धनौंदा तथा कैमला में एक एक युवक की मौत
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कनीना। कनीना क्षेत्र में दो गांवो में दो युुवाओं की मौत हो गई।
खंड के गांव कैमला में 31 वर्षीय एक युवक नरेंद्र की मौत हो गई। मृतक के चाचा भाजपा नेता अतर सिंह कैमला ने बताया कि उनका भतीजा पिछले काफी समय से बीमार चल रहा था जिसको महेंद्रगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसका ईलाज चल रहा था। शनिवार को उनकी मौत हो गई। गांव में शोक की लहर दौड़ गई वही दूसरी तरफ खंड के गांव धनौंदा में एक युवा को कोरोना ने काल का ग्रास बना दिया जिसको लेकर समूचे गांव धनौंदा में ही नहीं बल्कि समूचे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। विभिन्न समाजसेवी संगठन व बुद्धिजीवी लोगों के अलावा वरिष्ठ नेताओं ने इन मौतों पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि कोरोना गाइड लाइन के अनुसार उसका दाह संस्कार कर दिया गया है।
पोकलैंड से नहर से उखाड़े 65 हरे पेड़
-कनीना पुलिस में दी शिकायत
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कनीना। कनीना-नारनौल रोड़ से गुजर रही नांगल डिस्ट्रीब्यूटर पर 65 हरे पेड़ विजेंद्र नामक व्यक्ति ने अपनी पोकलैंड मशीन द्वारा उखाड़ दिए। कनीना पुलिस में इस व्यक्ति के बारे में राजवीर सिंह इंचार्ज भोजावास ब्लाक रेंज महेंद्रगढ़ ने शिकायत दी है कि विजेंद्र नामक व्यक्ति जो दादरी से संबंध रखता है ने 21 मई 2021 को शाम के समय नांगल डिसटीब्यूटरी से 65 हरे पेड़ अपनी पोकलैंड से उखाड़ डाले हैं। शिकायत में कहा गया है कि यह व्यक्ति जुर्म करने का आदि है। इसके विरुद्ध पहले भी वन अपराध नंबर 041/0 603 दिनांक 25 जून 2019 को मामला चाक किया गया था जो कि विशेष पर्यावरण न्यायालय फरीदाबाद में विचाराधीन है। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया है कि यदि बार-बार वनों को नुकसान करने का आदि है। वन विभाग द्वारा समय-समय पर वन अपराध रिपोर्ट चाक की जाती रही है लेकिन यह व्यक्ति हरकतों से बाज नहीं आ रहा है जिससे समाज में गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने मौके से पोकलैंड मशीन जब्त करने तथा सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उधर एसडीओ नहर विभाग शमशेर सिंह ने बताया कि इस प्रकार पेड़ उखाडऩे का किसी को कोई आदेश नहीं दिया गया है। यदि इस तरीके से नहर के पेड़ उखाड़े गए हैं तो उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है किंतु उच्च अधिकारी, नहर विभाग मौके पर पहुंच रहे हैं तथा जायजा ले रहे हैं। पुलिस भी मौके पर पहुंचे हैं तथा कार्रवाई जारी है।
फोटो कैप्शन 12: पोकलैंड जिससे पेड़ उखाड़े तथा
फोटो कैप्शन 13: उखाड़े गए पेड़।
दर्शना देवी का कोरोना के चलते निधन
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कनीना। पूर्व मंडल अध्यक्ष कनीना सुरेश अत्रि बाघोत की भाभी दर्शना देवी का कोरोना महामारी से निधन हो गया। वे 59 साल की थी। वे कोरोना से पीडि़त थी और रेवाड़ी के विराट अस्पताल में पिछले कई दिनों से उनका इलाज चल रहा था। रेवाड़ी के अस्पताल में उनका देहांत हो गया। गांव बाघोत में कल अंतिम संस्कार कोविड 19 के नियमों का पालन करके किया गया। उनके देहांत पर अटेली के विधायक श्री सीताराम ने फोन पर संवेदना प्रकट की।
