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Sunday, May 9, 2021

 

महामारी पर विजय पाने के लिए बढ़ाया जाए सरपंचों का कार्यकाल
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कनीना।  कोविड-19 के विकराल रूप को देखते हुए प्रदेश के सरपंचों का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ाया जाए तथा उनसे कोरोना भगाने के लिए श्रेष्ठ योगदान लेना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना फैलने के पीछे गांवों में सरपंचों कीीी शक्ति क्षीण होना एक कारण माना जाता है। कोविड-19 ने विकराल रूप धारण कर अपने पैर हर गली, मोहल्ला तथा गांव तक पसार लिए हैं। कोरोना की विगत वर्ष की पहली लहर में सभी गांवों के सरपंचो ने बड़ी मुस्तैदी से अपने अपने गांव के सभी रास्तों पर ठीकरी पहरे लगाकर ,बाहर से आने वाले किसी भी कर्मचारी या अनजान व्यक्ति को गांव में आने से रोक कर कोरोना जैसे भयंकर रोग को गांव से दूर रखा लेकिन अबकी बार दूसरी लहर में गांवों में किसी प्रकार की सुरक्षा दिखाई नही दे रही हैं जिससे गांव में बीमारी फैलने का डर बना हुआ है। सरपंच भी अपना कार्य काल खत्म होता देख अपना फर्ज इतने जवाबदेही से नहीं निभा पा रहे है।
  यहां कुलदीप बोहरा, महेश कुमार, सुनील कुमार आदि ने कहा है कि सरकार को चाहिए कि सरपंचों के कार्य काल को अगले एक साल के लिए बढ़ा देना चाहिए ताकि सरपंच अपनी पूरी टीम के साथ पूरी जवाबदेही से अपना फर्ज निभा सके। महामारी के इस समय में आगामी कई महीनों तक सरपंच चुनाव होना संभव नही है अत: सरकार को बगैर देरी किए सरपंचों का कार्य काल बढ़ाना चाहिए ताकि महामारी से लडऩे में सरपंच अपना पूरा योगदान दे सके। इससे  सब महामारी के कठिन दौर से गुजर जाएंगे , ऐसे समय में हम आप सब को संयम, धैर्य, हिम्मत तथा हौसले से लड़ाई लडऩी है। गांवों में कोरोना से निपटने के लिए  कुछ आर्थिक मदद  देकर सेनिटाइजर छिड़कवाना चाहिए।




