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Monday, May 24, 2021

 5 माह से कर्मियों को वेतन न मिलने पर बैठे अनिश्चितकालीन धरने पर
-नपा के 23 कर्मचारी वेतन से हैं वंचित
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 कनीना। विगत करीब 5 महीनों से 23 विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों को उनका वेतन न मिलने के कारण सोमवार से नगरपालिका कार्यालय के भूमिगत तल में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। ये कर्मचारी सफाई कर्मचारी, माली, टेंपो चालक आदि कुल मिलाकर 23 हैं। जिला नगर उपायुक्त तक भी मामला पहुंचा हुआ है तथा उन्होंने भी वेतन निकालने का मौखिक आदेश दिया हुआ है। कर्मियों के वेतन को लेकर विगत दिनों हाउस  मीटिंग भी हुई थी जिसमें सभी पार्षदों ने सर्वसम्मति से वेतन देने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया है।
धरने पर बैठे प्रदीप यादव, विक्की दरोगा, ढि़ल्लू राम, प्रमोद, प्रवीण कुमार, सोनू, प्रदीप कुमार, सचिन, राज कुमार, अजय कुमार, शिव कुमार, जितेंद्र, कैलाश, पूनम, ममता, विद्यानंद, केशव पुरुषोत्तम आदि ने बताया कि जनवरी माह से अब तक उनको वेतन नहीं मिला है। वे लगातार जी जान से अपने काम में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि डेढ़ साल से उनको पीएफ भी नहीं दिया गया है तथा कोरोना के चलते किसी प्रकार का मास्क सेनीटाइजर आदि कोरोना से सुरक्षा का सामान नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि वे सभी  अधिकारियों से मिल चुके हैं बस उनको एक एक दिन पर टरकायेे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे अब अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए, जब तक उनका वेतन नहीं दिया जाएगा वे  धरने पर बैठे रहेंगे।
कर्मियों ने बताया कि वे इस संबंध में सचिव से मिले थे उन्होंने भी एमएलए के पास जाने का आदेश दिया है। जब इस संबंध में नगर पालिका सचिव नवीन पांडेय से फोन पर बार बार संपर्क साधा तो उन्होंने फोन तक नहीं दठाया।
उधर इस संबंध में इनको वेतन दिए जाने को लेकर के नपा पार्षदों की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया गया है साथ में यह भी शर्त लगाई थी कि यदि सभी कर्मी काम पर नहीं आते तो सभी शर्षद इस्तीफा देंगे। इस संबंध में एक ज्ञापन भी डीएमसी सहित उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दिया है।
उधर इस संबंध में जब पालिका प्रधान सतीश जेलदार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वेतन निकालने का कार्य सचिव का होता है। उन्होंने रोष भरे लहजे में कहा कि सचिव, जेई तथा एमई विगत लंबे समय से कार्यालय में नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि वर्तमान सचिव पर उन्होंने आरोप लगाया कि जबसे उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया है दो बैठक आयोजित की गई किंतु दोनों में ही अनुपस्थित रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे कर्मियों का वेतन निकालने के लिए कटिबद्ध है। इस संबंध में वे डीएमसी से भी मिले हैं। उन्होंने इन कर्मियों की संपूर्ण जानकारी देते हुए वेतन निकालने की बात कही थी किंतु इतना होते हुए भी बात जस की तस है। नगर पालिका प्रधान का कहना है कि जब हाउस मीटिंग में इनका वेतन निकालने का प्रस्ताव पारित कर दिया है तो इसे किस सचिव या अन्य कोई अधिकारी क्यों रोक रहे हैं? उन्होंने कहा कि इन कर्मियों की अविलंब वेतन देने की देने के लिए कटिबद्ध है किंतु जब तक सचिव काम पर लौट कर इनकी वेतन नहीं तब तक वेतन निकालना असंभव लग रहा है। उधर धरने पर बैठे कर्मियों ने कहा कि अब वे करो या मरो की नीति पर चलेंगे जब तक वेतन नहीं तब तक धरने पर बैठे रहेंगे।
इस संबंध में विधायक सीताराम यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि पालिका की ओर से सचिव की शिकायत उन्हें तथा मुख्यमंत्री को भेजी जा चुकी है। वे हर संभव प्रयास कर जल्द से जल्द समस्या समाधान कर इन कर्मियों का वेतन दिलवाएंगे चाहे मुख्यमंत्री तक क्यों न जाना पड़े? उन्होंने कहा कि सचिव की शिकायत मिल चुकी है। वे जल्द ही मुख्यमंत्री से बात करके इनका तबादला करवाने का प्रयास करेंगे।
वेतन देने में क्या है रुकावट-
  मिली जानकारी अनुसार ये कर्मी आउटसोर्सिंग /डीसी रेट पर लगाये जाते हें जिनकी अनुमति हर वर्ष लेनी पड़ती है। इनको एक वर्ष पूरा हो चुका है किंतु मंजूरी नहीं मिली है। सरकार का आदेश है कि नई नियुक्ति न की जाये किंतु ये कर्मी तो पुराने है बस वेतन एवं आगे रखे जाने की मंजूरी लेनी होती है। पालिका प्रधान का कहना है कि मानसून के चलते कुछ कर्मी अतिरिक्त लगाकर साफ सफाई करके कस्बे को बारिश से बचाने के प्रयास करने पड़ते हैं। पहले ही आबादी के हिसाब से 20 कर्मी कम लगे हुये हैं।
फोटो कैप्शन 11: धरने पर बैठे विभिन्न कर्मी साथ में पालिका प्रधान सतीश जैलदार।







