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Monday, May 15, 2023

 
कन्या उच्च विद्यालय अब बनेगा माध्यमिक विद्यालय
-लड़कों के लिए बारहवीं तक नहीं रहेगा कोई स्कूल
-मुख्याध्यापक नहीं मिलेंगे ढूंढे
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कनीना की आवाज। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज सिरसा के बनी गांव में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि 137 हाई स्कूलों को वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है इसमें वह स्कूल शामिल हैं जिनमें 9वीं में दसवीं क्लास में बच्चों की संख्या 100 से अधिक थी। ऐसे में कनीना में बारहवीं तक का लड़कों का कोई स्कूल नहीं होगा। वे कहा पढऩे जाएंगे? उल्लेखनीय है कि कनीना में दो वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में एक उच्च विद्यालय वर्तमान में कार्यरत हैं दो वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में से एक राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल बन चुका है तथा यह अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अधीन ने होकर सीबीएसई के अधीन आता है वही मंडी स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में केवल छात्राएं ही शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं इस प्रकार इस उपमंडल मुख्यालय में एक भी ऐसा विद्यालय नहीं है जहां कक्षा 6 से 12 तक लड़के  शिक्षा ग्रहण कर सकें। कनीना क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय होने का कीर्तिमान भी इसी विद्यालय के नाम है तथा इस विद्यालय में अनेक नामचीन शिक्षाविद इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं लेकिन छात्र संख्या की कमी के कारण यह विद्यालय अब वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय बनने की स्थिति में आ चुका है।
 गौरतलब है कि प्रदेश में 1028 उच्च विद्यालय फिलहाल कार्यरत हैं जिनमें से मात्र 137 विद्यालय ही वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बनने के सरकारी मापदंड पर खरे उतरते हैं। प्रदेश में उच्च विद्यालयों का दर्जा खत्म कर दिया जाएगा तथा हेड मास्टर शब्द 1000 के नोट की तरह से विलुप्त हो जाएगा। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हेड मास्टर सबसे पुराना संवैधानिक पद हुआ करता था तथा पुराने समय में हेड मास्टर खंड शिक्षा अधिकारी बीईओ से ऊपर पद दर्जे में आते थे लेकिन वर्तमान में यह हैड मास्टर तथा उच्च विद्यालय अपने अस्तित्व के अंतिम पायदान पर खड़े हैं इन विद्यालयों में नियुक्त मुख्याध्यापक या हेड मास्टर तो प्राचार्य पद पर पदोन्नत हो जाएंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज सिरसा के बनी गांव में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि 137 हाई स्कूलों को वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है इसमें वह स्कूल शामिल हैं जिनमें 9वीं में दसवीं क्लास में बच्चों की संख्या 100 से अधिक थी। उल्लेखनीय है कि कनीना में दो वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय व एक कन्या उच्च विद्यालय वर्तमान में कार्यरत हैं। दो वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में से एक राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल बन चुका है तथा यह अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अधीन ने होकर सीबीएसई के अधीन आता है वही मंडी स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में केवल छात्राएं ही शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं इस प्रकार इस उपमंडल मुख्यालय में एक भी ऐसा विद्यालय नहीं है जहां कक्षा 6 से 12 तक लड़के  शिक्षा ग्रहण कर सकें। कनीना क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय होने का कीर्तिमान भी इसी विद्यालय के नाम है तथा इस विद्यालय में अनेक नामचीन शिक्षाविद ,सेना अधिकारी ,प्रशासनिक अधिकारी व राजनेता शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं जिनमें आरपीएस शिक्षण संस्थान के चेयरमैन एडवोकेट ओपी. यादव ,हरियाणा के पूर्व पंचायत एवं विकास मंत्री राव दलीप सिंह ,नगर  के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र सिंह , मास्टर दलीप सिंह ,पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी बीके सचदेवा , इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं लेकिन छात्र संख्या की कमी के कारण यह विद्यालय अब वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय बनने की स्थिति में आ चुका है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हेड मास्टर सबसे पुराना संवैधानिक पद हुआ करता था तथा पुराने समय में हैड मास्टर खंड शिक्षा अधिकारी बीईओ से ऊपर पद दर्जे में आते थे लेकिन वर्तमान में यह हेड मास्टर तथा उच्च विद्यालय अपने अस्तित्व के अंतिम पायदान पर खड़े हैं। इन विद्यालयों में नियुक्त मुख्याध्यापक या हेड मास्टर तो प्राचार्य पद पर पदोन्नत हो जाएंगे लेकिन जिन विद्यालयों में वंचित छात्र संख्या नहीं है उन्हें मिडिल स्कूल का दर्जा प्रदान कर दिया जाएगा।
 निकट भविष्य में कनीना में नगर पालिका के चुनाव है तथा यह मुद्दा भी बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा प्रदेश में भाजपा जजपा की गठबंधन सरकार में भी कई बार इस विषय पर जजपा ने भाजपा को खरी खरी सुनाई है तथा आंखें तरेर कर जनता के हित सर्वोपरि बताकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।











