युवाओं को लगाए 170 डोज
-गुरुवार को लगेंगे 45 प्लस के 200 डोज
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल में बुधवार को 170 कोरोना डोज 18 से 44 आयु वर्ग के युवाओं को दिए गए। जिनमें से डेढ़ सौ यूको को आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने वाले थे तथा 20 आफलाइन वैक्सीन लेने वाले थे। वैक्सीन की कमी चल रही है। विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ धर्मेंद्र यादव एसएमओ तथा कंप्यूटर आपरेटर पवन कुमार ने बताया कि 200 डोज 45 प्लस के लोगों को गुरुवार को दी जाएंगी ।उन्होंने कहा कि ये डोज 45 प्लस तथा 60 प्लस सभी आयु वर्ग के लोगों को दी जाएंगी।
घर पर लगाया काला झंडा, जताया विरोध
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कनीना। केंद्र सरकार के तीन काले कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 6 महीने होने पर काले झंडे लगाकर काला दिवस मनाया। इनेलो नेता वेदप्रकाश नंबरदार रामबास ने तो अपनी गाड़ी तथा घर पर काला झंडा लगाकर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि सत्ता के अहंकार में सरकार का किसानों की मांगे न मानना देश के प्रत्येक नागरिक को आक्रोशित कर रहा है, इसीलिए देशभर में काला दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से किसानों की मांगे माने जाने की अपील की है।
फोटो केप्शन 8: वेदप्रकाश अपने घर पर काला झंडा लगाकर विरोध जताते हुए।
12 बजे तक खुली इवन नंबर की दुकानें
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कनीना। कनीना में सोमवार को ओड-इवन के चक्कर में जहां दिनभर दुकानें नहीं खुल सकी किंतु मंगलवार को विधिवत रूप से ओड/विषम नंबर की दुकानें खोली गई। सोमवार को सभी दुकानों पर ओड एवं इवन नंबर दे दिए गए थे। मंगलवार को जहां ओड नंबर की दुकानें खुली तो बुधवार को इवन नंबर की दुकानें खुली। दुकानें खुलने का समय दोपहर 12 बजे तक का ही निर्धारित है। व्यापार एकता मंच के अध्यक्ष महेश बोहरा ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते जो सरकार ने निर्णय लिया है वह यथा योग्य है। ऐसे में उन्होंने वह ऐतिहात के सभी कदम उठाए जाने, मास्क लगाकर सामान देने तथा ग्राहकों को भी मास्क लगाकर आने देने, 2 गज की दूरी अपनाने तथा नियमों का सख्ती से पालन करके सरकार का सहयोग करें।
नहीं सुधर रहे हैं लोग, खुद ही करना पड़ता है प्रबंध
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कनीना। कनीना क्षेत्र में बेशक पुलिस और प्रशासन कोरोना के दृष्टिगत कितनी भी सख्ती बरतें परंतु लोग मानने वाले नहीं है। मोटरसाइकिल एवं वाहनों पर रात को, सुबह सवेरे हर समय लोग घूमते नजर आते हैं। यहां तक कि मास्क भी प्रयोग नहीं करते। दुर्भाग्य है कि एक ओर कोरोना को हराने के लिए सरकार और प्रशासन जी जान से जुटे हुए हैं किंतु ये लोग सरकार और प्रशासन को पीछे धकेलने में जुटे हुए हैं। जहां भी देखें दुकानों के बाहर फल
एवं सब्जी की दुकानों के बाहर लोग देखे जा सकते हैं। ऐसे में अपनी सुरक्षा अपने हाथ ही बन गई है। राजेश कुमार का कहना है कि जहां भी जाते हैं उन्हें लोगों के मुंह पर मास्क नजर नहीं आता। वह उनको काफी समझाते हैं किंतु लोग समझ नहीं पाते। ऐसे में वे अपना स्वयं ख्याल करते हैं ।उन्होंने बताया कि वे अब दो मास्क लगाने लग गए हैं।
