प्रथम और द्वितीय दोनों डोज लगेंगे सोमवार को
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कनीना। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में सोमवार 24 मई को प्रथम एवं द्वितीय कोरोना वैक्सीन 45 प्लस के लोगों को दी जाएंगी। लंबे समय से यह लोग इंतजार कर रहे हैं। महज 150 कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हैं। ऐसे में करीब नौ बजे से ही कोरोना वैक्सीन देने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जिनको दूसरी डोज का समय हो गया उन्हें दूसरी डोज दी जाएगी।
विस्तृत जानकारी देते हुए डा धर्मेंद्र यादव तथा
पवन कुमार कंप्यूटर आपरेटर ने बताया कि मैं 150 कोरोना वैक्सीन उनके पास उपलब्ध हैं। सोमवार को दोनों ही प्रकार की वैक्सीन दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नौ बजे के करीब डोज देने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसे में आन द स्पाट रजिस्ट्रेशन किया जाता है। लंबी कतार कोरोना वैक्सीन लेने वालों की लगी देखी गई है। विगत कई दिनों के बाद 45 प्लस के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। उन्होंने बताया कि गुढ़ा एवं ककराला में 200-200 वैैक्सीन तथा नांगल हरनाथ में डेढ़ सौ वैक्सीन दिए जाने का प्रस्ताव है। वैक्सीन आते ही इन गांव को भी वैक्सीन दी जाएंगी।
राकेश कुमार बने फायर स्टेशन आफिसर अब तक थे फायर अधिकारी
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कनीना। कनीना निवासी तथा महेंद्रगढ़- कनीना पर कार्यरत एकमात्र फायर अधिकारी राकेश कुमार की पदोन्नति हो गई है। अब तक हुए कनीना और महेंद्रगढ़ दोनों उप-मंडलों पर कार्यरत थे और अब वे पूरे जिला नूह पर कार्य करेंगे। राकेश यादव ने बताया कि उनके तहत अब तावडू ,पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, नूह क्षेत्र आएंगे तथा अब जिला स्तर पर कार्य करेंगे। क्षेत्र के लोगों ने उनकी पदोन्नति पर बधाई दी है। उन्होंने अपना कार्यभार नूह में ग्रहण कर लिया है।
फोटो कैप्शन: राकेश यादव।
कोरोना से नरेंद्र ने हारी जिंदगी
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कनीना। भाजपा कनीना मंडल के अध्यक्ष अतर सिंह राजपूत कैमला के भतीजे नरेंद्र सिंह तंवर का करोना महामारी से निधन हो गया। उसका अंतिम संस्कार कोविड 19 के नियमों के तहत उनकेे गांव कैमला में किया गया। फोन पर संवेदना प्रकट करने वालों में क्षेत्र के विधायक सीताराम यादव ने अपने शोक संदेश में कहा कि नरेंद्र सिंह तंवर कैमला का हमारे बीच से छोटी उम्र में चलें जाना दर्द की बात है। फोन पर संवेदना प्रकट करने वालों में सत्यवीर सिंह यादव सेहलंग, राजेंद्र प्रसाद भारद्वाज पोता, हनुमान शर्मा अगिहार, डा विनोद यादव करीरा हनुमान यादव सेहलंग शिव कुमार शर्मा खेड़ी, ओमप्रकाश कौशिक, लखनलाल जांगड़ा कैमला, अरुणा कौशिक, रोशनी देवी कनीना, शीला देवी, रामप्रताप यादव, रामनिवास दुबट खेड़ी, बाबुलाल प्रधान, सुरेश अत्रि, महेंद्र सिंह यादव सिहोर, सुरेश यादव ,जितेंद्र सिंह यादव रामबास, कंवर सैन वशिष्ठ कनीना, राजकुमार भारद्वाज कनीना, अनिल परदेशी गाहडा ,कप्तान सिंह छिथरोली, ओमप्रकाश लिसानिया कनीना आदि गणमान्य लोगों ने संवेदना प्रकट की है।
फोटो कैप्शन: फाइल फोटो नरेंद्र सिंह।
60 वर्षीय महिला ने कोरोना के चलते दम तोड़ा