धरना चला 64वें दिन
- खराब मौसम के बीच धरना दे रहे 40 ग्रामों के ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर बाघोत-सेहलंग के बीच कट की मांग को लेकर क्षेत्र के लोगों का धरना 64वें दिन में प्रवेश कर गया। धरने की अध्यक्षता लोकेंद्र सिंह नंबरदार पोता ने की। आज खराब मौसम के बीच 40 गावों के लोगों का उत्साह कम नजर नही आया।
धरना दे रहे लोग 64वें दिन भी उत्साह से भरे नजर आए क्योंकि आज धूल भरी आंधी के साथ पूरे दिन रुक रुककर बूंदा बांदी होती रही पर लोग धरने पर डटे रहे ।
लोगों ने कहा कि चाहे बारिश आए,आंधी आए, बाढ आए, चाहे लू चले या फिर कैसा भी मौसम हो हर परिस्थिति में जब तक हमारी ये मांग पर काम शुरू नही हो जाता, हम धरने पर डटे रहेंगे।
 आज 64वें दिन 40 गांवों के लोगों के बीच में राज सिंह पूर्व पार्षद नौताना ने कहा यदि सरकार हमारी इस मांग को पूरा नहीं करती है तो इस डबल इंजन की सरकार का क्या फायदा ,एक तरफ सरकार कहती है कि यदि प्रदेश और केंद्र के अंदर एक ही सरकार होती है तो विकास के कार्य तेजी से होते है परंतु यहां पर लोग 64 दिन से धरने पर बैठे है और सरकार की तरफ से अभी कोई ठोस कार्रवाई नही की गई है। इस मौके पर संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन नौताना व संघर्ष समिति के संयोजक महावीर पहलवान व एडवोकेट केपी यादव  ने बताया कि  इस सरकार से हमें विकास कार्यों के जल्द होने की आशा होती है क्योंकि पिछड़ेपन के नाम से जाने जाना वाला जिला महेंद्रगढ़ इस कट के बनने से विकास की मुख्य धारा के साथ जुड़ जाएगा क्योंकि यहां लोकल इकोनॉमी खुलने से यहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर  मिलेंगे। सरकार को भली भांति पता है कि 152 स्र से झाड़ली  प्लांट की दूरी महज 8 किलोमीटर है और इसके पास 13 सीमेंट कंपनी है जिनका देश के साथ व्यापार करने का यही एकमात्र रास्ता है। केंद्रीय विश्वविद्यालय भी यहां से महज 8 किलोमीटर है और केंद्रीय विश्वविद्यालय  की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है ।
इस मौके पर गावो के गणमान्य लोग व रणधीर पहलवान बाघोत,रवि प्रधान सेहलंग,डॉक्टर धर्मेंद्र धनखड़ सेहलंग, योगेश आर्य, हरिओम यादव पोता, रामसिंह पोता, सूबेदार सुखबीर सिंह छितरोली, नरेंद्र शास्त्री छितरोली,सूबेदार लक्ष्मण बाघोत,  मांगेराम पोता, सत्य प्रकाश सेहलंग, ठेकेदार सेरसिंह बाघोत,देवेंद्र सेहलंग,होशियार सिंह चेयरमैन, मैनपाल सेहलंग, परकाश वीर पोता, सीताराम सेठ , तेहर सिंह भुर्जट,राहुल राव पोता,राधेश्याम शर्मा झाड़ली व 40 ग्रामों के सरपंच, बीडीसी सदस्य व पार्षद व आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 11: धरने पर बैठे लोग।








कनीना नगर पालिका सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ प्रधान पद
-31 दिसंबर 2023 तक चुनाव करवाए जाएंगे 

