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Monday, August 10, 2020







सीसीटीवी कैमरा से रखी जाएगी नगर पालिका की गतिविधियों पर नजर
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 कनीना। नगर पालिका कनीना नित नए आयाम स्थापित करती जा रही है।सुरक्षा के लिहाज से करीब 40 हजार रुपये का खर्चा आया है।  विकास कार्यों में कनीना नगर पालिका का नाम पर प्रदेश भर में विख्यात वहीं विगत दिनों श्रमिकों को भोजन खिलाने के मामले में पूरे देश में नाम कमाया है। अब नगर पालिका की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
भवन के सभी दिशाओं में अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इससे न केवल नगर पालिका का हर रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा वही बाहर से संदिग्ध परिस्थितियों में आने वाले लोगों पर भी नजर रखी जाएगी। नगर पालिका कनीना में पहली बार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। एक तरफ भवन परिसर के अंदर भी निगरानी रखी जाएगी वहीं भवन परिसर के बाहर सड़क से गुजरने वाले हर गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है।
यूं तो नगरपालिका में चौकीदार की व्यवस्था की गई जो रात्रि के समय देखरेख करता है किंतु इसके अतिरिक्त विभिन्न सामान, दस्तावेज आदि पर निगरानी रखने के लिए कैमरे लगाए गए हैं। सीसीटीवी लगाए जाने के बाद अब यहां भवन में आने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जा सकेगी वहीं किसी प्रकार का कोई रिकार्ड गायब नहीं हो सकेगा।
 क्या कहते पालिका प्रधान-
 पालिका प्रधान का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे लगाकर जहां भवन रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा वही बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखकर संचालक हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कैमरे लगाने से संदिग्ध की पहचान भी की जा सकती है। अभी तक नगर पालिका में बड़ी परेशानी हो रही थी, यद्यपि किसी प्रकार का कोई सामान अभी तक गायब नहीं हुआ है फिर भी भविष्य में संदिग्धों पर नजर रखने के लिए सामान को सुरक्षित रखने के लिए ऐसा कदम उठाया है।
इस पर करीब 40 हजार रुपये की लागत आई है।
फोटो कैप्शन: नगरपालिका

पुलिस ने कांटे 15 चालान
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,कनीना। कनीना पुलिस चौकी इंचार्ज एएसआई गोविंद सिंह ने विगत 1 सप्ताह में जहां 15 चालान काटे हैं। कोरोना के दिनों में मास्क ने पहने, वाहनों आदि के  कारण काटे गये हैं वहीं 118 बोतल शराब की अवैध रूप से बरामद की है। गोविंद सिंह एसआई ने बताया कि कोरोना के समय नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है जो नियमों का पालन नहीं करेगा मास्क आदि नहीं लगाएगा उनके चालान काटे जाएंगे। उन्होंने बताया की सूचना के आधार पर छापेमारी कर जहां कनीना के वार्ड 10 से दीपक उर्फ दीपू से 102 बोतल शराब पकड़ी है वहीं 8 अगस्त को कनीना के मुकेश से साढ़े16 बोतल शराब पकड़ी है। उन्होंने कहा कि शराब माफिया और कोरोना के समय नियमों का पालन करने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। उन्होंने नियमों का पालन करने की अपील भी की है।


हल्की बूंदाबांदी हुई
कनीना। कनीना क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी हुई। रविवार को 5 एमएम बारिश हुई थी आज दूसरे दिन हल्की बूंदाबांदी हुई। किसान अच्छी बारिश का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।

सोमवार को शिवालयों में रही भीड़
, कनीना। कनीना क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों में सोमवार के दिन भीड़ रही। जहां सावन के सोमवार में जो भीड़ देखने को मिली वह इस बार नहीं देखी गई। यद्यपि सोमवार का व्रत करने वाली महिलाएं पूजा-अर्चना करती शिवालयों में नजर आई।

