सेनिटाइजर छिड़काव की मांग
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,कनीना। कनीना के गांव धनौंदा में दर्जनों कोरोना महामारी के केस आने पर ग्रामीणों ने प्रशासन से सेनिटाइजर छिड़कने की मांग की है ताकि गांव में कोरोना को फैलने से रोका जा सके। उक्त मांग करने वालों में गांव के पूर्व सरपंच ठाकुर रतन सिंह पूर्व पंच ठाकुर घनश्याम सिंह पूर्व पंच सुनील कुमार के अलावा अन्य ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि धनौंदा गांव में दर्जनों कोरोना पाजिटिव होने के बावजूद भी अब तक प्रशासन द्वारा सैनिटाइजर नहीं कराया गया लोगों ने प्रशासन से मांग कर सैनिटाइजर कराने की मांग की है।
फल व सैनिटाइजर बांटे
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कनीना। जहां करोना को लेकर देश में कुछ लोग कहीं दवाई तो कहीं आक्सीजन सिलेंडर के अलावा अन्य चीजों को लेकर लूटमार कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर हरियाणा प्रदेश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोरोना में लोगों की सहायता करने वाले स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ व पुलिस की सेवा करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। इसी तरह लोगों में सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक राजबाला इनसो वह उनके पति पूर्व चेयरमैन रामचंद्र इनसो ने कई अस्पताल व पुलिस नाकों पर जाकर फल तथा सैनिटाइजर देकर उनका हौसला अफजाई किया। इस मौके पर राजबाला ने कहा हम यह सेवा आज से नहीं पिछले काफी वर्षों से करते आ रहे हैं क्योंकि हमारे गुरु ने हमें सबसे पहले एक ही बात सिखाई है कि जब भी कोई दुख की घड़ी हो तो हम सबको देश में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना चाहिए क्योंकि हमारा मकसद ही लोगों की सेवा के लिए है वही पूर्व चेयरमैन रामचंद्र यादव ने भी कहा कि आज इस दुख की घड़ी में हमें एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए क्योंकि आज स्वास्थ्य विभाग व पुलिस विभाग लोगों की सेवा में निसंदेह जुटे हुए हैं।
फोटो कैप्शन 6: लोगों को फल बांटते समाजसेवी।
लापरवाही-
पोस्ट आफिस में ग्राहकों की लापरवाही से कहीं बढ़ा ना दे संक्रमण
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कनीना। लाकडाउन के दौरान आमजन के लिए पोस्ट आफिस में काम करवाने की की छूट मिली हुई हैं। जिसमें ग्राहक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कस्बे में कुछ दिन पहले ही पोस्ट आफिस नई जगह कनीना से पूर्व सीपीएस अनीता रोड पर शिफ्ट हुआ है। जिसमें ग्राहक सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। पोस्ट ऑफिस कर्मचारी अपना काम करते हुए नजर आए तो ग्राहक फिजिकल डिस्टेंस बोलकर नियमों की धज्जियां उड़ाते देखे। गुरुवार को पोस्ट आफिस के सामने लंबी लाइन लगने पर पोस्ट आफिस कर्मचारियों ने ग्राहकों को हिदायत देकर खदेडऩा शुरू किया। लेकिन ग्राहक 2 मिनट बाद आकर फिर सामाजिक दूरी भूलकर लाइन में नजदीक खड़े हो गए। पोस्ट आफिस अधिकारी एसपीएम अन्नू यादव ने बताया कि दो-तीन दिन से पोस्ट आफिस नई जगह पर शिफ्ट हुआ है। ग्राहकों को कर्मचारियों द्वारा बार-बार अवगत करवाया जाता है कि मास्क लगाए रखें फिजिकल डिस्टेंस का पालन करें लेकिन ग्राहक फिजिकल डिस्टेंस तोड़ देते हैं। पोस्ट आफिस के बाहर भी लिखा हुआ है कि मास्क पहनकर सोशल डिस्टेंस दूरी को मेंटेन करके ही कार्य करें।
