलना तो दूर की बात इनमें कोई व्यक्ति आसानी से पैदल भी नही चल सकता है। जिसके कारण ग्रामीण नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उक्त गंदगी की समस्या को लेकर वे कई बार सरपंच, बीडीपीओ से शिकायत कर चुके है लेकिन झूठे आश्वासन के अलावा कुछ नही मिलता है।
वही ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त से मांग कर गांव की सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराने की गुहार लगाई है, ताकि ग्रामीण नारकीय जीवन जीने से बच सके।

जगह जगह हुआ पौधारोपण

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कनीना। पर्यावरण संरक्षण समय की मांग है। इसलिए अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हमें पर्यावरण स्वच्छ बनाने में मदद करनी चाहिए।   
  ये विचार प्रजा भलाई संगठन के अध्यक्ष अतरलाल ने बाबा बिहारीदास आश्रम, सिहोर तथा बाबा चंदनगिरी आश्रम, धनौन्दा में वृक्षारोपण के बाद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने श्रद्धालुओं को स्वयं श्रमदान करके पौधारोपण करने तथा उन्हें सुरक्षित पालने का संकल्प लेने के लिए धन्यवाद दिया। सिहोर आश्रम में पहला पौधा बाबा बिहारीदास की स्मृति में लगाकर अपने पूर्वजों की याद में पौधारोपण किया।
 उधर धनौन्दा आश्रम में बाबा चंदनगिरी, सूबेदार रामकुमार, सूबेदार प्रताप सिंह, मास्टर प्रहलाद सिंह, कैलाश सेठ, राहुल, राजेंद्र, रोहतास, ओमपाल, विजेंद्र, कमल सिंह, घीसाराम, पृथ्वी सिंह, सुरेश, मास्टर राजेश, धर्मपाल, नीरज, मनोज, जितेंद्र, कृष्ण, प्रमोद, आलोक, बंटी, योगेश, कोकी, विक्रम, संदीप, विकास, सौरभ, सुनील, सुभाष, अमित, देवीराम, उमेश, आशीष, कीर्ति, रवि कौशिक, मोनू, रतन, दीपक, राहुल, विशाल, सतेंद्र तथा जतिन,डॉक्टर सुनील, जितेंद्र, नित्यानंद, पवन, विजय, नरेश, मास्टर ओमप्रकाश, अमित कुमार, गजराज, राजेंद्र सिंह, महेंद्र पीटीआई, मातादीन व  रामोतार ने श्रमदान कर पूर्वजों की याद में सैकड़ों की संख्या में अमरुद, जामुन, शीशम, आम व सहजन आदि के पौधे लगाकर उन को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया।
  उधर गांव तलवाना के राधाकृष्ण मन्दिर परिसर में लगाई अटल त्रिवेणी लगाई। इस मौके पर देवेंद्र कुमार भाजपा अनुसूचित जाति र्मोचा के हरियाणा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चौधरी रामनिवास खेड़ी कि उपस्थिति में तलवाना के राधाकृष्ण मन्दिर के परिसर में बरगद,नीम,पीपल पौधों की अटल त्रिवेणी लगाई।
इस अवसर पर पवन कुमार, विजय सिंह, अनुज कौशिक ,मनोज कुमार दूबट, डेविड शर्मा आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 1:  गांव धनौन्दा में बाबा चंदनगिरी आश्रम में वृक्षारोपण करते हुए अतरलाल।
2: तलवाना में त्रिवेणी लगाते हुए रामनिवास दूबट एवं अन्य।

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