संवेदना प्रकट करने वालों में भाजपा के सतवीर सिंह यादव सेहलंग , राजेंद्र प्रसाद भारद्वाज,डा विनोद यादव, हनुमान शर्मा, सतीश जेलदार शक्ति यादव पोता, थान सिंह, रोशनी देवी, अतर सिंह राजपूत, मनोज यादव,रामनिवास दुबट, ओम प्रकाश लिसानिया,महेंद्र सिंह यादव सिहोर,सवाई सिंह आदि अनेक गणमान्य जन शामिल हैं।
जोहड़ों को पानी से भरा जाये
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कनीना। एक ओर आसमान से बरसती धूप दूसरी तरफ गांवों में सूखे पड़े ताल-तलैया,पानी के अभाव में प्यास से भटकते मवेशी, कुछ ऐसा ही हाल आजकल दौंगड़ा अहीर क्षेत्र के गांवों में देखने को मिल रही है।
क्षेत्र के गांवों में पशुओं की प्यास बूझाने वाले जोहड़ सूखे पड़े है। घटते बरखा के दिनों व विलुप्त हुए भूमिगत जलस्तर से जहां ग्रामीणों के लिए पेयजल जुटाना मुश्किल बना हुआ है। वहीं मवेशी और जंगली जानवरों को गले की प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है। मवेशियों के पानी प्रबन्ध से परेशान दौंगड़ा अहीर के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गांव के सूखे जोहड़ में पानी डलवाने की मांग की है।
दौंगड़ा अहीर के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पशुओं के पानी के लिए वर्षों पुराना जोहड़ है। पिछली साल प्रशासन की सहायता से जोहड़ को भरा गया था। लेकिन अबकी बार जोहड़ सूखा पड़ा है। जिससे मवेशियों का बुरा हाल हो चला है। ग्रामीणों ने कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री ने पिछले महीने जिले के सभी उपायुक्तों को पानी की समस्या को समझते हुए क्षेत्र के सभी गांवों के जोहड़ों में पानी डलवाने के लिए कहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन गांव के जोहड़ों को भरने में नाकाम रहा है। अब जबकि दोबारा से नहर आ रही है, इसलिए पूरे इंतजाम प्रशासन को करने चाहिए तथा जोहड़ में पानी भरने की व्यवस्था करनी चाहिए। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अविलंब जोहड़ को भरवाने की मांग की है ताकि मवेशियों को पानी के लिए नही तरसना पड़े।
फोटो कैप्शन 11: दौंगड़ा में सूखते जा रहे जोहड़।
दूसरों को हिम्मत और प्रेरणा देने वाला कोरोना से हार गया जंग
-नेता श्रीचंद यादव के एकमात्र पुत्र थे श्याम नंदन
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कनीना। कई बार इंसान अपनी ऐसी छाप छोड़ जाते हैं कि जिसे भुलाया नहीं जा सकता। दिनरात कोरोना काल में दूसरों को हिम्मत एवं प्रेरणा देने वाले श्यामनंदन 21 दिनों तक एम्स में कोरोना से जूझते हुए आखिरकार हिम्मत हार गये।
बसपा और सपा की टिकट से एमएलए के चुनाव लडऩे वाले नेता श्रीचंद यादव का पुत्र श्यामनंदन (42) लंबे समय से दूसरों को हिम्मत से रहने की शिक्षा देते आ रहे थे। आखिरकार 21 दिनों तक एम्स में कोरोना से जंग हार गए। उनका कोविड-19 की हिदायतों के अनुसार अंतिम उनके पैतृक गांव नांगल हरनाथ में किया गया।
श्याम नंदन ट्रांसपोर्ट का कार्य करते आ रहे थे। अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह कोरोना संक्रमित पाए गए जिसके चलते उन्हें महेंद्रगढ़ के निजी अस्पताल में तीन दिनों तक भर्ती रखा गया
किंतु स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलने के कारण उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नयी दिल्ली(एम्स) में भर्ती करवाया गया।