व्यंग्य
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अब अध्यापक घर घर जाकर किसानों की भैंस बिवाएंगे
-अब शिक्षकों का नया नाम पड़ेगा मूसलचंद
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           व्यंग्य समाचार
कनीना। पुलिस वाले पढ़ाते हुए नहीं देखे, न ही डाक्टर और नर्स कभी स्कूलों में पढ़ाने जाती हैं यहां तक कि पटवारी और न जाने कितने विभाग है जो कभी विद्यार्थियों को पढ़ाने नहीं जाते पर अध्यापक, जिसको संसार में सर्वोच्च स्थान दिया गया है किंतु आने वाले समय में वह घर-घर किसानों की गाय एचं भैंस भी बिवाने जाया करेंगे। हाल ही में अध्यापकों की कंटेनमेंट जोन में और गांव में कोरोना संक्रमितों की सहायता के लिए तैनाती लगाई जाने की संभावना है जिसकी ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है। कभी यह घटना उत्तर प्रदेश के चुनाव वाली न हो जाए जहां 700 शिक्षक मौत के मुंह में चले गए थे। क्या शिक्षक एक ऐसा मूसलचंद है इसको न तो कोरोना और न कोई अन्य बीमारी नहीं लगती। वह सृष्टि का सर्वज्ञ है चाहे किसी की शादी करवानी हो या किसी पशुओं की गणना और इंसानों की गणना करनी हो। यूं ही हाल रहा तो हो सकता है शिक्षकों से शिक्षण कार्य नहीं लेंगे अपितु विभाग भैंस खरीदेगा और दो दो भैंस बणी तथा जंगलों में चराने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी जाएगी। कहने को तो उनका मुख्य कार्य पढ़ाना था लेकिन सरकार ही नहीं चाहती कि वह पढ़ाई करवाये अपितु वह तो उनके इशारे पर कठपुतली की तरह नाचे। आने वाले समय में मामला और गंभीर होगा शिक्षक की तैनाती कंटेनमेंट जोन वगैरह में करनी होगी और मर गये तो उन्हें परिवार का कंधा भी नसीब नहीं होगा। सरकार ने शिक्षक को एक ऐसा सैनिक बना दिया है जिसके हाथ में कोई तलवार और तोप नहीं किंतु युद्ध मैदान में उतारा जा रहा है। एक और जहां नर्स, डाक्टर और स्वास्थ्य विभाग के कितने ही कर्मचारी मौजूद है लेकिन उनके लिए सहायक पढ़े-लिखे ये अध्यापक बनेंगे। बड़े अफसोस की बात है कि शिक्षक को किस कदर गिरा दिया है।  शिक्षक के पास पीपीई किट नहीं और न इस रोग का समुचित  ज्ञान बल्कि दो दिन आनलाइन ट्रेनिंग देकर मैंदान में भेजा जा रहा है। याद आता है एक फूल दो माली का गीत-चल चल रे नौजवान, जीना अपमान है मरना तेरी शान, चल चल रे....। उन्हें कोई अतिरिक्त भत्ता आदि नहीं दिया जाएगा, बस उनको कंटेनमेंट जोन में जाकर सेवा करनी पड़ेगी।  मानते हैं कि 55 साल से अधिक के व्यक्तियों को महामारी अधिक लगती है किंतु शिक्षकों पर शायद यह बात लागू नहीं होती और उन्हें घर में नहीं बबैठने दिया जाएगा जब तक कि वो कोरोना संक्रमित होकर डेथ बेड पर न चला जाए। शायद 55 साल से अधिक उम्र के अध्यापकों को यह रोग नहीं तंग करेगा, इसलिए उनकी भी तैनाती की जा रही है । विज्ञान प्राध्यापकों और विज्ञान के शिक्षकों को कोरोना किसी हाल में नहीं लगेगा और शायद अधिक तनखा मिलती होगी जिसके चलते केवल विज्ञान शिक्षकों को ही तैनात करने एवं ट्रेनिंग देने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अब तो विज्ञान
पढऩा गुनाह बन गया है। स्कूल में भी अधिक काम करते हैं और अब तैनाती केवल विज्ञान शिक्षक और विज्ञान के प्राध्यापकों की लगाई है। बाकी अध्यापक शायद रोग से पीडि़त हो जाते होंगे या फिर विज्ञान अध्यापक पर प्राध्यापक सरकार को ज्यादा दर्द दे रहे होंगे इसलिए उनकी तैनाती पहले करने की तैयारी कर ली है। खैर अब तो गाए जा गीत मरणे के, कोरोना लगने के।