दिनेश कुमार का कहना है कि लोगों को बिना मास्क देखकर दुखी है। उनका कहना है मास्क प्रयोग करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं तो अपनी चुन्नी जैसे कपड़े को ही मास्क बनाए रखती है वहीं बूढ़े बुजुर्ग धोती को प्रयोग कर रहे हैं किंतु युवा पीढ़ी जानबूझकर मास्क प्रयोग नहीं करती। दूसरे राज्य से रह रहे लोग तो प्रशासन को कुछ भी नहीं मानते। उन्होंने सरकार से प्रशासन से मांग की है कि गलियों में भी चक्कर लगाए जाए और नियमों का पालन नहीं करते उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
नहीं सुधर रहे हैं लोग, खुद ही करना पड़ता है प्रबंध
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कनीना। कनीना क्षेत्र में बेशक पुलिस और प्रशासन कोरोना के दृष्टिगत कितनी भी सख्ती बरतें परंतु लोग मानने वाले नहीं है। मोटरसाइकिल एवं वाहनों पर रात को, सुबह सवेरे हर समय लोग घूमते नजर आते हैं। यहां तक कि मास्क भी प्रयोग नहीं करते। दुर्भाग्य है कि एक ओर कोरोना को हराने के लिए सरकार और प्रशासन जी जान से जुटे हुए हैं किंतु ये लोग सरकार और प्रशासन को पीछे धकेलने में जुटे हुए हैं। जहां भी देखें दुकानों के बाहर फल
एवं सब्जी की दुकानों के बाहर लोग देखे जा सकते हैं। ऐसे में अपनी सुरक्षा अपने हाथ ही बन गई है। राजेश कुमार का कहना है कि जहां भी जाते हैं उन्हें लोगों के मुंह पर मास्क नजर नहीं आता। वह उनको काफी समझाते हैं किंतु लोग समझ नहीं पाते। ऐसे में वे अपना स्वयं ख्याल करते हैं ।उन्होंने बताया कि वे अब दो मास्क लगाने लग गए हैं।
दिनेश कुमार का कहना है कि लोगों को बिना मास्क देखकर दुखी है। उनका कहना है मास्क प्रयोग करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं तो अपनी चुन्नी जैसे कपड़े को ही मास्क बनाए रखती है वहीं बूढ़े बुजुर्ग धोती को प्रयोग कर रहे हैं किंतु युवा पीढ़ी जानबूझकर मास्क प्रयोग नहीं करती। दूसरे राज्य से रह रहे लोग तो प्रशासन को कुछ भी नहीं मानते। उन्होंने सरकार से प्रशासन से मांग की है कि गलियों में भी चक्कर लगाए जाए और नियमों का पालन नहीं करते उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
पीटीआई को पुन: बहाल किया जाए-धर्मपाल शर्मा
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कनीना। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य सचिव धर्मपाल शर्मा ने सरकार विरोध दिवस के अवसर पर हरियाणा सरकार से मांग की कि इस महामारी के दौर में किसी भी अस्थाई कर्मचारी को नौकरी से न निकाला जाए, बल्कि उनकी लंबी सेवाओ के मध्यनजर उन्हें नियमित किया जाए। 350 दिनों से अधिक धरने पर बैठे पी.टी.आई. को सरकार अपने वादे अनुसार पुन: नौकरी पर कार्य ग्रहण करवाए। शिक्षा विभाग लंबे समय से रुकी हुई पदोन्नति सूचियां जारी करे, रेशनलाइजेशन को व्यवहारिक बनाते हुए स्थानांतरण किए जाएं, मेवात जिला को भी पदोन्नति व स्थानांतरण में शामिल किया जाए। लंबित 2016-19 एवं वर्तमान 2020-23 ब्लाक की एल.टी.सी. स्वीकृत व भुगतान करने की प्रक्रिया तुरन्त आरम्भ करें। शर्मा ने कहा कि बहुत अफसोस है कि इस महामारी में हरियाणा के 100 के लगभग अध्यापक कोरोना पाजिटिव के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्हें महामारी के तहत उनके संबंधित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए तथा जो अध्यापक इस महामारी में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनको तत्काल वैक्सीनेशन की जाए, वांछित स्वास्थ्य सुरक्षा किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जाए। कोरोना पाजिटिव होने की स्थिति में तत्काल नि:शुल्क इलाज करवाया जाए तथा यदि किसी अध्यापक की ड्यूटी करते हुए दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो जाती है तो उसको कोरोना योद्धा माना जाए तथा संबंधित परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी दी जाए व न्यूनतम एक करोड़ रुपयेका आर्थिक मुआवजा दिया जाए। उन्होंने 55 वर्ष से अधिक तथा गंभीर बीमारी से पीडि़त शिक्षकों को शिक्षण के अलावा किसी तैनाती में न लगाने की मांग की है।
