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Wednesday, August 12, 2020


न्यायिक परिसर को लेकर एक बार फिर से लोगों में पनपा रोष
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कनीना। न्यायिक परिसर का निर्माण भवन निर्माण कमेटी द्वारा उन्हाणी में चिह्नित  भूमि पर किए जाने का प्रस्ताव सरकार को सौंपे जाने के बाद एक बार फिर से कनीना में लोग रोष पनप गया है।
कनीना के सुमेर सिंह चेयरमैन ने कहा कि संबंध में जहां 65 दिनों तक कनीना वासियों का धरना चला और आश्वासन के बावजूद भी कनीना में न्यायिक परिसर नहीं बनेगा तो इसके लिए अधिकारियों से बात करेंगे और कनीना में ही से बनवाने की बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि आगे की रणनीति भविष्य में तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि कनीना न्यायिक परिसर एवं सचिवालय कनीना में ही बनने चाहिए। इसी मांग को लेकर धरना चला था जो मुख्यमंत्री द्वारा मान लेने और कनीना के सचिवालय परिसर का शिलान्यास कनीना में कर देने के बाद ही धरना उठाया था।
उधर मोहन सिंह पार्षद के का कहना है कि न्यायिक परिसर और सचिवालय कनीना का हक है। यदि कनीना में चयनित की गई भूमि की बजाय कनीना की भूमि पर अन्यत्र बनाना चाहे तो उसका स्वागत है किंतु बनना चाहिए कनीना में ही।
उनका कहना है कि जब सभी बातें पूर्ण हो गई थी उसका निर्माण कनीना में ही किए जाने की बात हो चुकी थी, मुख्यमंत्री ने शिलान्यास भी कर दिया था तो फिर अब सरकार को अपना फैसला लेते हुए फिर से ये भवन कनीना में ही बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री से इस बाबत मिलेंगे और उनसे अपनी मांग रखेंगे पर अपना हक भी दर्शाएंगे।
उधर कनीना पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दलीप सिंह ने कहा की न्यायिक परिसर और सचिवालय भवन कनीना में ही बनने चाहिए। अगर अन्यत्र बनते हैं तो एक बार फिर से आंदोलन करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में निकट भविष्य में फिर से कस्बा वासियों की सलाह और बैठक आयोजित करके उचित निर्णय लेते हुए आगामी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि कनीना का हक कनीना को ही मिलना चाहिए। इसके लिए उन्होंने लंबे समय तक संघर्ष किया है फिर भी यदि सरकार उनकी मांग को नहीं मानती तो मजबूरन आंदोलन पर उतरना होगा।
 उधर युवा महेश बोहरा का कहना है कि शहर वासियों के संघर्ष ,क्षेत्र की जनता के दिए साथ एवं केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह के दिए खुले सहयोग से उपमंडल( कनीना) के प्रशासनिक  भवन का शिलान्यास ,प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कनीना में कर दिया था। लेकिन न्यायिक परिसर भवन की साइट का फाइनल होना पेंडिग था। इस साइट को फाइनल करने का अधिकार माननीय हाईकोर्ट पंजाब एवं हरियाणा की बिल्डिंग कमेटी के जजों के अधीन था।
समय- समय माननीय उच्च न्यायालय के जजों ने दोनों जगहों का निरीक्षण किया, तत्पश्चात माननीय उच्च न्यायालय ने अपनी  फाइनल रिपोर्ट तैयार करके, हरियाणा सरकार को भेज दी है ।
जिस जगह को उन्होंने फाइनल किया है वो, उन्हाणी है। वे चाहते हैं कि कनीना का हक कनीना को देते हुए दोनों भवन कनीना में ही अविलंब बनाने चाहिए वरना उन्हें मजबूरन आंदोलन पर उतरना होगा।
फोटो कैप्शन: मा. दिलीप सिंह, महेश बोहरा, सुमेर सिंह चेयरमैन, मोहन सिंह।
 