फास्ट फूड खाकर युवा दे रहे हैं रोगों को न्यौता-दयानंद वैद्य
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कनीना। भावी पीढ़ी का रुझान फास्ट फूड व तेज मसालेदार खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ रहा है। फास्ट फूड एवं तेज मसालेदार खाद्य पदार्थ खाकर वे विभिन्न रोगों को बुलावा दे रहे हैं। आए दिन विभिन्न शारीरिक रोगों के पीछे फास्ट फूड भी एक अहं कारण है।   
  युवा पीढ़ी का रुझान तेज मसालेदार वस्तुओं को खाने की ओर बढ़ता ही जा रहा है जिन्हें योग गुरू रामदेव बहुत घटिया बता रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में मसाले पीसकर अपनी रोटी रोजी कमाने वाले कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी मशीन पर तेज मसाले पिसवाने वालों की कतार लगी रहती है। बाजार में अगर पकोड़ी, पानी के बतासे, पाव भाजी, टिक्की, छोल भटूरें की दुकानों पर झांककर देखे तो पता लगता है उनकी अच्छी बिक्री हो रही है। एक दही बल्ला बनाने वाले राजस्थानी युवक भारती का कहना है कि उनकी अच्छी बिक्री होती है। होटलों पर भी तेज मसालों के खाद्य पदार्थ अधिक बनाए जा रहे हैं।
  आश्चर्यजनक पहलु यह है कि कनीना के बस स्टैंड के आस-पास अंडों की रेहडिय़ां अधिक लगती हैं और दूध एवं फलों की दुकानें कम लगती हैं। इन रेहडिय़ों पर सुबह हो या शाम अंडे खाने वालों का तांता देखा जा सकता है। अंडों के कारोबार अच्छे चल रहे हैं। उधर कनीना बस स्टैंड से थोड़ा दूर मांस की दुकानें धड़ाधड़ चल रही हैं। करीब एक दर्जन मांस की दुकानें चल रही हैं।  खान पान में आए बदलाव से बुजुर्ग वर्ग परेशान है। बुजुर्ग आज भी सादा खाना खाते हैं और घरों में तो अब दो प्रकार के खानें बनते हैं। एक ओर बूढ़ों के लिए तो दूसरी ओर जवानों के लिए। कई बार तो बूढ़े एवं जवानों में खाने को लेकर नोक झोक होती देखी जा सकती है।
 उल्लेखनीय है कि कनीना के गिने चुने जन देशी घी, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं बेचते हैं किंतु उनके यहां कोई इक्का दुक्का ही ग्राहक आते हैं। एक दुकानदार ने नाम ने बताते हुए कहा कि जब से उन्होंने सेहत के लिए उपयोगी पदार्थ बेचने शुरू किए हैं तभी से वो भूखों मरने की कगार पर है किंतु एक सामान्य रेहड़ी पर पानी बतासे बेचने वाले ने बताया कि महज इसी धंधे से वे चार सदस्यों के परिवार की दाल रोटी निकाल लेते हैं।
  क्या कहते हैं दयानंद वैद्य-
दयानंद वैध का कहना है कि फास्ट फूड में विटामिन ए, बी, सी, ई के अलावा फास्फोरस, लोहा आदि तत्वों का नितांत अभाव होता है। इनके प्रयोग से शरीर में कई प्रकार की विकृतियां आ जाती हैं। चिड़चिड़ा स्वभाव, आंखों की रोशनी कम होना, सात्विकता का अभाव एवं तामसिक प्रवृति की वृद्धि हो जाती है। शरीर कमजोर एवं स्फूर्ति रहित हो जाता है। एलर्जी, हृदयघात एवं रक्तचाप आदि कितने ही रोग लग जाते हैं।
दयानंद वैध का कहना है कि फास्ट फूड रोगों की जड़ है। कोलस्ट्रोल को बढ़ाकर हृदयघात एवं हृदय फेल की बीमारी को बढ़ाते हैं वहीं विभिन्न प्रकार के चर्मरोग, वात एवं पीत रोगों को बढ़ावा देते हैं। ये जीभ के स्वाद के लिए खाए जाते हैं किंतु शरीर को कमजोर बना देते हैं। खनिज लवणों, विटामिनों को कम कर देती हैं।


 सेशन जज नारनौल ने किया दो व्यक्तियों को भगोड़ा घोषित
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 कनीना। एएसजी नारनौल ने कनीना क्षेत्र के दो व्यक्तियों को भगोड़ा घोषित किया है। फारुक उर्फ निश और निसार दोनों व्यक्तियों को जज ने भगोड़ा घोषित करते हुए कनीना पुलिस में मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। जिसके तहत पुलिस ने दोनों को भगोड़ा घोषित कर दिया है। दोनों एक मामले में वांछित हैं।


सोमवार को लगेगी सेकंड डोज
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव भडफ़, गुढ़ा एवं गाहड़ा में 45 प्लस के लोगों को सेकंड डोज कोरोना की दी जाएगी।
विस्तृत जानकारी देते हुए एचआई शीशराम ने बताया कि कनीना में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को कोरोना की डोज दी जाएगी।