एटीएम एवं बैंकों की भी यही हालात-
उधर एटीएम तथा बैंकों में भी इसी प्रकार की हालात देखने को मिली। भारी भीड़ ग्राहकों का देखने को मिला। यद्यपि कर्मी एवं अधिकारी फिजिकल दूरी बनाए रखने के लिए ग्राहकों को समझाते देखे गये किंतु ग्राहक कब मानने वाले हैं।
फोटो कैप्शन 5: पोस्ट ऑफिस के बाहर सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहक।
अनेकों समस्याएं मुंह बाए खड़ी
- पालिका नहीं कर रही है समाधान
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कनीना। कनीना नगर पालिका के कर्मियों के अकर्मण्यता के चलते पालिका लोगों के लिए समस्या बनती जा रही है। अनेकों समस्याएं मुंह बाए खड़ी है किंतु समाधान नहीं किया जा रहा है।
मिली जानकारी अनुसार हर वर्ष 40 एकड़ जमीन को 1 साल के लिए पट्टे पर छोड़ा जाता है किंतु अभी तक पट्टे पर नहीं छोड़ा गया है। किसान रामकिशन, सुरेंद्र, मामन, बुधराम आदि ने बताया कि हर वर्ष के पट्टे पर जमीन की बोली लगाते किंतु इस बार अभी तक बोली नहीं लगाई गई है। विगत दिनों बारिश भी हो चुकी है फिर भी पट्टे पर जमीन नहीं छोड़ी जा रही है। कर्मियों की अकर्मण्यता के चलते ही ये हालात इस वर्ष देखने को मिल रहे हैं। कनीना कस्बे नगरपालिका के कर्मियों को विगत वर्ष महामारी के जूते चप्पल सेनीटाइजर आदि दिए थे। कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष भी इनको जूते चप्पल सैनिटाइजर आदि दिए जाने हैं किंतु अभी तक कर्मियों काम के प्रति कम रुचि के चलते जूते चप्पल नहीं दिए जा रहे हैं जिसके चलते कर्मियों में रोष है। विगत दिनों भी 23 कर्मियों का 5 माह से वेतन न मिलने से धरना भी चला था परंतु वहां बीच-बचाव एसडीएम ने आकर तनखा निकालने का आश्वासन देने पर वे कर्मी धरने से उठ गए थे। वर्तमान में कनीना कस्बे में अनेकों निर्माण कार्य चल रहे हैं न कोई नक्शा है किंतु कोई बोलने वाला नहीं है। उधर जगह-जगह गलियों में सामान डालकर मार्ग अवरुद्ध किया हुआ है या अवैध वाहन खड़े रहते हैं। देवेंद्र पूर्व फारेस्ट गार्ड ने नगर पालिका में कई बार शिकायत की है कि उनके घर के सामने चार-पांच गाडिय़ां खड़ी होती है जो कि वह मुख्य मार्ग होने से आवागमन बाधित होता है होता है परंतु इन पर गौर नहीं किया जा रहा है।
क्या करते नगर पालिका प्रधान -
सतीश जेलदार नगर पालिका प्रधान ने बताया कि यहां के कर्मी लंबे समय से काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिनभर में एक चालान मास्क का तथा एक चालान पालीथिन का काट कर अपनी हाजिरी सुनिश्चित कर लेते हैं जबकि कितने ही लोगों की समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं जिनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे उच्च अधिकारियों को भी इस संबंध में शिकायत कर चुके हैं जल्द ही इसका समाधान होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि जान बूझकर पालिका प्रधान को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।