ककराला में आयोजित हुई आनलाइन फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता 
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कनीना। एसडीवमा विद्यालय ककराला ने आनलाइन फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया जिस में विद्यार्थियों ने घर बैठे प्रतियोगिता में भाग लिया।
 भगवान श्री कृष्ण इस संसार में एक युग पुरुष के रूप में जाने जाते है। वो संसार में आये और अपनी अनेक लीलाएं दिखाई। जिसमें उनकी बाल लीलाओं का विशेष महत्व है। कुरूक्षेत्र में उनके द्वारा दिया गया गीता का उपदेश हमारे जीवन के सभी गूढ़ रहस्यों का सार है। उन्होंने अपने उपदेश में फल की चिन्ता न करते हुए, केवल कर्म पूजा पर बल देने को कहाँ है। कक्षा एल. के. जी. से पांचवी तक फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें  बच्चों ने बढ़-चढ कर भाग लिया। निदेशक महोदय  जगदेव यादव ने सभी स्टाफ  सदस्यों, अभिभावकों व बच्चों को इस पावन अवसर पर बधाई दी।
 इस मौके पर निदेशक जगदेव यादव ने बताया की हमारा देश विभिन्न जाति, धर्म व विशेष पर्वों का देश है। इसमें समय-समय पर आने वाले सभी पर्व विशेष महत्ता रखते है तथा एक नया संदेश, नयी ऊर्जा व नया विश्वास प्रदान करते है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिये गए उपदेशों की पालना करके अपने जीवन को सफल बनाने पर बल दिया।
  उधर कनीना में विभिन्न घरों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्वांग रचते हुए उनके बताए गए मार्ग पर चलने की बात कही। दिनभर घरों में कार्यक्रम चलते रहे।
फोटो कैप्शन : कनीना एक, दो, तीन, चार,पांच श्रीकृष्ण एवं उनके सखा की हैं।


नारनौल की टीम ने लिए सैंपल
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 कनीना। नारनौल की रैपिड टेस्ट टीम ने कनीना में आकर विभिन्न वार्डों से सैंपल लिए। टीम ने वार्ड 12,वार्ड 3 तथा वार्ड 10 से सैंपल लिये। वार्ड 12 से 12 सैंपल लिये जबकि वार्ड तीन से दस सैंपल लिये और मौके पर ही जांच करने पर सभी कोरोना नेगेटिव पाये गये।
 मिली जानकारी अनुसार डॉ संदीप सिंह रैपिड टेस्ट टीम इंचार्ज ने वार्ड वार्ड 12 से 12 सैंपल लिए वहीं वार्ड तीन से 10 सैंपल लिए और सभी मौके पर जांच करने पर सभी नेगेटिव पाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इन दोनों वार्डों में 4 कोरोना संक्रमित व्यक्ति पाए गए थे जिसके चलते विभागीय कार्रवाई अनुसार सैंपल लिया जाता है। तत्पश्चात नारनौल की मोबाइल टीम ने वार्ड दस से 12 पीसीआर( पॉलीमराइज चैन रिएक्शन) टेस्ट भी किये हैं।  उल्लेखनीय है कि वार्ड नंबर 10 में विगत दिनों एक लड़की रक्षा बंधन पर मुंबई से मिलने आई थी जो कोरोना संक्रमित थी। बाद में  एक बच्चा भी कोरोना संक्रमित पाया गया था।
उल्लेखनीय की कनीना क्षेत्र में जहां कोरोना संक्रमित बढ़ते ही जा रहे हैं। प्रशासन एवं स्वास्थ्य वर्कर्स की टीम सतर्कता बरते हुए त्वरित कार्रवाई में जुटी हुई है और इस प्रकार सभी सैंपल लेकर के उनकी जांच कर रही है।
 फोटो कैप्शन 8: मोबाइल टीम सैंपल जांच करते हुए
 फोटो कैप्शन 9: मोबाइल टीम स्क्रीनिंग करते हुए।