-सबसे चर्चित रहा आज यह सोशल मीडिया का पत्र




















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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका में सतीश जेलदार ने 13 मई 2018 को प्रधान पद की शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक का निर्धारित कर दिया गया है। नगरपालिका के लिए जहां प्रधान पद के लिए आरक्षण भी घोषित हो चुका है। अब कनीना नगर पालिका का प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित होगा।
 उल्लेखनीय है कि कनीना कस्बे में जहां पहले भी दो योजनाओं में दो महिलाएं प्रधान रह चुकी है, एक बार फिर से महिला को यह कमान संभाली जाएगी।
इससे पहले भी शारदा और संतोष देवी पालिका प्रधान दो अलग-अलग योजनाओं में रह चुकी है। अब एक बार फिर से महिला को कमान दी जाएगी। सबसे बड़ी विडंबना है कि पूर्व प्रधान और वर्तमान प्रधान भी इस चुनाव प्रक्रिया में प्रधान पद के चुनाव से बाहर हो गए हैं, बेशक वे चाहे तो पार्षद के चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन प्रधान पद के चुनाव डायरेक्ट होने के चलते प्रधान नहीं बन पाएंगे। नए सिरे से चुनावी जोड़ दौड़ में लग गए हैं। चूंकि महिला को ही चुनाव लड़वाना पड़ेगा। क्या कहते हैं पालिका के वर्तमान और पूर्व प्रधान----
पालिका के वर्तमान प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनकी पुत्रवधू अनुराधा पढ़ी लिखी है जो यह चुनाव लड़ेगी तथा वो स्वयं तो पहले से ही चुनाव न लडऩे की बात कह चुके हैं। उनका पुत्र चुनाव लडऩे का इच्छुक है किंतु पालिका प्रधान आरक्षित होने के कारण अब वो भी चुनाव से बाहर हो गए हैं।
उधर पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया वो स्वयं चुनाव न लड़ पाए किंतु उनके परिवार के सदस्य चुनाव जरूर लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि पुत्रवधू दीप्ती राव उनके परिवार से चुनाव लड़ सकती है।
 वहीं पूर्व पालिका प्रधान मास्टर दिलीप सिंह की पुत्रवधू सुमन चौधरी चुनाव लड़ सकती है। एडवोकेट दीपक ने बताया कि वह चुनाव लडऩे के लिए तैयार था किंतु महिला के लिए प्रधान पद आरक्षित होने के कारण वे अपनी पत्नी सुमन चौधरी को चुनाव लड़वाएंगे। एकदम चुनाव लडऩे वालों के लिए आरक्षण ने समस्या पैदा कर दी है। जो पुरुष चुनाव लडऩा चाहते थे वह अब प्रधान पद से पीछे हट गए हैं। कनीना पालिका जहां चुनाव लडऩे वाले नए-नए चेहरे उभर सकते हैं।
कमल पूर्व पार्षद ने बताया कि उनके परिवार से भी एक महिला अवश्य चुनाव लड़ेगी किंतु उन्होंने नाम उजागर नहीं किया। उधर एडवोकेट पंकज यादव की मां संतोष देवी यह चुनाव लड़ सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले वो स्वयं चुनाव लडऩे का इच्छुक था किंतु आरक्षण के बाद उनकी मां चुनाव लड़ेगी जो वर्तमान में पार्षद है। ऐसे में अब कनीना में महिलाओं के लिए फिर से चुनाव लडऩे की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
 यह सत्य है कि सरकार के आदेश अनुसार दिसंबर 31 दिसंबर से पहले पहले चुनाव करवाए जाने हैं। यदि जून महीने में चुनाव नहीं होते तो यह चुनाव दिसंबर से पहले होंगे किंतु मानसून के समय चुनाव नहीं करवाए जाएंगे, ऐसा सरकार पहले ही हिदायत दे चुकी है। वैसे भी वर्तमान पालिका प्रधान का कार्यकाल 24 जून तक है। इसका मतलब है कि जून महीने में चुनाव करवाने कठिन हैं। भविष्य में चुनाव कब होते हैं इसका सरकार ने तय करना है परंतु कनीना वासियों के लिए जहां फिर से प्रधान महिला होगी यह तय हो गया है। अब तो लोगों का कहना है कि जहां घर में तो पहले ही महिला का रोल अधिक होता था जो प्रधान के बराबर होती है अब कनीना पालिका में प्रधान बनकर महिला कुछ कर दिखलाएंगी?