कोरोना ने निगले लोग, राशन डिपो धारकों ने निगला राशन, शिकायत
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कनीना। जहां प्रदेश में कोरोना महामारी हजारों लोगों को निगल गई है परंतु केंद्र व प्रदेश सरकार ने गरीब लोगों को कोटा धारकों के माध्यम से राशन देने का कार्य करती है, कोटा धारकों द्वारा राशन को गरीब लोगों को न देकर स्वयं निगल लिये जाने की शिकायत दौंगड़ा गांव के पवन कुमार वह नरेंद्र ने हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को भेजकर की हैं। शिकायत में उन्होंने कहां है कि उनके गांव का डिपो धारक जो प्रधानमंत्री अन्य योजना व प्रदेश सरकार द्वारा इस महामारी में एपीएल और बीपीएल को जो अन्य सामान भेज कर मदद की गई थी उसमें से कुछ सामान देकर कोटा धारक बाकी सामान को हजम कर गये। उन्होंने कोटा धारकों की जांच कर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
7 गांवों में मिले 17 संक्रमित
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कनीना। कनीना क्षेत्र में 7 विभिन्न गांवों से 17 व्यक्ति संक्रमित पाए गए। कोरोना धीरे-धीरे घटता जा रहा है। मिली जानकारी अनुसार भडफ़- एक, कैमला-7 नांगल हरनाथ-3,स्याणा-1, कोटिया-2, सेहलंग-1, सिहोर-2 संक्रमित पाए गए हैं।
एसएमओ धर्मेंद्र यादव का कहना है कि हर इंसान को ऐतिहात के कदम उठाने चाहिए। कोविड के नियमों का पालन करना चाहिए तभी इस महामारी से बचा जा सकता है। उन्होंने नियमित रूप से हाथों को सेनिटाइज करने, मास्क का प्रयोग करने, घर से बाहर न निकलने हाथों में ग्लव्ज पहनने की अपील की है।
52 सैंपल लिए गये
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल से में जहां गुरुवार को लिए 52 सैंपल लिये गये। विस्तृत जानकारी देते हुए डा जितेंद्र मोरवाल ने बताया सैंपल देने वाले लोगों की संख्या घट रही है। गुरुवार को लिये गए सैंपलों की रिपोर्ट 2 दिनों में आने की संभावना है।
45 प्लस के लोगों ने लगवाई 160 डोज
-शुक्रवार को फिर लगेंगी 45 प्लस को डोज
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कनीना। कनीना के नागरिक अस्पताल में 45 प्लस के 200 लोगों कोडोज देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जबकि 160 लोग ही डोज लेने पहुंचे। विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ धर्मेंद्र यादव एसएमओ तथा कंप्यूटर ऑपरेटर पवन कुमार ने बताया 200 लोगों को डोज दी जानी थी किंतु 160 लोग 45 प्लस आयु वर्ग के पहुंचे। शुक्रवार को भी 45 प्लस के लोगों की डोज दी जाएंगी।
उम्रदराज के व्यक्ति ने एकांत में रहकर कोरोना को दी मात
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कनीना। कनीना निवासी एवं प्रसिद्ध समाजसेवी कंवर सिंह( 71) ने कोरोना को बड़ी ही शांतिपूर्वक मात दी है और कोरोना योद्धा बना है। कंवर सिंह 30 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने के लक्षण नजर आये। उन्होंने आरटीपीसीआर करवाया जिसमें कोरोना संक्रमित पाया गया। बुजुर्ग व्यक्ति अक्सर हिम्मत हार जाते हैं किंतु 71 वर्षीय कंवर सिंह ने कोई हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने ट्यूबवेल पर जो घर से करीब 3 किलोमीटर दूर पड़ता है, शाम के समय जाना और पूरी रात वहीं पर बिता कर आराम से सुबह लौट कर आना शुरू कर दिया। बस फिर क्या था चंद दिनों में उन्होंने कोरोना को मात दे दी। अब भी पूर्ण रूप से स्वास्थ्य हैं वे बताते हैं कि वो फोन से न के बराबर बात करते हैं। कोई बहुत जरूरी काम हो तो ही किया किंतु सकारात्मक विचारधारा मन में रखी। 