युवक की दर्दनाक मौत के बाद समूचे परिवार ने कराया को टेस्ट
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कनीना। गांव कैमला में कोरोना महामारी से हुई एक युवक की मृत्यु के पश्चात उसके परिजनों ने कोरोना टेस्ट कराया। उक्त आशय की जानकारी भाजपा के वरिष्ठ नेता अतर सिंह कैमला ने देते हुए बताया कि 2 दिन पूर्व मेरे भतीजे की महामारी से दर्दनाक मौत हो गई थी जिसको लेकर सोमवार को समूचे परिवार का कोरोना टेस्ट कराया है तथा उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि  इस महामारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए हम जैसा कोई हादसा किसी के साथ न हो सके।
फोटो कैप्शन 8: कैमला में आरटी-पीसीआर टेस्ट करती टीम।







इसराना में घर-घर जाकर जांचा आक्सीजन लेवल
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,कनीना। नेहरू युवा केंद्र नारनौल और आजाद युवा समिति  ईसराना के संयुक्त तत्वावधान में नेहरू युवा केंद्र स्वयंसेवक गीता व कार्तिकेय सहित युवा समिति के सदस्यों ने गांव इसराना में घर घर जाकर लोगों का आक्सीजन लेवल चेक किया।
नेहरू युवा केंद्र के स्वयंसेवक कोरोना महामारी  दौरान लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं स्वयं सेवक कार्तिकेय ने लोगों को मास्क के सही उपयोग एवं महामारी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अवगत कराया साथ साथ  युवाओं को बड़े पैमाने पर टीका लगवाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। यह कार्यक्रम नेहरू युवा केंद्र नारनौल के मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है
नेहरू युवा केंद्र के अधिकारी युवा समन्वयक महेंद्र कुमार नायक व लेखाकार महेंद्र सिंह लगातार स्वयंसेवकों को उचित दिशा निर्देश देकर जागरूकता अभियान चलाए हुए हैं।
 कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर, युवा समिति सहित अन्य युवा सहयोग कर रहे हैं
इस दौरान. विक्रम ,शर्मिला, मोहित इसराना,चेतन, नवीन ,चंद्रपाल,मुकेंद्र,अंकित, आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 9: ईसराणा में आक्सीजन लेवल चेक करते समाजसेवी।