पर्यावरण संरक्षण के लिए शपथ दिलाई
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में प्राचार्य सतीश कुमार की अध्यक्षता में विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली।
 इस मौके पर सतीश कुमार प्राचार्य ने कहा कि पर्यावरण को साफ सुथरा रखना हम सभी की जिम्मेदारी है वरना पर्यावरण प्रदूषण जीवन को कम करता चला जाएगा। यदि पर्यावरण साफ सुथरा होगा तो निरोगी काया होगी तथा इंसान सुख भोगने के लिए सक्षम होगा। ऐसे में उन्होंने कहा कि हम सभी को पर्यावरण संरक्षित रखने के लिए पेड़ पौधों को लगाना होगा तथा पर्यावरण को दूषित करने वाली गंदगी, धुआं एवं पेड़ों के विनाश से बचना होगा। यदि हवा, भूमि और जल दूषित होगा तो हमारा स्वास्थ्य खराब होगा। इस मौके पर सभी विद्यार्थियों ने उनके साथ पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दिनोंदिन ताप बढ़ता जा रहा है इसके पीछे कारण पर्यावरण दूषित होना है ।
 उन्होंने उन्होंने कहा कि दिनोंदिन ताप बढ़ता जा रहा है जिससे परेशानी बढ़ी है। इसके पीछे भी पर्यावरण प्रदूषण एक कारण है। उन्होंने गर्मी के दिनों में जहां जीव जंतुओं को सुरक्षित रखने की बात की। इस मौके पर समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थियों ने शपथ ली।
 फोटो कैप्शन 1: पर्यावरण संरक्षण की शपथ लेता स्टाफ एवं विद्यार्थी









 तापमान 45 डिग्री के पास पहुंचा ,सब्जी उगाने वाले लोग हुए परेशान
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कनीना की आवाज। तापमान बढऩे से जहां पेयजल संकट, बिजली संकट बनता जा रहा है वही सब्जी और फल उगाने वाले बेहद परेशान हैं। प्रतिदिन पौधों को पानी देना पड़ता है फिर भी जलने शुरू हो गये हैं।
भोजावास के सत्यवीर सिंह ने बताया कि उन्होंने वह हर वर्ष फल एवं सब्जी देने वाले पौधों की नर्सरी तैयार करता है किंतु इस बार उनके बहुत अधिक धूप होने के कारण पौधे सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं क्योंकि पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता।
 यहां तक कि बड़े-बड़े पौधे भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में उनके द्वारा लगाई हुईनर्सरी पौधे भी जलने के कगार पर पहुंच गए हैं। नियमित रूप से पानी देने के बाद भी धूप अधिक पड़ती है जिसका कुप्रभाव पेड़ पौधों पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कभी सब्जी देने वाले पौधों की नर्सरी तैयार करके लाखों रुपए कमा लेते थे किंतु आज के दिन मुश्किल से अपना गुजर-बसर ही कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि सब्जी देने वाले पौधे अब जुलाई के अंत में उपलब्ध हो पाएंगे क्योंकि इस समय सब्जी वाले पौधे लगाना उचित नहीं। धूप के कारण अधिकांश पौधे जल जाएंगे। ऐसे में उन्होंने कहा कि जुलाई के अंत में जो सब्जी वाले पौधे उपलब्ध होंगे। जो सर्दियों के लिए कारगर सिद्ध होंगे।
 फोटो कैप्शन दो: सब्जी वाले पौधों की नर्सरी दिखाता सत्यवीर सिंह।