एक मई को एम्स नई दिल्ली में उन्हें भर्ती करवाया गया और वे लगातार जीवन से जूझते रहे किंतु हिम्मत नहीं हारी। यहां तक की अंतिम सांस लेने से पहले भी उन्होंने पूरे परिवार से बात की जिसमें उन्होंने हिम्मत से काम लेने, किसी समस्या के समक्ष सिर न झुकाने की बात कही। नाते में अपने बड़े भाइयों, पत्नी,मां,पिता से भी बात की जो उनके सामने हिम्मत से बात की और कहा कि कोरोना कोई बड़ी बीमारी नहीं है। कोरोना पर जीत पाना सरल है किंतु अंतिम समय में उनमें बीमारी बढ़ती चली गई और अंतत: उन्होंने प्राण त्याग दिए। नाते में उनके भाई राकेश और विकास ने बताया कि वह परिवार में दो बहने पर अकेला लड़का था। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार पत्नी बच्चे छोड़ गए हैं जिनमें श्याम नंदन के पिता श्रीचन्द व माता उमा देवी, पत्नी सुमन देवी ,पुत्री भावना व पुत्र निकुंज प्रमुख हैं।
उनके शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने वाले ताऊ सूबेदार रामस्वरूप, ताऊ सुभाष चंद , नाते में भाई राकेश, विकास, संदीप ,सतीश, महावीर, सत्यवीर ,वेद प्रकाश, सुदर्शन, संत कुमार, निर्मल शास्त्री,अक्षय ,दौलत, हवा सिंह, राजपाल, अनिल कुमार ,पवन कुमार ,विरेंद्र कुमार ,सुरेश कुमार, निर्मल प्रमुख हैं।
फोटो कैप्शन: श्याम नंदन।
शनिवार को 188 युवाओं को दी गई डोज
-सोमवार को लगेगी 45 प्लस के 150 लोगों को डोज
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कनीना। कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में शनिवार को 188 युवाओं को 18-44 आयु वर्ग के युवाओं को कोरोना वैक्सीन दी गई। सोमवार को 45 प्लस के 150 लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव तथा कंप्यूटर आपरेटर पवन कुमार ने बताया की वैक्सीन कम होने की वजह से सोमवार को 45 प्लस के 150 लोगों डोज दी जाएगी जबकि शनिवार 200 रोज का टारगेट रखा तो किंतु 188 युवाओं को ही डोज दी जा सकी।
18 विभिन्न गांवों में मिले 39 कोरोना संक्रमित
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कनीना। 18 विभिन्न गांवों में मिले 39 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। कनीना क्षेत्र में कोरोना संक्रमित दिन प्रतिदिन कम होने लगे हैं। पाये गये संक्रमितों में पाथेड़ा-8, भडफ़-6, स्याणा-3, बाघोत, ककराला, करीरा, खेड़ी, कोटिया, पोता, सुंदराह 2-2, भोजावास, चेलावास, झाड़ली, नौताना, कनीना, गुढ़ा, पड़तल, सेहलंग-1-1 संक्रमित केस मिले हैं। एसएमओ धर्मेंद्र यादव का कहना है कि हर इंसान को ऐतिहात के कदम उठाने चाहिए। कोविड के नियमों का पालन करना चाहिए तभी इस महामारी से बचा जा सकता है। उन्होंने नियमित रूप से हाथों को सेनिटाइज करने, मास्क का प्रयोग करने, घर से बाहर न निकलने हाथों में ग्लव्ज पहनने की अपील की है।
ग्रामीण चौकीदार सभा ने बैठक कर जताया मुख्यमंत्री का आभार
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कनीना। हरियाणा ग्रामीण चौकीदार सभा की बैठक चेयरमैन लालचंद ककराला के नेतृत्व में ककराला में हुई। इस बैठक में ग्रामीणों चौकीदारों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा ग्रामीण चौकीदारों को इपीएफ का लाभ देने के लिए धन्यवाद किया। इसके बारे में जानकारी देते हुए ग्रामीण चौकीदार सभा के सचिव वेद प्रकाश कोथल खुर्द ने कहा कि हम हरियाणा सरकार को धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि उन्होंने ग्रामीण चौकीदारों को इपीएफ का लाभ दिया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कोरोना महामारी में चौकीदार कोरोना संक्रमत मरीजों की मौत होने पर उनका