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कनीना। कनीना निवासी रामरति 60 ने कोरोना के चलते दम तोड़ दिया है। मिली जानकारी अनुसार कनीना की रामरति को 10 मई के दिन कनीना अस्पताल भर्ती करवाया गया था जो कोरोना पाजिटिव आई थी। 23 मई को उनकी मौत हो गई। मिली जानकारी अनुसार कनीना में अब तक 350 लोग कोरोना संक्रमित आ चुके आ चुके हैं इनमें से अधिकांश ठीक हो चुके हैं।
7 गांवों में 10 कोरोना संक्रमित मिले
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कनीना। कनीना क्षेत्र में कोरोना संक्रमित घटते ही जा रहे हैं। रविवार को 7 गांवों में 10 कोरोना संक्रमित मिले हैं। मिली जानकारी के अनुसार ढ़ाणा, धनौंदा, सेहलंग में 2-2, कनीना, दौंगड़ा जाट, नौताना, कोटिया में 1-1 कोरोना संक्रमित मिले हैं।
पेड़ काटने वालों पर हो ठोस कार्रवाई
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कनीना। ककराला की बाबा भैया सेवा दल के प्रधान महेश कुमार ने शनिवार को नहर पर हरे पेड़ों को पोकलैंड से गिराने वाले व्यक्ति के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है। रात के अंधेरे में मशीन द्वारा इस कार्यवाही को अंजाम दिया गया यह बहुत ही निंदनीय हरकत है। इसमें सभी ग्रामवासी वन विभाग व नहर विभाग से मांग करते हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये। संस्था के पर्यावरण विभागीय समन्वयक इंद्रपाल ने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा दोषी की काल डिटेल भी निकलवाई जाये ताकि विभाग के कर्मचारियों के साथ भी यदि सांठ गांठ है तो उसका भी पर्दाफाश हो सके। उन्होंने सूखे जोहड़ों को नहर से भरने का रास्ता निकालने की मांग की है।
इस मौके पर पूर्व प्रधान डा राजीव, राकेश, राममेहर, उपप्रधान अजय, दीपचंद, युवा पर्यावरण सेवी सुनील, अजय व अन्य ग्रामीण मौजूद थे।
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हास्य व्यंग्य
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बंदर उठाकर ले गया फोन-एक खबर
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---होशियार सिंह यादव-
कनीना। बंदर उठा ले गया फोन।
अब बंदरों को भोजन नहीं मिलता, खाने की समस्या आ रही है और बंदर इधर-उधर छतों पर घूमते फिरते हैं। ऐसे में कनीना कस्बे से एक बंदर फोन उठाकर ले गया। शायद वह अपने साथी बंदरों को फोन करेगा कि किस जगह खाना उपलब्ध है, किसके घर में पेड़ों पर फल लग रहे हैं कौन सी बाड़ी आज उजाडऩी है, फोन उठाकर ले जाने से बहुत सी समस्याएं हल हो जाएंगी।
यदि धरती पर इंसान के बाद सबसे खतरनाक जानवर कोई है तो बंदर है जो हमारी फसलों, फलों, सब्जियों और कितने यंत्रों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ लोग तो बिना सोचे समझे हनुमान की फौज बोल देते हैं परंतु सत्य है कि हनुमान दुनिया में एकमात्र ऐसे देव हैं जिस जैसा परम भक्त और शक्तिशाली दूसरा कोई देव न तो हुआ और न होगा। यह ठीक है कि युद्ध में उनका मुंह पर प्रहार पडऩे से थोड़ा मुंह इस प्रकार का हो गया कि लोग ऐसे देव का मजाक उड़ाते हैं बंदर जैसी शक्ल बनाने लग गए। अपने देव का लोग मजाक करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हकीकत यह है कि उनका ऐसा बिगड़ा हुआ रूप कभी नहीं था। आर्य समाजी भी मानते हैं कि हनुमान सर्वशक्तिमान देव हैं। ऐसे देव