केले हुये महंगे, 90 रुपये दर्जन है भाव
- केला शेक बनाकर सेहत बनाने वाले हुए परेशान
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कनीना की आवाज। दिनोंदिन केले के भाव बढ़ते जा रहे हैं जिसके चलते केले का शेक बना कर सेहत बनाने वाले परेशान हो चले हैं। एक वक्त था जब गरीब व्यक्ति केले खा कर अपना पेट भर लेता था। आज के दिन केले 100 रुपये दर्जन के करीब पहुंच गए हैं। केले बेचने वाले शिवकुमार कनीना ने बताया जब थोक में केले उन्हें 70 रुपये दर्जन के हिसाब से मिलते हैं।  जिनमें से अनेकों लिए खराब हो जाते हैं । यही कारण है कि केले 90 रुपये दर्जन बेचने को मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन केले खरीदने पड़ते हैं जिनमें से कम से कम पांचवां भाग खराब हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि रेहड़ी लगाना भी बहुत कठिन कार्य हो गया है। ेहड़ी लगाने के लिए कम से कम 10000 रुपये प्रतिदिन चाहिए। बचत बहुत कम होती है। यही कारण है कि गुजर-बसर करना और कड़ाके की धूप में केले बेचना और भी कठिन हो गया है । केलों पर पानी डालना पड़ता है ताकि धूप से बचाया जा सके। उधर सेहत बनाने वाले महेश कुमार,दिनेश, रवि कुमार, सुरश कुमार आदि ने बताया कि गर्मियों में केला शेक प्रयोग करते हैं। मैंगो शेक के अतिरिक्त केला शेक सेहत के लिए बेहतर माना जाता है। केले शेक एक लंबे समय से प्रयोग कर रहे हैं किंतु नाम मैंगो शेक की तरह केला शेक होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि कभी 10 रुपये दर्जन के हिसाब से केले खाते थे और अब महंगाई इतनी बढ़ गई है कि 80 से 90 रुपये दर्जन के हिसाब से केले खाने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि विवाह शादियों में भी केले अधिक संख्या में दिए जाते थे किंतु अब कम संख्या में दिए जाते हैं।
फोटो कैप्शन 3: खेले बेस्ट शिवकुमार और साथ में सेहत बनाने वाले








बिना बिना चश्मे के अखबार को आसानी से पढ़ लेते हैं डा मेहरचंद
-चिकित्सालय से सेवानिवृत्त 87 वर्षीय
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी होली वाला जोहड़ के नजदीक डा मेहरचंद नाम से विख्यात पशु चिकित्सालय से सेवानिवृत्त 87 वर्षीय, आज की अखबार को बगैर चश्मे से आसानी से पढ़ लेते हैं। एक और युवा पीढ़ी अधिकांश के चश्मे चढ़े हुए हैं और बगैर चश्मे के वह देख नहीं पाते वही डा मेहरचंद बगैर चश्मा के भी आसानी से पढ़ लिख लेते हैं। इसके पीछे उन्होंने अच्छा खानपान बताया।
 उन्होंने बताया कि वे कभी दूध, लस्सी ,छाछ मक्खन अत्याधिक प्रयोग करते थे। गाजर, फल सब्जी बहुत खाते थे जिसके चलते उनकी आज भी आंखें तथा स्वास्थ्य बेहतर बनी हुई है। उन्होंने बताया कि वे आज भी अच्छी प्रकार खाना खा लेते और दांत भी बहुत अच्छी प्रकार काम करते हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि बेशक आज के दिन युवा पीढ़ी के दांत और आंखें काम नहीं करते हो किंतु उनकी
उनकी आंखें व दांत अच्छी प्रकार काम करते हैं। आज भी वह खाना बेहतर ढंग से खा लेते हैं और दूसरे युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। घूमना फिरना सभी दैनिक जीवन के कार्य कर लेते हैं। उल्लेखनीय है कि कनीना में  कम से कम आधा दर्जन लोग 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं जो आज भी स्वास्थ हैं।
 फोटो कैप्शन 4 डा मेहरचंद  बगैर चश्मे के अखबार पढ़ते हुये।