उपमंडल स्तर पर मनेगा 15 अगस्त
कनीना। कनीना के राजकीय महाविद्यालय में बिना ड्रेस के रिहर्सल संपन्न हुई। 13 अगस्त को फुल ड्रेस रिहर्सल आयोजित होगी और 15 अगस्त को कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। मिली जानकारी अनुसार राजकीय महाविद्यालय कनीना में खंड शिक्षा अधिकारी अभय राम यादव, प्रोफ़ेसर डॉ हरिओम, प्रसिद्ध रागनी गायक अमृत सिंह, गीता ,रमन शास्त्री आदि के देखरेख में कार्यक्रम आयोजित किए गए। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त को जहां राष्ट्रीय ध्वज फहराकर उसे सलामी दी जाएगी पुलिस की टुकड़ी तथा एनसीसी की टुकड़ी की मार्च पास्ट की जाएगी। तत्पश्चात कोरोना वारियर्स को सम्मानित किया जाएगा।

अभी भी आसमान छू रहे टमाटर
 कनीना। बारिश के बाद फल और सब्जियों की कमी आ गई है जिसके चलते फल और सब्जियां महंगी हो गई है। टमाटर तो वर्तमान में भी 60 रुपये किलो बिक रहा है। सामान्य सब्जी आलू भी 30 रुपये किलो तक पहुंच गया है। सावन में जहां लोग हरी सब्जियां कम खाते हैं वहीं विभिन्न प्रकार की सब्जियों के भाव भी तेजी से बढ़ रहे हैं। सब्जी विक्रेता इंद्रमल ने बताया कि सब्जियों की आवक कम होने से भाव बढ़ गए हैं। यद्यपि कोरोना काल चल रहा है। लोग बाहर की सब्जियां कम खाते किंतु भावों में कोई कमी नहीं आ रही है।


अतिथि शिक्षकों का वेतन बढऩे से खुशी
कनीना।  क्षेत्र के विभिन्न अतिथि शिक्षकों ने उनका वेतन 5 फीसदी बढ़ाए जाने पर खुशी जताई है। गत दिनों उनकी 5 फीसदी वेतन वृद्धि कर दी गई है जिसके चलते उन्हें खुशी है।

अब नगरपालिका हुई सीसीटीवी कैमरे युक्त
 कनीना। नगर पालिका में अब चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाकर निगरानी की जाने लगी है। पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि है कैमरे नगरपालिका में विभिन्न स्थानों पर लगा दिये गए हैं। यहां तक की रोड पर आवागमन कैमरा में कैद होता रहेगा। उन्होंने कहा कि नगरपालिका आने-जाने वालों पर नजर रखने के लिए यह प्रबंध किया गया है और आधा दर्जन कैमरे लगा दिए गए हैं।


बिजली आपूर्ति को लेकर रोष
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कनीना। कम और अनियमित बिजली आपूर्ति को लेकर गांव धनौन्दा के ग्रामीण परेशान हैं। बिजली विभाग की कार्यप्रणाली से त्रस्त ग्रामीणों ने बिजली विभाग से धनौन्दा की बिजली आपूर्ति कनीना पावर हाउस से हटाकर गांव में स्थापित 400 केवी पावर हाउस से जोड़ कर बिजली समस्या का समाधान करने की मांग की है।
इस संबंध में प्रजा भलाई संगठन के अध्यक्ष अतरलाल, राजेन्द्र सिंह नम्बरदार, पूर्व पंच सुनील, सुबेदार प्रताप सिंह, ओमपाल हलवाई व कैलाश सेठ ने कहा कि बिजली आपूर्ति को लेकर बिजली विभाग के सभी दावे तथा आश्वासन झूठे साबित हुए हैं। विभाग की कथनी और करनी में भारी अंतर है। 10-12 साल पहले जब बिजली विभाग ने गांव में बड़ा पावर हाउस स्थापित करने के लिए पंचायत से जमीन ली थी तब आश्वासन दिया था कि प्रस्तावित पावर हाउस से गांव को 24 घंटे निर्वाध बिजली आपूर्ति की जाएगी और गांव में किसी तरह की बिजली समस्या नहीं रहने दी जाएगी। अब ग्रामवासी बिजली विभाग से धनौन्दा को गांव के पावर हाउस से जोडऩे की मांग कई बार कर चुके हैं परन्तु विभाग उनकी मांगो की अनदेखी कर रहा है। परिणामस्वरूप ग्रामीणों में बिजली विभाग के खिलाफ रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि बिजली विभाग ने 15 दिन के अंदर उनके गांव की बिजली आपूर्ति गांव के 400 केवी पावर हाउस से नहीं जोड़ी तो ग्रामीण आंदोलन करने पर मजबूर होंगे और स्थिति बिगडऩे की सारी जिम्मेवारी बिजली विभाग की होगी।