को प्रणाम करना चाहिए। परंतु हनुमान की फौज बंदर नहीं हो सकती चूंकि बंदर कभी किसी का भला नहीं सोचते परंतु कभी हनुमान ने किसी का बुरा आज तक नहीं किया है। परहित में जीवन जीते आ रहे हैं और जीते रहेंगे। ऐसे महान है हमारे देव हनुमान जी परंतु दुर्भाग्य है लोग बंदरों को पूजते हैं, उन को खाना खिलाने के लिए दूरदराज जाते हैं। ठीक है कि ये भी जीव हैं और जीने का अधिकार है। जिस जगह एकांत में रहते हैं इन्हें खाने की भी जरूरत होती है और खाना खिलाना चाहिए लेकिन इनको पूजना अच्छी बात नहीं। वरना घर एवं छत पर आये तो पूजने की बजाय लट्ठ से बात न की जाये। किसी भी गांव और शहर में देखें सबसे अधिक नुकसान बंदरों ने पहुंचाया है। किसानों की सबसे अधिक क्षति नील गायों ने पहुंचाई है तो फिर इनको जीव जरूर मानते हैं परंतु यह नुकसान के अलावा कुछ नहीं करते। कितने ही लोग मौत के शिकार हो गए। इन बंदरों के कारण कितने ही लोगों ने बंदरों के काटने की पीड़ा सही है। वास्तव में बंदर वह खतरनाक जानवर है जो इंसान को गर्त में ले जाता है। किसी के घरों पर यदि देखा जाए तो कांटेदार बाड़ लगी है। बाड़ को टंकियों पर देखकर लोग समझ जाते हैं कि बंदर से बचने के लिए ऐसा किया गया है घरों की शोभा बिगाडऩे में लोग मजबूर हैं। बंदर और चूहे की एक विशेषता होती है कि वे खाते हैं और उससी थाली में छेद कर जाते हैं। टंकियों में मलमूत्र त्याग जाते हैं, नहा जाते हैं और वही पानी यदि इंसान प्रयोग कर ले तो कई रोगों का शिकार होना पड़ेगा क्योंकि बंदर एक ऐसा जानवर है जो शाकाहारी के अलावा मांसाहारी है। मांस ,अंडे जीव जंतु को पकड़कर खाने में बड़ा माहिर है। यह सत्य है कि इसमें बुद्धि की कमी नहीं है। बंदर का कुछ शरीर एवं अंदरूनी अंग इंसान से मिलते जुलतेे होने के कारण प्रयोगशाला में जरूर बंद काम आता है और प्रयोग किये जाते हैं। अब बंदर फोन उठा ले गए जो सिद्ध करता है कि यह फोन करेगा। ककराला गांव की कहानी मुझे याद आती है कि एक शख्स अपनी रेजर से दाढ़ी बना रहा था। छत पर दाढ़ी बना रहा था तभी उनके साथी ने द्वार पर आवाज लगाई। रेजर को छोड़कर वह जन नीचे आ गया और दाढ़ी बनाने के तरीके को एक बंदर बैठा देख रहा था जो है। वह व्यक्ति अपने साथी से मिलने छत से नीचे गया, बंदर ने सोचा क्यों नमैं भी दाढ़ी बना लूं और बंदर ने रेजर उठाया और जोर से अपने गाल पर खींच दिया। जब खून की पिचकारी आई तो रेजर फेंक शीशा तोड़ डाला। जब व्यक्ति अपने मित्र से मिलकर छत पर चढऩे लगा तो शीशा उसके सिर पर लगा। उसके होश ठिकाने लग गये। बंदर नकल में एक नंबर है परंतु बंदर घुड़की बहुत प्रसिद्ध है। बंदर, कुत्ता, बिल्ली और किसी भी जीव के आगे डर के मारे दौड़ पड़े तो ये जीव से नहीं बख्शेंगे क्योंकि ये समझते हैं कि इंसान डर गया और जो डर गया वह मर गया। अगर बंदर के सामने खड़े रहे, बंदर घुड़की मारेगा अगर उसमें डर गए तो मर गए, बच गए तो बंदर उल्टे पांव दौड़ जाएगा। इसलिए इन जीवों के सामने भाग पड़ोगे तो मारोगे। जब तक हाथ में कोई डंडा चप्पल कुछ भी है ये जीव पास नहीं आएंगे।
एक कहावत है बंदर सा रूसना। यदि बंदर को जो करंट लग जाता है या कोई चपत लग जाती है तो बंदर ऐसे बैठा मिलेगा जैसे कई दिनों से खाना नहीं मिला हो। बुजुर्ग कहते है कि बंदर और बच्चा अगर हरकत में नहीं है तो वे बीमार हैं।