3 किलोमीटर दूर जाने आने से न केवल उनकी एक्सरसाइज हुई अपितु शुद्ध हवा एवं एकांतवास से वे जल्द से जल्द स्वस्थ हो गए।
फोन से दूर रहकर, सकारात्मक विचारधारा मन में रख सफलता मिली है। 3 किलोमीटर दूर जाने आने से न केवल उनकी एक्सरसाइज हुई अपितु शुद्ध हवा भी जंगल की प्राप्त हुई जिसके चलते हुए जल्द से जल्द स्वस्थ हो गए। उन्होंने बताया कि उन्होंने एतिहात के सभी नियमों का पालन किया जिसके चलते वह अब स्वस्थ हो गए। उन्होंने शुद्ध शाकाहारी भोजन, सकारात्मक विचारधारा तथा हिम्मत न हारने की प्रेरणा लोगों से दी है। उनका कहना है कि यदि हिम्मत हार जाता है तो इंसान जिंदगी भी हार सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ थकान थकावट जो काम परेशानी आती जरूर आती है किंतु हिम्मत से मुकाबला करते रहे।
फोटो कैप्शन: कंवर सिंह।
पूरा शिव परिवार हुआ कोरोना संक्रमित
-बच्चों ने अपने परिवार को दिया खाना पीना तथा की सेवा
-कोरोना योद्धा परिवार बनकर नाम कमाया है
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कनीना। कनीना में शिव परिवार के सभी सदस्य कोरोना संक्रमित हो गये किंतु बच्चों ने ही अपने बड़ों को खाना-पीना देखरेख का कार्य तथा समस्त जिम्मेदारी निभाई।
शिव परिवार में शिव कुमार (81) संघ के खंड संचालक हैं, आपातकाल में जेल में रहने पर वर्तमान में पेंशन भी मिल रही है। उनका परिवार शिव परिवार नाम से जाना जाता है क्योंकि उनके पत्नी का नाम भी कैलाशी (पार्वती) है वही उनके पुत्र का नाम गणेश है। इस प्रकार समस्त परिवार का नाम शिव परिवार पर रखे जाने के कारण परिवार को शिव परिवार नाम से जानते हैं। पूरा परिवार कनीना मंडी में पुस्तक विक्रेता का काम करता है जो पूरा ही परिवार कोरोना संक्रमित हो गया किंतु बच्चों ने अपने कंधों पर ऐसे वक्त में जिम्मेदारी संभाल पूरे परिवार की सेवा कर कोरोना को मात दी। परिवार के 6 सदस्य और सभी 6 कोरोना संक्रमित हो गए थे। अब सभी पूर्णतया स्वस्थ है।
10 मई को शिव कुमार अग्रवाल, कैलाशी देवी(76) गणेश(51) तथा गणेश की पत्नी अर्चना देवी(47) को बुखार, खांसी, जुकाम आदि के लक्षण मिले। उन्होने उनके गाजियाबाद में रह रहे पुत्र महेश को फोन पर जानकारी दीे। चूंकि महेश विगत वर्ष कोरोना संक्रमित हो गया था, उन्होंन भाप लेने का यंत्र, आक्सीमीटर तथा अन्य उपकरण भेज दिये। परिवार ने आरटीपीसीआर करवाई जिसमें सभी कोरोना संक्रमित मिले।
शिव कुमार के पौत्र और पौत्री चंदन तथा माधुरी काम में जुट गए। सुबह शाम चाय नाश्ता देना, दोपहर का भोजन आदि करवाना सभी सुविधाएं देना तथा सकारात्मक विचारों से रूबरू करवाने की जिम्मेवारी अपने कंधे पर ली। इस प्रकार उन्होंने सभी ने कोरोना से मात दिलवाई किंतु वे स्वयं भी इस दौरान कोरोना संक्रमित हो गये। भाई बहन चंदन एवं माधुरी ने भी हिम्मत न हार कोरोना को मात दी। इस प्रकार पहले मां बाप की सेवा की और फिर उनकी सेवा लेकर नया उदाहरण पेश किया है।