दाह संस्कार का कार्य करवाते हैं। समय-समय पर गांव में मुनादी का कार्य करते हैं। गांव में बने कोविड-19 सैंटरों में दिन-रात ड्यूटी देते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण चौकीदार सभा हरियाणा सरकार से मांग करती है की चौकीदारों का 50 लाख रुपए का बीमा किया जाए। ड्यूटी के दौरान चौकीदार की मृत्यु होने पर परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। ग्रामीण चौकीदारों का न्यूनतम वेतन लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि चौकीदारों की नियुक्ति 1858 में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी लेकिन अभी तक चौकीदारों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में शामिल नहीं किया गया है। चौकीदारों से भेदभाव किया जा रहा है। गांव में मृत्यु होने पर उसे दर्ज कराने पर सरकार की तरफ से 300 रुपये दिए जाने की घोषणा हुई थी। इस घोषणा को जल्द से जल्द लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि चौकीदारों के ड्यूटी का समय निर्धारित किया जाना चाहिए। महीने में चौकीदारों को भी कम से कम 4 दिन का अवकाश दिया जाए। इस बैठक में महेंद्रगढ़ के कार्यकारिणी सदस्य राज्य सलाहकार लालचंद ककराला, पूर्व प्रधान मदनलाल नागर, सुंदरलाल ,प्रधान ब्लाक कनीना उमेद सिंह नौताना आदि ग्रामीण चौकीदार उपस्थित रहे।
लाकडाउन में बढ़ा मकान बनाने का सिलसिला
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कनीना। ज्यो-ज्यों लाकडाउन चल रहा है त्यों-त्यों विभिन्न गलियों, मोहल्लों एवं गांवों में चिनाई एवं मकान बनाने का सिलसिला बढ़ा है। एक और जहां पंचायतें भी भंग हैं वही इन कार्यों में तेजी आ गई है। किसी भी गली से गुजरना कठिन हो रहा है चूंकि विभिन्न प्रकार का मकान बनाने का सामान डाल रखा है जिससे परेशानी बढ़ रही है।
वर्तमान में न तो कोई मजदूर फ्री है और न ही मकान बनाने वाला मिस्त्री। अधिकांश मजदूर मिस्त्री अपने राज्यों में लाकडाउन के डर से पहले ही जा चुके हैं। लोकल मिस्त्री और मजदूरों की मांग बढ़ी है। जहां भी जाए चुनाई का काम मिलता है जिसको देखकर लगता है कि लाकडाउन का ला बेहतर ढंग से लाभ उठाया जा रहा है।
हद कर दी आपने.........
अब जेलों में तैनाती देंगे, शिक्षक
-अभी से ही भारी रोष
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कनीना। किसी ने कहा है कि दुश्मनी इतनी निभाओ कि मिलने पर आंखें मिला सको। परंतु शिक्षा विभाग ने तो शिक्षकों के साथ हद कर दी है, जिसको लेकर अब शिक्षकों को जेल में कैदियों को पढ़ाना होगा, जिसको लेकर के अभी से ही शिक्षकों में रोष पनपने लगा है। शायद हर काम में आगे बढ़कर शिक्षकों को अब तो शिक्षक शिक्षक कहलाने से कतराने लगे हैं। हरियाणा सरकार ने जारी बयान में कहा है कि अब शिक्षकों की तैनाती कैदियों को शिक्षा देने के लिए लगेगी। इसको लेकर रोष पनपने लगा है। शिक्षकों और अध्यापकों की वर्चुअल बैठक शनिवार को आयोजित हुई जिसमें अनाप शनाश तैनाती लगाकर पूजनीय शिक्षकों की बेइज्जति करने पर रोष जताया है। वर्चुअल मीटिंग में अध्यापक नेता धर्मपाल शर्मा, अध्यापक नेता निर्मल शास्त्री, अध्यापक नेता कंवर सेन वरिष्ठ, अध्यापक नेता सुनील सुनील कुमार यादव, आदि ने आपस में चर्चा की और खेद जताया कि सरकार ने अध्यापकों की कितनी मिट्टी पलीद कर दी है। बिना किसी सजा के कैदियों के पास कैद में शिक्षक जाएंगे और उन्हें पढ़ाएंगे। इससे बुरी बात क्या होगी?