सात किलोग्राम का आर्या सब्जी उगाया
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कनीना। गांव मालड़ा के एक किसान ने सात किलोग्राम का आर्या(खीरा का एक प्रकार) उगाकर नाम कमाया है। राजबीर सिंह ने अपने कपास के खेत में खीरा उगाया है जिस पर बड़े बड़े खीरा लग रहे हैं।
  यद्यपि आर्या/खीरा हरे रंग का होता है। जिसका वजन अधिक नहीं होता। यह सब्जी बनाने एवं सलाद के रूप में काम आता है। राजबीर सिंह ने बताया कि उनके खेत में अनेकों खीरा पैदा हो रहे हैं जिनमें से बहुत से पककर पीले रंग के हो गये हैं जो खाने में मधुर स्वाद के हैं। आस पास के किसान भी उनके खीरा को देखने के लिए आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 4 एवं 5: विशालकाय खीरा साथ में राजबीर सिंह।

जन्माष्टमी एवं गोगा नवमी पर होती है पेड़ों की पूजा
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कनीना। बेशक वर्ष भर हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ा चलता रहता हो तथा पेड़ पौधों की बेकद्री होती हो किंतु वर्ष में एक बार हर घर में पौधों की पूजा की जाती है तथा उनको सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। जन्माष्टमी 12 अगस्त तो गोगा नवमी 13 अगस्त को मनाई जा रही है।
बेशक वर्ष भर हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ा चलता रहता हो तथा पेड़ पौधों की बेकद्री होती हो किंतु वर्ष में एक बार हर घर में पौधों की पूजा की जाती है तथा उनको सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
 हर वर्ष साथ साथ आने वाले जन्माष्टमी एवं गोगा पर्व बेशक किसी देवों से जुड़े हुए पर्व होते हें किंतु इन दोनों दिनों में एक एक पौधे की पूजा इन देवों के साथ साथ की जाती है। यही नहीं अपितु पूजा किए गए पौधों को विधि विधान से जल में प्रवाहित किया जाता है। यही कारण है कि कई गांवों में तो मेले भी आयोजित होते हैं ताकि उन मेलों के माध्यम से पौधों को जल में प्रवाहित किया जा सके।
  जन्माष्टमी के दिन यूं तो भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है तथा इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्र में जाटी नाम से ही जाना जाता है। यही कारण है कि इस दिन जाटी पेड़ की पूजा की जाती है। वैसे तो जाटी राजस्थान में खेजड़ी नाम से जाना जाता है और इसे राज्य पौधा का दर्जा दिया गया है। पूर्वज बताते हैं कि वर्षों से जन्माष्टमी के दिन सुख दु:ख का साथी जाटी अर्थात खेजड़ी की पूजा चली आ रही है। पूर्वजों के अनुसार जब कुङ्क्षकग गैस सिलेंडर नहीं होते थे उस वक्त किसानों का सुख दु:ख का साथी जाटी ही थी। खेतों से जाटी को उखाड़कर लकड़ी को ही सुख दु:ख में जलाकर काम में लेते थे वहीं हवन में इसी वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग आज भी हो रहा है। जाटी के पत्तों एवं फलों पर इंसान से लेकर पशु तक आश्रित हैं और जाटी पेड़ खाद की पूर्ति कर अपने नीचे फसल पैदावार को बढ़ाता है। ऐसे में जाटी की पूजा करके उसे जोहड़ में प्रवाहित किया जाता है।
  गोगा पर्व जाहर वीर गोगा देव की याद में भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाता है जिसका राजस्थान में विशेष महत्व होता है किंतु हरियाणा में भी कम नहीं होता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ में गोगा का बहुत बड़ा मेला लगता है जहां पूरे देश के लोग पीतांबर धारण कर आते हैं। इस बार कोरोना की मार पड़ी है।
गोगा जिसे जाहर वीर गोगा कहा जाता है। उस देव के गुणों की चर्चा हर जगह है। हरियाणा में गोगा एक पेड़ को कहते हैं जो शाक है जिसे अपामार्ग, लटजीरा, चिरचिटा आदि नामों से जाना जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे अचिरांथिस अस्पेरा कहते हैं। इसमें इतने अधिक औषधीय गुण है कि इसे गोगा देव के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि गोगा देव के साथ साथ गोगा पौधे की भी पूजा की जाती है जो कई बीमारियों में सहायक है वहीं घर के आस पास मिल जाता है।
कौन है जाहरवीर गोगा--
गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। जहां भाद्रपद शुक्लपक्ष की नवमी को गोगा का मेला भरता है।