क्षेत्र के विभिन्न गांवों में मिले 64 कोरोना संक्रमित
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 कनीना। कनीना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में 64 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। मिली जानकारी अनुसार नांगल हरनाथ 20 गाहड़ा- 5 मुंडिया खेड़ा-तीन, करीरा-एक मोहनपुर -एक, ढाणा- एक ,कोटिया-दो, दौंगड़ा अहीर-1  सुंदरह 3 ,बेवल- 4 गुढ़ा-2  भडफ़-4 रामबास-एक, कनीना-9 संक्रमित पाये गये। डा धर्मेंद्र यादव एसएमओ का कहना है कि महामारी में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं है। मास्क, दो गज दूरी, हाथों को सेनिटाइजर से साफ करना प्रमुखता से अपनाने चाहिए।


जन्मदिन पर बांटे सेनिटाइजर एवं मास्क
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कनीना। राव दान सिंह विधायक के जन्म दिन व उनके बेटे अक्षत राव  की सादी की सालगिरह व मातृ दिवस पर कांग्रेस पार्टी  महिला जिला अध्यक्ष सुनीता मावता ने गांव झाड़ली  में घर , घर मास्क , ग्लव्ज व सेनेटाइजर  बांटे ।  सुनीता मावता ने सबको सावधानी बरतने व मास्क का  प्रयोग करने व वैक्सीन  लगवाने  के लिए प्रेरित किया । बचाव में ही बचाव है । बहुत जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर न निकले और घर पर ही रहे। राव दान सिंह ने अपना  जन्म दिन न मनाने का फैसला लिया। विधायक ने भी इस अवसर पर कोरोना पीडि़त लोगों की मदद करने का निर्णय लिया है।
फोटो कैप्शन 8: सुनीता मावता मास्क वितरित करते हुए।





मरीजों के लिए शुरू किया लंगर
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कनीना। समाजसेवी सुशील मित्तल एवं उनके साथियों ने कनीना उप नागरिक अस्पताल के स्टाफ , मरीजों के साथ आए लोग एवं मरीजों के लिए दो वक्त का खाना, दो वक्त चार आदि देने का शुभारंभ किया है। सुशील मित्तल ने बताया कि विगत वर्ष भी इस प्रकार की कार्रवाई की गई थी।



सकारात्मकता, सावधानी और सलाह टाल सकते हैं कोरोना-मनोवैज्ञानिक
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कनीना। वैश्विक महामारी के इस दौर में कोरोना संक्रमण होने का डर, वैश्विक त्रासदी की खबरें, लाकडाउन से रोजगार पर संकट आदि अनेक समस्याओं से व्यक्ति जूझ रहा है। इस समय अधिकांश लोग होम आइसोलेशन या एकांकी जीवन जीने को विवश हो रहे हैं। ऐसे हालात में लोगों को चाहिए कि वे सकारात्मकता, सावधानी और सलाह पर आत्म मूल्यांकन करें और मौजूदा हालात पर काबू पाएं। इस विषय पर बात मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव से हुई ,उन्होंने तीन स पर गौर करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर सुबह से शाम तक नकारात्मक व भ्रामक जानकारियां व्यक्ति देखता या पढ़ता रहता है इतना ही नहीं सामाजिक परिवेश में चारों तरफ से लोग नकारात्मक प्रतिक्रिया देने लगते हैं। परिणामस्वरूप व्यक्ति तनाव से घिर जाता है साथ ही तनाव का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में तनाव हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है और इस महामारी से लडऩे के लिए इसी क्षमता की जरूरत होती है। अत: व्यक्ति को चाहिए कि नकारात्मक चर्चा से दूर रहे। नकारात्मक भावों को किसी भी सूरत में अपने व्यवहार में ना आने दें। हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ यह सोचना चाहिए कि इस महामारी से अधिकांश लोग ठीक हो रहे हैं। दृढ़-इच्छाशक्ति व सकारात्मक व्यवहार से बड़ी से बड़ी असफलता को भी सफलता में बदला जा सकता है।
उन्होंने का कि सावधानी सावधानी हटी- दुर्घटना घटी की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से सरकार द्वार निर्धारित गाइडलाइन की अनुपालना करनी चाहिए। घर से बाहर निकलते समय हमेशा मास्क का उपयोग करना चाहिए,हाथों को सेनिटाइज करते रहना चाहिए और आवश्यक रूप से सामाजिक दूरी का ध्यान रखना चाहिए। स्वच्छ व पोषणयुक्त भोजन का चयन करें। इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर वैकल्पिक भोजन की व्यवस्था करें।
सलाह पर बातचीत करते हुए मनोविज्ञानी सूर्यकांत ने बताया, यद्यपि संक्रमण की स्थिति में व्यक्ति को तुरंत ही अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए व उनके द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना करनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर, अक्सर यह देखा गया है कि तनाव व अवसाद की स्थिति में व्यक्ति अपने आप को विवश व लाचार पाता है, उसकी निर्णय- क्षमता का ह्रास हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि उसका साथ देने वाला कोई नहीं है, वह अपने आप को अकेला महसूस करता है और  निराशाजनक व नकारात्मक बातें करता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तुरंत किसी प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से संपर्क करना चाहिए।
फोटो कैप्शन : सूर्यकांत यादव।