उन्होंने कहा कि शिक्षकों का सम्मान होना चाहिए, महज उनसे केवल और केवल स्कूलों में शिक्षण का कार्य करवाना चाहिए किंतु न जाने कौन सा काम उनसे अभी करवाना बाकी रह गया जो सरकार पूरा करवाएगी। उन्होंने खेद जताया कि समय रहते शिक्षकों की कदर सीखे वरना आने वाले समय में शिक्षक भी दर्द के मारे गहरा उठेंगे और समाज की उन्नति और विकास एवं ह्रास में अहम योगदान देने वाले शिक्षक अपने विचार परिवर्तित न कर ले। उन्होंने कहा कि कितने ही विभाग सरकार से वेतन ले रहे हैं केवल शिक्षा विभाग के शिक्षक जो परम पूजनीय होते हैं उनसे चाहे चुनाव, मतगणना, जनगणना, मरीजों का चेकअप,विभिन्न प्रकार के सर्वे,घर घर जाकर राशन बांटना और न जाने क्या-क्या कार्य उनसे करवाए जाते रहे हैं। लगता है भविष्य में कोई शिक्षक बनने की बजाय ग्वाला बनना पसंद करेगा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कदर नहीं की जाती और अनाप-शनाप कार्यों में उनकी तैनाती लगा दी जाती है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में शिक्षक एक बड़ा आंदोलन कर सकते हैं, ऐसे में समय रहते शिक्षकों को सभी कार्यों से मुक्ति दिलाई जाए और केवल उनसे शिक्षण कार्य लिया जाए।
कोरोना योद्धा को सलाम--
कोरोना को मात दे चुके हैं डा विनय मुद्गिल -अब तक 450 संक्रमितों को कर चुके हैं होमआइसोलेट
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कनीना। कनीना के नागरिक अस्पताल में कार्यरत डा विनय मुदगिल एक ऐसी शख्सियत है जो 450 के करीब संक्रमितों को होम आइसोलेट करने के पश्चात आखिरकार खुद ही कोरोना संक्रमित हो गये थे। एक मई को कोरोना संक्रमित होने के बाद काम पर भी लौट आए हैं। उन्होंने जिस हिम्मत से अपने कोरोना को मात दी है वो दूसरों के लिए प्रेरणा का काम करेगी। वर्तमान में वे अपनी तैनाती पर जोश के साथ आ चुके हैं। विनय कुमार बताते हैं कि कोरोना में सबसे बुरी बात घबराहट है। घबराने से दिल की धड़कन बढ़ जाती है जिससे आक्सीजन की मांग अधिक हो जाती है। यही कारण है शरीर में आक्सीजन का स्तर घट जाता है। वैसे भी विभिन्न अंगों पर घातक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में उनका कहना है कि जब कोरोना हो भी जाए तो कतई नहीं घबराना चाहिए। सबसे बड़ी आफत उन्होंने मोबाइल को बताया। उन्होंने कहा कि संक्रमण के समय मोबाइल को दूर रख देना चाहिए। वह जल्दी ठीक हो जाएगा वरना विभिन्न प्रकार के संदेश पढ़कर उसमें घबराहट महसूस होती है। जिसका परिणाम बुरा होता है। उन्होंने बताया कि वह अकेले ही कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी और चाचा भी संक्रमित हो गए थे। एक ही मकान में तीन व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने से सबसे परेशानी आई उनके ट्वीन (एक लड़का और एक लड़की 7 वर्षीय बच्चे) कभी अपने माता-पिता से अलग नहीं हुए किंतु पहली बार उन्होंने अपने दादा दादी के साथ दूर रहकर जीवन बिताया और वह बड़े ही दुख ही परेशान नजर आए। उन्होंने बताया कि यदि इस दौरान उनके परिवार के तीन सदस्य एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहें और फोन से दूर रखा जिसके परिणाम स्वरूप तीनों सदस्य तुरंत ठीक हो गए। उन्होंने बताया कि वे सुबह की सैर पर जाते रहे, ध्यान, प्राणायाम, आसन्न सभी जारी रखें। कुछ कमजोरी भी आई किंतु वे कभी घबराया नहीं। उन्होंने बताया दवाओं का अपना अलग रोल होता है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों में काम आ सकती है किंतु सकारात्मक विचार, अपने अंदर के भाव को सकारात्मक भावना और मनोवैज्ञानिक प्रभाव के चलते इंसान जल्दी ठीक होता है।