याद रहे बंदर के काटने से रेबीज होने का खतरा बढ़ जाता है, बंदर कुत्ता और लंगूर आदि काटने से रेबीज होता है इसलिए इनकी टीके लगवाने पड़ते हैं। कितने ही लोग मजबूरी में बंदरों के काटने से टीके लगवा चुके हैं और लगाते रहेंगे।
जो भी हो बंदर खतरनाक जानवर है और अब गर्मी के दिनों में फोन की जरूरत हो गई है। अपने फोन को संभाल कर रखना, ये बंदर अब उठा उठा कर फोन ले जाएंगे और आपस में बातें करेंगे और फिर देखना किसी के घर में फल, फूल, सब्जी खत्म जाएंगे, झुंड के रूप में आएंगे और तबाह कर चले जाएंगे। सावधान रहना बंदरों से वरना कहोगे बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।।
फिर हुई बूंदाबांदी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सुबह रविवार को हल्की बूंदाबांदी हुई। जहां मंगलवार और बुधवार की रात को 36 एमएम बारिश हुई थी तत्पश्चात शुक्रवार की सुबह 7 एमएम बारिश हुई और रविवार को फिर से बूंदाबांदी हुई।
अभी भी मौसम सुहावना बना हुआ है ।मौसम विभाग बारिश होने की संभावना पहले ही जता चुका है।
आवश्यकता आविष्कार की जननी है
-अब किसानों के लिए उपलब्ध है खाद बिखेरने की मशीन
-घंटों का काम होता है मिनटों में
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कनीना। कनीना क्षेत्र में अब खाद बिखेरने की मशीन प्रसिद्ध हो रही है। फसल कटाई के उपरांत किसान अपने खेतों में गोबर का या कंपोस्ट खाद खेतों में डालते हैं किंतु इस खाद को डालना बहुत कठिन कार्य होता है। पहले ट्रैक्टर आदि कूड़े कचरे और गोबर को खेतों तक पहुंचाया जाता है, तत्पश्चात धीरे-धीरे उसे खेत में डाला जाता है, इसके बाद पूरे खेत में उसे कस्सी से बिखेरा जाता है किंतु अब किसानों को इन झंझटों से नहीं गुजरना पड़ेगा। उनके लिए ऐसी मशीन आ गई है जो ट्रैक्टर से संचालित होती है। प्रति ट्राली 500 रुपये में खाद बिछडऩे के लेती है।
किसान कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार आदि ने बताया कि उन्होंने कपूरी गांव से इस प्रकार की मशीन मंगवाई थी जो प्रति ट्राली खेत में खाद बिखेरने के लिए 500 रुपये लेती है किंतु जो कार्य कई घंटों में होता था वह चंद मिनटों में पूरा हो जाता है। यही कारण है कि अब किसान एक और जहां अपनी सभी सुविधाएं ढूंढते हैं वहीं कृषि करना आसान बनाता जा रहा हैं। इसे आवश्यकता आविष्कार की जननी कहा जा सकता है
एक ट्राली खाद बिखेरने में 10 से 15 मिनट का समय लेती है और किसान इस मशीन से प्रसन्नचित नजर आते हैं।
जहां विगत महीनों गेहूं की कटाई के समय भी मजदूरों के अभाव में किसानों ने दो प्रकार की मशीनें प्रयोग की थी। एक मशीन कंबाइन हार्वेस्टर नाम से जानी जाती है जो तुरंत ही खेत के गेहूं की खेती से किसान को गेहूं अलग करके दे देती है। करीब एक घंटे में 1 एकड़ से भी अधिक खेत की कटाई कर देती है। वही तत्पश्चात तूड़ी के लिए एक अलग से मशीन आई जिसने खेत में खड़े हुए गेहूं के ठूंठ को तूड़ी में बदला। इस प्रकार किसान आजकल खेतों में पुराने समय में जो कार्य करते थे वो सिमटते जा रहे हैं और किसान आलसी बनता जा रहा है।
फोटो कैप्शन 4: खेत में खाद बिखेरती मशीन।
कनीना से महेंद्रगढ़ रोड को चौड़ा किया जाए
-डंपरों पर लगाम कसने की मांग
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कनीना। कनीना से महेंद्रगढ़ कहने को तो 20 किलोमीटर मार्ग है किंतु सिंगल मार्ग होने की वजह से अब भीड़ बढऩे लगी है। लोगों और समाजसेवियों ने इसे चौड़ा करने की मांग की है।