गोगा जी गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य थे। उनका जन्म चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था।  ददरेवा में सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। मुस्लिम उन्हें पीर नाम से जानते हैं। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जेवरसिंहकी पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरक्षनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगा वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। वे प्रसिद्ध शासक थे जिनका राज्य हांसी (हरियाणा) तक था।
उन्हें सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहर वीर,राजा मण्डलिक व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं।
गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है। उनके जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं है गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति है। ग्रामीण क्षेत्रों में गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ती उत्कीर्ण की जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा की स्मृति में मेला लगता है।
हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित है।  प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छडिय़ों की विशेष पूजा करते हैं।
राजस्थान के महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। गोगाजी की माँ बाछल देवी नि:संतान थी। संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरू गोरखनाथ 'गोगामेडीÓ के टीले पर तपस्या कर रहे थे। बाछल देवी उनकी शरण में गईं तथा गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।
 नृत्य करती टोली अपने साथ गोगा पीर की छड़ी लेकर जब घर-घर आती है तो पर्व की याद ताजा हो जाती है। यूं तो मेले तथा दंगल गांवों में लगते हैं किंतु त्योहार पर अनोखे रिवाज प्रचलित हैं। इस पर्व पर वृक्षों की पूजा भी की जाती है।
     जन्माष्टमी का दिन और रात कृष्ण उत्सव,व्रत व लीलाओं में व्यतीत होने के बाद गोगा पर्व शुरू होता है। प्रात:काल से ही पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। किसान के खेतों में खड़ी जाटी पौधे की टहनी तथा गोगा नामक पौधे को उखाड़कर प्रत्येक घर में लाया जाता है जिसकी विधि विधान से पूजा की जाती है। ग्रामीण महिलाओं का कहना है जाटी किसानों की सुख-दु:ख की साथी होने के बाद ही इसे पूजा जाता है। हरियाणा में जाटी हर किसान के खेत में मिलता है जो हर सुख एवं दु:ख में काम आता रहा है और इसके इतने अधिक उपयोग हैं कि इसे कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा जाता है। राजस्थान का राज्य पेड़ खेजड़ी भी जाटी ही है।
   तत्पश्चात प्रत्येक घर में पूजा का स्थान निर्धारित होता है जो अक्सर रसोई में होता है। दीवार पर हल्दी व चंदन से गोगा पीर व जाटी पौधे की तस्वीर बनाई जाती हैं। तवे की कालिख से तस्वीरों को रंग भरा जाता है। गोगा व जाटी पौधों की टहनी तस्वीर के पास रख दी जाती हैं और विधि विधान से पूजा की जाती है। शाम होने के बाद उन्हें जोहड़ में बहा दिया जाता है। रक्षा बंधन पर बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधा गया धागा भी जोहड़ में बहाने का रिवाज है। तीज उत्सव पर शुरू हुआ पतंग उड़ाने का कार्य भी इसी दिन पूर्ण किया जाता है।
 इस पर्व से पूर्व  एक जाति विशेष के लोग लंबी बांस पर मोर पंख, रंगीन वस्त्र,गोटा आदि से सजाकर गोगा पीर की छड़ी बनाते हैं। गोगा पर्व से 10-12 दिन पूर्व ही इस छड़ी को लेकर पांच सात जनों की एक टोली, ढ़ोल और ताशों के साथ नृत्य करती द्वार-द्वार तक पहुंचती है और छड़ी की मुबारक देते हैं। त्योहार पर मेले की धूम मची होती है जहां विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। वर्तमान में रिवाज और पर्व की महक कुछ फीकी जरूर पडऩे लगी है किंतु वृद्ध त्योहार के प्रति अधिक उत्सुक रहते हैं।
फोटो कैप्शन 2: जांटी एवं गोगा पौधों की फोटो।

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