ककराला में आयोजित हुई आनलाइन फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता
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कनीना। एसडीवमा विद्यालय ककराला ने आनलाइन फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया जिस में विद्यार्थियों ने घर बैठे प्रतियोगिता में भाग लिया।
 भगवान श्री कृष्ण इस संसार में एक युग पुरुष के रूप में जाने जाते है। वो संसार में आये और अपनी अनेक लीलाएं दिखाई। जिसमें उनकी बाल लीलाओं का विशेष महत्व है। कुरूक्षेत्र में उनके द्वारा दिया गया गीता का उपदेश हमारे जीवन के सभी गूढ़ रहस्यों का सार है। उन्होंने अपने उपदेश में फल की चिन्ता न करते हुए, केवल कर्म पूजा पर बल देने को कहाँ है। कक्षा एल. के. जी. से पांचवी तक फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें  बच्चों ने बढ़-चढ कर भाग लिया। निदेशक महोदय  जगदेव यादव ने सभी स्टाफ  सदस्यों, अभिभावकों व बच्चों को इस पावन अवसर पर बधाई दी।
 इस मौके पर निदेशक जगदेव यादव ने बताया की हमारा देश विभिन्न जाति, धर्म व विशेष पर्वों का देश है। इसमें समय-समय पर आने वाले सभी पर्व विशेष महत्ता रखते है तथा एक नया संदेश, नयी ऊर्जा व नया विश्वास प्रदान करते है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिये गए उपदेशों की पालना करके अपने जीवन को सफल बनाने पर बल दिया।
  उधर कनीना में विभिन्न घरों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्वांग रचते हुए उनके बताए गए मार्ग पर चलने की बात कही। दिनभर घरों में कार्यक्रम चलते रहे।
फोटो कैप्शन : कनीना एक, दो, तीन, चार,पांच श्रीकृष्ण एवं उनके सखा की हैं।




कनीना क्षेत्र में मनाई जन्माष्टमी मनाई
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कनीना। कनीना एवं आस पास क्षेत्रों में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया। इस मौके पर व्रत रखा, भजन चलते रहे वहीं दिनभर राधा कृष्ण को पोशाक पहनाई गई।
   कनीना एवं आस पास श्रीकृष्ण मंदिरों में चहल पहल रही। भारी संख्या में भक्त आए और राधाकृष्ण को पोशाक पहनाई। कनीना की आशा यादव, नीलम देवी, शकुंतला देवी आदि ने बताया कि उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को साथ में राधा को नए वस्त्र पहनाए हैं। व्रत रखकर भजन दिनभर चलते रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। राधा एवं श्रीकृष्ण के स्वांग रचे गए।
  कनीना के विभिन्न मंदिरों में दिनभर भगवान श्रीकृष्ण को याद किया। भजन चलते रहे तथा लोग सज धज कर आ रहे थे। बड़ा ठाकुर जी का मंदिर कनीना में मनाई जन्म अष्टमी मनाई गई।
 अनलोक डाउन के नियमों का पालन करते हुए ठाकुर जी के मंदिर कनीना में भक्तों का आना जाना रहा। कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि भक्तों के द्वारा राधा कृष्ण वस्त्र, चांदी के मुकुट, मुरली ठाकुर जी के चरणों में पुजारी द्वारा स्वीकार की जाती है। पुजारी सभी भक्तों का आने पर टीका लगाकर चरणामृत की तीन चम्मच देकर भक्तों का स्वागत किया। भगत लोग मंदिर में बैठकर कीर्तन भजन किया। भक्तों द्वारा कृष्ण कन्हैया की माया न्यारी इसे पूजे दुनिया सारी ने भक्तों का मन मोह लिया।
 भक्तगण बड़े ही नम्र भाव से अपने आराध्य की पूजा पाठ करते हैं और नीचे झुक कर भगवान से अपने परिवार की भलाई और खुशी की कामना करते हैं जिसे ठाकुर जी पूरा करते हैं। ऐसा भक्तों का विश्वास है मंदिर में पुजारी कवर सैन वशिष्ठ, घनश्याम दास, प्रवेश शर्मा, पूरण शर्मा, मोनी शर्मा प्रमोद शर्मा, मनोज शर्मा मौजूद थे।