जोतराम महाराज का 29वां विशाल जागरण एवं  भंडारा
-सीताराम विधायक थे मुख्य अतिथि
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव पाथेड़ा में गुरु भभूता सिद्ध जोतराम महाराज का 29वां विशाल जागरण एवं  भंडारा धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर अटेली के विधायक सीताराम यादव मुख्य अतिथि थे।
विधायक ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि आज समाज के अंदर जो भक्ति भाव बढ़ा है उससे लोगों में ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ी है तथा अच्छे सद्भाव के लोग समाज में आगे आ रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ धाम के संस्थापक एवं बाबा जोतराम के भक्त जसवंत सिंह भाटी ने पावन ज्योति प्रज्वलित कर किया तथा भगवान गणेश स्तुति की।
 इस अवसर पर जिला परिषद के अध्यक्ष डॉ राजेश कुमार ने कहा कि इस प्रकार के समागम समाज में भाईचारा बढ़ाते हैं तथा लोगों का ईश्वर के प्रति विश्वास बढ़ता है। कनीना पंचायत समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश यादव ने कहा कि हमारे संतों ने समाज को नई धारा दिखाई है तथा युवाओं का अध्यात्म के प्रति रुझान बढ़ा है। वही मातृशक्ति भी इसमें आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। कार्यक्रम का मंच संचालन हेड मास्टर नरेश कौशिक ने किया तथा बताया कि जब-जब समाज में नकारात्मक सोच के लोगों का अत्याचार बड़ा तब समाज के प्रबुद्ध संतों ने समाज को नई दिशा व राह दिखाई है। इसीलिए भारत में लाखों  देवी देवताओं का वास बताया गया है। कार्यक्रम में खेड़ी  के पूर्व सरपंच चौधरी रामनिवास ने कहा कि समाज में सभी बुराइयों की जड़ इंसान का अहंकार है अगर हम अपने अहंकार से ऊपर उठकर अपने माता-पिता की सेवा करें तो समाज की सभी बुराइयां दूर हो जाएंगी।
 इस अवसर पर कैराना के सरपंच राहुल यादव ,सतीश धवन ,अनिल यादव ,कनीना निगरानी समिति के सदस्य मनोज यादव ,पाथेडा के सरपंच जर्मन सिंह ,बलबीर सिंह ,सहित समिति के सदस्यों ने अतिथियों का पगड़ी में फूल माला पहनाकर स्वागत किया कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गोहाना से पधारे मशहूर गायक महेंद्र सिंह भट्टी द्वारा प्रस्तुत किए गए भक्ति गीत रहे। रेवाड़ी के प्रख्यात कलाकार लक्की जहरीला ले भी अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में जोतराम धाम के प्रमुख जसवंत सिंह भाटी ने अतिथियों को बाबा जोतराम का चित्र का स्मृति चिन्ह उपहार स्वरूप भेंट किया। कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे तथा सारे दिन अटूट भंडारा चलता रहा।
फोटो कैप्शन 10: पाथेड़ा में आयोजित कार्यक्रम में सीताराम विधायक स्मृति चिह्न भेंट करते हुए।








 गांव की बात
कई समस्याओं से जूझ रहा है गांव भोजावास
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल का गांव बूचावास जो भोजा ने बसाया था, अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। 8000 की आबादी वाले इस बड़े गांव में अनेक समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। ग्रामवासी समस्याएं बताते बताते थक जाते हैं । गांव में यूं तो गौशाला हैं जो दूर-दराज तक जानी जाती है। गांव में बाबा जिंदा का स्थान है जो दूर-दराज तक विख्यात है।
गांव भोजावास की बड़ी समस्या नालियों की है। गांव की नालियां विशेषकर बस स्टैंड से मंदिर के पास जाने वाली गली, गंदे पानी से भरी रहती है। नालियों का गंदा पानी सड़क पर बहता रहता है। ग्रामीण बेहद परेशान है। गांव में गंदा पानी निकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि ग्रामीण परेशान है।
सुलभ शौचालय के हालात और अति खराब हैं।  शौचालय गंदगी से अटा पड़ा है जिसके चलते सुलभ शौचालय एक  दुखद शौचालय बन गया है। ग्रामीण बार-बार शौचालय की सुध लेने की बात कर रहे हैं।
 भोजावास के स्कूल और बस स्टैंड के सामने से गुजरने वाले सड़क मार्ग की हालात अति जर्जर है। कई स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो रहे हैं। कोई इसकी सुध लेने वाला नहीं है। ग्रामीण बार-बार इस संबंध में शिकायत करते हैं किंतु समस्याएं जस की तस हैं। क्या कहते ग्रामीण- भोजावास के ग्रामीणों की की कई मांगें हैं।
गांव भोजावास में पशु चिकित्सा केंद्र है किंतु डाक्टरों का अभाव है जिसके चलते पशुओं का इलाज नहीं हो पाता है। किंतु समय पहले चिकित्सक था जिनका डेपूटेशन भी कर दिया गया है। पीएचसी में डाक्टर की सेवा उपलब्ध करवाई जाए।
 कपिल कुमार
भोजावास गांव में कालेज का भाव है लंबे समय से क्षेत्र के लोग कालेज की मांग कर रहे हैं। आईटीआई जरूर है किंतु कॉलेज के अभाव होने से शिक्षा पाने के लिए दूरदराज विद्यार्थियों को जैाना पड़ रहा है।
 जितेंद्र कुमार
गांव भोजावास को तहसील का दर्जा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह कनीना उपमंडल का बड़ा गांव इसलिए तहसील बना दी जाए तो विकास कार्यों में तेजी आ सकती है।
सुभाष
भोजावास गांव में स्टेडियम का अभाव है। यदि गांव में स्टेडियम बना दिया जाए तो युवा वर्ग खेलों में भी नाम कमा पाएंगे। ऐसे में दूरदराज खेलने के लिए विद्यार्थी और युवा वर्ग जाने को मजबूर है। शिशुपाल
भोजावास गांव की गलियां साफ-सुथरी होनी चाहिए क्योंकि गलियां गंदगी से ढकी रहती है। गंदा  पानी इधर-उधर बहता रहता है। यदि गांव की सुंदरता बढ़ा दी जाए तो दूर-दूर तक ऐसा गांव देखने को नहीं मिलेगा।
 रोहतास
भोजावास गांव की नालियों पर जालियां नहीं है जिसके चलते आवागमन दिक्कत होती है। पशुओं के पैर भी फंस जाते हैं। कभी भी कोई दुर्घटना होने का अंदेशा रहता है इसलिए नालियों पर जालियां लगाई जाएं।
 लालाराम
भोजावास गांव में स्ट्रीट लाइट का अभाव है। सबसे प्रमुख समस्या अंधेरे की गलियों की है। रात के समय अंधेरे की गलियों से गुजरना होता है और आवागमन में दिक्कत होती है। ऐसे में स्ट्रीट लाइट का प्रबंध किया जाए।
 मनीष कुमार
 पीडब्ल्यूडी विभाग ने गांव में चौड़ा नाला तो बना दिया किंतु साफ-सफाई न होने से समस्या बन गया है। ऐसे में चौड़े नाले को साफ किया जाए तथा चौराहों पर कैमरे लगाए जाने चाहिए।
 सचिन
भोजावास बस स्टैंड पर शाम के समय कोई बस सेवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बस सेवा उपलब्ध करवाई जाए ताकि अटेली-नारनौल, रेवाड़ी कनीना आदि की ओर लोग आवागमन कर सके।
सत्यवीर
फोटो कैप्शन: कपिल,, जितेंद्र, सुभाष, शिशुपाल, रोहतास, लालाराम, सत्यवीर, सचिन मनीष
साथ में
फोटो कैप्शन 06: नालियों का गंदा पानी गलियों में बहता हुआ।
07: गंदा पानी गलियों की में बहते हुए
 फोटो कैप्शन 8: सुलभ शौचालय गंदगी से भरा हुआ
 फोटो कैप्शन 9: सड़क की बदहालात।