डा विनय बताते हैं कि उन्हें घर पर ही रहकर खुशी-खुशी जीवन बिताया, थोड़ा बहुत मनोरंजन भी किया परिवार को आपस में सकारात्मक विचारों में लगाए रखा।
उन्होंने बताया कि 2020 से वे कोरोना शेल्टर होम में कार्य करते आ रहे हैं। विगत वर्ष मजदूरों का चेकअप करने की जिम्मेवारी न केवल कनीना बल्कि कनीना मंडी और कोटिया गांवों में भी उनके ऊपर थी। इस वर्ष के हम आइसोलेट तथा विगत वर्ष भी होम आइसोलेट करने की जिम्मेदारी उन पर रही है। कोरोना से बचने के लिएउन्होंने ऐतिहात की सभी सावधानियां बरतने की अपील की है। उनका कहना है कि कोरोना से डरो मत बचो। डरना सबसे बुरी बात है। उन्होंने कोविड-19 की हिदायतों का पालन करना बहुत जरूरी बताया। मास्क पहनना, नियमितरूप से हाथों की सेनिटाइजर से सफाई करना है, 2 गज की दूरी आदि सभी बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है ताकि इस कोरोना से बचा जा सके। उनका कहना है कि कोरोना बहुत बुरी बीमारी है किंतु इंसान के अंदरूनी इच्छा सकारात्मक होगी तो कोरोना से कमजोर कोई बीमारी नहीं है।
फोटो कैप्शन: डाक्टर विनय मुदगिल।
घर के बाहर पार्क में खड़ी बाइक चोरी, मामला दर्ज
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव मुडायन के ओमप्रकाश ने दौंगड़ा अहीर की चौकी में शिकायत दर्ज करवाई है कि 20/21 मई की रात को उनकी मोटरसाइकिल हीरो होंडा घर के बाहर पार्क में खड़ी हुई थी। अज्ञात चोर उसे चोरी कर ले गया। सभी जगह तलाश की किंतु नहीं मिली। उन्होंने पुलिस से बाइक बरामद करने की मांग की है। पुलिस ने अज्ञात चोरों के विरुद्ध बाइक चोरी का मामला दर्ज कर लिया है।
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हास्य व्यंग्य हास्य व्यंग्य
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भविष्य अध्याप
क मंत्रियों और नेताओं की भैंस का दूध निकाला करेंगे
- जेल में कैदियों को पढ़ाने लिये दे रही है सरकार मौका
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कनीना। शिक्षकों के लिए बेहद खुशी की बात है कि अब भी बिना किसी अपराध की जेल में जाया करेंगे और जेल में सजा काट रहे अपराधियों को पढ़ाया करेंगे। ऐसा आदेश हाल ही में सरकार ने जारी कर दिया है कि सरकार को पता लग गया है कि अब समाज भी शिक्षकों को नहीं चाहता और शिक्षकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई होती है तो समाज भी प्रसन्न होता है। वहीं शिक्षक-शिक्षक की टांग खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है तो क्यों न इसका लाभ उठाया जाए। सरकार ने आदेश जारी कर ही दिया है कि जेल में अपराधियों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की तैनाती होगी।
लगता है तैनातियों से सरकार का पेट नहीं भरा है। अभी तक जनगणना हो ,मतगणना हो, चुनाव की तैनाती या फिर घर घर जाकर पशुओं की गणना करनी हो, घर-घर जाकर मरीजों की संख्या नोट करनी हो, मार्केट में गेहूं, जौ, सरसों आदि खरीदने हो,या परीक्षाओं में तैनाती देनी हो। यहां तक कि जो काम शिक्षकों से तो क्या चौकीदारों से भी नहीं करवाना चाहिए वह शिक्षकों से करवाया जा रहा है। शिक्षकों कि वह दुर्गति कर दी है कि भविष्य में शायद कोई शिक्षक बनने से हिचकिचाएगा। आश्चर्य होता है कि हरियाणा सरकार में न जाने कितने ही कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत है? लगता है कि वे वेतन नहीं ले रहे और केवन शिक्षक ही वेतन लेते हैं जिसके कारण शिक्षकों की तैनाती की जाती है। या तो भविष्य में शिक्षा विभाग और सरकार यह चाहती है कि सभी विभाग तोड़कर केवल अध्यापक नियुक्त कर दिए जाएंगे जो सभी कार्य करेंगे, चाहे पुलिस का हो, पटवारी का हो