नर्स दिवस पर विशेष
लोगों की सेवा में दिन-रात अहं भूमिका निभाई है राजकुमारी ने
-अपनी जान की कभी परवाह नहीं की
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संवाद सहयोगी, कनीना। बेशक नाम से राजकुमारी हो किंतु काम में जनसेवा में उनका एक अहं नाम उभर कर आ रहा है। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में 9 मई 2007 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद न केवल पटीकरा कोविड-संटर पर भी तैनाती दे चुकी है वहीं  डेपुटेशन के आधार पर भोजावास में भी काम किया और दिन-रात मरीजों की सेवा करने में एक नाम उभरकर आया है। यद्यपि 12वीं कक्षा में पढऩे वाली उनकी लड़की, दसवीं कक्षा में पढऩे वाला पुत्र तथा उनके पति रामबास गांव से संबंध रखते हैं किंतु उन पर कम ध्यान दिया गया और मरीजों की सेवा अधिक की है। उनका एक ही कहना है कि मरीज भगवान का ही रूप होते हैं उनकी सेवा भगवान की सेवा के बराबर होती है। 2020 में नारनौल के पटीकरा कोविड-सेंटर पर एक हफ्ते की तैनाती देकर आई है वही एक वर्ष तक भोजावास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 2017 में बतौर डेपुटेशन भी काम किया है। जब उनकी कनीना में नियुक्ति हुई केवल 3 स्टाफ नर्स हुआ करती थी उस समय डाक्टरों एवं स्टाफ नर्स का काफी अभाव था। यही कारण है कि उस समय  उनकी तैनाती लंबे समय चलती थी। कभी-कभी तो घर परिवार को भूलकर अस्पताल में मरीजों की सेवा में लगी रहती थी। अब जब उनकी तैनाती विगत  2 महीने से वरिष्ठ स्टाफ नर्स होने की वजह से राजकुमारी को कनीना का नर्सिंग सिस्टर का चार्ज भी दिया हुआ है। राजकुमारी बताती है कि कभी 10 से 15 मरीज होते थे तो कभी अधिक भी पहुंच जाते थे कभी-कभी बिल्कुल ही कम हो जाते थे परंतु सेवा भाव में कभी कमी नहीं आने दी। चाहे मरीजों की सेवा करनी हो, उनको टीका देना हो उनको दवा देनी हो बड़े प्यार और आदर से उनसे बात करती हैं। यही कारण है मरीज उनकी सेवा भाव से प्रसन्न चित्त होकर जल्दी ठीक हो जाते हैं।
राजकुमारी के पति सतेंद्र यादव का कहना है कि कभी-कभी तो उन्हें घर आने में देर हो जाती है तो खाने की भी समस्या बन जाती है परंतु न तो घर पर अपने काम को भूलती और नहीं अस्पताल में अपने काम से दूर होती। उनकी सेवा भाव से हर इंसान खुश नजर आता है।
जब कोरोना काल चलता है तो उनको हाई रिस्क हो जाता है। सौभाग्य रहा है कि उन्हेंकभी कोरोना संक्रमित का डंक नहीं झेलना पड़ा है। वह निरंतर अपनी तैनाती को निभाए जा रही हैं। उन्हें खुशी है कि उनके हाथों से कितने ही मरीज ठीक हो कर घर चले गए हैं। उनका कहना है कि भगवान सभी को स्वस्थ रखें और उनके हाथों से हाथों में ऐसी करामात दे कि  हर मरीज के हाथों से ठीक हो जाए।
 फोटो कैप्शन : राजकुमारी।