कोरोना को दूर करने के लिए बुद्ध पूर्णिमा पर यज्ञ किया
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कनीना। कितनी भी बड़ी बीमारी हो या फिर कोई और महामारी हो लेकिन प्रभु का साथ हो तो किसी बात का डर नहीं होता। ये विचार संत शिरोमणि कृष्णानंद महाराज ने कनीना खंड के गांव धनौंदा की बणी में स्थित धाम पर आयोजित बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर कोरोना महामारी को रोकने के साथ साथ विश्व शांति के लिए किए गए यज्ञ पर व्यक्त किए।
इस अवसर पर स्वामी ने कहा कि इस कोरोना नामक महामारी ने चारों तरफ से ही घेर रखा है। ऐसे में हमें प्रभु एक बात की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि इस मानव जीवन में केवल मानव जैसे ही कर्म करने चाहिए, पशुओं जैसे नहीं। क्योंकि जब भी मानव ने प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है तब तक प्रकृति द्वारा मानव को झटका दिया गया है। इसीलिए संसार में रहने वाले सभी लोगों को केवल मानव जैसे ही कर्म करने चाहिए ताकि प्रकृति खुश रहे। यज्ञ पर आए भक्त जनों को कहा कि जब तक मानव मानव जैसे कार्य नहीं करेगा तब तब हमें इसी प्रकार की परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी कोई बड़े से बड़ी समस्या देश व संसार में आती है तब यज्ञ रूपी भगवान को याद करना चाहिए तभी जाकर इस प्रकार की महामारी से बच सकते हैं। इस महामारी में सरकार व प्रशासन द्वारा जो नियम दिए गए हैं उसी नियम के अनुसार चलना चाहिए तब जाकर हम इस महामारी से निजात पा सकते हैं। इस अवसर पर जीतपाल सिंह, डा राजेश, आनंद सिंगल, डा फतेहचंद दायमा, जगदीश, विनय पाल खेड़ी, शिव कुमार जांगड़ा, पवन कुमार प्रजापत, के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।
पंचायत चुनाव जल्द होने की आहट
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कनीना। जल्द ही हो सकते हैं पंचायतों के चुनाव और गांव को मिल सकती हैं नई पंचायतें। मिली जानकारी के अनुसार जल्दी ही प्रदेश में पंचायतों के चुनाव होने की आशंका जताई जा रही है जिसको लेकर सरकार ने प्रशासन तंत्र को सक्रिय कर दिया है जो वार्ड बंदी व वोटर लिस्ट को खंगालने का कार्य करने में जुट गए हैं।
यहां गौरतलब है कि सरकार द्वारा वार्ड बंदी व वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया गया है जिसको लेकर आज उपमंडल कार्यालय कनीना में तहसीलदार नवजीत कौर, नायब तहसीलदार, सत्यपाल सिंह ने मोडी व गोमली गांव के लोगों की वार्ड बंदी को लेकर समस्या सुनी तथा दोनों को उनके वार्ड के बारे में बताया। इस अवसर पर तहसीलदार नवजीत कौर बराड़ नायब तहसीलदार सत्यपाल सिंह यादव, हलका पटवारी विक्रम सिंह, एसीपीओ अरविंद यादव, पटवारी अनूप सिंह सुहाग, उमेद सिंह जाखड़ पटवारी के अलावा अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।
धनौंदा में कोरोना केस बढऩे लगे