जल संचयन पर हुई चर्चा
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कनीना की आवाज। खंड के गांव धानौंदा  में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं जल , स्वच्छता सहायक संगठन महेंद्रगढ़ की ओर से ग्रामीण सहभागिता आंकलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता पंच ममता देवी ने की। विभाग की ओर से खंड संसाधन संयोजक अशोक यादव और डीपीसी अंकुर बेहवाल ने शिरकत की।
कार्यक्रम में अशोक यादव ने ग्रामीण लोगों को विलेज एक्सन प्लान के बारे विस्तार से बताया
वही उन्होंने कहा की योजनाबद्ध तरीके से आपसी सहभागिता से जल संरक्षण एवं संचयन मे अपना योगदान दे सकते हैं। कार्यक्रम मे उपस्थित ग्राम जल एवं सीवरेज समिति के अधिकार एवं कर्तव्यों के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
कार्यक्रम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,आशा वर्कर,मोटर चालकों ने भाग लिया।
अंकुर बेहवाल ने लोगों दैनिक जीवन में जल संरक्षण में भूमिका निर्वहन हेतु प्रेरित किया।
इस अवसर पर ममता देवी, अनीता देवी, संजना देवी ,रीना, गीता, कौशल्या, अशोक कुमार, राजकुमार, महेंद्र, शीशराम, नरेंद्र,भूराराम सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 05: जल संचयन पर चर्चा करते हुए।








अंधड़ के साथ आई बारिश
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कनीना की आवाज। कनीना कनीना क्षेत्रों में दूसरे दिन के अंधड़ के साथ बारिश हुई किंतु बारिश थोड़े समय के लिए चली। बूंदाबांदी के बाद गर्मी से राहत मिली किंतु पेड़ों की टहनियां टूट कर गिर गई। इस समय खेतों में चारा देने वाली फसलें और कपास खड़ा है। खरीफ फसल की किसान तैयारियों में जुटे हुए हैं। ऐसे में बारिश होना नुकसानदायक साबित नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि विगत दिनों से गर्मी पड़ रही है। गर्मी के चलते क्षेत्र में मौसम बार-बार बदल रहा है। 2 दिनों से अंधड़ और बारिश बूंदाबांदी हुई है।