55 वर्ष से अधिक उम्र के शिक्षकों की तैनाती कोंटेंमेंट जोन में न लगाई जाये-
- एक करोड़ का हो बीमा
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कनीना। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ संबधित सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा एवं स्कूल टीचर फैडरेशन आफ इंडिया के राज्य सचिव धर्मपाल शर्मा ने ,प्रैस नोट में अध्यापकों  के स्वास्थ्य सुरक्षा बाबत गहरी चिंता व्यक्त की है । राज्य सचिव धर्मपाल शर्मा ने बताया कि कोविड-19 विश्वव्यापी महामारी एवं
लाक डाउन के चलते हरियाणा के अध्यापकों की विभिन्न प्रकार की तैनातियां लगाई जा रही है  ! परंतु खेद है कि सरकार व विभाग अध्यापकों की सहनशीलता एवं महामारी की आड़ का दुरुपयोग कर रही है। अध्यापकों को सुरक्षा संबंधी उपकरण जैसे कि पीपीई. किट, मास्क ,सैनिटाइजर ,दस्ताने आदि उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं। कंटेनमेंट जोन में अध्यापकों की तैनाती लगाई जा रही है । अध्यापको को  कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं करवाया गया है  अध्यापकों का अपना जीवन ही असुरक्षित हो गया है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ का ड्यूटी देने का विरोध नहीं करता है। यह समय राष्ट्रीय संकट का है। सारा समाज  मिलकर ही संकट का मुकाबला कर सकते हैं । लेकिन  अध्यापक भी संक्रमित हो सकता है। वह भी सामान्य इंसान है। जिला प्रशासन जिन अध्यापकों की ड्यूटी लगा रहा है उन्हें कोरोना वायरस के बचाव करने के जरूरी सुरक्षा संबंधी उपकरण प्रदान करे।  किसी भी ड्यूटी के लिए सहयोगी व्यक्ति, सामग्री एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध नहीं है । कोरोना महामारी ने कई अध्यापकों की जिन्दगी छीन ली है । कृष्ण कुमार प्राचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिकविद्यालय नांगल दर्गु, देवेन्द्र प्रवक्ता संस्कृत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कांटी, रजनीश जे बी टी अध्यापक सुन्दरह, संजय जेबीटी अध्यापक नंगली  अध्यापक अपनी जान गवां चुके हैं । हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ जिला प्रशासन से मांग करता है कि जिन अध्यापकों की ड्यूटी लगा रहा है उन्हें सुरक्षा उपकरण अवश्य उपलब्ध करवायें ताकि कोई अनहोनी घटना न हो पाये।
  उन्होंने खेद जताया कि बिना हथियार के सैनिक को रण में भेजने का अर्थ होगा कि कहीं उत्तरप्रदेश में चुनावों के दौरान हुई मौत की पुनरावर्ती न हो जाए। उन्होंने 55 वर्ष से अधिक उम्र के शिक्षकों की तैनाती न करने, उनका एक करोड़ का बीमा करने, शिक्षकों को उनके उनके निवास के पास ही तैनाती लगाने, उनको सरकारी वाहन उपलब्ध कराने की मांग की है।