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कनीना। जहां कोरोना महामारी अभी थमने का नाम ही नहीं ले रही है और कुछ गांव में लोग कोरोना महामारी से ग्रस्त होते हुए भी अपना काम कर लोगों को महामारी बांट रहे हैं। कनीना के उपमंडल के गांव धनौंदा में दर्जनों कोरोना संक्रमित आए हैं जिसको लेकर गांव में भय का माहौल व्याप्त है। धनौंदा के लोगों ने बताया कि गांव में उक्त बीमारी को लेकर दो व्यक्ति भगवान को भी प्यारे हो चुके हैं लेकिन गांव में आज तक सेनिटाइजर या अन्य बचाव का कोई कार्य नहीं हुआ है जिसको लेकर ग्रामीण भय के साये में जीने पर मजबूर हैं। जब एसडीएम दिनेश कुमार कनीना से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति कोरोना से पीडि़त है और वह सरेआम दुकान में बैठ अन्य लोगों को सामान देता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उसको किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
बिना लक्षणों के एक माह में पांच बार जांच करवाई पांच बार कोरोना संक्रमित मिला
-डाक्टर भी अचरज में
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव भडफ़ निवासी विजय कुमार कुमार पुत्र श्रीराम पूर्व सरपंच, जो मुख्य वन संरक्षण दक्षिणी परिमंडल गुरुग्राम में सहायक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने डाक्टरों को भी अपनी रिपोर्ट से चकित कर दिया है। जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं किंतु पांच बार संक्रमित मिले हैं। 20 अप्रैल से लगातार 5 बार कोरोना संक्रमित मिला हैं किंतु खाने पीने, हाव भाव, चलने फिरने तथा चेहरे की मुस्कान पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। 20 अप्रैल को विजय कुमार ने आरटीपीसीआर जांच करवाई। इसकी रिपोर्ट आने में देरी हुई तो उन्होंने गजेंद्रा अस्पताल रेवाड़ी 24 अप्रैल को फिर से जांच करवा ली। दोनों रिपोर्ट पाजिटिव आई।
तत्पश्चात उन्होंने 4 मई को फिर से जांच करवाई कोरोना संक्रमित पाया गया किंतु कोई लक्षण नहीं नजर आया। एक बार फिर से 20 मई को जांच करवाने पर कोरोना संक्रमित पाया। 24 मई को एक बार फिर से जांच करवाई कि कहीं विगत जांच में कोई कमी रही हो किंतु पांचवीं बार भी कोरोना संक्रमित मिला है। बड़े आश्चर्य से वो कनीना के उप नागरिक अस्पताल पहुंचा तथा सारी कहानी बताई। डाक्टरों ने बड़े डाक्टरों से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि कई बार लक्षण न होते हुए भी पाजिटिव मिल जाता है।
26 मई को उन्होंने रेवाड़ी से सिटी स्कैन करवाया है जिसमें डाक्टरों ने फेफड़ों पर कुछ असर बताया किंतु घबराने वाली बात नहीं कहीं।
इस प्रकार का यह मसला पहली बार कनीना अस्पताल में पाया गया है। यद्यपि अधिकांश मसलों में महज 4-5 दिन पश्चात ही कोरोना संक्रमण खत्म हो जाता है किंतु यह एक ऐसी शख्सियत है जो 5 बार में कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और अभी भी हिम्मत नहीं हारी है। उन्होंने बताया कि उन्हें सर्दी, जुकाम और बुखार कुछ भी लक्षण नहीं दिखाई दिये हैं। उनकी विचारधारा सकारात्मक है।
सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर दूर किया कोरोना, बने कोरोना योद्धा
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,कनीना। कनीना निवासी सतेंद्र शास्त्री लूखी कोरोना योद्धा बनकर उभरे हैं। एक साथ उनका पुत्र तथा वे स्वयं 6 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए। उस वक्त वे अपने साथी प्रदीप शास्त्री (कोरोना संक्रमित मिले थे जिनकी बाद ममें मृत्यु हो गई) की चिकित्सा कार्यों में लगे हुये थे। स्वयं संक्रमित होने पर सतेंद्र शास्त्री ने अपने घर में बहुत सकारात्मक विचारों से नारियल पानी और मौसमी का जूस लेकर तीन दिन बिना अन्न के बिताये, सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन किया। तत्पश्चात उन्होंने चौथे दिन फिर से कोरोना टेस्ट करवाया और वह कोरोना नेगेटिव आए। वे बताते हैं कि उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती का सत्यार्थ प्रकाश अध्ययन किया, जिसमें वे ईश्वर को मानते हैं किंतु की मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं, शुद्ध सात्विक आहार और हवन, संध्या हवन करने पर बल दिया है। जिसके चलते श्री शास्त्री ने अपने घर में जहां प्रभु को याद किया बार-बार हवन और संध्या हवन किया जिसके चलते वह तथा उनका बेटा तुरंत कोरोना नेगेटिव हो गए। उन्होंने खुशी जताई कि वे कोरोना को मात दे सके। उनका कहना है कि कोरोना को मात देने के लिए एकांत, ऐतिहात के नियमों का पालन करना, प्रभु भक्ति और सकारात्मक विचार, शुद्ध फलाहार का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि किसी के साथी अगर सही हो तो इंसान जल्दी ठीक हो सकता है। यदि उसके साथी नकारात्मक विचारों से भरे हो और फोन पर भी नकारात्मक बातें करे तो उसका कुप्रभाव पड़ता है। उनका कहना है कि केवल सोच सकारात्मक होनी चाहिए। ऐसे व्यक्तियों से ही संपर्क करना चाहिए जो सकारात्मक विचारधारा रखें तभी कोरोना का मात दी जा सकती है।
फोटो कैप्शन: सतेंद्र शास्त्री।
10 दिन पूर्व घर से गायब हुई लड़की का अता तक पता नहीं
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कनीना। कनीना खंड के गांव से एक लड़की को गायब हो जाने का का मामला कनीना पुलिस ने दर्ज किया है। पीडि़त लड़की के परिजनों ने पुलिस में दी शिकायत ने बताया कि उनकी लड़की पिछले 10 दिन से लगभग 2:30 बजे घर से अचानक गायब हो गई जिसको उन्होंने इन सभी जगह देखा लेकिन वह कहीं नहीं मिली। उन्होंने जिला भिवानी के एक लड़के पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी लड़की को वह लड़का ले गया है जिसका बार-बार हमारे पास फोन आता है कि आप अपनी लड़की को लेकर पुलिस में किसी तरह की शिकायत नहीं करना वरना अच्छा नहीं होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आखिर हमारी लड़की उन्हीं के चंगुल में है जिसे छुड़ाकर हमारे पास लाया जाए। वही पुलिस ने रपट दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है ।
7 गांवों में मिले 14 संक्रमित
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कनीना। कनीना क्षेत्र में 7 विभिन्न गांवों से 14 व्यक्ति संक्रमित पाए गए। कोरोना धीरे-धीरे घटता जा रहा है। मिली जानकारी अनुसार भडफ़- एक, भोजावास-2दौंगड़ा जाट एक, गाहड़ा-एक, कनीना-5, करीरा-एक ,कोटिया- तीन , करीरा-एक संक्रमित पाए गए हैं।
एसएमओ धर्मेंद्र यादव का कहना है कि हर इंसान को ऐतिहात के कदम उठाने चाहिए। कोविड के नियमों का पालन करना चाहिए तभी इस महामारी से बचा जा सकता है। उन्होंने नियमित रूप से हाथों को सेनिटाइज करने, मास्क का प्रयोग करने, घर से बाहर न निकलने हाथों में ग्लव्ज पहनने की अपील की है।
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नजरिया
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बदल रहा है बलात्कार का स्वरूप
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आज पैसे
ऐंठने के लिए भी कुछ महिलाएं बलात्कार का आरोप लगाती हैं