मंगलवार को लगेंगी पावर हाउस कर्मियों को डोज
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 कनीना। मंगलवार को 147 विभिन्न आयुवर्ग के पावर हाउस कर्मियों को डोज दी जाएंगी। कनीना सब-डिवीजन के तहत आने वाले सभी प्रकार के पावर हाउस कर्मी शामिल किए गए हैं जिनकी सूचि उप नागरिक अस्पताल में उपलब्ध है।
 विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव तथा कंप्यूटर आपरेटर पवन कुमार ने बताया कि पहले यह सेशन 18 से 44 आयु वर्ग के युवाओं के लिए निर्धारित किया गया था किंतु उच्च आदेश आने के चलते अब विभिन्न आयु वर्ग के 147 पावर हाउस कर्मियों को ही यह कोरोनारोधी टीका दिया जाएगा।






दुकानों के ओड ओर इवन नंबर दिए गए
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 कनीना। कनीना के बस स्टैंड पर विभिन्न दुकानों के ओड और इवन नंबर आवंटित कर दिए गए है।
 मिली जानकारी के अनुसार एक दुकान एक नंबर तो दूसरी दुकान दो नंबर निर्धारित कर दिया गया हैं। जिला उपायुक्त और सरकार के आदेश अनुसार ओड और इवन का फार्मूला अपनाते हुए दुकान खुला करेंगी। एसडीएम दिनेश कुमार के निर्देशानुसार विभिन्न दुकानों के नंबर आवंटित कर दिए गए हैं, आवश्यक सेवाओं की दुकानें पहले से ही खुली हुई है। सोमवार को एक बार सभी दुकानें खुली किंतु पुलिस प्रशासन ने सभी को बंद करवा दिया था। यह ओड ओर इवन फार्मूला यद्यपि सोमवार से लागू हो गया है किंतु मंगलवार से विधिवत रूप से चलने की उम्मीद है।






160 डोज उम्रदराज के लोगों को लगाई
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 कनीना। कनीना उप-नागरिक अस्पताल में सोमवार को 160 डोज 45 प्लस के लोगों को लगाई गई। मंगलवार को 18-44 आयु वर्ग के 200 युवाओं को दी जाएगी जिसके लिए रजिस्ट्रेशन आनलाइन करना होता है। विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डाक्टर देवेंद्र यादव तथा कंप्यूटर आपरेटर पवन कुमार ने बताया कि लंबे समय से 45 प्लस के लोगों की डोज लगाने की मांग चल रही थी जिसके चलते 160 डोज 45 प्लस तथा 60 प्लस को दी गई। उन्होंने बताया कि मंगलवार को 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए डोज दी जाएंगी। यही भोजावास तथा मुंडिया खेड़ा में भी 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन दी जाएंगी।






गांव रामबास में सैनिटाइजर का किया छिड़काव
-गांव में बना हुआ है आइसोलेशन सेंटर
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 कनीना। उप-मंडल कनीना के गांव रामबास में सोमवार के दिन सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया। वेद प्रकाश नंबरदार की देखरेख में यह कार्य पूर्ण किया गया। वेद प्रकाश नंबरदार ने बताया कि सरकार के आदेशानुसार तथा एसडीएम दिनेश कुमार, देवेंद्र कुमार पटवारी, जोगेंद्र सिंह ग्राम सचिव के दिशा निर्देशानुसार गांव में आइसोलेशन सेंटर बना हुआ है।
गांव में दूर ढानियों तक भी लोग बसे हुए हैं। ऐसे में महामारी से बचने के गलियों, मोहल्लों में दवा का छिड़काव किया गया। उन्होंने कहा कि महामारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है जिसके चलते गांव को सैनिटाइज करने की जरूरत समझी जा रही थी। उन्होंने कहा कि सरकार की गाइडलाइन का जरूर पालन करें। हाथों को सेनिटाइजर से बार-बार धोये, ग्लव्ज पहने, 2 गज की दूरी बनाए तथा हो सके इधर-उधर न घूमे। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को वैक्सीन लगवानी चाहिए। इस मौके पर पूर्व सरपंच माया देवी, विक्रम सिंह, धर्मपाल, सुनीता देवी, रमेश कुमार चौकीदार, कपिल निंबल, ज्ञानेश्वर निंबल, रिंकू, कृष्ण आदि जन मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 5: गलियों को सैनिटाइज करते हुए ग्रामवासी एवं वेद प्रकाश नंबरदार।