भूमिगत नाले में अवरोध आने से जमा हुआ गलियों में पानी
-प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर निकाला पानी
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव कोटिया में भूमिगत नाले में रुकावट आने से जोहड़ का गलियों में फैला पानी आखिरकार प्रशाासन ने मौके पर पहुंचकर निकलवाया। करीब एक माह पहले भी यहां समस्या उत्पन्न हुई थी जिसे दूर कर दिया था किंतु फिर से कुछ दिनों से समस्या बन गई थी। गांव के लोगों ने अपने स्तर पर पैसे इकट्ठे कर  अवरुद्ध नाले को ठीक करवाने का शनिवार को प्रयास भी किया था किंतु 4 घंटे की कड़ी मेहनत के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की तो प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर समस्या का समाधान किया। गांव के महावीर प्रसाद जगत सिंह पूरण सिंह लाल सिंह राजेंद्र प्रसाद ,रामचंद, राम कुमार, अतर सिंह, हवा सिंह, रविंद्र सिंह, राजेंद्र, सुरेश कुमार आदि ने बताया कि आम रास्ते (फिरनी) में पानी जमा हो गया था जहां बीमारी फैलने का खतरा तो था ही वहीं आवागमन भी गंदे पानी से होकर करना पड़ रहा था उसे प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर पानी को निकलवाकर समस्या को दूर किया। गांव के इस जोहड़ का गंदा पानी भूमिगत नाले से दूर गड्ढे में डाला जाता है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी देशबंधु के आदेश पर ग्राम सचिव अमित कुमार तथा ठेकेदार देवेंद्र सिंह उसके साथी सहयोगी संजय तलवाना, मेनपाल, अजीत सिंह, राजेश ने मौके गांव में जाकर गंदे पानी की निकासी करवाई तथा लोगों को राहत दी। भूमिगत नाले में अवरोध आ जाता है और गलियां जलमग्र हो जाती हैं। ग्रामीणों ने स्थायी समाधान की मांग की है।
फोटो कैप्शन 4: गांव से पानी निकासी करते बीडीपीओ कार्यालय के लोग।

 


पर्यावरणवि








द भी हैं डा धर्मेंद्र यादव एसएमओ कनीना
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 कनीना। कनीना उप-नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव न केवल डाक्टर हैं अपितु पर्यावरणविद भी है। उन्होंने अपने गुढ़ा-रसूलपुर मार्ग पर फार्म बना रखा है जिसमें आधा एकड़ जमीन पर विभिन्न फल और फूलदार पौधे उगाए हुए हैं। उनके इस फार्म पर जहां चीकू  नाशपाती ,आम, बेर, आमला, नींबू ,संतरा, किन्नू आदि के पौधे उगाए हुए हैं। विगत दिनों जब एसएमओ को कोरोना संक्रमितकाल में आइसोलेट होना पड़ा तो इसी पार्क में डॉ धर्मेंद्र यादव ने अपना समय खुशी-खुशी बिताया था।
डा धर्मेंद्र यादव ने बताया कि विगत वर्ष भी उनके फार्म पर अनेकों प्रकार के फल एवं फूल उत्पन्न हुए थे। इस वर्ष भी विभिन्न फल फूल प्राप्त हो रहे हैं। वहीं इस समय उनके आम के पौधे पर लटकते हुए आम देखे जा सकते हैं।
डाक्टर धर्मेंद्र यादव ने बताया कि उनके इस फार्म हाउस पर आकर मन प्रसन्न हो जाता है क्योंकि विभिन्न प्रकार के फूल एवं पौधे नजर आते हैं। जब भी वे अपने कार्य से निवृत्त होते हैं इसी पार्क में आकर पौधों की सेवा करते हैं। उन्हें बड़ा शकुन मिलता है। इस प्रकार डाक्टर के साथ साथ  पर्यावरणविद की दोहरी भूमिका में नजर आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 5: डाक्टर धर्मेंद्र यादव सीमा आम के फल दिखाते हुए।

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