बिजली विभाग का हो या कोई अन्य कार्य। आश्चर्य तो तब होता है जब अध्यापकों को कोई धुन रहा है तो कुछ अध्यापक बड़े पर खुश नजर आते हैं कि आज इस मास्टर को धुना जा रहा है क्योंकि यह विद्यार्थियों को पढ़ाता भी है और धुनता भी है। वो बदला भी लेना चाहते हैं कि किसी प्रकार इस अध्यापक की कुटाई हो जाए। समाज में अगर किसी कर्मी एवं अधिकारी का देखा जाए तो सभी का अपना अपना रोब चलता है। पुलिस का डंडा दिखाई देने से दुकानदार हो, सब्जी विक्रेता या फल विक्रेता, सही भाव लगा कर देते हैं और बार-बार साहब कहते हैं। पटवारी कहीं कोई चीज खरीदने चला जाए उन्हें मालूम है कि यह पटवारी है कल तुम्हारी जमीन की पैमाइश होगी, ऐसे में उन्हें भी साहब कह कर उन्हें सही भाव में सामान देते हैं,। भागदौड़ कर उनका काम कर देते हैं बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की दाद दिमाग की दाद देनी पड़ेगी, इनमें एकता बहुत अधिक है। इसलिए इनके आगे किसी अधिकारी सरकार की पार नहीं पड़ती परंतु यह लोग भी बाजार में चले जाए तो इनकी बुराई नहीं होती। दुकानदारों को मालूम है कि बिल आएगा कभी बिजली चोरी करते पकड़े गए थे ये लोग काम आएंगे ऐसे में उन्हें भी सही दामों पर वस्तु मिलेगी। उन्हें भी साहब साहब कहकर विदा करते हैं किंतु जब शिक्षक चला जाए तो वह उसके सिर पर चढ़े नजर आते हैं। जो चीज दस रुपये की होती है उसके 20 रुपये मांगे जाते हैं क्योंकि उनका तो बस एक ही कहना है कि अध्यापक फ्री की तनखा खाते हैं या कुर्सियां तोड़ते हैं। यहां तक कि कहेंगे शराब पीता है। शराब किस विभाग के नहीं पीते किंतु लांछन अध्यापक के सिर पर। आश्चर्य होता है कि ऐसे भी शिक्षक है जो पढ़ाते वक्त आज तक कभी कुर्सी पर नहीं बैठे तो जब कुर्सी पर ही नहीं बैठे तो कुर्सी कैसे टूट गई?
खैर समाज कुछ भी कहे परंतु शिक्षा विभाग और सरकार भी इन अध्यापकों को एक टूल और हथियार मानती है जिसको जहां भी चाहे फिट कर सकती हैं। शायद इनको कोई रोग भी नहीं लगता। मेरे साथी बताते हैं कि शिक्षकों ने सोमरस पिया हुआ है इसलिए इनको कोई रोग नहीं लगता और इन्हें कहीं भी लगा दे जी जान एक करके काम पूरा करते हैं जिसका ईनाम लगातार मिलता रहता है। शिक्षा विभाग के शिक्षक अब कोरोना संक्रमितों के पास जाएंगे, उनकी जांच करेंगे। एक ओर डाक्टर पीपीई किट, सेनिटाइजर और कितने बचाव करके मरीज के पास जाते हैं किंतु शिक्षा विभाग शिक्षकों को अंधे कुएं में धकेलने का प्रयास कर रहा है। खेद होता हमारा समाज कहां जा रहा है, जो शिक्षक देश की बुनियाद होते हैं उनके साथ इतना भेदभाव और अन्याय होता है। शायद धरती पर कुछ लोगों को छोड़कर सभी लोग इन शिक्षकों से पढ़े हुये होते हैं। जब समाज का सबसे अधिक आदर का अधिकार रखने वाले शिक्षक हैं तो उनका अपमान सरकार क्यों कर रही है? न तो समाज जाग रहा है न शिक्षक जाग रहा है और ने सरकार जाग रही है। यही यही हाल रहा तो भविष्य में शिक्षक नेताओं भैंस को नहलाया करेंगे दूध निकाल कर उन्हें पिलाएंगे, चारा भी चराया करेंगे और चलते वक्त नेता यह कहेंगे कि देख यह है हमारे समाज का शिक्षक जिसे जिसे जी चाहे वैसा काम ले लो। दुर्भाग्य है इस देश का, जहां सिर माथे पर बैठाने वाले शिक्षक समाज के साथ इतना बड़ा अन्याय।
सचमुच भगवतगीता में कही गई तथा आत्मा की बात शिक्षकों पर कहीं गई होती--
शिक्षक को न रोग लग सकता, कहीं भी न मर सकता, हर काम में योग्य होता है, उसे पानी भी नहीं डूबो सकता, समाज में उसे मारा जाए कम है, वो तो ऐसा अमर जीव है जो नेताओं की चमची मारने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
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