कैसे आएगा कोरोना?
 खेतों में पेड़ पौधों की देखरेख कर रहे हैं दो किसान भाई
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 कनीना। कनीना कस्बा निवासी राजेंद्र सिंह और उनका भाई सूबे  सिंह जहां कनीना से दूर 3 किलोमीटर दूर खेतों में रहते हैं तथा इस समय उन्होंने विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे उगा रखे हैं। जो दिन भर अपने पेड़ पौधों की
देखरेख में व्यस्त रहते हैं। न केवल विभिन्न हरी सब्जियां उगा रखी है अपितु आम, चीकू, जामुन नींबू आदि भी उगा रखे हैं जिनकी दिन-रात देखभाल करते रहते हैं। दोनों भाइयों ने बताया कि उनके पास कोई फुर्सत नहीं होती। यही कारण है कि अपने काम में मस्त रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय भारी मात्रा में आम,चीकू व नींबू लगे हुए हैं। कोरोना से बचने के लिए पूरा परिवार ताजा फल और नींबू आदि का प्रयोग करते हुए जीवन जी रहे हैं। उनका कहना है कि न तो वे कस्बे में जा रहे हैं और न कस्बे के लोग उन तक आ रहे हैं। इसलिए उनका कहना है कि अब देखना है कि कोरोना कैसे आएगा?
कोरोना से सबक लेकर कर रहे हैं पौधों की सेवा--
उल्लेखनीय है कि राजेंद्र सिंह को विगत दिनों कोरोना हो गया था जिससे उन्होंने यह सबक लेकर यह विधि अपनाई है। राजेंद्र सिंह पहले कनीना कस्बा में प्रैक्टिस किया करते थे जिसके चलते कोरोना संक्रमित हो गए थे किंतु अब वे रोग से  मुक्तक हो गये हैं और लोगों को शिक्षा दे रहे हैं कि भीड़ में न घूमो।
 फोटो कैप्शन 7: चीकू पौधों की सेवा करते किसान राजेंद्र सिंह।





पर्यावरण को संरक्षित करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी- नवीन कौशिक
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कनीना।पर्यावरण संरक्षण के लिए एक और अनेक बुद्धिजीवी व सामाजिक वर्ग के लोग लगातार प्रयासरत हैं वही दूसरी तरफ मानव अपने अल्प लाभ के लिए हरे भरे पेड़ो की अंधाधुंध कटाई करवा रहा है जो प्रकृति के साथ खिलवाड़ है। जब जब भी किसी ने प्रकृति से छेड़छाड़ की मानव जीवन में अनेकों बीमारियों से ग्रस्त हुआ है और किसी महामारी ने भयंकर रूप धारण कर मानवता को प्रभावित किया है। इसलिए जितना हो सके पेड़ पौधों का संरक्षण करें।
 ये विचार सामाजिक संस्था बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल के अध्यक्ष नवीन कौशिक समाजसेवी ने व्यक्त किये जो लगातार पर्यावरण को बचाने में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि हर रोज हरे पेड़ो की कटाई की जा रही हैं और गाडिय़ों में भरकर लोग प्रशासन की नाक के नीचे से इन पेड़ों को मंडियों में बेच देते हैं। अगर वन विभाग और पुलिस प्रशासन इन लोगों पर कोई सख्त कार्यवाही करें तो कुछ हद तक हरे पेड़ो की कटाई पर रोक लग सकती है। हमारे आस पास जितने भी जंगल, गौचर भूमि, बणी आदि थे सभी में हरियाली छाई रहती थी लेकिन धीरे धीरे सब हरियाली गायब हो गई क्योंकि इनके साथ लगते गांव के लोगों ने उन्हें काट कर जला दिया, जिस वजह से बारिश भी कम होती है और बीमारियां पनपती हैं। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो निश्चित ही मानव अपने पतन का कारण खुद बनेगा।
उन्होंने बताया कि जून जुलाई में जैसे ही बारिश शुरू होती है हम पौधे वितरण का कार्य शुरू कर देते हैं। इन पौधों को संस्था खुद अपनी नर्सरी में तैयार कर लोगों तक पहुंचाती है और उनको संरक्षित करने के बारे में बताया जाता है।
फोटो कैप्शन  6: नर्सरी लगाकर पौधे वितरण करी तैयारी करते नवीन कौशिक।