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कनीना। बलात्कार सृष्टि में हर जीव में सदियों से चला आ रहा है, चाहे सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग या कलियुग हो हर युग में बलात्कार की घटनाएं घटी है। महाभारत और रामायण तो बदसलूकी के परिणाम महायुद्ध हुये थे किंतु बलात्कार का स्वरूप, रंग रूप ही बदल रहा है। पुरानी वक्त में यही कोई 40 साल पहले जब कहीं कोई ऐसी घटना घट जाती थी तो पूरा समाज एक ही बात कहता था कि लड़की की बात कहीं उजागर न हो। अगर ऐसा हुआ तो मां बाप की बदनामी होगी और घटना को दबाने का प्रयास करते थे। किसी थाना तहसील की जरूरत नहीं अपितु उसका मुंह काला करके गधों पर बिठाकर गलियों में ढोल एवं पीपा आदि पीटते हुए घुमाया जाता था ताकि लोग देख सके कि यह व्यक्ति बलात्कारी है। उन्हें समाज में बैठने नहीं दिया जाता था। किसी घर में आने की इजाजत नहीं होती थी किंतु आज भी ऐसे लोग समाज में मिल जाएंगे जो गधे पर बैठे थे किंतु उन्हें आज समाज अपने गले से लगा रहा है। बलात्कार को दबाने का प्रयास किया जाता था, थाना तहसील बहुत कम होते थे। वक्त आया आधुनिक मीडिया बढ़ता गया,मीडिया का प्रभाव इस हालात में ले गया कि बलात्कार हो जाता है तो उस दुष्कर्म की संज्ञा दी जाती है और तुरंत थाना तहसील होता है, मेडिकल जांच होती है, अपराधी को सजा दिलाने का भरसक प्रयास किया जाता है।
एक वह वक्त था जो बात को दबाया जाता था आज वह वक्त है जब बात को ज्यादा से ज्यादा उछाला जाता है। वर्तमान में यदि ऐसी कोई घटना घट जाती है तो मां-बाप परेशान जरूर रहता है परंतु उसके दिल में एक ही इच्छा होती है कि चलो इस पापी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। देश में बलात्कारियों को तो फांसी भी हो चुकी है परंतु वह वक्त अब लौटकर नहीं आएगा। मदर इंडिया फिल्म की कहानी यही कहती है कि अपने पास की लड़की को छेड़ देने पर ही मां ने अपने बेटे को गोली से उड़ा दिया। वास्तव में यही मदर इंडिया है। इस इंडिया में किसी बहन बेटी को अगर कोई छेड़ देता था उसकी खैर नहीं होती थी, समाज ही उसे वह सजा देता था।
एक सच कहानी याद आती है कि एक युवक ने अपे पउ़ोस की लड़की से बलात्कार कर दिया। मां बाप ने स्वयं उसे सजा दिलवाई। मां ने तो यह कसम खाई कि जिस दिन लड़का कैद से बाहर आएगा वो स्वयं फांसी खा लेगी। जब बेटा कैद से बाहर आया तो मां ने कलंक के डर से फांसी लगा ली। कितना बदलाव आ गया। आज तो कुछ ऐसे किस्से भी सुनने में मिलते हैं जब महिलाएं पैसे ऐंठने के चक्कर में बलात्कार के मामले दर्ज करवा देती है बहुत से ऐसे लोग हैं जिन पर बलात्कार का मामला दर्ज हुआ किंतु लाखों रुपए देकर के पीछा छुड़वा लिया। अब तो घटना भी अजीबोगरीब होती है। आज भी वह वक्त याद आता है जब बलात्कारियों को सजा समाज देता था। आज समाज नहीं अपितु पुलिस और न्यायालय न्याय देता है। आने वाले समय में पता नहीं क्या-क्या घटनाएं घटने की उम्मीद है। बहरहाल कच्चे घरों में रहने वाले लोग दिल के पक्के होते थे अब पक्के घरों में रहने वाले लोग दिल के कच्चे होने लग गए। अब तो बलात्कारी को मारते कूटते नहीं अपितु न्यायालय सजा देता है। पहले मार कूटकर भूत बना दिया जाता था परंतु उस लड़की की बेइज्जती आसपास के लोग नहीं करते थे। आज अगर कोई लड़की लांछित हो जाती है तो समाज से सिर ऊंचा करके निकलती है। ऐसे भी केस देखे गए जब लड़की के मां-बाप को बहला-फुसलाकर मामला दर्ज करवा दिया दूर-दराज तक बात फैल गई और उस लड़की की शादी तक भी नहीं हो पाई। यह सत्य है कि बलात्कारी को समाज से निकाला जाए। अच्छा हो ऐसे को इंगित किया जाए, हुक्का पानी बंद किया जाए, वह अपनी मौत खुद घुट घुटकर मरे, ऐसा समाज हो तब तो आनंद है वरना भविष्य में बलात्कार का स्वरूप और कुछ बिगड़ कर सामने आ सकता है।
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