शिव कुमार तथा उनका परिवार बताता है कि प्रतिदिन सैकड़ों फोन आते हैं पर वे चारों परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग कमरों में रहते हुए काम के फोन उठाते रहे। परिवार फोन पर एक दूसरे को अच्छी अच्छी बातें बताते, खाने पीने, हंसने खेलने की बातें करते तथा आपस में मिलकर जल्द ही कोरोना को मात दे दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल द्वारा दी गई दवाइयां समय पर लेते रहे खट्टे फलों का जूस पिया, प्रभु भक्ति में समय बिताया तथा कुछ भी दिनों में अच्छा खाना खाने के चलते सभी स्वस्थ हो गए हैं। सभी आज काम पर लौट चुके हैं। वो बताते हैं कि गर्म पानी पीना कभी नहीं छोड़ा, भाप लेना, नमक के गरारे करना योगाभ्यास करना जारी रखा। अलग-अलग कमरों में रहते हुए भी अपने दिनचर्या को नहीं भूले जब भी आपस में बातें होती तो सभी एक दूसरे को सकारात्मक बातें बताते जिसके चलते अब रोग से मात देकर कोरोना योद्धा परिवार बनकर उभरा है।
फोटो कैप्शन 2: शिव परिवार कनीना मंडी।
23 वर्षीय लड़की सहेली के पास गई थी नहीं लौटी, गुमशुदगी का मामला दर्ज
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कनीना। कनीना से 23 वर्षीय लड़की अपनी सहेली के पास लैपटाप पर काम करने गई थी किंतु लौटकर नहीं है। कनीना पुलिस में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया है। मामला लड़की के पिता ने दर्ज करवाया है।
शिकायतकर्ता ने कहा है कि उनकी लड़की दूर कालेज से एमएससी कर रही है। लाकडाउन के समय हो घर पर आई हुई थी। बुधवार दोपहर 1:30 बजे घर से यह कह कर गई थी कि वो अपनी सहेली के लैपटाप पर काम करने जा रही हूं और 2 घंटे में वापस आऊंगी किंतु वह वापस नहीं आई, तलाश की गई किंतु नहीं मिली। कनीना पुलिस ने उनकी शिकायत पर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।
अल्टो गाड़ी को ट्रक ने टक्कर मामला दर्ज
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कनीना। कनीना पुलिस में अल्टो गाड़ी के चालक ने मामला दर्ज करवाया है कि पीछे से आने वाले एक ट्रक ने उनकी गाड़ी को टक्कर मार दी जिससे गाड़ी में भारी नुकसान हुआ है। पुलिस में पवन कुमार शिकायतकर्ता ने कहा है कि वह 26 मई को कनीना से बेरली जा रहा था ओपीवाइ स्कूल के पास पीछे से आ रहे ट्रक ने उनके अल्टो गाड़ी को टक्कर मार दी जिससे गाड़ी में नुकसान हुआ। उन्होंने ट्रक चालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है कनीना पुलिस ने कोसली निवासी पवन कुमार की शिकायत पर ट्रक चालक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी है।
कोरोना से लडऩे के लिए शक्तिशाली मानसिक प्रतिरक्षा का होना जरूरी- मनोवैज्ञानिक सूर्यकान्त यादव
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कनीना। रोगप्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की बीमारियों से लडऩे की शक्ति प्रदान करती है। इस क्षमता को बढ़ाने में आहार,व्यायाम और जीवनशैली की मुख्य भूमिका होती है। ये विचार डाइट महेंद्रगढ़ के प्राध्यापक एवं मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अधिकांश लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति न केवल सचेत हैं अपितु उसके रक्षण और संवर्धन के प्रति भी ध्यान दे रहे हैं। नि:सन्देह यह बहुत ही आवश्यक है। लेकिन पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति तभी संभव है जब शारीरिक प्रतिरक्षा के साथ-साथ मानसिक प्रतिरक्षा भी उत्तम हो।