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हास्य व्यंग्य
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नर-नारी और व्यापारी, करो घूंघट की तैयारी
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कनीना। नर-नारी और व्यापारी, कर लो घूंघट की तैयारी,
जान लगे अगर प्यारी, कर लो घूंघट की तैयारी।।
वैसे तो मास्क बहुत लाभप्रद साबित हो रहा है कोरोना जैसा रोग बुजुर्गों ने अपने जीवन में पहली बार सुना होगा। चाहे लोग चीन की बुहान लैब की उपज कहे या फिर तृतीय जैव युद्ध कहे किंतु इस अजीब वायरस ने कितने ही लोगों को बर्बाद कर दिया, कितनों की जान चली गई किंतु  ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मास्क प्रयोग करने में गुरेज करते  हैं। तरह तरह के ताने दिये जाते हैं। इस मास्क को
अक्सर लोग कहते सुनी है कि घूंघट कर लो। इसका मतलब यह नहीं कि तुम औरत हो और तुमने पल्लू सिर पर डाल रखा है अपितु घूंघट करने का अर्थ होता है मास्क लगा लो। यह भी सत्य है कि महिलाओं को मास्क लगाने की कम जरूरत पड़ती है क्योंकि वैसे तो औरत अक्सर घूंघट में रहती है और घूंघट तो बहुत बड़ी चीज है। बेशक कलियुग में घूंघट हटाने पर महिलाएं तुली हैं और घूंघट करना उचित नहीं मानती। परंतु वो युग याद आता है जब हर औरत घूंघट में रहती थी। जो पूरे शरीर को ढकती थी वे शायद सैकड़ों वर्षों के आगे के इस रोग के बारे में जानकारी देती नजर आती थी। बुजुर्ग धोती पहनते हैं यहां तक की धोती से ही मास्क बना लेते हैं, अपने मुंह पर धोती लपेट लेते हैं। मास्क कुछ जातियों में कुछ धर्मों में विशेष रूप से पहनी जाती है जो कीटों को शरीर में जाने से रोकती है।
मास्क जब हमें रोगों से बचाती है तो प्रयोग करने में कोई बुराई नहीं है किंतु लोग मास्क भारी-भरकम वजन की इस चीज से भी तंग है। वे मास्क को हनुमान जी वाला पहाड़ मानते हैं और लगाने से भी डरते हैं ।
मास्क जान बचाती है, मास्क करो प्रयोग।
मास्क कीटों से बचाए, और बचाये रोग।।
हल्की सी मास्क है, ये कोई पहाड़ नही।
भूल गये लगाना तो, जिंदगी जाएगी कहीं।।