न्यायालय के निर्माण को लेकर कनीना में हुई बैठक 

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 कनीना। न्यायालय एवं लघु सचिवालय के निर्माण को लेकर कनीना में एक बैठक आयोजित की गई।
आयोजित बैठक में रोष व्यक्त जताते हुए कहा कि न्यायालय कनीना में ही निर्मित होना चाहिए लेकिन भवन निर्माण कमेटी ने इसे उन्हानी में बनाने की रिपोर्ट सरकार को पेश की है जिसको लेकर कनीना में रोष पनपने लगा है। कनीना के नेताजी मेमोरियल कॉलेज में आयोजित बैठक में भावी रणनीति बनाने पर चर्चा की गई। अन लॉक के नियमों का पालन करते हुए लोग इक_े हुए और उन्होंने रोष जताया कि मुख्यमंत्री हरियाणा ने कनीना में न्यायालय एवं सचिवालय बनाने का निर्णय लिया था तो आखिरकार कनीना में अभी तक निर्माण कार्य क्यों शुरू नहीं किया है। उन्होंने मांग की है कि तुरंत प्रभाव से कनीना में सचिवालय तथा न्यायालय का निर्माण कार्य किया जाए। बैठक में उपस्थित लोगों ने कहा कि  मुख्यमंत्री ने कनीना में ही लघु सचिवालय के निर्माण का शिलान्यास किया हुआ है। ऐसे में कनीना में ही निर्धारित स्थान या फिर कनीना में ही पीपल वाली बणी आदि स्थानों पर  भवन बनने चाहिए।
इस मौके पर महेश बोहरा, कमल यादव, कंवर सैन वशिष्ठ, संजय भारद्वाज, दलीप सिंह, सुमेर सिंह चेयरमैन सहित कई जन उपस्थित थे।
उधर इस संबंध में विधायक अटेली सीताराम यादव ने फोन पर बताया कि वे जनभावना के साथ हैं। जब कनीना के लोग कनीना में ही न्यायालय एवं सचिवालय निर्माण चाहते हैं तो कनीना में ही बनने चाहिए किंतु अभी तक सरकार ने कोई जगह फाइनल नहीं की है। भवन निर्माण कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है। अब सरकार इस पर निर्णय करेगी।
 क्या है मुद्दा -
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वर्ष 2012 कनीना उप तहसील होता था जिसे उपमंडल का दर्जा दिलवाने में अहं रोल तत्कालीन विधायक एवं सीपीएस अनीता यादव का रहा था जिन्होंने पीपलवाली बणी में दोनों भवन बनाने के लिए ग्रांट भी प्रदान करवा दी थी किंतु तत्पश्चात से न्यायिक परिसर एवं सचिवालय निर्माण को लेकर के कशमकश जारी है। बार-बार कनीना में ही दोनों भवन निर्माण के लिए मांग उठ रही है,आंदोलन तक चला है। इस मांग को लेकर एसडीएक कार्यालय के पास 22 फरवरी 2017 से कनीनावासियों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किए चलाया था जो 65 दिन चला। तत्पश्चात 27 अप्रैल को इंद्रजीत सिंह के निजी सचिव रवि यादव ने कहा वासियों को आश्वासन देने के पश्चात धरना स्थगित किया था, लेकिन उस वक्त मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से बात हुई थी और आश्वासन दिया था कि दोनों भवन अर्थात न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय कनीना में बनाए जाएंगे। लेकिन हाल ही में भवन निर्माण कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उन्हाणी में ये भवन बनाने की रिपोर्ट सौंपी है जिसको लेकर कनीना में भारी रोष पनप रहा है एक बार फिर से लोग धरने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उस वक्त क्षेत्र में महिलाओं से भारी संख्या में लोगों ने अध्यक्षता करते हुए धरना दिया था जिनमें महेश बोहरा ,पूर्व पालिका प्रधान राजेंद्र सिंह लोढा, मास्टर दलीप सिंह, सुमेर सिंह चेयरमैन, विजयपाल चेयरमैन विनय कुमार, जसवंत सिंह बबलू आदि ने अहम भूमिका निभाते हुए धरने का समर्थन किया था। एिक बार फिर से कनीनावासियों ने मांग है कि है कि दोनों भवन कनीना में निर्मित करवाये जाए।
फोटो कैप्शन 6: नेताजी मेमोरियल क्लब में न्यायिक परिसर एवं लघु सचिवालय निर्माण को लेकर बैठक का नजारा।