मानसिक प्रतिरक्षा एक ऐसी अवधारणा है जो तनाव,चिन्ता, भय और नकारात्मक भावनाओं आदि से मानसिक स्वास्थ्य की क्षति को उसी प्रकार बचाती है जिस प्रकार शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली विभिन्न बीमारियों से शारीरिक स्वास्थ्य को बचाती है।
मौजूदा समय में कोरोना महामारी से लोगों के बीच में एक असुरक्षा का भाव पनप रहा है, जिसे प्रबंधित किया जाना बहुत ही आवश्यक है जिसके लिए व्यक्ति को अपनी मानसिक प्रतिरक्षा को बहुत ही सुदृढ़ करना होगा। दृढ़- इच्छाशक्ति का निर्माण करना होगा। ध्यान रहे दुनिया में किसी भी वायरस के पास आपकी इच्छाशक्ति खत्म करने की ताकत नहीं है। जिस प्रकार शारीरिक प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए पोषण युक्त भोजन , व्यायाम और विशेष प्रकार की जीवनशैली पर ध्यान दिया जाता है ठीक उसी प्रकार मानसिक प्रतिरक्षा को बढाऩे के लिए भी दृढ़-इच्छाशक्ति और सकारात्मक ऊर्जा के साथ-साथ कुछ बातों का होना जरूरी हैं जिनमें
शारीरिक व्यायाम,मेडिटेशन, प्राणायाम व योगासन को अपने जीवन का हिस्सा बना लें, अत्यधिक रूप से तनाव को अपने ऊपर हावी ना होने दें, आत्म-विश्वास व मनोबल को हमेशा ऊँचा बनाये रखें, व्यवस्थित व नियमित दिनचर्या की अनुपालना करें, विचारों की ओवर-डोज ना लें, मन को स्थिर रखने का प्रयास करें, वास्तविक स्थितियों का विश्लेषण कर उन्हें स्वीकारना सीखिए, अपने आप को भावनात्मक रूप से मजबूत करें, भावनात्मक परिपक्वता का परिचय दें,
भ्रामक व अधूरी जानकारियों से दूर रहें, तथ्यात्मक और वास्तविक जानकारियों पर ही भरोसा करें, साहस एवं पराक्रम से परिपूर्ण साहित्य का अध्ययन करें, किसी प्रशिक्षित काउंसलर की मदद से रिलेक्ससेशन थरेपी को सीखें।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत यादव।
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हास्य व्यंग्य
इंसानों ने पैदा किये हैं मच्छर
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-हो
-होशियार सिंह यादव--
तोप तलवार ले रहे, मच्छर देखो आये।
बैंड बजा बजाकर इंसान को काट खाये।।
एक वक्त था जब एनाफिलीज और क्यूलेक्स मच्छर को ही जानते थे किंतु अब मच्छरों की प्रकार भी बढ़ती जा रही है। अब तो डेंगू मच्छर/एडीज भी सामने आया हैं तथा कई और किस्मे खोजी जा रही हैं।
अक्सर सुना होगा मच्छर पानी में पैदा होते हैं लेकिन वास्तव में मच्छरों को पैदा करने वाला और कोई नहीं अपितु इंसान होता है। इंसान ने मच्छर पैदा किए हैं। आज से करीब 50 वर्ष पहले बुजुर्ग बताते हैं कि उनके यहां खुले कुएं होते थे जिनमें झांकने पर पानी दिखाई देता था। पानी खींचने के लिए ढोल और भरी एवं चकली होती थी। पानी बड़ी मुश्किल से खींचते थे, न फव्वारा थे और ना ही बिजली का कनेक्शन था या तो चड़स द्वारा पानी खींचा जाता था और बहुत कम पानी होता था। हर घर में ढोल और भरी होती थी किंतु उस समय मच्छर नहीं थे क्योंकि आज भी पढ़ते हैं मच्छर वहां मिलते हैं जहां पानी होता है।