वाहन चालक महेश कुमार, कुलदीप बोहरा, डा अजीत शर्मा, रवि कुमार, रोहित यादव आदि ने बताया कि जब यह कभी महेंद्रगढ़ काम से जाते हैं तो पूरे रास्ते साइड ले पाना कठिन हो जाता है। उनका कहना है कि भारी संख्या में डंपर चलते हैं। आगे से भी डंपर और पीछे से भी डंपर चलते रहते हैं जो न तो साइड देते और यह रोड जर्जर होने से दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। जहां उन्हाणी के पास सड़क मार्ग पूर्णता क्षतिग्रस्त हो गया है वहीं जगह-जगह गड्ढे बन गये है। गांव बुचावास के पास 152-डी हाइवे गुजर रहा है जहां से 3 किलोमीटर लंबा घुमाव पड़ता है। यहां बारिश के समय पानी भरा रहता है तथा आवागमन में बाधा आती है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि डंपरोंपर लगाम कसी जाए। कोई सड़क मार्ग को चौड़ा किया जाए। उन्होंने कहा महज कनीना से महेंद्रगढ़ मार्ग सिंगल रह गया है बाकी सभी मार्ग लगभग चौड़े हो गए हैं। यह मार्ग कनीना ही नहीं अपितु 35 विभिन्न गांवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण सड़क मार्ग है। इसे चौड़ा किया जाए। यहां तक कि कनीना बस स्टैंड के सामने अटेली-टी प्वांइट तक चार मार्गी बनाने का कार्य भी अभी तक अधर में अटका है जिसके चलते आवागमन में परेशानी हो रही है।
फोटो कैप्शन 5: कनीना-महेंद्रगढ़ मार्ग पर डंपरों का जोर।
मास्क एवं सेनिटाइजर किये वितरित
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कनीना। जिला उपायुक्त एवं जिला रेडक्रास प्रधान के दिशा निर्देश में उपमंडल स्तरीय कोविड जागरूकता अभियान खण्ड शिक्षा अधिकारी सत्यवान सिंह के नेतृत्व में मास्क और सेनिटाइजर वितरित किए गए।
उपमंडल को-आर्डिनेटर अजमेर सिंह दांगी ने बताया कि गाहडा रोड ,रेवाड़ी रोड, अटेली टी-प्वाइंट पर झुग्गी झोपडिय़ों में मास्क और सेनिटाइजर वितरित किए गए तथा कोविड के बारे में जागरूक किया गया। वैक्सीन अवश्य लगवाएं , दो गज की दूरी मास्क है जरूरी का पालन करें। जरूरी होने पर ही बाहर निकले, सामूहिक तौर पर है ताश खेलना, हुक्का पीने से परहेज करें ताकि आमजन को इस महामारी से मुक्ति मिल सके इस मौके पर काऊंसलर रेखा देवी, ओम प्रकाश, सुशील कुमार, शर्मिला डीपी, विनोद कुमार ,देवेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 2: मास्क एवं सेनिटाइजर वितरित करते अजमेर सिंह एवं अन्य।
लाकडाउन में बढ़ा मकान बनाने का सिलसिला
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कनीना। ज्यो-ज्यों लाकडाउन चल रहा है त्यों-त्यों विभिन्न गलियों, मोहल्लों एवं गांवों में चिनाई एवं मकान बनाने का सिलसिला बढ़ा है। एक और जहां पंचायतें भी भंग हैं वही इन कार्यों में तेजी आ गई है। किसी भी गली से गुजरना कठिन हो रहा है चूंकि विभिन्न प्रकार का मकान बनाने का सामान डाल रखा है जिससे परेशानी बढ़ रही है।
वर्तमान में न तो कोई मजदूर फ्री है और न ही मकान बनाने वाला मिस्त्री। अधिकांश मजदूर मिस्त्री अपने राज्यों में लाकडाउन के डर से पहले ही जा चुके हैं। लोकल मिस्त्री और मजदूरों की मांग बढ़ी है। जहां भी जाए चुनाई का काम मिलता है जिसको देखकर लगता है कि लाकडाउन का ला बेहतर ढंग से लाभ उठाया जा रहा है।
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