गोगा नवमी पर्व पर पूजा होती है गुग्गा पौधे की
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कनीना। गोगा नवमी पर्व पर क्षेत्र में गुग्गा पौधे की पूजा हर घर में की जाती है।
  जन्माष्टमी एवं गोगा पर्व बेशक किसी देवों से जुड़े हुए पर्व होते हें किंतु इन दोनों दिनों में एक एक पौधे की पूजा इन देवों के साथ साथ की जाती है।
  गोगा पर्व जाहर वीर गोगा देव की याद में भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाता है जिसका राजस्थान में विशेष महत्व होता है किंतु हरियाणा में भी कम नहीं होता है।
गोगा जिसे जाहर वीर गोगा कहा जाता है। उस देव के गुणों की चर्चा हर जगह है। हरियाणा में गोगा एक पेड़ को कहते हैं जो शाक है जिसे अपामार्ग, लटजीरा, चिरचिटा आदि नामों से जाना जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे अचिरांथिस अस्पेरा कहते हैं। इसमें इतने अधिक औषधीय गुण है कि इसे गोगा देव के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि गोगा देव के साथ साथ गोगा पौधे की भी पूजा की जाती है जो कई बीमारियों में सहायक है वहीं घर के आस पास मिल जाता है।
कौन है जाहरवीर गोगा--
गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। जहां भाद्रपद शुक्लपक्ष की नवमी को गोगा का मेला भरता है।
गोगा जी गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य थे। उनका जन्म चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था।  ददरेवा में सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। मुस्लिम उन्हें पीर नाम से जानते हैं। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जेवरसिंहकी पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरक्षनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगा वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। वे प्रसिद्ध शासक थे जिनका राज्य हांसी (हरियाणा) तक था।
उन्हें सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहर वीर,राजा मण्डलिक व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं।
गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है। उनके जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं है गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति है। ग्रामीण क्षेत्रों में गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ति उत्कीर्ण की जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा की स्मृति में मेला लगता है।
हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित है।  प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छडिय़ों की विशेष पूजा करते हैं।
राजस्थान के महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। गोगाजी की माँ बाछल देवी नि:संतान थी। संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरू गोरखनाथ 'गोगामेडीÓ के टीले पर तपस्या कर रहे थे। बाछल देवी उनकी शरण में गईं तथा गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।
फोटो कैप्शन 4: गोगा पौधा जिसकी पूजा होती है।


आशा वर्कर्स की मांगे जायज
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कनीना। बसपा नेता  ठाकुर अतरलाल ने हरियाणा सरकार से आंदोलनरत आशावर्कस की मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की है।
 अतरलाल ने मुख्यमंत्री से आशावर्कस की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि करोना महामारी के दौरान आशा वर्कस ने ईमानदारी तथा निश्ठा से बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया और पल-पल की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवाई। इससे उनका काम दोगुने से भी ज्यादा हो गया है।  उन्होंने कहा कि सरकार से जुलाई 2018 को हुए समझौते को पूर्ण रूप से लागू करने, सभी आशा वर्कस को पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराने, आशाओं को जोखिम भत्ता 4000 रूपए मासिक देने, उनको स्थायी कर्मचारी का दर्जा देने, सरकारी नियमों के अनुसार न्यूनतम वेतन देने तथा ईएसआई और पीएफ की सुविधा देने की मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की है।


1600 गौ वंशों से चल रही है कनीना गौशाला
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कनीना। कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला करीब 1600 गौ बंशों से दान एवं अनुदान पर चल रही है। पशुओं की देखरेख के लिए एक वीएलडीए  लगाया हुआ है। पशुओं को हरा एवं सूखा दोनों प्रकार का चारा दिया जा रहा है। कनीना गौशाला क्षेत्र की बेहतर गौशालाओं में से एक है।
  कनीना की गौशाला जनवरी 2003 में स्थापित की गई थी। यह गौशाला महेंद्रगढ़ जिला की अग्रणी गौशालाओं में से एक है। यह दान एवं अनुददान दोनों पर आधारित है तथा लेखा जोखा का प्रतिवर्ष वर्षांत में आडिट होता है। गायों के लिए पक्का भवन, टीन शेड एवं लेंटर बनाया हुआ है। गायों की समय समय पर स्वास्थ्य जांच की जाती है। स्वास्थ्य जांच के लिए एक वीएलडीए रखा हुआ है जो पशुओं के रोगों का इलाज भी करता है। यहां पर गायों का दूध एवं उनका खाद बेचकर आय प्राप्त होती है उसे गायों पर खर्च किया जाता है। दूध की बिक्री से करीब 80 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। गायों के गोबर से बने खाद से 7 लाख रुपये सालाना आय होती है।
  गौशाला में गायों के लिए 5 गाडिय़ां एवं पांच ट्रैक्टर लगाए गए हैं जो गायों की सेवा में दिनरात जुटे रहते हैं। गौशाला में वर्तमान में चार ट्यूबवेल कार्यरत हैं वहीं गौ वंश के लिए 30 एकड़ में हरा चारा उगाया जाता है जिसे गायों के लिए प्रतिदिन काटकर डाला जाता है। इस कार्य के लिए 13 मजदूर कार्यरत हैं जिन्हें अढ़ाई लाख रुपये वेेतन बतौर प्रतिमाह दिए जा रहे हैं।
  कनीना गौशाला के प्रधान हुकुमचंद ने बताया कि गौशाला में के लिए प्रतिदिन गाडिय़ा गौ ग्रास इक_ा करके विभिन्न गांवों से लाती हैं और प्रतिदिन 30 मण आटा एवं रोटी इक_ी हो जाती हैं। वर्तमान में छह माह का चारा स्टाक किया हुआ है।
  गौ भक्त भगत सिंह जिन्होंने गौशाला के लिए कई काम करवाए हुए हैं ने बताया कि गौशाला में दूध की बिक्री से करीब 80 हजार रुपये प्रतिमाह की आय होती है वहंी दानदाताओं द्वारा प्राप्त राशि से गौशाला चल रही है। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष कुल एक करोड़ की आय हो जाती है जो गायों पर खर्च होता है।
  कनीना के सेवक होशियार सिंह ने बताया कि कनीना की गौशाला बेहतर कार्य कर रही है। यहां दूध देने वाली 22 गाएं हैं, बेहतर 200 फुट लंबी टीन शेड वहीं गायों के घुमने फिरने के लिए भी अलग से आठ एकड़ में टीन शेड बनाई गई है। गायों को सर्दी एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था भी की हुई है।
फोटो कैप्शन 2: गौशाला में विचरण करती गाये।