जब कभी बारिश होती थी तो मच्छर मिलते थे। बाकी समय मच्छर ढूंढे नहीं मिलते थे किंतु इंसान ने विज्ञान का सहारा लेकर न केवल ढोल भरी और खुले कुओं को खो दिया अपितु औरतें द्वारा भरना घरों में घड़ा, टोकनी, बंटा आदि सब गायब कर दिये। अब तो रस्सा,रस्सी तथा भरी सभी खत्म है। यही कारण है कि कुछ केस फांसी के सुनने में मिलते हैं उनमें चुन्नी प्रयोग की जाती है। ऐसे में न तो पुराने समय की कोई चीज बची है औरन बच पाएगी। अब तो बटन दबाते ही पानी बाहर आता है। यही कारण है कि आलसी लोग होने के कारण रोग बढ़ गए हैं। मच्छरों ने आलसी लोगों का लाभ उठाया, पानी की भरमार हो गई। एक वक्त था जब नालियों में पानी दिखाई नहीं देता था आज नालियां दिन भर तो दूर रात के 12 बजे भी बहती नजर आती हैं। इसका मतलब है इंसान ने पानी बर्बादी बढ़ा दी है वही मच्छर भी इंसान के कारण पनपते ही जा रहे हैं। वास्तव में पानी के लिए लोग अवैध रूप से नल लगा लेते हैं यहां तक कि मोटे मोटे सप्लाई लाइन छेदकर पानी का कनेक्शन रातोंरात ले लेते हैं। यही कारण है कि मच्छर इंसान ने पैदा किए परंतु पानी की बर्बादी भी इंसान ने पैदा कर दी है।
इंसान कर रहा पैदा, अपनी खातिर मौत।
खाने पीने में करता जन, केवल देखो पोत।।
पानी का स्रोत जहां एसी और कूलर भी बन गए हैं। आज एसी और कूलर भी साफ सफाई करने जरूरी होते हैं, जहां मच्छर पनपते हैं। परंतु आज से 50 साल पहले अधिकांश घर कच्ची ईंटों के बने होते थे और छतें भी कच्ची होती थी। जब बारिश होती तो धड़ाम धड़ाम दीवारें गिर जाती थी। उस जमाने में लोग कठिन जीवन जीते थे। एसी एवं कूलर होते ही नहीं थे तो मच्छर कहां से से पैदा होंगे। यूं कहे कि मच्छर भी इंसान ने पैदा कर दिए तो गलत नहीं होगा। पुराने समय में कहावत थी-जो सुख छज्जू के चौबारे वो ना बलख के बुखारे। और कच्चे घरों पर भी चौबारे होते थे। इनका नाम मेड़ी रखा जाता था। किसी एकाध घर में ही मेड़ी पाई जाती थी। कच्चे घर पर सीढ़ी लगाकर मेड़ी तक पहुंचा जाता था। मेड़ी तक सीढ़ी लगाकर जाते थे। घर में आई दुल्हन इसका आनंद लेती थी। शुद्ध हवा आती थी, पेड़ पौधे अधिक होते थे आजकल हवा शुद्ध हवा के लिए चिल्लाते हैं। अस्पतालों में आक्सीजन का अभाव पुराने समय में नहीं झलकता था। पेड़ों को काट लिया मच्छरों को पनाह दी, पानी की बर्बादी कर दी, सरकार को नुकसान पहुंचाया और मच्छर अब तो बीन बजाते नजर आते हैं। पहले जब मच्छर काटता था तो गीत सुनाता था तब गीत नहीं बीन सुनाते हैं पर बीन के लहरे पर इंसान नाचते हैं। वास्तव में इंसान मच्छरों को इतना अधिक पनाह दे दिया कि मच्छर ही मच्छर नजर आते हैं। रात को नहीं सोने देते, ऐश और आराम छीना हुआ है। जहां भी देखे मच्छरों की चर्चा चलती है। मच्छर सबसे खतरनाक जानवर है जिसमें तलवार से भी अधिक ताकत होती है। मच्छरों से बचाव जिंदगी बचाओ पानी बचाओ, पेड़ पौधे लगाओ, यही हमारे जीवन का सार है।
बीन बजा रहे देखो मच्छर,नृत्य कर रहे लोग।
मच्छर मौका देख काटते, हो जाते हैं रोग।।
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