बंदर बने राक्षस
-सत्य नहीं लगता है कि हनुमान की फौज के अंग हैं
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कनीना की आवाज। रामायण काल में हनुमान जी का विशेष योगदान आता है किंतु लोग अब बंदरों को हनुमान जी की फौज का हिस्सा बताते हैं जो गलत है। हनुमान जी ने जीवन भर समाज सेवा, देवी-देवताओं की सेवा, जनहित का भला और सबका भला किया। ऐसा एक भी काम नहीं गिना सकते जो हनुमान जी ने अपने रामायण काल या महाभारत काल में बुरा किया हो।  और उनसे बड़ा कोई समाजसेवी धरती पर अभी तक नहीं हुआ है और न ही होगा।
  उधर कोई एक काम भी नहीं बताया जा कता जो सिद्ध करे कि ये जीव किसी का भला कर रहे हैं। अकेले कनीना कस्बा में दो दर्जन लोगों को काट कर घायल करने की घटनाएं घट युकी है। कस्बा कनीना से विगत वर्षों की एक दर्जन लोगों को बंदरों ने काट खाया था। अगर कस्बा कनीना में सबसे अधिक नुकसान किसी ने किया है तो बंदरों ने किया है। सदा पेड़ों को तोड़ा, एंटीना, लाइट या कोई और नुकसान हुआ है सब बंदरों का एक कारण रहा है। बंदर एक ऐसा राक्षसी जीव है जो अंडे भी खा जाता है और जीवों को मारकर भी खा जाता है। फल और सब्जी खा जाते हैं। यहां तक कि कुछ भी हाथ लग जाए सब कुछ तबाह कर देता है। पक्षियों के लिए पानी के सकोरे रखे जाए तो उन्हें तोड़ जाते हैं और जो प्यासा पंछी पपानी पीने आता है उसे दाव लगाकर पकड़कर खा जाते हैं। सिकोरे रखना पाप बना दिया है।
यह सत्य है की से भी जीव हैं पर राक्षसी जीव है जिनको उनके रुथान पर भोजन देना कोई बुरी बात नहीं है। यदि वे अपने निश्चित ठिकाने पर पड़े रहे तो उनको भोजन देना उचित है। अगर इंसान जंगलों में वास करने लगे और बंदरों को भगाए या उन्हें मारे तो भी गलत होगा वहीं बंदर गांवों और शहरों में आये और इंसान को नुकसान पहुंचाये तो उनको भगाना ही जरूरी है।
राक्षसी जीव इसलिये हैं कि पानी की टंकियों में हगना,मूतना, उसी में नहाना ,गंदा करना और सबसे पेड़ पौधे तोड़कर प्रदूषण करना उसकी फितरत है।
सत्य यह है कि ये जीव इंसान के कोई काम के नहीं अपितु अगर जंगलों को काटने तोडऩे सबसे बड़ा योगदान और पृथ्वी को प्रदूषण की ओर धकेलने में भी अहम योगदान माना जाता है। जिस जगह बंदर रहते हैं उस जगह के पेड़ की चोटियां ही गायब हो जाती हैं। वह धीरे-धीरे छतरीनुमा हो जाते हैं और टहनियां तोड़ डालते हैं। आश्चर्य है कि ऐसे जीव हनुमान जी की फौज कैसे हो सकते हैं।
बंदर बच्चे बुड्ढे किसी को भी नहीं बख्शते, पेड़ पौधे, शाक,झाड़ी,पेड़ किसी को भी नहीं बख्शते। कड़वे और मीठे किसी भी फल को नहीं बख्शते, फल मांस किसी भी चीज को किसी भी चीज को नहीं बेख्शते, पानी की गंदगी करने पेड़ों का नुकसान, प्रदूषण करने से नहीं चूकते।
 बंदरों का आक्रामक रूप दिनों दिन बढ़ जाएगा। ऐसे में बंदरों से निजात पाने के वैज्ञानिक तरीके अपनाने होंगे नहीं तो टंकियों में उनके द्वारा दूषित पानी पीने उनके मल युक्त पानी पीने के लिए तथा लोगों को मौत के लिए, प्रदूषण बढ़वाने के लिए सदा तैयार रहे।







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