गो-सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं-लालदास
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 कनीना। 'गो सेवा से बेहतर कोई सेवा नहीं है। गायों की सेवा ही इंसान के सभी पूर्व पापों से मुक्ति दिलाती हैÓ। ये विचार संत शिरोमणि बाबा उधोदास गौशाला में गौशाला के 13वें स्थापना दिवस दौरान बाबा लालदास ने व्यक्त किए। इस मौके पर हवन भी आयोजित किया गया।  
 उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति नित्य गायों की सेवा करता है उसे पुण्य प्राप्त होता है। गायों को घर में रखने से घर के संताप मिट जाते हैं और गाय का दूध व घी प्रयोग करने से सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने गायों की सेवा करने व उनका घी व दूध प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण भी गायों की सेवा करने के कारण गोपाल कहलाए थे।
   बाबा लालदास ने कहा कि उन्हें फक्र है कि उन्होंने आज से दस साल पहले गौशाला की शुरुआत की और पांच गाए खरीदकर लाई गई। सरकार से आज तक इस गौशाला को कभी कोई सहयोग नहीं मिला किंतु लोगों के सहयोग के चलते ही इस वक्त करीब 250 गाएं हो गई है और बेहतर गौशाला के रूप में यह गौशाला जानी जाती है।
    बाबा लालदास ने कहा कि असहाय गायों की सेवा करना उनका परम धर्म है। उनकी गौशाला में असहाय गायें भी रखी गई हैं जिनकी सेवा सभी कर रहे हैं। गायों के सेवक सुबह से शाम तक सेवा में लगे रहते हैं। वे गायों की सेवा करके अपने को धन्य समझते हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वयं दिनभर गायों की सेवा करते हैं और उन्हें अति खुशी होती है।
 गोशाला के संंस्थापक महाराज लालदास महाराज ने बताया कि जन्माष्टमी श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। वे महान योगीराज थे और उनके बताए हुए अनुकरणों का ही पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने संसार गीता का उपदेश दिया, गीता ही एक एेसा गं्रथ है जिसको सभी मानते हैं।  
 आज ही के दिन से 12 वर्ष पहले(2008) इस गौशाला की स्थापना की गई। बाबा ने बताया कि जन्माष्टमी के पावन पर्व पर मंदिर में वर्षों से चरण अमृत बांटा जाता रहा है आज भी यह परम्परा कायम है। । आज गौशाला के स्थापना पर हवन आयोजित किया गया। भारी संख्या में लोग पहुंचे। महिलाओं की संख्या बहुत अधिक थी।
   इस मौके पर रणधीर सिंह, कृष्ण कुमार, अनिल कुमार, प्रताप सिंह, किसना, कंवर सिंह, रमेश कुमार, दीपक, जतीन, गजराज सिंहआदि संख्या में गौ सेवक मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 3: उधोदास गौशाला में हवन का नजारा।

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