एक दिन के बात है जब मैं अपनी साइकिल पर जा रहा था, भीड़ ज्यादा थी। सड़क पार करनी थी तभी एक बस में भारी संख्या में लोग बैठे जा रहे थे। बस मरे सामने आ खड़ी हुई और क्रासिंग का इंतजार कर रही थी। उस बस से एक बच्चा खिड़की से झांक रहा था और पहले तो मुझे देखकर हँसा और फिर जोर से कहा- बाबा, क्यों डर रहे हो। रोग वोग कुछ नहीं है। मास्क और सिर पर पग्गड़ क्यों बांध रखा है। देख मैंने भी कुछ नहीं लगा रखा, कुछ नहीं होगा। मुझे बच्चे की बात पर शर्म आई कि इस बच्चे को क्या कहूं?
  हमारा दुर्भाग्य था। जहां मुझे बड़ा फील हुआ। क्यों लोग खुद तो कुछ करते नहीं और दूसरे को करने नहीं देते, उस बच्चे की बात सुनकर मैं चकित था कि खुद तो मास्क नहीं लगा रखा और हमें लगाने से मना करता है। खैर वह बस निकल गई, मुझे जैसे तैसे रास्ता मिला। सोचता ही चला गया। गत वर्ष जो रोग को झूठ बता रहे थे जब उन पर आ पड़ी तो दुहाई दे रहे हैं। टीके को नकली या रोग फैलाने में कारगर बता रहे थे वो आग टीका लगवाने के लिए लाइनों में खड़े हैं। यह है युवा भारत की सोच।
 लोग मास्क से छुटकारा पाना चाहते हैं और यही कारण है कि बहुत से तो लोग जिंदगी से छुटकारा पा गए, उनमें कुछ निर्दोष थे कुछ दोषी थे। कुछ मास्क न लगाने वाले दूसरों को मार रहे हैं। मास्क न लगाने वाले अपराधी हैं उन्हें पकड़ पकड़कर पीटा जाये तो कम है।
जब एक छोटे से कपड़े से हमारी जिंदगी बच सकती है तो जिंदगी बड़ी या यह कपड़ा बड़ा? दुर्भाग्य है देश में सरकार बढिय़ा फैसले लेती हैं लेकिन कुछ सिरफिरे न तो खुद करते और नहीं दूसरे को कुछ करने देते। ऐसे में हमें तो वह लोग बेहतर लगे जो घूंघट कह कर कम से कम मास्क तो लगा लेते हैं।
  मास्क नहीं लगाया चले गये, दे गये दर्द जहान।
 मास्क जीवनदायिनी, अब तो जाग, ले पहचान।।
मरना है तो मर जाओ, पर मास्क जरूर लगाओ।
जीवन जन का कीमती, इसे को जरूर बचाओ।।
मुझे याद है सरसों कटाई के दिनों की जब सड़क किनारे कुछ लोग मिले कोई थूक रहा था तो कोई नाक निकाल रहा था। पूछा कि क्या हुआ? तो उन्होंने बताया कुछ काले रंग के कीट सरसों से निकलकर उनकी आंखों व नाकों में चले गए। अगर मास्क होता तो ये जीव कैसे घुस जाते? कितनी अच्छी बात बताई है कि कपड़ा मुंह पर ढक लो अनेकों बीमारियों से पीछा छूट जाता है तो क्यों नहीं समाज को बताओ, घूंघट करो और कराओ।।
बचा ले जान, लगा ले मास्क, यह नहीं है पहाड़।
रोग कोरोना फैल रहा है, ले ले मास्क की आड़।।
खुद तो मरने जा रहे, औरों को क्यों मार रहे।
मास्क जरूरी मान ले, होशियार सिंह ये कहे।।








13 विभिन्न गांवों में मिले 23 कोरोना संक्रमित
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कनीना। 13 विभिन्न गांवों में 23  कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। कनीना क्षेत्र में कोरोना संक्रमित दिन प्रतिदिन कम होने लगे हैं। पाये गये संक्रमितों में भोजावास-7, कनीना-3, नौताना-2, धनौंदा, पाथेड़ा, नांगल, रसूलपुर, ढ़ाणा, बाघोत, दौंगड़ा अहीर, रामबास, करीरा एवं सिहोर में एक-एक कोरोना संक्रमित केस मिले हैं। एसएमओ धर्मेंद्र यादव का कहना है कि हर इंसान को ऐतिहात के कदम उठाने चाहिए। कोविड के नियमों का पालन करना चाहिए तभी इस महामारी से बचा जा सकता है। उन्होंने नियमित रूप से हाथों को सेनिटाइज करने, मास्क का प्रयोग करने, घर से बाहर न निकलने हाथों में ग्लव्ज पहनने की अपील की है।









एक बार सभी दुकानें खुली
-पुलिस ने करवाई बंद
-दुकानदार बैठे रहे दुकानों के बाहर
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कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां लाकडाउन की अवधि बढ़ाने के बाद सोमवार को सुबह सभी दुकानदार दुकानें खोल कर सामान बेचने के लिए तैयार हो गए किंतु कनीना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दुकानें बंद करवाई। केवल आवश्यक सेवाओं की दुकानें खुली रहीं परंतु दुकानदार भी दुकानों के बाहर बैठे दिखाई दिये। लंबे समय तक उनके समझ नहीं आया कि आड ईवन का नियम पालन होगा या नहीं? न ही दुकानों के बाहर दुकानों के कोई नंबर डाले गये।
विदित है कि विगत दिनों कनीना पुलिस ने दुकान खोल कर सामान बेचने वाले दुकानदारों के चालान भी काटे थे। किंतु दुकानदार यही नहीं समझ पाए कि कौन सी दुकान खुलेगी कौन सी नहीं?
 उधर शिव कुमार, दिनेश, महेश, पवन आदि ने बताया कि वे दिनभर समझ नहीं पाये कि कौन सी दुकान खोली जाएंगी। यद्यपि पुलिस ने सभी दुकानें बंद करवा दी, डाक्टर, बीज विक्रेता,मेडिकल स्टोर आदि की दुकानें खुली रही।
उधर कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार से इस संबंध में बात की उन्होंने बताया कि उनके पास अभी तक कोई ऐसा संदेश नहीं आया है। सभी संदेश नगर पालिका सचिव के पास आते किंतु सचिव लंबे समय से कार्यालय नहीं आ रहा है और ना ही कोई संपर्क कर रहा है। ऐसे में दुकानदार दिन भर परेशान नजर आए।













नहीं सुधर रहे हैं लोग, खुद ही करना पड़ता है प्रबंध
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में बेशक पुलिस और प्रशासन कोरोना के दृष्टिगत कितनी भी सख्ती बरतें परंतु लोग मानने वाले नहीं है। मोटरसाइकिल एवं वाहनों पर रात को, सुबह सवेरे हर समय लोग घूमते नजर आते हैं। यहां तक कि मास्क भी प्रयोग नहीं करते। दुर्भाग्य है कि एक ओर कोरोना को हराने के लिए सरकार और प्रशासन जी जान से जुटे हुए हैं किंतु ये लोग सरकार और प्रशासन को पीछे धकेलने में जुटे हुए हैं। जहां भी देखें दुकानों के बाहर फल
एवं सब्जी की दुकानों के बाहर लोग देखे जा सकते हैं। ऐसे में अपनी सुरक्षा अपने हाथ ही बन गई है। राजेश कुमार का कहना है कि जहां भी जाते हैं उन्हें लोगों के मुंह पर मास्क नजर नहीं आता। वह उनको काफी समझाते हैं किंतु लोग समझ नहीं पाते। ऐसे में वे अपना स्वयं ख्याल करते हैं ।उन्होंने बताया कि वे अब दो मास्क लगाने लग गए हैं।
दिनेश कुमार का कहना है कि लोगों को बिना मास्क देखकर दुखी है। उनका कहना है मास्क प्रयोग करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं तो अपनी चुन्नी जैसे कपड़े को ही मास्क बनाए रखती है वहीं बूढ़े बुजुर्ग धोती को प्रयोग कर रहे हैं किंतु युवा पीढ़ी जानबूझकर मास्क प्रयोग नहीं करती। दूसरे राज्य से रह रहे लोग तो प्रशासन को कुछ भी नहीं मानते। उन्होंने सरकार से प्रशासन से मांग की है कि गलियों में भी चक्कर लगाए जाए और नियमों का पालन नहीं करते उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

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